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क्या बारिस निकली बुर से भाग-2

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ओर मे साथ साथ उसकी नरम नरम बड़ी साइज़ की गांड के साथ खेल रहा था. हाथ लगाने से उसकी गांड
ऐसे हिलती थी जेसे ज़लज़ला आ जाता हे. खेर दोस्तों हुआ यूँ की आंटी रुबीना की बहन से मैने सेक्स के साथ साथ उसके पति के साथ उसके सेक्स के रीलेशन के बारे में पूछा उसने बताया की मेरा पति भी फिट हे और बड़ी अच्छी तरह से चूत मारता हे मेरी ओर हम तकरीबन अभी भी हफ्ते मे 3 बार कम से कम चूत लंड का खेल खेलते हैं. खेर मैने उससे पूछा की फिर तुम्हे क्या जरूरत पड़ी की मुझ से चुदवाने की तो कहने लगी की रुबीना ने बताया था की जनाब काफ़ी अच्छी चुदाई करते हैं तो पहले तो मे चुप रही फिर सोचा की चलो क्यो ना तुम्हे आज़माया जाये इसीलिये मे आज आ गई और साथ साथ मे उसकी चूत मे उंगलियाँ दे रहा था ओर कभी कभी बोबो को मुँह मे डाल कर चूसता रहा ओर वो बातें बताती रही.
तब मैने उसी से पूछा की तुम्हे पता हे की अक्सर जब तुम गली मे से गुज़रती हो तो मे तुम्हे बड़ी प्यारी नज़रों से देखता था तो वो कहने लगी नही मेने कभी फील नही किया खेर चलो आज बुझा लो प्यास अपनी ओर वो हंस दी. मैने उससे कहा की सब से प्यारी चीज़ तुम मे तुम्हारी गांड हे जब तुम चलती हो तो मेरा लंड झुक कर तुम्हारी गांड को सलाम करता. इस पर कहने लगी की क्या गांड मारने का इरादा तो नही मेने कहा की चूत तो तुम्हे अपनी इच्छा से मरवानी हे ओर गांड मेरी इच्छा से तुम मूझे दोगी खेर पहले तो वो नही मानी लेकिन मैने उसे मना लिया. अब मैने उससे कहा की लंड चूसो जितना चूस सकती हो मेरा अब वो मेरा लंड चूस चूस कर फुल खड़ा कर चुकी थी इस बार मेरा लंड पहले से भी ज्यादा टाइट था उधर दूसरी तरफ नसरीन बाथरूम से नहा कर आ चुकी थी ओर हीटर के आगे बेठ गई वो सर्दी से कांप रही थी हाहहः.
खेर अब मैने कुछ देर बाद शाज़िया की टाँगें अपने कन्धों पर उठा कर रखीं दोस्तो याद रहे की शाज़िया आंटी रुबीना की बहन का नाम हे. शाज़िया की टांगे उठा कर मैने अपने कंधों पर सेट की ओर नीचे से एक तकिया उसकी गांड के नीचे रख दिया ताकि चूत खुल कर उपर की तरफ साफ तरह से नज़र आये ओर लंड फिट हो कर चूत मे चला जाये. खेर अब मैने अपनी हाथो से ज़ोर से दबा कर उसके 38 साइज़ के बोबे पकड़ लिये ओर नीचे से लंड को चूत पर रगड़ने लगा चूत का पानी निकल रहा था ओर मे अपना लंड अच्छी तरह से चूत के पानी से गीला कर के उसकी चूत में डाल रहा था ओर बातों बातों मे एकदम झटका दिया ओर लंड चूत मे घुस गया जिससे की शाज़िया की सच मे चीख निकल गई ओर मेरे कन्धों को उसने ज़ोर से दबा लिया. शाज़िया की चूत दोस्तो सच पूछो तो आंटी रुबीना से भी ज्यादा मजे की थी क्योकी उसकी चूत अभी भी थोड़ी टाइट थी. उसके 2 बच्चे भी थे लेकिन फिर भी चूत कमाल की थी खेर अब मे थोड़ी देर नीचे झुक कर उसके होठ मुँह मे ले कर किस करने लगा फिर शाज़िया भी नीचे से गांड उठा उठा कर हिलने लगी मैने तकरीबन 6 मिनिट तक इस स्टाइल से उसकी चूत मारी.
फिर जब मैने महसूस किया की वो कम से कम 2 बार झड़ गई हे मैने सोचा की अब मोका अच्छा हे उसकी गांड मारने का तो मैने बड़े प्यार से उससे कहा की उल्टे हो जाओ पीछे से मारनी हे तुम्हारी चूत. उसे क्या पता था की अब मे उसे चूत की कह कर गांड मारने लगा. खेर वो मान गई पहले तो मैने उसकी चूत मे ही लंड डाला ओर 2 मिनिट के लिये तकरीबन चूत की खिदमत मे लंड पेश किया खेर अब तक उसकी चूत भी गीली हो कर सुकुड़ना शुरु हो चुकी थी जिसकी वजह से मेरा लंड दबा रही थी खेर मैने कुछ देर चूत मारने के बाद जब देखा की शाज़िया थक चुकी हे अब तब मैने आराम से लंड निकाला और गांड पर रगडना शुरु किया उसे क्या पता था की गांड मे डालेगा ओर मैने बातो बातों मे लंड गांड पर रखा और हल्के से पूछा क्या लंड गांड मे घुस गया वो एकदम आगे को हिली लेकिन मैने उसे पकड़ रखा था ज़ोर से उसके बोबो के वहा से इसलिये वो हिल ना सकी खेर उसकी गांड नरम होने की वजह से लंड कुछ आसानी से गांड मे चला गया. यकीन मानो दोस्तो क्या मजे की गांड थी इतनी भरपूर गांड ओर टाइट छेद. क्या मज़ा था लंड को पता चलता था की फँस कर गांड मे जा रहा हे खेर शाज़िया दर्द से काफ़ी कराह रही थी लेकिन मैने उसकी एक ना सुनी ओर आराम आराम से उसकी गांड मारता रहा खेर कुछ देर बाद जब उसने अपनी गांड ढीली छोड़ी तो मे थोड़ा तेज हुआ ओर तेज तेज लंड अंदर बाहर करने लगा अब उसको भी मज़ा आ रहा था ओर वो भी कह रही थी तेज मारो झटके मैने उससे पूछा की पति ने गांड मारी तुम्हारी या नही तो कहने लगी नही बस वो उल्टी कर के चूत बहुत मारते हे.
अब मे भी झड़ने वाला था ओर मैने कुछ ही देर मे उसकी गांड मे तेज धार छोड़ कर वीर्य निकाल दिया शाज़िया ने मूझे गोर से देखते हुये कहा की बड़ा गर्म हे वीर्य तुम्हारा हहहहा. खेर दोस्तो शाज़िया ने बड़ी ज़ोर से मेरे लंड को अपनी गांड मे दबा कर सारा वीर्य चूस लिया गांड में एक साथ. खेर उस के बाद हम कुछ देर लेटे रहे ओर फिर वो उठी ओर बाथरूम मे चली गई अब बारी आंटी रुबीना की थी इसलिये मैने बाकी सब को कहा की प्लीज अब मूझे और मेरी जान को एक साथ अकेला छोड़ दो इस पर आंटी बहुत खुश हुई ओर नसरीन ओर शाज़िया आंटी रोबना को मज़ाक मे ओय होय वा जी वा कह कर दुसरे रूम मे चली गई लेकिन जाते जाते शाज़िया मेरे पास से गुज़रते हुये मेरे लंड को शरारत से पकड़ कर कहने लगी की वेसे काफ़ी शान्त कर देतो हो तुम जनाब चूत को ओर गांड को भी इस पर मैने कहा की अब कब का प्रोग्राम हे तो उसने कहा की अभी इस बार की जो चूत पिलवाई हे उसकी जलन तो दूर हो जाये आगे की भी जल्दी बताऊँगी 2 ,3 दिन मे ही ओके.
यह कह कर वो भी चली गई दुसरे रूम मे अब मे ओर मेरी जानू आंटी रुबीना अकेले रूम मे चिपक कर लेट गये अब रुबीना ने प्यार से मूझसे पूछा की सच बताओ थक गये हो ना मैने कहा हाँ थक तो गया हूँ लेकिन तुम्हारी चूत ना लूँ यह हो नही सकता जानू आइ लव यू सो मच खेर इस पर वो खुश हो गई ओर कहने लगी कुछ देर आराम कर लो अभी तो रात के सिर्फ़ 4 बजे हैं 30 मिनिट आराम कर लो बाद मे फिर जनाब जेसा कहो जो कर लेना मैने कहा ओके ओर वो मेरी लिये गर्म गर्म गाजर का हलवा ले कर आई जो की मैने ओर उसने मिल कर खाया.
तो दोस्तो हुआ यूँ की अब क्योकी यह तीसरा टाइम था 1 ही रात मे 3 चूत मारना कोई आसान काम तो नही हे ना खेर मे लेट कर आंटी रुबीना की चूत के साथ खेल रहा था. ओर साथ साथ उसके बोबो को भी कभी कभी चूस लेता अब तक वो शायद मेरे साथ 3 बार झड़ चुकी थी ओर आंटी रुबीना भी मेरे लंड के साथ 30 मिनिट से खेल रही थी. अब मे भी कुछ गर्मी महसूस कर रहा था सेक्स की जिसकी वजह से दोबारा मेरा लंड खड़ा होना शुरु हो चुका था आंटी कभी कभी मेरे लंड के साथ लंड के बॉल भी मुँह मे डाल कर थूक लगा लगा कर गीले कर रही थी ओर उधर मे भी पागल हो रहा था इसलिये मे साथ साथ उसकी चूत मे उंगली डाल के तेज तेज अन्दर बाहर कर रहा था ओर जिसकी वजह से अब उसकी चूत गर्म हो कर लाल होना शुरु हो चुकी थी. ओर कुछ कुछ गीली भी.
आंटी मेरा लंड पागलों के जेसे चूस रही थी। ओर सच पूछो तो आंटी रुबीना ने मूझे सही तरह जोश दिला था अब तक. ओर मेंरी हालत यह हो चुकी थी की मे भी पागलों के जेसे उस के साथ 69 की पोज़िशन मे हो कर उसकी चूत चुसने लगा ओर वो मेरा लंड हम दोनो को दुसरे रूम से नसरीन ओर शाज़िया इस हालत मे खिड़की से देख रही थी हमे तब पता चला जब उन्होने हमे आवाज़ दी की ओय पागलो कहीं तुम उसकी चूत ओर वो तुम्हारा लंड ही ना खा जाना जीतने तुम पागल होये हो सेक्स मे हाहहहहा. खेर इतने मे आंटी रुबीना की चूत से तेज धार पानी की निकाल गई जो की मेरे मुँह मे जा कर गीरी ओर मे वो पानी पी गया खेर कुछ देर बाद आंटी ने मूझे कहा की बस करो प्लीज अब मारो चूत मेरे से ओर नही रहा जाता. मैने आंटी को बेड से उठने को कहा हम दोनो खड़े हो गये ओर मैने आंटी से कहा की टेबल पर जा कर बेठो आंटी ने वेसा ही किया ओर टेबल पर बेठ गई मेने आंटी के करीब जा कर आंटी की टाँगें उपर उठा कर अपने कन्धों पर रख ली ओर खुद मे ज़मीन पर खड़ा था ओर आंटी की चूत बिल्कुल मेरे लंड के सामने थी आंटी की चूत मेरे लंड से टच होती तो आंटी ओर पागल हो जाती मैने लंड को चूत के छेद पर सेट किया ओर आंटी को कन्धों से पकड कर अपनी तरफ खींचा ओर खुद भी झटका दे कर लंड को अंदर किया जिससे एक ही झटके मे चूत को चीरता हुआ मेरा लंड अंदर घुस गया आंटी एक दम से हिली शायद दर्द की वजह से आंटी रुबीना की चूत की गर्मी मूझे सच मे महसुस हो रही थी मुझे महसुस हो रहा था की सच मे चूत की गर्मी कितनी होती हे.
मे अभी आंटी रुबीना की चूत मार ही रहा था की पीछे से शाज़िया ओर नसरीन दोनो रूम मे आ गईं ओर उन्होने कपड़े उतार दिये ओर मेरे पीछे से आ कर एक ने मूझे अपनी बाहों में भर लिया ओर दुसरी नीचे झुक कर मेरे लंड के बॉल को चुसने लगी ओर मे साथ साथ आंटी रुबीना की चूत का गुलाम बन कर उसकी सेवा कर रहा था. नसरीन जो की नीचे बेठ कर मेरे बॉल चूस रही थी वो कभी कभी मेरा लंड हाथ से चूत से बाहर निकाल कर अपने मुँह मे डाल कर चुसती ओर फिर रुबीना आंटी की चूत मे अपने हाथ से डाल देती इस टाइम हम सब पागलों की तरह कमरे मे आवाज़े निकाल रहे थे लेकिन जो हालत आंटी रुबीना की थी वो पूछो मत उसकी चूत इतना पानी छोड़ चुकी थी की मेरा लंड पूरा गीला हो गया था. ओर अब तक वो पानी छोड़ छोड़ कर खुद भी कमजोरी महसुस कर रही थी. खेर 10 मिनिट ऐसे ही चूत मारने के बाद भी मेरा वीर्य निकलने का नाम नही ले रहा था क्योकी तीसरा टाइम था इसलिये टाइम ज्यादा लगता हे वीर्य निकलने मे. खेर इतने मे रुबीना आंटी ने कहा प्लीज 5 मिनिट रुक जाओ थोड़ा सब्र करके फिर मार लेना चूत मूझे जलन हो रही हे ओर मेने आंटी को छोड़ दिया वो जा कर बेड पर उल्टी लेट गई इतने मे शाज़िया ओर नसरीन दोबारा मेरे साथ चिपक गई.
मैने शाज़िया से कहा की अगर तुम्हारी इच्छा हे तो बताओ मे गांड मारुगा वरना नही. इस पर वो मान गई ओर मेने उसको पकड़ कर उल्टा करके नीचे से रुबीना की चूत के पानी से भरा हुआ लंड सीधा शाज़िया की गांड मे डाल दिया वो एक दम चीख मारती मारती रुक गई ओर नसरीन आगे से आ कर उसके बोबे दबाने लगी ओर शाज़िया साथ साथ उसकी चूत को सहलाने लगी खेर 5 मिनिट के बाद रुबीना ने मुड़ कर देखा ओर कहा की इंसानो की तरह अपने रूम मे जाओ तुम दोनो बस अब यह बारी मेरी थी तुम दोनो क्यो आ गई हो. मैने जब देखा की रुबीना आंटी नाराज़ हो रही ही तो मैने उन्हे छोड़ कर कहा की जाओ तुम दोनो बस अब. इतने मे दोबारा मे आंटी के पास जा कर लेट गया. अब तक आंटी कुछ ठीक हो चुकी थी मैने आंटी से पूछा की क्या हुआ तो उसने बताया की उसे बेबी ट्यूब तक जलन हो रही ही अभी भी शायद पानी ज्यादा निकलने की वजह से खेर. मैने पूछा तो अब क्या मूड हे उसने कहा की मूड क्या होना हे मज़ा दो मूझे बस जो दिल चाहे करो मैने सुनते ही उससे कहा की अब तुम मेरी गोद मे आ कर बेठो मेरी तरफ मुँह करके नीचे से लंड डलवा कर चूत मे आंटी ने वेसा ही किया ओर अब मे उसकी चूत मे लंड डाल कर साथ साथ उसके बोबे मसल कर चूस रहा था ओर साथ साथ उसकी गांड को नीचे से उठा उठा कर चूत मे लंड डाल रहा था.
यह सिलसिला 5 से 7 मिनिट चला अब फिर आंटी पानी छोड़ चुकी थी ओर कुछ कुछ मे भी अब वीर्य छोड़ने के करीब था. खेर मेने अपना स्टाइल बदल दिया ओर लंड चूत मे डालते हुये ही आंटी को उल्टा कर उसकी टांगे अपनी कमर से जकड़ा दी ओर अब मेरी रफ़्तार ओर भी तेज हो चुकी थी। कमरे में पचक पचक पूच पूच की आवाज़ें आ रही थी ओर साथ मे हम दोनो की सेक्स की आवाज़ें मुँह से निकल रही थी. रुबीना इतनी गर्म हो चुकी थी की अब तक मेरी कमर पर उसने अपने नाख़ून मार मार कर कितने जख्म कर दिये थे लेकिन उस टाइम मूझे भी महसुस नही हो रहा था ओर मे भी उसकी चूत पागलों की तरह मारे जा रहा था मैने रुबीना के बोबो को काट काट कर लाल कर दिया था ओर दाये बोबे पर काटने से जख्म भी आ चुका था लेकिन उसे भी उस टाइम दर्द महसुस नही हो रहा था शायद सेक्स की वजह से. खेर रुबीना के कान मे मैने पूछा की वीर्य निकालने का दिल करता हे चूत मे निकाल दूँ उसने मना कर दिया लेकिन मेरे प्यार से कहने पर वो मान गई ओर कहा की अगर गर्भवती होने का चान्स हुआ तो…… मैने कहा की लेडी डॉक्टर कोन सी खत्म हो चुकी हैं दुनिया मे। करवा लें ना कुछ ना कुछ। खेर इतने मे साथ साथ चूत मे पहले तो मेरे लंड ने पानी छोड़ा ओर मे समझ गया की मे बस झड़ने वाला हूँ इस लिये मे ओर तेज झटके मारने लगा ओर साथ ही 10 सेकेंड तक मैने इतनी तेज वीर्य की धार चूत मे छोड़ दी जिससे रुबीना ने मूझे ज़ोर से अपने हाथ गले में डाल कर चिपका कर अपनी बाहो मे दबा लिया ओर मूझे किस करने लगी ओर साथ साथ नीचे से अपनी गांड उठा उठा कर ज़ोर ज़ोर से मेरा लंड चूत के साथ दबाने लगी मे भी आराम से उसके उपर लेटा रहा जब तक वो खुद ढीली ना पड़ गई.
अभी भी मेरा लंड उसकी चूत मे ही था जो की आहिस्ता आहिस्ता ढीला होने की वजह से खुद बाहर निकल आया था. इस टाइम सुबह के 5 बज रहे थे. तब मैने आंटी से कहा की अब मूझे जाना चाहिये यह सुन कर उसने मूझे आज पहली बार कहा की आइ लव यू प्लीज़ कल फिर आ जाओ ना मे कल भी अकेली हूँ ओर कल सिर्फ़ मे होंगी ओर पूरी रात बस तुम मूझ से प्यार करना मैने उसकी आँखो मे अजीब सा प्यार देखा ओर मूझे उस पर बहुत प्यार आया जिससे मैने एकदम उसे अपनी बाँहो मे ले लिया ओर लंबी किस की ओर कहा की आइ लव यू टू जान आऊँगा जब भी तुम बुलाओंगी मे आ जाऊँगा. यह सुन कर वो खुश हो गयी ओर मेरी शर्ट अपने हाथ से मूझे पहनाई ओर फिर मेने अपने कपड़े पहने ओर अब उसे अपने हाथो से ब्रा पहनाई ओर शलवार ओर कमीज़ भी फिर वो बाहर दरवाजे तक मेरे साथ आई ओर उसने देखा की बाहर गली मे कोई हे तो नही ना ओर तब मे बड़े आराम से बाहर निकल कर अपने घर मे घुस गया ड्रॉयिग रूम के दरवाजे से. खेर पूरी रात सच मे मैने इतना इन्जॉय किया जिसका अंदाज़ा आप लगा चुके होंगे.
अगले दिन मे दोबारा आंटी के घर किसी बहाने से गया तो देखा की आंटी मेरी चाची के पास बेठी थी ओर बातें कर रही थी ओर मैने बड़े अंदाज़ मे कहा की आंटी क्या बात हे लगता हे आप की तबियत ठीक नही हे आँखे भी लाल हैं आंटी ने मेरी तरफ देखते हुये कहा हाँ वो रात को तबियत ठीक नही थी जिस वजह से सारी रात सो नही सकी आँखें भी लाल हैं. ओर मे साइड की तरफ मुँह करके हंस दिया की आंटी रुबीना केसे बात बदल रही हैं मेरी चाची के सामने अहहहाहहः. खेर उस शाम दोबारा आंटी ने मूझे 7:30 बजे कॉल करके कहा की आज रात दोबारा आ जाना 12 बजे तक ओर मैने हाँ कर दी ………. ओके दोस्तो केसी लगी मेरी स्टोरी प्लीज़ रिप्लाई जरुर करना.

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बंगलेमें चुदाई

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हैल्लो दोस्तों.. मेरा नाम अशोक है और में आज आप सभी को अपनी एक सच्ची कहानी सुनाने जा रहा हूँ. जिसमे मैंने एक लड़की को कैसे चोदा.. और उसको फिर मेरे लंड की भूखी बनाया? दोस्तों यह कहानी एक खेल के मैदान से शुरू होती है और मेरे घर से कुछ दूरी पर ही एक खेल का मैदान था.. और हर शाम की वॉक के लिए में वहां जाता था.. और बस यहीं से मेरी कहानी शुरू होती हैं और अब में सीधा अपनी कहानी पर आता हूँ और यह किस्सा उस वक़्त का है जब में कॉलेज के 3rd साल में था.. और मुझे अपने शरीर को वी आकार देना था. तो में हमेशा सुबह को 6 या 7 बजे जिम जाता था.. और शाम को वॉक के लिए में उस मैदान में जाता था. इसी दौरान मुझे महसूस हुआ कि दो प्यारी सी मदहोश कर देने वाली सुंदर आखें मुझे हमेशा घूरती रहती हैं.. और जब में मैदान में था तो यह बात सोचकर मेरे शरीर पर एक बिजली सी दौड़ गई और मन ही मन में बहुत खुश भी हो रहा था.. और मैंने मन ही मन में ठान लिया.. कि मुझे कैसे भी करके इस प्यारी सी आखों वाली के साथ जान पहचान करनी होगी.

फिर में एक दिन मैदान में शाम को घूम रहा था.. तो मैंने देखा कि मेरे पीछे पीछे वो लड़की भी आ रही थी.. और में जानबूझ कर थोड़ा धीरे धीरे चलने लगा और वो लड़की मेरे सामने पहुंच गई. तो मैंने इस मौके का फ़ायदा उठाया और थोड़ा हिम्मत करके उसको हाय बोला.. तो वो भी हैल्लो बोली. फिर मेरी हिम्मत बड़ गई और में उसके साथ मे चलने लगा.. और फिर मैंने उसे अपना नाम बताया तो उसने भी मुझे अपना नाम अनामिका बताया.. क्या बताऊ दोस्तों? वो उसके नाम जैसी ही सुंदर थी.. और करीब से उसके फिगर को देखने के बाद मेरे लंड से दो बूँद पानी निकल गया.. बिल्कुल चिकना बदन, उभरी हुई चूचियाँ.. क्या मस्त फिगर था उसका? एकदम लाल एप्पल के जैसे गाल, अंगूर जैसे हाथ, उसे देखने से ही किसी की भी सांसे अटक जाऐ.. और उसके बदन के रंग के बारे में क्या बताऊँ? जैसे दूध में हल्दी पाउडर मिक्स किया हो. फिर हम लोगों ने थोड़ी देर बात की.. और मैंने उसका मोबाईल नंबर लिया और में चला आया.

फिर उसके बाद में दूसरे दिन के लिए बहुत ही उत्सुकता के साथ सोचने लगा.. और मुझे रात भर नींद नहीं आई और में उसके बारे में सोच सोचकर तीन बार मुठ मार चुका था.. और मुझे बार बार उसके बूब्स की याद आ रही थी.. जब वो मेरे साथ चल रही थी तो उसके बूब्स बार बार ऊपर नीचे हो रहे थे.. और यह बात सोचकर मेरा लंड बार बार खड़ा हो रहा था. फिर उसके अगले दिन हम लोग फिर एक साथ शाम को घूमे और बहुत सारी बातें की. फिर उसी रात को करीब 11 बजे मुझे उसका मिस्ड कॉल मिला.. तो में बहुत खुश हो गया और मुझे पूरा विश्वास हो गया कि आग दोनों तरफ़ बराबर लगी हैं.. और मैंने उसे फोन किया तो एक ही रिंग में उसने फोन उठा लिया.. और हम लोगो ने करीब 3/4 घंटे तक बातें की.. और बातों ही बातों में मुझे पता चला कि वो भी मेरे ही कॉलेज में पहले साल में हैं और रोज शाम को कॉलेज के बाद कंप्यूटर स्कूल के लिए जाती हैं. तो मैंने उससे कहा.. कि में तुम्हे कल तुम्हारे कंप्यूटर स्कूल के टाईम पर मिलूँगा..

और वो भी मिलने को तैयार हो गई. फिर हम लोगो ने फोन बंद किया और सो गये. फिर उसके अगले दिन मैंने उसकी कंप्यूटर स्कूल में जाने से पहले उसको फोन किया.. लेकिन उसने कोई भी जवाब नहीं दिया. तो में थोड़ा सोचने पर मजबूर हो गया.. और फिर उसके आधे घंटे के बाद मुझे उसका मिस्ड कॉल मिला. तो मैंने तुरंत कॉल कर दिया और उससे पूछा.. कि तुम कहाँ हो? तो वो बोली कि में स्कूल के लिए निकल रही हूँ.. तो मैंने पूछा कि कहाँ पर मिलोगी? फिर उसने मुझे जगह का नाम बताया और साथ में टाईम भी. फिर में भी अपनी बाईक लेकर घर से निकल गया.. और कंप्यूटर स्कूल पहुंचने से थोड़ी दूरी पर मैंने उसे अपनी बाईक पर बिठाया और हमारे घर के एक पार्क में लेकर चला गया.. और वहाँ पर हम दोनों ने ढेर सारी बातें करी और फिर कुछ घंटे उसके साथ गुजारने के बाद अपने घर पर चला गया. फिर उस दिन के बाद हम दोनों हर रोज रात में बातें करने लगे.

फिर एक दिन मैंने उससे रात को फोन पर पूछा कि तुम क्या पहन कर सोई हुई हो? तो वो शरमा गई और बोली कि में नहीं बताउंगी.. लेकिन में उससे बहुत ज़िद करने लगा. तो वो बोली कि में बिना डोरी का टॉप और गाऊन पहने हुई हूँ. तो फिर मैंने पूछा कि और क्या पहना है? तो अनामिका बोली.. कि ब्रा और पेंटी.. इधर मेरा लंड अपने पूरे जोश में आ गया और में मुठ मारने लगा.. और धीरे धीरे मैंने उससे सेक्स की बहुत सारी बातें करना शुरू किया और वो भी बड़े मज़े से मुझसे सेक्स की बातें करती थी. फिर एक दिन मैंने कहा कि मुझे एक किस दो.. तभी वो शरमा गई. फिर मैंने उसे दो तीन बार बोला.. तो उसने धीरे से एक किस दे दिया. फिर वो बोली कि मुझे भी दो.. तो मैंने पूछा कि कौन से अंग पर चाहिये? वो एकदम चुप हो गई.. और मेरे दो तीन बार पूछने के बाद बोली कि तुम्हारी जहाँ पर मर्ज़ी हो दे दो. फिर में उसे एक एक अंग पर फोन से ही किस करने लगा और उसके मुहं से आहह उुउउहह ऊफ्फ की आवाजे निकलने लगी.. जिसे सुनकर मेरे लंड से पानी निकल गया.

तो मैंने उससे बोला कि में अगर तुम्हारे बूब्स चूसू तो.. क्या तुम को बुरा तो नहीं लगेगा? तो उसने कहा कि में पागल हो जाऊंगी.. प्लीज़ मुझे और मत तरसाओ. तो मैंने कहा कि ठीक है.. में कल तुमसे मिलूँगा और तुम्हारे बूब्स पिऊंगा. फिर हम लोग सो गये और दूसरे दिन में उसको पहले की जगह से हटकर दूसरी जगह पर लेकर गया. उस जगह पर भीड़भाड़ बहुत ही कम रहती है.. और कभी भी उस रोड़ पर इघर उधर से कोई भी गाड़ी नहीं जाती थी.. इसलिए किसी ने हमे देखा भी नहीं.. और रोड एकदम खाली देखकर अनामिका मेरी पीठ से एकदम चिपक कर बैठ गई और मुझे बहुत ही मज़ा आ रहा था. फिर उस रोड़ पर थोड़ा दूर जाने के बाद एक सुनसान सी जगह पर मैंने अपनी बाईक को रोक दिया और मैंने उसको अपनी तरफ खीचकर बाहों में ले लिया.. और धीरे से उसको किस किया. तो शर्म से उसने अपनी दोनों आखों को बंद कर लिया और मैंने उसकी टी-शर्ट को थोड़ा ऊपर उठाया.. और किस के साथ साथ में उसके बूब्स को भी दबाने लगा और उसके निप्पल को भी रगड़ रहा था.

तभी थोड़ी ही देर में वो मस्ती में आ गयी और मैंने उसकी टी-शर्ट को पूरा उतार दिया. उसने काली रंग की ब्रा पहनी हुई थी. और ऐसा लग रहा था.. कि वो कभी भी बाहर आ सकते है और फिर मैंने उन पर थोड़ा तरस खाया और उसकी ब्रा के हुक खोल दिए.. और अब वो दोनों बूब्स ब्रा की क़ैद से आज़ाद होकर ऐसे उछलने लगे जैसे उनकी मुराद पूरी हो गई. तो मैंने अनामिका के गोल गोल बूब्स को पहले तो अपनी जीभ से बहुत देर तक चाटा.. फिर उसको किस किया.. एक बूब्स पर किस करता था तो दूसरे को हाथ से मसलता जा रहा था. धीरे धीरे अनामिका को मस्ती आने लगी और वो अपने मुहं से अजीब अजीब सी आवाजे निकालने लगी.. में उसकी आवाज़ सुनकर और तेज़ी से उसके बूब्स को मसलने लगा और मैंने उसके निप्पल को अपने मुहं में लिया और ज़ोर जोर से चूसने लगा..

और बीच बीच में अपनी जीभ से उसके निप्पल को में रगड़ता भी जा रहा था.. वो इतनी पागल और मस्ती में आ गयी कि मुझे खुद से चिपकाने लगी. मैंने करीब आधे घंटे तक उसकी चूचियों को खड़े खड़े चूसा.. तभी अचानक से एक गाड़ी की आवाज आने लगी तो हम दोनों ने अपने अपने कपड़े पहन लिए और वापस उसके कंप्यूटर स्कूल आ गये क्योंकि में नहीं चाहता था कि कोई हम दोनों पर शक करे. फिर उसी रात मैंने उससे फोन पर खूब सेक्स भरी बातें की.. तो वो बोली कि जानू मेरे नीचे कुछ हो रहा है और बहुत कुछ अजीब सा लग रहा है. तो मैंने कहा कि क्या अजीब सा? तो उसने कहा कि मुझे पता नहीं.. लेकिन मेरी चूत बहुत गीली हो गयी है.

तभी मैंने कहा कि तुम्हारी चूत को मेरा लंड ही ठीक कर सकता है.. लेकिन इसके लिए तुमको दो दिन के लिए इंतजार करना होगा.. और अब मेरे पास में दो दिन थे और मुझे ऐसी कोई एक जगह ढूढ़नी होगी.. जहाँ पर में अनामिका को ले जाकर चोद सकूँ.. तो मैंने तीन चार अपने दोस्तों को फोन किया.. जो कि गार्डन में मैनेजर की नौकरी करते थे.. क्योंकि गार्डन के बंगले पर कोई आता जाता नहीं था और गार्डन के बहुत बंगले बहुत सुनसान जगह पर हुआ करते हैं और बहुत सुरक्षित भी था और किस्मत से मेरा एक दोस्त अगले दिन कुछ दिनों की छुट्टियों पर बाहर जाने वाला था.. और उस बीच उसका बंगला एकदम खाली रहेगा. तो मैंने उसको सारी बात बता दी.. तो मेरा दोस्त बोला कि ठीक हैं.. में तो अपना बंगला तुमको दे दूँगा.. लेकिन मुझे भी मज़ा लेना हैं. तो मैंने बोला ठीक हैं भाई हो जाएगा.. लेकिन पहले मुझे तो मज़ा लेने दे. फिर वो तैयार हो गया और अगले दिन में उसको अपने दोस्त के बंगले पर ले गया और रात को मैंने अनामिका के साथ फोन पर बात की.. और उसे अगले दिन का प्लान बताया तो.. वो भी तैयार हो गई मज़ा लूटने के लिए.

फिर अगले दिन मैंने उसे कंप्यूटर स्कूल पहुंचने से थोड़ा पहले ही अपनी बाईक पर बिठा लिया और फिर उसी बंगले पर ले गया और आज अनामिका की गांड एकदम सेक्सी लग रही थी. टाईट टी-शर्ट और वो स्किन टाईट जीन्स पहने हुई थी.. जिससे उसकी गांड एकदम उभरी हुई दिख रही थी. जिसको देखते ही मेरा लंड पेंट के अंदर ही फड़फड़ा रहा था.. फिर बंगले पर पहुंचकर अंदर से दरवाजा लॉक करते ही मैंने उसे किस करना चालू कर दिया और साथ में सारे कपड़े भी उतारने लगा.. और जब वो पूरी नंगी हो गयी तब मैंने उसे ऊपर से नीचे तक बहुत चूमा चाटा और उसकी चूचियों को दबा रहा था. फिर मैंने उसको बेड पर लेटा दिया और उसकी चूत को चाटने लगा और अब वो भी पूरी मस्ती में आ गयी.

फिर मैंने उससे कहा कि अब तुम मेरे लंड को चाटो.. पहले तो वो मना कर रही थी.. लेकिन थोड़ा मेरे समझाने के बाद वो मान गई और मेरे लंड को लोलीपोप की तरह चूसने लगी.. में मस्ती में पागल हो गया और थोड़ी ही देर में मेरा लंड फुल साईज में आ गया.. और वो मेरे लंड का साईज देखकर डर गई और चूसने के लिए मना करने लगी. तो मैंने बोला कि कुछ नहीं होगा.. और में तुम्हे धीरे से चोदूँगा और में उसको बेड पर लेटाकर उसके बूब्स को दबाने लगा और धीरे धीरे में उसकी चूत को भी चाटने लगा और मस्ती में आ गया. फिर में उसके ऊपर आ गया और उसकी चूत पर अपना लंड रगड़ना चालू कर दिया. अनामिका सिसकियाँ लेने लगी और बोली कि जानू क्यों तड़पा रहे हो.. जल्दी से अंदर डालो ना इसे. तो मैंने कहा कि ठीक है.. फिर मैंने धीरे से एक धक्का मारा तो मेरा लंड एक इंच लंड अंदर चला गया और वो चिल्लाने लगी और मुझसे लिपट गई..

लेकिन में रूका नहीं और एक झटका मारा तो.. मेरा आधा लंड उसकी चूत के अंदर चला गया. तो वो रोने लगी और बोली कि मुझे नहीं करवाना है.. प्लीज बाहर निकालो इसे.. मुझे छोड़ दो मुझे बहुत दर्द हो रहा है. लेकिन मैंने उसकी एक ना सुनी और ज़ोर से फिर एक बार धक्का लगाया और मेरा पूरा लंड उसकी चूत के अंदर डाल दिया.. और धीरे धीरे अंदर बाहर करने लगा और साथ में उसके बूब्स को पीता रहा. पूरा रूम आहा उह्ह्ह अह्ह्ह की आवाज़ से गूंजने लगा. करीब 15 मिनट तक में उसे चोदता रहा.. इस बीच वो 3 बार झड़ी.. लेकिन में धक्के पर धक्के लगाता रहा.. आख़िर में मेरी भी मंज़िल आ गयी और में भी झड़ गया.

तभी थोड़ी देर एक दूसरे के साथ हम ऐसे ही चिपके पड़े रहे.. थोड़ी देर बाद मेरा लंड फिर से मस्ती में आ गया. फिर मैंने उसके दोनों पैर मेरे कंधे पर उठाए और लंड उसकी चूत में डाल दिया.. वो फिर से रोने लगी.. और मैंने अपना लंड अंदर बाहर करना शुरू किया. थोड़ी देर बाद वो भी मस्ती में आ गई और मेरा पूरा पूरा साथ देने लगी. करीब 1 घंटे चोदने के बाद में झड़ गया. दोस्तों उस दिन मैंने उसे 3 घंटे में करीब 8 बार चोदा और में तो पूरा थक गया था फिर मैंने थोड़ी देर आराम करने के बाद उसे कंप्यूटर स्कूल के सामने छोड़ दिया और में अपने घर पर आ गया.

दोस्तों.. हमारी चुदाई का दौर इसी तरह चलता रहा और मैंने उसे बहुत बार चोदा. कभी उसके घर पर कभी मेरे घर पर.. कभी इधर, उधर जब भी जहाँ भी मौका मिलता में उसे चोदता और वो बहुत खुश होकर चुदवाती थी.

