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रंडीबाजी की क्लास

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बात उन दिनों की है जब मुंबई में दंगे चल रहे थे। पुणे में भी कुछ दिनों के लिए बस सर्विस बंद थी। मैं उन दिनों पुणे के लिए एक बस में चली। बस में मेरी बगल में उषा नाम की आंटी बैठी थीं। उषा आंटी से मेरी अच्छी जान पहचान हो गई। बस बड़ी धीरे सफर कर रही थी। शाम के 2 बजे बस ख़राब हो गई। बस वाले ने कहा अब बस नहीं चलेगी। पुणे ४० किमी दूर था। बस में मैं और आंटी ही अकेली औरतें थीं। मैं घबरा रही थी बस में कुछ गुण्डे टाइप लोग भी थे जो रास्ते भर हमें गंदे गंदे इशारे कर रहे थे।

आंटी मुझसे बोली- मैंने टैक्सी बुलाई है, तुम पुणे तक साथ चल सकती हो लेकिन उसके आगे रास्ते बंद हैं। मैं खुश हो गयी, मैंने कहा- आंटी मैं आपके साथ रुक जाऊंगी। आंटी बोली ठीक है लेकिन मैं तुम्हें कुछ बताना चाहती हूँ। आंटी ने कहा- बेटी, मैं एक कोठे की मालकिन हूँ मेरा कोठा बुधवार पेठ में है वहाँ पर ५० -६० लड़कियां धंधा करती हैं। पूरे दिन रात उनकी चुदाई होती है। पर यह मेरा वादा है कि अगर तुम मेरे साथ चलोगी तो तुम्हारी मर्जी के बिना मैं तुम्हारी चुदाई तो नहीं होने दूंगी लेकिन तुम्हारी चूची और चूतड़ दब सकते हैं, मतलब तुम्हारी जवानी लुटेगी तो नहीं लेकिन मेरे गुंडे मस्ती करने से बाज़ नही आयेंगे। बाकी अगर कहीं और रूकती हो तो जवानी लुट भी जायेगी और ब्लू फ़िल्म अलग से बन जायेगी, मुझे पुणे का सब पता है, वैसे तुम शादीशुदा हो कोठे पे छेड़छाड़ से मजा ही आएगा।

आंटी की बात सुन मैं डर गई लेकिन मेरी चूत में खुजली सी भी मची कि कोठे की मस्ती में मज़ा तो बहुत आएगा। मैंने- कहा आंटी, यहाँ चूत तो चुदेगी ही, जान का भी खतरा है। यह बस के ही लोग मुझे चौद डालेंगे, सब गुण्डे टाइप लग रहे हैं। आप ले चलो, कोठे पे ही सही। थोड़ी देर में आंटी की टैक्सी आ गई। हम उसमें बैठ गए। आंटी ने पुणे से ५-६ किलोमीटर पहले ही मुझे बुरका पहना दिया और ख़ुद भी बुरका पहन लिया। शाम ४ बजे हम बुधवार पेठ में आंटी के कोठे पे थे। कोठे पे हमारे घुसते ही एक मुस्टंडे ने मेरे चूतड़ पीछे से दबा दिए और बोला- मौसी माल तो बड़ा तगड़ा लायी हो, आज्ञा हो तो नंगा कर दूँ कुतिया को।

मौसी ने कहा- हरामी हाथ मत लगाइयो, मेहमान है, चल बेटी अंदर चलें। अंदर रंडियाँ अर्द्धनग्न खड़ी थी कुछ पेटीकोट और आधे से ज्यादा खुले ब्लाऊज़ पहने थी.

मौसी मुझे चौंकते देख कर बोली- अरे चौंक क्यों रही है यह कोठा है, रात को दिखाउंगी कैसे यह रंडियाँ ६-६ लंड खाती हैं. आ चल थोड़ा फ्री हो लें। तुझे भी तो थोड़ी रंडीबाजी सिखा दूँगी, ताकि तुझे याद तो रहे की कभी कोठे की सैर भी की थी। घबरा मत तेरी चूत तभी चुदेगी जब तू चाहेगी लेकिन मर्दों के लंड तो पकड़ ही सकती है और चूची चूतड़ तो दबवा ही सकती है। रोज रोज एस मस्ती तो नही मिलेगी। परमानेंट रंडी बनने में तो प्रॉब्लम हैं लेकिन एक दिन रंडीबाजी करने में तो मज़ा ही मज़ा है।

मौसी की बात मुझे कुछ सही लगी। मैं और आंटी अब आंटी के कमरे में आ गई थी। कमरा फाइव स्टार जैसा था। आंटी ने अपनी साड़ी ब्लाउज उतार दिया। आंटी की चूचियां पपीते जैसे लटक रहीं थी, आंटी सिर्फ़ पेटीकोट पहने थीं। आंटी ने घंटी बजाई, एक मुस्टंडा अंदर आया, आंटी बोली- कालू जरा पानी-वाणी पिला !

आंटी मुझे देखकर मुस्करा कर बोली- शरमा रही है, अभी तुझे नंगा कराती हूँ, कोठे की मस्ती तो चख ले। मैंने कहा- नहीं मौसी, मुझे नंगा नही होना ! मौसी मुस्कराईं, बोली- हमारा वादा केवल तेरी चुदाई न होने तक का है। कालू पानी लेकर आ गया। हम दोनों को बड़े प्यार से उसने पानी पिलाया. मौसी बोली- अबे कालू तेरी मौसी नंगी खड़ी हैं और साली यह हरामन कपड़े पहने हुए है, चल जरा इसे नंगा तो कर।

कालू ने एक झटके में मेरी साड़ी खींच दी और मेरा ब्लाउज हाथ से खींच कर फाड़ दिया। मेरी ब्रा आधी लटक गई जिसे उसने एक झटके में उतार दिया। अब मैं पेटीकोट में थी, यह सब कुछ सेकंड में ही हो गया मैं विरोध भी नहीं कर पाई। कालू पेटीकोट भी फाड़ने वाला था लेकिन मौसी ने इशारे से उसे बाहर भेज दिया।

मेरी संतरे जैसी चुचियों पर मौसी ने हाथ फिराकर कहा- माल तो बड़ा तगड़ा हैं तेरा ! एक रात के दस हज़ार तो आराम से लगेंगे, बोल चुदना है क्या पूरे दस तेरे ! मेरी चूत में हलचल हो रही थी।

मौसी ने मुझे बिस्तर पर लिटा दिया और ख़ुद भी बगल में लेट गयीं, कहा- तुझे मैं कोठे की मस्ती करवाती हूँ, करके देख, कैसे रंडियां लोड़े से खेलती हैं, मर्दों की मुठ कैसे मारती हैं, लंड चूसती हैं तुझे सिखाती हूँ। चुदने का मन हो तो बताना चुदाई भी करवा दूँगी गांड और चूत दोनों की। फुल मस्ती कर आज रात जिन्दगी भर याद रहेगी।

मौसी की बातों से मुझे मस्ती आने लगी। मेरा मन मुस्टंडौं के सामने नंगी होने का करने लगा, मेरी चूत से भी पानी रिसने लगा था।

मौसी बोली- अब तू मेरे कोठे की रांड है, तेरी चूत और गांड तेरी मर्ज़ी पर छोड़ती हूँ, बाकी तेरे को आज की रात के लिये रंडी बनाती हूँ, समझी! रंडीबाजी का मतलब होता है नग्न अदायें दिखाना, नंगी चूचियां कर के कस्टमर से दबवानी, लंड चूसना, लोड़ों को हाथों से मसलना और लंड की मुठ मारनी, पूरी नंगी होकर चूत चुसवानी, बाकी बची चूत और गांड की चुदाई तो वह सब से आख़िर में आती है।

५ बज रहे थे, मौसी ने एक चुन्नी मेरे नग्न दूधों पे डाल दी और बोली- चल तेरा रंडियों जैसा सिंगार करवाती हूँ। मौसी मुझे सिंगार रूम में ले जाने लगीं रास्ते में मौसी के गुंडे घूम रहे थे। मेरी नग्न चूचियां सब घूर घूर कर देख रहे थे।

सिंगार रूम का सीन बड़ा आकर्षक था। चार -पाँच रंडियाँ शीशे के सामने मेक अप कर रहीं थी, सभी टोपलेस थीं, कुछ नंगी होकर चूत में क्रीम लगा रहीं थीं। कुछ गुंडे टाइप लोग कमरे में घूम रहे थे। एक दो गुंडे रांडो की चूचियां मसल रहे थे। सीन बड़ा ही सेक्सी था।

मौसी मुझे देखकर मुस्कराईं बोली- चल तू भी नंगी हो ! तेरा माल भी तो देखें जरा हम !

मौसी ने कहा- चल पेटीकोट उतार ! शरमा नहीं ! रंडी बन जा आज रात के लिए ! अगर मस्ती के साथ करोगी तो बहुत मजा आएगा, देख सब राँडे नंगी मस्ता रहीं हैं।

मेरी चुचियाँ तो नग्न थी हीं, मैंने शरमाते हुये अपना पेटीकोट भी उतार दिया। अब मैं सिर्फ़ चड्डी में थी। चड्डी उतारने में मुझे शर्म आ रही थी। मौसी ने सीटी बजा कर कालू को इशारा किया। कालू ने पीछे से आकर मेरी चूचियां कस कर मसल दी। इस बीच राजू मुस्टंडे ने आगे से मेरी चड्डी उतार दी, अब मैं पूरी नंगी थी।

मौसी ने मेरी झांटो वाली चूत की तरफ़ देख कर कहा- अरे तुम साली औरतें पति को भी मस्ती ठीक से नहीं देती क्या काला जंगल उगा रखा है ! मौसी ने एक रंडी को इशारा कर कहा- जरा झांटे साफ़ करने वाली क्रीम तो ला !

मौसी ने मेरी चूत पर क्रीम लगा दी और मुझे एक गद्दे पे बठने को कहा और बोली- पाँच मिनट में तेरी झांटे साफ़ हो जाएँगी।

अब मैं नंगी बैठी कोठे के नज़ारे देख रही थी, शर्म आ रही थी, गुंडे बार बार गंदे इशारे कर रहे थे। पाँच मिनट बाद मोनी नाम की रांड ने मेरी चूत गीले कपड़े और पानी से साफ़ कर दी, अब मेरी चिकनी चूत चमचमा रही थी। मेरी शर्म भी धीरे धीरे कम हो रही थी।

मौसी ने कहा- ६ बज गए हैं, धंधे का टाइम हो रहा है, मैं जरा धंधे को देखती हूँ, तू जरा कोठे पे घूम और रंडियों की तरह मस्ता ! तेरे साथ मोनी नाम की रंडी की ड्यूटी लगा देती हूँ। ८ बजे तेरे ऊपर भी एक-दो कस्टमर चढ़वाती हूँ।

मौसी की बातों और कोठे के नजारों से मेरी चुदने की इच्छा बढती जा रही थी। मोनी ने मुझे बताया- तू मेहमान है इसलिए मौसी इतने प्यार से बात कर रहीं हैं वरना जिस रंडी से गुस्सा हो जाती हैं, पूरी रात उसकी गांड और चूत अपने मुस्टंडों से चुदवाती हैं और पीटती अलग हैं सब मुस्टंडों के लंड बहुत मोटे और लंबे हैं। सारे मुस्टंडे कुत्ते की तरह मौसी के आगे दुम हिलाते हैं, मौसी के एक इशारे पे यह जेल पहुँच जाते हैं इतनी तगड़ी पहुँच है मौसी की। चल तुझे कोठे की सैर कराती हूँ, धंधा भी शुरू हो चुका है। पेटीकोट और ब्लाऊज़ डाल ले !

मैंने साइड में पड़ा हुआ एक पेटीकोट और ब्लाऊज़ पहन लिये। ब्लाऊज़ में एक ही हूक था, चुचियाँ आधी से जयादा खुली थी, थोड़ा हिलने पे निप्पल भी दिखने लगते थे, पेटीकोट नाभि के काफ़ी नीचे बंधा थे। मोनी भी एक मिनी स्कर्ट और मेरी तरह ब्लाऊज़ पहने थी।

मैं बिल्कुल धंधे वालियों जैसे लग रही थी। मौसी ने मेरी चूत पे जो क्रीम लगायी थी उससे मेरी चूत में लंड खाने की इच्छा भी बढ़ रही थी. मैंने जब मोनी को यह बताया तो मोनी मुस्कराई, बोली- मौसी तुझे चुदवा कर ही जाने देंगी ! बड़ी गुरु हैं मौसी !

मोनी मुझे पहले डांस रूम में ले आई। यहीं से कस्टमर अंदर आते थे। डांस रूम काफी बड़ा था। मौसी वहाँ गद्दी पर बैठी हुईं थीं, मुस्टंडे चारों तरफ़ टहल रहे थे। ५-६ लड़कियाँ अर्धनंगी होकर डांस कर रहीं थी। साइड में मेरी जैसे ड्रेस पहने १०-१०, २०-२० के झुंड में रंडियां बैठी हुईं थी. नाचने वाली लड़कियाँ डांस कम रंडीबाजी ज्यादा कर रहीं थी वो अपना लहंगा बार बार उठा रहीं थी और बार बार अपनी चूत दिखा रहीं थी।

मुस्टंडों से बीच बीच में कुछ सेकंड्स के लिए अपनी चूचियां मसलवा रही थीं। बीच बीच में एक दो गु्ण्डे आकर रंडियों की ब्लाऊज़ और टॉप उठाकर उनकी चुंचियाँ खोल देते थे, जिसे वो दुबारा ढक लेती थीं।

करीब १०-२० ग्राहक वहाँ डांस देख रहे थे और वो बीच बीच में नोट भी फेंक देते थे। मोनी ने मुझे बताया- यहाँ तीन रेट में लड़कियाँ बिकती हैं, वो जो घटिया सी दिख रहीं हैं आंटी टाइप उनके रेट १०० से ३०० रुपए एक तक घंटे हैं, दूसरी साइड वालियों के ५०० से १००० रूपए तक एक घंटे का हैं। मौसी के पास जो बैठीं हैं उनके रेट मौसी बताती हैं, सब १००० से ऊपर वाली हैं।

मौसी हर कस्टमर का पूरा ध्यान रखती हैं, रंडी अगर मस्ती नहीं देती तो उसकी खाट खड़ी कर देती हैं। मौसी का कहना है- चूचियां मसलवाने के लिए और चूत चुदवाने के लिए है, कस्टमर को जम कर मज़ा दो उसका लंड चाटो और चूसो एक घंटे मैं अपना दीवाना बना दो गांड भी मरवाओ उससे !

अगर किसी भी रांड की शिकायत आती है कि उसने चूत चुदवाने में नखरे करे हैं तो उसकी खाल तो जलाती ही हैं साथ ही साथ १०-१० गुंडों से गांड और चूत भी चुदवाती हैं।

मौसी ने एक से एक नखरे वाली रंडियों को ठीक कर दिया है। वो जो जली हुई दिख रही है न उसने एक सफ़ेद दाग वाले नेताजी का लंड चूसने से मना कर दिया था, मौसी ने उसे जला दिया, अब सब करवाती है।

मौसी बड़ी खतरनाक हैं, लेकिन अगर कोई दारू में टुन्न आता है या अकड़ दिखाता है तो उसके नोट भी रख लेती हैं और लंड झड़वा के धक्के दे कर भगा देती हैं।

मोनी ने बताया उसके रेट ३०००-४००० के बीच लगते हैं और वो सब करवाती है केवल गांड छोड़कर, गांड मौसी के ही कहने पे चुदवाती हूँ अब तक ४-५ बार ही कुछ बड़े लोगो से गांड मरवाई है। मुझे धंधा करते हुए ६ माह हो गए। मेरा प्रेमी बेच कर गया था मुझे, चल आ मौसी के पास बैठते है देख कैसे रंडियां बिकती हैं !!!!!

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नोकरी और छोकरी दोनों मिला

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दोस्तों मैं अपनी एक मस्त कहानी आप लोगों को बताना चाहता हूँ।

मेरे घर में रोज सुबह के समय घर का काम करने के लिए एक नौकरानी आती है। मैं रोज उसे देखता था, दिखने में अच्छी थी। एक दिन उसने मुझे उसे घूरते हुए देख लिया वो समझ गई कि मैं क्या चाहता हूँ।

एक दिन मेरी बीवी नहाने के लिए गई थी। रविवार का दिन था, ठीक १० बजे वो आई, मैंने गेट खोला, वो अन्दर आई और अपने रोजमर्रा के काम करने लगी। वो झाडू लगा रही थी, मैं पलंग पर बैठ कर टीवी देख रहा था। वो जैसे ही मेरे पास आई, मुझे उसके स्तन दिखाई देने लगे। मुझ से रहा नहीं गया, कुछ न सोचते हुए मैंने एक हाथ सीधे उसके ब्लाऊज़ में डाल दिया। पहले तो उसने विरोध किया, बोली- मेमसाब देख लेंगे ! फ़िर मेरे नहीं मानने पर वो भी मेरा साथ देने लगी। फिर मैंने उसी उस दिन तो नहीं चोदा क्योंकि मेरी बीवी घर पर ही थी।

कुछ दिनों के बाद मेरी बीवी को उसके पापा के घर जाना था सो वो चली गई। अब मैं घर में अकेला था। मैं भी सोच कर बैठा था कि आज जरुर कर के रहूँगा।

जैसे ही सुबह नौकरानी आई, मैंने उसे पकड़ लिया और उसे चूमने लगा, वो भी मेरा साथ देने लगी। अब मुझसे रहा नहीं जा रहा था तो मैंने उसका पेटीकोट ऊपर कर दिया। अब मुझे उसकी चूत के साफ-साफ दर्शन होने लगे थे। वो कुछ शरमा रही थी उसकी अभी ३-४ महीने पहले ही शादी हुई थी पर पता नहीं शायद वो अपने पति से संतुष्ट नहीं थी।

उसकी उम्र २३ साल होगी, एकदम गोरी तो नहीं पर गेंहुआ रंग था।

फ़िर मैंने उसकी चूत में अपनी एक उंगली डाल दी, वो कराह उठी। मैंने देर न करते हुए अपना ८ इंच का लंड उसकी चूत में डाल दिया। अब वो भी मेरा पूरा साथ देने लगी थी। हम दोनों चुदाई में मस्त थे, इसी मस्ती में हम लोग दरवाज़ा बंद करना भूल गए थे। जब हमारा ध्यान गया तो मैंने देखा की मेरे मकान-मालिक की बड़ी बेटी हमारे सामने खड़ी है।

वो मुझसे बोली- ये क्या हो रहा है? भाभी को गए अभी तो एक दिन भी नहीं हुआ और आप यह सब करने लगे? आने दो भाभी को ! सब कह दूंगी !

मैंने कहा- अरे ऐसी बात नहीं है !

तो वह बोली- फिर कैसी बात है…….. ?

कहते कहते वो जाकर दरवाज़ा बंद करने लगी और बोली- इस तरह के काम गेट लगा कर किया करो…. ! चलो अब तैयार हो जाओ मुझे भी चोदना होगा तुम्हें ! हम दोनों मिलकर मज़ा लेंगे। मैं भी बहुत दिनों से इंटरनेट पर व्यस्क कहानियाँ पढ़ पढ़ कर सोच रही थी कि मेरी प्यास कौन बुझायेगा, पर मुझे क्या पता था कि बगल में छोरा और शहर में ढिंढोरा है ! चलो भइया, शुरू हो जाओ ! अब डबल बैटिंग करना है तुम्हें !