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मम्मी की चुदाई दास्तां

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हैल्लो फ्रेंड्स मेरा नाम विक्की है। मेरी उम्र 22 साल है, दोस्तों में भी आप ही की तरह इस साईट का बहुत बड़ा दीवाना हूँ और मुझे इस साईट पर कहानियाँ पढ़ते हुए तीन साल हो चुके है। दोस्तों आज में आपको एक ऐसी सच्ची कहानी सुनाने जा रहा हूँ जो बहुत पहले की है। पहले में आप सभी लोगो को अपने बारे में बता दूँ.. मेरे घर में 4 लोग है में, पापा, मम्मी और मेरी दीदी। मेरी मम्मी का नाम वर्षा है और वो दिखने में बहुत ही सुंदर है और मम्मी बहुत गोरी है और उनका फिगर बहुत अच्छा है। हम लोग सामान्य परिवार से है तो रहने में मेरी मम्मी बहुत ही सिंपल है वो घर मेक्सी और बाहर साड़ी या सलवार सूट ही पहनती है। मेरी मम्मी के ब्लाउज से उनकी बूब्स बाहर दिखते रहते है

हाँ तो में अब मेरी कहानी पर आता हूँ। मेरे पापा हमेशा टूर पर घर से कई कई दिनों के लिए बाहर रहा करते थे। तभी एक दिन मेरे पापा एक प्रॉजेक्ट के काम से बाहर गये हुए थे और घर पर में मेरी दीदी और मेरी मम्मी थे। तभी एक दिन नानी का कॉल आया और उन्होंने मम्मी से कहा कि बहुत दिन हो गये है.. तुम मुझसे मिलने आओ तो मम्मी ने कहा कि ठीक है और मम्मी ने पापा से फोन पर बात की और दूसरे दिन मम्मी ने ट्रेन का टिकट कराया और हम चल दिए। हमारा ऐसी कोच में रिज़र्वेशन था और भीड़ भी बहुत कम थी।

फिर हम अपने डिब्बे में पहुंचे तो वहाँ पर एक आदमी पहले से बैठा हुआ था और उसकी उम्र करीबन 45 साल की होगी और वो दिखने में बहुत ही लंबा चौड़ा था। उसकी पर्सनॅलिटी बहुत ही अच्छी थी। तभी डिब्बे में पहुंचकर मम्मी ने सारा समान सेट किया और हम बैठ गये। फिर वो आदमी हमे देख रहा था तभी थोड़ी देर बाद ट्रेन चलने लगी और हम लोग नॉर्मल बैठकर बातें करने लगे। में और मेरी दीदी खेल रहे थे और वो हमारी तरफ देख रहा था और कभी कभी मम्मी की तरफ देखकर मुस्कुरा देता था। मम्मी भी नॉर्मल व्यहवार रही थी। थोड़ी देर बाद में और मेरी दीदी ने मम्मी से कहा कि हमे ऊपर बर्थ पर जाना है और हम लोग चले गये। मेरी मम्मी ठीक उसके सामने बैठी हुई थी और वो चुपके से मेरी मम्मी को देख रहा था। फिर बीच बीच में उठकर वो समान ठीक करने के बहाने से मम्मी के बूब्स की तरफ देखता।

मम्मी ने जो कुर्ता पहना हुआ था उसमे से उनकी चूचियां दिख रही थी और वो बार बार उन्हें उठकर देखता और थोड़ी देर तक ऐसा ही चलता रहा। अब उसने मेरी मम्मी से बातें करना शुरू किया.. उसने अपना नाम बताया कहा कि हैल्लो मेरा नाम सुरेश है मम्मी ने भी अपना नाम बताया उन्होंने मम्मी से कहा कि आप लोग कहाँ पर जा रहे है? तभी मम्मी ने उसे बताया कि हम इंन्दोर जा रहे है। फिर उन्होंने मेरी मम्मी से कहा कि आपके बच्चे बहुत प्यारे है और फिर मम्मी हमारी तरफ देखने लगी और मुस्कुराकर उनसे कहा कि हाँ बहुत प्यारे है लेकिन दोनों बहुत बदमाश है। फिर उन्होंने मम्मी से पूछा कि आपके पति क्या करते है? तो मम्मी ने बताया कि वो एक प्राईवेट कंपनी में है और उसके ही एक प्रॉजेक्ट के काम से बाहर गये हुए है। थोड़ी देर तक ऐसे ही दोनों बात करते रहे फिर उन्होंने मम्मी से पूछा कि आप जॉब नहीं करती क्या? तभी मम्मी ने कहा कि नहीं में अपने पति के ही ऑफीस नौकरी करती थी लेकिन बच्चो के होने के बाद मैंने नौकरी को छोड़ दिया। तभी उन्होंने कहा कि लेकिन अब क्यों नहीं नौकरी कर लेती? तो मम्मी ने कहा कि अब कहाँ नौकरी करूँगी? फिर अंकल चुप हो गये थोड़ी देर बाद अंकल ने बताया कि वो एक बहुत बड़ी कंपनी के मेनेजर पोस्ट पर है और उनके पास एक बहुत अच्छी नौकरी है और उन्होंने मम्मी से यह भी कहा कि आपके जैसी कितनी ही शादीशुदा लेडी वहाँ पर काम करती है अगर आपको कोई दिक्कत ना हो तो आप मेरी कंपनी में नौकरी कर सकती है।

तभी मम्मी चुप हो गयी और थोड़ी देर बाद अंकल ने कहा कि देखिए आपके बच्चे जब स्कूल जाते होंगे तब तो आप घर पर अकेले रहती होंगी.. इससे अच्छा है कि आप कोई एक नौकरी पकड़ लीजिए आपका टाईम भी कट जाएगा और घर में पैसे भी आ जाएँगे। यह कह कर उन्होंने अपना बिजनेस कार्ड मम्मी को दे दिया.. लेकिन मम्मी उनसे नहीं कहने लगी। तभी उन्होंने कहा कि देखिए में आप पर ज़ोर नहीं दे रहा हूँ अगर आपको नौकरी करने का मन करे तो आप मुझे कॉल कर दीजिएगा। फिर मम्मी ने कहा कि ठीक है और मम्मी ने कार्ड अपने पर्स में रख लिया और दोनों बातें करने लगे। फिर रात का खाना खाकर हम लोग सो गये सुबह स्टेशन आया और हम लोग नानी के घर चले गये और 15 दिन तक हम लोग वहीं पर रहे और फिर वापस अपने घर आ गए।

फिर एक दिन रात में पापा का कॉल आया और मैंने मम्मी को बात करते सुना जो वो ट्रेन वाले अंकल से बात हुई वो पूरी बात पापा को बता रही थी और फिर पापा ने कहा कि ठीक है नौकरी कर लो। फिर अगले दिन मम्मी ने कार्ड से नंबर निकाला और कॉल किया और उनसे कहा कि में नौकरी करने को तैयार हूँ। फिर मम्मी ऑफीस जाने लगी मम्मी ऑफीस स्कर्ट और शर्ट पहन कर जाती थी मम्मी की जांघे साफ दिखती थी। तभी एक दिन मम्मी ऑफीस से आई और उन्होंने कहा कि बच्चो जल्दी से तैयार हो जाओ हमे जाना है। फिर मैंने उनसे पूछा कि कहाँ पर जाना है मम्मी? तो मम्मी ने बताया कि उनके बॉस के घर में एक बहुत बड़ी पार्टी है और ऑफीस के सारे लोग जा रहे है फिर हम लोग तैयार हुए और पार्टी में चले गये.. लेकिन उनका घर बहुत दूरी पर था। सही में वो उनका फार्म हाऊस था और वहाँ पर उनकी बर्थडे पार्टी थी और ऑफीस के सारे लोग आए हुए थे।

फिर मम्मी का बॉस आया और मम्मी ने उन्हें बर्थडे विश किया और मैंने देखा कि मम्मी का बॉस और कोई नहीं वही सुरेश अंकल थे जो ट्रेन में मिले थे। मम्मी ने उन्हें गिफ्ट दिया और थोड़ी देर में पार्टी शुरू हो गयी। फिर मम्मी के बॉस ने मम्मी को डॅन्स के लिए ऑफर कर दिया और मम्मी चली गयी वहाँ पर बहुत सारे लोग डांस कर रहे थे मम्मी अंकल से चिपक कर डांस रही थी। में बार बार उनकी तरफ देख रहा था कि अंकल का हाथ मेरी मम्मी की गांड पर चला जाता था। तभी मेरी दीदी ने कहा कि में कुछ खाने के लिए लेकर आती हूँ और मैंने कहा कि ठीक है और मैंने वहीं पर एक कुर्सी पर बैठ गया। करीब 3 घंटे पार्टी चली और 12 बज गये थे.. सब जाने लगे। मम्मी ने कहा कि अब हमे भी चलना चाहिए और वो ऑटो लेने के लिए बाहर जाने लगी इतने में मम्मी के बॉस आए और उन्होंने कहा कि इतनी रात को बच्चो के साथ कहाँ पर जाओगी.. तुम आज यहीं पर रुक जाओ.. कल सुबह में छोड़ दूँगा। फिर मम्मी नहीं नहीं करने लगी लेकिन बॉस नहीं माने और मजबूरी हमे वहीं पर रुकना पड़ा.. रात बहुत हो गयी थी।

फिर अंकल ने हमे रूम दिखाया और कहा कि बच्चो तुम लोग यहीं पर सो जाओ। तभी मैंने पूछा कि और मम्मी कहाँ पर सोएगी? तो अंकल हंसने लगे और उन्होंने कहा कि तुम मम्मी की टेंशन मत लो वो दूसरे कमरे में सो जाएगी और यह कहकर अंकल और मम्मी बाहर चले गये। करीब एक घंटा बीत गया मुझे नींद नहीं आ रही थी तो में बाहर बाल्कनी में आ गया वहाँ पर मुझे गार्डन में अंकल और मम्मी बातें करते दिखे। अंकल मम्मी को कुछ समझाने की कोशिश कर रहे थे और कुछ देर बाद अंकल ने मम्मी को अपनी तरफ खींच लिया और एक लिप किस ले लिया। मम्मी अंकल की तरफ देखने लगी.. अंकल कुछ देर तक मम्मी को ऐसे ही देखते रहे उन्होंने फिर धीरे से मम्मी के होठों पर किस किया और अब धीरे धीरे मम्मी के लिप पर किस करने लगे।

तभी मम्मी ने अपने हाथ अंकल के पीछे करके उनका साथ देने लगी.. अंकल ने अपने हाथ मम्मी के चूतड़ो पर रख दिये और धीरे धीरे मसलने लगे और कुछ देर तक ऐसा ही चलता रहा.. मुझे बहुत अजीब लग रहा था मैंने सोचा कि दीदी को उठा दूँ लेकिन मैंने दीदी को नहीं उठाया और चुपके से देखने लगा कुछ देर बाद अंकल ने मम्मी का हाथ पकड़ा और घर में आने लगे.. में रूम में चला आया क्योंकि वो लोग मुझे देख लेते। में कुछ देर रूम में ही बैठा रहा। अब मैंने गेट खोला और चुपके से बाहर आया.. मैंने देखा कि एक रूम की लाइट जल रही थी में वहाँ पर खड़ा हो गया और होल से देखने लगा मम्मी अंकल की गोद में बैठ हुई थी और अंकल मम्मी के होंठ पर और गले पर किस कर रहे थे। मम्मी आआहह कर रही थी मम्मी ने अंकल से कहा कि सुरेश प्लीज़ आज रात छोड़ दो मेरे बच्चे यहीं पर है। तभी अंकल ने कहा कि वर्षा आज रात मेरा बिस्तर गरम कर दे। तभी मम्मी ने कहा कि प्लीज़ सुरेश बच्चे देख लेंगे। अंकल ने कहा कि डार्लिंग तुम टेंशन मत लो तुम्हारे बच्चो को कुछ नहीं पता चलेगा..

में 6 महीने से तुम्हे चोद रहा हूँ किसी को कभी कुछ पता चला क्या? अब अंकल ने मम्मी की चैन को खोलकर साईड टेबल पर रख दिया और फिर से मम्मी को किस करने लगे। वो अपने एक हाथ से मम्मी के बूब्स को ब्लाउज के ऊपर से मसल रहे थे और मम्मी को किस कर रहे थे। उन्होंने मम्मी की जीभ को अपने मुहं में ले लिया और चूसने लगे और अब अंकल ने मम्मी के ब्लाउज का बटन खोल दिया और ब्रा के ऊपर से मम्मी की छाती को चूमने लगे और निप्पल को ब्रा के ऊपर से चूसते और फिर मम्मी की ब्रा अंकल के थूक से पूरी गीली हो गई थी और अंकल ने अपना एक हाथ पीछे करके मम्मी की ब्रा का हुक खोल दिया और खींचकर निकाल दिया। तभी अंकल मम्मी के बूब्स को देखकर पागल हो गये। मम्मी के बूब्स बहुत बड़े थे और गोल गोल थे.. उनकी भूरे कलर की निप्पल देखकर अंकल अपने होश खो बैठे और बूब्स को अपने मुहं में लेकर चूसने लगे और दबाने लगे मम्मी आअहह सस्स्शह कर रही थी मम्मी पूरी पीछे की तरफ हो गयी थी जिससे उनके बूब्स और तन गए थे अंकल पागलो की तरह मम्मी के बूब्स को चूस रहे थे और कभी वो मम्मी के निप्पल को मुहं में लेकर चूसते तो कभी मम्मी के बूब्स के पास किस करते।

तभी उन्होंने मम्मी से कहा कि वर्षा आज में तुझे रात भर चोदूंगा.. ऑफीस के दिनों में टाईम नहीं मिल पाता है.. आज तू रात भर मेरे पास रहेगी। अब अंकल ने मम्मी को लेटा दिया और मम्मी के पैर के पास बैठ गये और मम्मी के तलवे पर किस करने लगे उन्होंने मम्मी की पायल उतार दी और टेबल पर रख दी और धीरे धीरे मम्मी के पैर पर किस करते हुए मम्मी की साड़ी को उठाते गये और उठाकर उसे कमर तक कर दिया। फिर उन्होंने पहले मम्मी की पेंटी के पास सूंघा और कहा कि बहुत नमकीन खुश्बू है तेरी चूत की और मम्मी बार बार अपने हाथों से अपनी चूत छुपाने की कोशिश कर रही थी और अंकल मम्मी की जांघो को किस कर रहे थे और मम्मी आआहह उफ्फ्फ कर रही थी। अब अंकल ने मेरी मम्मी की पेंटी को निकाल कर अपने हाथों मे ले लिया और सूंघने लगे। अंकल को बहुत मज़ा आ रहा था और मम्मी अपने हाथ अपनी चूत पर रख कर छुपा रही थी तभी थोड़ी देर ऐसे ही चलता रहा।

अब अंकल ने मम्मी का हाथ हटा दिया और मम्मी की चूत को देखने लगे। मम्मी की चूत पर थोड़े थोड़े झांट के बाल थे और उसमे से उनकी लाल फुद्दी दिख रही थी। अंकल ने अपनी दो उंगली से मम्मी की चूत को फैला दिया और मम्मी की लाल भोस को देख कर पागल हो गये.. उन्होंने अपनी एक उंगली को अंदर डाल दिया और धीरे धीरे अंदर बाहर करने लगे.. मम्मी एयाह्ह्ह माँआआ करने लगी और अपने चूतड़ को उठाने लगी। तभी उन्होंने कहा कि सुरेश धीरे करो दर्द हो रहा है। अंकल ने मम्मी के दोनों पैरों को फैला दिया और मम्मी की चूत को चाटने लगे और मम्मी अपने सर को इधर उधर फेंकने लगी और अपने हाथों से अपने बॉस का सर पकड़ कर बाल खींचने लगी। अंकल ने दोनों हाथों से मम्मी की जांघ को पकड़ रखा था और मम्मी की चूत को चाट रहे थे। लगभग 10 मिनट तक अंकल ने ऐसा ही किया और मेरी मम्मी की चूत को चाटा। अंकल ने जब अपना मुहं बाहर निकाला तो मैंने देखा कि मम्मी की चूत से पानी निकल रहा था। अब अंकल ने अपने कपड़े उतार लिए और मम्मी वहीं पर बेड पर लेटी हुई थी.. वो ज़ोर ज़ोर से साँस ले रही थी।

उनकी छाती ऊपर नीचे हो रही थी और अंकल कुछ देर तक मम्मी को घूर कर देखते हुए अपने लंड को सहला रहे थे। कुछ देर में उनका लंड खड़ा हो गया और उन्होंने अपना लंड मेरी मम्मी के मुहं के पास लाकर रख दिया और मम्मी ने अपने हाथ से उनका लंड पकड़कर अपने मुहं में लेकर चूसने लगी। अंकल अह्ह्ह ओह्ह्ह वर्षा चूस और अच्छे से चूस और सिसकियाँ ले रहे थे। कुछ देर बाद मम्मी ने अपने मुहं से उनका लंड बाहर निकाला और अंकल के पूरे लंड पर मम्मी का थूक लगा हुआ था। अब अंकल ने मम्मी की साड़ी निकाल दी और पेटीकोट निकालकर मेरी मम्मी को पूरा नंगा कर दिया। मम्मी बेड पर अपनी टांगो को फैला कर लेटी हुई थी और अंकल अपने लंड को सहलाते हुए मम्मी पर लेट गये.. वो थोड़ी देर तक मम्मी के बूब्स को चूसते रहे और फिर एक हाथ से अपने लंड को पकड़ कर मम्मी की चूत पर रगड़ने लगे मम्मी अपने होंठ को अपने दांतों से दबाए हुए थी और सिसकियाँ ले रही थी और फिर अंकल ने अपने लंड को पकड़ते हुए एक जोर का धक्का दिया। मम्मी थोड़ी पीछे की तरफ हो गयी लेकिन अंकल ने एक और झटका दिया जिससे मम्मी थोड़ा और पीछे हो गयी और मम्मी के मुहं से चीख निकल पड़ी।

तभी मैंने देखा कि अंकल रुक गये और उन्होंने मम्मी के गालो को पकड़ लिया और धीरे धीरे किस करने लगे। जब मैंने नीचे की तरफ देखा तो अंकल का पूरा लंड मेरी मम्मी की चूत में समा गया था और अंकल ने मम्मी से पूछा कि क्या दर्द हो रहा है? तभी मम्मी से बोला नहीं जा रहा था.. उन्होंने इतने में बोला कि हाँ। अंकल ने एक और किस किया और कहा कि कुछ देर और होगा लेकिन फिर दर्द कम हो जाएगा.. अंकल ने एक और झटका दिया और धीरे धीरे लंड मम्मी की चूत में डालने लगे। मम्मी के बूब्स आगे पीछे हिल रहे थे मम्मी आआआ ओफफफ्फ़ औहह माँ मरी में सस्स्सीए नहीं बस करो कर रही थी और अंकल अपना एक हाथ नीचे की तरफ ले जाते हुए मम्मी की चूत के ऊपर वाले हिस्से को रगड़ रहे थे और मम्मी को धीरे धीरे चोद रहे थे और मम्मी बुरी तरह से सिसकियाँ ले रही थी पूरे रूम में मम्मी की सिसकियाँ और बेड के हिलने की आवाज़ आ रही थी।

अब अंकल ने मम्मी के निप्पल को अपने मुहं में ले लिया और तेज़ी से मम्मी को चोदने लगे। मम्मी धीरे धीरे अपने चूतड़ उठाकर उनका साथ दे रही थी। तभी थोड़ी देर बाद अंकल उठकर बैठ गये और उन्होंने मम्मी की जांघो को पकड़कर मम्मी की चूत में अपना लंड डाल दिया। तभी मम्मी ने अपने हाथ पीछे की तरफ करके बेड को पकड़ लिया। मम्मी के बूब्स और तन गये थे और अंकल के हर धक्के पर उनके बूब्स आगे पीछे हो रहे थे.. कुछ देर तक मम्मी के बॉस ने उनको ऐसे ही चोदा और फिर उन्होंने एक ज़ोर का झटका दिया और आआह्ह्ह करने लगे। जब उन्होंने अपना लंड बाहर निकाला तो मैंने देखा कि मम्मी की चूत से उनका पानी बह रहा था और दोनों पसीने से लथपथ हो चुके थे। कुछ देर बाद मम्मी ने अपनी चूत से वीर्य को साफ किया और अंकल मम्मी के साथ नंगे एक ही कम्बल में सो गये। फिर सुबह जब मेरी नींद खुली तो मम्मी ने अपनी साड़ी पहन रखी थी और फिर अंकल ने हमे अपनी कार से घर छोड़ दिया ।

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अच्छा कोचिंग मिला चुदाई का

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हेलो रीडर्स. में बबलू. उम्मीद है यह स्टोरी मेरे सभी पढ़ने वालों को बेहद पसंद आयेगी. और खास कर लड़कियों और आंटीयों को तो सबसे पहले मैं अपना परिचय दे दूं. में बबलू जयपुर से मुझे 10वी क्लास से ही सेक्स करने की इच्छा बहुत ज़ोर की थी. मैं हमेशा एक शादीशुदा औरत के साथ ही पहली बार सेक्स करना चाहता था क्योंकी उसे बहुत एक्सपीरियेन्स होता हैं. बात उस समय की है जब मैं 12वी क्लास मे पढ़ा करता था. मैं इंग्लिश की कोचिंग के लिये एक सर के घर जाता था. हम लोग 5 दोस्त एक साथ जाते थे. टीचर हम सब को दोपहर 3 बजे बुलाते थे और 5 बजे छोड़ते थे. हम लोग रोज कोचिंग जाते थे. सर भी शादीशुदा थे और सर की बीवी एक दम मस्त थी और बहुत ही खूबसूरत थी. जिस दिन से मैने उसे देखा था, में बस उसी के बारे मैं सोचता था. उसका नाम सोनिया था. वो एक बंगाली टीचर थी.
मैं आपको बता दूं, की सोनिया रोज दोपहर को अपने बेडरूम मे सोती थी और सर हमे हॉल मे पढ़ाते थे. उसके उठने का टाइम 4.30 बजे था. वो हर रोज 4.30 बजे के लगभग सो कर उठती थी और गाउन पहन कर बाथरूम के लिये जाती थी जो एक सब के लिये बाथरूम था, हॉल मे. हम जहा पढ़ते थे वो हॉल बाथरूम के जस्ट पास ही था. और वो जब टायलेट करती थी तो उसका मूत इतने प्रेशर के साथ निकलता था की उसकी आवाज़ हमारे कानो तक जाती थी. बस यही तमन्ना मन मे होती थी के एक बार उसके साथ सेक्स करने को मिल जाये तो ज़िंदगी हसीन हो जाये.
ऐसे ही दिन गुज़रते गये, और कुछ दिन बाद हमारे सर जो वहा के एक स्कूल मे टीचर थे, उनका ट्रान्सफर हो गया. तभी सर ने हमसे कहा की उनका ट्रान्सफर हो गया है इसलिये हम किसी और टीचर का इंतजाम कर लें. फिर सर ने एक राय दी और कहा की उनकी बीवी भी वो ही सब्जेक्ट पढ़ाती है, अगर हम चाहे तो उनसे कोचिंग ले सकते हैं. क्योकी सर का ट्रान्सफर कुछ समय के लिए ही हुआ था और उन्हे अभी फैमिली ले जाने का ऑर्डर और फ्लेट नही मिला था. इसीलिये सर अकेले जा रहे थे. मेरे सभी दोस्तों ने मना कर दिया और दूसरे टीचर को जॉइन कर लिया. मगर मैं सोनिया मेडम से कोचिंग लेने को राज़ी हो गया. सर ने भी मुझे थैंक्स कहा. जब सर जाने लगे तो उन्होने मुझे कुछ बाते बताई की मैं अपनी टीचर का ध्यान रखूं, अगर उन्हे कोई चीज़ चाहिये तो उन्हे ला दूँ, आदि और मैने सर को भरोसा दिलाया की मैं ऐसा ही करूँगा. फिर सर चले गये.
मेडम घर मे एकदम अकेली. उनको कोई बच्चा भी नही था. फिर मैंने मेडम से कोचिंग लेना शुरू कर दिया और कुछ ही दिन मे मैं मेडम का दोस्त भी बन गया और मेडम मेरी दोस्त बन गई. मैं मेडम का बहुत ख्याल रखता था और मेडम मुझे एक स्टूडेंट की तरह बहुत प्यार भी करती थी. धीरे धीरे 1 महीना बीत गया. फिर एक दिन मैने मेडम से कहा मेडम आपको सर की याद नही आती, मेडम ने कहा याद तो बहुत आती है मगर कोई और रास्ता भी तो नही है. फिर मैने मेडम को हिम्मत करके कहा मेडम एक बात पूंछू तो मेडम ने कहा तुम मुझसे कुछ बोलो उससे पहले मैं तुम्हे एक बात बोलना चाहती हूँ. तो मेडम ने कहा की “जब हम दोनो एक दूसरे का इतना ख्याल रखते हैं और दोस्त भी हैं तो फिर आज से तुम मुझे मेडम नही बल्कि सोनिया बोलोगे.
और वैसे भी तुम पूरे दिन मेरे घर मे ही तो रहते हो इसलिये मुझे मेडम सुनना अच्छा नही लगता.” मैं राज़ी हो गया.
फिर सोनिया ने कहा की तुम कुछ पूछ रहे थे तो मैने बहुत हिम्मत करके कहा की सोनिया फिर मैं चुप हो गया और आधी बात मे ही रुक गया. तो सोनिया बोली क्या बात है और मैने कुछ नही कहा. फिर उसने मुझे अपनी कसम दी और बोली कहो ना नही तो मुझसे बात मत करना और मुझ से कोचिंग भी मत पढ़ने आना. मैने फिर कहा की तुम बुरा तो नही मानोगी तो उसने कहा नही फिर मैं बोला की तुम्हे क्या सेक्स करने का मन नही करता. ऐसा कहने पर सोनिया चुप हो गयी और मेरी तरफ आश्चर्य से देखा. मैं डर गया था और मैने उसे सॉरी कहा तो उसने कहा की तुम्हे सॉरी नही बल्कि मुझे तुम्हे थैंक्स कहना चाहिये.
तुम्हे मेरा कितना ख्याल है और मेरे पति को मेरा ज़रा सा भी ख्याल नही. और उसने मुझे मेरे गाल पर एक किस दिया. फिर हमने साथ मे डिनर किया और मैं अपने घर चला गया. फिर कुछ दिन बाद, मैं एक दिन सोनिया के घर गया मगर वो घर मे दिखाई नही दे रही थी. मैं हर एक रूम देख रहा था मगर वो कही नही थी. फिर मैने बाथरूम का गेट खोला और मैने वो देखा जो मैने कभी सोचा भी नही था. बाथरूम का गेट बन्द नही था और जैसे ही मैने गेट खोला तो देखा की सोनिया अपने बाथरूम मे बैठी थी. उसका गाउन, ब्रा और पेन्टी पास ही मे रखे थे.
वो एकदम नंगी थी और उसने अपने बाये हाथ की तीन उंगलीयां अपनी चूत मे घुसा रखी थी और दाये हाथ से अपनी चूचि को दबा रही थी. उसकी आँखे बंद थी और वो मज़ा ले रही थी. मैं करीब 5 मिनिट तक बिना कुछ कहे उसे देखता रहा. मेरा लंड पूरा खड़ा और हार्ड हो गया था और मेरा मन कर रहा था की अभी उसे चोद दूं. मगर मैने अपने आप को संभाले रखा. कुछ देर बाद मैने कहा सोनिया यह क्या! सोनिया बिल्कुल डर गई और अपनी उंगली बाहर निकाल कर अपने गाउन से अपने जिस्म को ढकने लगी और मेरी तरफ देखती हुई अपने रूम मे चली गई. मैं हॉल मे एक सोफे पर बैठ गया. कुछ देर बाद वो कपड़े पहन कर बाहर आई और मेरे पास बैठ गई और कहने लगी. तुम्हे क्या पता एक शादीशुदा औरत इतने दिन अपने पति के बगैर कैसे रह सकती है. सेक्स तो हर एक को चाहिये और ऐसा कह कर मुझ से लिपट कर रोने लगी. फिर मैने उसे संभाला.
फिर उसने मुझे यह बात किसी से नही कहने को कहा, उसके पति से भी नही. में राज़ी हो गया. फिर मैने कहा की अगर तुम्हे सेक्स की इतनी ही चाहत है तो मैं तुम्हारी यह चाहत पूरी कर सकता हूँ. ऐसा कहने पर वो और ज़ोर से मुझसे लिपट गई और मुझे फिर से एक किस दी और कहा “सच? क्या तुम मुझे प्यार करोगे. और मेरे पति को भी नही बताओगे. तुम कितने अच्छे हो”. ऐसा कह कर वो मुझे चूमने लगी और मैं भी उसे कस कर अपनी बाहों मे दबाने लगा. और कुछ देर तक हम वैसे ही रहे. फिर मैं जाने की लिये उठने लगा तो उसने कहा कहा जा रहे हो और मुझे कब प्यार करोगे. मैने कहा मैं शाम को 8 बजे आऊँगा. और फिर में चला गया.
मैं शाम को उसके घर पहुँचा और अंदर गया तो देखा की उसने एक बहुत ही सुंदर साड़ी पहन रखी थी. उसके बड़े बड़े बोबे उसके ब्लाउज से बाहर आने को तड़प रहे थे. उसका पेट पूरा दिखाई दे रहा था. क्योकी वो शादीशुदा थी, उसका जिस्म पूरा हरा भरा था. और मुझे ऐसी ही औरत अच्छी लगती थी. उसकी कमर बड़ी बड़ी थी और गोल भी थी. वो पूरी गोरी नही थी पर उसका रंग बहुत ही मस्त था. वो बहुत ही सुंदर और गर्म औरत थी. उसके होठ बड़े बड़े और आँखे मोटी मोटी थी. उसकी उंगली लंबी लंबी थी. वो सर से पैर तक चोदने लायक थी. उसे देख कर ऐसा लगता था जैसे वो चुदवाने के लिये बिल्कुल तैयार है. वो मुझे अपने कमरे मे ले गई और अपने बेडरूम का गेट बंद कर दिया. उसके बाल खुले थे. मैने उसे कहा, की आज मैं उसे हर तरह से खुश और उसकी सेक्स की गर्मी को ठंडा कर दूँगा. वो मुस्कुरा कर बोली चलो देखते हैं.
उसके ऐसा कहने पर मेरा लंड और गर्म हो गया. और मैने उसे अपनी बाहों मे भर लिया और उसके होठों को चूमने लगा. फिर मैने उसे बेड पर बिठाया और उसके पेट पर अपना हाथ फेरने लगा. वो भी फिर जोश मे आने लगी और मेरे सिर के बाल को सहलाने लगी. मैने उसकी चूचियों को अपने एक हाथ से ज़ोर से पकड़ लिया और दबाने लगा. उसे पहले तो थोड़ा दर्द होने लगा और फिर शांत हो गई और मैं उन्हे दबाता रहा और ऐसा करते करते उसकी साड़ी के पल्लू को उपर से गिरा दिया. और धीरे धीरे उसकी साड़ी खोल दी. वो अपने लहँगे मे और ब्लाउज मे थी. फिर उसने मेरी शर्ट, और पेन्ट को उतार दिया. मैं सिर्फ़ चड्डी मे था.
उसने मुझे बेड पर लेटा दिया और मेरे उपर सो गयी और मेरी छाती को चूमने और चाटने लगी. उसके ऐसा करने पर मुझे लगा की इसे पूरा एक्सपीरियेन्स है. और मुझे फिर उसकी चूत की गर्मी का भी एहसास हो गया. वो मुझे कुछ देर तक चूमती रही और कहा की तुम मेरी चूचि का मज़ा नही लेना चाहते और ऐसा कहते कहते उसने अपना ब्लाउज उतार दिया. उसकी दोनो बड़ी बड़ी चूचियों को देख कर मैं हैरान रह गया. उसकी निपल ब्राउन रंग की थी और उसके बोबे का रंग बिल्कुल गोरा था. मैने उसे एक बार मे बेड पर लेटा दिया और उसके उपर चढ़ कर उसके एक बोबे को चूसने लगा और दूसरे को दबाने लगा. वो ज़ोर से आहे भरने लगी और मुझे और ज़ोर से दबाने को कहा. मैने ऐसा ही किया. उसने मेरे सिर को पीछे से पकड़ कर ज़ोर से अपने बोबे पर रगड़ने लगी. ऐसा लगता था जैसे वो अपने पूरे बोबे को मेरे मुहँ मे भर देना चाहती है. कुछ देर बाद मैने उसके लहँगे का नाडा खोल दिया और उसे उतार कर फेक दिया.
वो एक सुंदर फूलो वाली गुलाबी रंग की पेन्टी पहनी हुई थी. उसे देख कर ऐसा लग रहा था की अभी अपना गर्म लंड उसकी चूत मे घुसा दूँ. उसकी गोरी जाघें मोटी मोटी और अच्छी शेप मे थी. मैने उससे पूछा की तुम अपने पति के साथ सेक्स कैसे करती हो. तो उसने कहा की वो मुझे ज़्यादा मज़ा नही देते. मेरी चूचि को कुछ देर चूसते हैं और अपना लंड मेरी चूत मे डाल देते हैं और कुछ ही देर मे झड़ जाते हैं. मुझे तो झड़ने का मौका ही नही मिलता. तुमने मुझे जिस दिन बाथरूम मे उंगली करते देखा था वो तो मे उनके होते हुये भी करती हूँ. मैने कहा और कुछ नही करती हो. उसने कहा और होता ही क्या है. तो मैने उससे कहा की तुम्हे तो अभी बहुत कुछ सीखाना बाकी है. उसने कहा सच, अगर ऐसा है तो जल्दी करो ना. और ऐसा कहने पर मैने उसकी पेन्टी को धीरे धीरे उतार दिया. मैने उसे बिल्कुल नंगी कर दिया था.
मैने पहली बार किसी औरत की चूत को ऐसे देखा था. उसकी चूत बिल्कुल टाइट थी. उस पर हल्के हल्के ब्राउन रंग के बाल चारो तरफ थे. मैने फिर अपनी चड्डी उतारी तो मेरा भी मोटा और 7” इंच लम्बा लंड देख कर वो बोली की ऐसे लंड से चुदवाने का मज़ा मुझे पहली बार आयेगा. मैने कहा इसे टेस्ट करना चाहोगी. उसने कहा मुझे गन्द आती है. तो मैने कहा करके तो देखो. फिर मैने उसे बिना कुछ कहे उसके दोनो पैर को चोड़ा किया और उसके पैरो के बीच में बैठ कर उसकी चूत पर एक किस दे दी. ऐसा करने पर उसने कहा, तुम ऐसा मत करो. तुम्हे घिन आयेगी. मैने कहा, इसी मे तो सारा मज़ा है. और फिर मैने उसे अपनी जीभ से चाटना शुरू किया और उंगली से उसको फैलाने लगा.. ऐसा करने पर उसे बहुत दर्द हो रहा था. उसने मुझे ऐसा नही करने को कहा मगर मैं कहा सुनने वाला था. वो ज़ोर ज़ोर से सिसकियाँ भर रही थी. और मैं पूरी ज़ोर से उसकी चूत को चूस रहा था. उसकी चूत मे एक बहुत ही सुंदर खुशबू आ रही थी. उसकी चूत बहुत गर्म थी. मैं करीब 15 मिनिट तक उसकी चूत को चूसता रहा. कुछ देर बाद उसे अच्छा लगने लगा. मैने उससे पूछा अब कैसा लग रहा है तो उसने कहा अब कुछ अच्छा लग रहा है.
मैने फिर अपनी दो उंगली उसकी गरम चूत मे घुसा दी मगर उसकी चूत इतनी टाइट थी की वो अंदर नही जा रही थी. मैं आप सब को एक बात बता दूँ. मैं बहुत सारी ब्लू फिल्म देखता हूँ और मुझे मालूम है की किस लड़की को किस तरह चोदना चाहिये. तो चूँकि उसकी चूत मे मेरी उंगली नही जा रही थी तो मैंने उसकी चूत मे अपना थोड़ा सा मूत गिरा दिया. उसने पूछा यह क्यो तो मैने कहा यह इसलिये ताकि तुम्हे दर्द नही हो. और ऐसा करने पर उसकी सुखी चूत गीली हो गई और मेरी उंगली आसानी से अंदर चली गई और मैं उसे ज़ोर ज़ोर से अंदर बाहर करने लगा. ऐसा करते करते उसका जिस्म काँपने लगा और उसने कहा की तुम अपना मुहँ और उंगली वहा से हटा लो, मैं अब झड़ने वाली हूँ. मैने कहा मैं उसे पीना चाहता हूँ इतना कहते कहते वो झड़ गई और में उसके पूरे रस को पी गया और एक बूँद भी नही गिराया.
उसने कहा तुमने मुझे बहुत संतुष्ट किया है और मैं भी अब तुम्हारा लंड चूसना चाहती हूँ. उसने भी मेरा लंड अपने मुहँ मे लिया और उसकी चमड़ी को पीछे करके उसके अंदर वाले पार्ट को अपनी जीभ से लगाने लगी. मुझे बहुत मज़ा आ रहा था. वो मेरा पूरा 7” इंच लंबा लंड अपने मुहँ मे लेना चाहती थी. उसके चूसने के कुछ देर बाद मैं भी झड़ने वाला था इसलिये मैने अपना लंड उसके मुहँ से निकालना चाहा मगर वो भी वही करना चाहती थी जो मैने किया मगर मेरे थोड़ा तन ने से मेरा लंड उसके मुहँ से बाहर निकल गया और मैं वही झड़ गया और मेरा सारा रस उसके पूरे मुहँ मे पिचकारी की तरह चिपक गया, कुछ उसके होठों पर, कुछ उसके गाल पर और चारो तरफ. वो उस पूरे रस को अपने होठों और उंगली से चाटने लगी और उसका पूरा मज़ा लेने लगी.. फिर उसने मुझे थैंक्स कहा और मेरे लंड को अपने होठों से चाट कर साफ कर दिया. और अब मुझे अपना लंड उसकी चूत मे घुसाने को कहा. मैने ऐसा ही किया. मैने धीरे धीरे अपने लंड को उसकी चूत मे घुसाने लगा मगर उसके घुसने से पहले ही वो चीख पड़ी.
फिर मैने थोड़ा और ज़ोर लगाया और 4” इंच उसकी चूत मे डाला. उसका दर्द और बढ़ गया. वो और ज़ोर से छटपटाने लगी और मुझे बस करने को कहा. उसने कहा “मेरे पति का लंड तो सिर्फ़ 5”इंच का ही है और अब मैं तुम्हारा 7”इंच लंबा लंड कैसे घुसाऊँगी.” मैने कहा तुम उसकी चिंता मत करो और एक और झटका लगाया और मेरा 7” इंच लम्बा लंड उसकी चूत मे समा गया. उसकी आँखों से पानी निकल पड़ा मगर मैं रुका नही और धीरे धीरे पूरा लंड उसकी चूत मे डाल दिया. उसकी चूत बहुत गर्म थी. मैं अपने लंड को अंदर बाहर करता रहा. कुछ देर बाद उसे भी मज़ा आने लगा और वो भी मेरा साथ देने लगी. वो अपनी कमर को मेरे साथ साथ आगे पीछे करने लगी. चूँकि हम दोनो अभी अभी झड़े थे इसलिये दोबारा इतनी जल्दी झड़ना मुमकिन नही था. इसलिये मज़ा और ज़्यादा आने लगा. ऐसा करते करते कुछ देर बाद वो झड़ गयी. उसकी गर्म चूत गीली हो गई. और वो शांत पड़ गई. मगर में रुका नही और मैं उसे चोदता रहा.
उसने मुझे अब रुकने को कहा मगर मैं रुका नही और अपना काम करता रहा. लगभग 10 मिनिट के बाद मैं भी झड़ गया और मैने अपना पूरा माल उसकी चूत मे गिरा कर शांत हो कर उसकी बाहों मे सो गया. वो मुझे चूमती रही और मेरे उपर लेट गई. कुछ देर बाद मैने उसे कहा, अभी तो और एक मज़ा बाकी है. उसने कहा वो क्या. तो मैने कहा, अभी मैं तुम्हारी गांड मारूँगा जिसमे तुम्हे बहुत मज़ा आयेगा. उसे उसके बारे मे कुछ नही मालूम था. उसे लगा इसमे भी बहुत मज़ा आयेगा और वो राज़ी हो गई. फिर मैने उसे उसके बेड के एक कोने मे कुत्ते की तरह खड़े होने को कहा और उसके दोनो हाथ बेड के उपर रख दिये. उसका पैर ज़मीन पर और उसकी कमर बीच मे. फिर मेंने उसके मुहँ मे अपना लंड डाल दिया ताकि वो कुछ गीली हो जाये.
फिर मैं अपने होठों से उसकी गांड चाटने लगा और उसे पूरी तरह गीली कर दिया. उसे अच्छा लग रहा था. फिर मैने अपना लंड अपने हाथो मे लेकर उसके गांड के छेद पर लगाया और अपने हाथो से पकड़ कर एक धक्का मारा. मेरे धक्के मारते ही वो चीख पड़ी और कहा मुझे बहुत दर्द हो रहा. मैने कहा थोड़ा सहन करो. पहली बार है ना. और फिर बार बार धक्का लगाते रहा, बार बार वो चीखती रही और बार बार मेरा लंड कुछ अन्दर जाता रहा. और ऐसा करते करते मेरा लंड 4”इंच अंदर चला गया. उसने मुझसे रोते हुये उसे छोड़ देने को कहा. मगर मैने उसे समझाया की बस कुछ देर बाद ही उसे मज़ा आयेगा. ऐसा कहने पर वो मान गई और मैने फिर एक जोरदार धक्का लगा कर अपना लंड 1.5” इंच और अंदर डाला. ऐसा करते करते मेरा पूरा का पूरा लंड उसकी गांड मे घुस गया और वो ज़ोर ज़ोर से सिसकियाँ भरने लगी.
फिर मैने अपना लंड अंदर बाहर करना शुरू किया और कुछ देर बाद उसे भी मज़ा आने लगा. फिर मैने उसकी चूचियों को पीछे से पकड़ कर दबाने लगा और उसकी गांड भी मारने लगा. ऐसा करते करते मैं झड़ गया और अपना पूरा रस उसकी गांड मे डाल दिया. और फिर में उसे बेड पर लेकर लेट गया और उसकी चूचि चूसने लगा. फिर मैं बेड पर लेट गया और उसे मैने अपने लंड पर बैठाया और सोनिया ने धीरे धीरे मेरा सारा लंड अपनी गांड मे घुसवा लिया. वो मेरे लंड पर नाचने लगी और मज़ा लेने लगी. उसने फिर अपनी लम्बी उंगली की बड़े बड़े नाखून से मेरी गांड के आस पास की जगह को खरोचने लगी.
ऐसा करने पर मुझे बहुत आराम लग रहा था. फिर उसने मेरी गांड के छेद पर अपने मुहँ का थूक गिराया और अपनी उंगली मेरे मुहँ के थूक से गीली करके मेरी गांड मे अपनी उंगली घुसाने लगी. मुझे पहली बार बहुत दर्द हुआ और कुछ देर बाद मज़ा आने लगा और वो करीब 15 मिनिट तक ऐसा करती रही. ऐसा करते करते हम दोनो कब सो गये हमें मालूम ही नही चला. फिर सुबह हुई और हम दोनो एक दूसरे के जिस्म से लिपटे हुये उठे. और जब भी मौका मिलता मैं उसे दिन मे भी चोदने लगता. हम दोनो फिर हर रोज़ एक साथ सोने लगे और मैने उसे हर एक स्टाइल मे चोदा और मज़ा दिया. हम ब्लू फिल्म भी साथ देखते और उस स्टाइल मे एक दूसरे को चोदते. मैने उसकी गांड मार मार कर उसकी गांड को चोड़ा कर दिया था जिससे वो और भी सुंदर लगती थी. मैने अपनी एक पुरानी इच्छा भी पूरी करनी चाही.
मैने उससे कहा की जब मैं सर से पढ़ता था और जब तुम दोपहर को सोने के बाद टायलेट करने जाती थी तो तुम्हारा प्रेशर सुनकर मुझे तुम्हारी चूत को चाटने का मन करता था. तब उसने कहा की तुम अपनी इच्छा अभी पूरी कर लो. और फिर वो बाथरूम मे गई, उसने मूतना शुरू किया उसी प्रेशर के साथ और मैने उसके मूतते हुये अपना मुहँ उसकी चूत पर लगाया. उसका सारा मूत मेरे मुहँ पर गिरने लगा और मैं उसका मज़ा लेने लगा. इस तरह जब मेरा मन करता मैं सोनिया को चोदने लगता और वो भी पूरी चाहत के साथ मुझसे चुदवाती. फिर कभी तो दोस्तो मुझे ज़रूर बताये की मेरी यह स्टोरी आपको कैसी लगी. और मैने सोनिया को संतुष्ट करके अच्छा किया की नही…. मुझे अपने कमेन्ट जरुर देना.