मैं अन्दर ही अन्दर बहुत खुश हो रहा था क्योंकि मेरे मकान मालिक की बेटी बला की खूबसूरत है। फिर पहले मैंने कहा- तुम दोनों मिलकर मेरे लंड को चाट चाट कर साफ करो !

जिस पर मकान मालिक की बेटी ने इंकार कर दिया पर नौकरानी शुरू हो गई। उसे देख कर वो भी रुक न सकी और शुरू हो गई। मुझे बहुत मज़ा आ रहा था, मानो मैं स्वर्ग में था।

थोड़ी देर बाद मैंने दोनों को जी भर कर चोदा। पूरे महीने हमारा यह कार्यक्रम चलता रहा। मकान मालिक की बेटी तो कई रात मेरे साथ ही सोई। उसे पूरी रात नंगी करके अपने पास सुलाता था। अब उसे पूर्ण नग्न होकर सोने की आदत हो गई है। अब वो कई बार मुझसे कहती है करने के लिए, पर ऐसा मौका नहीं मिल पाता। पर फिर भी हम महीने में एक-दो बार जल्दी जल्दी वाला सेक्स तो कर ही लेते हैं। पर उसमें हमें पूरी तरह मज़ा नहीं आता।

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क्या गज़ब की गांड थी काम वाली की

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बेंगलोर में मुझे तिन महीने हो चुके थे, यहाँ की सिलिकोन इंडस्ट्री में जॉब पा कर में धन्य हो चूका था क्यूंकि यहाँ मुझे पैसा, घर, गाडी और कामवाली तक कंपनी ने प्रोवाइड किया था. मुझे पता है की जब मैंने कामवाली कहा तो आप के लंड में एक सनसनी दौड़ी, मुझे भी कुछ ऐसा ही हुआ था जब मेरे मेनेजर ने उन्नति नामकी इस मल्लू कामवाली को मेरे घर पर पहेली बार भेजा था. इस मल्लू जवानी की उम्र कुछ 23 साल जितनी थी, बड़े मांसल स्तन, सांवला रंग, गांड मस्त गोल मटोल थी और उसकी आवाज मुझे सब से अच्छी लगती थी. इसे हिंदी इतना अच्छा नहीं आता था लेकिन वह काम जितना हिंदी तो बोल लेती थी. एक रात को मैंने इस मल्लू कामवाली से चुदाई का प्लान कर लिया और आइये आपको इस सेक्सी कामवाली की चुदाई का पूरा चितार दूँ……!

मल्लू को पिगलाने के लिए चारा रखा
उन्नति को आने में अभी 10-15 मिनिट के देर थी, वह शाम का खाना बनाने मेरे आने के बाद बनाती थी. मैं ऑफिस से जल्दी आ गया था और आते हुए मैंने मेजेस्टिक से एक सेक्स फोटो की किताब खरीद ली थी. मैंने घर आके लुंगी पहन ली और इस किताब को किचन में फ्रिज के उपर रख दिया, अगले हफ्ते मेरी पत्नी शिला आए वाली थी और मैं इस मल्लू को अपने झांसे में उसके आने से पहेले ही ले लेना चाहता था. वैसे भी मुझे काली लड़कियां जवानी से ही पसंद थी. उन्नति तभी अपने बड़े बड़े कूले हिलाते हुए आई, मैं द्रोइंग रूम में बेठा था और सामने के शीशे में मुझे किचन का कुछ द्रश्य नजर आ रहा था. मैं बस यह ताड़ में था की वह एक बार मैगज़ीन उठाये. उन्नति ने कीचन में जाके फ्रिज खोला लेकिन वह अंदर से गुंदा हुआ आटा लेकर प्लेटफोर्म की तरफ चली गई, मैंने सोचा की मछली ने काँटा नहीं खाया लेकिन तभी वह आटा रख के पलटी और उसने मैगज़ीन हाथ में ली. मैं द्रोइंग रूम के शीशे में यह द्रश्य देख रहा था. उन्नति ने अपने चुंचे को दबाया और उसने मैगज़ीन वापस फ्रिज पर रख दी….लोहा गरम हो चूका था और लौड़ा भी. मैं तुरंत खडा हुआ और कीचन में जा पहुंचा. मुझे किचन में आता देख उन्नति बोली, साब खाना दस मिनिट में बन जाएगा….! मैंने जैसे उसे सुना ही ना हो वैसे मैं किचन में घुसा और वहाँ पड़ा टमाटर खाने लगा. मुझे देख उन्नति बोली…आपको बोत बुख लगा है….! मैंने कहा, मैं तो कब से भूखा ही हूँ.

उन्नती की गांड से लंड अडाते ही वह भी बेबस हुई
मैंने अब जैसे की सब्जी क्या बन रही है वह देख रहा हूँ वैसे झुक के कढाई में देखा. और ऐसा करते वक्त मैंने अपना हाथ उन्नती के कंधे पर रखा था. उन्नती की लंबी सांस मेरे कान से छिप नहीं सकी. मैंने अब धीरे से कंधे से हाथ हटाया और मैं बोला, मुझे भी सिखा दो खाना बनाना ताकि मैं भूखा ना रहूँ. उन्नती कुछ नहीं बोली, कामदेव उसके उपर सवार हो चुके थे. मैंने झट से अपने लंड वाला हिसा उसकी गांड के उपर अड़ा दिया. उन्नती कुछ नहीं बोली और शायद उसे भी मेरे लंड की गर्मी अपनी मल्लू गांड के उपर अच्छी लग रही थी.उन्नती ने तभी अपना हाथ पीछे किया और मेरा लंड पकड के सहलाने लगी. मैंने अपने दोनों हाथ उसके चुन्चो के उपर रख दिए और गेस को बंध कर दिया. उसके ब्लाउज में छुपे उसके मांसल स्तन मुझे चूसने और चोदने थे. मैंने उसका पल्लू हटाया और ब्लाउज के बटन जो उसके चुन्चो के उपर ही थे उन्हें खोल दिए. उसके बड़े और भारी मल्लू स्तन ब्रा नहीं पहेनी थी इसलिए तुरंत बहार आ गए, मैंने जरा भी समय बिगाड़े बिना अपनी ट्रेक पेंट उतार दी और लंगोट को भी खोल डाला. मेरा तना हुआ लंड इस कामवाली की नजर में आते ही वह भी बोखला गई और उसने तुरंत मेरे लंड को अपने मुहं में ही डाल दिया….और चालू हुई एक मस्त देसी ब्लोजोब, जिसमे लंड का सुपाड़ा और गोटों को भी उन्नती सेक्सी तरीके से चूसने लगी, वह मेरी गांड पर हाथ दिए हुए लंड को गले तक खिंच खिंच के चूस रही थी. मेरे हाथ इस मल्लू सेक्स बम की कमर पर थे और मैं उसके गांड को भी बिच बिच में सहला रहा था.

चुसाई के बाद मल्लू कामवाली लंड लेने को उतारू थी
मेरा लंड मस्त गर्म हो चूका था और तन चूका था उसकी लम्बाई अब लगभग 8 इंच जितनी हो चुकी थी जो किसी भी चूत को फाड़ने के लिए काफी थी. मैंने लंड को जैसे ही इस मल्लू के मुहं से बहार निकाला वह वही कीचन के फर्श पर लेट गई और अपने घाघरे को उठाने लगी, उसका घाघरा उठते ही उसकी देसी बालोवाली चूत मेरे सामने आ गई. मैं अपना लंड को थोडा हिलाया और इसकी चूत के उपर रखा. यह बालोवाली चूत काफी गर्म थी, उन्नती ने लंड को सही छेद पर रखने में मेरी मदद की और मैंने एक ही झटके में पूरा लंड उसकी चूत में दे दिया. उन्नती आह आह आह ओह ओह ओह्ह्ह्हह करने लगी और मैंने भी बिना रुके घचघच उसकी चुदाई ट्रेन की गति से चालू कर दी. मल्लू चूत की गर्मी मस्त थी और वह मुझे कमर से पकड कर झटके देने में मदद कर रही थी. उन्नती की गांड हिल रही थी और चुदाई का मजा दुगुना हो रहा था.

चूत ली और फिर गांड भी मारी
दस मिनिट तक मैं उन्नती की चूत को लंड से ठोकता रहा और उन्नती भी मेरे लंड को बहुत सुख दे रही थी. मैंने उसके चुंचे कितनी बार जोर जोर से दबाये और यह मांसल चुंचे मेरे हाथ में मुश्किल से आ रहे थे. उन्नती भी ऊँची नीची होकर चुदाई का देसी मसाला अनुभव कर रही थी. मेरे मन में अब उन्नती की गांड लेने का विचार आया, मैंने लंड को उसकी गांड से निकाला और उसे उल्टा लिटा दिया. उन्नती भी समझ चुकी थी की अब हमला पीछे से होने वाला है और इसीलिए उसने अपने हाथ में थोडा थूंक लिया लेकिन मैंने उसे थूंक गांड पर नहीं लगाने दिया. मैं खड़ा हुआ और उसने किचन के पास रखी हुई तेल की बरनी से चमच भरके तेल लिया और उसकी गांड के उपर ऊँचे से डाला, मूंगफली का तेल गांड पर गिरते उन्नती हिली और मैंने उसे कमर पकड के दबाये रखा. थोडा तेल मैंने लंड के टोपे पर भी डाल दिया और फिर मैं लंड को इस मल्लू गांड के छेद पर रख दिया. धीमे से एक झटका लगा और गांड के अंदर लंड एक झटके मात्र में समां गया. मैंने धीमे धीमे गांड मारने की गति बढाई और फिर तो मैं इस मल्लू गांड को ऊँचा हो के कुत्ते चुदाई करते है वैसे जोर जोर से ठोकने लगा. गांड के उपर मेरी झांघ के थपाको की थप थप सी आवाज आने लगी और उन्नती भी गांड हलाकर मजे लेने लगी.

गांड का हमला सफल रहा….!
कुछ दो मिनिट की गांड मराई के बाद मेरे लंड को एकदम भारी उत्तेजना हुई और लंड के अंदर एक खिंचाव सा आया. लंड वीर्य की धार छोड़ने लगा और कुछ बुँदे गांड के बहार भी निकल आई. इस सेक्सी मल्लू गांड से टपकता वीर्य बहुत उत्तेजक लग रहा था. उन्नती उठ खड़ी हुई और बाथरूम से गांड और चूत धोके आई, उस दिन उसने सब से अच्छा खाना बनाया जिसे मैंने पेट भर के खाया, वैसे भी इस भारी सेक्स के बाद मुझे एनर्जी की जरुरत थी……! दोस्तों आपको यह मल्लू कामवाली की कहानी कैसी लगी यह हमें जरुर कमेन्ट में लिख भेंजे…हम फेसबुक और ट्विटर पर भी आपके रिस्पोंस के लिए आप लोगो के खूब खूब आभारी है.

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चोद-चोद के बेहाल हो गयी प्रियंका की

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जो कहानी मैं आपको बताने जा रहा हूँ वह मेरी नहीं है बल्कि एक पाठिका प्रियंका सिंह की आपबीती है, शब्द उनके हैं जबकि मैंने केवल उन्हें हिन्दी में रूपान्तरित किया है।

प्रियंका की ज़ुबानी

मित्रो, मेरा नाम प्रियंका है, मैं दिल्ली में रहती हूँ और पिछले वर्ष का मेरा एक निजी अनुभव पढ़ने वालों को बताना चाहती हूँ।

मैं और मेरी सहेली तूलिका अक्सर शाम को अपने बॉय फ्रेंड्स के साथ मौज मस्ती करने उनके फ्लॅट्स पर जाया करते थे लेकिन किसी कारणवश मेरा मेरे बॉय फ्रेंड के साथ मनमुटाव हो गया और हम अलग हो गये।

मैं 21 वर्ष की एक सुन्दर लड़की हूँ, मेरा फिगर है 32-28-34, रंग साफ है और 5 फुट 4 इंच का क़द।

मैं दिल्ली में कॉलेज में पढ़ती हूँ, हमारे कॉलेज की बहुत लड़कियाँ नाइट आउट के लिये लड़कों के साथ जाया करती थीं और बहुत बार अनजाने लड़कों के साथ भी निकल लेती थीं।
ऐसी ही घटना का वर्णन करने जा रही हूँ।

मुझे और तूलिका को पता चला कि रात को लाजपत नगर पुल के नीचे बहुत सी कॉल गर्ल्स ग्राहकों की तलाश में खड़ी रहती हैं और उनमें कुछ तो काफी ऊँचा दाम भी लेती हैं।

मैंने तूलिका से कहा कि चलो यह भी ट्राई करते हैं।

उसने साफ मना कर दिया लेकिन मेरे ऊपर तो इसे ट्राई करने का भूत सवार था तो मैंने जैसे तैसे तूलिका तो अपने साथ चलने के लिये मना ही लिया।

रात के 12 बजे मैं तूलिका के साथ अपनी कार में लाजपत नगर पुल के नीचे पहुँचे तो देखते हैं कि काफी औरतें और कुछ कॉलेज की लड़कियाँ वहाँ मौजूद थीं।

कार से निकल के मैंने एक सिगरेट सुलगाई और बाहर खड़ी हो गई।

मेरी तो गाण्ड फटी हुई थी कि न जाने अब क्या होगा, कहीं कुछ गड़बड़ तो नहीं हो जायगी।

हालांकि मैंने कई बार चुदाई की थी लेकिन सिर्फ अपने बॉय फ्रेंड के साथ ही!

आज यह पहले मौका होगा जब मैं किसी और से चुदूँगी।

मेरी सिगरेट खत्म होते होते एक इनोवा कार मेरे पास आकर रुकी।
अंदर बैठे लड़के ने गाड़ी का शीशा नीचे किया और पूछा- चलेगी? …आजा गाड़ी में!

मैं बोली- कितना देगा? 5000 लगेंगे..वो भी अभी…पैसा देगा तो ही बैठूँगी गाड़ी में!

वो बोला- ठीक है।

और उसने 4000 दे दिये और कहा बाक़ी के 1000 सुबह देगा।

वो पैसे मैंने तूलिका को दे दिये और कार का नंबर भी लिखवा दिया।

तूलिका मेरी कार लेकर वापिस घर को चल दी और मैं गाड़ी में चढ़ गई।

मैं गाड़ी में बैठ तो गई लेकिन डर से मेरी टांगें कांप रही थीं।

पहली दफा मैं किसी अनजान लड़के के साथ नाइट आउट पर जा रही थी और वो भी पैसे लेकर।

धीरे धीरे हमने बातें करना शुरू कर दिया।

उसने अपना नाम विनय बताया।

मैंने भी उसे बताया कि यह मेरा पहला अनुभव होगा।

उसने पूछा कि मुझे पता कैसे चला इस जगह के बारे में जहाँ लड़कियां खड़ी होती हैं।
मैंने बताया के मेरे कॉलेज कि कई लड़कियाँ यहाँ आती हैं, उनसे ही मालूम हुआ।

फिर हम दोनों ने सिगरेट जला लीं।

उसका एक हाथ स्टेयरिंग पर था और दूसरा हाथ उसने मेरी जाँघों पर फिराना चालू कर दिया।

धीरे धीरे उसका हाथ जांघ से होता हुआ पीठ पर आ गया और फिर पेट पर। मैं भी आँखें मूंदे चुपचाप इस सबका मज़ा ले रही थी।

कुछ ही देर में गाड़ी की ब्रेक लगी और विनय बोला- घर आ गया।

उसके घर में घुस कर मुझे डर लग रहा था, फिर भी मैं हिम्मत करके चली ही गई।

फ्लैट में जाकर मैंने उससे टॉइलेट के बारे में पूछा तो वो मेरा हाथ पकड़ के मुझे टॉइलेट तक छोड़ आया।

जब मैं बाहर निकली तो देखा कि विनय ने वोड्का के दो पेग बनाकर तय्यार रखे हैं।

थोड़ी वोड्का पीने के बाद विनय ने अपनी टी शर्ट उतार दी और मेरी बगल में आकर बैठ गया।

पहले उसने मेरे कंधे को चूमा, फिर मेरे गालों को, फिर गले को और फिर मेरी पीठ पर से बाल हटा कर पीठ को खूब चूमा।

उसने मेरी टी शर्ट के भीतर हाथ डाल के ब्रा खोल दी और मेरे पीछे बैठ कर मुझे अपनी टांगों के बीच में ले लिया।

मैं आराम से आँखें बंद किये इसका मज़ा ले रही थी कि अचानक से विनय ने मेरे दोनों हाथों को ऊपर किया और कहा कि इनको ऐसे ही खड़ा रखना।

तब उसने एकदम से मेरी टी शर्ट को उतार के फेंक दिया और फिर मेरी ब्रा को पहले से ही खुली हुई थी, उसे भी झटके से उतार कर एक तरफ को फेंक दिया।

उसने मुझे उठा कर खड़ा किया, फिर हम दोनों आमने सामने थे और एक दूसरे को किस कर रहे थे।

वो मेरे नीचे वाले होंठ चूस रहा था और मैं उसके ऊपर वाले होंठ को।

उसके हाथ मेरी चूचियों को दबा रहे थे, उनके साथ खेल रहे थे।
तब उसने एक झटके से मुझे बेड पर गिरा दिया और वोड्का मेरी चूचुक पर गिरा कर लगा चाटने।

मुझे तो इतना मज़ा आ रहा था जिसका मैं वर्णन नहीं कर सकती।

कुछ देर बाद उसने मेरी नाभि में वोदका भर दी और लगा चूसने चाटने।

फिर उसने मुझे बैठ जाने को कहा तो मैं झट से उठ के बैठ गई।

तभी उसने अपना अकड़ा हुआ लौडा, जो अभी तक उसके लोअर के अन्दर ही था, मेरे सामने कर दिया और मैं लंड को ऊपर से ही पकड़ कर हिलाने सहलाने लगी।

मैंने उसकी लोअर और जॉकी दोनों खींच कर उतार दीं जिस से वो मेरे सामने एकदम नंगा खड़ा हुआ था हालान्कि मैं अभी भी जीन्स पहने हुए थी।

उसने अपना लंड मेरे होंठों से लगा दिया और पहले तो मैंने मना किया लेकिन फिर फटाक से उसे मुंह में ले लिया।

अभी मैंने लंड को चूसना शुरू ही किया था कि विनय ने एक झटके से अपना पूरा का पूरा 7 इंच का लौड़ा मेरे मुंह में घुसेड़ दिया।

मेरी तो सांस ही अटक गई।
लेकिन फिर मैंने लंड को धीरे धीरे चूसना शुरू कर दिया।

विनय के हाथ मेरी चूचियों को दबा रहे थे, उसे जैसे मेरी चूचुक से प्यार हो गया था।

मुझे भी उसका सात इंच का मोटा सा लंड चूसने में बड़ा मज़ा आ रहा था।
मैं कभी लंड के चौचक पर जीभ घुमाती तो कभी लंड को मुंह से बाहर निकाल के उसे नीचे से ऊपर तक चाट लेती।
लंड जब मेरे मुंह में घुसा हुआ तुनक तुनक करता तो मज़े से पूरे शरीर में सुरसुरी सी दौड़ जाती।
थोड़ी थोड़ी देर के बाद एक चिकनी से बूंद लंड के छेद पर उभर आती जिसे मैं बड़े स्वाद से चाट लेती।
इधर विनय ज़ोर ज़ोर से मेरी चूचियाँ निचोड़े जा रहा था, सच में उसे उन से प्यार ही हो गया था, कभी वो बड़ी नर्मी से मेरे अकड़ाए मम्मे दबाता तो कभी यकायक से पूरे ज़ोर से मसल देता।

मुझे थोड़ा सा दर्द तो होता लेकिन वो दर्द बहुत मज़ा बढ़ाने वाला था जिस से मेरी चूत की आग और भी अधिक भड़क उठती।

फिर वो उठा और फ़्रिज से थोड़ा सा मक्खन निकाल कर गर्म किया।

उसने मेरे चूचों पर बटर लगाया और अपने लंड पर भी लगाया।
फिर उसने मुझे बेड पर लिटा कर मेरे हाथ ऊपर को सिर के पीछे कर दिये और मेरी बगलों में भी मक्खन लगाया।

फिर वो मुड़ा और मेरी टांगों की तरफ मुंह करके उसने अपना लंड मेरे मुंह में दे दिया और खुद मेरी जीन्स के ऊपर से ही मेरी चूत को खाने की कोशिश करने लगा।

तभी उसका लौड़ा झड़ गया और उसका लावा मेरे मुँह में भल्ल भल्ल करता हुआ छूटा।

वो दो मिनट तक मेरे ऊपर ही लेटा रहा।
मैं अभी भी उसका झडा हुआ लंड चूसे जा रही थी।

फिर उसने मेरी जींस के बटन खोल दिये और ऊपर आकर मेरी चूचियों पर लगा हुआ मक्खन चाट के साफ किया, फिर मेरी बगलों में लगा हुआ बटर भी चाटा।

फिर उसने मेरी जींस उतार के फेंक दी और मेरी पैंटी को छू कर देखा।
वो बिल्कुल गीली हो रही थी।

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उसने पैंटी उतार दी और अपनी जीभ मेरी चूत पर घुमायी तो मस्त होकर मैंने भी अपनी टांगे फैला लीं।
थोड़ी देर चूत चूस के उसने अपनी उंगली चूत में घुसाई और अंदर बाहर करने लगा।

20-25 बार जब उसकी उंगली अंदर बाहर हो गई तो मैं झड़ने लगी।
विनय मुझे झड़ते हुए देखता रहा और फिर उसने चाट के चूत को साफ किया।

वो बोला- थोड़ा सा रेस्ट कर लो।

मैं बोली- ठीक है।

और मैंने एक सिग्रेट सुलगा ली। एक सिग्रेट उसे भी ऑफर की तो उसने भी सिग्रेट जला ली।

मैं अभी सिग्रेट पी ही रही थी कि विनय ने मेरी कमर को पकड़ लिया और बोला- आज तो जी भर के चोदूँगा तुझे!

मैं बोली- इसीलिये तो आई हूँ। पहले सिग्रेट तो पी लें फिर चोदम-चोद खेलेंगे।

पर वो कहाँ सुनने वाला था, उसने मुझे बिस्तर पर लिटा दिया, खुद मेरे ऊपर चढ़ कर लंड को चूत पर रगड़ने लगा।

फिर उसने एक ज़ोर से धक्का मारा तो लंड आधा मेरी चूत में चला गया।

मुझे दर्द भी हो रहा था क्योंकि काफी दिन से इस चूत का दरवाज़ा किसी लंड के लिये नहीं खुला था।

जब दर्द थोड़ा कम हुआ तो विनय ने एक धक्का और मारा तो लंड पूरा का पूरा चूत में घुस कर फिट हो गया।

अब वो बार बार लंड को अंदर बाहर करने लगा।

कुछ ही देर में मुझे भी मज़ा आने लगा और मैंने भी नीचे से धक्के मारने चालू कर दिये जबकि विनय ऊपर से धक्के पर धक्का लगा रहा था।

क़रीब 10 मिनट तक ऐसे ही मस्त चुदाई चलती रही, फिर मैं झड़ गई।
विनय लगातार धक्के पेले जा रहा था और 20-25 धक्के ठोकने के बाद उसने लंड को चूत से बाहर निकल लिया, फिर मेरे पेट पर लंड रख के वो ज़ोर से झड़ा।
सारा का सारा गर्म लावा उसने मेरे पेट पर गिरा दिया।

वो मुझे चूमने लगा और मेरे चूचे दबाने लगा।

मैं काफी थक चुकी थी इसलिये मैंने कहा- मैं ज़रा बाथरूम में सफाई करके फ्रेश होकर आती हूँ।

इतना कह के मैं बाथरूम में घुस गई और अपना पेट और चूत साफ करने लगी।

इतने में विनय पीछे से आ गया और मुझे पकड़ लिया।

उसका लंड मेरे चूतड़ों के बीच में फंस गया और वो तभी उसने शावर चालू कर दिया।

हम दो तीन मिनट तक यूँही भीगते रहे और उसके हाथ मेरी बुर को सहलाते रहे।

कुछ देर मे वो खुद मेरे सामने कि तरफ आ गया और मेरे होंठ चूसते हुए उसने उंगली चूत में घुसा दी।

मैंने भी उसका लंड पकड़ लिया और लगी दबाने।

लंड अभी तक बैठा हुआ था लेकिन ज्यों ही मैंने उसे पकड़ा वो फौरन खड़ा हो गया।
हम इसी तरह लगे रहे और थोड़ी देर में एक दूसरे को चूमते चूमते बेडरूम में आ गये।

अब मुझे ठंड लगने लगी थी क्योंकि हम पूरी तरह भीग चुके थे।

विनय उठा और पंखा बंद करके ऐसी को गर्म पर सेट कर दिया, फिर वो बोला- वोड्का पी ले तो ठंड नहीं लगेगी।
उसने दो तगड़े पेग बनाये जिसे मैं एक ही सांस में पी गई।

5 मिनट के बाद मैंने उसे बेड पर लिटा दिया और खुद उस के ऊपर बैठ कर लगी चूमने, जबकि वो मेरी चूचियाँ निचोड़ने लगा।

रात के 3 बज रहे थे, अब मुझे भी गर्मी चढ़ चुकी थी, मैंने अपनी चूत उसके लंड पर रखी और दबाना शुरू किया तो लंड मेरी पानी पानी हो रही चूत में सेट होता चला गया।

मैंने उछल उछल उसे चोदने के मज़े लेने शुरू किये लेकिन मैं शीघ्र ही थक गई।

फिर विनय उठ के बैठ गया और मुझे अपने लंड पर फिट किये किये मेरे होंठ चूसते हुए झटके लगाने लगा।

मैं भी जवाबी झटके लगातार लगाने लगी।
विनय ने अब तेज़ तेज़ धक्के मारने शुरू कर दिये थे।
मेरी चूत भी खूब जूस छोड़ने लगी थी।
हर धक्के में चूत मज़े से व्याकुल होकर और जूस झाड़ती।

मैंने भी विनय की स्पीड से स्पीड मिलते हुए धक्के देने चालू कर दिये और कुछ ही धक्के मार के मैं झड़ गई, लेकिन विनय अभी भी लगातार झटके लगाये जा रहा था।

फिर उसने एक उंगली मेरी गाण्ड में घुसा दी और बराबर धक्के चूत में मारे गया।
थोड़ी देर चोदने के बाद वो बोला कि मेरा बस निकलने ही वाला है।

मैंने कहा- चूत में ना छोड़ना, लंड को मेरी चूचियों पर झाड़ दो।
उसने 5-6 धक्के और लगाये और जैसे ही झाड़ने को हुआ तो लौड़ा चूत से बाहर निकाला और मेरे चूचों के ऊपर सारा माल निकाल दिया।

फिर उसने लंड मेरे मुंह से लगा दिया और मैंने लंड को चूस के चाट के साफ कर दिया।

विनय उठा और फ्रिज से बचा हुआ मक्खन निकाल के ब्रेड पर लगाकर ब्रेड बटर मुझे खिलाया।

तब तक सुबह के 4 बज चुके थे। इतना चुद जाने के बाद मेरे में ज़रा भी जान नहीं बची थी।

विनय ने मुझे बचे हुए 1000 रुपये दिये जो मैंने अपने पर्स में रख लिये।

फिर वो मुझे किस करने लगा और मैं उसी के ऊपर लेट कर सो गई।

सुबह के 10 बजे आँख खुली तो वो मेरे मम्मे दबा रहा था और मेरी टांगें चौड़ी कर के मेरी चूत चाट रहा था।
वो मुझे गरम करने की कोशिश कर रहा था लेकिन मुझ में इतनी जान नहीं बची थी कि चुदाई का एक और राउण्ड झेल सकूं।

विनय ने मुहे रीवाईटल दिया और फिर हम उसकी इन्नोवा में घर की तरफ चल पड़े।

रास्ते में उसने मुझे लंच ऑफर किया।
मैंने भी हाँ कर दी।

लंच करके उसने मुझे मेट्रो स्टेशन पर ड्रॉप कर दिया और मैं अपने घर वापिस आ गई।

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हॉट पड़ोसन आंटी की चूत की घन्टी

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हेलो दोस्तों.. दोस्तों मैं आज आप अभी से अपनी पहली सच्ची स्टोरी शेयर करने जा रहा हूँ और अगर आपको यह अच्छी लगे तो प्लीज़ मुझे मेल जरुर करना. दोस्तों अब मैं अपनी स्टोरी पर आता हूँ. दोस्तों मैं 22 साल का लड़का हूँ और मुझे सेक्स बहुत पसंद है और मैं मुंबई में रहता हूँ. मेरे पास में एक छोटा सा परिवार रहता है.. उसमे अंकल, आंटी और उनका एक बेटा जो कि 5 साल का है. अंकल ज़्यादातर काम के सिलसिले में घर से बाहर जाते है और जल्दी सुबह ही निकलते है और कभी कभी देर रात को घर पर आते है.. उनकी वाईफ का नाम जानवी है.. जो बहुत सेक्सी है. क्या बताऊँ दोस्तों अगर आप लोग उसे एक बार देखो तो मैं पक्का कहता हूँ कि आप भी उसको सोच सोचकर मुठ मारोगे.. क्योंकि वो है ही बहुत सेक्सी औरत. तो में कभी कभी मेरी मम्मी के कहने पर उनके घर के थोड़े बहुत काम कर दिया करता था.. जिससे मेरा उनके घर पर आना जाना लगा रहता था.. क्योंकि वो घर पर अकेली रहती थी तो मेरी मम्मी को उन पर बहुत दया आती थी और वो मुझे उनके काम के लिए भेज दिया करती थी.
फिर एक दिन आंटी ने मुझे घर पर बुलाया और कहा कि देखो ना यह लाईट चलती ही नहीं है इसे ज़रा ठीक कर दो. तो मैंने कहा कि ठीक है और मैं अपने काम में लग गया और उस वक़्त आंटी ने मेक्सी पहनी थी.. तो मैंने आंटी से कहा कि मुझे एक पेचकस दो.. तो आंटी ने कहा कि वो तो तुम्हारे पास होगा ना और ऐसा कहकर वो हंसने लगी. मैं चकित होकर गहरी सोच में पड़ गया कि आंटी कहना क्या चाहती है? फिर मैंने कहा कि आंटी प्लीज जल्दी से दो.. मुझे किसी जरूरी काम से जाना है और फिर आंटी ने मुझे एक पेचकस दिया. फिर मैंने कुछ ऐसा वैसा करके लाईट ठीक कर दी और मैं अपने घर पर चला गया. फिर धीरे धीरे मुझे लगने लगा था कि आंटी की नियत खराब है और फिर उसी रात को उनके बारे में सोचते सोचते मैंने अपने मोबाईल में ब्लू फिल्म डाउनलोड कर ली और मैं भी आंटी के बारे में गंदा गंदा सोचने लगा और मुठ मारने लगा.
फिर एक दिन सुबह सुबह अंकल ने मुझे बुलाया और कहा कि अगर तुम आज रात को फ्री हो तो यहाँ मेरे घर पर रह जाना.. क्योंकि तुम्हारी आंटी को रात के समय घर पर अकेले में बहुत डर लगता है और मुझे आते आते सुबह 4 बजे का समय हो जायेगा. मैं तो बहुत खुश हो गया और मैंने कहा कि ठीक है अंकल आप आराम से जाओ. फिर जैसे ही शाम हुई मैं उनके घर पर चला गया. तो आंटी ने दरवाजा खोला और कहा कि क्यों बहुत जल्दी आ गये? फिर मैंने कहा कि क्या करूं आंटी आपका ख्याल जो रखना है फिर हम दोनों हंसने लगे. फिर आंटी ने कहा कि आओ बैठो मैं तुम्हारे लिए चाय बना देती हूँ. तो मैंने कहा कि ठीक है आंटी और मैंने अपना मोबाईल साईड में रख दिया और आंटी के बारे में सोचता रहा कि कैसे इसको चोदूं? तभी आंटी चाय लेकर आई.. मैंने कहा कि आंटी में अभी 5 मिनट में आता हूँ आप थोड़ा इंतजार करना. तो आंटी ने कहा कि ठीक है.. लेकिन थोड़ा जल्दी आना और फिर मैंने अपना मोबाईल वहीँ छोड़ दिया.. क्योंकि मुझे पता था कि आंटी को इंटरनेट और फोटो बहुत पसंद है. फिर जब मैं कुछ देर बाद आया और चुपके से देखा तो आंटी अपने रूम में थी और मेरा फोन उनके हाथ में था और शायद वो ब्लू फिल्म देख रही थी और अपनी चूत में उंगली कर रही थी.
तो मैंने सोचा कि मौका सही है अब में अंदर घुस जाता हूँ और जैसे ही में अंदर गया आंटी चौक गई और जल्दी से मोबाईल नीचे रख दिया और मुझे एक प्यारी स्माईल दी. फिर मैंने कहा कि क्या हुआ आंटी? तो आंटी बोली कि कुछ नहीं बस ऐसे ही मैं बस कुछ देख रही थी. तो मैंने कहा कि आंटी कुछ तो है और आप मुझे बताना नहीं चाहती तो आपकी मर्ज़ी. फिर आंटी बोली कि तुम अपने फोन में यह सब क्यों रखते हो? तो मैंने कहा कि क्या? आंटी ने कहा कि ज़्यादा भोले मत बनो. फिर मैंने सोचा कि बात को घुमाने से क्या फ़ायदा चलो देखते है क्या होता है? और मैंने कहा कि आंटी क्या करूं जब से आपको देखकर सोचने लगा हूँ मेरी तो हालत खराब है. मैं ऐसे वीडियो देखकर आपके बारे में सोच सोचकर मुठ मारता हूँ. तभी आंटी ने कहा कि मैं भी तुम्हे बहुत समय से देख रही थी कि तुम मेरी छाती और मेरी गांड को बहुत घूरते हो. तभी यह सुनते ही मैं आंटी के साथ बेड पर बैठ गया और आंटी को कहा कि क्या तुम मुझसे सेक्स करना चाहोगी? तो आंटी ने कहा कि यह ग़लत है और अगर तुम्हारे अंकल को पता चला तो अच्छा नहीं होगा. फिर मैंने कहा कि अगर कोई कहेगा तब पता चलेगा ना.
तभी मैंने आंटी का हाथ मेरे लंड पर रख दिया और मैं उसकी जांघो पर हाथ फिराने लगा.. आंटी गरम होने लगी और मेरा लंड हाथ में लेकर चूसने लगी. वाह क्या चूस रही थी वो और मैं तो जैसे अलग दुनिया में पहुंच गया था.. क्योंकि पहली बार कोई मेरा लंड चूस रहा था.. क्या बताऊँ मुझे क्या अहसास हो रहा था और मैंने आंटी का सर अपने हाथ में लिया और उनके मुहं में ज़ोर ज़ोर से लंड के धक्के मारने लगा.. आआहह वाउ क्या मज़ा आ रहा था. फिर मैंने कहा कि जानवी बस करो.. अब मेरी बारी है और में उसके बूब्स दबाने लगा.. वो तो जैसे उछल रही थी.. लेकिन मेरा लंड अपने हाथ से छोड़ने का नाम नहीं ले रही थी. धीरे धीरे मैं उसके पूरे जिस्म को चूमने लगा और अब बारी आई उसकी चूत की.. उसकी चूत बहुत गोरी थी और उस पर थोड़े बाल थे जैसे चाँद में दाग. मैं की पागलो तरह चूत चाटने लगा.. आंटी की हालत क्या कहूँ दोस्तों.. में लिखकर बयान नहीं कर सकता.
आंटी बस आआअहह नहीं आहह उूउउंम्म और चाट मेरी चूत और ज़ोर से ऐसे तो तुम्हारे अंकल भी नहीं करते उूउउंमह. फिर मैंने आंटी की गांड चाटी.. गांड का टेस्ट थोड़ा बुरा था.. लेकिन सेक्स करते वक़्त क्या बुरा क्या भला.. बस मैं तो जैसे नशे में था. फिर आंटी ने कहा कि चल अब मुझे चोद डाल. तो मैंने कहा कि आंटी घोड़ी बन जाओ और आंटी जैसे ही घोड़ी बनी तो मैंने कहा कि आंटी पहले मेरे लंड को थोड़ा गीला कर दो.. तो आंटी फिर से लंड को मुहं मे लेकर चूसने लगी. मैंने कहा कि बस अब हम चुदाई करते है आंटी घोड़ी बनी हुई थी और मैंने चुपके से मेरे लंड का टोपा आंटी की गांड के होल से थोड़ा दूर रखा और आंटी की कमर पकड़ ली और एक ही झटके में आधा लंड गांड में डाल दिया.. तभी आंटी बहुत ज़ोर से चीख पड़ी आहह बाहर निकाल दे.. ओहहह आअहह. तो मैंने कहा कि कुछ नहीं होगा जानू..
थोड़ी देर में पानी निकल जाएगा और मैं हल्के हल्के धक्के मारने लगा और आंटी भी मज़े लेने लगी और फच फच की आवाजे आने लगी और मैं ज़ोर ज़ोर से धक्के देकर चोदने लगा.. इस बीच आंटी दो बार झड़ चुकी थी.. फिर आंटी ने कहा कि जल्दी निकालो में बहुत थक गई हूँ. तुम्हारा लंड तुम्हारे अंकल से बड़ा है और पहली बार किसी ने मेरी गांड में लंड डाला है. तो अब मैं भी धक्के मारते मारते बहुत थक गया था फिर भी मेरा माल नहीं निकल रहा था और करीब 25-30 मिनट के बाद मैंने आंटी की गांड में सारा वीर्य छोड़ दिया और जैसे ही मैंने लंड को बाहर निकाला आंटी के मुहं से आहह सस्स्शह निकल गयी और वो थककर लेट गई और मैं भी उनके पास ही लेट गया. उस दिन के बाद तो में अक्सर आंटी को अपने लंड पर बैठाता हूँ और उनके पूरे जिस्म के मजे लेता हूँ ..