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रुबीना आंटी थी बहुत चुदासी

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दोस्तो आप सब को मेरा सलाम आज मे आप सब के लिय अपनी स्टोरी सुनाने जा रहा हूँ । यह बिल्कुल सच्ची कर कहानी हे जो की मेरी ओर आंटी रुबीना की है। हुआ यह की आंटी रुबीना ने अगली रात मुझे 12:15 पर सेल पर मिस कॉल की मे समझ गया की सिग्नल ग्रीन हे ओर मेने तुरंत उसे कॉल किया. उसने कहा की आज मे घर मे अकेली हूँ. बस मेरा बेटा घर में हे वो उपर वाले रूम मे सौ रहा हे. इसलिय आ जाओ बस तुम 5 मिनिट तक । मे तुरंत तैयार हुआ ओर रूम के रास्ते बाहर गली मे जाकर देखा तो गली बिल्कुल रात के 12:15 बजे सुनसान थी ओर सर्दी भी थी।
खेर 1 गली मे रहने का हमे यह फ़ायदा हे दोस्तो के 4 घर दूर आंटी रुबीना का घर हे इसलिए जब चाहू मे मोका देख कर उसकी चूत मार लेता था। मे जब आंटी रुबीना के दरवाजे पर पहुचा तो अंदर नाइट बल्ब जलने की ग्रीन रोशनी आ रही थी मे दरवाज़ा खोल कर आराम से दबे पावं अंदर चला गया. आंटी चादर ओढकर मेरा इंतज़ार कर रही थी। उसने मुझे इशारा किया हाथ से की सामने वाले रूम मे चले जाओ खेर मे अंदर चला गया. आज आंटी ने ज़मीन पर बिस्तर लगा रखा था शायद इसलिय की पिछली रात बेड के हिलने का शोर होता रहा था जब मे चूत मार रहा था।
सारी रात आंटी की उसकी सिसकिया खेर आज उस का बेटा घर था इसलिय ज़मीन पर बिस्तर लगा रखा था. कुछ देर बाद आंटी आई उसने आते ही कमीज़ उतार दी ओर आकर हसंने लगी की पता हे कल की मेरी उस जगह पर बहुत ज्यादा जलन होई हे.. मेने पूछा कहाँ तो बताया की 1 तो चूत टाईट थी ओर उपर से तुम ने मारी बहुत कल ओर पानी निकाल के शायद कुछ जलन होती हे खेर जो भी हे।
मेने कहा तो फिर आज का प्रोग्राम रहने देते हे.. यह सुन कर उसने कहा पागल कल पति ओर बच्ची आ जायेगे वापिस इसलिय आज मोका अच्छा हे.. चोदो बस शुरु हो जाओ तुम… मेने यह सुन कर आंटी की सलवार उतार दी जब देखा तो जनाब क्या नज़ारा था उस की चूत पर आज बिल्कुल बाल नही थे।
मेने पुछा तो उसने बताया की तुम्हे पसंद हे ना चिकनी चूत इसलिए आज शेव की तुम्हारी लिए। आंटी ने साथ ही मेरी शर्ट उतारनी शुरु कर दी ओर ट्राउज़र भी. में बिल्कुल नंगा हो गया ओर हम कंबल मे लेट गये ओर आंटी अब मेरा खड़ा हुवा लंड पकड़ कर हिला हिला कर खेल रही थी ओर मे आंटी की चूत को सहला रहा था कुछ देर बाद आंटी उठी ओर मेरी लंड के पास मुहं ले जाकर मुहं मे डाल लिया ओर चूसने लगी।
मेरा लंड आंटी ने मेरा 6.5 लंबा लंड 10 से 12 मिनिट चूसा था. फिर मे पागल हो गया ओर मैंने आंटी को साइड में करके 69 की पोज़िशन मे आ गया. मेने कहा बस अब मे तुम्हारी चूत का भोसड़ा बना दूगा.. आज चूस चूस कर.. आंटी ने पूरी टांगे खुल ली ओर मे अब आंटी की चूत चूस चूस कर पागल हो रहा था। इतनी नरम चूत थी यार क्या बताऊ खेर कुछ देर बाद आंटी ने 1 पिचकारी छोड़ी ओर उस की चूत का पानी मेरी मुह मे सीधे जाकर गले मे लगा। मेरा लंड अभी खड़ा था मेने आंटी से कहा की अब बस सीधी हो जाओ चूत की चुदाई के लिए।
आंटी ने कहा आज तुम मुझे नही मे तुम्हे चोदूंगी.. मेने पुछा केसे तो उसने कहा देखते जाओ बस.. मुझे लेटा कर खुद मेरे उपर आकर लंड चूत मे डाल कर लंड पर बेठ गई ओर कुछ देर बाद आंटी रुबीना हिलने लगी ओर लंड अंदर बाहर करने लगी. अब उसका हाथ मेरी छाती पर था ओर ज़ोर ज़ोर से हिल हिल कर लंड अंदर बाहर कर रही थी। 15 मिनिट के बाद मुझे फुल सांस चढ़ चुका था लेकिन वो अभी लंड पर जंप किये जा रही थी खेर उसके बाद मेने झटका मार कर आंटी को नीचे लाकर उसकी टांगे उपर उठा कर ओर उस की चूत के नीचे तकिया लगा दिया ओर फिर उसके ऊपर की हुई टाँगों के उपर बेठ कर लंड को उसके मुह के पास ले गया. ओर कहा चूसो अब उसने अच्छी तरह लंड को ज़ोरदार थूंक लगा कर लंड भर दिया ओर मे निचे आकर टाँगों को उठा कर लंड सुराख पर ले गया।
मारा 1 ज़ोर का झटका ओर लंड चीरता हुआ अंदर चूत में चला गया. चूत की आग महसूस करते ही लंड ओर अकड़ गया ओर मे अब आंटी की चूत मे झटके पर झटका मार रहा था. खेर यह सिलसिला एसे ही 12 ,13 मिनिट चला ओर अब मेरा पानी निकलने वाला था. मे साथ साथ आंटी के बोब्स चूस रहा था ओर मेने आंटी से कहा की पानी निकलने वाला हे तो उसने आगे से कहा की बाहर लंड ना निकालना आज चूत मे पानी निकाल दो बस तुम… मे यह सुन कर ओर जोश मे आकर झटके मारने लगा।
फिर कुछ ही सेकेंड मे आंटी की चूत मे ज़ोरदार धार पानी की निकाल दी ओर आंटी ने अपनी चूत को दबाना शुरू कर दिया ओर मेरा सारा पानी चूत ने चूस लिया।
उस रात दोस्तो मेने आंटी की 2 बार चूत मारी ओर आंटी की हालत बुरी हो रही थी आंटी ने उस रात मेरे कहने पर मुझेसे बाथरूम मे जाकर नहाते वक्त चुदवाया ओर सुबह 4:00 बजे मे फिर घर वापिस आ गया।

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बहन को पटाकर चुदाई की

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हैल्लो दोस्तों.. मेरा नाम अंशुमन है और में इस साईट का बहुत चाहने वाला हूँ.. क्योंकि मुझे ब्लू फिल्म देखने से ज़्यादा मज़ा इस साईट की स्टोरी पढ़ने में आता है और शायद आप सभी को भी आता होगा में अधिकतर लेस्बियन कहानियाँ ही पढ़ता हूँ और कभी कभी देसी भी. मेरी उम्र अभी 20 साल है और मेरे साथ 11 अगस्त को बहुत मस्त घटना हुई जो में आज आप सभी से शेयर करना चाहूँगा और वो मेरे दिमाग़ से हट ही नहीं रही.. बाकी सब स्टोरी का पता नहीं.. लेकिन यह स्टोरी बिल्कुल एकदम असली है और अब में उस दिन को पुरानी यादोँ की तरह आप सभी के सामने रखता हूँ. मेरी छोटी बहन 19 साल की है और उसका नाम प्रेरणा है और पता नहीं मुझे एकदम से क्या हो गया है कि में आजकल उसी को देखकर तड़पता रहता हूँ और उसको पता भी नहीं चलने देता कि में उसके साथ सेक्स करना चाहता हूँ.. लेकिन क्या बताऊँ कि अगर वो मुझे मिल जाए तो फिर और कोई नहीं चाहिए. यह अहसास आप सभी समझते होंगे और मेरे ख्याल से सारे भाई अपनी बहन के साथ सेक्स करने की इच्छा अपने मन में दबाए रखते है. फिर मैंने इस दिशा में कभी कोई कदम नहीं उठाया और मेरी कोई गर्लफ्रेंड भी नहीं बनी और कभी किसी को मैंने ट्राइ ही नहीं किया और सच बोलूं तो में लड़कियों के मामले में थोड़ा शर्मीला स्वभाव का हूँ.

इसलिए तो मैंने एक दिन डिसाईड किया कि धीरे धीरे कुछ ट्राई किया जाए और कुछ ऐसा किया जिससे प्रेरणा खुद ही मुझसे सेक्स करना चाहे और में जब भी कोई मौका हाथ लगता उसको देखना नहीं छोड़ता था.. उसकी नाभि, उसके बूब्स, उसकी छाती, उसके पैर, उसकी गांड, और कभी उसकी कमर.. सब की एक तस्वीर बनाकर रोज़ उसके नाम की मुठ मार ही लेता था. फिर वो भी इस उम्र में हर रोज़ धीरे धीरे सेक्सी होती जा रही थी और धीरे धीरे में उससे सभी बातें शेयर ज्यादा करने लगा.. उसका भी कोई बॉयफ्रेंड नहीं था और फिर में उसको सेक्सी कहानियाँ मेल करने लगा एक फेक आई.डी से जिसमे लेस्बियन या देसी सेक्स वाली अच्छी स्टोरी होती थी.. लेकिन मुझे पता नहीं था कि वो पढ़ती थी या नहीं और सिर्फ़ मुझे एक बार पता लग जाए कि वो उन स्टोरी को पढ़ती है.. तो मुझे पता चल जाए कि वो क्या और कैसा सोचती है एक भाई से सेक्स करने के बारे में?

फिर सभी स्टोरी की तरह में उसको नहाते हुए नहीं देख पाता था और ना ही बाकी स्टोरी की तरह में रात को उसके साथ सोता था जिससे उसको छू सकूँ.. में ज़मीन पर गद्दा बिछाकर सोता था और वो ऊपर बेड पर सोती थी. में ट्राई करता था कि उसको देखता रहूँ क्योंकि उसकी उम्र हो गयी थी चूत में ऊँगली करने की.. कभी वो सोचे कि में सो रहा हूँ और वो चूत में ऊँगली करे तो में उसको ऐसा करते हुए देखना चाहता था. में उसकी पेंटी, ब्रा तो सूंघने लगा था और मुठ मारने लगा था. फिर कभी वो बाथरूम में पेंटी, ब्रा को छोड़कर आती थी तो में उनको सूंघकर ही में बहुत खुश हो जाता था और में आजकल उससे बहुत खुलकर बातें करता था जिससे उसकी पसंद ना पसंद का पता लग जाए और जब भी मौका मिलता था उसको हग करता था. उसके बूब्स को महसूस करने के लिए में उसको अपने साथ बाईक पर घुमाने लगा.. क्योंकि वो पीछे से थोड़े बूब्स मेरी कमर पर छू देती थी.

एक दिन में जब बाईक पर उसके साथ था तो उसने मुझे किसी जनरल स्टोर के बाहर रोका और कहा कि 15 मिनट रुको में अभी आती हूँ. तो मैंने ज्यादा नहीं सोचा.. लेकिन में उसके पीछे नहीं गया और थोड़ी देर बाद मैंने सोचा.. कि में अंदर जाता हूँ और मुझे पता लगा कि उसको ब्रा, पेंटी लेने थे. फिर 2-3 दिन के बाद बाथरूम में उसकी नयी वाली पेंटी, ब्रा पड़ी हुई थी में बहुत गरम हो गया और मैने फिर से मुठ मार ली और मैंने ध्यान दिया कि वो भी आजकल मेरी तरफ आकर्षित होने लगी थी और एक दिन उसका मेरी फेक आई.डी पर जवाब आया कि वो भी ऐसी कहानियों को बहुत पसंद करती है और मुझे बहुत अच्छा लगा.. क्योंकि मुझे अब भरोसा था कि उसको फंसाने में बहुत मज़ा है.. लेकिन अब उसको अपनी तरफ आकर्षित कैसे करूं यही सोचना था. दोस्तों आपको बता दूँ कि मेरी फेक आई.डी से उसको लगता था कि कोई लड़की उसको स्टोरी भेजती है.

फिर एक दिन वो स्कूल में थी और जब मैंने देखा कि वो ऑनलाईन है.. तो मैंने फेक आई.डी से उससे चेट करना शुरू किया.. फिर उसने मुझे बताया कि वो भी भाई के साथ सेक्स करना चाहती है. तो मेरा लंड एकदम खड़ा हो गया.. लेकिन दोस्तों में उसको कैसे पूछूँ और कैसे किस तरह उसको चोद सकूँ समझ में नहीं आ रहा था और वो पता नहीं कैसा व्यहवार करेगी और में बहुत डरता भी था और शरम भी बहुत थी. फिर मैंने एक प्लान बनाया और थोड़ा दिमाग़ लगाया.. उस समय मेरे एग्जाम थे.. मैंने उसको बोला कि मुझे सुबह जल्दी 6 बजे उठा देना. क्योंकि वो रोज़ जल्दी उठकर मम्मी की किचन के कामों में मदद करवाती थी और एक्ससाईज़ भी करती थी. फिर मैंने भी थोड़ा पहले का अलार्म लगा लिया और सुबह सुबह उठकर उसके बारे में सोचने लगा.. तो मेरा लंड खड़ा हो गया और इंतजार करने लगा. कि वो मुझे उठाए और उसको पता लग जाए कि मेरा लंड खड़ा हुआ है.

फिर थोड़ी देर बाद वो मुझे उठाने आई.. और थोड़ी देर मैंने नींद में होने का नाटक किया.. में नीचे जमीन पर बिस्तर डालकर सोता हूँ इसलिए वो मुझे झुककर उठा रही थी और उसकी सुंदर छाती को देखकर मेरा लंड ज्यादा खड़ा हो गया और उसको भी पता लग गया कि मेरा खड़ा है. मैंने ग़लती से उसके बूब्स के ऊपर से हाथ लगा दिया और नींद में होने की बात सोचकर उसने कोई विरोध नहीं किया और उसका हाथ भी स्टाईल से मैंने अपने लंड पर छू दिया.. लेकिन उसने कोई भी विरोध नहीं किया और धीरे धीरे मुझे महसूस होने लगा कि एक दिन तो में उसके साथ सेक्स कर ही लूँगा और काश में उससे सीधा पूछ पाता.. लेकिन में बहुत शर्मिला स्वभाव का था और एग्जाम टाईम था इसलिए रोज़ यह सब होने लगा. वो कुछ हलचल नहीं करती थी और रोज़ में ग़लती से उसके बूब्स छू लेता था. उसको भी पता था कि में बहुत शर्मीले स्वभाव का हूँ और उसका भी सेक्स करने का मन होने लगा. फिर मेरे एग्जाम खत्म हो गये और एक दिन उसने मुझे बोला कि आज कल आप लेट उठने लगे हो भैया.. रोज़ सुबह जल्दी उठना चाहिए. तो में समझ गया कि उसको भी लंड चाहिए? तो मैंने पूछा कि क्यों अब क्या करूं जल्दी उठकर?

प्रेरणा : जल्दी उठकर एक्ससाईज़ किया करो.. में भी करती हूँ.. या मॉर्निंग वॉक पर जाया करो.

में : नहीं में फिट हूँ मुझे नहीं करनी एक्ससाईज़.

प्रेरणा : यार आप आज कल मोटे हो रहे हो.

में : ठीक है कल से करेंगे.. लेकिन तेरे साथ ही करूँगा.

प्रेरणा : ठीक है भाई और क्या करेगा मेरे साथ?

में : क्या मतलब?

प्रेरणा : कुछ नहीं मेरा मतलब है कि मॉर्निंग वॉक पर भी चलेंगे ना.

में : हाँ क्यों नहीं?

अब में हर रोज़ एक्ससाईज़ के वक्त में उसको बहुत छूने लगा था.. रोज़ वो मुझे जल्दी उठाती थी और हर रोज़ वही होने लगा. मुझे आखिरकार एक दिन उसको चोदना था और एक दिन मम्मी को मौसी के यहाँ पर जाना पड़ा. पापा ऑफिस में थे और वो दूसरा शनिवार था.. हमारी छुट्टी थी तो मैंने कुछ नहीं बोला और फिर ..

प्रेरणा : उठो भैया.

में : नहीं.. आज आलस आ रहे है और तुम भी सो जाओ.

प्रेरणा : क्या में यहीं सो जाऊँ आपके पास?

में : हाँ क्यों नहीं.

प्रेरणा : ठीक है भैया आज घर में कोई नहीं है मम्मी मौसी के घर गयी है.

में : तो अब खाना कौन बनाएगा.. तू?

प्रेरणा : क्या यार.. आपको भी उठने से पहले भूख लग जाती है.

में : ज़ोर ज़ोर से हंसने लगा.

प्रेरणा : और बताओ भाई क्या चल रहा है?

में : कुछ नहीं यार.

प्रेरणा : भाई में जब भी आपको उठाने आती हूँ तब आप सोए हुए रहते है.. लेकिन आपका सुबह सुबह ऐसे क्यों खड़ा हुआ रहता है?

में बहुत चकित और खुश और नर्वस और गरम.. सारा मिक्स सा अहसास आ रहा था और उसे क्या जवाब दूँ? समझ में नहीं आ रहा था और फिर मैंने कहा.. कि मुझे पेशाब आ रहा है और में उठकर बाथरूम में चला गया.

प्रेरणा : क्या हुआ? वापस आओ ना मेरे साथ थोड़ी देर लेटो.. कुछ बात करनी है.

में : हाँ आ रहा हूँ.

प्रेरणा : आपको में कैसी लगती हूँ?

में : तू बहुत अच्छी है.. लेकिन तू ऐसा क्यों पूछ रही है?

प्रेरणा : यार आप बहुत शर्मीले हो और आपकी कोई गर्लफ्रेंड भी नहीं है और मेरा भी कोई बॉयफ्रेंड नहीं है.

में : हाँ मेरी तो अभी तक कोई गर्लफ्रेंड नहीं है.. लेकिन तेरा कोई बॉयफ्रेंड क्यों नहीं है? और तू तो दिखने में भी बहुत अच्छी लगती है.

प्रेरणा : क्या भैया आजकल अच्छे लड़के है ही नहीं.. सब गंदे है और मुझे वो पसंद नहीं.. कोई वैसे भी आप की तरह अच्छा दिखने वाला हो और आप क्यों नहीं पटाते कोई? आप बहुत शर्मीले हो.

में : हाँ यार और अब मेरा लंड फिर से बहुत टाईट हो रहा था.

उसको फिर मेरा खड़ा हुआ लंड महसूस हुआ. इस बार मैंने उसके गाल पर छोटा सा किस कर दिया और उसने भी मेरे सर पर किस कर दिया.

प्रेरणा : में आपसे बहुत प्यार करती हूँ भैया और आप बहुत अच्छे हो मेरा बहुत ध्यान रखते हो.

फिर वो मेरे ऊपर लेट गयी और में पीछे से उसकी ब्रा महससू कर रहा था और उसकी गांड भी. तभी वो बोली कि भैया अब शरमाओ मत और एक किस करने में आपका खड़ा हुआ है प्लीज़ मुझे फिर से किस करो ना. फिर मैंने कुछ नहीं सोचा और उसके गुलाब जैसे होंठो को ऐसा किस किया कि क्या बताऊँ? बहुत चूसा उसके होंठो को और उसने भी और एक दूसरे को गीले वाले किस किए और हम बहुत देर तक किस करते रहे.. करीब 12 मिनट तक वो मेरे ऊपर लेटी हुई किस करती रही और में किस करते हुए उसकी गांड को मसल रहा था. तभी अचानक से वो उठकर चली गयी और रोने लगी.

में : क्या हुआ.. रो क्यों रही है.

प्रेरणा : भाई यह क्या हुआ? और यह क्या कर दिया हमने? क्यों यह बहुत ग़लत है ना? सब मेरी ग़लती है मैंने ही आपको उकसाया.. आप तो कुछ नहीं करने वाले थे.

में : रो मत और अब चुप हो जा कुछ नहीं करना तो कोई बात नहीं और मुझे माफ़ कर दे में ही तुझे वो सेक्सी कहानियाँ भेजता था.

प्रेरणा : क्या? तुम पागल हो.

में : मुझे माफ़ करो वैसे किस कैसा था?

तो वो कूदकर मेरी गोद में आ गयी और फिर से किस करना स्टार्ट कर दिया और इस बार भी अच्छा किस था और उसने मेरी टी-शर्ट को उतार दिया और मैंने भी उसका टॉप उतार दिया.. वो ब्रा में बहुत अच्छी लग रही थी. क्या बताऊँ एकदम ग़ज़ब? और फिर से किस करना स्टार्ट कर दिया. तो वो बोली कि क्यों भैया आपको सब आता है ना?

में : हाँ मैंने बहुत ब्लू फिल्म देखी है.

प्रेरणा : कंडोम है?

में : छोड़ उसको उसका अभी क्या काम?

फिर मैंने उसकी ब्रा उतार दी और किस करते हुए उसकी कमर को मसलने लगा.. वो बहुत अच्छे से किस कर रही थी. मैंने उसको रोककर उसके बूब्स दबाए और उसके बूब्स चूसने लगा.. लेकिन उसके बूब्स बड़े बड़े एकदम गोरे बहुत अच्छे आकार में थे और बहुत अच्छे निप्पल भी थे. में बहुत देर तक दोनों बूब्स को एक एक करके चूसता रहा और हम फिर से किस करने लगे.

प्रेरणा : भैया आपका लंड दिखाओ ना प्लीज़.

में : पहले तू तेरी चूत दिखा ना.

प्रेरणा : आप भी पूरी लाईफ शर्मीले ही रहोगे.. आप खुद ही देख लो.

फिर मैंने उसकी पेंट को उतार दिया और उसके पैर को चूमने चाटने लगा और फिर उसकी जांघ को चाटा और उसकी गुलाबी पेंटी के पास उसकी चूत को किस करने लगा. फिर उसकी चूत के पास चाटने लगा.. वो तो इतने में ही एक बार झड़ गयी और उसकी पेंटी गीली हो गई. तो उसने कहा कि भैया प्लीज़ पेंटी खोलो मेरा रस तो बाहर आ गया. तो मैंने उसकी पेंटी को जोश ही जोश में फाड़ दिया.. उसकी क्या चूत थी? बस थोड़े थोड़े बाल थे और बिल्कुल गुलाबी सी चूत थी और उसे देखकर मेरे मुहं में पानी आ गया और फिर मैंने कहा कि अब तो चूत को चूसकर बहुत मस्त मज़ा आएगा. तो वो बोली कि कोई बात नहीं.. लेकिन आपको बुरा ना लगे तो क्या अब आप मेरी चूत को चाटोगे?

फिर मैंने कहा कि हाँ तुम देखती रहो और में चूत को बहुत तेज़ी से चूसने लगा और थोड़ी देर चूसने के बाद वो मेरे बाल पकड़ कर खींचने लगी और मुझे पता था कि उसका दूसरी बार झड़ने का नंबर आने वाला है. उसकी चूत के रस का बहुत अच्छा स्वाद था और उसने मेरे सर को अपनी जांघ में दबा लिया था. फिर वो बोली कि वाह भैया आप मेरी चूत का सारा पी गये.. चलो अब आपका लोवर उतारो.. तो मैंने कहा कि तुम खुद ही उतार लो. फिर उसने हंसकर मेरा लोवर और अंडरवियर एक साथ उतार लिया मेरा लंड भी थोड़ा सा गीला था और अब वीर्य निकल रहा था. तो उसने पहले हाथ से सहलाया, मसला तो मेरा लंड झड़ गया और पूरा वीर्य उसके बूब्स पर गिर गया और थोड़ा सा उसने चाट लिया और वो बोली कि कोई बात नहीं भैया यह दोबारा खड़ा कब होगा? तो मैंने कहा कि इसको अपने मुहं में लेकर ज़ोर ज़ोर से चूसो.. अभी खड़ा हो जाएगा.

तो उसने लंड को ऐसा चूसा कि लंड एकदम से दो मिनट में ही खड़ा हो गया उसने बहुत मस्त चूसा था. उसकी इस मस्त स्टाईल से मुझे पहली बार बहुत मज़ा आया और अब दोबारा से मेरा खड़ा हुआ था और उसने बहुत देर तक चूसा.. लेकिन इस बार झड़ा नहीं. तो मैंने उससे कहा कि तेरे बूब्स के बीच में दबाकर प्लीज़ मेरे लंड की मालिश कर दे. तो उसने वैसा ही किया और मैंने बहुत धक्के मारे और उसको भी बहुत मज़ा आ रहा था.. वो बोली कि भैया अब मुझसे कंट्रोल नहीं हो रहा.. प्लीज़ इसको मेरी प्यासी चूत में डालो ना. तो मैंने कहा कि मुझसे भी कंट्रोल कहाँ हो रहा है? फिर मैंने बोला कि क्या तू वर्जिन है? और खून तो नहीं निकलेगा ना? तो वो बोली कि भैया मेरी सील तो पहले ही टूट गयी थी.. मेरा एक बार साईकल पर एक्सिडेंट हो गया था और बहुत खून निकल गया.. लेकिन आज नहीं निकलेगा. मैंने फिर से उसकी गीली चूत को चूसा और उसको बोला कि तू ऊपर आकर इसको अपनी चूत में डाल ले. वो मान गयी और जल्दी से मेरे ऊपर आ गयी.. लेकिन पहली बार उसकी टाईट चूत में लंड को डालने में मुझे थोड़ी प्रोब्लम हुई और उसको दर्द भी हुआ.

फिर मैंने नीचे से एक ज़ोर का धक्का लगाकर लंड को डाल दिया और उसके मुहं में उंगली डाल दी ताकि वो चीखे चिल्लाए नहीं.. उसकी चूत अंदर से बहुत गरम थी. एक बार लंड के पूरा अंदर घुसने के बाद वो मेरी छाती पर लेट गयी और मेरी छाती के बालों पर किस करने लगी और धीरे धीरे हम धक्के मारने लगे और वो भी बहुत तेज़ तेज़ धक्के देने लगी और अब उसको दर्द नहीं हो रहा था.. लेकिन बहुत मज़ा आ रहा था और में उसके बूब्स दबा रहा था.. कभी धक्के रोककर उसके बूब्स चूस भी रहा था, कभी उसकी पीठ पर हाथ से मालिश कर रहा था. उस पल को में बहुत अच्छे से पूरा इन्जॉय कर रहा था और वो भी कर रही थी. फिर उसने बोला कि भैया अब पोज़िशन चेंज करते है आप ऊपर से आओ.. तो मैंने उसकी बात मान ली और उसके ऊपर आकर धक्के मारने लगा और हम दोनों बहुत मज़े कर रहे थे.. लेकिन पसीने से गीले हो गए थे और उसके पसीने की स्मेल भी अच्छी लग रही थी.

तभी थोड़ी देर में मेरी चुदाई की स्पीड बढ़ गयी और हम दोनों एक साथ में झड़ गए.. उसने मेरी पीठ पर अपने नाख़ून से निशान बना दिए.. मुझे दर्द तो हुआ.. लेकिन बहुत अच्छा भी लगा और फिर मैंने भी बहुत ज़ोर से उसके बूब्स पर काट लिया. उसकी चीख निकल गयी.. लेकिन उसको भी मज़ा आया. मैंने फिर से लंड को चुसवाकर खड़ा किया और उसको डॉगी स्टाईल में चोदा और फिर 69 पोज़िशन में बहुत देर तक उसने मेरा लंड और मैंने उसकी चूत चाटी.. बहुत मज़ा आया. अब तक हम दोनों बहुत थक गये थे.. लेकिन सेक्स की इच्छा हो रही थी और फिर भी सेक्स किए जा रहे थे और झड़े जा रहे थे.. क्योंकि आज के बाद पता नहीं कब ऐसा मौका मिले और आज ही सारी पोज़िशन ट्राई करनी थी.. उसकी गांड भी बहुत अच्छी थी.

फिर मैंने कहा कि क्यों अब गांड में डाले? तो वो मान गयी और बहुत ट्राई किया.. लेकिन में लंड को उसकी गांड में नहीं डाल सका.. वो बहुत टाईट थी. फिर मैंने तेल से बहुत मालिश की उंगलियां डालकर उसका छेद को ढीला किया और फिर उसने मेरे लंड पर तेल से मालिश की और फिर ट्राई किया तो में उसकी गांड में लंड को घुसा पाया और गांड में लंड को घुसाने का अलग ही मज़ा है. हमे सेक्स करते हुए लगातार 4 घंटे हो गये थे.. लेकिन मेरा लंड अभी भी फिर से खड़ा था और उसके जिस्म की आग भी कम नहीं हुई थी.

फिर हम साथ में नहाने गये और नहाते हुए भी मस्त सेक्स किया. उसकी गांड में साबुन लगाकर भी गांड मारी.. उसने मेरा लंड मस्ती से बहुत चूसा, कुर्सी पर, बेड पर, सोफे पर, बाथरूम में, जमीन पर, किचन में हर जगह सेक्स किया.. 11 अगस्त तो सेक्स दिन घोषित कर देना चाहिए और पता नहीं अगला मौका कब मिलता? और हमने घर पर कोई नहीं होने का बहुत फायदा उठाया. में कभी कभी तो लंड उसकी चूत में घुसाकर ही सो जाता हूँ और एकदम नंगे सोते है और रात को ही हमे मौका मिलता है और बहुत जोरदार सेक्स करते है

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पहला चुदाई का अनुभव

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दो साल पहले की बात है, एमबीए पूरा करने के बाद मैंने एक कंपनी में नौकरी कर ली। मेरी एक मौसी की लड़की पूजा चंडीगढ़ में नौकरी करती थी। वो एक पेइंग-गेस्ट रहती थी अपनी दोस्त के घर पर। हम दोनों भाई-बहन बहुत करीब हैं। कोमल उसकी पुरानी दोस्त थी। मैंने उसे कभी नहीं देखा था।

पूजा मुझे मजाक में कहती थी- भईया आपकी शादी अपनी सहेली कोमल से करवाउंगी।

मैं भी बोल देता- ठीक है, करवा देना !

मैं एक बार दिल्ली से शिमला जा रहा था। त्यौहारों के मौसम के कारण चंडीगढ़ से दो घंटे बाद बस थी। तो मैंने बस स्टैंड से पूजा को फोन किया।

उसने बोला- मैं मार्केट में हूँ, आप बाजार में आ जाइए।

मैं बाजार चला गया। उसके साथ एक खूबसूरत लड़की थी।

पूजा ने बताया- यह कोमल है !

क्या बताऊँ उसके बारे में ! प्राकृतिक सौंदर्य था वो। हमारी सिर्फ हाय हैलो हुई।

पूजा कोमल को भी कहती थी कि आप दोनों की शादी मैं करवाउंगी। एक सप्ताह बाद में वापिस दिल्ली चला गया। पूजा रोज फोन पर कोमल के बारे में पूछती थी- कोमल कैसी लगी आपको?

बाद में मैंने हाँ कर दी और कोमल ने भी हाँ कर दी। कोमल के परिवार वाले भी मान गए क्योंकि उसके पापा मुझसे मिल चुके थे। मेरे परिवार को भी पूजा ने बताया, वो भी मान गए। फिर हमारी फ़ोन पर बात होने लगी और हम संदेशों का आदान-प्रदान भी करने लगे।

धीरे-2 हम काफ़ी घुलमिल गए। इस बीच हम दोनों के परिवार मिले और हमारा रिश्ता तय हो गया और दो महीने के बाद मार्च में सगाई भी तय हो गई। अब जब भी मैं कभी घर जाता तो कोमल से 1-2 घंटे के लिए मिल लेता था। हम बाजार में ही मिलते। अब तक हम काफ़ी पास आ गए थे। हमारी सगाई से दो सप्ताह पहले मेरे एक दोस्त के पिता की मृत्यु हो गई। मैं वहाँ गया। वापिसी में मैं कोमल से मिलने चंडीगढ़ चला गया।

उस दिन बरसात हो रही थी। बैठने के लिए हम एक पार्क चले गए। पार्क के बीच एक छत सी बनी हुई थी, हम वहाँ बैठ गए। वो भीग गई थी, उसने कहा- मुझे ठण्ड लगा रही है।

मैंने हिम्मत करके उसे बाँहों में ले लिया। बहुत नाजुक सी थी वो ! उसने आंखें बंद कर ली और अपना सर मेरे कंधे पर रख दिया।

मेरी हिम्मत बढ़ गई, मैंने उसे और कस लिया। वो मदहोश हो गई। मुझे अपनी छाती पर उसके मम्मों का एहसास होने लगा। मुलायम और गर्म गर्म मम्मों के एहसास से मेरा लंड खड़ा होने लगा। किसी लड़की से मेरा पहला एहसास था। वो बिलकुल मदहोश हो गई।

मैंने हिम्मत करके कहा- कोमल, मैं तुम्हें चूम सकता सकता हूँ?

उसने कुछ नहीं कहा, बस अपनी आंखें बंद ली। मैंने उसके माथे पर एक चुंबन किया। फिर दोनों गालों पर किया। फिर मैंने अपने होंठ उसके होठों पर रख दिए। धीरे धीरे उसके होठों को चूसने लगा।
क्या एहसास था ! गरम और नरम होंठ थे उसके !

वो भी साथ देने लगी थी मेरा। एक लड़की को बरसात में चूमने का क्या एहसास क्या होता है, मैं ही जानता हूँ।

काफी देर बाद हम अलग हुए, सिर्फ चुंबन ही किया। हम शादी से पहले आगे नहीं जाना चाहते थे। फिर कुछ दिन बाद हमारी सगाई हो गई। अब जब भी मिलते तो हम एक दूसरे को चूमते थे। एक बार चूमते हुए हम कुछ ज्यादा ही गर्म हो गए। हम पार्क में थे तो कुछ कर भी नहीं सकते थे।

दिल्ली जाकर मैंने संदेश भेजा कि आज मेरा दिल नही मान रहा, मुझे फ़ोन पर ही चूमो।

वो मुझे चूमने लगी। वो भी तब कुछ ज्यादा ही गर्म थी।

मैंने कहा- आज मेरा दिल कर रहा है कि तुम्हें सारी पा लूँ !

उसने कहा- कैसे ?

मैंने कहा- मैं तुम्हें चोदना चाहता हूँ।

उसने कहा- वो क्या होता है?

मैंने कहा- सेक्स !

तो कोमल बोली- किया तो है हमने !

मुझे तो झटका लग गया, मैंने पूछा- कब किया?

वो बोली- क्यूं? चूमते तो हो हर बार !

मुझे हंसी आ गई और पूछा- सेक्स के बारे में क्या जानती हो?

उसने कहा- जब होंठ चूमते हैं तो उसको सेक्स कहते हैं।

मेरी तो हंस-2 कर बुरी हालत थी! मैंने पूछा- तुम्हें किसी सहेली ने सेक्स के बारे में नहीं बताया क्या?

वो बोली- नहीं।

मुझे लगा कि वो मेरा बेवकूफ बना रही है पर सच में उसे पता नहीं था कि सेक्स में क्या करते हैं!

तो मैंने उसे बताया कि सेक्स क्या होता है और सेक्स क्यूँ करते हैं। वो शरमा गई। फिर मैंने उसे फोन सेक्स के बारे में भी बताया। अब हम रोज रात को फोन सेक्स करते थे, उसे भी मजा आता !

अगली बार जब हम मिले तो एक फिल्म देखने गए। थियेटर में बहुत कम लोग थे। मैं उसके कंधे पर हाथ फेरने लगा, वो भी गर्म होने लगी थी। .उसने अपना सर मेरे कंधे पर रख दिया! फिर मैं उसके होंठ चूमने लगा, वो भी पूरा साथ दे रही थी। मैंने अपनी जीभ उसके मुँह में डाल दी और उसके मुँह में फिराने लगा और उसकी जीभ को चूस रहा था!

मैंने एक हाथ उसकी कमीज में डाल दिया और पेट पर फिरने लगा। उसके शरीर को मैंने पहली बार छुआ था। उसकी सांसें तेज हो गई, उसने आंखें बंद कर ली और उसके मुँह से आवाजे निकलने लगी- म्मम्मम्मम्म मम्म म्मम्मम आह!

मैंने अपना हाथ ऊपर किया और उसके मम्मों पर फिराने लगा। मैं ब्रा के ऊपर से उसके चूचे दबा रहा था। इतनी नरम चीज़ मैंने पहली बार स्पर्श की थी। मेरा लंड एकदम खड़ा हो गया। वो भी मम्म अम मम कर रही थी। फिर मैंने हाथ उसकी ब्रा के अंदर डाल दिया। उसके नर्म नर्म मम्मों से मेरी हालत खराब हो रही थी, मैं तो पागल हो रहा था। उसकी भी हालत खराब हो रही थी।

मैंने धीरे से पूछा- कोमल, मुझे तुम्हारी सलवार में हाथ डालना है !

उसने मना कर दिया- कोई देख लेगा।

वो भी चाहती थी पर डर रही थी। मैंने धीरे से हाथ उसकी सलवार में डाल दिया और उसकी पैन्टी के ऊपर से हाथ फिराने लगा। उसकी चूत की गर्मी को महसूस करने लगा, मेरी हालत ख़राब हो गई थी! अब मैंने उसकी पेंटी के अंदर हाथ दाल दिया। उसने अपनी चूत के बाल एक दम साफ़ किये हुए थे। एकदम गर्म और चिकनी चूत थी। मैं उसकी चूत की मालिश करने लगा। कोमल ने अब मेरी गर्दन पर अपने होंठ रख दिए और मेरी गर्दन को चूसने लगी! मैं भी तेज-2 उसकी चूत को मलने लगा। उसके मुँह से आवाजें आने लगी- मम्म म्मम्म मम मम मम म्मम्म .

उसने मेरी गर्दन पर अपने दांत लगा दिए और काटने लगी। शायद वो भी गर्म हो गई थी, उसकी चूत भी गीली हो गई थी। मैंने एक ऊँगली अंदर दाल दी और फिराने लगा। उसने और तेज काटना शुरू कर दिया। मेरी हालत भी खराब हो गई थी!

फिर उसने कहा- बस करो ! मुझे कुछ हो रहा है !

शायद उसे लंड चाहिए था। तभी फिल्म ख़त्म होने लगी, हम ठीक होकर बैठ गए।

कुछ दिन बाद मेरा जन्मदिन था।

कोमल ने पूछा- क्या उपहार चाहिए?

मैंने कहा- मैं तुम्हें बिना कपड़ों के देखना चाहता हूँ।

वो उपहार को कैसे मना करती, उसने कहा- ठीक है, पर देखोगे कहाँ? मैंने कहा- तुम्हारी किसी सहेली के घर पर !

उसने बोला- मेरी एक सहेली अकेली रहती है कमरा लेकर, मैं उससे बात करुँगी। पर तुम सिर्फ देखोगे।

मैंने कहा- सेक्स नहीं करूँगा, यह वादा करता हूँ!

उसकी सहेली मान गई। फिर तो मैं उस दिन का इन्तजार करने लगा और वो दिन भी आ गया। उसने सफेद स्कर्ट और काले रंग का टॉप पहना था। वो उस दिन बहुत सेक्सी लग रही थी। फिर हमने केक ख़रीदा और चले गए उसके घर ! कोमल की सहेली का नाम दीप्ति था। दीप्ति बहुत खुश हुई हमें देख कर !

हमने मिल कर केक काटा, लंच किया, फिर कुछ दीप्ति ने कहा- मुझे कुछ काम है, तुम दोनों बैठो। मैं 1-2 घण्टे में वापिस आउंगी। और वो चली गई। अब हम दोनों अकेले रह गए थे। मैंने अब कोमल को बाँहों में लिया ले लिया और जोर से कस लिया। वो भी मुझसे चिपक गई। पहली बार हमें यह मौका मिला था। हम एक दूसरे की सांसें महसूस कर सकते थे। मैंने उसके होंठ चूमने शुरू कर दिए। वो भी आँखें बंद करके मेरे होठों को चूसने लगी। हम कोई दस मिनट तक एक दूसरे को चूमते रहे। उसकी सांसें तेज चले लगी थी।

मैंने कहा- कोमल मेरा उपहार कहाँ है?

उसने कहा- क्या?

मैंने कहा- जो वादा किया था ! मुझे बिना कपड़ों के अपना बदन दिखाओ !

वो शरमा गई और अपना सर मेरी छाती छुपा लिया। हम बिस्तर पर बैठे थे, मैंने कहा- प्लीज़ जान !

वो बोली- मैं नहीं कर सकती। मुझे शर्म आती है।

मैंने कहा- क्या मैं खुद उतार लूं !

वो कुछ नहीं बोली और मुस्कुरा दी।

मैं समझ गया, मैंने धीरे से उसका टॉप ऊपर किया और उतार दिया। अब वो ब्रा में थी। उसने गुलाबी रंग की ब्रा पहन रखी थी। उसके चूचे अब दिखने लगे थे। उनका आकार कोई 32 होगा। वो बिलकुल गोरी थी। मैं तो पागल हो गया। किसी लड़की को पहली बार इस तरह तरह देख रहा था। वो शरमा गई और अपने चुचों को अपने हाथों से छुपा लिया! मैंने उसके हाथ हटाये और चूम लिया। उसके चूचे बहुत मुलायम थे, जैसे ही मैंने उसके स्तन पर अपने होंठ रखे, उसके मुँह से आह-आह्ह निकल गई ! अब मैंने उसकी ब्रा के हुक खोल कर उसे उतार दिया। मेरी तो आँखें ही मानो फट गई- क्या चूचे थे उसके गोल गोल।

मैंने जैसे ही उनको छुआ तो उसकी तो आँखें ही बंद हो गई। मैं उसके वक्ष को चूमने लगा। वो अह्ह्ह अआः ह्ह्ह्ह ह्ह्ह्हम मम मम्ममम करने लगी। मैं चूचियों को हाथ में लेकर दबाने लगा और एक चुचूक मुँह में ले लिया और उस पर जीभ फिराने लगा। कोमल की तो हालत ही खराब हो गई। वो एकदम गर्म हो गई थी। मैंने जोर से चूसना शुरू कर दिया। उसने मेरे सर को अपने वक्ष पर दबा दिया। मैं और तेज चूसने लगा और उन्हें दबाने लगा।

मैंने कहा- अब अपनी छोटी जान को दिखाओ। (मैं उसकी चूत को छोटी जान बोलता था)

वो कुछ कहने की हालत मे नहीं थी। मैंने उसकी स्कर्ट को नीचे किया और उतार दिया। वो लेट गई। अब उसकी बदन पर सिर्फ गुलाबी रंग की पैन्टी रह गई थी। मैं उसे चूमने लगा। मैं उसकी टांगों को चूमता हुआ ऊपर आने लगा। उसके मुँह से सिसकारियाँ निकलने लगी। मैंने उसकी पैन्टी नीचे खिसका दी, उसकी चूत दिखने लगी, बिल्कुल साफ चूत थी, बाल साफ किये थे। उसने अपनी टांगें एक के ऊपर एक चढ़ा कर चूत को छुपा लिया। मैंने उसकी टांगें खोल दी और हाथ उसकी चूत पर रख दिया। उसकी चूत एक दम गर्म थी और चूत का रंग हल्का गुलाबी था। मैं उसे मलने लगा।

कोमल तड़पने लगी, उसके मुँह से कई आवाजें निकल रही थी- मम्म मम …..अआः ह्ह्ह ऊऊऊ जांण ऊऊईईईइ ऊऊओ ऊऊ य्य्यय्य। उसकी चूत गीली हो गई थी।

मैंने कहा- मैं छोटी जान को चूमना चाहता हूँ।

उसने कुछ नहीं कहा। वो तो जैसे नींद में थी ……वो तो सिर्फ यही बोल रही थी- म्मम्म आआ ह्ह्ह्ह ऊऊओ जाआअन्न्न म्मम्मम मम्म आअ आआआ ऊऊउ ऊउऊओ ऊऊऊ।

मैंने अपने होंठ उसकी चूत पर रख दिए और उसे चूमने लगा, जीभ फ़िराने लगा। उसकी हालत और खरब हो गई, आवाजें और तेज हो गई …म्मम्मम आआह्ह्ह्ह आआह्हू ऊऊईइ ईईइ मम्म मम्म । उसने मेरा सर अपनी चूत पर दबा लिया। मैंने एक ऊँगली उसकी चूत में डाल दी और अन्दर-बाहर करने लगा। वो पैर पटकने लगी। उसकी चूत का रस मेरी जीभ पर आ रहा था। मैंने पीना शुरू कर दिया। उस वक़्त तो वो भी अमृत लग रहा था। मैंने सारा रस चाट लिया। मेरी ऊँगली पर खून लगा था। शायद उसकी सील टूट गई थी। वो सेक्स के लिए तयार थी। पर मेरे पास कंडोम नहीं था और मैं रिस्क नहीं लेना चाहता था । मैंने उसे चौपाये स्टाइल में खड़ा किया और उन्गली से ही उसकी प्यास बुझाने लगा। वो मम्म मम्म मु ऊऊऊऊ ऊउईई ईई जांण कर रही थी। वो एकदम पागल हो गई थी …..वो बोल रही थी- तेज करो न और तेज करो . ऊऊयाआआ म्मम्म म्मम्म !

फिर वो गिर गई मेरी बाँहों में। उसकी आग ठंडी हो गई थी। लेकिन मेरी हालत खराब थी। वैसे भी फ़ोन सेक्स पर हम सब कुछ कर चुके थे और उसे अब सेक्स की हर बात का पता था। मैंने कहा- क्या लंड देखोगी?

उसने कहा- हाँ, मुझे देखना है।

मैंने जिप खोल दी और अपना लिंग निकाला।

वो उसे देखते ही बोली- ओह गॉड ! यह तो बहुत बड़ा है। मैंने तो सोचा ही नहीं था।

मैंने कहा- तो क्या सोचा था?

बोली- मैंने तो बच्चों के देखे हैं, वो तो छोटे होते हैं।

मैंने कहा- बच्चे बड़े होते हैं तो यह भी तो बड़ा होगा। इसे छू कर देखो।

उसने लंड को हाथ में ले लिया और मालिश करने लगी। फिर उसने एकदम से उसे चूम लिया।

मैंने कहा- यह कैसे कर लिया?

तो उसने कहा- जब तुम मेरी चूत को चूम सकते हो तो मैं क्यों नहीं !

मैंने कहा- आई लव यू सो मच जान।

वो मुस्कुराई और मेरे लंड को चूमने लगी। फिर उसे मुँह में लेकर आगे पीछे करने लगी। उसे भी मजा आ रहा था। मेरी तो हालत खरब हो रही थी, मैंने उसका सर पकड लिया और मुँह में ही सेक्स करने लगा। वो मम मम्म म्मम्म मम मम्म कर ही थी। मेरा सारा रस उसके मुँह में ही निकल गया। मैंने उसका सर पकड़ रखा था तो सारा उसके अंदर चला गया। उसे पता नहीं था कि कुछ निकलता भी है लंड से।

उसने पूछा- वो क्या था जो मेरे पेट में गया?

मैंने कहा- वही तो असली चीज़ थी।

उसे वो रस पसंद आया था।

फिर हमने एक दूसरे को गले लगा लिया। तभी दीप्ति आ गई। आज कोमल खुश थी कि मैंने अपना वादा निभाया था और उससे सेक्स नहीं किया।

कुछ दिनों बाद हमारी शादी की तिथि निश्चित हो गई। उसके मम्मी-पापा कुछ दिन के लिए घर से बाहर गए थे। अब उसके घर पर उसकी बहन पूजा और कोमल ही थी। हमने योजना बनाई कि हम घर पर ही मिलेंगे। पूजा तो जॉब पर चली जाती थी दिन को।

कोमल ने कहा- मुझे सेक्स का पूरा एहसास करना है।

मैंने कहा- ओके ! इस बार हम सेक्स करेंगे।

उसे दिन पूजा का ऑफिस था। मैंने कंडोम ले लिए और शनिवार शाम को दिल्ली से निकल गया. रात को कोई 12 बजे चंडीगढ़ कोमल के घर पहुँच गया। वो दोनों जाग रही थी। हमने खाना खाया और बातें करने लगे।
थोड़ी देर बाद पूजा सोने चली गई उसका तो ऑफिस था अगले दिन। जाते हुए बोली- कुछ् गलत मत करना ! ओके?

हम हंसने लग पड़े। एक घंटे तक हम बातें करते रहे। फिर कोमल उठी और मेरी गोद में आकर बैठ गई। मैंने उसे बाहों में जकड़ लिया और उसके होंठ चूसने लगा। वो भी मेरे होंठ चूसने लगी। उसने अपनी जीभ मेरे मुँह में डाल दी। मैंने उसे चूसने लगा। वो भी मेरी जीभ चूसने लगी। हम दोनों ही गर्म हो गए थे। हम दोनों अन्दर चले गए जहाँ मेरा बिस्तर था। हम रजाई में थे। मैंने उसकी कमीज ऊपर कर दी और उसके चूचों को चूमने लगा। वो भी मेरे कंधों, मेरी छाती पर चूम रही थी और काट रही थी।

मैंने उसकी सलवार को नीचे किया और रजाई के अन्दर ही उसकी चूत को चाटने लगा।

वो धीरे-2 सिसकारियाँ भर रही थी- म्मम्मम आआ आआः ह्ह्ह्हह ह्ह्ह्हह ऊऊ ऊऊओईई ईईई ईइऊऊऊम मम मम्म।

उसने कहा- मुझे चोद दो अब जान ! फाड़ दो मेरी चूत को !

मैंने कहा- कंडोम मेरी पैंट में है।

पैन्ट दूसरे कमरे में थी जहाँ पूजा सो रही थी।

कोमल ने कहा- रहने दो ! वो जाग जाएगी।

मैंने ऊँगली उसकी चूत में दाल दी और अंदर-बाहर करने लगा। उसने भी मेरा लंड मुँह में ले लिया और चूसने लगी। ऊँगली से ही मैंने उसकी प्यास बुझाई और उसने मेरा रस पिया। फिर हम सो गए। फिर वो पता नहीं कब पूजा के पास चली गई सोने के लिए !

सुबह जब उठा तो पूजा ऑफिस के लिए तैयार हो रही थी। हमने नाश्ता किया और वो चली गई। अब हम दो ही थे घर पर। मैं तीन कंडोम लाया था। वो रसोई कुछ काम कर रही थी और मैंने उसे पीछे से पकड़ लिया। मैं उसे गर्दन पर चूमने लगा। वो मुड़ी और मुझसे लिपट गई। आज हम दोनों सेक्स के लिए तैयार थे। मैंने उसे गोद में उठाया और लेजाकर बिस्तर पर लेटाया और ऊपर चढ़ कर हर जगह चूमने लगा। उसकी कमीज निकाल दी, उसके चूचों को चूमने लगा और हाथों से दबाने लगा। वो जोर जोर से सिसकियाँ भर रही थी …मम्म म्मम्म म्मम्म ऊऊ ऊऊम्म्म म्मम्म मम्मी ईईई ईईइऊईईई।

उसने मेरी शर्ट निकाल दी और मुझे हर जगह चूमने लगी। उसने मुझे अपने मम्मों पर कस लिया और कहा- इन्हें जोर से दबाओ……।

मैंने उसकी सलवार निकाल दी और पैंटी भी निकाल कर उसकी चूत को चूमना शुरु कर दिया। उसने टांगें पूरी फ़ैला दी थी। मैंने जीभ अन्दर डाल दी। वो जोर जोर से सिसकार रही थी- आआअ अह्ह्ह्ह ह्ह्ह्ह्ह हूऊ ऊऊऊओ ओऊ स्स्स् म्म्मम्मम्म म्माआआअम मम्मम्म !

उसने मुझे नीचे गिराया और मेरे सारे कपड़े उतार कर मुझे बुरी तरह चूमने लगी। मेरा लंड ऐसे चूस रही थी जैसे खा जाएगी ………

मैं उसके चूचों को चूस रहा था।

फिर वो बोली- अब मुझे चोद डालो ! मेरी चूत को फाड़ दो ! अपना लंड डालो और फाड़ दो इसे।

मैंने कंडोम लगाया, कोमल को नीचे लिटाया और ऊपर आ गया। फिर लंड को चूत पर रखा और धक्का लगाया। लंड का सर थोड़ा सा अन्दर गया। एक और धक्का दिया, लंड और अन्दर गया तो उसके मुँह से चीख निकल गई।

वो बोली- धीरे करो ! दर्द हो रहा है।

मैंने थोड़ा सा बाहर निकाल लिया फिर धक्का दिया। इस बार पूरा लंड अन्दर था, कोमल जोर से चिल्लाई, उसकी आँखों में पानी आ गया था, मैं रुक गया और उसके होंठ और स्तन चूमने लगा। जब दर्द थोड़ा कम हुआ तो धीरे धीरे धक्के लगाने लगा। अब उसका दर्द कम हो गया था और उसे मजा भी आ रहा था। वो भी नीचे से गांड हिला कर मेरा साथ दे रही थी और बोल रही थी- य्य्य्याआ आआआआअ आया तेज और तेज करो बेबी. मुझे चोदते रहो ….आआआ आआऊऊऊऊ मम्म म्मनन्न न्न्न्न स्स्सस्स्सम्मम्म म्मम् म्मम्म !

मैंने भी तेज तेज धक्के लगाने शुरू कर दिए। फिर मैंने उसे घोड़ी बना कर चोदा। जो भी सेक्स मुद्राएँ मैं जानता था, सब की …दीवार के साथ खड़ा करके, उसे गोद मैं लेकर चोदा। फिर वो मेरे ऊपर आ गई। वो सेक्स को पूरा मजा ले रही थी, जैसे इंग्लिश मूवी में करते हैं! उसकी चूत से खून भी निकल रहा था, उसकी सील पूरी टूट गई थी। अब उसकी चूत से पच पच की आवाज आ रही थी। हम एक हो गए थे।

उसके बाद हम साथ साथ नहाये। हमारा मूड फिर बन गया। तो हमने एक ट्रिप बाथरूम में और फिर लंच में किचन में भी एक ट्रिप लगाया। उस दिन जो तीन कंडोम ले के गया था वो सारे लगा दिए !

उसके बाद कोमल बोली- मैंने कभी सोचा भी नहीं था कि मैं शादी से पहले सेक्स करुँगी। आपके प्यार में यह एक ऐसा उपहार है जो कभी नहीं भूलूंगी। आई लव यू सो मच। और हम दोनों एक दूसरे की बाहों में समां गए।
आज हमारी शादी को दो साल हो गए हैं। हम खूब सेक्स करते हैं पर आज भी हमें बरसात का पहला किस और पहला सेक्स नहीं भूला है। हम उस पल को हमेशा याद करते हैं।

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आखिर बहन को भी पसंद थी चुदाई

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यह घटना अब से करीब 4 साल पहले की है. मेरी बहन कपड़ो पर इतना ध्यान नही देती थी। बहुत बार ऐसे बैठती थी की उसके बोब्स या फिर पेंटी नज़र आते थे। मै इन्हे देखकर गर्म हो जाता था. कभी-कभार बाथरूम मे जाकर मुठ मार लेता। अक्सर मै खेल-खेल मे अपनी रूपाली को छू-लेता या फिर उसके दूध पकड के दबा देता।
एक बार हमारे घर वाले मामा के यहाँ गये थे. आउट ऑफ स्टेशन. मे और मेरी बहन नही गये. मैने अपनी हरकते करना शुरू कर दी. बात-बात पर उसके बोब्स पर हाथ मारना. उसके बोब्स दबा देना। एक दिन रात को मैने एक बहुत हॉट फिल्म देखी. मे गर्म हो गया। मैने देखा मेरी बहन बेड पर एक टॉप और स्कर्ट पहन कर सो रही थी. मुझसे रहा नही गया।
मे धीरे से उसके बेड के पास जाकर बैठ गया. उसकी बॉडी को देखता रहा. धीरे से उसके बोब्स टॉप के उपर से सहलाने लगा। फिर मैने उसकी स्कर्ट की ओर देखा. मैने उसका स्कर्ट उपर सरका दिया। वाह क्या नज़ारा था. बहन की गोरे-गोरे पैर. थोड़ी देर उसके पैर को सहलाता रहा. फिर मे तोडा और उपर गया और सहलाने लगा और फाइनली उसकी वाइट “वी” शेप की वाइट पेंटी दिखी. मुझसे रहा नही गया और मैने उसके चूत को सहलाया और चूमा. इससे मेरी बहन जाग गयी।
वो हैरान थी और बोली ” भैया ! यह क्या कर रहे हो? शर्म नही आती अपनी बहन के साथ ” मे बोला तू लड़की है. मे लड़का हूँ. मुझे मन किया तो मैने छू लिया ” वो बोली ” नही, यह ग़लत है… मम्मी पापा को पता चलेगा तो क्या बोलेंगे? तुम मेरे रूम से चले जाओ “. मे चुप-चाप चला गया।
अगले दिन सब कुछ नॉर्मल था. मुझे फिल्म देखने का बड़ा मन कर रहा था. मे मार्केट गया और वहाँ से एक अच्छी और कुछ सेक्सी फिल्म ले आया। मेरे रूम मे मेरा अलग टी वी. है। मैने एक सेक्सी फिल्म देखी और दूसरे को आधे मे छोड़ कर नहाने चला गया. जब मे नहा रहा था तो मेरी बहन बाथरूम के बाहर से चिल्लाई के उसे स्केल नही मिल रहा। मेने कहा के मे बाहर आ कर देता हूँ. तो वो रूम मे टीवी पर लगी सेक्सी फिल्म देखने लगी।
उसने ऐसी फिल्म पहले नही देखी थी. मे बाहर आया तो देखा वो फिल्म देख रही थी. मैने कुछ नही कहा.चुप-चाप हमने फिल्म देखी और अपना लंच किया. फिर मैने बहन से पूछा ” और एक फिल्म देखनी है ?”. तो उसने कहा हां। मैने पहले वाली सेक्सी फिल्म लगा दी. हम दोनो बेड पर पेट के बल लेट कर फिल्म देखने लगे. फिल्म मे बहुत से हॉट सीन थे. उन्हे देख कर रूपाली भी गर्म हो गयी। देखते -देखते मैने अपना हाथ उसके स्कर्ट के उपर सहलाने लगा. वो बोली ” नही भैया यह सब नही.” मे बोला ” मे तो सिर्फ़ कपडे के उपर से मजा ले रहा हूँ. थोरी देर टच करने दो कपडे के उपर से ही प्लज़्ज़्ज़्ज़्ज़.” वो बोली ” ठीक हे पर उपर से ही “.मैने कहा हा-हा और उसके पिछवाड़े को स्कर्ट के उपर से सहलाने लगा. दबाने लगा।
फिर धीरे से उसके स्कर्ट के अंदर उसकी पेंटी के उपर. वो फिर बोली ” तुमने कहा था उपर से ही सहलाओगे ” मे बोला ” हा तो पेंटी के कपडे के उपर ही तो है”।
उसे भी मजा आने लगा था तो चुप-चाप फिल्म देखने लगी. अब मे पेंटी के उपर से सहला रहा था. फिर मैने उसके अन्दर की तरफ उसकी चूत को भी सहलाने, दबाने लगा. उसके मूह से कभी-कभी दबी सी आवाज निकलती ” ओह आ मम” । मैने उसका स्कर्ट पीछे से उठाया और उसके गोरे-गोरे पिछवाड़े को देखने लगा। फिर पेंटी के उपर से ही किस किया. अब तक उसने आँखे बंद कर ली थी।मैने उसे सीधा लिटाया और उसके पेंटी के उपर उसके चूत को किस करने लगा. वो “आ म्म्म ओह भैया आआ” करने लगी. मैने जब देखा की वो गर्म हो गयी है तो मैने उसके पेंटी के साइड से अंदर हाथ घुसा दिया और उसकी चूत पेंटी के अंदर सहलाने लगा। वो “अहह म्म्म नहियीई भैया” बोल रही थी। मैने ने उसकी पेंटी उतार दी. तब वो होश मे आई और बोली ” नही यह सब ठीक नही है भैया. मम्मी पापा को पता चलेगा तो क्या सोचेंगे?” मैने कहा ” कुछ ग़लत नही है और उन्हे पता नही चलेगा. बस एक बार रूपाली प्लज़्ज़्ज़”।
मे उसकी चूत को चूमने लगा और उसे पागल कर दिया. उसकी चूत को किस करते-करते अपने दोनो हाथ उसकी टॉप के अंदर ले जा कर उसकी ब्रा के अंदर उसकी चुचियाँ यानी दूध ओर बोब्स दबाने लगा। उसे बहुत मजा आने लगा. मैने ने पूछा ” कैसा लग रहा है? ” उसने कहा ” आह बहुत अच्छा भेया “।फिर मैने उसके पूरे कपडे उतार कर उसे एक दम नंगा कर दिया. अब मे उसकी पूरी बॉडी को चूम रहा था, सहला रहा था. मैने उसकी एक चूची मुहं मे लेकर चूसने लगा तो दूसरे को हाथ से दबा रहा था. और वो मेरा सर के बाल सहला रही थी।15 मि. बाद मैने उसकी चूत मे अपना लंड लगाया और प्रेशर दिया. वो चिल्ला गयी ” नहि..ईई भैया बहुत दर्द हो रहा है. फिर मैने उसकी चूत पर तोडा वॅसलीन लगा कर फिर से घुसाया अपने लंड को। 3-4 बार ट्राइ करने पर मेरा पूरा लंड उसकी चूत के अंदर चला गया. तोडा सा खून भी निकला। फिर थोडी देर बाद उसे मजा आने लगा.

वो बोली ” अहहहहह भैया बहुत मज़ा आ रहा हे..इईईईईईई. जोर से करो “।
हम दोनो पसीना -पसीना हो रहे थे. मुझे लगा की वो झड गयी है . पर मे कंटिन्यू करता रहा और कुछ देर बाद मुझे लगा की मेरा निकलने वाला है तो मेने टाइम पर लंड निकाल कर सारा माल उसकी छाती पर और मूह पर डाल दिया। ओर फिर मे उसके बगल मे लेट गया. ओर फिर वो बेड पर से उठी ओर बाथरूम मे चली गयी।
उसके बाद तो हम दोनों कभी भी समय मिलता तो हम सेक्स या छेड़छाड़ करे बगेर नही रहते।

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मेरी लंड बना जादू की छड़ी

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हाय सभी भाइयों और भाइयों की बहनो, में इस वेबसाइट का बहुत ही बड़ा फेन हूँ. मैने इसकी बहुत सारी स्टोरी पढ़ी है और आज में बहुत ही मुश्किल से फ़ैसला करके आप लोगों के सामने अपनी स्टोरी लिख रहा हूँ, ये मेरी पहली स्टोरी है. ये स्टोरी मेरी एक बहुत ही दूर की कज़न बहन की है. मेरा नाम आयुष है, में अल्कू शहर का रहने वाला हूँ, उम्र 21 साल है, रंग गोरा, स्मार्ट हूँ और लम्बाई 5’5 है और मेरे लंड का साइज़ 6 इंच लंबा और 2.5 इंच मोटा है.
ये स्टोरी आज से दो साल पहले की है जब में 19 साल का था. मेरे एक अंकल है (पापा के दोस्त) उनकी बेटी का नाम खुशबू है, वो और उनकी बेटी अक्सर हमारे घर आते है. एक बार वो अपनी बेटी के साथ आये हुये थे एक मिनिट, में आपको एक बात तो बताना ही भूल गया वो है, उस लड़की के बारे में, खुशबू की उम्र 18 साल थी, लेकिन वो दिखने में ग़ज़ब की कयामत थी, मेरा मतलब है की उसे जो भी देखता यही कहता की वो 21-22 साल से कम की नही होगी, लम्बाई 5’3, चूचि 32 कमर 26 और गांड 34. में जब भी उसे देखता तो यही सोचता की कब इस गंगा में अपने हाथ साफ कर लूँ. तो जब वो आये, मैने अपने छोटे भाइयों और उससे कहा चलो लूका छुपी खेलते है, फिर हम छत पर चले गये.
मेरे घर में दो छत है, हम सिर्फ़ नीचे वाली छत पर ही खेलते थे और उपर की छत पर नही. तो मैने अपने भाई को पहले कहा की तुम चोर बनो, वो मान गया और में उसे ले कर उपर की छत पर चला गया चुपके से, उपर की छत पर जनेटर रूम है, जिसमे गेट भी लगा हुआ है, मेंने उसे वहा ले जाकर गेट बंद कर दिया, फिर एक ड्रम के पीछे जहाँ बहुत कम जगह थी खड़ा कर दिया और उसके पीछे ही ज़बरदस्ती बहुत मुश्किल से खड़ा हो गया, मैने सोचा की मौका अच्छा है आज अपनी इच्छा पूरी करने का.
हम दोनो साथ साथ खड़े हुये थे, तो मैने अपनी कमर हिलाना शुरू कर दी, उसने मुझे कहा ही भैया आप क्या कर रहे है, तो मैने कहा की गर्मी बहुत है इसलिये थोड़ा हिल रहा हूँ. क्योकी में दीवार से चिपका हुआ था. उपर से में सिर्फ़ बनियान और बरमूडा में था और वो टी-शर्ट और स्कर्ट में. फिर में अपने पूरे जिस्म का भार उस पे देने लगा. फिर उसने कहा की भैया आप क्या कर रहे है. मैने कहा की गर्मी बहुत है. फिर में धीरे धीरे उसकी चूची पर हाथ फेरने लगा, उसने कहा भैया आप क्या कर रहे है, तो मैने कहा की में देख रहा हूँ की तुम्हे गुदगुदी होती है की नही, तो उसने कहा की होती तो है लेकिन बहुत कम और सिर्फ़ खाक में तो मैने उसके हाथ उपर कर दिये और गुदगुदी करने लगा और अपना हाथ धीरे धीरे उसकी टी-शर्ट के अंदर ले जाने लगा और चूची को छूने लगा, तो उसने फिर कहा भैया क्या कर रहे है, तो मैने कहा की देख रहा हूँ गुदगुदी करके.
फिर मैने अपनी बनियान उतार के उससे कहा की मुझको देखो कितने सारे तिल है, तुम्हे है, तो उसने कहा की हाँ मुझे भी बहुत सारे है मैने कहा की दिखाओ. और उसकी टी-शर्ट उतार दी और उसकी चूचि की निपल पकड़ कर कहा की ये तुम्हारा तिल तो बहुत बड़ा है, ये है क्या और इतना बड़ा कैसे हो गया और वो भी दो दो. तो उसने कहा की वो तिल नही है और में उसके निपल को रगड़ने लगा. मुझे बहुत मज़ा आ रहा था, फिर मैने अपना बरमूडा उतार दिया और उसे अपने पैरो और जाँघ के तिल दिखाने लगा, फिर मैने उससे कहा अपनी जांघों के तिल दिखाने के लिये और उसकी जीन्स पर हाथ लगाने लगा, उसने कहा भैया मुझे शर्म आती है, मैने कहा की मैने दिखाया की नही. तो अब तुम, भी दिखाओ. और उसकी जीन्स उतार दी और उसकी जाँघ सहलाने लगा,
फिर मैने अपनी चड्डी उतार दी और उसकी भी. फिर वो मेरे लंड को बहुत ही ज्यादा घूर के देखने लगी, फिर उसने कहा की भैया ये क्या है डंडा जैसा मैने कहा की ये डंडा नही जादू की छड़ी है क्यो तुम्हारे पास नही है क्या, उसने कहा की नही तो मैने कहा की दिखाओ तुम्हारे पास क्या है, और उसकी चूत सहलाने लगा, क्या ग़ज़ब की मदहोश करने वाली चूत थी उसके एक बाल भी नही, बाल तो छोड़ो रुआ तक नही था.
फिर उसने कहा की भैया ये जादू की छड़ी क्या जादू करती है? तो मैने उससे कहा ही इसे प्यार से सहलाओ फिर ये जादू करेगा. तो वो मेरे लंड को हाथ से सहलाने लगी, मुझको बहुत मज़ा आ रहा था. फिर मेरा लंड एकदम टाइट हो गया, फिर मैने उससे कहा की ज़ोर से हिलाओ. और में उसके हाथ के उपर अपना हाथ रख कर ज़ोर से हिलाने लगा. तो 3-4 मिनिट में झड़ गया, उसे देख वो पूछने लगी की ये क्या गिरा, मैने कहा की ये प्रसाद है जादू की छड़ी का जिसे चाटने से सेहत हमेशा अच्छी रहती है इसे चाट लो फिर उसने मेरे लंड को अपनी जीभ से चाट कर साफ किया फिर मैने उसके होठ पर किस किया और मेरा ही वीर्य उसके और मेरे मुहँ में जा रहा था.
फिर मैने सोचा इसकी चूत मारने के लिये, लेकिन जब मैने उसकी चूत में उंगली घुसाई तो हल्की सी ही उंगली घुसी थी, की उसे दर्द होने लगा, तो मैने उसे चोदा नही. आज भी वो मेरे घर आती है और हम बस ऐसे ही करते है, मगर में उसे चोदना चाहता हूँ मगर डरता हूँ की उसे कुछ हो ना जाये, या मेरे घर वालों को पता ना चल जाये.

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जो मज्जा थी रात में वो दिन में कहाँ

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हेलो आल रीडर्स, आप सबको मेरा नमस्कार. इस साईट पर मैं अपनी पहली स्टोरी लिख रहा हु. आशा करता हु, कि आप लोगो को जरुर पसंद आएगी. मेरा नाम रवि है और मैं पुणे महारास्ट्र का रहने वाला हु. मेरी ऐज २४ इयर्स है और मैं एक इंजीनियरिंग स्टूडेंट हु. अब मैं कहानी पर आता हु. मेरी मामी का नाम जाया है और उनकी ऐज २८ साल है. लेकिन दिखने में वो २२ की दिखती है. अगर कोई मर्द उसे अकेले में देख ले, तो किसी भी नजर पहले उसकी फूली हुई गांड और बूब्स पर ही जायेगी. ये कहानी आज से १ साल पहले की है. मामी और मामा की शादी हुए ७ साल हो गए थे. लेकिन कोई बच्चा नहीं हुआ था. तो मामी बहुत उदास रहती थी. मैं उनकी परेशानी को समझता था. लेकिन कुछ कर नहीं सकता था. मैं हमेशा से ही मामी को बहुत रेस्पेक्ट देता था और वो भी मुझे बहुत प्यार करती थी. लेकिन मैंने उनको चोदने के बारे में कभी सोचा नहीं था.

एक दिन की बात है, जब मामा कहानी बाहर गाँव जाने वाले थे २ दिन के लिए.. तो मामी हमारे घर पर रहने की लिए आ गयी थी. हम सब ने उनका स्वागत किया और आराम से बातें करने लगे. फिर ऐसे ही बातें ख़तम हो गयी और रात को खाना खाने के बाद, सब अपने – अपने रूम में सोने के लिए चले गये. हमारे घर में ४ रूम है. १ में मम्मी – पापा सोते है और १ में दादा और दादी और १ रूम गेस्ट के लिए है और चौथा मेरा कमरा है. मामी को गेस्ट रूम में सोने का जाना था. लेकिन मामी को अकेले सोने में डर लग रहा था, तो मामी ने मेरी मम्मी को कहा, कि मैं हॉल में सो जाती हु. तो मम्मी ने कहा – तू हॉल में क्यों सोती है? रवि के कमरे में सो जाओ. तब मामी ने मुझ से कहा, कि रवि अगर तुम्हे कोई परेशानी नहीं है तो? मैंने कहा – भला मुझे क्यों परेशानी होगी? फिर मैं और मामी मेरे रूम में आ गए.

फिर मैंने मामी से कहा – कि आप ऊपर बेड पर सो जाओ और मैं नीचे सो जाऊंगा. तब मामी ने कहा, कि अरे नहीं रवि. तुम नीचे सोयोगे, तो मुझे अच्छा नहीं लगेगा. तुम भी मेरे साथ ऊपर ही सो जाओ. तो मैंने कहा – मामी ये तो सिंगल बेड है. यहाँ जगह नहीं हो पायेगी. तो मामी ने कहा, कोई बात नहीं. हम एडजस्ट कर लेंगे. मैंने भी हाँ में सिर हिला दिया. अब बेड के एक साइड में मैं और एक साइड में मामी सो रहे थे. सोते समय मामी कुछ सोच रही थी. तब मैंने पूछा, मामी क्या सोच रही हो? तब मामी ने कहा – कुछ नहीं… बस ऐसे ही… कुछ खास नहीं. चलो अब जल्दी सो जाओ. तुम्हे कल कॉलेज भी तो जाना होगा? मैंने भी गुड नाईट कह कर लाइट ऑफ कर दी और सो गया. फिर करीब रात को १ बजे मेरे शरीर पर मुझे कुछ दवाब महसूस हुआ. तो मेरी आँख खुल गयी. लेकिन मैं ने कोई रेस्पोंस नहीं किया और वैसे ही सोने की एक्टिंग करता रहा. मैंने देखा, की मामी ने अपनी नाईटी ऊपर की हुई है और मेरे लंड पर अपना हाथ रख कर दबा रही है. मेरी तो साँसे रुक गयी. फिर मामी ने मेरे बरमुडे का नाडा खोल दिया और मेरा अंडरवियर भी नीचे कर दिया.

मेरा लंड तो एकदम से लोहे की तरह कड़क हो गया था. मुझ से भी रहा नहीं रहा था. फिर भी मैंने कण्ट्रोल करके वैसे ही लेटा रहा. शायद मामी को पता चल गया था, कि मैं जाग चूका हु और सिर्फ आँखे बंद करके मजे ले रहा हु. मामी पुरे जोश में मेरे लंड को मसल रही थी और सिस्कारिया भी भर रही थी. लेकिन मैंने कुछ भी रेस्पोंस नहीं देना ठीक नहीं समझा और वैसे ही लेटा रहा. करीब १० मिनट लौड़ा मसलने के बाद, मामी उठी और मेरे लंड को अपने मुह में लेकर धीरे – धीरे चूसने लगी. उस टाइम, मैं तो जन्नत के जैसा फील कर रहा था. फिर मामी ने बहुत जोश में आकर मुझे जागने के लिए कहा. रवि उठो… लेकिन मैं नहीं जागा. तो मामी ने अपनी नाइटी उतार फेंकी और मेरे लंड के ऊपर आकर बैठ गयी. फिर वो धीरे – धीरे ऊपर नीचे होने लगी. मतलब मामी ही मुझे चोद रही थी और मैं चुपचाप लेटा रहा. मामी अब होश से बाहर हो गयी और जोर – जोर से मेरे लंड के ऊपर उछल रही थी और बोल रही थी – ऊऊहोह ह्म्म्म अममम अहहाह आंम्म्म हम्म्म्म रवि… याये उह्ह्ह्ह ऊह्ह्ह्ह… मुझे एक बच्चा चाहिए… दे दे मुझे अहहाह अहहाह…

तब मुझे समझ आ गया, कि मामी ये सब बच्चे के लिए कर रही है. फिर भी मैं वैसे ही लेटा रहा. क्योंकि मैं अगर उनको उठ कर चोद भी देता, तो मैं उन से अगले दिन सुबह नज़र नहीं मिला पता. इसलिए मैंने उसको कोई रेस्पोंस नहीं दिया. करीब १० मिनट हो गये थे और मामी मेरे लंड पर उछल रही थी और अपनी गांड को जोर से हिला रही थी… मेरा पूरा लंड उनकी चूत में अन्दर – बाहर हो रहा था. अब मामी ने अपनी स्पीड भी बड़ा दी और और जोर – जोर से सिस्कारिया भरने लगी. अहः अहः अहहाह रवि हाहाह अहः अहहाह मुह्ह्ह्ह मुह्ह्ह्ह… मेरा भी पानी निकलने वाला था. लेकिन मैं जानता था, कि अगर मामी ऊपर रहेंगी, तो मेरा पानी ठीक से पूरा उनकी चूत में नहीं जा पायेगा. इसलिए ना चाहते हुए भी, मैंने झट से अपनी आँखे खोली और मामी को जोर से पकड़ कर बेड पर लिटा दिया और इस दौरान मेरा लंड उसकी चूत में ही था. अब मामी मेरे नीचे पैर फैलाये पड़ी थी और मैं जोर – जोर से आखरी धक्के लगा रहा था और मामी बेकाबू हो कर मेरे बाल खीच रही थी और मेरे सिर को अपने सीने पर रगड़ रही थी.

अब मेरा पानी छुटने वाला था, तो मैंने भी और तेज धक्का लगाना शुरू कर दिया. मैंने अगले २ मिनट के बाद ढेर सारा पानी मामी की चूत में भर दिया. अब हम दोनों शांत हो गए थे और मैं मामी के ऊपर ही लेटा हुआ पड़ा रहा. ५ मिनट के बाद मामी ने मुझसे कहा – मुझे एक बच्चा चाहिए था और तुम्हारा लंड एकदम दमदार है… मैंने उसको एक बार उस रात और चोदा और कुछ दिनों बाद उनके घर से खुशखबरी आई. ये हमारी उस रात की चुदाई का परिणाम था…

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एक रात के लिय पति हुवा

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हैल्लो दोस्तों.. में साहिल एक बार फिर से आप सभी के सामने हाज़िर हूँ अपनी एक और आप बीती लेकर और में उम्मीद करता हूँ कि आप सभी को मेरी यह स्टोरी भी पिछली स्टोरी की तरह आपको बहुत पसंद आएगी. तो में अब सीधा अपनी स्टोरी पर आता हूँ अब में दिल्ली में एक नौकरी करने लगा था तो वहाँ पर मैंने रूम भी ले लिया था जैसा कि आपको पता है कि में शुरू से ही शर्मीले स्वभाव का हूँ और इसी वजह से में अपने रूम पर भी बस रात को आना खाना खाना और सो जाना और सुबह उठकर फिर से ऑफिस चले जाना.. बस यह ही मेरी दिनचर्या रहती थी. उस घर में तीन रूम थे.. एक रूम में मकान मालिक और उनकी पत्नी रहती थी जो बहुत अधेड़ उम्र की थी.. दूसरे रूम में एक आदमी कोई 48 साल का होगा वो रहता था और तीसरे में में मेरा रूम गली के बिल्कुल सामने था और सामने वाले घर में दो बहुत ही सुंदर सी मेरी हम उम्र लड़कियों को अक्सर में जाते देखता था.. लेकिन वो कौन है में नहीं जानता था और शायद उनकी माँ जिसकी उम्र 36 साल के आस पास थी.. लेकिन उसका शरीर इतना गठीला और भरा पूरा था और अक्सर गली के लड़को से में उसके चर्चे करते सुनता था.

फिर जब कभी भी में रात को छत पर बैठता तो वो बहुत लोगों के दिलो पर छुरियां चलाती हुई चलती थी और जब भी मटक मटक कर चलती और उसके कुल्हे तो क्या बताऊँ दोस्तों क्या कहर थे? फिर एक दिन में रात को ऑफिस से आया तो वो दोनों लड़कियां मेरे पीछे गली में आ रही थी और जब मैंने पीछे मुडकर देखा तो अंधेरी गली में वो एक दूसरे में खोई हुई थी और एक लड़की दूसरी के कभी गले में लटकती तो कभी गाल पर किस कर लेती. तभी मैंने सोचा कि बच्ची होगी कोई बात नहीं.. ल्रेकिन जब में रूम पर आकर गेट बंद करने लगा तो उसने उस लड़की के गालों पर फिर से किस किया और उसी वक्त मैंने उन्हे देखा और उस दूसरी लड़की ने मेरी और देखकर झूट मूठ गुस्सा उस लड़की पर दिखाते हुए बोली कि तू अपनी बदमाशियों से कभी भी बाज नहीं आएगी अजीब सी स्माईल दी और झट से भागकर सामने वाले घर में घुस गई. फिर में खाना खाकर अपने रूम का दरवाजा खोलकर लेपटॉप पर फिल्म देख रहा था.. तभी मुझे सामने वाले घर की छत से लड़कियों की आवाज़ आई और फोन की लाईट दिखाई दी. तो मैंने सोचा कि यह वही लड़की है और मैंने उस पर ट्राई मारने की सोची मैंने अपने फोन की लाईट को ओन ऑफ किया.

तो उधर अंधेरे में से भी ऐसा ही कुछ सिग्नल मिला और फिर मेरी हिम्मत थोड़ी बड गई. मैंने फिर से ऐसा ही किया और वहाँ से दोबारा से जवाब आया मैंने सोचा कि लगता है कि मामला सेट हो जाएगा. ऐसी हरकतों में बहुत वक्त गुजर गया और में सो गया. फिर सुबह उठते ही मुझे उनका ध्यान आया और में जल्दी से उठा और छत की और देखा तो में हैरान हो गया वहाँ पर वो लड़कियां तो नहीं थी.. लेकिन वो हसीन आंटी जरुर थी. तो मैंने सोचा कि यह ऐसे ही खड़ी होगी और फिर में अपने काम में लग गया. मैंने कपड़े उतारे और तोलिया लपेटकर आँगन में घूमने लगा.. कभी ब्रश करता तो कभी नहाने जाता.. लेकिन मैंने बिल्कुल भी गौर नहीं किया कि वो आंटी तब तक वहीं पर खड़ी होकर मुझे घूरती ही रही जब तक कि में तैयार होकर ऑफिस नहीं चला गया.. लेकिन मेरे मन में एक बार भी यह ख्याल नहीं आया कि रात को वहाँ पर वो आंटी भी हो सकती थी? खैर और अब यह रोज की आदत हो गई. में रात को सोता और वही फोन की लाईट दिखती और फिर सुबह वो आंटी खड़ी नज़र आती.

मैंने उसके बारे में और पता किया तो पता लगा कि वो पंजाब से है और उसका पति एक कम्पनी में मेनेजर है जो कि अक्सर कम्पनी के कामों के लिए बाहर जाता रहता है और मैंने यह भी सुना कि वो अंकल बहुत चुदक्कड है क्योंकि गली के लड़के कहते है कि जब रात को वो दोनों जब भी कभी सेक्स करते है तो उनकी सिसकियों की आवाज़ बाहर गली तक आती है और आंटी तो थी ही माल.. लेकिन उसका पति जब उसकी इतनी ठुकाई कर देता है तो मेरी दाल कहाँ से गलेगी? फिर में बहुत उदास हो गया.. लेकिन फिर भी दिल नहीं माना तो मैंने फिर से कुछ डोरे डालने की सोची. तो एक दिन सुबह सुबह उठा तो वो मुझे घूर रही थी.. में बाथरूम में नहाने गया और तोलिया लपेट कर बाहर आया.. तभी अचानक से जानबूझ कर मैंने अपना टावल नीचे गिरा दिया और मैंने नीचे जानबूझ कर कुछ भी नहीं पहना था और यह दिखाया कि यह काम गलती से हुआ और किसी ने नहीं देखा होगा.. लेकिन जब उसकी तरफ नज़र मिलाई तो वो हँसी और चली गई.. मेरे तो अब भी कुछ समझ में नहीं आया.

फिर एक दिन बाद ही एक जनवरी थी और में शाम को ऑफिस से जल्दी आ गया यह सोचकर कि नया साल रूम पर ही कोई ब्लूफिल्म देखकर मनाऊंगा.. लेकिन घर पर आया था और देखा कि वो आंटी हमारे ही आगंन में मेरी मकान मालकिन के साथ बैठी है मैंने उन्हे नमस्ते किया तो मकान मालकिन ने बताया कि आज उनकी शादी की सालगिरह है और उन्हे घर में कुछ सजावट करनी है और सभी सामान तो वो ले आई है.. लेकिन अकेले यह सब करना मुमकिन नहीं होगा क्योंकि अंकल रात को नहीं आने वाले थे वो कहीं बाहर थे और उन्हें कल सुबह 10 बजे तक आना था तो आंटी ने मुझे मदद के लिए पूछा और मैंने हाँ कर दी.. क्योंकि मुझे लगा कि आज कुछ उम्मीद है शायद कोई मौका मिल जाए. फिर मैंने जल्दी से कपड़े बदले और लोवर डाला. खाना खाने को आंटी ने पहले से ही मना कर दिया था और वो बोली कि मेरे यहीं पर खा लेना.

फिर हम जल्दी से उनके घर पर पहुंचे उनका बहुत ही सुंदर घर था.. वो मेरे आगे आगे गांड को मटका कर चल रही थी और में उनकी मोटी गांड को हिलते देखकर पागल होता जा रहा था. फिर अन्दर आकर पहले आंटी ने मुझे कोल्डड्रिंक पिलाई और कुछ खाने को दिया.. उसके बाद हम घर को सजाने में लग गये. में लड़ियां लगा रहा था और वो नीचे से मेरी मदद कर रही थी और में बीच बीच में उनकी बड़े बड़े बूब्स पर भी निगाह डाल लेता था. इस उम्र में भी उनका फिगर कयामत था.. 36- 26- 38.. सच में कोई नहीं मान सकता था कि उनकी शादी को इतने साल हो चुके है. फिर मैंने धीरे धीरे उनसे बातें करनी शुरू की तो पता लगा कि उनके दो लड़के है और दोनों बंगलोर में रहते है और वो ही यहाँ पर अकेली रहती है. तो में स्टूल पर खड़ा होकर एक उँची सी जगह पर एक पोस्टर लगाने की कोशिश कर रहा था. तभी अचानक से आंटी के हाथ से स्टूल लड़खड़ा गया और में उनके बिल्कुल ऊपर जा गिरा.. गिरते गिरते वो तो सोफे पर जा गिरी और में पास में रखे बेड से टकरा गया और मेरे घुटने पर बहुत ज़ोर से चोट लगी.. लेकिन खून नहीं आया.

में जल्दी से उठा और पूछा कि क्या आंटी आप ठीक तो है? तो वो बोली कि में तो बिल्कुल ठीक हूँ.. लेकिन जब में उठकर चला और एकदम से लंगड़ाया तो आंटी ने मुझसे कहा कि शायद तुम्हे बहुत चोट लगी है? तो मैंने उनकी बात को हँसी में टालना चाहा.. लेकिन वो बोली कि नहीं तुम्हे चोट लगी है मुझे दिखाओ. तो उन्होंने मुझे बेड पर लेटाया और मेरा लोवर ऊपर करके देखने लगी.. मेरे घुटने के ऊपर बहुत दर्द हो रहा था तो वो बोली कि में बाम लेकर आती हूँ.. लेकिन मैंने मना कर दिया तो वो बोली कि तुम चुपचाप लेटे रहो. तुम्हे चोट लगी है. फिर वो दूसरे कमरे में जाकर बाम ले आई और लोवर को थोड़ा ऊपर करके लगाने लगी.. लेकिन बार बार लोवर नीचे आ जाता था. तभी उन्होंने मुझे लोवर को निकालने को कहा. तो में डर गया क्योंकि मैंने नीचे कुछ भी नहीं पहना था और फिर उनके बार बार कहने पर मैंने शरमाते हुए उन्हे बताया कि मैंने नीचे अंडरवियर नहीं पहना है. तो वो बहुत ज़ोर से हंसकर बोली कि कोई बात नहीं तुम यह टावल लपेट लो..