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गावं मे सुहाग रात मनाया सीमा के साथ

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हेलो दोस्तों.. मैं सेक्सी कहानियो की वेबसाइट का रेग्युलर पाठक हूँ और एक दिन इसे पढ़ने के बाद.. मुझे लगा कि मुझे भी अपना सेक्स अनुभव आपके साथ शेयर करना चाहिए. मेरा नाम ख़ान है और मेरी हाईट 5 फीट 9 इंच है.. मैं सुंदर स्लिम शरीर का मालिक हूँ. अब मैं आप लोगों का ज्यादा समय बर्बाद ना करते हुए अपनी कहानी की तरफ आता हूँ. दोस्तों यह बात आज से कोई दो महीने पहले की है. मैं अपने ऑफिस के किसी काम से एक गावं में गया हुआ था और वहाँ पर मुझे उस गावं के चौधरी से मिलना था. मैं जब उस चौधरी के घर गया और दरवाजे पर दस्तक दी.. तो एक 28 साल की बहुत ही खुबसूरत सी औरत बाहर आई और मैं उसको देखता ही रह गया. उसकी हाईट करीब 5 फीट 6 इंच और रंग गोरा था. उसने नीले कलर की साड़ी पहनी हुई थी.
फिर मैंने उसको बताया कि मैं चौधरी साहब से मिलना चाहता हूँ.. तो उसने मुझको अंदर आने को कहा और अंदर एक रूम में ले जाकर बैठाया और बोली कि आप यहाँ पर बैठिये चौधरी साहब अभी आते हैं. थोड़ी देर में वो मेरे लिए पानी लेकर आई और मुझे पानी देकर चली गयी और कुछ देर के बाद चौधरी रूम मैं आया और मैंने उसको बताया कि मैं क्यों आया था और बहुत देर तक हमारी बातचीत होती रही. चौधरी ने मुझसे कहा कि आप को जो भी मदद चाहिए मैं करूँगा. फिर मैंने चौधरी को कहा कि इस काम के सिलसिले में मुझे कुछ दिन इस गावं में रहना पड़ेगा. आप मेरे लिए एक कमरे का इंतज़ाम कर दो और साथ एक आदमी का भी.. जो मेरे लिए खाना बना सके और मेरे कपड़े धो सके. तो चौधरी ने मुझसे कहा कि इंतज़ाम हो जाएगा और फिर मैं चौधरी के साथ मकान देखने गया.. वो मुझे पसंद आ गया.. क्योंकि वो बिल्कुल अलग सा बना हुआ था और मैं वहाँ पर जैसे भी रहूँ.. किसी को कोई परेशानी नहीं होने वाली थी. तो मैंने मकान के लिए हाँ कह दिया और पूछा कि खाने और कपड़े धोने का भी कोई इंतज़ाम है या नहीं. तो उसने कहा कि जनाब यह काम तो मेरी नौकरानी कर देगी.. वो आपके लिए खाना भी बना देगी और आपके कपड़े भी धो देगी.
इस तरह मेरे लिए मकान और खाने का इंतज़ाम हो गया और मैं अगले दिन ही अपना सामान लेकर वापस उस गावं में रहने आ गया. मैं शाम को पहुँचा था और मैंने वहाँ पर आकर देखा तो चौधरी के साथ कुछ आदमी खड़े थे और उन सभी ने मेरा सामान घर मैं सेट कर दिया और इसी दौरान रात के 9 बज गये थे और फिर चौधरी ने कहा कि मैं जाकर अपनी नौकरानी को भेजता हूँ.. तब तक आप नहा लीजिए और चौधरी वहाँ से चला गया. तो मैंने दरवाज़ा बंद किया और नहाने के लिए बाथरूम मैं चला गया और मैंने नहाकर एक टी-शर्ट और हाफ पेंट पहन ली और कमरे में टीवी देखने लगा. तभी दरवाज़े पर हुई तो मैंने जैसे ही दरवाज़ा खोला तो देखा कि उसी दिन वाली वो औरत दरवाज़े के बाहर खड़ी थी.. लेकिन आज उसके चेहरे पर एक हल्की सी मुस्कराहट थी और वो मुस्कुराती हुई बोली कि साहब मैं आपके लिए खाना लाई हूँ और मैंने खुद बनाया है.. अब क्या पता आप शहर वालों को पसंद आएगा भी या नहीं? फिर मैंने उसे अंदर आने को कहा.. वो अंदर आ गई और मेरे लिए खाना रखने लगी. फिर जितनी देर वो खाना लगा रही थी मैं उसके जिस्म को ही देखता रहा.. क्या मस्त जवानी थी और मेरा मन कर रहा था कि अभी इसको अपनी बाहों मैं भर लूँ और खाना खाने की जगह इसको ही खा जाऊँ.. लेकिन मैंने अपने आपको कंट्रोल किया और खाना खाने लगा. फिर खाना खाते वक़्त मैंने ऐसे ही उसके साथ थोड़ी बहुत बात की और उसके खाने की बहुत तारीफ भी की और ऐसे ही कुछ दिन गुज़र गये और अब वो मुझसे बहुत ज्यादा घुल गयी थी और मुझसे हँसी मज़ाक भी कर लेती थी. उसका नाम सीमा था.
एक दिन जब वो सुबह मेरे लिए चाय और नाश्ता लेकर आई तो मैंने दरवाज़ा खोला और फिर वापस बेड पर आकर लेट गया. तभी उसने पूछा कि क्या हुआ साहब? आज आप कुछ ठीक नहीं लग रहे हैं. तो मैंने कहा कि आज मेरी तबीयत कुछ ठीक नहीं है और मेरा सारा बदन दर्द कर रहा है और सर भारी सा हो रहा है. तो वो मेरा सर छूकर देखने लगी और बोली कि बुखार तो नहीं है.. लगता है आप बहुत थक गये हैं. आइए मैं आपकी मालिश कर दूँ.. इससे आपको बहुत आराम मिलेगा. फिर मैंने उसको मना किया.. लेकिन वो नहीं मानी और तेल लेकर आ गयी. उसने ज़मीन पर एक चटाई बिछाई और बोली कि इस पर टी शर्ट उतारकर लेट जाइए.
फिर मैंने वैसा ही किया और सिर्फ़ शोट्स पहनकर लेट गया.. वो मेरे पैरों मैं मालिश करने लगी. उसने उस वक़्त एक गुलाबी कलर की साड़ी पहनी हुई थी और वो थोड़ा झुककर मेरे पैरों पर तेल लगा रही थी.. जिससे उसके बूब्स ब्लाउज से बाहर आ रहे थे. यह देखकर मेरा लंड खड़ा हो गया और फिर मैंने देखा कि वो तिरछी निगाह से मेरे लंड को देख रही थी. मैंने ऐसे ही उससे बातें करते हुए उसको पूछा कि सीमा तुम्हारी उम्र क्या है? तो वो बोली कि 28 साल. फिर मैंने कहा कि क्या तुम्हारा मन नहीं करता कि तुम्हारी दोबारा से शादी हो? तो वो बोली कि साहब कौन सी औरत यह नहीं चाहती कि उसको उसका मर्द प्यार करे और मैं भी तो एक औरत हूँ.. लेकिन मेरा मर्द तो मुझे छूता भी नहीं और अब तो लगता है कि ऐसे ही ज़िंदगी काटनी पड़ेगी.. मुझे तरसते रहना पड़ेगा. फिर मैंने कहा कि क्या शादी के बिना प्यार नहीं हो सकता? तो वो बोली कि आप तो जानते हैं कि मैं गावं में रहती हूँ और इस गावं मैं कोई ऐसा है ही नहीं.. जो मुझे प्यार कर सके.
तब मैंने कहा कि क्या मैं भी नही? तो वो बोली धत.. आप क्यों मुझ जैसी गावं की लड़की को प्यार करेंगे? फिर मैं कुछ नहीं बोला और उठकर बैठ गया और उसकी आँखो मैं देखने लगा वो कुछ देर तो मुझे देखती रही और फिर उसने शरमाकर अपनी आँखें बंद कर ली. मैंने उसको पकड़कर सीने से लगा लिया उसके बूब्स मेरी छाती से दब रहे थे.. लेकिन वो कुछ नहीं बोली और उसने भी मुझे कसकर पकड़ लिया. तो मैंने उसके गरम होंठो पर अपने होंठ रखकर उनको चूसना शुरू कर दिया और मेरा एक हाथ उसके नरम नरम बूब्स को सहलाने लगा.. तो उसने मेरा हाथ पकड़ लिया और बोली कि प्लीज़ अभी यह मत करो क्योंकि मैं बिल्कुल कुँवारी हूँ और मेरा एक अरमान था कि जब भी मैं पहली बार चुदाई करवाऊँ तो वो बिल्कुल सुहागरात की तरह हो. आज मेरा पति दोपहर के वक़्त मेरे एक रिश्तेदार के घर चला जाएगा. मैं रात को आपका खाना लेकर आऊंगी तब यह सब.. क्योंकि घर पर कोई और रोकने वाला नहीं होगा. तब आप मुझे अपनी दुल्हन बनाकर बहुत सारा प्यार करना. तो मैंने कहा कि ठीक है.. लेकिन अभी जब शुरुवात हो गयी है तो कम से कम कुछ पिला तो दो और फिर मैंने उसका ब्लाउज सरकाकर उसका एक बूब्स बाहर निकालकर बहुत ज़ोर से चूस लिया.. वो आअहह करने लगी. उसके बाद वो अपने घर चली गयी. शाम को 6 बजे मेरा दरवाज़ा नॉक हुआ तो मैंने दरवाज़ा खोलकर देखा तो बाहर एक आदमी खड़ा हुआ था और उसके हाथ में एक बहुत बड़ा सा पैकेट था. उसने कहा कि सीमा के घर से यह सामान लाया हूँ.. उन्होंने आप को देने को कहा था. तो मैं वो पेकेट लेकर अंदर आ गया और जब खोला तो देखा कि उसमे बहुत से फूल थे और एक चिठ्ठी थी जिसमे सीमा ने लिखा था कि यह फूल भेज रही हूँ.. अपनी सुहागरात मानने के लिए इन फूलों से मेरी सुहागरात को यादगार बना देना.
फिर मैंने अंदर बेडरूम में बेड पर एक नई सफेद बेडशीट बिछाई और वो फूल उस पर डाल दिए और पूरा कमरा ऐसे सजा दिया जैसे सुहागरात में सजाया जाता है और खुद भी नहाकर शेव की और कुर्ता पायजामा पहनकर तैयार हो गया. रात को करीब 8:30 बजे सीमा आई और मैंने उसको किस करने की कोशिश की तो वो मुस्कुराते हुए बोली कि जानू थोड़ा इंतज़ार तो करो. उसके हाथ में एक छोटा सा बेग था और वो मुझसे बोली कि सब्र करो.. सब्र का फल मीठा होता है और मैं जब आपको बोलूंगी तब कमरे मैं आना.. तब तक इधर देखना भी नहीं और वो कमरे में चली गयी. फिर मैं बाहर बैठा इंतज़ार करता रहा. फिर आधे घंटे बाद अंदर से आवाज़ आई.. जानू आओ ना. मैं उठकर कमरे में गया तो उसको देखता ही रह गया.. उसने एक लाल साड़ी पहनी हुई थी और थोड़े से गहने और बहुत अच्छा मेकअप करके वो बिल्कुल दुल्हन बनी हुई थी और बेड पर थोड़ा सा घूँघट निकाल कर बैठी हुई थी.
तो मैंने दरवाज़ा अंदर से बंद किया और उसके पास जाकर बेड पर बैठ गया और उसका घूँघट उठाया उसने शरम से अपनी नज़रें झुका रखी थी और फिर मैंने उसकी आँखों पर अपने होंठ रख दिए तो उसने अपना बदन ढीला छोड़ दिया.. मैंने उसको किस करके सीने से लगा लिया और थोड़ी देर ऐसे ही बैठा रहा. उसकी धड़कन बहुत तेज चल रही थी.. फिर वो उठी और पास से गरम दूध का ग्लास उठाकर मुझे कहने लगी कि इसको पी लीजिए. फिर मैंने वो दूध का ग्लास उसके हाथ से लेकर साईड में रख दिया और उसको कहा कि जानू इस वक़्त यह दूध पीने का वक़्त नहीं है.. मुझे तो कुछ और पीना है. तो उसने शरमाकर धीरे से पूछा और क्या पीना है? तो मैंने उसके दोनों बूब्स को सहलाते हुए कहा कि यह पीना है. तो उसने शरमाकर धत बोला और कहा कि आप तो बहुत वो है. तो मैंने ऐसे ही बूब्स को सहलाते हुए उसको गरम करना शुरू किया और धीरे धीरे उसका पल्लू हटाकर उसके ब्लाउज के बटन खोलने लगा. तो उसने अपने हाथों से अपना चेहरा ढक लिया और बोली कि मुझे शरम आ रही है.
तो मैंने उसका पूरा ब्लाउज उतार दिया और फिर साड़ी भी खोल दी.. अब वो पेटीकोट और ब्रा में थी.. उसने सफेद कलर की ब्रा पहनी हुई थी. फिर मैंने उसको किस किया और पीछे से उसके ब्रा का हुक भी खोल दिया. अब मैं उसकी पीठ को सहला रहा था और उसकी गर्दन पर अपने होंठ रगड़ रहा था और उसके मुहं से हल्की हल्की आहह निकल रही थी. मैंने उसकी पीठ को सहलाते हुए अपना हाथ उसके पेटिकोट में डालते हुए उसकी गांड को भी सहलाना शुरू कर दिया और ऐसे ही मैंने ज़ोर लगाकर उसका नाड़ा तोड़ दिया और जैसे ही नाड़ा टूटा तो उसका पेटीकोट नीचे गिर गया. अब वो सिर्फ़ पेंटी में थी. मैंने उसको ऐसे ही बेड पर लेटा दिया और खुद खड़ा होकर अपने कपड़े उतारने लगा और खुद भी सिर्फ़ अंडरवियर मैं आ गया और धीरे से उसके ऊपर लेटकर होंठो से होंठ मिला दिए. उसके दोनों हाथ उसके सर के ऊपर ले जाकर उंगलियों मैं उंगलियाँ फंसाकर कसकर पकड़ लिया था और उसके होंठो का रस पीने लगा. ऐसे ही पीते पीते मेरा खड़ा लंड उसकी चूत के ऊपर पेंटी को रगड़ रहा था. उसने अपनी आँखों को बंद किया हुआ था और फिर मैंने एक हाथ से अपनी अंडरवियर उतार दी और पूरा नंगा हो गया. उसके बाद मैंने उसकी पेंटी भी उतार दी और फिर ऐसे ही उसके ऊपर लेट गया. फिर उसके सर पर उसको चूमना शुरू किया और नीचे की तरफ आने लगा.. जैसे ही मेरे होंठ उसकी चूत तक पहुंचे तो उसने दोनों हाथों से मेरा सर पकड़ लिया और उसके मुहं से सिसकारियाँ निकलने लगी. उसकी चूत बिल्कुल गुलाबी कलर की थी और बिल्कुल साफ थी. शायद उसने यहाँ आने से पहले ही अपनी चूत के बाल साफ किए थे. फिर उसकी चूत से हल्का सा पानी निकल रहा था.. तो मैंने उसकी चूत को सहलाना शुरू किया और थोड़ी देर बाद मैं खड़ा हुआ और उसके सर की तरफ जाकर उसके सर के नीचे एक हाथ रखकर उसका सर थोड़ा सा उठाया और उसके होंठ पर अपना लंड रगड़ दिया और उसने ऐसा करते ही अपना हल्का सा मुहं खोला. तो मैंने अपना लंड उसके मुहं में दे दिया.. जिसको उसने बहुत प्यार से चूसना शुरू कर दिया और मैं उसके बूब्स को सहला रहा था. फिर ऐसे ही कोई 10 मिनट तक मैं उसको अपना लंड चुसवाता रहा. फिर मैंने उसको बेड पर सीधा लेटाया और उसके पैर घुटनो से घुमाकर उसके दोनों हाथों मैं अपने लंड को पकड़ा दिया और मैं उसके दोनों पैरों के बीच आ गया और उसको बोला कि अब थोड़ा सा बर्दाश्त करना.. तुमको हल्का सा दर्द होगा. तो वो बोली कि मैं तैयार हूँ और उसके बाद मैंने अपने लंड का टोपा उसकी चूत के दाने पर रगड़ा तो उसके मुहं से अह्ह्ह उफ्फ्फ्फ़ की आवाज निकलने लगी और उसके पूरे जिस्म ने एक झटका खाया.. फिर मैंने एक हाथ से उसकी कमर को पकड़ा और दूसरे हाथ से अपना लंड पकड़कर उसके टोपे को उसकी चूत के छेद पर रखा.
फिर मैंने उसके दोनों कंधे पकड़कर हल्का सा धक्का मारा.. जिससे मेरे लंड का टोपा उसकी चूत में घुस गया और उसके मुहं से चीख निकल गयी. तो मैंने अपने लंड को वैसे ही रहने दिया और झुककर उसके निप्पल चूसने लगा.. वो दर्द से आहह आहह कर रही थी. फिर थोड़ी देर बाद उसका दर्द कुछ कम हो गया तो मैंने उसके बूब्स सहलाते हुए धीरे धीरे लंड को थोड़ा और अंदर किया. अंदर जाने के बाद मेरा लंड किसी चीज से टकराकर रुक गया.. वो उसकी चूत की सील थी जिससे मैं समझ गया कि अब वो और ज़ोर से चिल्लाने वाली है. तो मैंने उसको कसकर पकड़ लिया और अपने होंठ को उसके होंठो पर दबा दिये.. जिससे वो ज्यादा ज़ोर से चिल्ला ना पाए और पूरी ताक़त से एक ज़ोर का धक्का मार दिया. तो मेरा लंड उसकी चूत की सील तोड़ता हुआ पूरा अंदर घुस गया और वो दर्द से बिल्कुल तड़पने लगी और अपना मुहं मेरे होंठो से छुड़ाने की कोशिश करने लगी.. लेकिन मैंने उसको कसकर पकड़े रखा और अपना लंड भी अंदर डालकर कुछ देर रुका रहा. दर्द से उसकी आँखों से आँसू निकल आए थे.
फिर जब धीरे धीरे उसे आराम हो गया तो फिर मैंने उसके होंठो को आज़ाद किया और बूब्स पीने लगा.. उसके मुहं से अब करहाने की आवाज़े निकल रही थी और अब मैंने धीरे धीरे अपना लंड अंदर बाहर करना शुरू किया और धीरे धीरे स्पीड बढ़ाता गया और अब उसको भी मज़ा आने लगा था और वो अपनी गांड उछाल उछाल कर चुदवाने लगी थी. फिर ऐसे ही मैं उसको कोई 10 मिनट तक चोदता रहा और इतनी देर में वो एक बार झड़ चुकी थी और अब उसको बहुत मज़ा आ रहा था और वो कह रही थी आहह और ज़ोर से चोदो.. मेरी 28 साल की उम्र में इतनी खुशी मुझे कभी नहीं मिली.. आअहह मुझे पूरा निचोड़ दो मुझे. मैंने फिर उसकी चूत से लंड को बाहर निकाला और देखा कि बेडशीट खून से भर चुकी है.. फिर मैंने उसको घोड़ी बनाया और पीछे से उसकी गांड को पकड़कर फिर लंड उसकी चूत में डाल दिया और ज़ोर ज़ोर से चोदने लगा और अब मैंने अपने हाथ उसकी साइड से डालकर उसके दोनों बूब्स पकड़ लिए थे.. जो कि मेरे धक्को से बहुत बुरी तरह हिल रहे थे और ऐसे ही उसको धक्के देकर लगातार चोदता रहा. वो मज़े से सिसकारियाँ लेकर मुझसे चुदवा रही थी. तभी अचानक वो बहुत ज़ोर से चिल्लाई कि मैं झड़ने वाली हूँ और ज़ोर से चोदो और इतना बोलते ही उसके जिस्म को एक झटका लगा और वो फिर से झड़ गयी. फिर थोड़ी देर के बाद मुझे लगा कि अब मैं भी झड़ने वाला हूँ तो मैंने लंड को चूत से बाहर निकालकर उसकी गांड के ऊपर पिचकारी छोड़ दी.. क्योंकि मैंने कंडोम नहीं लगाया था. उसके बाद हम ऐसे ही नंगे कुछ देर एक दूसरे को किस करके लेट गये. फिर उसके बाद वो उठकर बाथरूम गयी.. उससे ठीक तरह से चला भी नहीं जा रहा था.. क्योंकि उसकी चूत फट गयी थी. तो मैं भी उसके पीछे पीछे बाथरूम गया और उसको बोला कि मेरा भी लंड साफ करो. फिर उसने अपनी चूत और मेरा लंड पानी से धोकर साफ किया.. जिससे मेरा लंड फिर से खड़ा होने लगा और मैंने उसे लंड चूसने के लिए कहा. तो वो मेरे पैरों के पास ज़मीन पर बैठकर मेरे लंड को लोलीपोप की तरह चूसने लगी. फिर मैंने उसको गोद में उठाया और बेडरूम में ले आया और बेडरूम में एक टेबल पर उसकी गांड टिकाकर उसके दोनों पैर ऊपर उठाकर अपने कंधों पर रखकर उसके सामने खड़ा होकर उसकी चूत में अपना लंड डाल दिया और फिर से उसको बहुत बुरी तरह से चोदने लगा और इस चुदाई में उसे भी बहुत मज़ा आया और इस तरह उस रात हमने अपनी सुहागरात में 4 बार सेक्स किया.. लेकिन सुबह उसकी ऐसी हालत हो चुकी थी कि वो बिल्कुल भी चल नहीं पा रही थी.. बहुत मुश्किल से वो अपने घर गयी.
फिर उसका पति तीन दिन बाद वापस आने वाला था और दिन के वक़्त मैं भी अपने काम के सिलसिले में व्यस्त था.. इसलिए वो तीन दिन तक रोज़ रात को आकर मेरी बीवी बन जाती थी और हम बहुत चुदाई करते थे. अब मैं जब भी उसके गावं में जाता हूँ तो वो मेरी बीवी बनकर आ जाती है और मेरे लंड की प्यास बुझा देती है ..

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फुफेरी बहन और मेरी लुल्ली

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दोस्तो.. मैं राज मल्होत्रा आप सभी के सामने देसी सेक्स स्टोरी पर अपना एक सच्चा सेक्स अनुभव लेकर आया हूँ और मैं उम्मीद करता हूँ कि यह आप सभी को यह जरूर पसंद आएगी।
यह आज की कहानी मेरी नादानी के लालच से शुरू होती है.. जो जाकर मेरी जवानी की आग पर खत्म होती है। इस कहानी की शुरुआत मेरे लड़कपन से होती है।

उस वक़्त मैं गर्मियों की छुट्टियों में मैं अपनी बुआ के घर गया था। मेरी बुआ के चार बच्चे हैं और उनमें से एक लड़का बाहर ही रहता है। उनका वो लड़का शादी-शुदा है और चंडीगढ़ में नौकरी करता है। एक लड़के की अभी शादी नहीं हुई है.. लेकिन वो अभी एक प्राइवेट नौकरी कर रहा है।
मेरी बुआ की एक बड़ी लड़की पढ़ाई कर रही है और छोटी लड़की जिसका नाम सिम्मी है.. वो मुझसे उम्र में कुछ साल बड़ी है।

उस वक़्त जब मैं गर्मियों की छुट्टियों में उनके घर गया था.. तब मेरी उम्र 18 साल की थी। जबकि मेरी फुफेरी बहन सिम्मी एक जवान माल थी और फाईनल साल में पढ़ रही थी।
उसका फिगर बहुत ही सेक्सी था। वो बहुत स्लिम थी.. लेकिन उसकी छातियाँ बिल्कुल गोल-गोल.. बहुत बड़ी.. टाईट और तनी हुई थीं। वो बहुत ही गोरी और सुंदर थी। वो मुझे बहुत प्यार भी करती थी और मेरे साथ हमेशा लूडो और कैरम खेलती थी।

मुझे कोल्ड-ड्रिंक और बर्फ का गोला बहुत पसंद था, वो मुझे हमेशा अपनी कार में लेकर बर्फ गोला खिलाने ले जाती थी। बर्फ गोले के ऊपर गोले वाला खोया और मलाई डाल कर देता था.. जो कि मुझे बहुत ही स्वादिष्ट लगता था। वो मुझे हमेशा खुश रखने की कोशिश किया करती थी और मेरी कोई भी बात नहीं टालती थी।

मैंने कई बार उनकी गोल-गोल.. गोरी और टाईट चूचियाँ देखी थीं.. क्योंकि वो कई बार घर पर गाऊन और टी-शर्ट पहनती थी और जब भी झुकती थीं.. तो मुझे उनकी चूचियों के दर्शन हो जाते थे। मुझे उनकी छाती देखना बहुत अच्छा लगता था.. लेकिन कभी उनके साथ सेक्स का अहसास दिल में नहीं आया।

वो मुझे छोटा समझकर मेरे सामने बिल्कुल फ्री रहती थीं। वो जब घर पर अकेली होती थीं.. तो उनकी हरकत पूरी बदल जाती थी और वो ज्यादातर समय टीवी चालू करके मुझे अपने पास बैठा लेती थीं और मुझसे चिपककर बैठ जाती थीं।
कभी-कभी वो मुझे अपनी गोद में बैठा लेती थीं और अपनी दोनों बाँहों से कसकर अपने सीने से लगा लेती थीं। जिसे मैं एक बहन का प्यार ही समझता था। इसमें मुझे अपनापन लगता और सेक्स का अहसास नहीं होता था।

लेकिन जब कभी वो मुझे सीधे से अपने गले से लगाती थीं.. तो मेरा चेहरा उनकी दोनों चूचियों के बीच में आ जाता था और उनके जिस्म की मादक खुश्बू और उनकी चूचियों की गर्मी और कोमल स्पर्श से मेरे अन्दर अजीब सी गुदगुदी होती थी।
वो मुझे जब तक अलग नहीं करती थीं.. तब तक मैं भी उनसे चिपका ही रहता था।

कई बार जब मैं सोकर उठता था तो मुझे ऐसा लगता था कि जैसे किसी ने मेरे जिस्म के कोमल अंग यानी कि मेरे लंड मतलब कि मेरी लुल्ली के साथ कुछ किया है.. लेकिन कभी मुझे समझ में नहीं आया।
उस वक्त मेरा गुप्तांग वाला हिस्सा बिल्कुल साफ था.. क्योंकि अभी वहाँ पर बाल निकलने शुरू नहीं हुए थे।

एक दिन मेरी बुआ.. अंकल और उनकी बड़ी लड़की एक शादी में शामिल होने के लिए चंडीगढ़ गए हुए थे और घर पर मेरे बड़े भैय्या, सिम्मी दीदी और मैं ही रह गए थे।

उस वक्त लोग वीडियो घर पर किराए से लाते थे और 2-3 फिल्म एक साथ देखते थे। तो एक दिन हमने भी घर पर सोमवार के दिन वीडियो प्लेयर मंगवाया और फिर हम लोग सारी रात नमकीन, मिठाई खाते रहे और चाय की चुस्कियों के साथ फिल्म देखी।
लेकिन भैया एक फिल्म देखकर सो गए क्योंकि उन्हें सुबह जल्दी अपनी फैक्ट्री जाना था जबकि हमने तीनों फिल्म बड़े आराम से देखीं।

सिम्मी दीदी ने मेरा सर अपनी गोद में रखा हुआ था और मेरे बालों में अपनी ऊँगलियाँ घुमा रही थीं और सुबह सिम्मी दीदी ने भैया को नाश्ता बनाकर दिया और मैंने भी टूथब्रश करके नाश्ता कर लिया।

फिर भैया के फैक्ट्री जाने के बाद दीदी ने मुख्य दरवाजा और घर के बाकी के दरवाजे बन्द किए और कूलर चालू कर दिया।
फिर हम दोनों साथ में ही सो गए। हम दोनों सब घर वालों के सामने भी साथ में ही सोते थे।

तभी थोड़ी देर के बाद दीदी ने मुझे अपनी ओढ़नी में अन्दर ले लिया और अपनी बाँहों में भींचकर अपने गाऊन के ऊपर से मुझे अपनी छाती से लगा लिया।
मैं भी उनके ऊपर हाथ रखकर बिल्कुल चिपक कर सो गया। मुझ में उस वक़्त तक कभी सेक्स का अहसास नहीं आता था.. लेकिन मुझे उनके साथ चिपककर सोना बहुत अच्छा लगता था।

लगभग 3-4 घंटों की गहरी नींद के बाद मुझे अपने प्रमुख भाग यानी कि अपनी लुल्ली में कुछ गुदगुदी महसूस हुई और नींद में ही मैंने अपना हाथ नीचे रखा। लेकिन मुझे कुछ भी पता नहीं चला और फिर मैं सो गया।

तभी मुझे कुछ देर बाद पेशाब जाने का अहसास हो रहा था.. लेकिन बिल्कुल फंसा होने की वजह से मैं टॉयलेट नहीं जा पा रहा था।
इसी वक़्त फिर से मुझे अपनी लुल्ली में गुदगुदी होने लगी और पेशाब का अहसास भी बहुत ज़ोर से होने लगा था।

मुझे लगा कि पेशाब बिस्तर पर ही ना निकल जाए.. जिसकी वजह से मैं डरकर झटके से उठ गया।
तभी देखा कि मेरी पैन्ट मेरे घुटनों तक नीचे थी और सिम्मी दीदी मेरी लुल्ली को बड़े प्यार से चूस रही थीं। उनका गाऊन पेट तक ऊपर था और वो अपनी एक ऊँगली से अपनी चूत को सहला रही थीं।

यह सब इतना जल्दी हो गया कि उन्हें संभलने का मौका ही नहीं मिला और मुझे कुछ समझ में नहीं आ रहा था।
मेरे यूँ अचानक उठ जाने से सिम्मी दीदी बहुत घबराई हुई थीं। पूरे कमरे में बिल्कुल शांति थी और मुझे तब तक सेक्स और सकिंग या सेक्स की ज़रा सी भी जानकारी नहीं थी।
फिर आख़िर में मैंने ही दीदी से कहा- आप बहुत बुरी हो.. आप इसे क्यों चूस रही थीं? यह तो बहुत गंदी जगह होती है.. इससे तो सू-सू करते हैं।

तो उन्होंने कुछ जवाब नहीं दिया और थोड़ी देर के बाद उन्होंने मुझे प्यार से समझाना शुरू कर दिया, उन्होंने मुझसे पूछा- क्या मैं तुमको अच्छी लगती हूँ?
जिसका जवाब मैंने ‘हाँ’ में दिया।

इसके बाद उन्होंने मुझसे वादा लिया कि मैं यह बात किसी को नहीं बताऊँ.. क्योंकि अगर यह बात मैंने किसी को बोली.. तो उनके मम्मी-पापा से उनको बहुत मार पड़ेगी और उनकी बहुत बेइज्जती होगी और वो आत्महत्या भी कर लेंगी।
फिर उन्होंने मुझे ब्लैक-मेल करते हुए पूछा- क्या तुम चाहते हो कि मुझको मार पड़े और मैं आत्महत्या कर लूँ।

ये कह कर वो रोने लगीं.. तो मैं बहुत डर गया।
दरअसल मैं उनका दिल नहीं दुखाना चाहता था और मैंने उन्हें चुप कराते हुए उनसे कहा- आप प्लीज़ मेरी बात का बुरा मत मानिए..।
मैंने उनसे ‘सॉरी’ भी बोला और वादा किया कि यह बात मैं कभी किसी को नहीं बताऊँगा।

तो वो बहुत खुश हो गईं और हम फिर से पहले जैसे हो गए लेकिन वो अब मुझसे थोड़ा दूर रहने लगी थीं।

एक दिन फिर जब हम घर पर बिल्कुल अकेले थे तो उन्होंने एक नंगी फोटो की किताब अपने कमरे में टेबल पर रख दी और मैंने उसमें नंगी सेक्सी फोटो और सेक्स करने के तरीके देखे।
फिर मैंने उनसे पूछा- क्या आप ऐसी किताबें पढ़ती हो?
तो उन्होंने कहा- हाँ.. सब लोग पढ़ते हैं।

फिर उन्होंने मुझे सेक्स की थोड़ी जानकारी दी और बताया कि कैसे बच्चा पैदा होता है और मुझसे पूछा- क्या तुम ब्लू-फिल्म देखना पसंद करोगे?
तो मैंने जल्दी से ‘हाँ’ कर दी। दरअसल मैं भी यह अनुभव करना चाहता था कि यह सब कैसा लगता है?

फिर एक दिन वो मुझे अपनी सहेली के घर ले गईं.. जिसके साथ वो अधिकतर समय पढ़ाई करती थीं और वहाँ पर उन्होंने मुझे ब्लू-फिल्म दिखाई।
मुझे ब्लू-फिल्म देखकर बहुत अच्छा लगा और फिर हम घर आ गए।

उस रात को अचानक से लाईट कट हो गई थी और हम सब ऊपर सोने के लिए चले गए। सबसे पहले मैं लेटा था फिर दीदी लेटी थीं। फिर जब करीब आधी रात हो गई और सब गहरी नींद में सो रहे थे.. तो सिम्मी दीदी मेरी तरफ घूमीं और उन्होंने अपने गाऊन के ऊपर के बटन खोल दिए और अपनी ओढ़नी मेरे ऊपर कर दी।
फिर अपनी गोल-गोल नरम और गरम चूची मेरे मुँह से लगा दी, मुझे उठा कर चूची चूसने को कहा।

तो मैंने उनके एक मम्मे को चूसना और दूसरे को दबाना शुरू कर दिया।
इसी के साथ उन्होंने अपना एक हाथ मेरी पैन्ट के अन्दर डाला और मेरी लुल्ली की मसाज करने लगीं और अपने दूसरे हाथ को गाऊन के अन्दर डालकर अपनी चूत सहलाने लगीं।

तभी थोड़ी देर के बाद वो धीरे-धीरे मादक सीत्कारें निकालने लगीं और कुछ देर के बाद उन्होंने मुझे कसकर अपनी बाँहों में जकड़ लिया।
शायद वे झड़ गई थीं.. थोड़ी देर के बाद हम सो गए।

ज्यादातर दोपहर के समय घर पर केवल हम तीन लोग ही होते थे.. मैं, मेरी बुआ और सिम्मी दीदी.. क्योंकि अंकल और भैया फैक्ट्री जाते थे और बहुत रात को आते थे।
जबकि बड़ी दीदी म्यूज़िक और ट्यूशन क्लास लेने के लिए जाती थीं और अक्सर हम लंच के बाद 02:00 बजे सो जाते थे और फिर 04:30 बजे उठ जाते थे।
हम अधिकतर समय अपना कमरा बन्द करके सोते थे.. जिससे कि कूलर की हवा कमरे के बाहर ना जाए।

लेकिन ब्लू-फिल्म दिखाने और उस रात के बाद अगली दोपहर को जब मैं दीदी के साथ सोने के लिए गया तो उन्होंने दरवाजा बन्द करने के बाद मुझे पैन्ट उतारने को कहा लेकिन मुझे उनके सामने पैन्ट उतारने में बहुत शरम आ रही थी और मैंने उनसे कहा- मुझे आपके सामने नंगा होने में बहुत शरम आ रही है।

तो उन्होंने ही आगे आकर मेरी पैन्ट नीचे उतार दी और मुझसे कहा- जब तुम मेरी सब बात मानोगे.. तो मैं तुम्हें कोल्ड-ड्रिंक, बादाम-मिल्क, बर्फ का गोला और कुल्फी-फालूदा खिलाऊँगी।
यह सब मुझे बहुत पसंद था.. इसलिए में उनकी हर बात के लिए राजी हो गया.. मुझे लौकी और करेला की सब्जी से बहुत नफ़रत थी।
तो उन्होंने कहा- तुमको आज के बाद कोई भी ये सब्जी खाने का दबाव नहीं डालेगा.. और मैं तुमको हमेशा एक अंडा बनाकर दे दिया करूँगी।

फिर मेरे मन का लालच जाग गया और मैं उनकी हर बात को मानने लगा।

फिर उन्होंने मेरी पैन्ट को उतारने के बाद तौलिया को पानी से गीला किया और अपनी चूत और मेरी लुल्ली को बहुत अच्छे से साफ किया.. फिर मेरी लुल्ली चूसने लगीं।
तभी थोड़ी देर बाद मेरी लुल्ली तनकर खड़ी हो गई और वो बहुत मजे लेकर मुँह को आगे-पीछे करके चूसने लगीं।

हम दोनों बिस्तर पर लेटे थे और उनकी चूत मेरे सामने थी तो उन्होंने मुझे अपनी एक ऊँगली से धीरे-धीरे उनकी चूत को सहलाने को कहा और मैं नौकर की तरह उनका ऑर्डर पूरा कर रहा था।

मैं उनकी चूत को सहला रहा था और वो मेरा लंड चूस रही थीं और कुछ देर के बाद मेरे शरीर को करंट के जैसा एक झटका लगा और मैं उनके मुँह में ही झड़ गया लेकिन मेरी लुल्ली से एक-दो बूंद ही वीर्य की निकली थीं जिसका उन्हें पता भी नहीं चला.. लेकिन मुझे बहुत अच्छा महसूस हुआ और कुछ देर के बाद वो भी झड़ गईं।

फिर वो मेरे साथ चिपककर लेट गईं और उन्होंने मुझसे अपने मम्मे चूसने को कहा.. मैं उनकी चूचियाँ अब बदल-बदल कर चूसने लगा, मैं चूचियों को दबा भी रहा था।

फिर उन्होंने मुझे उनकी चूत चाटने को कहा.. मुझे थोड़ा गंदा लगा.. तो उन्होंने मुझे 50 रुपये दे दिए तो मैंने जल्दी से उनकी चूत चाटनी शुरू कर दी और वो मेरा लंड चूसने लगीं।

कुछ देर के बाद उनका फिर से शरीर अकड़ने लगा और वो झड़ गईं.. लेकिन मुझे इसका आईडिया नहीं था।
फिर उन्होंने मुझसे कहा- अब काम खत्म हो गया है और अब मेरे पास आकर लेट जाओ।

उन्होंने 3-4 बार मेरे लंड को चूसा और मुझे बहुत गुदगुदी होती थी और वो फिर मुझे अलग कर देती थीं।
उन्होंने कई बार मेरी लुल्ली को अपनी चूत में डालने की कोशिश की.. लेकिन वो कामयाब नहीं हो पाईं.. क्योंकि मेरी लुल्ली बहुत छोटी थी और हर थोड़ी देर बाद ठंडी हो जाती थी।

फिर शाम को उन्होंने अपना वादा पूरा किया और मुझे कोल्ड-ड्रिंक पिलाई और आईसक्रीम खिलाई।

फिर अगले दिन वो मोमबत्ती लेकर कमरे में आईं और मुझे उन्होंने अपने ऊपर आधा लिटाया और मेरे हाथ में मोमबत्ती दे दी।
अब उन्होंने मेरी लुल्ली अपने मुँह में डालकर मुझसे मोमबत्ती उनकी चूत में डालकर हिलाने को कहा।
मैं उनके कहने पर उनकी चूत की चुदाई मोमबत्ती से करने लगा।

करीब 15 मिनट तक मोमबत्ती को ज़ोर-ज़ोर से आगे-पीछे करने के बाद अचानक से वो झड़ गईं और उनकी चूत से सफेद सा बहुत सारा पानी निकलने लगा।
वो एकदम से शांत होकर पड़ी रहीं और मुझे उन्होंने अपने मम्मे चूसने को कहा, मैं मजे से चूसता रहा।
अब तो जब तक मैं वहाँ पर रहा.. यह रोज़ का सिलसिला था, कभी मैंने उनकी चूत को चाटा और कभी मोमबत्ती से चोदकर उन्हें ठंडा किया।

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भाई के साथ मिलकर बनाई सेक्स मूवी

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मेरी उम्र १९ साल हे, गोरा बदन, काले बाल, ५’४ की हाईट और मेरी आँखों का रंग भूरा हे. एक दिन में अपनी सहेलियों के साथ सोपिंग कर के घर पहोंची, अपने कमरे में पहोंच कर मेने अपनि मेज की दरितेश खोली तो पाया की मेरी ब्लू रंग की पेंटी वहां रख्खी हुई थी. मेने अपनी पेंटी कभी भी वह रख्खी हो ये मुझे याद नही आ रहा था. इतने में मेने कदमो की आवाज मेरे कमरे की और बढ़ते सुनी. मेरी समज में नहीं आया की में क्या करू, में दौड़ कर अलमारी में जा छुपी. देखती हु की मेरा छोटा भाई पिंकू जो १८ साल का हे अपने दोस्त रितेश के साथ मेरे कमरे में दाखिल हुआ, प्रीति…,”पिंकू ने आवाज़ लगाईं.