तो मैंने टावल लपेट लिया और वो मेरे पास में बैठकर बाम लगाने लगी और फिर उनके हाथ मेरे शरीर से स्पर्श होते ही मेरे शरीर से कपकपी छूट गई और मैंने अपनी दोनों आँखे बंद कर ली. फिर वो धीरे धीरे घुटने से लेकर मेरी जांघो तक बाम मसल रही थी और मेरे पूरे शरीर में करंट दौड़ रहा था और अब मेरा लंड भी टाईट होने लगा था जिसकी वजह से टावल ऊपर उठ गया था और में शरम के मारे उनसे नज़र नहीं मिला पा रहा था.. लेकिन मजे में उन्हे मना भी नहीं कर पाया और मैंने जिझक में मना भी किया.. लेकिन वो नहीं मानी और वो धीरे धीरे बाम मसल रही थी. मेरे लंड में तनाव आ चुका था और जिसे वो भाँप चुकी थी.

फिर वो भी चोरी चोरी मेरी तरफ देखती.. लेकिन मैंने उन्हे दिखाने के लिए दोनों आखें बंद कर रखी थी और धीरे धीरे उनका चेहरा लाल होने लगा था और चेहरे के भाव भी बदल गये थे और धीरे धीरे बीच बीच में उनका हाथ मेरे लंड को स्पर्श कर जाता.. लेकिन मैंने कोई विरोध नहीं किया और यह दिखाया कि में सो गया हूँ. तो उनकी थोड़ी हिम्मत बड़ी और उन्होंने धीरे से मेरे लंड के ऊपर से टावल हटाया और बहुत अच्छे से उसे घूरा और चोरी से मेरी तरफ नज़रे घुमाई.. लेकिन मेरी आखें बंद थी. फिर उन्होंने मेरे लंड को पकड़ लिया और आराम आराम से उसकी चमड़ी को ऊपर नीचे करने लगी.. फिर उन्होंने धीरे से अपने चहरे को मेरे लंड के पास किया और आराम से लंड को सूँघा और एक किस करके मुहं में ले लिया. मेरे तो पूरे शरीर में जैसे आग ही लग गई. वो उसे मुहं में लेकर ज़ोर ज़ोर से चूसने लगी और अब मुझे सब कुछ बर्दाश्त से बाहर हो रहा था. तो में अचानक से उठकर खड़ा हुआ और नाटक करते हुए बोला कि आंटी आप यह आप क्या कर रही हो? तो वो बोली कि तुम बस कुछ मत बोलो और मुझे करने दो में बहुत दिनों से प्यासी हूँ. तो मैंने पूछा कि क्यों लेकिन अंकल है ना आपकी प्यास बुझाने के लिए? तो वो बोली कि हाँ वो बहुत अच्छे से बुझाते है.. लेकिन अक्सर उनके पास अपने दूसरे कामों की वजह से मेरे लिए बहुत कम समय होता है.. लेकिन मेरी प्यास ही इतनी है कि बुझती ही नहीं और मेरी बहुत दिनों से तुम पर नज़र थी. आज मौका भी है और वक़्त भी.

फिर मैंने कहा कि क्यों आज तो आपकी सालगिरह की रात है? तो वो बोली कि कोई बात नहीं आज की रात तुम मेरे पति हो और बस उसके बाद उन्होंने बस हद ही कर दी.. अपने सारे कपड़े उतार दिए और मेरे तो आधे पहले ही उतर चुके थे और बाकी भी उतर गये. फिर वो मुझे ऊपर से नीचे तक बुरी तरह से काटने और चूमने लगी. मेरे होंठ पर, मेरी निप्पल पर, मेरे पेट पर, मेरे लंड पर, मेरी बॉल्स पर. तो मेरे मुहं से बस अह्ह्ह आअहह ही निकल रही थी और में झड़ने लगा तो उसने मेरे लंड को मुहं से बाहर नहीं निकाला और चूस चूसकर मेरे वीर्य की एक एक बूँद को पी गई और उसने मेरे लंड को पूरा निचोड़ दिया.. में चुपचाप लेटा रहा तो वो मेरे पास में आ गई और मेरे बदन को सहलाने लगी और अब मेरी बारी थी.. मैंने उन्हे गरम करना और सक करना शुरू किया तो वो मचलने लगी. में उन्हे किस करता हुआ निप्पल पर काट रहा था.. उसके मस्त मस्त बूब्स को दबा रहा था और उसके मुहं से सिसकियाँ निकल रही थी और अब में थोड़ा और नीचे उनकी चूत पर आ गया.

वाह कितनी गौरी दूध जैसी चूत थी उस पर एक भी बाल नहीं था. एकदम चिकनी जैसे कि मेरे लिए ही तैयार की हो और बिल्कुल लाल फांके. तो मैंने धीरे धीरे से उन्हे खोला और अपनी जीभ को जैसे ही उसमे डाली तो उसने अपनी कमर को उठाया और मेरे सर को पकड़ कर अपनी जांघो में दबा दिया.. में उन्हे काटने और बुरी तरह से निचोड़ने लगा वो चूतड़ उछाल रही थी और हाथ पटक रही थी. मेरे हाथ साथ में उसके निप्पल को दबा रहे थे और वो बस ज़ोर ज़ोर से सिसकियां लिए जा रही थी और वो बिल्कुल बेकाबू हो गई. उसने मुझे अपने ऊपर से हटाकर बेड पर वापस लेटाया और दोबारा मेरे लंड को मुहं में ले लिया. बस एक मिनट में ही वो दोबारा तैयार हो गया और उसने बिना कोई देरी करते हुए लंड को चूत पर सेट किया और उस पर सवार हो गई और जैसे ही मेरा लंड उसकी चूत में दाखिल हुआ तो उसने ऐसी सांस ली जैसे कि उसे सूकून मिल गया हो.

फिर उसने एक के बाद एक ज़ोर ज़ोर से झटके देने शुरू किए और में उसकी कमर को अपने दोनों हाथों का सहारा दे रहा था और वो मेरे लंड पर उछले जा रही थी. फिर कभी वो ऊपर कभी में.. आधे घंटे तक हम ऐसे ही करते रहे. जैसे ही में झड़ने वाला होता में रुककर उसे सहलाने लगता और फिर से शुरू हो जाता.. लेकिन अब उसकी हाफतें हाफतें हालत खराब हो गई थी और अब में झड़ने वाला था.. तो वो बोली कि वो दो बार झड़ भी चुकी है और तीसरी बार उसका होने वाला है. तो मैंने उससे कहा कि कहाँ पर डालूं? तो वो बोली कि अंदर ही आने दो.. तभी तो मेरी चूत की गर्मी मिटेगी.. मेरे शरीर को शांति मिलेगी और बस 4-5 झटकों के बाद ही में उसकी चूत में झड़ गया. फिर हमने खाना खाया और उसके बाद फिर से शुरू हो गये.. इस उम्र में भी उसमे गजब का जोश था.. वो लगातार सुबह 4 बजे तक मेरा पूरा पूरा साथ देती रही. फिर मैंने इस बीच उसकी एक बार गांड भी मारी और हम साथ में भी नहाए फिर हम ऐसे ही पूरे नंगे सो गए. सुबह 8 बजे उठे साथ में नहाए और एक बार फिर मैंने उसकी गांड मारी और उसके पति के आने से आधा घंटा पहले में वहाँ से निकल गया. फिर उसके बाद तो जितने भी दिन में वहाँ पर रहा.. बस मेरी तो किस्मत में रस ही रस रहा ..

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मौसी के साथ सुहागरात मनाया

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दोस्तो कैसे हैं आप हमारे दूर के रिश्ते मैं जिसे हम मौसी कहते हैं हमारे शहर मैं रहने आई. और वो शादी शुदा नहीं है. उसकी उम्र 36 है, वो बहुत ही सेक्सी हे और मेरे चाचा चाची के साथ उनके घर रहने लगी. एक दिन मे किसी काम से उनके घर दोपहर को 2 बजे गया था। मैं जब वहा पहूँचा तो उन्होने ही दरवाजा खोला, कुछ हाफती सी लग रही थी उस वक़्त. उन्होने मुझे अंदर बेठाया और बोली की चाचा और चाची तो घर पर नही है दिल्ली गये है और कल तक वापस आयेगे. मैने कहा ठीक है मैं बाद मैं आ जाऊँगा, उन्होने कहा की जल्दी क्या है बाहर काफ़ी गर्मी है कुछ ठंडा पी जाओ।
फिर वो हम दोनो के लिये ठंडा बना कर ले आई उस वक़्त वो काफ़ी सेक्सी लग रही थी और उन्होने ड्रेस भी कुछ ऐसी पहन रखी थी की उनके 50% बोब्स बाहर निकलने को बेताब हो रहे थे. मैने कुछ हिम्मत करके उनसे पूछा की आप दरवाजा खोलते वक़्त हाँफ क्यो रही थी, तो वो घबरा सी गयी। मुझे लगा की कुछ तो गड़बड़ है. उन्होने कहा की कोई ख़ास बात नही कुछ काम कर रही थी इसलिये.
तभी मैने उनसे कहा की मुझे बाथरूम जाना है, और इससे पहले वो कुछ कहती मे बाथरूम की तरफ रवाना हो गया, जैसे ही बाथरूम मैं घुसा मेरा दिमाग़ खराब हो गया और लंड खड़ा हो गया। वहा लंबे लंबे बेगन पड़े थे, और पास ही मे उनकी पेंटी और ब्रा पड़ी थी, मे समझ गया की उन्होने ग्राउन के नीचे कुछ नही पहन रखा है। मैं बाहर आया तो वो मुझे अजीब सी नज़रों से देख रही थी, मैने कहा की मोसी घबराओ मत मुझे आपके हाफने का कारण समझ मैं आ गया है और जाकर उनको अपने हाथों मे उठा लिया और लिप्स पर किस करने लगा. वो पहले से ही गर्म थी उस वक़्त और ज्यादा हो गयी, उसके बाद हम बेडरूम मैं चले गये. वहाँ वो बोली की कुछ देर रूको मे तैयार हो जाती हूँ. मैने कहा केसे तैयार हो जाओगी तब वो बोली की मेरी शादी तो हुई नहीं.., ना ही सुहागरात कम से कम सुहागदिन तो अच्छी तरह मना लूँ,
मैने कहा ठीक है,, फिर वो ड्रेसिंग रूम मैं चली गयी, और जब 15 मिनिट बाद वो बाहर आई तो किसी अप्सरा के जैसे लग रही थी, मैने बाहर निकलते ही उनको बाहों मे भर लिया और चूमने लगा, उन्होने कहा कोई जल्दी नही है हम आराम से अपना सुहाग दिन मनायेगे। करीब आधे घंटे तक हम एक दूसरे के कपड़े खोलते हुये किस्सिंग करते रहे, उसके बाद मैंने उनकी चूत को देखा जो अब तक फूल कर संतरे की फाँक की जैसे हो गयी थी,, और मेरा लंड अपनी लेंथ से ज्यादा बड़ा लग रहा था, तभी मैं उनकी चूत को चाटने लगा और वो मस्त होती गयी। इसलिये मैं अपने लंड और वो अपनी चूत की प्यास नही रोक सके. वो बोली मैं ही तुम्हारी वाइफ बन जाती हूँ और मुझे अपनी वाइफ समझो और मेरे साथ सब कुछ करो उन्होने मुझे किस करना शुरू कर दिया. मेरे लिप्स को वो बुरी तरह से किस करने लगी।
उनको मैने खीच के बेड पे लेटा दिया और उनकी चूत को किस करने लगा. 10 मिनिट तक मे उसको चूमता रहा। फिर उनके बोब्स को मुहँ मैं लेकर चूसने लगा, मे उसे चूसता ही रहा थोड़ी देर बाद मैने जब उनकी चूत की तरफ देखा तो वो गीली हो चुकी थी. और मोसी सिसकारी मार कर कह रही थी की तुम मुझे पहले क्यो नही मिले, पहले क्यो नही आये, मैं इस दिन के लिये कब से तरस रही थी, आज मुझे पूरी औरत बना दो बस… वो सिसकारी मार रही थी।
फिर मैने उनसे कहा की अब मेरा लंड अपने मुहँ मे लो तो बोली नही मैं ऐसे नही कर सकती तो मैने कहा अगर नही कर सकती तो मैं सारा खेल यही खत्म करता हूँ, तो वो बोली नही फिर उन्होने मेरा लंड अपने हाथ मैं लिया और सहलाने लगी और मुहँ मैं ले लिया, और चूसने लगी उस मैं भी उनको मज़ा आने लगा और वो करीब 15 मिनिट तक मेरे लंड को चूसती रही, और मेरी हालत खराब होती गयी, जब उन्होने मेरा लंड छोड़ा तो उसमे से पानी बस निकलने वाला था. वो बोली मज़ा आ गया मैं तो यू ही डर रही थी इस सब मैं हमको काफी समय बीत चुका था और हम दोनो ही बहुत ज्यादा गर्म हो चुके थे की हम दोनो को ए.सी मैं भी पसीने आ रहे थे।
वो मेरे लंड को हाथ मे लेकर खींच रही थी और कस कर दबा रही थी. थोड़ी देर बाद उन्होने अपनी कमर को उपर उठा लिया और मेरे तने हुये लंड को अपनी जाँघो के बीच लेकर रगड़ने लगी. वो मेरी तरफ करवट लेकर लेट गयी ताकि मेरे लंड को ठीक तरह से पकड सके। उसकी चूची मेरे मुँह के बिल्कुल पास थी और मैं उन्हे कस कस कर दबा रहा था। अचानक उन्होने अपनी एक चूची मेरे मुँह मे डालते हुये कहा, “चूसो इनको मुँह मे लेकर…” मैने उनकी लेफ्ट चूची मुँह मे भर लिया और ज़ोर ज़ोर से चूसने लगा। थोडी देर के लिए मैने उनकी चूची को मुँह से निकाला कर मोसी को चूमने लगा. उन्होने कहा की अगर तुम मुझे पहले इशारा कर देते तो हम पता नहीं कितनी बार सुहाग दिन और रात मना चुके होते।
खेर अब तो मैं तुम्हारी हूँ ही जब मन करे एक दिन पहले बता देना, और फिर मैने देर ना करते हुये अपना लंड मोसी की चूत मैं डाल दिया जो की अभी भी बड़ी टाइट थी. मैं मेरा लंड धीरे धीरे मोसी की चूत मे अंदर-बाहर करने लगा। फिर उन्होंने स्पीड बडाने को कहा. मैने अपनी स्पीड बडा दी ओर तेज़ी से लंड अंदर-बाहर करने लगा। उनको अब पूरी मस्ती आ रही थी और वो नीचे से कमर उठा उठा कर हर शॉट का जवाब देने लगी. . चूत मे मेरा लंड समाये हुये तेज़ी से उपर नीचे हो रहा था। मुझे लग रहा था की मे जन्नत पहुँच गया हूँ. जैसे जैसे वो झडने के करीब आ रही थी उसकी रफ़्तार बडती जा रही थी। उन्होने अपनी टांग को मेरी कमर पर रख कर मुझे जकड लिया और ज़ोर ज़ोर से हाफने लगी. कमरा हमारी चुदाई की आवाज़ से भरा पडा था. “हाआआं हााआ मीईरए राज्ज्जज्जा, माअर गाययएए रीईए, ललल्ल्ल्ल्ल चोद रे चूत. उईईईईईई मीईईरीईई माआअ, फट गई री, इस सब मे 20 मिनिट निकल चुके थे और अब मेरा निकलने को तैयार था, तभी वो बोली मैं तो हो गई, और मैं ज्यादा ज़ोर से धक्के देने लगा. करीब 5 मिनिट के बाद मेरा पानी निकला और उनकी पूरी चूत को भर दिया। हम दोनो हाफने लगे और एक दूसरे से चिपक गये। फिर हम दोनो बाथरूम मैं गये और एक साथ नहा लिये और कोक पिया, वो बोली आज तुमने मुझे पूरी औरत बना दिया बोलो मैं तुम्हारे लिए क्या करूँ, तब तक मुझे थोड़ा थोड़ा मज़ा वापस आने लगा था।
मैने कहा की मोसी पहले थोड़ा मार्केट घूम आते है फिर बात करेंगे, उन्होने कहा ठीक है मैं तैयार हो जाती हूँ तुम भी कपड़े पहन लो फिर हम दोनो मार्केट निकल गये वहा उन्होने मेरे लिऐ शोपिंग की, और मुझे कहा की ये तेरा गिफ्ट है. वापस आते हुये उन्होने मुझसे कहा की तुम आज मेरे साथ ही रुक जाओ क्योकी दीदी जीजाजी तो कल आयेगे, और घर पर फोन कर दो… मैने कहा ठीक है मगर मैं अब बियर पीऊँगा…, और आप को भी मेरे साथ पीनी पड़ेगी, वो बोली की मैं नही पीती हूँ.., मैने कहा की आप तो लंड भी नहीं चूसती थी तो वो बोली ठीक है तुम्हारे लिये थोड़ी सी ले लूँगी..।
फिर मैने बियर शॉप से 4 बियर ले ली और घर पर फोन कर दिया की मे आज ऑफीस के काम की वजह से नहीं आ पाऊंगा. अब तक हम दोनो वापस चार्ज हो चुके थे, और एक दूसरे को किस कर रहे थे। फिर मैने बियर की बोतल खोल ली और अपने मुहँ मे भर ली और उनके मुहँ से मुहँ मिला कर अंदर डाल दी, फिर बोतल उनके मुहँ पर लगा दी, थोड़ी देर मे ही असर चालू हो गया और वो मुझे चूमने लगी, मुझे भी तब तक नशा हो चुका था तो मैने वही उनको लिटा कर अपना लंड उनकी चूत मैं डाल दिया और दोनो चूचीयों को ज़ोर ज़ोर से मसलने लगा।
साथ मे चूत मे लंड को अंदर और अंदर ले जाने के लिए ज़ोर ज़ोर से झटके लगा रहा था. हम लगबग आधे घंटे तक चूदाई करने के बाद जब मेरा पानी छुटने वाला था. मैने चूचीयों को धीरे धीरे दबाना शुरू कर दिया. मोसी भी थोड़ी देर मे मस्ती मे आ गयी. और उसके हर एक झटके के साथ अपने मुहँ से आवाज़ निकाल रही थी, थोड़ी देर मे ही हम दोनो एक साथ फ्री हो गये, मैने अपना पूरा वीर्य उनकी चूत मैं डाल दिया।
2 घंटे बाद हम दोनो फिर तैयार थे और आप तो जानते ही हैं की फिर क्या हुआ होगा, इसके बाद हमको जब भी मोका मिला अपना काम करते रहे।

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भाबी खुद आकर चुदा गयी

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हेलो एवरीवन, मैं आपका नया दोस्त अर्जुन आया हु. आपके लिए एक स्टोरी लेकर आया हु, जोकि मेरे जीवन में घटी हुई एक घटना है. मैं नया – नया ऑथर हु, इसलिए मैं नहीं चाहता; कि मैं आप सब लोगो को निराश करू. मैं फेक या कॉपी स्टोरी को पढ़ – पढ़ कर बोर हो गया हु. तो मैंने सोचा, कि आपको कुछ नया पढ़ने के लिए मौका दू. मैं अपने बारे में बता दू, मेरी ऐज २४ इयर्स है और मैं गोरखपुर का रहने वाला हु. मेरे लंड का साइज़ ६.५ इंच है और मेरी हाइट ६ फिट है और मैं मस्कुलर बॉडी का हु और मेरा रंग फेयर है. कुलमिला कर भगवान् ने दिखने के डिपार्टमेंट में अच्छा दिया है. मुझे कहानी पढ़ने के बाद, अपना फीडबैक जरुर दीजियेगा. अब मैं आपको ज्यादा बोर नहीं करता हु और सीधे स्टोरी शुरू करता हु. ये बात २ महीने पहले की है.

मेरी एक कर्टेन और बेडशीट की शॉप है और हम अपने टेलर को कस्टमर के घर भेजते है माप लेने के लिए. एक दिन मेरा टेलर मास्टर छुट्टी पर था, उसकी बीवी की तबियत ख़राब थी. उसी दिन संजोग से एक कस्टमर आई. उनका नाम सुमन था. देखने में वो बहुत ही हॉट थी. एकदम स्लिम और गोरी सी.. फिगर काफी मैन्तैनेड था उनका. जब वो शॉप पर आई, मैं तो बस उन्हें देखता ही रह गया. उन्होंने साड़ी पहनी थी ब्राइट येलो कलर की, बैकलेस ब्लाउज.. साड़ी उन्होंने नेवल के नीचे पहनी हुई थी. ऐसा लग रहा था, कि मानो स्वर्ग से उतर के अभी आये है. उन्हें देख कर लगा था, कि वो २५ – २६ साल से ज्यादा नहीं होगी. नेवली मैरिड थी वो शायद. मैंने अपने स्टाफ को इशारा किया, वो साइड हो गया और मैं खुद ही उनको डील करने लगा. उन्होंने कहा, कि मुझे कर्टेन बनवाने है अपने बेडरूम के लिए अर्जेंट में. मैंने कहा – मैडम मैं आपको कर्टेन की डिलीवरी परसों तक ही दे सकता हु. आज हमारे टेलर मास्टर छुट्टी पर है.

उन्होंने कहा, मुझे कल तक ही चाहिए. तो मैं ने कहा, कि ट्राई कर सकता हु. मैंने उनसे उनकी वाल का कलर पूछा. तो उन्होंने पर्पल बताया. मैंने उन्हें बादामी कलर सजेस्ट किया और उन्हें वो पसंद आ गया. तब तक उन्हें देख कर मेरा बुरा हाल हो चूका था. मैंने अपने घुटने मोड़ लिए अपना इरेक्शन छुपाने के लिए. तो मैंने उनसे पर्दों का साइज़ पूछा, उन्होंने कहा, कि आप खुद माप ले लीजिये. तब मैंने उन्हें रात को ८ बजे का टाइम दिया. उन्होंने मुझे अपना एड्रेस एंड फ़ोन नंबर दिया और कुछ एडवांस भी दे दिया. फिर वो चली गयी. अब मुझे रात का इंतज़ार था. उन्होंने देखने का. मैं उनके घर के पास पंहुचा और उन्हें फ़ोन किया. उन्होंने कहा, कि मैं नीचे आती हु. तब तक कुछ ठंडी हवाए चलने लगी थी. मौसम ख़राब होने वाला था. वो आ गयी और मैं उनके पीछे – पीछे उनके घर तक जाने लगा और मैंने उनके बेडरूम में पर्दों के माप लिया. तब मेरी नज़र ड्रेसिंग टेबल पर पड़ी हुई उनकी ब्रा पर पड़ी. वो रेड कलर की थी. तब मुझे पता चला, कि भाभी ने नाईटी के अन्दर ब्रा नहीं पहनी हुई थी.

मैंने उनसे पूछा, कि आप घर में अकेले ही रहती है. तो उन्होंने कहा – मैं अपने पति के साथ रहती हु. वो ७ दिनों के लिए मुंबई गए है. ३ दिन बाद आयेंगे. उस दिन हमारी अनेवेर्सरी भी है. तो मैं उन्हें सरप्राइज देना चाहती हु. तो मैंने कहा – आप चिंता मत कीजिये. परदे परसों तक हर हाल में आपके पास परसों तक आ जायेंगे. मैं अपनी ख्वाइश को अधुरा छोड़ कर वहां से जाने लगा, कि तभी मुझे खिड़की के बंद होने की आवाज़ आई और तेज आंधी चलने लगी. पुरे घर में धुल उड़ने लगी. हम दोनों ने जल्दी से सारी खिड़की बन करी और भाभी ने कहा, कि आप थोड़ी देर रुक जाईये, बाद में चले जायेगा. मैं तो ख़ुशी से फूला नहीं समां रहा था. मैं वहां बैठ गया. वो बोली – वो बोली मैं कपड़े लाना भूल गयी हु और दौड़ कर ऊपर छत पर चली गयी. वो कपड़े लेकर वापस आई और उनकी आँखे बंद थी. उनकी आँखों में शायद कुछ चले गया था. मैंने उनकी आँखों को खोल कर एक फूंक मारी. तो उन्होंने दूसरी को इशारा किया. उनके होठो मेरे होठो के एकदम पास थे. मैं उनकी सासों को महसूस कर सकता था.

तभी बिजली कड़की और जोर से बरसात होने लगी. मैंने टाइम देखा, तो १०:४५ हो चुके थे. तब भाभी बोली, कि आप आज रात यहीं रुक जाए. कल सुबह चले जाना. तो मैंने अपने घर पर इन्फॉर्म कर दिया, कि मैं अपने एक दोस्त के घर पर हु. नहीं आ पाउँगा. और मैंने भाभी से एक लोअर माँगा, तो उन्होंने मुझे अपने पति का लोअर दे दिया. मैंने चेंज दिया और बाहर आ गया. तब भाभी ने कहा – मैं भी चेंज करके आती हु. उन्होंने अभी जो नाइटी पहनी थी, उस पर पूरी की पूरी मिटटी लगी हुई थी. वो चेंज करने चली गयी. उन्होंने पूरा दरवाजा बंद नहीं किया उनके रूम का. उनके रूम का मिरर मुझे दिख रहा था. जैसे ही वो मिरर के सामने आई और अपनी नाइटी को ऊपर करके उतारने लगी. तब मुझे उनके बूब्स के दर्शन हो गये. उनके बूब्स का साइज़ ३४ का होगा. उनकी चिकनी नेवल साफ़ दिख रही थी. ओह.. माय गॉड… मन किया.. बस पीछे से जाकर एकदम से पकड़ लू. पर मैंने अपने आप को कण्ट्रोल किया और देखने लगा. तब उन्होंने अपनी गाउन निकाली और तवो थोड़ी हाइट में छोटी थी और थोड़ी डीप बेक थी और विदोउट स्लीव थी. जब वो ये पहन कर बाहर आई, तो क्या जबरदस्त कयामत लग रही थी. मैंने तभी उस रात में उनको चोदने का मन बना लिया था. उनकी हरकतों से भी लग रहा था, कि उनकी चूत भी फुदक रही है और वो भी चुदवाने के लिए बेताब है. फिर वो डिनर गरम कर के लायी. हम डिनर कर रहे थे. तब वो कुछ पूछने लगी. आपकी कोई गर्लफ्रेंड है.. तो मैंने कहा – हाँ है.

भाभी – क्या कभी उसके साथ संभंद बनाये है?

मैं – अरे भाभी, ये आप कैसी बातें कर रही है?

भाभी – क्यों अच्छी नहीं लगी.

मैंने चेंज कर रही थी, तब तो मैं आपको बहुत अच्छी लग रही थी. मैं शरमा गया और चुप हो गया.

भाभी – क्या मैं आपको देखने सेक्सी लगती हु?

मैंने – हाँ भाभी. आप मुझे बहुत हॉट एंड सेक्सी लगी. जी चाहता है, कि मैं आपको रात भर सोने ना दू और प्यार करता रहू.

भाभी – काश मेरे पति भी तुम्हारी तरह के होते.

पर उन्हें तो मेरी परवाह ही नहीं है. मैं अपनी चेयर से उठा और भाभी के रसीले होठो पर अपने होठो को जमा दिया. मैंने उनके होठो को चूम कर चुसना शुरू कर दिया. फिर मैंने उन से कहा, भाभी मैं आपको साड़ी में चोदना चाहता हु. तब वो बोली – वेट हियर. आई विल कॉल यू. वो फिर अपने रूम में चेंज करने के लिए चली गयी. २० मिनट बाद अन्दर से आवाज़ आई. तो मैं तो बस उसको देखता ही रह गया. उन्होंने वहीं साड़ी पहनी थी, जिसे पहन कर वो मेरी शॉप पर आई थी. उन्होंने कहा – मैं तभी से तुम्हारी दीवानी हो गयी थी, जब तुम्हे शॉप पर देखा था और मेरे गले लग गयी. उनकी कोमल पीठ मेरे हाथो को महसूस होने लगी थी. उनके बूब्स मेरे चेस्ट पर प्रेस हो रहे थे. फिर भाभी ने पहल की और मुझे लिप किस करने लगी. ऐसा लग रहा था, कि वो बहुत दिनों से प्यासी है. अब मैं उनके पीछे गया और उनकी कमर को किस करने लगा. मैंने पीछे से उनके बूब्स को अपने हाथो से दबा लिया था और मस्त प्रेस कर रहा था. वो अपने हाथ मेरे लोअर के अन्दर डालने की कोशिश कर रही थी. उन्होंने मेरे लंड को सहलाना शुरू कर दिया.

उनकी मदहोश कर देने वाली आवाज़ अगहहः अहहाह अहः ऊऊओ अहहहः अहहहा ऊई…माँ ऊई.. माँ और जोर से दबाओ… जोर से सिसिसिस स्सिस्सिसी अहहाह आस्स्स्स… फिर उन्होंने मेरा लोअर और मेरा वेस्ट निकाल दिया. अब मैं सिर्फ अंडरवियर में था और वो मेरे पुरे बॉडी को किस करने लगी थी. मेरा पूरा लंड अब चड्डी से बाहर होने को आतुर था. तब उन्होंने खुद मेरे अंडरवियर को निकाल दिया और मैं पूरा नंगा हो गया. अब वो अपने रसीले होठ मेरे लंड पर फिराने लगी और चूसने लगी. मैं उनके बालो को सहला रहा था. फिर मैंने उन्हें बेड पर लिटा दिया और उनके पल्लू को हटा दिया और उनके पैरो से किसिंग स्टार्ट की. अब मैं उनकी साड़ी को उतारते हुए, उनकी थाई तक पंहुचा और फिर उनकी पेंटी के ऊपर से ही उनकी क्लीन शेव चूत पर एक जोरदार चुम्मा जड़ दिया. वो सिहर गयी और फिर मैंने उनके पेट पर किस की और उनके नेवल में अपनी जीभ को घुसा कर चाटना शुरू कर दिया. वो मोअनिंग कर रही थी अहः अहहाह अहहाह अहः प्लीज डोंट स्टॉप… आई लव यू… यू अरे सोऊ सेक्सी… अहः अहः हम्म्म्म हम्म्म्म उम्म्म्म ओम्म्म्म…

फिर मैं उनके ब्लाउज का हुक खोलने लगा और वो रेड कलर की ब्रा पहनी हुई थी मैंने उनके बूब्स को ब्रा के ऊपर से ही किस करने लगा. ऐसा लग रहा था, कि जैसे मैं अपनी सुहागरात मना रहा हु. फिर मैंने कहा – भाभी प्लीज टर्न अराउंड. तो उन्होंने कहा – प्लीज डोंट कॉल में भाभी. माय नेम इज सुमन. कॉल मी सुमन और वो घूम गयी. मैंने उनकी ब्लाउज निकाल दी और ब्रा का भी हुक खोल दिया. उनकी अब पूरी नंगी पीठ मेरे सामने थी और मैं पीठ का बहुत प्रेमी हु. तो मैं उनकी पूरी नंगी पीठ पर बहुत सारी किसिंग की और अपने हाथ से सुमन की चूत को सहलाना शुरू कर दिया. उसकी चूत पूरी की पूरी गीली हो गयी थी और मैं भी अब अपने पर कण्ट्रोल नहीं रख पा रहा था. मैंने झट से सुमन की पेंटी को उतार दिया और उसकी साड़ी भी निकाल दी. अब सुमन पूरी नंगी थी और मैंने पहले उसकी चूत को मस्त चाटा और अपनी जीभ डाल कर उसको पेलने लगा. वो मेरा सर अपने हाथो से अपनी चूत में दबा रही थी.. और जोर – जोर से मोअनिंग कर रही थी अहहाह अहः अहः अहहाह ओओओओं ऊओहोहोहोह प्लीज प्लीज हाहाह ऊईऊई ऊई ओई ऊओईई माँ… सक इट सक इट.. एस एस … अहः मम्मी… प्लीज अब अन्दर डाल दो ना… प्लीज.

तो अब मैंने उसकी चूत को बेड के किनारे किया और अपने लंड को उसकी चूत पर सेट किया और जोर से झटका मारा. मेरा लंड ऑलमोस्ट ४ इंच अन्दर चले गया और सुमन जोर से चिल्लाई.. उसकी चूत अभी भी बहुत टाइट लग रही थी. फिर मैं एक और झटका मारा और पूरा का पूरा लंड उसकी चूत के अन्दर चले गया. मैं अब उसको धीरे – धीरे पेलने लगा था. वो भी बहुत मज़े लेकर चुदवा रही थी और चोदते – चोदते, मैं पूरा का पूरा उसके ऊपर आ गया और हम किसिंग करने लगे. मैं चोदते हुए, उसके बूब्स को भी सक कर रहा था. अब मैं झड़ने वाला था और वो भी झड चुकी थी. मैंने अब अपनी स्पीड को बहुत तेज कर दिया और एकदम से उसकी चूत में ही डिस्चार्ज हो गया. हम दोनों नंगे ही एक दुसरे से लिपट कर पड़े रहे और किसिंग करने लगे. फिर मेरा इरेक्ट होने लगा और फिर से मैं २न्द इनिंग के लिए तैयार हो चूका था. अब मैं बेड पर लेट गया और वो मेरे ऊपर आ गयी. अब ऐसा लग रहा था, कि वो मेरी चुदाई कर रही थी. मैं उसके बूब्स को दबा रहा था और वी शॉट्स लगा रही थी.

फिर मैंने उनको घोड़ी बनाया और पीछे से उनकी गांड में डालने लगा. तो सुमन ने कहा – प्लीज गांड में मत डालो. मुझे बहुत डर लगता है. तो मैंने चूत में ही लंड डालने लगा. मैंने उसकी जोरदार चुदाई की और वो फिर से झड गयी. पर मैं अभी तक नहीं हुआ था. तो उसने कहा, कि मुझे तुम्हारा कम पीना है और उसने मेरे लंड अपने मुह में ले लिया और जोर – जोर से मेरे लंड को चूसने लगी. मैं तो एकदम से सातवे आसमान पर पहुच गया था. फिर हम दोनों नंगे ही लिपट कर सो गये और हमारी नीद सुबह ७ बजे खुली. मैंने उसको गुड बाय किस किया और अपने कपड़े पहने और अपने घर के लिए निकल गया. मैं बाद में भी उनके कांटेक्ट में रहा और जब भी मौका मिला, उनकी मैंने मस्त चुदाई की.

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बाप का पाप मेरे पेट में

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हेलो मेरा नाम रूपा है और मेरी ऐज २१ इयर्स है. मेरी फिगर ३६सी – २८ – ३५ है और मैं अभी अनमैरिड हु. मैं आज आपको अपनी फर्स्ट सेक्स की स्टोरी बताने जा रही हु. मैं एक फ्लैट में रहती हु. जिसमे ४ बेडरूम और १ ड्राइंगरूम है. १ रूम मेरा है और १ मेरे भाई का और १ मदर – फादर का है और एक गेस्ट रूम है. जब मैं ११थ स्टैण्डर्ड में थी, तब से मैं पोर्न मूवी देखती थी और पोर्न मूवी देखते हुए मास्टरबेट भी करती थी. मैं कई बार अपनी चूत में ऊँगली डाल कर झडती थी और कभी गाजर, ककड़ी और मुली या बेलन डाल कर अपनी वासना को शांत करती थी. लेकिन इस से मेरी भूख और भी बढ़ने लग जाती थी. मैं १२थ स्टैण्डर्ड में थी, तब मेरी नानी की तबियत बहुत ख़राब हो गयी और इस वजह से मेरी माँ उनके वहां कुछ दिनों के लिए रहने गयी. मेरा भाई इंजीनियरिंग में पड़ता था. इसलिए वो पुणे हॉस्टल में रहता था और मैं और मेरे पापा घर अकेले रह गये थे. मेरी माँ के जाने के बाद, दूसरी रात मैंने सारा काम ख़तम कर दिया और गाजर – मुली को अपने कमरे में ले गयी.

और फिर मैंने कंप्यूटर पर पोर्न मूवी लगा दी और अपने सारे कपड़े उतार दिए और रोज की तरह बिस्तर में बैठ गयी और फिर धीरे – धीरे अपने बूब्स दबाने लगी. थोड़ी देर बूब्स दबाने के बाद, मैं ने मुली अपने हाथ में ली और उसको मेरी चूत में डाल दिया और उसको अन्दर बाहर करने लगी. मैं पूरी तरह एक्साइट हो गयी थी. तभी मेरे पापा ने दरवाजा खटखटाया और बोले – रूपा दरवाजा खोल. मैं इतनी घबरा गयी, कि मुझे कुछ पता ही नहीं चला, क्योंकि मैं पूरी नंगी थी. मैंने फटाफट कपड़े पहन ने शुरू किये और जैसे – तैसे कपड़े पहने और दरवाजा खोलने चली गयी. जल्दबाजी में मैं कंप्यूटर पर चल रही पोर्न मूवी बंद करना भूल गयी. मैंने दरवाजा खोला.

पापा – इतनी देर क्यों लगा दी. क्या कर रही थी?

मैं – कुछ नहीं पापा.. पढाई कर रही थी.

पापा – मुझे नींद नहीं आ रही थी. तो सोचा, की तुमसे थोड़ी देर बात ही कर लू.

मैं – लेकिन पापा, मैं थक चुकी हु. बस सोने ही जा रही हु.

(दरवाजे से कंप्यूटर नहीं दिख सकता था).

पापा – थोड़ी देर बेटा, बस ५ मिनट और वो अन्दर आ गये. अन्दर आते ही, मैं और वो दोनों शौक हो गए. क्योंकि कंप्यूटर पर वो पोर्न मूवी चल रही थी. ये है तेरी पढाई?

मैं – वो पापा (मुझ से कुछ बोला नहीं जा रहा था). तभी पापा की नजर बिस्तर पर पड़े गाजर और मुली पर पड़ी.

पापा ने मुली हाथ में ली. वो गीली थी. मैं ब्रा पहनना भूल गयी थी. और ब्रा भी बिस्तर में ही पड़ी थी.

पापा – ये सब क्या है रूपा? अपने कपड़े अच्छी तरह से पहन कर मेरे कमरे में आ जाओ. पापा ने कंप्यूटर में से सीडी निकाल कर अपने साथ ले ली और चले गये. मैंने टॉप निकाला और ब्रा पहन ली. आप को बता दू, उस समय मैंने ब्लैक कलर की ब्रा और पेंटी पहनी हुई थी. उस पर मैंने रेड लोअर और वाइट टॉप पहना हुआ था. मैंने कंप्यूटर बंद किया और पापा के रूम में गयी. पापा ने वो सीडी अपने डीवीडी प्लेयर पर लगा रखी थी. पापा ने मुझे रूम को बंद करने के लिए बोला और मैंने रूम को लॉक कर दिया.

पापा – ये क्या है रूपा? ये तुम्हारी पढाई है? तू ब्लू फिल्मे देखती हु?

मैं – वो पापा बस…

पापा – कब से देख रही हो तुम?

मैं – ११थ स्टैण्डर्ड से.

पापा – ओह माय गॉड. और ये सीडी तुम कहाँ से मिली.

मैं – मेरी सहेलिया लाती है.

पापा – ये देखने में मज़ा आता है?

मैं (शरमाते हुए) – हाँ.

पापा – तुम जानती हो.. ये सब शादी के बाद होता है.

मै – हाँ. लेकिन मेरी सहेली कहती है, लेकिन शादी से पहले ही सब जानना जरुरी होता है.

पापा – अच्छा, तो क्या क्या करती हो देखने के बाद, मुझे भी बताओ. शरमाओ मत.

मैं – मैं अपने हाथो से अपने स्तन दबाती हु और …

पापा – हाँ बोलो – शरमाओ मत..

मैं – पहले नीचे ऊँगली डालती थी और अब गाजर, मुली वो सब डालती हु.

पापा – तुम्हे मज़ा आता है?

मैं – हाँ.

फिर पापा ने मुझे अपने पास बुलाया और अपनी गोद में बैठा लिया.

पापा – रूपा, आज हम दोनों इस मूवी में जो चल रहा है, ऐसा करेंगे. मेरा साथ दोगी?

मैं – लेकिन?

पापा – लेकिन वेकिन कुछ नहीं. मैं तुम्हे एकदम ट्रेन कर दूंगा. मैं जानता हु, कि तेरी सेक्स की भूख बहुत बढ़ चुकी है.

मैं – ठीक है पापा. वैसे मैं किसी से सेक्स तो करना ही चाहती थी.

अब पापा ने मेरे होठो को चूमना शुरू कर दिया और मेरे होठ चूसने लगे. करीब ७ से ८ मिनट तक वो मेरे होठो को चूसते रहे और उस वक्त उनको दोनों हाथ मेरे स्तनों पर थे और दबा रहे थे. मुझे मज़ा आने लगा था. अब पापा ने मेरा टॉप निकाल दिया और अब मैं ब्रा में आ गयी थी. वो मेरी पूरी बॉडी को किस करने लगे थे और धीरे से उन्होंने मेरी ब्रा भी निकाल दी. अब वो मेरे निप्पल को चूस रहे थे. मुझे बहुत मज़ा आ रहा था. पापा का हाथ मेरी गांड पर था. वो मेरी गांड को सहला रहे थे और मेरे निपल को चूस रहे थे. अब पापा ने भी अपनी बनियान उतार दी. लगातार् १ओ मिनट तक वो मेरे निपल को चूसते रहे. मैं उतेजित होने लगी थी. अब पापा ने मेरा लोअर उतार दिया और अब मैं सिर्फ पेंटी में आ गयी. फिर पापा ने मुझे बिस्तर पर लेटा दिया और उन्होंने अपनी लुंगी निकाल दी. मैं शौक हो गयी. पापा ने अन्दर कुछ नहीं पहना था और उनका लंड टाइट हो चूका था. वो काफी ज्यादा लम्बा था.

मै – पापा इसको लंड कहते है ना?

पापा बहुत उतेजित हो चुके थे मुझे नंगा देख कर और बोले – हाँ. इसी से तेरा जनम हुआ है. फिर पापा ने मेरे सारे बदन को चाटना शुरू कर दिया और किस करने लगे. मैं बहुत उतेजित हो गयी. अब मुझ से रहा नहीं जा रहा था. और मैं झड गयी. मेरी पेंटी भी गीली हो चुकी थी. फिर पापा ने मेरी पेंटी उतारी और मेरी चूत के रस को चाटने लगे. और मेरी चूत पर अपनी टंग फेरने लगे. अब मेरी उतेजना बढने लगी और

मैं – पापा, कुछ हो रहा है.

पापा – अच्छा बेटी. अब इसको शांत करते है. आज तक तूने गाजर, मुली, ककड़ी और बेलन और ऊँगली ट्राई की है. आज अपने पापा का लंड अपनी चूत में लेकर देख? मैं – लेकिन पापा. आपका लंड तो बहुत ही ज्यादा लम्बा और मोटा है. मेरी चूत तो बहुत छोटी सी है. फिर पापा ने मेरी दोनों टांगो को अलग किया और अपने लंड को मेरी चूत पर लगा कर रगड़ने लगे. इस वजह से मैं मदहोश होने लगी. तभी अचानक से पापा ने अपना लंड मेरी चूत में डाल दिया और पापा के लंड की केप वाला भाग अन्दर चले गया.

मेरे मुह से चीख निकली अहहाह आआअ ऊऊऊ माँ मर गयी… फिर पापा ने और जोर लगाया.. और उनका आधा लंड अन्दर चले गया. मैं फिर से चिल्लाने लगी हाहाहा अहहाह माया.. ओह्ह्ह्ह माँ मर गयी…और फिर एक और झटके के साथ उन्होंने अपना पूरा लंड मेरी चूत के अन्दर डाल दिया. फिर वो २ मिनट तक वैसे ही रुके रहे. मैंने बेडशीट को पकड़ लिया टाइट. आज तक मैंने मुली, गाजर ही लिए थे और उसमे मुझे दर्द नहीं होता था. लेकिन आज मुझे बहुत दर्द हो रहा था. २ मिनट के बाद, पापा ने लंड को बाहर खीच कर निकाला और तुरंत ही अन्दर डाल दिया. दर्द के मारे मैं चिल्लाई… ऊओहोहोहो होहोहोह माँ.. फिर पापा लगातार अपने लंड को अन्दर – बाहर करने लगे. वो धीरे – धीरे ये कर रहे थे. इस वजह से मुझे थोड़ा – थोड़ा दर्द कम होने लगा. लेकिन उतेजना बड गयी. करीब ५ मिनट तक ऐसा करने के बाद, पापा ने स्पीड बढ़ा दी और वो लोकल ट्रेन से सुपरफ़ास्ट ट्रेन बन गये.. और अहहाह अहः अहहाह अहहाह ऊऊओ ऊओह्होहो ऊफोफोफोफोफो.. करने लगे.. २ मिनट तक की चुदाई के बाद, पापा की पिचकारी छुट गयी और उन्होंने अपना सारा पानी मेरी चूत में डाल दिया. फिर वो मेरे ऊपर ही सो गए. पानी गरम था और मुझे जन्नत का अहसास होने लगा.

करीब २० मिनट के बाद, वो फिर उठे और मुझे अपने लंड को होठो से रगड़ने को कहा. मैं उनके लंड को अपने होठो से रगड़ रही थी, बिलकुल ब्लू मूवी की तरह. थोड़ी देर के बाद, उनका लंड फिर से टाइट हो गया और उन्होंने मुझे कुतिया बनाया और पीछे से मेरी चूत में अपना लंड डाल दिया और अन्दर बाहर करने लगे. इस से मैं फिर से उतेजित हो गयी और वो जोर – जोर से झटके मारने लगे. इस बार करीब २५ मिनट तक वो झटके मारते रहे और फिर उन्होंने अपनी स्पीड तेज कर दी. तभी मैं झड गयी. लेकिन वो तो लगातार झटके मरते रहे. मैंने पापा को कहा – पापा मेरे फेस पर अपना वीर्य निकालना प्लीज.

पापा – ठीक है बेटी. और फिर करीब ३५ मिनट के बाद, जब उनका लंड झड़ने को आया. तो वो मेरे मुह के पास आ गये. जैसे ही वो मेरे मुह पास आये, उनके लंड से एक पिचकारी निकली और मेरे होठ, गाल, नोज, आईज पर सब जगह वीर्य गिर गया. उसके बाद हम एक साथ बिस्तर पर नंगे सो गये. हम फिर सुबह ५ बजे उठे और फिर से पापा ने मुझे चोदा और फिर हम वापस सो गये. दुसरे दिन छुट्टी थी और इसी वजह से हम ९ बजे तक सोते रहे. फिर उठने के बाद, मैं बाथरूम में गयी.

तब भी पापा मेरे साथ चले आये और हमने बाथरूम में भी सेक्स किया और फिर मैंने नंगी ही रह कर चाय बनायीं और नाश्ता भी बनाया और पापा के साथ डाईंगटेबल पर नंगी ही होकर नाश्ता किया और चाय ली. फिर १२ बजे, जब कामवाली के आने का टाइम हुआ, तब मैं नाइटी पहन ली और पापा ने लुंगी और बनियान. हमने अन्दर कुछ भी नहीं पहनना हुआ था. और उसके जाते ही हम फिर से नंगे हो गये और लंड लिया और दोपहर को फिर से २ बार चुदाई की. जब तक माँ वापस नहीं आ गयी. हम दोनों ने रोजाना ऐसे ही चुदाई का मज़ा लिया. मैं पापा के साथ उनके बिस्तर में नंगी ही सोती थी. एक बार मैं पापा के साथ नंगी ही थी बिस्तर में. तभी माँ का फ़ोन आ गया.

माँ – कैसे हो बेटी?

मैं – मैं ठीक हु और यहाँ भी सब ठीक है.

माँ – बेटी, मुझे ज्यादा दिन यहाँ रुकना पड़ेगा. वहां तुम सब संभाल लोगी ना.

मैं – हाँ माँ. मैं देख लुंगी. तुम यहाँ की चिंता मत करो.

ऐसे ही १ महिना बीत गया और हर रात पापा मुझे चोदते बिना कंडोम के. और बिना कंडोम की चुदाई की वजह से मेरा पीरियड मिस हो गया और जब टेस्ट करवाया, तो पता चला, की मैं प्रेग्नेंट हो गयी हु. मैंने फिर एबॉर्शन पिल्स लेना शुरू किया और कुछ दिन के सब ठीक हो गया. फिर पापा ने मुझे कंडोम के साथ चोदना शुरू किया और मुझे मज़ा देना शुरू किया. लेकिन मुझे कंडोम के साथ चुदाई में मज़ा नहीं आता था. इसलिए पापा ने मुझे बिना कंडोम के ही चोदना शुरू किया और मैंने एबॉर्शन पिल लेनी शुरू कर दी, ताकि मैं फिर से प्रेग्नेंट ना हो जाऊ. मेरे बाप ने मुझे पूरा रंडी बना दिया और रोजाना चोदा. जब मेरा भाई घर वापस आया और उसने पापा और मेरा ये वासना का खेल देखा, तो उसने भी मुझे रंडी बना कर मस्ती में पेला.. तो दोस्तों, कैसी लगी.. आपको एक ठरकी लड़की की कहानी, तो अपने बाप और भाई के द्वारा ही रंडी बनायीं गयी.. मुझे जरुर बताना और अगर आपके लंड मेरे ताकत हो.. लम्बा हो और मोटा हो और मेरी चूत की गरमी को शांत करने की ताकत हो, तो मुझे जरुर लिखना… मैं इंतज़ार करुँगी, आप लोगो के कमेंट का…

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माँ बेटे की सुहागरात

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हैल्लो दोस्तों… मेरा नाम रोहित है और में पुणे महाराष्ट्र का रहना वाला हूँ.. दोस्तों मेरी पिछली कहानी “माँ का बर्थ-डे गिफ्ट” को आप सभी ने बहुत पसंद किया.. उसके लिए धन्यवाद. अब में अपनी माँ के साथ आगे की कहानी शुरू करता हूँ.. दोस्तों अब माँ और में एक दूसरे से पूरी तरह खुल चुके थे और हर तरह से में माँ को चोद चुका था. फिर रात को 10:30 बजे में माँ के कमरे में गया. माँ ने पर्पल कलर का गाऊन पहना हुआ था और माँ पलंग पर लेटी हुई थी में पास गया और एक तरफ से करवट लेकर चिपककर सो गया.

माँ : क्या है? तुझे भी रोज रोज चुदाई करने की आदत पड़ गयी है में तेरी माँ हूँ कोई तेरी बीवी नहीं.

तो में माँ से चिपका हुआ था उनकी गर्दन पर हल्के हल्के किस कर रहा था.

माँ : मैंने कहा ना आज नहीं.

में : माँ मेरा लंड खड़ा हो गया है और अब में क्या करूं?

माँ : तेरे लंड को और काम ही क्या है जब देखो जब खड़ा हो जाता है.

में : माँ मुझे कर लेने दो ना वैसे भी कल पापा आने वाले है फिर दो दिन आप उन्ही से चुदोगी.

फिर में अपना हाथ नीचे की तरफ ले गया और धीरे धीरे हाथ को कमर से जाँघो घुटनों तक ले गया और गर्दन पर चूमने लगा और वो आहे भरने लगी.

माँ : तूने तो माँ बेटे के रिश्ते का मतलब ही बदल दिया.. चल ठीक है कर ले वैसे भी कल तेरे पापा आने वाले है. फिर मैंने अपने पूरे कपड़े उतार दिए और माँ को जकड़ लिया और प्यार करने लगा, चूमने लगा और में होंठो पर किस करने लगा. ज़ोर ज़ोर से होंठो को पीने लगा.. मुझे बहुत मज़ा आ रहा था. फिर मैंने माँ से कहा कि आप खड़े हो जाइये और माँ बेड के पास आ गयी.. तो में माँ के गाउन को थोड़ा नीचे से धीरे धीरे ऊपर करने लगा और मुझे सामने काले कलर की पेंटी दिख गई. दोस्तों में तो पागल हो गया था.. गोरी सफेद त्वचा पर काली पेंटी क्या मस्त लग रही थी और में कुछ देर ऐसे ही देखता रहा.. तो माँ बोली.

माँ : इतने ध्यान से क्या देख रहा है? कितनी बार तो तू अपनी माँ को नंगी कर चुका है.

में : हाँ माँ.. लेकिन में क्या करूं आप बहुत खूबसूरत और सेक्सी हो.. मुझे आपको देखने से मन नहीं भरता.. ऐसा लगता है आपको देखता ही रहूँ.

माँ : तो तू अपनी माँ का दीवाना हो चुका है. फिर ऐसे ही में माँ के गाउन को ऊपर लेट गया और गाउन पेट तक पहुंचा ही था.. तो मैंने अपना मुहं माँ की सेक्सी काली पेंटी के ऊपर रख दिया और ऊपर से ही माँ की चूत को किस करने लगा और पेंटी के ऊपर ही मुहं घुमाने लगा.. में तो अब जन्नत की सैर कर रहा था. फिर में माँ के गाउन में समा गया और अपना सर गाउन के ऊपर से निकाल दिया और अब में माँ के गाउन में था और खड़े होकर गांड पर हाथ घुमा रहा था और किस कर रहा था. दोस्तों में क्या बताऊँ? जन्नत से भी ज़्यादा मज़ा आ रहा था. फिर माँ बोली..

माँ : तू बड़ा सेक्सी हो गया है. रोज कुछ ना कुछ अलग करता है अपनी माँ के साथ.. ऐसे सेक्सी तरीके से तो तेरे पापा ने भी नहीं किया है.

में : माँ आप तो जन्नत की परी हो.. आपको नंगी देखते ही में सब भूल जाता हूँ और जो मन में होता है वैसा करता हूँ और फिर हमारी मस्तियों का सिलसिला चलता रहा.. में माँ के गाउन में था और हम एक दूसरे के साथ लेटे हुए थे.. कभी बात करते तो में कभी किस करता तो कभी माँ के गालों पर आहे भरता थोड़ी जीभ से चेहरे पर हल्के से चाटता बहुत ही ज़्यादा मज़ा आ रहा था.

माँ : आआअहहा… बस कर बेटा अब क्या ऐसे ही मेरे साथ गाउन में पड़ा रहेगा? माँ अब पूरी तरह जोश में आ चुकी थी.

में : माँ मुझे आपके गाउन में बहुत अच्छा लग रहा है. फिर मैंने गले पर हल्के से किस किया और हम हल्के हल्के किस करने लगे और मैंने अपने आपको गाउन से बाहर निकाला और में बेड के पास खड़ा हो गया.. मैंने माँ से कहा.

में : माँ आप भी खड़ी हो जाओ.

माँ : नहीं अभी में खड़ी नहीं हो सकती.

में : माँ प्लीज.

फिर मैंने माँ का हाथ पकड़कर हल्के से खींचा तो वो मान गयी और मेरे सामने खड़ी हो गयी. तो में माँ का गाउन धीरे धीरे ऊपर करने लगा और गाउन पूरा निकाल दिया और अब माँ मेरे सामने काली पेंटी और सफेद ब्रा में खड़ी थी और ऐसे ही में माँ के ऊपर फिर से झपट पड़ा और अपने पूरे आगोश में ले लिया.. पूरा जकड़ लिया और नीचे से ऊपर तक प्यार करने लगा और लिप किस करने लगा. माँ की गोल गोल गांड पर पूरा हाथ घुमाने लगा. माँ की पेंटी के अंदर हाथ डालकर गांड को सहलाने लगा.

माँ : आह्ह्ह…. कितना प्यार कर रहा है मेरे बेटे.. इतना तो मेरे साथ अपनी सुहागरात में भी नहीं हुआ था.

में : माँ मेरे रहते आपकी हर रात सुहागरात से बड़कर होगी. ऐसा कहकर मैंने माँ को अपने सामने पलटकर खड़ा किया और फिर ब्रा का हुक खोल दिया और पीछे से बूब्स को हल्के हल्के से दबाने लगा और गले के पास हल्के किस करने लगा.

फिर ऐसे ही मैंने पेंटी में हाथ डाला वाह कसम से माँ की चूत को हाथ लगाने में ही बहुत मज़ा आ रहा था और फिर मैंने माँ की पेंटी को उतार दिया और माँ को सामने खड़ा किया और नीचे से ऊपर तक देखने लगा.

माँ : क्या देख रहा है? पहली बार देख रहा है क्या?

में : माँ मुझे तुम नंगी बहुत अच्छी लगती हो यह कहकर मैंने माँ की चूत पर किस किया और फिर जीभ से चूत चाटने लगा और फिर चूत के दोनों होंठो को खोलकर पीने लगा.

माँ : में खड़े खड़े थक गयी हूँ और यह कहकर माँ बेड पर जाकर लेट गई. में बेड पर जाकर माँ की चूत को पीने लगा.

माँ : बस और कितना चाटेगा? मेरी चूत की तो जान ही निकल गयी. तू पूरी चूत का पानी पी गया है.

माँ यह ही बोलती रही और में चूत चाट रहा था. फिर में उठा और मेरा मुहं थोड़ा गीला था.. तो में माँ के पास गया.

में : चूत खोलो.

माँ : अभी 5 मिनट रुक जा में थक चुकी हूँ.

तो में माँ से लिपट कर लेट गया और चूत सहलाने लगा और किस करने लगा तो माँ मेरा मुहं हटाने लगी.

माँ : गंदी बदबू आ रही दूर हटा तू कैसे चाटता है इस गंदी जगह को.

में : माँ मुझे तो बहुत अच्छी लगती है उसके टेस्ट के सामने तो सब बेकार है.

फिर ऐसे ही बातों का सिलसिला चलता रहा और 10 मिनट के बाद में माँ के ऊपर लेट गया और प्यार करने लगा.

में : माँ थोड़ा चूत को खोलो.

माँ : हाँ हाँ चल जल्दी डाल और मुझे फ्री कर.

फिर माँ ने अपने दोनों हाथ से चूत को खोला.

माँ : चल अब डाल भी दे.

फिर मैंने अपने लंड को चूत के ऊपर रखा और हल्के से अंदर डाला और मेरा लंड बहुत अच्छे तरीके से अंदर चला गया और में माँ के ऊपर पूरा लेट गया.. बहुत अच्छा लग रहा था. फिर मैंने लंड को अंदर बाहर करना शुरू किया और तब में माँ को किस भी कर रहा था.

माँ : आज तो तूने मुझे मार ही डाला है और अब तो होठों को छोड़.

फिर भी मैंने एक ना सुनी और में चुदाई और किस कर रहा था.. मैंने माँ को पूरा जकड़ा हुआ था और माँ की साँसे तेज़ चलने लगी. मेरा पूरा लंड माँ की चूत में समा चुका था और में मज़ेदार चुदाई के मज़े ले रहा था. तो ऐसे ही 20-25 मिनट तक में चुदाई करता रहा.

में : माँ मेरा होने वाला है और यह कहकर मैंने अपने लंड का पूरा दबाव चूत पर लगाया और अपना पूरा पानी माँ की चूत में छोड़ दिया और में कुछ देर तक ऐसे ही पड़ा रहा और में पास में सो गया.. सुबह 5:30 बजे माँ ने मुझे उठाया में बहुत गहरी नींद में था.

माँ : उठ बेटा चल अपने कपड़े पहन ले तेरे पापा आने वाले है.. 6:30 बजे उनकी ट्रेन का टाईम है और तुझे उनको लेने स्टेशन जाना है.

में : ठीक है माँ.. लेकिन इधर तो आओ.

माँ : क्या है?

तो माँ पास आई… फिर मैंने माँ का हाथ पकड़कर अपने ऊपर खीँच लिया और माँ मेरे ऊपर आकर गिर गयी.

माँ : अब क्या है? रात को इतना सारा किया है तूने और अब तो बिल्कुल भी नहीं.. तेरे पापा की ट्रेन का टाईम होने वाला है.

में : माँ चलो भी.. में जल्दी से डाल देता हूँ.. थोड़ी देर में हो जायेगा.

यह कहकर मैंने माँ को बेड पर पटका और उनका गाउन ऊपर करके लंड को चूत में डाल दिया और चुदाई शुरू की दोस्तों सुबह सुबह की चुदाई में बहुत मज़ा आता है और में चुदाई करता रहा 10 मिनट बाद.

माँ : जल्दी कर मुझे पता है तेरी सुबह की चुदाई जल्दी खत्म नहीं होती है प्लीज… थोड़ा जल्दी कर और में लगातार धक्के लगाये जा रहा था. फिर 20 मिनट बाद..

माँ : अब बहुत हो गया.. अब उठ जा. तेरे पापा की ट्रेन का टाईम हो गया है.

में : माँ सिर्फ़ 5 मिनट रुको.

अब में ज़ोर ज़ोर से पूरी मेहनत से धक्के लगाने लगा और मैंने एक जोरदार पिचकारी माँ की चूत में छोड़ी और में जल्दी से उठा और कपड़े पहने फिर फ्रेश होकर बाईक लेकर पापा को लेने स्टेशन चला गया. में पापा को 7:30 बजे स्टेशन से लेकर घर आ गया था.. क्योंकि ट्रेन 30 मिनट लेट थी. फिर माँ हमारे लिए चाय लेकर आई पापा और मैंने बातचीत की फिर माँ, पापा से बोली कि

माँ : आप थोड़ा आराम कर लीजिये और मुझसे भी कहा कि तू भी थक गया होगा.. जाकर सो जा.

तो में समझ गया और में अपने रूम में सो गया.. लेकिन मुझे नींद नहीं आ रही थी. फिर 30 मिनट के बाद में माँ के रूम के पास गया और दरवाजे पर ध्यान से सुना तो वो दोनों भी शुरू हो चुके थे और में अपने रूम में आ गया और सो गया. फिर 2 घंटे बाद माँ ने मुझे आवाज़ लगाई.

माँ : उठ रोहित बेटा 10 बज चुके है.. चल जल्दी से उठ में नहाने जा रही हूँ और तुम्हारा नाश्ता तैयार है.

तभी मुझे भी माँ के साथ नहाने का ख्याल आया.. मैंने पापा को कमरे में देखा वो सो रहे थे और में बाथरूम के पास चला गया और दरवाजा बजाया.

माँ : कौन है?

में बिल्कुल चुप था क्योंकि मुझे पता था कि अगर कहूँगा में हूँ तो माँ पापा के डर से दरवाजा नहीं खोलेगी और मैंने फिर से दरवाजा बजाया.

माँ : ओह हो कौन है? कुछ बोलो तो.. आप हो क्या.. रोहित तो सो रहा है? फिर माँ ने हल्के से दरवाज़ा खोला में कोने में छुप गया था माँ टावल लपेटे हुई थी और में एकदम माँ के सामने आ गया और अंदर घुस गया और दरवाजा बंद कर दिया.

माँ : तू क्यों आया है तुझे पता है ना तेरे पापा यहाँ पर है चल जल्दी बाहर निकल.

में : माँ मैंने आपके रूम पर चेक किया है पापा घोड़े बेचकर सो रहे है.

माँ : (थोड़े गुस्से में) नहीं कुछ कह नहीं सकते तू अभी बाहर निकल.

में : ठीक है.. लेकिन पहले एक किस कर लेने दो.

माँ : इतना सारा करके भी तेरा पेट नहीं भरा अभी और एक किस चाहिये. में तुम दोनों बाप, बेटे के बीच में फंस गयी हूँ ठीक है और अब जल्दी से कर.

तो में माँ के पास गया और अपने होंठ माँ के होंठो से चिपका दिये और चूसने लगा और फिर मैंने झटके से माँ का गुलाबी कलर का टावल नीचे गिरा दिया और अब माँ पूरी नंगी थी.. में माँ को जमकर प्यार करने लगा और माँ जमकर ऐतराज़ कर रही थी.

माँ : नहीं नहीं बेटा नहीं.. तूने सिर्फ़ एक किस के लिये कहा था में शॉट नहीं मारने दूँगी.. मुझे रिस्क नहीं लेना.

लेकिन अब में कहाँ सुनने वाला था? में पूरे शरीर को चिपका कर प्यार करने लगा और मैंने एक हाथ से फव्वारा चालू कर दिया तो माँ और में भीगने लगे.

में : माँ अब हम भीग ही चुके है तो अब नहा लेते है.. लेकिन माँ का ऐतराज़ जारी था और मेरा काम भी.

तो मैंने माँ को साबुन लगाया.. पहले कंधे पर फिर बूब्स और पेट पर फिर पैरों से ऊपर चड़ते हुए चूत पर, बहुत सारा साबुन लगाया.. मुझे बहुत नरम अहसास हो रहा था. फिर माँ ने मुझे भी पूरे शरीर पर साबुन लगाया और मेरे तने हुए लंड पर भी.

माँ : (लंड को साबुन लगाते हुए) यह भी बहुत शरारती हो गया है.

फिर मैंने माँ को बाहों में लिया और प्यार करने लगा.. साबुन की वजह से नरम मुलायम अहसास हो रहा था और बहुत मज़ा आ रहा था. पूरा शरीर एक दूसरे से रगड़ रहा था और फिर 5 मिनट बाद मैंने माँ की चूत में खड़े खड़े ही लंड डाल दिया.. बहुत मस्त साबुन में भीगी हुई चूत का मुलायम अहसास हो रहा था और मैंने धीमी धीमी चुदाई शुरू की.. पूरा शरीर साबुन में भीगा हुआ था और हम मस्त हो रहे थे. में लगातार चुदाई कर रहा था और 10 मिनट बाद दरवाजा बजा तो दरवाजे पर पापा थे. दोस्तों में कसम से बोलता हूँ मेरी तो गांड फट गयी. मैंने झट से लंड चूत में से बाहर निकाला.. में डर के मारे तो कांपने लगा.. लेकिन मुझे कुछ समझ में नहीं आ रहा था क्या करूं? माँ और में दोनों एक दूसरे की तरफ देख रहे थे.. तो फिर से दरवाजा बजा.

पापा : डार्लिंग दरवाजा खोलो इतना टाईम क्यों लग रहा है? मुझे तुम्हारे साथ नहाना है.

माँ : नहीं नहीं अभी नहीं.

पापा : क्या हुआ डार्लिंग? क्यों नहीं?

माँ : में नहा चुकी हूँ और बस कपड़े पहन रही हूँ.

पापा : तो क्या हुआ फिर एक बार नहा लेंगे और कपड़े तो मेरे सामने भी पहन सकती हो चलो.. अब जल्दी से दरवाज़ा खोलो.

माँ : ठीक है लेकिन आप पहले रोहित के रूम में जाकर उसे उठने के लिए आवाज़ देकर आइये.

पापा : ठीक है डार्लिंग में बस 2 मिनट में आया.

फिर मैंने जल्दी से बदन साफ किया और मेरी नाईट पेंट पहन कर बाथरूम के पीछे से छत पर चड़ गया और कुछ मिनट बाद.

पापा : डार्लिंग रोहित अपने कमरे में नहीं है शायद उठ गया है.

तो माँ ने दरवाजा खोला माँ तब भी पूरी नंगी थी और पापा अंदर चले गये और मैंने राहत की सांस ली माँ की समझदारी ने मुझे बाल बाल बचा लिया और में अपने कमरे में जाकर तैयार हुआ और हमने साथ में नाश्ता किया और मैंने 2 दिनों तक कुछ नहीं सोचा.. बिल्कुल नॉर्मल व्यवहार किया और 3 दिन के बाद रात को पापा को स्टेशन छोड़कर घर आया. पापा को बिजनेस की वजह से बाहर जाना था और में जब घर आया तो माँ को पता था कि में चुदाई करने वाला हूँ इसलिए माँ मेरे लिए चमकदार नीले कलर की मेक्सी पहनकर बैठी थी.

में जो 2 दिन से सेक्स का भूखा था. फिर मैंने जमकर माँ के साथ सुहागरात मनाई और माँ को बहुत चोदा… मैंने माँ को धक्के पर धक्के मारे और हम एक दूसरे से बात करने लगे.

माँ : तू तो बिल्कुल मेरे ऊपर टूट पड़ा है.

में माँ से पूरा लिपटा हुआ था.

में : माँ में क्या करूं… में तो आपके बिना पागल हो जाता हूँ.. मैंने खुद को 2 दिन कैसे कंट्रोल किया है मुझे ही पता.

माँ : हाँ तूने तो हम दोनों को मरवा ही दिया था तुझे मैंने मना किया था फिर भी तू नहीं माना.. में क्या कहीं भागी जा रही थी?

में : हाँ माँ डर तो में भी बहुत गया था और मेरे तो रोंगटे खड़े हो गये थे पापा अगर हमको देख लेते तो?

माँ : ऐसा सपने में भी मत सोचना तूने तो जन्मदिन पर गिफ्ट के बहाने मुझे ब्लेकमेल करके फायदा उठाया था और तब से लगातार मुझे चोद रहा है.. तू जैसे मेरा बेटा नही पति है. नई शादी जैसे सुहागरात मना रहा है.

में : माँ आप तो मेरी दुल्हन हो और मैंने एक जोरदार किस किया.

फिर कुछ देर ऐसे ही बातों का सिलसिला चलता रहा और में माँ के ऊपर फिर चड़ गया और लंड, चूत में घुसा दिया और चोदने लगा.

माँ : तेरा इंसान का लंड है या किसी घोड़े का.. इतनी जल्दी जल्दी खड़ा हो जाता है.

फिर में लगातार चुदाई किए जा रहा था. मेरा पूरा लंड माँ की गीली चूत से भीग चुका था और 30 मिनट बाद फिर एक बार में माँ की चूत में झड़ गया और हम ऐसे ही रात भर पड़े रहे. सुबह 11 बजे मेरी आँख खुली तो मैंने कपड़े पहने और हॉल में गया.

माँ : किचन से बोली.. क्या उठ गया तू? अभी चाय देती हूँ.

फिर मैं चाय नाश्ता करके नहाकर बाहर चला गया और 3 बजे वापस आया. हम दोनों ने साथ में लंच लिया.

में : माँ चलो ना… आज गार्डन घूमने चलते है.

माँ : गार्डन.. तू क्या कोई छोटा बच्चा है जो गार्डन चलना है?

में : प्लीज़… माँ चलो ना प्लीज़.

माँ : ठीक है मेरे प्यारे बेटे.

में : माँ मेरी एक और इच्छा भी है?

माँ : वो क्या?

में : मुझे आज आपके साथ असली सुहागरात मनानी है और आज रात आप दुल्हन की लाल साड़ी पहनो.

माँ : चल हट बड़ा आया अपनी माँ के साथ सुहागरात मनाने वाला.

में : प्लीज़… माँ मान जाओं ना.. प्लीज प्लीज़.

माँ : दुल्हन के मेकअप में बहुत टाईम लगता है और दुल्हन के मेकअप के आधे सामान मेरे पास नहीं है.

में : माँ तो क्या हुआ हम आज शाम को मार्केट से ले लेंगे?

माँ : तो तू नहीं मानेगा.. हमेशा अपनी जिद मनवा कर ही रहता है.. चल ठीक है.

तो मुझे अब सिर्फ़ रात का इंतजार है और में जाकर अपने कमरे में सो गया.. क्योंकि रात में जागने के लिए आराम ज़रूरी था और मुझे माँ ने 4:45 बजे उठाया.. माँ और में पूरी तरह तैयार हो गये.. चाय पीकर बाईक पर निकल पड़े.

माँ : कौन से गार्डन चलेगा?

में : कुछ ही मिनट में आ जायेगा देख लेना और 10 मिनट के बाद माँ को में लवर्स गार्डन ले आया और हम अंदर चले गये.. वहाँ पर बहुत जवान जोड़े थे.

माँ : यह कहाँ ले आया है तू बेटा?

में : माँ यहाँ पर हम जोड़े है.. लवर जोड़े.

फिर हम थोड़े अंदर जाकर एक कोने में पेड़ के पास बैठ गये और बातें करने लगे.. वहाँ पर मस्त हवा चल रही थी और ऐसे ही 1 घंटा बीत गया और फिर हम मार्केट गये. तो माँ ने कुछ मेकअप का समान लिया फिर हम एक लेडीस शॉप में गये वहाँ पर माँ ने ब्रा और पेंटी खरीदी में शॉप के बाहर ही खड़ा था और फिर हम घर आ गये. शाम के 7:30 बज चुके थे और माँ खाने की तैयारी कर रही थी क्योंकि माँ को तैयार होना था और 8:30 बजे तक खाना बन गया.

माँ : चल तू भी मेरे साथ जल्दी से खाना खा ले.

में : ठीक है.

तो हमने साथ में खाना खाया और 9:00 बज चुके थे.

माँ : चल में अब तैयार होने जा रही हूँ. में तुझे जब तक खुद आवाज़ ना दूँ तब तक तू हॉल में ही रहना चाहे कितना भी टाईम लगे.. में तुझे खुद आवाज़ दूँगी.

में : ठीक है माँ.

फिर माँ रूम में चली गयी और ऐसे ही आधा घंटा बीत गया.. मेरी माँ मेरे लिए दुल्हन बन रही थी और आज में अपनी माँ के साथ सुहागरात मनाने जा रहा था और एक एक मिनट सालों जैसा लग रहा था मेरी तो घड़ी से नज़र हट ही नहीं रही थी और इंतजार बड़ता जा रहा था. 10:20 बजे अब तो इंतजार की सारी हद समाप्त हो गयी थी और में जल बिन मछली जैसा तड़प रहा था. 11 बजे अब तो बहुत हद हो गयी. में कंट्रोल से बाहर हो गया और जाकर माँ के रूम का दरवाजा बजाया.

माँ : क्या है तुझे मैंने कहा था ना तू नहीं आना.

में : माँ अब और इंतजार नहीं होता.. जल्दी करो ना.

माँ : इंतजार तो करना पड़ेगा.. यह दुल्हन तो टाईम लगायेगी.

तो मुझसे इंतजार नहीं हो रहा था.. लेकिन मेरे पास इंतजार करने के अलावा कोई रास्ता नहीं था. फिर 11:45 पर माँ ने आवाज लगाई.

माँ : रोहित दरवाजा खोल दिया है.

यह सुनते ही मुझे कपकपी हो गयी कुछ ही कदमो पर मेरी दुल्हन तैयार थी.. मैंने धीरे धीरे अपना कदम रूम की तरफ बड़ाया और दरवाजे को धीरे से खोला और धीरे धीरे में रूम में गया.. लेकिन रूम में ट्यूब लाईट बंद थी.. हल्का सा ज़ीरो बल्ब चालू था. में बेड के पास गया.. माँ ने लाल कलर की भारी काम वाली साड़ी पहनी हुई थी और साड़ी का घूँघट ओढ़े बैठी थी.

में : माँ मेरी दुल्हन का चेहरा तो दिखाओ.

फिर मैंने पुरानी फिल्म जैसे माँ का घूँघट धीरे धीरे ऊपर किया.. माँ और मैंने एक दूसरे की तरफ देखा और माँ ने नई नवेली दुल्हन की तरह आँखे शरमाकर नीचे की तो मुझे तो यह सब किसी सपने की तरह लग रहा था.

में : माँ आप यहाँ बेड के पास खड़े हो जाये.. में अपनी दुल्हन को रोशनी में ऊपर से नीचे तक निहारना चाहता हूँ. फिर माँ को मैंने बेड के पास खड़ा कर दिया और लाईट को चालू कर दिया और जैसे ही लाईट चालू हुई तो माँ दुल्हन की साड़ी में क्या लग रही थी? में, माँ को पूरी तरह ऊपर से नीचे तक नैनो से निहारने लगा.

माँ : देख बेटा अच्छे से देख तेरी दुल्हन को… मैंने बहुत मेहनत की है.

में : धन्यवाद… माँ सच में यह सब तो जैसे आपने मेरे सपने को पूरा कर दिया हो.

फिर में, माँ के पास गया उनका हाथ अपने हाथ में लिया और चूमने लगा. माँ की लाल कलर की चूड़ियों को उतारने लगा और दोनों हाथों की चूड़ियों को उतारने के बाद मैंने माँ का नेकलेस उतारा, कान के उतारे और फिर माँ की साड़ी का पल्लू नीचे गिरा दिया और फिर साड़ी को धीरे धीरे उतारने लगा. अब माँ मेरे सामने लाल पेटीकोट और ब्लाउज में थी.. में माँ के ब्लाउज के हुक एक एक करके खोलने लगा और पूरा ब्लाउज उतार दिया. फिर माँ को उंगली से स्पर्श करने लगा.. माथे से नीचे जाते हुए पेट पर और नीचे जाते हुए मैंने माँ के पेटीकोट का नाड़े को हल्का सा झटका दिया और पेटीकोट नीचे गिर गया. तभी मेरे होश उड़ गये.. माँ ने ब्रा और पेंटी तक एक ही कलर पहनी हुई थी. माँ मेरे सामने लाल कलर की ब्रा पेंटी में खड़ी थी.. गोरी गोरी जांघो के बीच माँ की लाल कलर की पेंटी जो चमकीली थी और ब्रा भी एक ही कपड़े की थी. दोस्तों सच में गजब का नज़ारा था और फिर में माँ के ऊपर झपट पड़ा और उन्हें बाहों में ले लिया और माँ को प्यार करने लगा. फिर गर्दन पर हल्के किस करने लगा और पेंटी के ऊपर से हाथ घुमाने लगा. पूरी गोल गोल गांड को सहलाने लगा.. पेंटी के ऊपर मज़ा ही मज़ा आ रहा था. फिर में माँ की ब्रा के हुक खोलने लगा.

माँ : रुक जा बेटा में अभी मुहं धोकर आती हूँ इतना भारी मेकअप जो किया है. फिर तू मुझे रातभर कहाँ उठने देगा. तो माँ बाथरूम में चली गयी और 5 मिनट बाद मुहं धोकर आई तो में माँ के ऊपर फिर झपट पड़ा और माँ की ब्रा का हुक खोल दिया और पेंटी को भी निकाल दिया और अब माँ मेरे सामने पूरी नंगी खड़ी थी. में माँ को पूरा बाहों में लेकर दबाकर प्यार करने लगा. होंठो को किस करने लगा.. चूसने लगा और माँ के बूब्स को दबाने लगा. माँ को उल्टी तरफ खड़ा करके बूब्स को दबाने लगा और चूत को सहलाने लगा. फिर हम बेड पर आ गये और में माँ के ऊपर और ज़ोर से टूट पड़ा.

माँ : रोहित बेटा में कहीं भागी नहीं जा रही.

तो में एक ना सुनते हुए ज़ोर ज़ोर से प्यार करने लगा और लंड को कूल्हों के ऊपर से रगड़ने लगा और में धीरे धीरे माँ की चूत के पास अपना मुहं ले आया दोनों हाथों से माँ के पैरों को घुमाकर अलग किया और चूत चाटने लगा.. धीरे धीरे चूत को अपने होठों से पीने लगा. माँ की चूत गीली हो गई थी.. में लगातार चूत चूस रहा था और माँ पूरे मज़े से सिसकियाँ भर रही थी आह्ह्ह और माँ ने मेरे सर को ऊपर से कसकर पकड़ लिया और दोनों जांघो से दबाया. में चूत को ज़ोर ज़ोर से चाट रहा था और चूत का पूरा पानी मेरे मुँह में गिर रहा था.. में चूत को चूस रहा था और माँ मेरे मुँह में झड़ चुकी थी और वो ढीली पड़ गयी और मेरा सर भी चूत से हटा दिया.

माँ : बस कर बेटा मेरा हो गया है अभी कुछ देर रुक जा.

तो माँ ठंडी होकर पड़ी थी.. में, माँ से चिपककर लेट गया मेरे मुँह पर माँ की चूत का पानी लगा हुआ था और बदबू आ रही थी.

में : माँ बहुत मज़ा आया आपकी चूत को चूसकर.

माँ : मेरी चूत का रस कोई जूस नहीं जो तुझे अच्छा लगे.

में : माँ आपकी चूत के रस के आगे तो हर जूस फीका है और में अपना लंड लेकर माँ के चहरे के पास गया.

में : माँ अब तुम लंड को चूसो.

तो में लेट गया और माँ मेरे लंड को ऊपर से नीचे तक धीरे धीरे चूसने लगी.. बहुत अच्छा लग रहा था और लंड को जैसे कोई जादुई अहसास हो रहा था. माँ एक हाथ से लंड को नीचे से पकड़कर मुँह से चूस रही थी.. करीब 5 मिनट चूसने के बाद मैंने माँ से कहा कि ..

में : माँ मेरा काम होने वाला है और माँ ने लंड को मुँह से बाहर निकाल दिया.

में : क्यों निकाला माँ चूसो ना?

माँ : तेरा काम होने वाला था और तेरा पानी मेरे मुँह में गिर जाता तो?

में : यही तो में चाहता हूँ आप मेरा पानी पी जाओ.

माँ : पागल हो गया है तू? तेरे लंड का इतना सारा पानी में पी जाऊँ.. बिल्कुल नहीं.

में : माँ प्लीज़, प्लीज़ माँ और थोड़ी देर मनाने के बाद वो मान गयी.

माँ : ठीक है.. लेकिन पहले तू लंड को चूत में डाल और जब तेरा होने वाला हो तब लंड मुँह में डाल देना.

फिर मैंने माँ की चूत पर लंड रख दिया और एक ही झटके में लंड पूरा अंदर चला गया और में पूरा माँ के ऊपर लेट गया और लंड अंदर बाहर करने लगा. लंड को तो जैसे मुलायम मखमल सा अहसास हो रहा था और हम माँ, बेटे चुदाई का लुत्फ़ उठाने लगे सिसकियाँ भरने लगे अहह उफ्फ्फ और में लगातार चुदाई किए जा रहा था. फिर 30 मिनट बाद मुझे लगा कि में झड़ने जा रहा हूँ.

में : माँ अब में झड़ने वाला हूँ.

माँ : झड़ जाओ मेरी चूत में.

फिर माँ ने मुझे कसकर पकड़ लिया.

में : लेकिन मुझे आपके मुँह में झड़ना है.

माँ : फिर कभी अभी चूत में ही छोड़ दो मुझे बहुत अच्छा लगता है और में धीरे धीरे झटके लगाये जा रहा था और कुछ ही देर बाद मैंने लंड का पूरा दबाव चूत पर लगाया और अपना पूरा वीर्य चूत में भर दिया और में शांत हो गया और ऐसे ही हम सो गये. रात को मैंने 2 बार और लंबी चुदाई की.. पूरी रात माँ बेटे ने सुहागरात को इन्जॉय किया ..

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चूत से हात धो बैठी सादी से पहले

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दोस्तो, मैं आसिफा आपके लिए अपनी सच्ची घटना के साथ हाजिर हूँ।
मैं भोपाल में रहती हूँ।मेरे जिस्म के बारे में मैं आप को बता दूँ कि मैं थोड़ी मोटी हूँ, जिसकी वजह से मेरी गोल और उभरी हुई गांड के सब दीवाने हैं।मेरे मम्मे काफी बड़े-बड़े हैं, जिन्हें मैं कभी भी ब्रा में नहीं छुपाती..लेकिन मेरा रंग एकदम दूध की तरह गोरा है इसी वजह से मेरे बाल भी सुनहरे रंग के हैं।मेरे घर में सब एकदम गोरे हैं मेरा फिगर 36-32-36 है।

अब मैं अपनी सच्ची घटना पर आती हूँ।दो दिनों बाद चच्चा के बेटे की शादी थी.. जी हाँ.. वही चच्चा, जिसने मेरी अस्मत पहली बार ली थी और उनके उसी लड़के की शादी थी जिसने मुझे चोद-चोद कर मेरी चूत सुजा दी थी और जिसने मेरी बुर में चुदाई करते समय पाइप भी डाला था।उसके बाद भी उसने मुझे कई बार चोदा, लेकिन उससे ज्यादा तो उसका कमीना बाप आकर मेरी गांड सुजाता था।

क्योंकि उसके बेटे ने एक कोई रण्डी पाल रखी थी जो कई सालों से उसकी गर्ल-फ्रेंड थी और अब वो उसी से शादी कर रहा है।शादी की वजह से अब्बू ने मुझसे कह रखा था कि मैं पूरा दिन वहीं पर रहूँ और काम में मदद करवाऊँ.. क्योंकि अब्बू और भाई दुकान की वजह से वक्त नहीं दे पा रहे थे।तो मैं हर रोज नाश्ता बनाकर चच्चा के यहाँ ही चली जाती थी और उनके हरामी लड़कों की नजरों की हवस का शिकार बनती थी।

मुझे लगता था कि अभी मुझे यही पर नंगा करके.. सब मुझे चोदने लगेंगे।मुझे कहीं भी अकेला पाकर आ जाते और मेरे मम्मे दबाने लगते और मेरी चूत और गांड में ऊँगली करने लगते और मेरी पैंटी में हाथ डालकर मुझे गरम करने लगते।लेकिन शादी का घर था तो कोई ना कोई आ ही जाता और मुझे उन हवस के भूखे कुत्तों से बचा ही लेता।हल्दी के दिन चच्चा के लड़कों और दोस्तों ने मुझे पकड़ ही लिया और सबने अपनी पैंट उतार कर अपने लौड़ों पर हल्दी लगवाई और फिर मेरे मुँह में हल्दी डालकर अपना लंड मेरे मुँह में दे दिया और कहने लगे- अब अच्छे से हल्दी मल..उन सबने शराब पी हुई थी क्योंकि वो जब मुझे चुम्बन कर रहे थे तो शराब की बहुत तेज गंध आ रही थी।

फिर उन्होंने मेरे कपड़े फाड़ दिए और मेरी चूत में हल्दी डालकर ऊँगली करने लगे।उस वक्त करीब 6 या 7 ऊँगलियां एक साथ मेरी चूत और गांड में अन्दर-बाहर हो रही थीं और मैं मदहोश होती जा रही थी।मेरी चूत का बहाव लगातार तेज होता जा रहा था।फिर वो एक-एक करके मेरी चूत में अपना मुँह लगाने लगे।‘उउहह आहह.. प्लीज फक मी.. प्लीज फक मी.. मुझे चोदो प्लीज… अब सहा नहीं जाता.. अपने लंडों से मेरी चूत को फाड़ दो.. प्लीज फाड़ कर रख दो इसे आज..’