में चुपचाप उनको देख रही थी, अच्छा हे वो घर पर नहीं हे, रितेश में ये पहली और आखरी बार तुम्हारे लिए कर रहा हूँ, अगर उसे पता चल गया तो वो मुझे जान से मार डालेगी.

पिंकू ने कहा, शुक्रिया दोस्त, तुम्हे तो पता हे तुम्हारी बहन कितनी सुन्दर और सेक्सी हे.

पिंकू ने मेरा ड्रावर खोला और वो ब्लू पेंटी निकल कर रितेश को पकड़ा दी. रितेश वो पेंटी हाथ में लेकर सूंघने लगा, पिंकू तुम्हारी बहिन की चूत की खुसबू अभी भी इसमें से आ रही हे. पिंकू जमीन पर नजरे गड़ाए खामोश खड़ा था.

यार ये धूलि हुई हे अगर न धूलि होती तो चूत के पानी की भी खुसबू आ रही होती. रितेश ने ये पेंटी को चाटते हुए कहा.

तुम पागल हो गए हो, पिंकू हस्ते हुए बोला.

कम ओन पिंकू, माना वो तुम्हारी बहन हे लेकिन तुम इस बात से इनकार नहीं कर सकते की वो बहोत ही सेक्सी हे, रितेश ने कहा.

में मानता हु की वो बहोत ही सुन्दर और सेक्सी हे, लेकिन मेने ये सब बाते अपने दिमाग से निकाल दी हे. पिंकू ने जवाब दिया. अगर वो मेरी बहन होती तो.

रितेश कहने लगा, क्या तुम उसके नंगे बदन की कल्पना करते हुए मुठ नहीं मारते हो ?

पिंकू कुछ बोला नहीं और खामोश खड़ा रहा.

शरमाओ मत यार अगर में तुम्हारी जगह होता तो यही करता.

रितेश ने कहा, क्या तुम्हारी बहन की बिना धूलि हुई पेंटी यहाँ नहीं हे.

जरूर यही कहीं होगी, में ढूँढता हूँ तब तक खिड़की पे निगाह रख्खो अगर प्रीति आती दिखे तो बताना. पिंकू कमरे में मेरी पेंटी ढूंढने लगा. पिंकू और रितेश को ये नहीं पता था की में घर आ चुकी थी और अलमारी में छिप कर उनकी हरकते देख रही थी.

वो रही मिल गयी, पिंकू ने गंदे कपडे के ढेर में से मेरी लाल पेंटी की और इशारा करते हुए कहा. रितेश ने कपडे के ढेर में से मेरी पेंटी उठाई जो मेने दो दिन पहले पहनी थी. पहले कुछ देर तक उसे देखता रहा, फिर मेरी पेंटी पे लगे दाग को अपनी नाक के पास ले ले जा कर सुंगने लगा.

म्मम्मम क्या सेक्सी सुगंध हे पिंकू, कहकर वो पेंटी को अपने गालों पे रगड़ने लगा.

मुझे अब भी उसकी चूत और उसकी गांड की खुसबु आ रही हे इसमें से, रितेश बोला.

तुम सही में पागल हो गए हो, पिंकू बोला.

क्या तुम सूंघना चाहोगे ? रितेश ने पूछा.

किसी हालत में नहीं पिंकू ने शर्माते हुए बोला.

में जानता हूँ तुम इसे सूंघना चाहते हो, पर मुझे कहते हुए शर्मा रहे हो, रितेश बोला. चलो यार इसमें शर्माना क्या आखिर हम दोस्त हे.

पिंकू कुछ देर तक सोचता रहा, तुम वादा करते हो की इसके बारे में कभी किसी को कुछ नहीं बताओगे.

पक्का वादा करता हूँ, रितेश ने कहा.

आओ अब और शरमाओ मत, सूंघो इसको कितनी मादक खुसबू हे. पिंकू रितेश के नजदीक पहुंचा और उसने हाथ से मेरी पेंटी ले ली. थोड़ी देर उसे निहारने के बाद वो उसे अपनी नाक पे ले जा के जोर से सूंघने लगा जेसे कोई परफ्यूम की महक निकल रही हो. मुझे ये देख के विश्वास नहीं हो रहा था की मेरा भाई मेरी ही पेंटी इस तरह से सुन्घेगा.

सही में रितेश बहोत ही सेक्सी स्मेल हे. मानना पड़ेगा, पिंकू सिसकते हुए बोला, मेरा लंड तो इसे सूंघते ही खड़ा हो गया हे.

मेरा भी,रितेश अपने लंड को सहलाते हुए बोला. क्या तुम अपना पानी इस पेंटी में छोड़ना चाहोगे ?

क्या तुम सीरियस हो पिंकू ने पूछा.

हाँ, रितेश ने जवाब दिया.

मगर मुझे किसी के सामने मुठ मारना अच्छा नहीं लगता, पिंकू ने कहा.

अरे यार में कोई पराया थोडा ही हूँ, हम दोस्त हे और दोस्ती में शरम केसी, रितेश बोला.

ठीक हे अगर तुम कहते हो तो.

रितेश ने अपनी पेंट के बटन खोले और उसे निचे खसका दी, पेंट निचे खसकते ही उसका खड़ा लंड उछल कर बहार निकल पड़ा. उसने उस पेंटी को अपने लंड की चारो और लपेट लिया और दूसरी को अपनी नाक पे लगा ली. फिर पिंकू ने भी अपनी पेंट उतारी रितेश की तरह ही करने लगा. दोनों लड़के उत्तेजना में भरे हुए थे और अपने लंड को हिला रहे था. दोनों को इस हालत में देखते होए मेरी भी हालत ख़राब हो रही थी.

में अपना हाथ अपनी पेंट के अन्दर डाल अपनी चूत पे रखा तो पाया की मेरी चूत गीली हो गयी थी और उससे पानी छुट रहा था. अलमारी में खड़े हुए मुझे काफी दिक्कत हो रही थी पर साथ में ही अपने भाई और उसके दोस्त को मेरी पेंटी में मुठ मारते देख में भी पूरी गरमा गयी थी.

मेरा अब छुट ने वाला हे, मेरे भाई पिंकू ने कहा.

मेने साफ़ देखा की मेरे भाई का शरीर थोडा अकड़ा और और उसके लंड से सफ़ेद वीर्य की पिचकारी निकल के मेरी पेंटी में गिर रही थी. वो तब तक अपना लंड हिलाता रहा जब तक की उसका सारा पानी नहीं निकल गया. फिर उसने अपने लंड को अच्छी तरह मेरी पेंटी से पूछा और अपने हाथ भी पूछ लिए. थोड़ी देर में रितेश ने भी वेसा ही किया.

इससे पहले की तुम्हारी बहन आ जाए और हमें ये करता हुआ पकड़ ले, मुझे यहाँ से जाना चाहिए. रितेश अपनी पेंट पहनते हुए बोला.

दोनों लड़के मेरे कमरे से चले गए. में भी खिड़की से कूद कर घूमते हुए घर के मैन दरवाजे से अन्दर दाखिल हुई. तो देखा पिंकू डाइनिंग टेबल पे बता सेंडविच खा रहा था.

हाय प्रीति, पिंकू बोला.

हाय पिंकू केसे हो? मेने जवाब दिया.

आज तुम्हे आने में काफी लेट हो गयी?

हाँ फ्रेंड्स लोग के साथ शोपिंग में थोड़ी देर हो गयी.

मेने जवाब दिया में किचन में गयी और अपने लिए कुछ खाने को निकालने लगी. मुझे पता था की मेरा भाई मेरी और कितना आकर्षित हे. जेसे ही में थोडा झुकी ओर मेने देखा की वो मेरी झांकती पेंटी को ही देख रहा था.

दुसरे दिन में सो कर लेट उठी, मुझे काम पर जाना नहीं था. पिंकू कॉलेज जा चूका था और मम्मी पापा काम पे जा चुके थे में अपने खुले बिस्तर पे पड़ी थी. अब भी मेरी आँखों के सामने कल वाला द्रश्य घूम रहा था. मेने अपने कपड़ो के ढेर की तरफ देखा और कल जो हुआ उसके बारे में सोचने लगी. किस तरह मेरा भाई और उसके दोस्त ने मेरी पेंटी में अपना वीर्य छोड़ा था. पता नहीं ये सब सचते हुए मेरा हाथ कब मेरी चूत पे चला गया और में अपनी ऊँगली से अपनी चूत की चुदाई कर रही थी. थोड़ी ही देर में मेरी चूत ने पानी छोड़ दिया. मेने बिस्तर से खड़ी हो के अपने सारे कपडे उतार दिए अब में आईने सामने खड़ी हो के अपने बदन को निहार रही थी. मेरा पतला जिस्म, गुलाबी चूत सही में सुन्दर दिख रही थी. में घूम कर अपनी चूत पर हाथ फिरने लगी, मेरे भाई और उसके दोस्त ने सही कहा था की में सही में सेक्सी देख रही थी. मे अपने कपड़ो के पास पहोची ओर लाल पेंटी को उठा लिया. रितेश के वीर्य के धब्बे उसपे साफ़ दिखाई दे रहे थे. में पेंटी को अपनी नाक पे लगा के जोर से सूंघने लगी रितेश के वीर्य की महक मुझे गरमा रही थी. में अपनी जीभ निकाल उस भाग को चाटने लगी. मेरी चूत में जोरो की खुजली हो रही थी, एसा लग रहा था की मेरी चूत से अंगारे निकल रहे हो.

पिंकू ने जो पेंटी में अपना वीर्य छोड़ा था उसे भी उठा सूंघने और चाटने लगी. मेने सोंच लिया था की जिस तरह पिंकू ने मेरे कमरे की तलाशी ली थी उसी तरह में भी उसके कमरे में जा कर देखूंगी. बहोत सालो के बाद में उसके कमरे में जा रही थी. मेने उसके बिस्तर के निचे झाँक के देखा तो पाया बहोत से गन्दी मेगेजिंस पड़ी थी. फिर उसके कपड़ो को टटोलने लगी उसके कपड़ो में मुझे उसकी शर्ट मिल गयी. मेरी पेंटी की तरह इस पर भी धब्बो के निशान थे में उसकी सर्ट को अपनी नाक पे ले जाके सूंघने लगी. उसके वीर्य की खुसबू आ रही थी शायद एसी हरकत मेने जिंदगी में नहीं की थी. उसकी शर्ट को जोर से सूंघते हुए में अपनी चूत में ऊँगली कर रही थी. उत्तेजना में मेरी साँसे उखड़ रही थी. थोड़ी देर में मेरी चूत ने पानी छोड़ दिया.

मेने तय कर लिया था की आज शाम को जब पिंकू कॉलेज से वापस आएगा तो में घर पर ना होने का बहाना कर छुप कर फिर उसे देखूंगी. और मुझे उम्मीद थी की वो कल की तरह मुझे घर पर ना पाकर फिर मेरी पेंटी में मुठ मारेगा.

जब पिंकू का आने का समय हो गया तो मेने अपनी दिन भर पहनी हुई पेंटी कपड़ो के ढेर पर फेंक दी. और कमरे के बहार जा कर खिडकी के पीछे छुप गई. मेने पिंकू के लिए एक नोट लिख कर छोड़ दिया था की में रात को देर से घर आउंगी. पिंकू जेसे ही घर आया तो उसने घर पर किसी को ना पाया. वो सीधे मेरे कमरे पहुंचा और मेरी छोड़ी हुई पेंटी उठाकर सूंघने लगा. उसने अपनी पेंट खोली और अपने खड़े लंड के चारो और मेरी पेंटी को लगा मुठ मारने लगा. दुसरे हाथ से उसने दूसरी पेंटी उठा कर सूंघ रहा था. में पागलो की तरह अपने भाई को मुठ मारते देख रही थी. मेने सोच लिया था की में चुपचाप कमरे में जाकर पिंकू को ये करते हुए रंगे हाथो पकड़ लुंगी. में चुपके से खिड़की से हटी और दबे पांव चलते हुए अपने कमरे के पास पहुंची. कमरे का दरवाज़ा थोडा खुला था, में धीरे से कमरे में दाखिल होकर उसे देखने लगी. उसकी आँखे बंध थी और वो मेरी पेंटी को अपने लंड पे लपेटे हुए जोर जोर से हिला रहा था.

पिंकू ये क्या हो रहा हे? मेने जोर से पूछा.

उसने मेरी और देखा, ओह मर गया. यह कहकर वो बिस्तर से उछल कर खड़ा हो गया. जल्दी से अपनी पेंट ऊपर कर के बंध की और मेरी पेंटी को मेरे कपड़ो के ढेर पे रख दी. उसकी आँखों में डर और शरम के भाव थे. हम दोनों एक दुसरे को घूरे जा रहे थे.

आई ऍम सॉरी, में इस तरह कमरे में नहीं आना चाहती थी, पर मुझे मालुम नहीं था की तुम मेरे कमरे में होंगे मेने कहा.

पिंकू मुह खोल कुछ कहना चाहता था पर शायद डर के मारे उसकी जबान से एक सब्द भी नहीं निकला.

तुम ठीक तो हो ना? मेने पूछा.

मुझे माफ़ कर दो… वो इतना ही कह सका.

मुझे उस पर दया आ रही थी, में उसे इस तरह शर्मिंदा नहीं करना चाहती थी.

कोई बात नहीं अब यहाँ से जाओ और मुझे नहाकर कपडे बदलने दो. मेने शांत भरे स्वर में कहां जेसे खुछ हुआ ही नहीं हे. उसने अपनी गर्दन हिलाई और चुप चाप वह से चला गया. रात तक वो अपने कमरे में ही बंद रहा. जब मम्मी काम पर से वापस आई और खाना बनाया तो हम सब खाना खाने डाइनिंग टेबल पर बेठे थे. पिंकू लेकिन शांत ही बैठा था.

बेटा पिंकू क्या बात हे आज इतने खामोश क्यों बेठे हो? मम्मी ने पूछा.

कुछ नहीं माँ बस थक गया हूँ. उसने मेरी और देखते हुए जवाब दिया.

में उसे देख कर मुस्कुरा दी और वो भी मुस्कुरा दिया. खाना खाने के बाद रात में मेने उसके कमरे पर दस्तक दी, उसने दरवाज़ा खोला.

हाय, क्या बात हे आज बात नहीं कर रहे, तुम ठीक तो हो? मेने पूछा.

ठीक हूँ बस आज जो हुआ उसकी शर्मिंदगी हो रही हे, उसने जवाब दिया.

शर्मिंदा होने की जरुरत नहीं हे, ये सब होते रहता हे. पर ये कब से चल रहा हे मुझे सच सच बताओ? मेने कहा.

वो एसा हे ना मेरा दोस्त रितेश, तुम तो उसे जानती ही हो. वो तुमसे प्यार करता हे. उसने मुझे १०० रूपये दिए की अगर में तुम्हारे कमरे में लाकर तुम्हारी पेंटी दिखा दूँ.

तो क्या तुम उसे ले कर आए? मेने पूछा.

मुझे कहते हुए शर्म आ रही हे, पर मैं उसे लेकर आया था और उसने तुम्हारी पेंटी को सुंघा था. उसने मुझे भी सूंघने को कहा और में अपने आपको रोक नहीं पाया. तुम्हारी पेंटी को सूंघते हेमे इतना गरम हो गया की में आज अपने आप को ये वापस करने से रोक ना पाया.

वैसे तो बहोत गन्दी हरकत थी तुम दोनों की. फिर भी मुझे अच्छा लगा. मेने हँसते हुए कहा.

तुम्हारा जब जी चाहे तुम ये कर सकते हो.

सही में ! क्या में अभी कर शकता हूँ? मम्मी पापा सो रहे हे, उसने पूछा.

एक ही शर्त पर जब में ये सब देख सकती हूँ तभी, मेने कहा.

हम लोग बिना शोर मचाये मेरे कमरे में पहुंचे. मेने टीवी ऑन कर दिया और कमरा बंद कर लिया जिससे सब यही समझे हम टीवी देख रहे हे.

पिंकू मेरे कपड़ो के पास पहुँच कर मेरी पेंटी को ले कर सूंघने लगा. मुझे देखने दो हंसते हुए उसके हाथ से अपनी पेंटी खिची और जोर से सूंघने लगी. म्मम्मम अच्छी स्मेल हे. हम दोनों धीमे से हँसे और बेड पर बेठ गए. तो तुम दिन में कितनी बार मुठ मारते हो? मेने पूछा.

दिन में कम से कम ३ बार, उसने जवाब दिया.

क्या तुम ये रितेश को बताओगे की मेने तुम्हे ये सब करते हुए पकड़ लिया? मेने फिर पूछा.

अभी तक इसके बारे में सोंचा नहीं हे.

मेने रितेश को कई बार तुम्हारे साथ देखा हे. देखने में स्मार्ट लड़का हे. मेने कहा.

वो तुम्हे पाने के लिए तड़प रहा हे. उसने कहा.

तुम्हे क्या लगता हे मुझे उसके साथ सोना चाहिए ? मेने पूछा.

हाँ इससे उसका सपना पूरा हो जाएगा, उसने कहा.