मेरे मुँह से ऐसे शब्द निकलने लगे और मैं पूरी तरह से गरम हो गई कि इतने में किसी ने आकर बताया कि मेरे अब्बू और भाई आ गए हैं तो वो सब मुझे चुदाई की आग में तड़पता छोड़ कर भाग गए और मैं ऐसे ही नंगी बिस्तर पर पड़ी रही।मेरा शरीर अकड़ चुका था.. अब मुझसे रहा नहीं जा रहा था और मैं अपनी ऊँगली को ही अपनी चूत में हिलाने लगी और अपनी आग को बुझाने लगी।मेरी आँखें लाल होती जा रही थीं और शरीर अकड़ता जा रहा था।

तभी मैं उठ कर बैठी और पलंग के हत्थे को अपनी चूत में डालकर ऊपर-नीचे करने लगी और करीब 3 मिनट बाद पेशाब के साथ मैं झड़ गई तब मुझे कुछ शांति मिली।फिर उसके बाद मैं अब्बू के साथ घर चली गई।घर जाकर मेरे भाईजान ने मुझसे पूछा- तुमको क्या हुआ है.. क्या किसी ने कुछ किया है?मैंने उनसे लिपट कर कहा- किसी ने कुछ किया ही तो नहीं.. साले सब तड़फता छोड़ गए।‘क्यों..?’
‘भाईजान, अब्बू आ गए थे न..’

तो भाईजान ने मुझे एक जोर का चुम्मा लिया और मेरा एक मम्मा मसक दिया।मैं समझ गई कि भाईजान का लौड़ा आज मेरी चूत में फिट होने वाला है।मैंने भाईजान के लौड़े को पकड़ लिया।भाईजान ने मुझे अपनी गोद में उठाया और मुझे बिस्तर पर ले गए।मैंने भी चुदने की जल्दी में जल्दी जल्दी अपने सारे कपड़े उतार फेंके।मेरे जिस्म पर सिर्फ एक तिकोने वाली थोंग जैसी चड्डी रह गई जो कि अब्बू के एक इशारे पर डोरी की गाँठ खोलने से चूत को उनके लौड़े के लिए खोलने को काफी थी।

भाईजान ने भी अपने कपड़े उतार फेंके और अपना लौड़ा हिलाते हुए मेरे करीब आ गए।

मैंने उनकी आँहों में झांकते हुए ‘गप’ से उनका लौड़ा अपने मुँह में भर लिया और मस्ती से चचोरने लगी।

भाईजान ने भी ज्यादा देर नहीं लगाई.. मुझे धक्का दे कर बिस्तर पर चित्त लिटा कर मेरे ऊपर चढ़ गए।

उन्होंने अपना मुस्टंडा लवड़ा मेरी चूत के मुहाने पर रखा और एक ही झटके में अन्दर ठेल दिया।
‘उई..आह्ह…’

मेरी चूत ने उनका लौड़ा निगल लिया था। मस्ती में मेरी आँखें बन्द हो गईं।

भाईजान ने मुझे हचक कर चोदा और उस रात मेरी पूरी आग भाईजान ने बुझाई और मुझे पूरी तरह से शांत किया।

आगे की घटना में मैं आपको बताऊँगी कि कैसे चच्चा के लड़के यानी दूल्हे ने शादी के दिन मुझे चोदा और फिर उसके सालों ने मेरे साथ रंगरेलियां मनाईं।

आप सभी उत्तेजक विचारों के लिए मुझे इंतजार रहेगा।

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दो जवान लड़कियों की दोस्ताना प्यार

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मैं हूँ सुमीत। पिछले दो साल से मैं कामुक कहानियाँ पढ़ रहा हूँ। इन दो सालों में मैंने यह महसूस किया है कि यहां अधिकतर, या शायद सभी, कहानियाँ झूठी हैं। फ़िर भी मुझे सेक्स कहानियां बहुत पसन्द है क्योंकि यहाँ से आपको आपकी अपनी भाषा में बेहतरीन कामुक कथाएँ मिल जाती हैं।

मैंने सोचा कि अगर अपनी कल्पना से ही कहानी लिखनी है तो क्यों न सच बोल कर ही क्यों न लिखा जाए, इससे पाठकों के साथ धोखा भी नहीं होगा। इसलिए मैं आपको पहले ही बता दूँ कि यह कहानी कपोल-कल्पित है और सिर्फ़ देसी सेक्स स्टोरी के पाठकों के मनोरंजन के लिए लिखी गई है।

मुक्ता को कोलेज़ में आए अभी एक हफ़्ता भी नहीं हुआ था कि पूरे कोलेज़ के लड़कों में उसके बड़े बड़े, तने हुए गोल गोल स्तन और मोटे मोटे नितम्बों के चर्चे होने लगे थे।

मुक्ता ने अभी अभी कैथल के इन्ज़िनियरिन्ग कोलेज़ में आई टी ब्रांच में प्रवेश लिया था। मुक्ता कोहर वैसे हाँसी से थी पर ए.आई.ई.ई.ई. के कारण उसे यही कोलेज़ मिला था जो कि उसके शहर से काफ़ी दूर है। इसी कारण उसे होस्टल में रहना था।

मुक्ता अपने माँ-बाप की इकलौती बेटी है और अपने पापा की बहुत लाड़ली है। उसका व्यव्हार बिल्कुल बच्चों जैसा था। उसे सेक्स के बारे में कोई ज्ञान नहीं था। पर ऐसा भी नहीं था कि वो इससे बिल्कुल अनभिज्ञ थी। बस उसे सही जानकारी नहीं मिल पाई थी।

मुक्ता पहले दिन कक्षा में आई तो सबकी नज़र उसके गोल-गोल स्तनों पर पड़ी। पूरी कक्षा में उसके जैसे तने हुए और सुडौल वक्ष शायद किसी लड़की के नहीं थे।

उसे तंग ब्रा पहनने की आदत थी जिस कारण उसके वक्ष का ऊपरी हिस्सा फ़ूला हुआ रहता था। शायद यह कसी हुई ब्रा ही उसके वक्ष की सुडौलता का राज़ थी। उसका कद होगा कोई ५’ ४” और फ़ीगर होगी ३५-२८-३६, कन्धे तक लम्बे बाल। उसके नयन-नक्श तो साधारण थे, नाक लम्बी थी। जब वो चलती थी तो उसके स्तन उसकी चाल के साथ ही चाल मिला कर उछलते थे।

कोलेज़ में आते ही उसकी सबसे पहली सहेली अभी उसकी होस्टल की रूम-मेट ऋतु ढींगरा, जो कि दिल्ली से थी और कुछ खास सुन्दर नहीं थी। मुक्ता के सामने तो वो बदसूरत ही लगती थी।

हालांकि उसके स्तन भी काफ़ी बड़े और तने हुए थे और ऋतु मुक्ता से ज्यादा पतली कमर वाली थी, पर मुक्ता के गोरे रंग और गदराए बदन के सामने ऋतु की ओर किसी का ध्यान ही नहीं जाता था।

कोलेज़ का हर लड़का मुक्ता को देखते ही उसके नंगे बदन की कल्पना करने लगता था। जाने कितने लरके उसके बारे में सोच सोच कर मुठ मारते थे।

रितु दिल्ली से होने के कारण सेक्स के ममले में मुक्ता से कहीं ज्यादा जानती थी। जहाँ एक तरफ़ मुक्ता ने अपनी चूत में कभी उँगली तक नहीं घुसाई थी तो वहीं दूसरी तरफ़ ऋतु कई बार सेक्स कर चुकी थी बल्कि केला, बैंगन जैसी चीज़ों का इस्तेमाल भी बखूबी जानती और करती थी।

बस अब क्या होना था, मुक्ता को एकदम सही लड़की मिल गई थी। धीरे धीरे दोनों काफ़ी अच्छी दोस्त बन गई। अब तो अपने पसन्दीदा लड़कों की बातें करने में भी दोनों को बिल्कुल शरम नहीं आती थी।

फ़िर धीरे धीरे अपनी ड्रेस से लेकर अधोवस्त्रों तक की बातें खुलकर होने लगी। कई बार तो रितु मुक्ता के सामने नंगी भी हो जाती थी। शुरू में तो मुक्ता थोड़ी शरमा जाती थी पर फ़िर ऋतु के बार बार उकसाने पर वो भी कभी कभी ऋतु के सामने नंगी हो जाया करती थी।

शुरुआत का शरमीलापन आखिरकार खत्म होता गया और दोनों एकदम खुल गई। फ़िर तो दोनों अपनी झाँटे भी एक दूसरे से ही शेव करवाने लगी। इस से एक तो शेव अच्छी तरह हो जाती थी, दूसरा कट लगने का डर कम हो जाता था।

पहली बार तो मुक्ता ऋतु से शेव करवाने में शरमा रही थी पर जब ऋतु ने कई बार उस से अपनी झांटें शेव करवा ली तो मुक्ता भी ऋतु से ही अपनी झांटें शेव करवाने के लिए तैयार हो गई।

“वाह यार ! बड़ी नर्म -नर्म और सुलझी हुई झांटें हैं तेरी तो … एक दम इंग्लिश हिरोइनों की तरह … रंग भी ब्राऊन है !” जब पहली बार ऋतु ने मुक्ता की झांटें देखी तो उसके मुंह से ये निकला।

मुक्ता थोड़ा शरमाई पर मन ही मन अपनी झांटों की तारीफ़ सुनकर खुश भी हुई। ऋतु कई बार मुक्ता की चूत का मुआयना करने के चक्कर में भी रहती थी पर मुक्ता की शर्म इतनी भी नहीं खुली थी। इसलिए वो ऋतु को अपनी झांटों से नीचे नहीं पहुँचने देती थी।

ऋतु को तो शुरू से ही नंगी होकर सोने की आदत थी, पर अब उसने मुक्ता को भी यह आदत डालने की कोशिश में लग गई थी।

ऋतु ने उसे नंगी सोने के ऊपर बहुत बार लंबे -चौड़े भाषण दिए, तब कहीं जाकर मुक्ता को नंगी होकर सोने के लिए तैयार कर पायी। तो अंततः दोनों हॉस्टल के कमरे में एकदम नंगी होकर सोने लगी थी।

एक रात मुक्ता की नींद खुली तो उसने महसूस किया कि उसकी टांगों के बीच में हल्की -हल्की गुदगुदी हो रही थी जैसे कि कोई चींटी उसकी टांगों के बीच से चूत की तरफ़ बढ़ रही हो।

पहले तो मुक्ता ने सोचा कि इस गुदगुदी को जारी रहने दूँ क्यूंकि उसे मज़ा सा आ रहा था पर फ़िर उसने सोचा कहीं कोई और कीड़ा -मकोड़ा न हो इसलिए उसने झट से अपना हाथ गुदगुदी वाली जगह पर लगाया तो पाया कि वो कोई चींटी नहीं बल्कि ऋतु की ऊँगली थी।

मुक्ता ने ऋतु कि तरफ़ देखा तो पाया कि वो उसकी और देखकर मुस्कुरा रही थी।

मुक्ता भी पहले ज़रा मुस्कुरायी फ़िर बोली -“क्या है यार ? नींद नहीं आ रही क्या ? कम से कम मुझे तो सोने दे ! ”

ऋतु – मैं क्या कह रही हूँ तुझे? तू सो आराम से। लोग पहले तो कपड़े उतारकर सो जाते हैं फ़िर सोचते हैं कि किसी का हाथ तक न छू जाए।

मुक्ता- रहने दे, तूने ही आदत डाली है मुझे। नहीं तो मैं तो अच्छी-भली …

ऋतु – हाँ हाँ, बड़ी आई अच्छी-भली उन कसे तंग कपडों में अपने मोटे -मोटे स्तनों को जकड़कर सोने वाली। अरे भगवान ने ये कोमल सा बदन इसलिए दिया है क्या कि तू इसे उन तंग कपडों में बांधकर इसपर अत्याचार करे?

यह बात कहते हुए ऋतु ने अपनी ऊँगली मुक्ता के स्तनों से लेकर नीचे उसकी चूत तक हलके से फिर दी। मुक्ता भी एक बार तो सिहर सी गई।

फ़िर थोड़ा संभलकर बोली -“वो तो ठीक है यार, अब फ़िर से शुरू मत हो। मैंने कब कहा कि तू ग़लत कहती है ! तेरा बस चले तो तू तो दिन भर कॉलेज में भी नंगी ही घूम आए !”

ऋतु – “हाय … तूने तो मेरे मुंह की बात छीन ली मेरी जान। ला वापिस दे दे …” इतना कहकर ऋतु ने अचानक मुक्ता के होठों पर एक हल्की सी पर ज़रा लम्बी चुम्मी कर दी।

मुक्ता थोड़ा शरमाकर बोली – “हट पागल, ये क्या कर रही है तू?”

ऋतु – “शायद इसे किस कहते हैं। तू क्या कहती है वैसे ?” ऋतु अब मुक्ता के ज़रा करीब खिसक आई थी और उसने ये बात थोड़े नशीले अंदाज़ में कही।

मुक्ता ज़रा पीछे मुंह खींचते हुए बोली – “मुझे भी पता है इसे किस कहते हैं। पर तू मुझे क्या सोचकर किस कर रही है ? मुझे अपना बॉय फ्रेंड समझा है क्या?

ऋतु – जो चाहे समझ ले यार, चाहे तो रात को मेरा बॉय फ्रेंड ही बन जाया कर।

मुक्ता – ऐसा क्या मिलेगा तुझे मुझे बॉय फ्रेंड समझ कर?

ऋतु – एक लड़की रात को बिस्तर पर अपने बॉय फ्रेंड से क्या चाहती है?

मुक्ता थोड़ा सोचकर बोली – तेरा मतलब सेक्स …

ऋतु – वाह मेरी जान ! सामान्य ज्ञान अच्छा है तेरा।

मुक्ता – क्या ख़ाक सामान्य ज्ञान है? मुझे तो ये तक नहीं पता कि सेक्स में सही-सही होता क्या है ?” मुक्ता की भी नींद उड़ चुकी थी।

ऋतु – वो तो मुझे पता है की तू इस मामले में अभी ज़रा कच्ची है।

मुक्ता – ह्म्म्म … पर यार मैं १८ साल की हो गई हूँ। तुझे नहीं लगता की मुझे सबकुछ पता होना चाहिए?

ऋतु – हाँ -हाँ, क्यूँ नहीं पता होना चाहिए? अब तक तो तेरे प्रैक्टिकल भी हो जाने चाहिए थे।

मुक्ता थोड़ा हिचकिचाई फ़िर बोली – शायद तू सही कह रही है। अच्छा तो बता न, क्या होता है सेक्स में?

ऋतु – ज़ल्दबाजी नहीं माय डीयर, पहले तू बता कि तुझे कितना पता है?

मुक्ता – वो … बस पहले तो लड़का -लड़की कपड़े उतार लेते हैं, फ़िर एक -दूसरे को किस करते हैं और फ़िर बिल्कुल चिपक कर सो जाते हैं। इतना ही …” मुक्ता कुछ सोचते हुए बोली।

ऋतु मुक्ता के एक स्तन को हाथ से भींचते हुए बोली – “ये जो किस और चिपक के सोने के बीच में जो होता है न, दरअसल वो सेक्स है।”

मुक्ता एकदम से उसका हाथ पकड़ते हुए बोली – “क्या मतलब ? चिपक कर सोने से सेक्स नहीं होता?” पर मुक्ता ने उसका हाथ अपने स्तनों पर से हटाया नहीं।

ऋतु हँसते हुए बोली – “अरे नहीं। सेक्स में तो बहुत -कुछ होता है और चिपक कर सोने से कहीं ज़्यादा मज़ा भी आता है।”

मुक्ता – “अच्छा ? बता न फ़िर क्या होता है?”

“बताना क्या है ! मैं तुझे करके दिखाती हूँ .” ऋतु ने मुक्ता के दोनों स्तनों पर एक -एक किस करते हुए कहा।

मुक्ता – “तो क्या लड़के के बिना ही …”

ऋतु – “यार सिर्फ़ सिखा रही हूँ। इस सबसे तुझे थोड़ा आईडिया हो जाएगा न ! फ़िर जब तेरा बॉय फ्रेंड हो तो उसके साथ असली वाला सेक्स कर लेना !”

मुक्ता – “हाँ। ये सही रहेगा। चल फ़िर हो जा शुरू .” मुक्ता के लिए इंतजार करना मुश्किल हो रहा था। वो ज़रा नर्वस भी थी पर सेक्स के बारे में जानने की इच्छा उसपर हावी हो रही थी।

मुक्ता का इतना कहना था कि एकदम से ऋतु ने उसे अपनी तरफ़ खींच लिया और ख़ुद से कसकर चिपका लिया। फ़िर वो मुक्ता के होंठों पर अपने होंठ रखकर उसे किस करने लगी। मुक्ता के मुंह से एक बार सिसकी निकली और फ़िर सिर्फ़ “म्मम्मम्म … म्मम्मम …” की आवाजें आने लगी।

कोई अनजान भी ये बता सकता था कि यह आवाजें पूरी तरह वासना से भरी हुई थी। ऋतु और मुक्ता दोनों कि आँखें बंद थी और मुक्ता को ऐसा आभास हो रहा था जैसे कि वो कोई सपना देख रही हो। अपने होंठों को मुक्ता के होंठों से चिपकाए हुए ही ऋतु अपना हाथ धीरे -धीरे मुक्ता की चूत की तरफ़ बढ़ाने लगी। मुक्ता को लगा कि आज तो वो उसकी चूत को अच्छे से स्कैन करके ही रहेगी।

पर फिलहाल ऋतु का ऐसा कोई इरादा नहीं था। ऋतु अपना हाथ नीचे ले जाकर मुक्ता की टांगें खोलने की कोशिश करने लगी।

मुक्ता ने भी समय की नजाकत को समझते हुए टाँगे ज़रा ढीली छोड़ दी। ऋतु तुंरत मुक्ता की दोनों टांगों को खोलकर उनके बीच में आ गई। अब ऋतु ने दोनों हाथों को मुक्ता की कमर पर ले जाकर उसे पूरी ताकत से भींच लिया और फ़िर धीरे -धीरे कमर पर हाथ फिरने लगी।

मुक्ता को काफ़ी मज़ा आने लगा। दोनों के चूचुक आपस में टकरा रहे थे और न सिर्फ़ टकरा रहे थे बल्कि पूरी ताकत के साथ एक-दूसरे को दबा रहे थे। आखिरकार ऋतु ने मुक्ता के होंठों को छोड़ा और मुक्ता को साँस लेने के लिए कुछ सेकंड का वक्त दिया। और फ़िर ये कहकर कि “थोड़ा तू भी साथ दे न यार …” फ़िर से उसके होंठों को चूसने लगी।

इस बार मुक्ता भी ऋतु के होंठों को चूस रही थी। मुक्ता को महसूस हो रहा था कि उसकी चूत की अंदरूनी दीवारें धीरे -धीरे नम हो रही थी और फ़िर पूरी तरह गीली हो गई थी।

मुक्ता को तो ये भी शक था कि कहीं पानी की कुछ बूँदें बेड की चादर पर न टपक गई हों। पर इस सबकी चिंता करने का उसके पास वक्त नहीं था, वो तो जैसे स्वर्ग में तैर रही थी।

अब मुक्ता को एहसास हो रहा था कि वाकई सेक्स में चिपक कर सोने से कहीं ज़्यादा मज़ा है। हलाँकि उसे अंदाजा नहीं था कि ऋतु अभी उसके साथ और क्या -क्या करने वाली थी।

दूसरी तरफ़ ऋतु की भी चूत पूरी तरह से पानी में तर थी। अचानक ऋतु की चूत से निकली पानी की एक बूँद मुक्ता की टांग पर गिरी तो मुक्ता को विश्वास हो गया कि ऋतु का भी वही हाल हो रहा था जो कि उसका, बस मुक्ता का ये पहला एहसास था और ऋतु तो गिनती करना छोड़ चुकी थी।

किस करते करते ऋतु अपनी जीभ से मुक्ता के होंठों को खोलने के लिए ज़ोर लगाने लगी तो मुक्ता ने उसकी इस हरकत पर कुछ कहने के लिए अपने होंठ खोले ही थे कि ऋतु ने अपनी जीभ मुक्ता के मुंह में घुसा दी।

अब ऋतु मुक्ता के पूरे मुंह का जायजा ले रही थी। मुक्ता का आनंद अपने चरम पर पहुँचने लगा। इसका असर सीधा उसकी चूत पर पड़ा और उसकी चूत और ज़्यादा गीली होकर ज़ोर ज़ोर से फड़कने लगी।

थोड़ी देर ऐसा ही चलता रहा। फ़िर एकाएक ऋतु की जीभ मुक्ता की जीभ से टकराई और उस से खेलने लगी। मुक्ता पहले तो ज़रा हैरान हुई पर फ़िर वो भी उत्सुकता से अपनी जीभ को ऋतु की जीभ से रगड़ने लगी।

अब तो दोनों के मुंह से “म्मम्मम … म्मम्मम … म्मम्मम …” की आवाजें आने लगी। ये आवाजें धीरे -धीरे और तेज़ होने लगी।

थोड़ी देर ऐसा ही चलता रहा, फ़िर अचानक मुक्ता के शरीर में एक सरसर्राहट सी दौड़ गई और उसका अंग -अंग अकड़ने लगा। ऋतु उसका ये हाल देखकर समझ गई कि मुक्ता अब झड़ने वाली है। उसका अंदाजा सही था।

मुक्ता के मुंह से एक लम्बी सी “आः ” निकली और उसकी चूत से एकदम से काफ़ी ज्यादा पानी की फुहार निकली। उसके बाद तो एक के बाद एक कई फुहारें निकलती चली गई। मुक्ता की चूत से निकला ज्यादातर पानी ऋतु की चूत से टकराकर नीचे बहने लगा। ऋतु की चूत और जांघें मुक्ता की चूत से निकले जूस से नहा गई थी।

इस जूस की गर्माहट ऋतु भी ज्यादा देर तक सहन नहीं कर पायी और “आआह्ह्ह्ह्छ …. मुक्ता …. मैं भी बस्स ….. आआह्ह्छ …” कहते हुए वो भी झड़ गई। इस तरह मुक्ता की चूत से निकले पानी में नहाई हुई ऋतु की चूत एक बार फिरसे उसके ख़ुद के पानी से नहा गई।

हलाँकि ऋतु की चूत से निकला पानी मुक्ता की चूत से निकले पानी से काफी कम था।

आखिरकार दोनों निढाल होकर गिर गई। थोड़ी देर तक वो दोनों एक -दूसरे से चिपक कर लम्बी -लम्बी साँसे लेती रही।

कुछ देर के बाद दोनों सामान्य हुई तो ऋतु ने कहा – “तो कैसा रहा मैडम ?”

“कमीनी, इतने दिन से तेरे साथ नंगी सो रही हूँ और तू मुझे ये सब आज सिखा रही है?” मुक्ता की आंखों में वासना साफ़ दिखाई दे रही थी और उसकी आवाज़ भी कामुक लग रही थी।

ऋतु ने मुक्ता की चूत पर ऊँगली फिराई और मुक्ता ने उसे बिल्कुल नहीं रोका। फ़िर वो उसी ऊँगली को चूसते हुए बोली – “हर काम सही समय पर करने में ही मज़ा आता है। अगर मैंने पहले ही दिन तेरे साथ कोई ऐसी वैसी हरकत की होती तो तू दोबारा कभी नंगी सोती क्या?”

पर मुक्ता का ध्यान ऋतु की बात पर नहीं था, वो तो उसकी ऊँगली की और ही देखे जा रही थी। आखिरकार जब उस से नहीं रहा गया तो वो बोल उठी – “ये तू मेरी उस में से निकला हुआ पानी क्यूँ चाट रही है ? तुझे घिन्न नहीं आती क्या ?”

“तेरी किस में से?” ऋतु जानबूझकर अनजान बनते हुए बोली।

मुक्ता – “मेरी उस में से यार !” मुक्ता अपनी चूत की और इशारा करते हुए बोली।

“पहले तो मैं तुझे ये बता दूँ की इसे ‘चूत ’ कहते हैं, क्या कहते हैं ?” ऋतु ‘चूत ’ शब्द पर ज़ोर देते हुए बोली।

मुक्ता – “चूत। पर तुझे कैसे पता?”

ऋतु – “मेरा एक बॉय फ्रेंड था १२वीं में, कुशल। उसने बताया था कि सब लड़के इसे चूत ही कहते हैं .”

मुक्ता – “क्या ? १२वीं में तेरा बॉय फ्रेंड था?”

ऋतु – “इस में क्या बड़ी बात है ? मैंने तो १२वीं में ही अपनी सील भी तुड़वा ली थी।”

मुक्ता – “क्या तुड़वा ली थी?”

ऋतु – “सील। तुझे सील नहीं पता? कभी अपनी चूत में ऊँगली डालने की कोशिश की है?”

मुक्ता – “हाँ एक बार नहाते हुए … पर ज़्यादा अन्दर नहीं गई।”

ऋतु – “वो सील की वजह से अन्दर नहीं गई। जब लड़की पहली बार सेक्स करती है तब वो सील टूट जाती है।”

“पर मुझे नहीं लगता कि मेरी सील टूट गई है।” मुक्ता अपनी चूत में ऊँगली घुसाने की कोशिश करते हुए बोली।

ऋतु – “अरे मेरी जान, अभी कहाँ सेक्स हुआ है?”

मुक्ता – “तो वो सब??”

ऋतु – “वो तो बस मैं तुझे और खुद को गरम कर रही थी, मतलब सेक्स के लिए तैयार कर रही थी।”

मुक्ता – “ओह्ह … और ये तू मेरी चूत का पानी क्यूँ चाट रही थी?”

ऋतु – “क्यूंकि मुझे अच्छा लगता है। ये सब सेक्स का ही हिस्सा है। तू भी सीख जायेगी धीरे धीरे। चल अब टाइम ख़राब मत कर। अभी बहुत कुछ बाकी है। कल रविवार है इसलिए हम लेट भी उठ सकते हैं। फ़िर कभी इतना टाइम नहीं मिलेगा। दिखा ज़रा …” कहकर ऋतु ने मुक्ता के दोनों स्तन अपने हाथों में जकड़ लिए और उन्हें दबाने लगी।

मुक्ता को पहले तो थोड़ा दर्द हुआ पर साथ ही साथ अच्छा भी लगा इसलिए उसने ऋतु को रोका नहीं। मुक्ता के स्तनों को दबाते -दबाते उसने एक बार मुक्ता के चुचूक को अपनी उँगलियों के बीच में पकड़ा और ज़ोर से मसल दिया।

मुक्ता लगभग चीख उठी थी, पर तभी ऋतु ने अपने होंठ उसके होंठों पर रख दिए और उन्हें चूसने लगी। पर उसने मुक्ता के चुचूक को मसलना और उसके स्तनों को दबाना जारी रखा।

थोड़ी देर बाद मुक्ता को आदत सी पड़ गई और उसे अब सिर्फ़ मज़ा आ रहा था। मुक्ता के मुंह से कामुक सिस्कारियां निकलने लगी थी और उसकी चूत अन्दर से गीली होने लगी थी पर अबकी बार मुक्ता इस एहसास को अच्छे से समझती थी।

थोड़ी देर मुक्ता के स्तन दबाने के बाद ऋतु ने उसका एक चुचूक अपने मुंह में ले लिया और चूसने लगी, पर उसने दूसरे चुचूक को मसलना जारी रखा। मुक्ता की चूत अब और ज्यादा गीली होने लगी थी।

चूत तो ऋतु की भी सूखी नहीं थी, उसकी चूत भी भीगकर गरम हो गई थी। उसने और ज्यादा तेज़ी से मुक्ता के चुचूकों को बारी बारी से चूसना शुरू कर दिया। अब तो वो कभी कभी मुक्ता के चुचूक के आसपास का भूरा हिस्सा भी पूरा मुंह में भर लेती थी और कई बार तो इस से भी ज्यादा।

मुक्ता तेज़ी से कामुक सिस्कारियां ले रही थी और उसकी चूत से गरम -गरम पानी की बूँदें तापकने लगी थी।

अचानक ऋतु ने मुक्ता को पीठ के बल सीधा किया और ख़ुद उसके ऊपर आ गई। अब उसने मुक्ता के स्तनों को चूसना बंद कर दिया और उनपर हलके हलके किस करने लगी। पर इस से मुक्ता की साँसे और भी तेज़ होने लगी और उसकी चूत गरम होकर तेज़ी से फड़कने लगी थी।

अब ऋतु जरा ऊपर की ओर गई और मुक्ता के होंठों पर हल्के से किस किया। फ़िर वो ऐसे ही किस पे किस करते हुए धीरे धीरे नीचे की ओर आने लगी। पहले गर्दन पर, फ़िर दोनों चुचूकों पर, फ़िर दोनों स्तनों के बीच में, फ़िर नाभि में और फ़िर मुक्ता की चूत से जरा ऊपर ऋतु ने हल्की हल्की किस की। फ़िर ऋतु ने मुक्ता की चूत को ध्यान से देखा। एकदम सफ़ाचट गुलाबी गुलाबी चूत देख कर एक बार तो ऋतु को मुक्ता से ईर्ष्या होने लगी क्योंकि खुद उसकी चूत का रंग काला पड़ चुका था। मुक्ता की चूत से निकले पानी से भीगे होने के कारण उसकी चूत चमक रही थी।

फ़िर उसने मुक्ता की शिश्निका को देखा जो कि हल्के हल्के से फ़ड़फ़ड़ाने लगी थी। ऋतु ने मुक्ता की तांगों को अपने दोनों हाथों से पकड़ कर खोला और धीरे से उस पर झुकी तो उसकी गरम सांसें मुक्ता की शिश्निका से जा टकराई। इस से मुक्ता की चूत से पानी की २-४ बूंदें टपक गई और उसकी क्लिट और तेज़ी से फ़ड़कने लगी।

ऋतु ने अपनी जीभ के ऊपरी हिस्से को हल्के से मुक्ता की क्लिट पर छुआ दिया तो उसे भी पता लग गया कि उसकी क्लिट काफ़ी गर्म थी। ऋतु कि इस अचनक हरकत से मुक्ता एक बार तो उछल पड़ी और उसके गले से एक ज़ोर की सिसकी निकली। फ़िर ऋतु ने धीरे धीरे अपनी जीभ को मुक्ता कि क्लिट पर फ़िराना चालू किया तो मुक्ता ने भी अपने नितम्ब ऊपर उठा लिए।

उसका मन कर रहा था कि अपनी चूत को ऋतु के मुँह में घुसेड़ दे जिस से उसे कुछ राहत मिल सके। ऋतु भी मुक्ता की हालत को समझ गई और उसने मुक्ता की टांगों को थोड़ा और चौड़ा किया और उसकी क्लिट को अपने होंठों में दबा कर चूसने लगी।

मुक्ता तो जैसे आनन्द के महासागर में गोते लगा रही थी। उसके मुँह से “आह ह आऽऽह उह म्म्म आह्म्म…” की आवाज़ें आनी बंद ही नहीं हो रही थी ।

थोड़ी देर तक यही चलता रहा। फ़िर ऋतु ने अपनी जीभ को मुक्ता की चूत में लगा दिया और ज़ोर से अन्दर घुसाने का प्रयास करने लगी। उसकी जीभ थोड़ी सी ही अन्दर जा पाई।

ऋतु ने मुक्ता की टांगों को और चौड़ा किया और उसकी चूत को अपने दोनों हाथों की उँगलियों से थोड़ा और चौड़ा किया और फ़िर अपनी जीभ तेज़ी से अन्दर -बाहर करने लग।

मुक्ता को और भी मज़ा आने लगा और वो “आह्ह … अआछ … आःह्छ …” करने लगी। ऋतु ने पहले एक ऊँगली, फ़िर दो और फ़िर तीन उँगलियाँ अपनी चूत में घुसा ली और तेज़ी से अन्दर -बाहर करने लगी।

मुक्ता लगातार अपने नितम्ब उछाल रही थी। ऋतु ने स्पीड और तेज़ कर दी। बस अब मुक्ता के लिए और सह पाना नामुमकिन था। मुक्ता के मुंह से एक बार ज़ोर की “आया … आआआअह्ह्ह … आःह्ह्ह्छ ….” निकली और मुक्ता ने पूरा ज़ोर लगाकर अपने नितम्ब ऊपर उठा लिए। आखिरकार मुक्ता बड़ी ज़ोर से ऋतु के मुंह में झड़ी।

मुक्ता के पानी की फुहार से ऋतु का पूरा मुंह भर गया और उसका पूरा चेहरा भी गीला हो गया। ऋतु ने अपनी ऊँगली की स्पीड भी बढ़ा दी और कुछ ही सेकंड में वो भी झड़ गई।

उसने मुक्ता की ओर देखा तो उसका मुंह लाल हो चुका था और वो आँखें बंद करके लेटी हुई थी। ऐसा लग रहा था जैसे वो एक लम्बी रेस लगाकर आई हो। मुंह लाल होने के कारण मुक्ता और भी ज्यादा सेक्सी लग रही थी। वैसे भी मुक्ता का शरीर इतना नाज़ुक था कि अगर कोई उसका हाथ भी कसकर पकड़ लेता था तो वो लाल हो जाता था, फिर इतना कुछ करने के बाद मुंह तो लाल होना ही था।

थोड़ी देर तक मुक्ता और ऋतु यूँ ही लेटी रही। फ़िर मुक्ता ने ऋतु से पूछा – “क्या अब मेरी सील टूट गई है?”

ऋतु ने मुस्कुराते हुए कहा – “नहीं यार ! जब कोई लड़का अपना लण्ड तेरी चूत में घुसायेगा तभी वो सील टूटेगी।”

मुक्ता – “तो इसका मतलब तू …”

ऋतू – “हाँ ! मैं तो बहुत से लड़कों का लण्ड अपनी चूत मैं घुसवा चुकी हूँ।”

“और ये लंड क्या होता है?” मुक्ता ने भोली सी सूरत बनाकर पूछा तो ऋतु भी उसके भोलेपन पर मुस्कुराये बिना न रह सकी। कहाँ एक तरफ़ थी मुक्ता जिसने लण्ड देखना तो दूर उसका नाम भी पहली बार सुना था और कहाँ दूसरी तरफ़ थी ऋतु जो न जाने कितने लड़कों के तरह तरह के लण्ड अपनी चूत में ले चुकी थी, कई बार तो २-२ एक साथ।

आखिरकार ऋतु ने एक लम्बी साँस ली और बोली – “चलो मैडम, अब मैं आपको लण्ड का पाठ पढाती हूँ।” और फ़िर ऋतु ने मुक्ता को विस्तार से लण्ड के बारे में बताया .

उस दिन के बाद तो जैसे यह मस्तियाँ ऋतु और मुक्ता कि दिनचर्या का हिस्सा बन गई। अब तो मुक्ता को २-३ बार झड़े बिना नींद नहीं आती थी। दिन में मौका मिल जाता तो मुक्ता कभी खाली नहीं जाने देती थी।

ऋतु भी अब समझने लगी थी कि मुक्ता अब ज़्यादा दिन लण्ड के बिना नहीं रह सकती, इसलिए उसने मुक्ता को उनके क्लास के दोस्तों में से ही किसी लड़के को अपना बॉय फ्रेंड बनाने की सलाह दी। लेकिन मुक्ता के लिए अपने दोस्तों में से चुनाव करना इतना आसान नहीं था। हलाँकि मुक्ता के हुस्न के जलवे देखने के बाद कई लड़के उसे प्रोपोज कर चुके थे। पर उनपर विश्वास करना मुक्ता के लिए मुमकिन नहीं था। इसलिए मुक्ता अनजान लड़कों को हमेशा मना कर दिया करती थी चाहे कोई कितना भी स्मार्ट क्यूँ न लगे। उसे कैसे पता चलता कि कौन सा लड़का उसकी इच्छाओं को सही तरह समझ पायेगा और कॉलेज में उसकी छवि ख़राब नहीं करेगा !

आख़िर में इस समस्या का हल भी ऋतु ने ही निकाला।

शेष अगली बार …

दोस्तों , आप अपनी प्रतिक्रिया मुझे ज़रूर भेजें।

इससे मुझे कहानी के अगले भाग को और अच्छा लिखने में बहुत मदद मिलेगी।

कहानी का अगला भाग ज़ल्द ही लिखूंगा।

तब तक के लिए गुड बाय !

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साली रंडी सब माल मुह में डाल गयी

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दोस्तों यह सनी डिकलवर फिर से आप सबके सामने हाजिर है। लोग मुझे मेल पर मेल कर पूछ रहे हैं कि अगली चुदाई किस से की, लेटेस्ट किसका लौड़ा घुसवाया? सो दोस्तो, सबका इंतज़ार ख़त्म कर रहा हूँ !

इसी होली वाले दिन मैं घर से निकला, अपनी बाईक ली और चल पड़ा होली खेलने बैकवर्ड क्लास वाले लोगों की कालोनी में !

वहां पहुँच बाईक लगाई एक तरफ़ और एक चालीस साल के करीब के एक बंदे के पास जा खड़ा हुआ। उसने भांग पी हुई थी। उस वक़्त मेरे चेहरे पर रंग नहीं लगा था, मैंने जेब से रंग का पैकट निकाल कर खोला और उसके पास जा कर उस पर रंग डाल दिया और होली मुबारक कहा !

उसने पास पड़ी पानी की बाल्टी मेरे ऊपर पलट दी और मेरे कपड़े मेरे जिस्म से चिपक गए। उसकी नज़र मेरे चूचों पर चली गई। वो हैरान सा हुआ- इतनी कोमल वो भी लड़की जैसी ?

फिर उसकी नजर मेरी गांड पर गई- गोलमोल सी गांड !

ऊपर से उसने भांग पी रखी थी। मेरा निशाना सही लगा, वो मेरी तरफ आया, वो रंग लगाने के बहाने मेरा मुआयना करने आया था।

मुझे मालूम था ! उसने पहले मेरे चेहरे पर रंग लगाया और फिर जानबूझ कर मेरी गांड दबा दी। मैंने कुछ नहीं कहा।

होली मुबारक ! होली मुबारक ! कर रंग लगाते हुए उसने जफ्फी डाल हाथ डाल गांड पर रंग लगाने के बहाने लोअर के अन्दर हाथ ले जा कर मेरी गांड दबाई।

विरोध के बजाये मेरे मुँह से हल्की सी सिसकी निकली लड़की जैसी !

उसने भाम्प लिया कि मैं जहाज हूँ, गांडू हूँ, बोला- चल मेरे साथ पास में क्वाटर में रहता हूँ। वहाँ से रंग लेकर आते हैं !

मैं जान गया कि मेरा काम बन गया।

वो मुझे अपनी एक झुग्गी में लेकर गया। वहाँ सच में रंग पड़ा भी हुआ था। उसने पहले मुझे रंग लगाया, फिर दुबारा मेरे ऊपर पानी डाल दिया और बोला- यार तेरे चूचे मस्त हैं !

मैंने हंस कर कहा- अच्छा जी ?

बोला- सच्ची ! और गांड भी ! यार बस एक बार दबाने दे ! सिर्फ ५ मिनट !

मैं उसकी तरफ गया- क्या करोगे दबा कर इनको ?

बोला- बस यार, मुझे कुछ कुछ होता जा रहा है, एक बार, सिर्फ एक बार अपनी टी-शर्ट उतार और लोअर भी, बस तेरी गांड, तेरे मम्मे देखने हैं !

मैंने सोचा कि इन्टरनेट पर तो आराम से वेबकैम पर उतार के दिखाता हूँ क्यूँ ना इसकी मुराद पूरी कर दूँ, लेकिन मैंने जानबूझ कर नखरा दिखाया- छोड़ यार ! चल होली खेलने जाते हैं !

बहनचोद ! गांडू ! कमीने, भाव खाता है ? तुझे देख कर ही जांच लिया था कि तू गांडू है ! ऊपर से तेरे लड़की जैसे मम्मे और गांड देख यकीन हो गया था ! बस पहल नहीं कर पा रहा था।

चल यार, पहले बाहर जाकर होली खेल लें, फिर दिखा दूंगा !

बोला- चल ठीक है !

मुझे लेकर वो अपने दोस्त के घर गया। वहाँ उसको रंग लगाया। वो दारु की बोतल लेकर आया, तीन पेग बनाये। मैंने मना किया, वो बोले- होली है ! दोस्त एक लगा ले ! आप यह कहानी अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं।

हम वहाँ बीस मिनट रुके और तीन पेग पी लिए। मुझे नशा होने लगा क्यूँकि मैं कभी-कभी ही पीता हूँ। एक बार तो मुझे लगा कि वो अपने दोस्त के घर ही मेरी गांड, मम्मे दबायेगा लेकिन उसने वहाँ कुछ किया ही नहीं, बस वो मुझे पिलाने लाया था ताकि मैं उसकी इच्छा पूरी कर दूँ।

चल चलते हैं !