हम दोनों कुछ देर तक युही खामोश बेठे रहे फिर में उसकी आँखों में जांकते हुए मुस्कुरा दी. आज अगर तुम मुझे अपना लंड दिखाओ तो में तुम्हे अपनी चूत दिखा सकती हूँ. मेने कहा.

पिंकू ने मेरी तरफ मुस्कुराते हुए हाँ कर दी. हम दोनों कुछ देर तक चुप चाप एसे ही बेठे रहे आखिर उसने पूछा, पहले कौन दिखाएगा?

मुझे नही पता, मेने शरमाते हुए कहा.

तुम मेरा लंड दिन में देख चुकी हे इस लिए पहले तुम्हे अपनी चूत दिखानी होगी, वो बोला.

ठीक हे पहले में दिखाती हूँ, लेकिन तुम्हे दुबारा से अपना लंड दिखाना होगा. पहली बार में अच्छे से देख नहीं पाई थी. मेने कहा.

उसने गर्दन हिला कर हाँ कर दी.

में बिस्तर से उठकर उसके सामने जा खड़ी हुई. मेने अपनी जिन्स के बटन खोल कर उसे निचे खिसका दी और अपनी काली पेंटी भी निचे कर दी . अब मेरी गुलाबी चूत ठीक उसके सामने थी. पिंकू १० मिनट तक मेरी चूत को घूरता रहा. मेने अपनी जिन्स के बटन बंद किये और बिस्तर पर बेठ गई, अब तुम्हारी बारी हे.

पिंकू बिस्तर से खड़ा हो कर अपनी जिन्स और शोर्ट को निचे खिसका दी. उसका ७ इंच का लंड उछल कर बाहर आ गया. में काफी देर तक उसे घूरती रही फिर उसने अपना लंड अपनी शोर्ट में कर लिया और जिन्स पहन ली. कल मम्मी पापा बहार जाने वाले हे और रात को लेट घर आने वाले हे. तो क्या में कल रितेश को साथ ले आऊ ? उसने पूछा.

हाँ जरूर ले आना, मेने कहा.

में उसे जब बताऊंगा की मेने तुम्हारी चूत देखी हे तो वो जल जाएगा, उसने कहा.

उससे कहना की चिंता ना करे कल तुम दोनों साथ में मेरी चूत देख सकते हो मेने कहा.

दुसरे दिन में जब काम पर थी तो पिंकू का फोन मेरे सेल फोन पे आया. हाय क्या कर रही हो ?उसने पूछा.

कुछ ख़ास नहीं तुम कहो की फोन किया ?

अगर रितेश अपने एक दोस्त को साथ ले कर आये तो तुम्हे बुरा तो नहीं लगेगा ? उसने पूछा.

अगर सब कोई इस बात को रितेश रखते हे तो मुझे बुरा नहीं लगेगा, मेने जवाब दिया.

दोनों किसी से कुछ नहीं कहेंगे ये में तुम्हे विश्वास दिलाता हूँ. ठीक हे शाम को मिलते हे. कहकर पिंकू ने फोन रख दिया.

जब में शाम को घर पहोंची तो थोडा परेशान थी. पता नही क्या होने वाला था. में टीवी चालु करके शान्ति से उनका इन्तेजार कर ने लगी. थोड़ी देर में पिंकू घर में दाखिल हुआ. उसके पीछे रितेश और एक सुन्दर लम्बा सा लड़का था. उसने कंधे पे विडिओ केमेरा लटका रख्खा था. में शरमाई से सोफे पे बेठी हुई थी.

प्रीति ये रितेश और प्रशांत हे. पिंकू ने मेरा उनसे परिचय करवाया.

हेलो! मेने धीमी आवाज में कहा.

क्या हम सब तुम्हारे कमरे में चले? पिंकू ने पूछा.

हाँ यही ठीक रहेगा. कहकर में सोफे से खडी हो गेई. जब हम मेरे कमरे की और बढ़ रहे थे तो मेने पिंकू से पूछा, क्या तुम्म इन्हें सब बता चुके हो?

हाँ क्यों ? क्या कोई परेशानी हे ?

नहीं एसी कोई बात नहीं हे, मेने का.

जब हम कमरे में पहोंचे तो प्रशांत ने अपना केमेरा बिस्तर पे रख दिया. पिंकू कह रह था की अगर हम यहाँ आयेंगे तो हम अपनी चूत हमें दिखाओगी रितेश ने कहा.

अगर पिंकू कह रहा था तब तो दिखानी पड़ेगी, मेने हस्ते हुए जवाब दिया.

अगर तुम्हे बुरा नहीं लगे तो क्या में तुम्हारी चूत क फोटो ले सकता हूँ ? प्रशांत ने पूछा.!

बुरा तो नहीं लगेगा. पर तुम इसे किसे दिखाना चाहते हो? मेने पूछा.

अगर तुम नहीं चाहोगी तो किसी को नहीं दिखाएंगे. पर में अपनी एक वेबसाईट चालू करना चाहता हूँ. और में इस फोटो को अपनी उस साईट पे डाल दूंगा. तुम्हारा चेहरा तो दिखेगा नहीं इसलिए किसी को पता नहीं चलेगा की तुम कौन हो. प्रशांत ने जवाब दिया.

लगता हे इससे मुझे कोई प्रॉब्लम नहीं आनि चाहिए, मेने जवाब दिया.

प्रशांत ने अपना केमेरा उठा एडजस्ट करने लगा. फिर उसने मुझे अपनी जिन्स और पेंटी उतारने को कहा. दोनों लड़के मुझे घूर रहे थे. जब मेने अपनी जिन्स उतार दी और अपनी पेंटी भी निचे खिसका दी. मेरी गुलाबी ओर झांटोरहित चूत खुली सबके सामने थी. प्रशांत ने केमेरा एक दम चूत के सामने कर उसका डिजिटल फोटो ले लिया. में अपने कपडे पह्न कर बिस्तर पर बेठ गई. दोनों लड़के खुर्सी पर मेरे सामने बेठे थे, हम चारो आपस में बाते करने लगे पिंकू उन्हें बताने लगा की केसे मेने उसे अपनी पेंटी सूंघते पकड़ा था और केसे एक दिन पहले वो रितेश को हमारे घर लाकर मेरी पेंटी सुंघाई थी. रितेश और प्रशांत दोनों ही अच्छे स्वाभाव के लड़के थे. प्रशांत २२ साल का था और समजदार भी था. वो दौड़ कर बाजार गया और सब के लिए बियर ले आया बाते करते करते हमारा टॉपिक सेक्स पर आ गया. सब अपने चुदाई की कहानिया सुनाने लगे. केसे ये सब लोग कॉलेज की लड़कियों को चोदते थे. बाते करते करते सब के शारीर में गर्मी बढती जा रही थी.

अचानक रितेश ने कहा, क्यों ना हम प्रशांत के केमरे से एक ब्लू फिल्म बनाते हे और उसे उसकी वेबसाइट पे डाल देते हे. हम इसका पैसा भी सब व्यूअर्स से चार्ज कर सकते हे. फिर हर महीने एक नई फिल्म एड कर देंगे.

सूनने में तो अच्छा लग रह था. मेने कहा.

देखो तुम्हारे पेरेंट्स को भी आने में अभी ३ घंटे बाकी हे अगर तुम चाहो तो हम एक फिल्म आज ही सूट कर सखते हे, प्रशांत ने कहा.

शुरुआत केसे करेंगे कुछ आइडिया हे ? रितेश ने पूछा .

प्रीति क्यों न में केमेरा तुम पर फोकस कर दूँ. और शुरुआत तुम्हारे इंटरव्यू से करते हे. प्रशांत ने कहा. सुनने में इंट्रेस्टिंग लग रह हे. मेने कहा. में एक खुर्सी पर बेठ गयी और प्रशांत ने कैमरा मेरे चेहरे पर फोकस कर दिया.

अच्छा दोस्तों ये सुन्दर सी लड़की प्रीति हे. और प्रीति तुम्हारी उम्र क्या हे ? प्रशांत इंटरव्यू की सुरुआत करते हुए पूछा. और ये तुम्हारे साथ लड़का कौन हे.? उसने कैमरा को पिंकू की और घुमाते हुआ पूछा.

ये मेरा भाई पिंकू हे.

मेने जवाब दिया अच्छा तो ये तुम्हारा भाई हे तब तो तुम इसे बचपन से जानती हो. क्या कभी इसका लंड देखा हे ? प्रशांत ने पूछा.

मेरा मुह शर्म से लाल हो गया. हां बचपन में जब हम साथ साथ नहाते थे तो कई बार देखा हे, और अभी तो मेने कल ही देखा हे. मेने इसे रंगे हाथो अपनी पेंटी को अपनी पेंट पे लपेटे हुए मुठ मार रहा था और दुसरे हाथ में दूसरी पेंटी को पकडे सूंघ रहा था. मेने कहा.

ओह और जो आप ने देखा क्या वो आप को अच्छा लगा ? प्रशांत ने पूछा.

शर्म के मारे चेहरा लाल होता जा रहा था. हाँ काफी अच्छा लगा, मेने जवाब दिया.

क्या तुम पिंकू के लंड को फिर से देखना चाहोगी ? उसने पूछा.

हाँ अगर ते अपना लंड दिखाएगा तो मुझे अच्छा लगेगा, मेने शर्माते हुए कहा.

ओके प्रीति में तुम्हारा ड्राईवर लाइसंस देखना चाहूँगा और पिंकू तुम्हारा भी.

मेने अपना लाइसंस निकाला और पिंकू ने भी. प्रशांत ने दोनों लाइसंस पर कैमरा फोकस कर दिया. दोस्तों ये इनका परिचय पत्र हे दोनों सही में बहन भाई हे. और सकल भी काफी आपस में मिलती हे. प्रशांत ने कहा.

पिंकू अब तुम अपना लंड बहार निकालो अपनी बड़ी बहन को क्यों नहीं दिखाते जिससे ये अच्छी तरह से देख सके. प्रशांत ने कहा पिंकू का चेहरा भी उत्तेजना से लाल हो रह था. उसने अपनी जिन्स के बटन खोले और अपनी शोर्ट के साथ निचे खिसका दी . उसका लंड तन कर खड़ा था. तुम्हारा लंड वाकई में लम्बा और मोटा हे पिंकू. प्रशांत ने कहा.

प्रीति तुम अपने भाई के लंड के बारे में क्या कहती हो ? प्रशांत ने कहा.

मेने मुस्कुराते हुए जवाब दिया, बहुत ही जानदार और सेक्सी हे.

प्रीति अब तुम अपना मुंह पूरा खोल दो, अब तूम्हारा भाई तुम्हारे मुह में अपना लंड डालेगा ठीक हे प्रशांत ने कहा.

प्रशांत की बात सुनकर में चोंक गई. मेने ये बात सपने में भी नहीं सोंची थी, में और पिंकू एक दुसरे को घूर रहे थे. थोडा जिझाकते हुए मेने कहा, ठीक हे.

मेने पिंकू की तरफ देखा जो मेरे पास अपना लंड मेरे चेहरे पे रगड़ रहा था. मेने अपना मुह खोला और उसने अपना लंड मेरे मुह में डाल दिया. पहले तो में धीरे धीरे उसे चूस रही थी फिर चेहरे को आगे पीछे करते हुए जोर से चूस ने लगी. जब उसने अपना लंड मेरे मुह से निकाला तो एक पुच्च्च्छह्ह्ह्ह सी आवाज मेरे मुह से निकली मेने पलट कर कैमरे की तरफ मुस्कुराते हुए देखा. तुम सही बहोत ही अच्छा लोडा चुस्ती हो.

तुम्हारा क्या ख़याल हे रितेश इस के बारे में ? प्रशांत ने कैमरा रितेश की ओर मोड़ दिया जो अपना लंड अपने हाथो में ले हिला रहा था. प्रशांत ने फिर कैमेरा मेरी और करते हुए कहा प्रीति हम सब और हमारे दर्शक तुम्हारी चूत देखने के लिए मरे जा रहे हे. क्या तुम अपनी जिन्स और पेंटी उतार उन्हें अपनी चूत दिखा सकती हो?

मेने अपनी जिन्स और पेंटी उतार दी.

बहोत अच्छा मुझे तुम्हारी चूत पे कैमरे को फोकस करने दो.

उसने कैमरा ठीक मेरी चूत के सामने कर दिया.

एक बाल भी नहीं हे तुम्हारी चूत पे जेसे आज ही पैदा हुई हो, प्रशांत बोला. अब हम सब के लिए अपनी अपनी चूत से खेलो.

मेने अपना हाथ अपनी चूत पे रख दिया और अपनी ऊँगली अन्दर डाल रगड़ ने लगी. म्मम्मम मेरे मुह से सिसकारी निकल रही थी. बहोत अच्छा प्रीति लेकिन क्या तुम जानती हो की हम सब क्या देखना चाहेंगे? प्रशांत ने कहा.

क्या देखना चाहोगे ? मेने पूछा.

अब हम सब तुम्हारी गांड देखना चाहेंगे. प्रशांत ने कहा, तुम पीछे घूम कर अपनी गांड कैमरे के सामने कर दो.

मेने घूम कर अपनी गांड को कैमरे के सामने कर दिया और थोड़ी झुक गई जिससे मेरी गांड ऊपर को थोडा उठ गई. पिंकू देखो तुम्हारी बहन की गांड कितनी सुन्दर हे. रितेश ने कहा.

प्रीति अब में चाहता हु की अब तुम पूरी नंगी हो कर बिस्तर पर जाकर लेट जाओ और अपनी टांगो को हो सके उतना ऊपर हवा में उठा दो. प्रशांत ने कहा.

मेने अपनी गर्दन हिलाते हुए अपनी सेंडल उतार दी फिर अपना टॉप और ब्रा खोलकर एकदम नंगी हो गयी. में बिस्तर पे लेट के अपनी टाँगे घुटनों तक मोड़ अपनी छाती पे कर ली. प्रशांत ने कैमरा मेरी चूत और गांड पे ज़ूम कर दिया.

पिंकू तुम अपनी बहन की चूत को चाटोगे, प्रशांत ने कहा.

पिंकू ने हां में अपनी गर्दन हिला दी.

प्रीति तुम्हे तो कोई प्रॉब्लम नहीं हे अगर पिंकू तुम्हारी चूत को चाटे. प्रशांत ने पूछा.

मुझे कोई प्रॉब्लम नहीं हे बल्कि में तो कब से इन्तेजार कर रही हूँ की कोई मेरी चूत को चाटे. मेने हस्ते हुए कहा.

पिंकू घुटने के बल मेरी जांगो के बिच बेठ गया. और धीरे से अपनी जीभ मेरी चूत पे रख दी वो धीरे धीरे मेरी चूत को चाट रहा था. थोड़ी देर मेरी चूत को चाटने के बाद वो अपनी जुबान मेरी चूत से ले के मेरी गांड की छेद तक चाटता और वापस आके मेरी चूत को मुह में ले चूसने लगा.

पिंकू क्या तुम्हे तुम्हारी बहन की चूत का स्वाद अच्छा लग रहा हे. प्रशांत ने पूछा.

बहोत ही अच्छा स्वाद हे मज़ा आ गया. पिंकू मेरी चूत को और जोर से चूसते हुए बोला कौन सा स्वाद अच्छा हे चूत का या गांड का ? रितेश ने पूछा. वो अब भी अपने लंड को हिला रहा था.

पहले मुझे चखने दो फिर बताता हूँ कहकर पिंकू ने अपनी एक ऊँगली पहले मेरी चूत में डाल दी और फिर उसे निकाल अपने मुह में डाल के चूसने लगा. वेसे तो दोनों ही स्वाद अच्छे हे पर मुझे तो चूत ज्यादा अच्छी लग रही हे.

मुझे भी मेरी चूत का स्वाद चखाओ ना, मैंने पिंकू से कहा.

पिंकू ने अपनी दो उंगलिया पूरी की पूरी मेरी चूत में डाल गोल गोल घुमाने लगा. मेरी चूत की अन्दर से खुलने लगी. मेने अपनी चूत की नसों द्वारा उसकी उँगलियों को भीच लिया. थोड़ी देर में उसने अपनी ऊँगली मेरी चूत में से निकाल मेरे चेहरे के सामने कर दी. मेने कैमरे की और देखते हुए उसकी उंगलिया झपटकर अपने मुह में ले चूस ने लगी. जेसे में किसी लौड़े को चूस रही हूँ. पिंकू ने दुबारा अपनी उंगलिया मेरी चूत में डाल दी और अन्दर बहार करने लगा. फिर उसने झुक कर अपनी नुकीली जीभ मेरी चूत में डाल दी. उसकी जीभ काफी लम्बी थी और करीब ३ इंच मेरी चूत में घुसी हुई थी.

फिर वो निचे की और होते हुए मेरी गांड के छेद को चूसने लगा.

केसा लग रहा हर प्रीति? प्रशांत ने पूछा.

बहुत मज़ा आ रहा हे, मेने सिसकते हुए जवाब दिया.

क्या तुम अब अपने भाई के लंड को अपनी गांड में लेना चाहोगी ? प्रशांत ने कैमरा मेरी गांड की और करते हुए पूछा.

हाँ उसे कहो की जलदी से अपना मेरी गांड में पेल दे, मेने कहा.

मेरा भी उठ कर खड़ा हो गया. मेने भी अपनी टाँगे सीधी कर थोडा उन्हें आराम दिया और फिर टांगो को मोड़ छाती पे रख ली.

पिंकू क्या तुम ने कभी सोंचा था की तुम अपना लंड अपनी बाहें की गांड में डालोगे ? प्रशांत ने पूछा.

हाँ सपने देखते हुए मेने कई बार अपने लंड का पानी छोड़ा हे, पिंकू ने जवाब दिया.

देखो तुम्हारी बहेन अपनी गांड को ऊपर उठाए तुम्हारे लंड का इन्तेजार कर रही हे. में रितेश और हमारे सभी दर्शक इसका बेताबी से ये देखना चाहते हे. प्रशांत ने कहा. आज में डायरेक्टर हूँ इस लिए में बोलता हूँ वेसा ही करो. पहले अपने लंड के सुपाडे को इसकी गांड पे रगडो. पिंकू ने वेसा ही किया. अब धीरे धीरे अपना लंड उसकी गांड में डाल दो. उसने कहा पिंकू बड़े प्यार से अपना लंड मेरी गांड में घुसाने लगा. उसका सुपाडा घुसते ही मेरी गांड अन्दर से खुलने लगी. उसका लंड काफी मोटा था और वो अपने ७ इंच लंड को एक एक इंच करके घुसाता रहा. जब तक की उसका पूरा लंड मेरी गांड में नहीं घुस गया. पिंकू अब कस कास कर धक्के मारो और अपना पूरा पानी इसकी गांड में उढल दो प्रशांत ने कहा.

पिंकू अब मेरी चुतड पकड़ कर तूफानी रफ़्तार से मेरी गांड मार रहा था.

हम दोनों पसीने से तरबतर हो गए थे. में अपने हाथ से अपनी चूत घस्ते हुए अपनी उन्गली अन्दर बाहर करने लगी. मेरे मुह से सिसकियाँ फुट रही थी हाआआन ऐसे ही किया जाओ और जोर से पिंकू हाँ चोदो मुझे फाड़ दो मेरी गांड को आह में तो गयी. मेरा चूत में उबाल आना सुरु हो गया था. और दो धक्को में ही मेरी चूत ने सारा पानी छोड़ दिया था.