उसके साथ उसके घर गया, वहाँ अभी तक कोई नहीं आया था। उसने कहा- चल बैठ ! मैं आया !

उसने अपना पजामा खोला, मेरे सामने ही शर्ट उतारी, किल्ली पर टांग दी। उसका कच्छा उभरा हुआ था। उसे देख मुझे कुछ होने लगा और मेरी नज़र बार बार उसके लौड़े पर जा रही थी। मैं उठा और पहले लोअर उतारा, मैं फ्रेंची पहनता हूँ जिससे गाण्ड का चीरा दिखे, उसकी नज़र मेरी गाण्ड पर टिक गई। मैंने अपनी टी-शर्ट भी उतार दी। मेरे मम्मे देख वो पागल सा होने लगा- तुझे लड़की होना चाहिए था मेरे गांडू ! साले !

मैं आगे बढ़ा और अपनी बाहें उसके गले में डाल दी।

उह यार चिकने !

मैं उसकी मर्दानी छाती पर उसके बालों में हाथ फेरने लगा, वो मेरी गांड दबाने में लगा था साथ में मेरा चुचूक मुँह में लेकर चूस रहा था।अह ! मुझे भी मस्ती चढ़ने लगी, छाने लगी, रुका न गया तो हाथ उसके कच्छे में घुसा दिया।

क्या लौड़ा था दोस्तो ! साढ़े आठ इंच के करीब लंबा और काफी मोटा था !

मेरी गांड पानी छोड़ने लगी, बिना समय गंवाये मैं घुटनों के बल गिर गया और एक पल में पूरा लौड़ा, जो आधा सा सोया हुआ था, मुँह में ले लिया। वो हैरान रह गया, बेचारे का अब तक किसी ने चूसा नहीं था, बोला- हम जैसे गरीब लोगों का कौन चूसता है ?

उसका काला लौड़ा मेरे गुलाबी होंठों में कितना आकर्षक लग रहा था। वो मेरे बालों में हाथ फेरता रहा और मैं मुठ मार मार कर चूसता जा रहा था। जब लौड़ा पूरा खड़ा हो गया तो चूसना मुश्किल होता जा रहा था, मुश्किल से उसका टोपा ही चूसा जा रहा था। मैं लम्बी जुबान निकाल उसका चाटने लगा।

वो बोला- मैं छूटने वाला हूँ ! मुँह में निकाल दूँ?

नहीं !

मैं मुँह से निकाल तेज़ तेज़ उसकी मुठ मरने लगा और उसकी पिचकारी अपने चेहरे पर डलवा ली, कुछ अपने मम्मों पर ! उसके लौड़े से मैं उसके माल से चेहरे की मालिश करने लगा, थोड़ा बहुत चाट कर उसका लौड़ा साफ़ कर दिया।

वो बोला- कभी चुसवाया नहीं था इसलिए जल्दी छूट गया !

उसने मुझे कस कर अपने जिस्म से चिपका लिया।

कोई बात नहीं ! खड़ा करना आता है मुझे !

कुछ पल हम वैसे ही लेटे रहे, वो मेरे चुचूक चुटकी से मसलने लगा। मैं पहले ही गर्म था, दोस्तो क्या मजा आ रहा था ?

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अब तो आदत से मजबूर हें

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हेलो, बुड्डो का और लडको का लंड पकड़ के हाथ सेपानी निकालना ये सब अब मेरी आदत बन गयी थी. हमारी शादी हुए अभी २ साल ही हुए थे, कि सेक्स ने चुदाई ने हमें घेर लिया था. एक दिन पति बोला, कि कोई जवान तुझे ठोकेगा? तो मैं हंस कर बोली – अगर मैं उसके साथ भाग जाऊ तो? फिर हम दोनों ही हंसने लगे. पति बोले – एक काम कर, किसी बुद्दे को पकड़ ले. मैं बोली – पकड़ने के लिए तो मैं तैयार हु, लेकिन पकडू किसको? इसी तरह हम रोज़ गन्दी बातें करते और एक दिन हम पिक्चर देखने गये थे. अभी पिक्चर शुरू होने में टाइम था. हॉल खाली था और हम कोका – कोला पी रहे थे. एक ६५ साल के आसपास का आदमी कभी मुझे और कभी पिक्चर के पोस्टर को देख रहा था. वो धोती में था. उसे पिक्चर जाना नहीं था, पर ऐसे ही देख रहा था शायद. छोटा – मोटा बिज़नसमेन लग रहा था देखने में. मेरे पति भी उसको देख रहे थे. वो अचानक मुझ से बोले – इसको पकड़ेगी? मैं चुप रही. इतने में, मेरे पति ने उन्हें आवाज़ दी और वो बोले – अंकल पिक्चर देखना है. मेरे पास पास एक्स्ट्रा है. वो ना ना करने लगे.

पति बोले – पैसे देने की जरूरत नहीं है. आखिर में वो तैयार हो गये. हम तीनो अन्दर अगये और मैं बीच में अंकल साइड में और पति दूसरी साइड में बैठ गए. पति ने मुझे बोला, पर मेरी हिम्मत नहीं हो रही थी. अंकल भी मुझे टच नहीं कर रहे थे. मैंने एक दो बार आहिस्ते से धक्का मारा था. इंटरवल में मेरे पति बे बोला – पकड़ो ना उसका लंड. मुठ मारो ना उस की. निकालो उसके लंड को बाहर. आखिर इंटरवल के बाद, मैंने उन्हें आहिस्ते – आहिस्ते छुना शुरू किया और फिर मैंने उनकी जांघो पर हाथ रख दिया और धोती के ऊपर आहिस्ते – आहिस्ते हाथ घुमाने लगी. अब उन्होंने एक ऊँगली मेरे बदन को टच की और मैं धीरे – धीरे उनके लंड की तरफ हाथ बढ़ाने लगी. और एक – दो बार लंड को टच भी कर दिया. तो अब उन्होंने भी अपनी दो उंगलिया मेरे बदन को टच कर दी. आखिर में, मैंने हिम्मत करके उनकी धोती के ऊपर से अपना हाथ उनके लंड पर रख दिया. उनका लंड टाइट होने लगा था. मैंने उनके लंड को पकड़ लिया और उसको दबाने लगी. अब वो मेरे बूब्स को उंगलियों से टच करने लगे थे और मैं उनकी तरफ खिसक गयी और उनकी धोती में हाथ डाल कर उनके लंड को बाहर निकालने लगी. फिर मैंने खीच कर उनके लंड को उनकी धोती से बाहर निकाल लिया.

तो उन्होंने भी अपने पंजो से मेरा बूब्स दबा दिया. तो अपने दुसरे हाथ से उनके हाथ को पकड़ लिया और अपने ब्लाउज में डाल दिया. अब वो मेरे दोनों बूब्स को धीरे – धीरे दबाने लगे. मैंने अब उनका मुठ मारना शुरू कर दिया था. फिर मैंने उनका दूसरा हाथ पकड़ा और साड़ी में डाला. तो वो साड़ी को ऊपर उठाने लगे. तो मैंने अपने हाथ से ही साड़ी को ऊपर उठा दिया. मेरी गोरी – गोरी जांघे पिक्चर की लाइट में चमकने लगी. मैंने उनका हाथ पकड़ कर अपने अंडरवियर में डाल दिया और अब मैं ऊँगली डालने लगी. एक हाथ से बूब्स को दबाने लगी. मैं अपना हाथ बदल – बदल कर उनके लंड का मुठ्ठी मार रही थी. मैंने पति नींद का बहाना करके सब देख रहे थे. बुड्डा बार – बार मेरा हाथ लैंड पर से निकालता. मैंने फिर से पकड़ लेती थी.. अब ऊओं ओओओं अओअऊअ अहहहः करने लगा था वो.. और अपनी गांड को भी हिलाने लगा था… मैं समझ गयी, कि अब इसका काम होने वाला है. उसका लंड उसका माल निकालने वाला था. अब उसने अपनी दो उंगलिया मेरी चूत में डाल दी और उसको हिलाने लगा. वो मेरे बूब्स को जोर – जोर से दबा रहा था हाहाह अहः अहः अहहाह अहः फ्क्फक्फ्कफ्क्फ़ करने लगा था. मैंने स्पीड तेज कर दी और उन्होंने पिचकारी मारी और मैंने सारा माल अपने ऊपर हथेली में ले लिया और माल से ही उसके लंड को धोने लगी.

बहुत माल निकल रहा था और पच – पच – पच – पच की आवाज़े आने लगी थी. वो मेरा हाथ रोकने लगे. तब भी मैं उनका मुठ मारे जा रही थी. उन्होंने मेरा हाथ हटा दिया और मैं आह्सिते से उनको बोला – चाचा आप खुश तो है ना? मैंने अपने रुमाल से अपना हाथ साफ़ किया और सारी पिक्चर में हम बहुत खुश थे. ये हमारा पहला ऑपरेशन था. हम रात भर उस बुद्दे के बारे में ही बातें करते रहे. जिन्दगी में पहली उसे एसा मज़ा मिला होगा. अब हमने प्लान बनाया, कि किसी लड़के को फसाते है. हमने सोचा, की नून का शो लेंगे इस बार.. उस में कॉलेज के लड़के आते है. ३ बार जाने के बाद, हमे एक १८ – १९ साल का लड़का दिखा. वो हाफ पेंट में था और पोस्टर को देख रहा था. मेरे पति ने पूछा, एक्स्ट्रा चाहिए क्या? वो ना ना करने लगा. फिर फाइनली तैयार हो गया. अब मैं भी इस काम में एक्सपर्ट हो गयी थी. मैं आहिस्ते – आहिस्ते लोगो को फ़साने लगी. गरमी बहुत है.. ऐसा दिखा कर साड़ी जांघो के ऊपर उठाई. वो मेरे चमकती हुई जांघो को देख रहा था.. कभी – कभी मैं अन्दर हाथ डाल कर खुजली करने के बहाने से उसे कोहनी मार देती.

एक दो बार उसकी जांघो पर हाथ भी रखा. इंटरवल हुआ, पति गये तो मैं उसे बोला.. कितनी गरमी है ना.. अच्छा है तुमने हलग पेंट पहना हुआ है. वो चुप था. मैं बोली – पिक्चर अच्छी है ना? वो तब भी चुप था. मैंने उसको देखा और बोली – क्या हुआ? डरो मत और हाथ से उसकी जांघे दबाने लगी. इतने में अँधेरा हो गया और मेरे पति भी आ गये. वो सोने की एक्टिंग करने लगे. मैं ने उसका हाथ पकड़ कर अपने ब्लाउज में डाल दिया और फिर मैंने उसकी चड्डी में हाथ डाला और आहिस्ते – आहिस्ते अन्दर देने लगी. फिर मैंने एकदम से उसके लंड को पकड़ लिया. लंड टाइट था और मैंने उसके लंड को दबाना शुरू कर दिया. फिर मैंने उसका एक हाथ पकड़ कर अपनी ब्लाउज में डाल लिया और उसके काम में धीरे से बोला – दबाओ ना.. डरो मत.. दबाओ तुम मस्त होकर.. उसकी थोड़ी सी हिम्मत बड़ी और वो अब मेरे बूब्स को दबाने लगा था. मैंने उसकी चड्डी के सारे बटन खोल दिए और उसका मुठ मारने लगी और उसके कान में बोलने लगी.. बहुत अच्छा है रे तेरा लंड तो.. चोदेगा मुझे? वो चुप चाप था. मैंने मेरी साड़ी ऊपर उठाई और उसे बोली – मेरे पति सो रहे है. तू मेरी चूत में अपनी ऊँगली डाल और मैंने उसके एक हाथ को पकड़ लिया और अपने अंडरवियर में डाल दिया. वो मेरी चूत को सहलाने लगा.

और मैं जोर – जोर से उसका मुठ मारने लगी. मैं हहहः अहहाह हूऊ हूऊ होऊ उफुफुफुफ़ फुफुफु करने लगी. मैं हाथ बदल – बदल कर धका – धका – धका – धका मुठ मारने लगी. अब वो भी श्शश्ह्श्श औऔऔऔ औऔऔउ करने लगा था. वो बोलने लगा, प्लीज और फ़ास्ट करो… और फ़ास्ट… मैं समझ गयी, कि अब इसका निकलने वाला है. फिर मैंने उसको अपने सामने खड़ा कर दिया और उसका लंड मुह में ले लिया. पीछे कोई देख नहीं सकता था. क्योंकी हम लोगो ने लास्ट की सीट ली हुई थी. सिर्फ मेरे पति थे और वो सोने की एक्टिंग कर रहे थे. मैं दबा – दबा कर उसका नमकीन लंड चूसने लगी. अब वो भी ढुकने लगा मेरे मुह से लंड निकाल कर मैंने उस से आहिस्ता से पूछा, कि अच्छा लग रहा है क्या? वो हाँ – हाँ करने लगा और मैंने उस से फिर से उसका मुह अपने मुह में रख लिया और मुझे हाथ लगाने लगा. फिर उस ने एक झटके से जोरदार पिचकारी मार दी. फिर मैंने उसका सारा का सारा माल पी लिया. मैं बहुत खुश थी और वो अब अपना लंड खीचने लगा. लेकिन तब भी मैं उसके लंड को चूस रही थी. और मैंने उसके लंड को चुसना नहीं छोड़ा.. तो तरह हमने एक नया मज़ा लुटा और रात भर उसी के बारे में बातें करते रहे और मेरे पति ने मुझे मस्त चोदा.

इसी तरह हम कभी – कभी मज़ा लुटने लगे और आया नवरात्री का दिन. मेरे पति ने मुझे बहुत ही सेक्सी सी घाघरा – चोली मुझे गिफ्ट में दी. उस ड्रेस में मुझे देखा बहुत से लौड़े खड़े हो गये थे और मेरी हर एक लौड़े को मज़ा देने की इच्छा थी. मैं जब भी गरभा करती, तो सब मुझे ही देखते रह जाते. नवरात्रि ख़तम होने से पहले की बात है. मेरे पति बोले, अब सिर्फ दो दिन ही बचे है.. किसी को पटा ना. मैं तैयार थी. आखिर हमने एक धोती वाले चाचा को देखा. जो मुझे रोजाना ही घूरता था. वो करीब ७० साल का होगा. मैं उस दिन गरभा होने के बाद, अपने पति को बोली – मैं थक गयी हु और अब तुम ही खेलो. मैं चाचा के सामने जाकर खड़ी हो गयी थी. भीड़ बहुत ज्यादा बड गयी थी और मैं धीरे – धीरे सबको आगे करते हुए चाचा की तरफ पीछे बड़ने लगी थी. अब मैं चाचा के बिलकुल पास में ही थी और चाचा ने भी हिम्मत करके मुझ को टच करना शुरू कर दिया था. मैं चुप थी और उसका लंड मेरी गांड पर टच होने लगा था. इतने में मेरे पति ने मुझको आवाज़ दी.. आगे आओ ना… पीछे क्यों खड़ी हो? मैं जोर से बोली – तुम खेलो.. मैं देख रही हु.. मैं यहीं ठीक हु.. अब चाचा समझ गये, कि मैं एकदम तैयार हु और उनको अच्छा लगा.

उनकी हिम्मत अब बड़ने लगी थी और वो मेरे चुतड पर अपने लंड को रगड़ने लगे. भीड़ बहुत बड गयी थी. हम दोनों एकदम पीछे हो गये थे. अब वो क्या करता है, किसी को दिखाई नहीं दे रहा था. वो मेरी गांड पर अपने लंड को धीरे – धीरे घिस रहा था. मैंने पति गरभा – गरभा करते हुए मुझे बुलाने आ गये और बोले – चलना है क्या? मैं चिल्ला कर बोली, तुम खेलो ना. थोड़ी देर बाद चलेंगे. पीछे वाला चाचा अब सब कुछ समझ चूका था. वो समझ रहा था, कि मुझे उसका लंड को मेरे चुतड पर रगड़ना अच्छा लगा रहा था. अब वो घाघरे के ऊपर से हाथ फेर रहा था और अपना लंड रगड़ रहा था. मैं उसका पूरी तरह से साथ दे रही थी. वो समझ गया और मेरा घाघरा ऊपर उठाने लगा. मैं चुप रही. उसने मेरा घाघरा ऊपर उठाया और मैंने उस जान बुझ कर अंडरवियर नहीं पहनी हुई थी. वो मेरी गांड पर अपना हाथ घुमा रहा था और गांड के नीचे से हाथ डालके चूत में ऊँगली डालने लगा. मैं अब पूरी तरह से गरम हो चुकी थी और अब वो लंड गांड और चूत में डालने की कोशिश करने लगा था. मैं भीड़ होने बावजूद थोड़ी झुकी और तब भी लंड चूत में जाना पॉसिबल नहीं था. तब वो गांड में धोकने लगा. मैं भी अपनी गांड को फुलाने लगी थी.

वो धक्के मारने लगा था और मैं थोड़ी – थोड़ी हिलाती और गांड में लंड लेने की कोशिश कर रही थी. अब चाचा मुझे दबा कर गांड में लंड डालने की कोशिश करने लगा था. ऐसे लगा, जैसे थोड़ा सा लंड गांड में गया. इतने में उसने पिचकारी मारी और मैंने पीछे हाथ करके घाघरा पकड़ा. इतने में उसने दूसरी पिचकारी निकाली. मेरी गांड पूरी चिकनाहट से भर गयी. इतने में उसने चिर्र्रर्र्र चिर्र्र्रर चिर्र्रर्र्र करके अपने माल से मेरी गांड को भर दिया. उसका माल बहुत सारा था और बहुत गरम था. मेरे मुह से अहहाह अहहाह अहहहा ऊओहोहोह करके सिस्कारिया निकल गयी. मैंने पीछे से हाथ करके उसके लंड को अपनी मुठ्ठी में बंद कर दिया और बोली – चाचा खुश हो ना आप? वो देखता रहा और मैं वहां से भाग गयी. घर आकर हम रात भर उसके बारे में ही बातें करते रहे. मेरा पति बोले, तूने बहुत अच्छा किया, जो एक सत्तर साल के बुद्दे के साथ मज़ा किया. वरना इतनी उम्र का आदमी हमने मिलने वाला नहीं था. तो दोस्तों, ये थी मेरे और मेरे पति की फेंटेसी की कहानी. हम अभी भी ये एक्सपेरिमेंट करते है और मज़ा लेते है. प्लीज इस स्टोरी को पढ़ने के बाद, हम लोगो को अपने कमेंट जरुर बताना और कमेंट जरुर देना…

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गलती सुधारना चाहता था दूसरी हो गयी

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हैल्लो दोस्तों… में सेक्सी कहानियो का पिछले 5 सालों से बहुत बड़ा फेन हूँ और मुझे इसकी सभी कहानियाँ बहुत अच्छी लगती है. मेरा नाम केशव है और में गुजरात का रहने वाला हूँ और यह कहानी तब की है जब मेरे 12वी क्लास के पेपर चल रहे थे. दोस्तों यह कहानी थोड़ी लंबी है और यह मेरी यहाँ पर पहली कहानी है.

दोस्तों मेरे परिवार में हम चार लोग है.. माँ, पापा, में और मेरी प्यारी बहिन गुड़िया.. वैसे उसका नाम सुमैया है और प्यार से हम सब उसको सूमी बुलाते है. वो मुझसे उम्र में 2 साल छोटी है. जब हमारे बीच सेक्स हुआ तब उसकी वो नयी नयी जवानी थी और वो गजब सेक्सी लगने लगी थी. उसके धीरे-धीरे छोटे-छोटे बूब्स निकल रहे थे और गांड भी आकार लेती जा रही थी. मेरी गुड़िया थोड़ी मॉडर्न टाईप की लड़की है और वो बहुत ही सेक्सी कपड़े पहनती है. हम दोनों में बहुत ही अच्छा फ्रेंड्ली रिलेशन था और हम ज्यादातर सभी बातें एक दूसरे से करते थे. दोस्तों अब में आपका ज्यादा टाईम खराब ना करते हुए अपनी कहानी पर आता हूँ.

में और गुड़िया एक दूसरे से बहुत खुलकर बातें करते थे और एक दूसरे के साथ बहुत मस्ती करते थे. एक साथ में बैठकर टी.वी देखते और कभी-कभी तो एक साथ में सो भी जाते थे और उस वक्त ऐसा कुछ भी मेरे और उसके दिमाग़ में नहीं था. हम दोनों बस भाई बहिन की तरह व्यवहार करते थे. एक दूसरे को देखते और ऐसे ही रहते थे और हमारे बीच बहुत प्यार था. यह बात एक दिन की है जब माँ पापा नीचे के रूम में थे.. में और गुड़िया मेरे कमरे में मस्ती कर रहे थे और मस्ती करते-करते उसने मुझे गाल पर एक ज़ोर से थप्पड़ मार दिया और मुझे बहुत ज़ोर से लगा तो में उस पर बहुत गुस्सा हो गया.. उस समय हम दोनों बेड पर आमने-सामने बैठे थे और फिर गुस्से में मैंने उसे एक ज़ोर से धक्का मार दिया और बेड पर लेटा दिया और उसके ऊपर चड़ गया.

तभी इसी दौरान मेरे दोनों हाथ उसके छोटे छोटे बूब्स पर आ गये और मेरे हाथ से थोड़े बहुत दब भी गये.. लेकिन में बहुत गुस्से में था और मुझे कुछ भी पता नहीं चला. फिर उसने मुझे 2-3 बार ज़ोर से धक्का दिया.. लेकिन में उसके ऊपर से नहीं हटा और उसे और भी ज़ोर से दबाने लगा और कहने लगा कि बता.. क्या अब फिर करेगी सूमी की बच्ची? मुझे बिल्कुल भी पता नहीं चला कि मेरे दोनों हाथ उसके एकदम मुलायम गोल-गोल बूब्स को बहुत ही बेरहमी से दबा रहे थे. तभी उसने मेरा विरोध करना बंद कर दिया और अपना सारा शरीर ढीला छोड़ दिया और मुझसे हार मान ली. तो मेरा गुस्सा भी थोड़ा शांत हुआ और में उसके ऊपर से उठने ही वाला था कि मुझे महसूस हुआ… कि उसके दोनों बूब्स मेरे हाथ में है और वो बुरी तरह से दब गये है. तो मैंने उसकी तरफ देखा.. लेकिन वो मुझसे नज़रे चुरा रही थी और शरमा गयी.

फिर मुझे यह सब देखकर बहुत बुरा लगा. क्योंकि मैंने अपनी बहिन के बारे में कभी ऐसा नहीं सोचा था. यह सब एक घटना थी जो हमारे साथ घटित हुई.. अब में भी शर्म के मारे उसके ऊपर से हट गया. अब मुझमें उससे सॉरी कहने की हिम्मत भी नहीं थी.. वो वहाँ से एकदम उठकर अपने कमरे में भाग गयी और उसके जाने के बाद वो पूरी घटना मेरे दिमाग़ में घूमने लगी और मुझे बहुत पछतावा हुआ और उसी बात को सोचकर.. कब मेरी आँख लग गयी मुझे पता ही नहीं चला. फिर दूसरे दिन जब सुबह में उठा और नाश्ते के लिए नीचे गया तो मैंने देखा कि वो भी मेरी माँ के साथ किचन के काम में लगी हुई थी.. मेरा चेहरा लाल हो गया था और मुझमें बिल्कुल भी हिम्मत नहीं थी कि में उसके सामने उससे नजरें मिलाकर देख सकूँ और मुझे उसे सॉरी बोलना था.. लेकिन में हिम्मत नहीं कर पाया. फिर 2-3 दिन ऐसे ही गुज़र गये और सब कुछ पहले जैसा होने लगा.. लेकिन अब भी वो मेरे साथ खुलकर पहले जैसे बातें नहीं करती थी और मुझसे दूर-दूर रहती थी और वो भी मुझसे आखें नहीं मिला पा रही थी और मुझे भी बहुत बुरा लगता था और मुझे घर में उसके बिना बिल्कुल भी अच्छा नहीं लगता था और में पूरे दिन उदास रहने लगा.

फिर ऐसे ही थोड़े दिन गुजर गये.. लेकिन हमारे बीच की वो बात ख़त्म नहीं हुई. में हर रोज सुबह उठकर सोचता कि आज गुड़िया मुझसे खुलकर बात करेगी.. लेकिन वो मुझसे कम ही बात करती और बाकी टाईम मुझे अनदेखा करती. तभी थोड़े दिन बाद में अपने कमरे में सोया हुआ था.. तभी मेरी माँ बहुत घबराई हुई मेरे कमरे में आई और मुझे नींद से जगाया और कहने लगी कि नाना जी बहुत बीमार है और हमे तुरंत वहाँ पर जाना होगा.. वो और मेरे पापा अभी सीधे हॉस्पिटल जा रहे है और अगर वो ज़्यादा गंभीर होंगे तो मुझे फोन करेंगे और तुम गुड़िया को लेकर आ जाना.. इतना कहकर वो चले गए. फिर में नाश्ता करने के लिए नीचे गया तो गुड़िया वहीं पर थी. उसने मेरे सामने टेबल पर सब रख दिया और वहाँ से चली गयी और फिर में भी नाश्ता करके अपने रूम में चला गया और टी.वी देखने लगा. मेरी छुट्टियाँ चल रही थी तो स्कूल तो मुझे जाना ही नहीं था और में करीब दोपहर के दो बजे तक अपने रूम में ही बैठा रहा और फिर में खाने के लिए उठने ही वाला था कि गुड़िया खुद मेरे कमरे में आ गयी.

तभी एक पल के लिए मुझे बहुत अच्छा लगा और में उसे देखता रहा.. लेकिन वो अभी भी मुझसे थोड़ी रूठी थी और में भी बेड पर ही बैठा रहा. तभी थोड़ी देर वो वहीं पर खड़ी रही.. फिर मेरे करीब आई और मुझसे पूछने लगी कि आप मुझसे बात क्यों नहीं करते हो? तो मैंने उसकी आखों में आखें डालकर देखा और बोला कि बात तो तुम नहीं करती और कितने दिन से तुम मुझे अनदेखा कर रही हो.. मुझे तुम्हारे बिना बिल्कुल भी अच्छा नहीं लगता और कितने दिनों से में हर रोज यही सोचता हूँ कि तुम कब मुझसे बात करोगी? और यह सब बातें करते हुए मेरी आखों में पानी आ गया और में बिल्कुल रोने जैसा हो गया.. मेरी आवाज़ भी बदल चुकी थी और उसने भी यह सब महसूस किया. तो वो एकदम से मेरे करीब आ गयी और मुझे गले लगा लिया.. मुझसे भी रहा नहीं गया और मैंने भी उसे गले लगा लिया और फिर में उससे बोलने लगा कि सॉरी गुड़िया.. मैंने जो कुछ भी किया वो जानबूझ कर नहीं किया.. मुझे सच में नहीं पता था कि मेरे हाथ वहाँ पर है और मुझे तुम्हारे साथ ऐसा नहीं करना चाहिये था.

तो वो भी उदास हो गयी और रोने लगी.. लेकिन इस बीच मैंने उसे ज़ोर से कसकर पकड़ लिया. उसने भी मुझे कसकर पकड़ रखा था और उसके बूब्स मेरी छाती से दब रहे थे और में उसकी कमर को सहला रहा था और मेरी गरम-गरम साँसे उसकी गर्दन पर लग रही थी और अब वो भी मुझे छोड़ने के इरादे में नहीं थी तो में भी उसमे ही खो गया.. लेकिन मुझे बिल्कुल भी पता नहीं वो क्या था? मेरी भावना, मेरा उसके प्रति प्यार या फिर मेरी सेक्स की भावना? में पहली बार किसी लड़की को इतने ज़ोर से गले लगा रहा था और में बिल्कुल भी होश में नहीं था. मेरी आखों में नमी थी और मुझे पता नहीं कुछ बड़बड़ा रहा था और फिर में उसके शरीर की गर्माहट में इतना खो गया कि सब कुछ भूलकर मैंने अपने होंठो को उसकी गर्दन पर उसके दोनों कान के नीचे रख दिए और उसे किस करने लगा..

लेकिन मुझे पता नहीं था कि में क्या कर रहा हूँ? और क्यों कर रहा हूँ? और इसके आगे क्या होगा? वो कुछ भी मेरे दिमाग़ में नहीं आया. दोस्तों बस यह समझो.. थोड़ी देर के लिए में कोमा में चला गया था और फिर मैंने जैसे ही उसे गर्दन पर छुआ तो वो एकदम शरमा सी गयी थी.. लेकिन कुछ भी नहीं बोली. फिर उसने अपने दोनों हाथ मेरी गर्दन से हटाकर मेरी पीठ पर रख दिए थे. जैसे जैसे में उसे किस करता जा रहा था.. वैसे-वैसे वो भी मेरी कमर को सहला रही थी. फिर में उसकी दूध जैसी गोरी गर्दन को चूमता गया और उसके जिस्म के नशे में डूबता ही चला गया. अब वो और ज़ोर से मेरी कमर को सहला रही थी.. मुझे और ज़ोर से अपनी और दबा रही थी. उसके दोनों बूब्स मेरी छाती पर एकदम चिपक गये थे और में उसके पूरे बदन की गर्माहट महसूस करने लगा था.

फिर मेरे होंठ धीरे-धीरे उसकी गर्दन से नीचे आ रहे थे और यह सब कुछ अपने आप ही हो रहा था.. में अब उसके आगे के हिस्से को चूम रहा था और अब उसने अपना शरीर ढीला छोड़ दिया था और वो अब बेड पर लेटना चाहती थी. मैंने उसे थोड़ा सा झुकाया और लेटा दिया. में फिर से उसको किस करने लगा था और मुझे पता नहीं कितनी देर तक में उसे ऐसे ही किस करता रहा.. वो धीरे-धीरे उम्म्म उह्ह्ह अहह की आवाज़े निकालती रही और अब मेरा लंड पूरा तन गया था और उसकी प्यारी सी चूत के आस-पास कहीं पर छू रहा था. तभी में जोश में आ गया और दोनों हाथों से उसके बूब्स को सहलाने लगा. मेरी गुड़िया के बूब्स एकदम नाज़ुक और बहुत ही मुलायम थे.. लेकिन ज़्यादा बड़े नहीं थे. पहले तो में बड़े प्यार से सहला रहा था लेकिन धीरे-धीरे मेरे हाथ ज़ोर ज़ोर से उसके बूब्स को दबाने लगे और उसी के साथ उसकी सिसकियाँ भी तेज होती जा रही थी और अब में उसमे खो जाना चाहता था. तो मैंने अपने दोनों हाथ उसकी फ्रॉक में घुसा दिए और ब्रा के ऊपर से उसके बूब्स पकड़ लिए और सहलाने लगा.. लेकिन ना जाने मेरा मन इन सबसे भरता ही नहीं था मुझे और कुछ भी करना था.

तभी मैंने उसकी फ्रॉक को ऊपर कर दिया और मुझे उसकी ब्रा का निचला हिस्सा दिख रहा था और नीचे उसका गोरा-गोरा बदन एकदम सेक्सी और बीच में एक सुंदर सी नाभि.. में अब बिल्कुल भी रुकना नहीं चाहता था और सीधे ही मैंने अपना मुँह उसके पेट पर रख दिया और पागलों की तरह चाटने लगा. तो वो एकदम शरमा उठी थी और उसका पूरा बदन अकड़ रहा था और उसके हाथ मेरे बालों में घुमा रही थी. कभी वो मेरे बालों को ज़ोर से खींचती तो कभी मेरा सिर उसकी छाती की तरफ दबाती.. उसकी सिसकियों की आवाज़ से पूरा रूम भर गया था.

अब हम दोनों में से कोई भी अपने होश में नहीं था कि हम यह सब क्या कर रहे है? या फिर हम यह जानना ही नहीं चाहते थे और सब कुछ हो रहा था उसे होने दे रहे थे? मुझे पता नहीं.. लेकिन में बस अपनी जीभ उसके पूरे पेट पर घुमा रहा था.. लेकिन अब मेरे होंठ कुछ और चाहते थे. तो वो धीरे-धीरे उसके बूब्स की तरफ बड़े जा रहे थे और मेरे हाथ उसकी ब्रा को खोलने में लगे हुए थे. फिर मैंने उसकी ब्रा को पूरा ऊपर कर दिया और उसके दोनों बूब्स बाहर आ गये.. छोटे-छोटे बहुत ही नाज़ुक और बहुत ही मासूम लग रहे थे.. उन्हे देखते ही ना जाने मेरी आखों में जैसे चमक आ गई हो और मेरे होंठ उस तरफ दौड़ने लगे. तो मैंने उसका एक बूब्स पूरा अपने मुँह में ले लिया और चाटने लगा, चूसने लगा और दूसरे को अपने हाथ से सहलाने लगा. उसने मेरे बालों को बहुत कसकर पकड़ रखा था और मेरे सर को ज़ोर से अपने बूब्स पर दबा रही थी. अब उसका पूरा बदन जोश में उभर रहा था और उसकी तड़प इतनी बड़ गयी थी कि वो गर्म होकर तड़पने लगी थी. फिर वो कभी अपनी गांड को उठाकर बेड पर पटकती तो कभी अपने दोनों पैर बेड के ऊपर रगड़ती तो कभी अपने मुँह को इधर उधर घुमाती.. उसके पूरे जिस्म में एक अजीब सी बैचेनी होने लगी थी.. लेकिन मुझे बहुत मज़ा आ रहा था. तो मेरा लंड लोहे जैसा सख्त हो गया था.. लेकिन वो अब अंदर नहीं रहना चाहता था और में अच्छा महसूस नहीं कर रहा था और अब मुझे आगे बड़ना था. मैंने अपना मुँह उसके बूब्स पर से हटा लिया और मेरे दोनों हाथों से पेंटी खोलने लगा. में उसके पूरे कपड़े तो नहीं निकाल पाया.. लेकिन अब उसकी लाल कलर की पेंटी मुझे दिख रही थी.. अब में और नहीं रुक सकता था.

फिर मैंने उसके चूतड़ को थोड़ा ऊपर किया और पेंटी के ऊपर से ही उसकी प्यारी सी नन्ही सी चूत को हाथ में ले लिया.. लेकिन मैंने जैसे ही उसे छुआ तो उसके पूरे बदन में बिजली सी दौड़ने लगी थी. वो और तड़पने लगी.. उसकी पेंटी पूरी गीली हो चुकी थी और में उसकी गीली चूत अपनी हथेली पर महसूस कर रहा था.. वो बहुत ही गर्म और मुलायम थी. मेरी गुड़िया की प्यारी सी चूत एकदम फूली हुई थी और पेंटी में से भी साफ-साफ नज़र आ रही थी. मैंने उसे अपनी हथेली में दबा रखा था.. अब मेरे होंठ नीचे झुक रहे थे और मेरे हाथ पेंटी को निकाल रहे थे और जैसे ही पेंटी नीचे हुई तो मेरे सामने एक अलग ही नज़ारा था. मेरी प्यारी गुड़िया की प्यारी सी चूत बिल्कुल मेरे सामने थी. फूले हुए होंठ दरार को पूरी तरह से ढँक रहे थे और हल्के-हल्के बाल ऊपर पहरा दे रहे थे.. में जी भरकर उसे देख रहा था और जब मेरा मन भर गया तो अपना मुँह सीधा ही दरार पर रख दिया और मेरी जीभ दरार खोलने में लग गयी. अब उसकी हालत पानी बिना मछली के जैसी थी और उसने अपने दोनों हाथों से बेडशीट को पकड़ रखा था और तड़प रही थी और में उस प्यारी सी चूत को चाटने में लग गया.

फिर मैंने अपनी उंगली से उसके होंठ खोल दिए और अपनी जीभ अंदर डाल दी और चूसने लगा.. कुछ अजीब सा अहसास हो रहा था और लग रहा था जैसे कोई गरम भट्टी में अपना मुँह रख दिया हो और वो आग उगल रही हो.. मेरी जीभ और अंदर जाना चाहती थी और वो मेरी बहिन की मदहोशी को बढ़ा रही थी.. उसका बदन अकड़ने लगा था और वो मेरे सिर को अपने हाथों से उसकी चूत की तरफ धकेल रही थी. फिर अचानक उसने मेरे सिर को ज़ोर से दबोच लिया और ज़ोर से सिसकियाँ लेती हुई अपना सारा रस मेरे मुँह पर निकाल दिया और कहने लगी कि भैया बस भैया बस भैया मुझे कुछ अजीब लग रहा है और उस वक्त वो ढीली पड़ गयी थी.. लेकिन मेरा लंड पूरा तना हुआ था. अब में और इंतजार नहीं कर सकता था.. फिर मैंने उसके पैर और फैला दिए और अपना लंड बाहर निकाला और उसके पैरों के बीच पोज़िशन में आ गया.

तो उसकी आँखे बंद थी और वो कुछ चाहती थी.. ऐसा लगता था कि वो किसी के इंतजार में सो रही हो. तो मैंने अपने लंड को उसकी चूत पर रगड़ कर चिकना किया और अपना टोपा उसकी चूत के छेद पर रखा और तब मुझे एहसास हुआ कि मेरा लंड उसकी चूत के मुक़ाबले बहुत मोटा है और यह उसे फाड़ देगा.. मेरा लंड ज़्यादा लंबा तो नहीं है लेकिन बहुत मोटा है और मेरे लंड की लम्बाई 5-6 इंच है लेकिन उसकी मोटाई 2 इंच है.. फिर मैंने अपने होंठ उसके होंठ पर रखे और लीप किस करने लगा.. उसने अपनी जीभ मेरे मुँह में डाल दी और हम दोनों लिप किस में खो गये. मैंने अपना लंड चेक किया और वो बिल्कुल तैयार था अंदर जाने के लिए और वो भी तैयार थी.. वो आँखे बंद करके लेटी हुई थी और मेरे लंड के आने का इंतजार कर रही थी. तो मैंने ज़ोर से एक धक्का मारा और उसकी बहुत ज़ोर से चीख निकल गयी.. भैया में मर गई उफ्फ्फ आह्ह्ह प्लीज धीरे. अभी तक मेरा टोपा ही अंदर गया था और मैंने उसे संभलने का वक्त भी नहीं दिया और पीछे हटकर पूरा ज़ोर लगाकर धक्का मारा और उसी के साथ मेरा आधे से ज़्यादा लंड उसकी चूत की दीवार को चिरता हुआ अंदर चला गया.

तो मे पागल सा हो गया और वो ज़ोर-ज़ोर से चीख रही थी. उसकी आँखे बिल्कुल बाहर आने को थी और पूरी तरह फट चुकी थी. उसकी आखों से और आँसू आ रहे थे लेकिन इन सबका मुझ पर कोई असर नहीं हुआ और मैंने फिर एक धक्का मारा और मेरा पूरा लंड उसकी नन्ही सी चूत में समा गया. वो अब भी चीखे जा रही थी और मुझे धक्के दे रही थी.. क्योंकि दर्द भी ज्यादा था और उसकी चूत मेरे लंड के साईज़ की नहीं थी.. लेकिन फिर भी उसने अपने अंदर पूरा लंड समा लिया था.

फिर धीरे-धीरे उसकी चीखे कम होने लगी और मेरी बेसब्री बढ़ने लगी.. मैंने धीरे-धीरे लंड को अंदर बाहर करना शुरू किया और उसकी चीखे अब सिसकियों में बदलने लगी थी.. धीरे धीरे मेरी रफ़्तार बढ़ने लगी और अब वो भी मेरा साथ देने लगी थी और मेरा लंड उसकी चूत की दीवारो को रगड़ता हुआ अंदर बाहर हो रहा था. तो में ऐसा महसूस कर रहा था कि में सातवें आसमान पर हूँ. फिर मेरी प्यारी गुड़िया की नन्ही सी चूत मेरे लंड को जकड़ रही थी. मेरी रफ़्तार और बढ़ने लगी और गुड़िया अब ज़ोर-ज़ोर से बोलने लगी. भाईईईया भाइयाअ की आवाज़े रूम में गूँज रही थी और ठप ठप की आवाज़े उससे सुर मिला रही थी. तो में अब और नहीं रुक सकता था.. मेरा पानी कब से उबल रहा था और अब में झड़ने के करीब था. तो मेरा लंड किसी पिस्टन की तरह अंदर बाहर हो रहा था और जी कर रहा था कि अभी और ज़ोर से धक्के दूँ. फिर मेरा पानी बस मेरे लंड के मुँह के पास पहुंचने ही वाला था कि गुड़िया ने मुझे अपनी बाहों में भर लिया और वो अकड़ने लगी और अपना रस छोड़ने लगी.

फिर मेरा लंड उसकी गर्माहट महसूस कर रहा था और अब वो भी ज़ोर-ज़ोर के झटकों के साथ पिचकारियां छोड़ने लगी. में ऐसा महसूस कर रहा था कि यह पल कभी ख़त्म ही ना हो और पहली बार मेरे लंड में से इतना पानी निकला था. में अपनी प्यारी सी गुड़िया के ऊपर ही ढेर हो गया और उसके हाथ मेरे बालों को सहलाने लगे. तभी थोड़ी देर बाद मुझे होश आया तो मेरी ऊपर देखने की हिम्मत नहीं थी.. में धीरे से उसके ऊपर से सरक गया.. उसकी आँखे बंद थी और पैर अभी भी फैले हुए थे.

तभी मेरी नज़र उसकी प्यारी सी चूत पर पड़ी और मुझे महसूस हुआ कि मैंने उसकी क्या हालत कर दी है और अब वो संतुष्ट थी.. लेकिन अभी भी दर्द से तड़प रही थी और उसकी चूत उसके खून से हमारे पानी में रंग चुकी थी और उसके दोनों होंठ फैल गये थे. मुझे यकीन नहीं हुआ कि कुछ देर पहले जिस प्यारी सी चमकदार चूत को में चाट रहा था. क्या वो यही थी? मुझे पछतावा था.. लेकिन उससे ज़्यादा मेरी गुड़िया की फ़िक्र थी. तो मैंने अपना हाथ उसके गाल पर घुमाया.. लेकिन अभी भी उसने आँखे नहीं खोली थी. फिर में भी उससे चिपककर लेट गया और कब मुझे नींद आ गई.. पता ही नहीं लगा ..

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