मेरा भी छुट रहा हे, कहकर पिंकू के लंड ने अपने वीर्य की बोछार मेरी गांड में कर दी.

हम दोनों के बदन ढीले पड़ गए थे गहरी साँसे ले रहे थे. उसका लंड अब ढीला पड़ने लग गया था मेने मुस्कुराकर उसे बाहों में लिया और चूम लिया प्रशांत अपने कैमरे से सूट कर रहा था. उसने कैमरे को बंद करते हुए कहा, प्रीति ये हमारा आज का आखरी सिन था. उम्मीद हे हम जल्द ही मिलेंगे. ओके बाय. बाय बाय सब कोई. मेने जवाब दिया में खड़ी हो कर अपने कपडे पहनने लगी. तीनो लड़के मुझे देख रहे थे.

क्या तुम सब कोई फिर से कुछ सिन सूट करना चाहोगे? में चाहता हूँ की हमारी वेब साईट सबसे अच्छी पोर्न साईट बन जाए.

रितेश ने कहा. हाँ जरुर करना चाहेंगे.

पिंकू बोला. हाँ मुझे भी अच्छा लगा.

में तैयार हूँ. मेने जवाब दिया.

थोड़ी देर में रितेश और प्रशांत चले गए.

मेरे मम्मी डेडी भी घर आ गए थे रात को हम सब खाना खाने डाइनिंग टेबल पर जमा थे. में और पिंकू खामोशी से खाना खाके अपने अपने कमरे में सोने चले गए. दो हफ्ते गुजर गए. मेरे और पिंकू के बिच इस दौरान किसी तरह की बातचित नहीं हुई थी. मुझे लगा की पोर्न साईट के लिए सिन सूट अब एक कहानी बन कर रह गयी हे. शायद सब कोई इससे बहोत चोके हे. लेकिन हर रात सोने से पहले में उस शाम के बारे में सोचते हुए अपनी चूत की गर्मी को अपनी उंगलियों से शांत करती थी. फिर एक दिन कॉलेज जाने से पहले पिंकू मेरे कमरे में आया. रितेश और प्रशांत पूछ रहे थे की क्या तुम दूसरी फिल्म करना चाहोगी ?

में खुद यही सोंच रही थी की तुम लोग ये फिल्म कब करोगे ? मेने कहा.

मम्मी डेडी दो दिन के लिए बहार जा रहे हे. पिंकू ने कहा.

क्या तुम लोग फिर आना चाहोगे ? मेने पूछा.

अगर तुम हाँ कहोगी तो, पिंकू ने जवाब दिया.

उस दिन में काम पर चली गयी और पुरे दिन शाम होने के इन्तेजार करती रही. सिर्फ सोच सोच के में इतना गरमा गयी थी की मेरी चूत से पानी छूटने लगा था. आखिर शाम को ठीक ५;०० बजे में घर पहोंच गयी. घर में घुसते ही मेने तीनो को सोफे पर बेठे हुए देखा.

हाय सब कोई केसे हो ? मेने पूछा.

हम सब ठीक हे. तुम केसी हो ? रितेश ने कहा.

मेने वहा जमीन पर कुछ सामन पड़ा देखा, ये सब क्या हे ? ये मेरे कैमरे का सामान हे. स्टैंड, ट्राईपेड़ वगेरह इससे मुझे कैमरा पकड़ कर सूट नहीं करना पड़ेगा. आटोमेटिक सूट होता रहेगा. प्रशांत ने कहा.

ठीक हे, अब क्या प्रोग्राम हे? सूटिंग कहा करना चाहोगे? मेने पूछा.

हम यहाँ भी कर सकते हे, प्रशांत ने कहा.

प्रशांत ने अपना केमेरा ओन किया और मुझ पर केन्द्रित कर दिया. दोस्तों हम आज फिर सुन्दर प्रीति के साथ बेठे हे. मेने अपना हाथ कैमरे के सामने हिलया. और ये पिंकू हे प्रीति का भाई. इससे तो प सभी मिल चुके हे. पिंकू ने भी अपना हाथ हिलाया. चलो तुम दोनों अब सुरु हो जाओ. प्रशांत एक डिरेक्टर की तरह निर्देश देने लगा. मेने और पिंकू ने मुस्कुराते हुए देखा. पिंकू आगे बढ़ मेरे होंठो पे अपने होंठ रख चूमने लगा.

मेने अपनी जीभ बहार निकाली और पिंकू मेरी जीभ को चूसने लगा. फिर उसने अपनी जीभ मेरी मुह में डाल दी हम दोनों की जीभ एक दुसरे के साथ खेल रही थी.

ओके प्रीति अब हमारे दर्शक तुम्हारी सुन्दर और आकर्षक गांड एक बार फिर देखना चाहेंगे. क्या तुम दिखाना पसंद करोगी ? प्रशांत ने कहा.

क्यों नहीं, इतना कहकर मेने अपनी पेंट और टॉप उतार दिया. फिर ब्रा का हुक खोल उसे भी निकाल दिया. फिर में अपनी पेंटी को निकाल के सूंघने लगी. और उसे अपने भाई की और उछाल दिया. उसने मेरी पेंटी को पकड़ लिया और सूंघने लगा. फिर में सोफे पर लेट गयी और अपनी टाँगे अपने कंधे पर रख ली जिससे मेरी गांड उठ गई. प्रशांत ने कैमरा मेरी गांड पर ज़ूम कर दिया.

मेने इतनी गुलाबी और सुन्दर गांड आज तक नहीं देखी, प्रशांत ने कहा.

पिंकू अब अपनी बाहें की गांड को चोदने के लिए तैयार करो. पिंकू ने अपनी दो ऊँगली मुह में ले ली गीली की और मेरी गांड में अन्दर तक घुसा दी. अब वो अपनी ऊँगली को मेरी गांड में गोल गोल घुमा रहा था. प्रशांत ने कैमरे को स्टैंड पे लगा के उसे आटोमेटिक सिस्टम पे कर दिया. मेने देखा की प्रशांत भी अपने कपडे उतार नंगा हो चूका था.

प्रशांत अब मेरे पास आया और मुझे गोद में उठा लिया. ठीक कैमरे के सामने आ वो सोफे पर लेट गया. और मुझे अपनी पीठ के बल अपनी छाती पे लिटा लिया. मेरा चुतोड़ो को उठा उसने अपने खड़े लंड को मेरी गांड के छेद पे लगा मुझे निचे करने लगा. कैमरा में उसका लंड मेरी गांड में घुसता दिखाई पड़ रहा था. अब वो निचे से धक्का लगा रहा था. साथ ही मेरे चुतड को अपने लंड के ऊपर निचे कर रहा था.

पिंकू आओ और अपने लंड को अपनी बहन के चूत में डाल दो तब तक में निचे से इसकी गांड मारता हूँ. प्रशांत मेरे मोमो को भिचते हुए बोला.

पिंकू ने तुरंत अपने कपडे उतारे नंगा हो कर एक जटके में अपना लंड मेरी चूत में डाक दिया. मेरे मुह से सिसकारी निकल पड़ी. मुझे बहोत ही मजा आ रहा था. एसी चुदाई मेने सिर्फ ब्लू फिल्म में ही देखि थी. लेकिन आज खुद करवा रही थी. एक लंड निचे से मेरी गांड मार रहा था और दूसरा लंड मेरी चूत का भरता बना रहा था. जब पिंकू अपना लंड मेरी चूत में जड़ तक पलता तो उसके बदन के दबाव से पूरी तरह प्रशांत के लंड पर दब जाती जिससे उसका लंड भी मेरी गांड की जड़ तक जा घुसता. दोनों खूब जोरो से धक्के लगा रहे थे. और मेरी साँसे उखड रही थी. हाँ छोड़ो मुझे और जोर से हां अमाआआर ऐसी ही चोद्द्द्दते जाओ. रुको मत हां और तेज हाँ प्रशांत ने मुझे थोड़े से ऊपर से उठा के घोड़ी बना दिया. पिंकू ने अपना लंड मेरी चूत से निकाल पीछे होकर खड़ा हो गया. प्रशांत अब मेरे चुत्तड पकड़ कर जोर के धक्के मार रहा था. उसके भी मुह से सिसकारी निकल रही थी. इतने में मेने उसके वीर्य की बोछार अपनी गांड में महसूस की. वो तब तक धक्के मारता रह जब तक की उसका सारा पानी नहीं छुट गया.

प्रशांत खड़ा हो कैमरा को अपने हाथ में ले मेरी गांड के छेड़ पे ज़ूम कर दिया. प्रशांत का वीर्य मेरी गांड से छुट रहा था. अपनी गांड को अपने हाथो से फेलाओ, उसने कहा.

मेने अपने दोनों हाथो से अपनी गांड और फेला दी. एसा करने उसका वीर्य मेरी गांड से टपकने लगा.

पिंकू देखो तुम्हारी बेहेन की गांड से केसा मेरा पानी टपक रहा हे, प्रशांत कैमरा को और मेरी गांड के नजदीक करते हुए बोला.

अच्छा हे मुझे लंड घुसाने में परेशानी नहीं होगी. पिंकू ने हस्ते हुए कहा.

पिंकू मेरे चेहरे के पास आ अपना लंड थोड़ी देर के लिए मेरे मुह में दिया.

मेने दो चार बार ही चूसा था की उसने अपना लंड निकाल लिया. मेरे पीछे आ उसने एक ही जटके अपना पूरा लंड मेरी गांड में डाल दिया और धक्के मारने लगा.

थोड़ी देर मेरी गांड मारने के बाद उसने अपना पानी मेरी गांड में छोड़ दिया. मेने अपनी उँगलियों को उसके पानी से भिगोने लगी. और फिर कैमरे के सामने देखती हुई अपनी ऊँगली चूसने लगी. अगली बार जल्द ही मिलेंगे. कहकर मेने अपना हाथ कैमरे के सामने हिला दिया.

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माँ की सेवा से मिली चूत

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प्रिय भाइयो और बहनो, बहुत दिनो से आप सभी के साथ अपना अनुभव शेयर करना चाहता था लेकिन आज समय मिल पाया. तब मे लगभग अठारह साल का रहा होगा, घर मे मेरे अलावा मम्मी और पापा थे. पापा ऑफीस के काम के कारण आम तौर पर बाहर ही रहते, मे अपनी पढाई मे बिज़ी रहता और मम्मी घर के कामो के बाद टीवी पर रोमांटिक और सेक्सी फिल्म देखना पसंद करती. घर मे मम्मी गाउन या साड़ी पहनती थी. जिसमे से उनका मादक गोरा बदन साफ नजर आता था. मे चोर नज़रो से लगातार उनको घूरता रहता, कई बार मे बाथरूम मे आँखें बंद कर अपनी मम्मी के बारे मे सोच-सोच कर खाली हो चुका था. मम्मी घर मे अपने कपड़ो के बारे मे ज़्यादा ध्यान नही रखती,जेसे झाड़ू या साफ़ सफाई के दोरान उनका पूरा मांसल बदन उनके गहरे गले के ब्लाउज से बाहर झाँकता, और मे भी कुछ कम नही था, मोका मिलते ही मम्मी के घर मे पहनने वाली ब्लाउज या गाउन के उपर और नीचे के हुक और बटन तोड़ देता जिस कारण मम्मी भी जल्दबाजी मे उसे ही पहन लेती, और मुझे अपनी आँखें सेकने का मोका मिल जाता.
एक बार तो मम्मी पापा को बोल भी रही थी की शायद मे मोटी हो रही हूँ. मेरे ब्लाउज के हुक बार-बार टूट जाते हे.एक बार पापा बाहर गये हुये थे, और घर पर मम्मी और मे ही थे. मम्मी दोपहर मे खाना बना रही थी, की अचानक प्रेशर कूकर मे से ज़ोर की आवाज़ हुई और उसमे से दाल का गर्म पानी का फव्वारा प्रेशर के साथ उड़ने लगा, मे दौड़ कर किचन मे गया, तो देखा की मम्मी उस गर्म पानी से भीग गयी थी, और उन्हे बहुत पीड़ा हो रही थी. मेने तत्काल उन्हे फ्रीज़ के ठंडे पानी से गीला किया और उन्हे बाथरूम मे शावर मे खड़ा कर दिया. जल्दी से उन्हे चादर से ढककर मे उन्हे अस्पताल ले गया, जहा लेडी डॉक्टर ने बताया की डरने वाली बात नही हे, गर्म पानी से जलने के कारण और बदन पर कपड़े भीगने से उनके बदन पर पानी से भरे फफोले हो गये हे, जो कि कुछ दिनो मे अपने आप ही फूट भी जाएगे. केवल क्रीम लगानी होगी और कुछ दवाई लेनी होगी. खेर हम घर आ गये मम्मी ने पापा को बताने से मना किया, लेकिन मेने उन्हे बता दिया की चिंता की बात नही हे, फिर भी वे दूसरे दिन सुबह वो बाहर से अपना काम अधूरा छोड़ घर पहुँच ही गये.
मम्मी का बदन पीठ जाघो पर, कुल्हो से ज़्यादा जला था शायद वहा ज़्यादा कपड़े होने से वह हिस्सा ज़्यादा देर गर्म पानी के टच मे रहा होगा. मम्मी तो कपड़े भी नही पहन पा रही थी इसलिये अस्पताल वालो ने जो एक ओपन गाउन दिया था वही पहन रखा था. लेकिन जब पानी से भरे फफोले बड़ने लगे, तो उन पर कपड़े से भी जलन होती इसलिये मम्मी एक पुरानी कॉटन की मच्छरदानी को बेड पर लगा कर बिना कपड़ो के रहती. पापा मम्मी को बदन पर क्रीम लगा देते. मे और पापा बाहर से खाना पानी दे देते जो की मम्मी अंदर ही खा पी लेती. लेकिन पापा को वापस भी जाना था, इसलिये उन्होने कहा की कोई नर्स लगा देता हूँ तो मम्मी ने कहा की नही मे चल फिर सकती हूँ बस कपड़े नही पहन पाने के कारण बेटे के सामने बाहर आने मे शर्म आती हे, तो पापा बोले की पागल हो गयी हे क्या? वह हमारा बेटा हे और उससे केसी शर्मखाना तो वह होटल से ले आयेगा,रही बात तुम्हे दवा लगाने की तो केवल पीठ पर ही तो लगानी रह जायेगी. खेर मम्मी राज़ी हो गयी, और पापा अपने काम से वापस बाहर चले गये.
अगले दिन सुबह मम्मी खुद ही फ्रेश होकर मच्छरदानी मे बेठी थी,मेने चाय नाश्ता और लंच पैक करा कर होटल से ला कर टेबल पर रख दिया, मम्मी ने वहा से मेरे जाने के बाद खुद ही खा पी लिया. शाम के समय मम्मी मुझसे बोली की बेटा ज़रा मेरी पीठ पर क्रीम लगा दो, मम्मी के बदन पर इस समय एक कॉटन की चुन्नी डाल रखी थी. जिसमे से उनका गोरा,मांसल बदन देख मे पागल सा हो गया, उपर से मुझे उसे छूना भी था. खेर मे अपनी भावनाओ पर काबू कर मम्मी के बदन पर क्रीम लगाने लगा, मम्मी ने अपने मोटे ताजे स्तनो को तो हाथो और नरम कपड़े से ढक रखा था, लेकिन उनका आकर मुझे साफ दिखाई पड रहा था, मम्मी की कमर,चूतड़ जाघो पर भी पानी के फफोले हो रहे थे, जिस कारण वह ठीक से ना तो बेठ पाती थी और नही लेट पाती थी. मम्मी मुझसे शर्म के कारण अपने कुल्हो आदि पर क्रीम नही लगवा रही थी लेकिन मेरे द्वारा कहने पर वह राज़ी हो गयी और धीरे से पेट के बल लेट गयी.
मम्मी ने कुल्हो पर कपड़ा डाल रखा था, जिसे मेने आहिस्ता से हटाया और हल्की फुल्की बाते करते हुये माहोल नॉर्मल बनाने की कोशिश करता रहा, अब मम्मी मेरे सामने पूरी तरह नंगी थी, मम्मी की जाघो के जोड़ो के बीच भी फफोला हो रहा था,लेकिन मम्मी अपनी टाँगे ज़रा भी चोड़ी नही कर रही थी जिसके कारण मुझे अपनी जन्मस्थली नही दिखाई पड रही थी, मेने बड़े आहिस्ता से बातो ही बातो मे मम्मी के दोनो पेर चोड़े कर दिये जिससे मुझे मम्मी की हल्के रेश्मि रुये दार चूत साफ दिखाई पड़ने लगी, मेरा लंड अब समा नही रहा था, लेकिन मेने अपनी सभ्यता और सेवा भावना का परिचय देते हुये बिना ग़लती किये क्रीम लगाई. रात मे एक बार फिर से मेने मम्मी को दवा लगाई, इस बार मम्मी कुछ और खुल कर मेरे सामने पेश आई और मुझसे अपने कंधो पर भी क्रीम लगवाने को तैयार हो गयी, जिस कारण मुझे उनके स्तनो का खूबसूरत नज़ारा देखने को मिल ही गया, मम्मी ने तो अपने स्तनो को छुपाने की काफी कोशिश की लेकिन मुझे मम्मी के निपल देखने का सोभाग्य मिल ही गया.
अगले दिन दोपहर तक मम्मी के काफ़ी सारे फफोले साफ हो गये, लेकिन नई स्किन आने तक उन्हे कपड़े पहनने मे तकलीफ़ हो रही थी, लेकिन मम्मी बेड पर बेठे-बेठे भी बोर हो गयी तो उन्होने मेरे मना करने के बावजूद घर का काम काज संभाल लिया, पापा भी दिन मे तीन चार बार फोन पर हाल चाल पूछ ही लेते थे,उनका टूर सात दिन और आगे बढ़ गया.मम्मी गाउन पहनकर घर मे घूमना चाहती थी लेकिन घाव मे जलन होने के कारण यह संभव नही था, इस लिये मेने कहा की मे पूरा फ्लेट बंद कर देता हू, ताकि कोई देख ना पाये, और आप चाहो तो बिना कपड़ो के घर मे घूम पाओ, आप चाहे तो मे भी अपने रूम को बंद कर लेता हूँ. तो मम्मी बोली की पागल ऐसी बात नही हे, अब तुझसे केसी शर्म और मम्मी ने मुझे ढेर सारे आशीर्वाद दिये और बोला की हमने शायद बहुत पुण्य कर्म किये होगे जो इस जीवन मे तेरे समान बेटा मिला.
अब मम्मी पूरी तरह से नंगी होकर घर मे मेरे सामने घूमती, मम्मी के भारी-भारी स्तन इतनी उम्र मे भी ज़रा भी नही लटके थे और एकदम टाइट रहते थे. मे अभी भी मम्मी के पूरे बदन पर दिन मे तीन चार बार क्रीम लगा रहा था, मेने एक बात नोट की अब मम्मी मुझमे ज़्यादा दिलचस्पी ले रही थी, एक बात और यह थी की मम्मी अब पहले की तुलना मे अपना बदन मुझे ज़्यादा दिखा रही थी, एक दो बार तो अपनी जाघो को पूरा मेरे सामने खोल कर अपनी गुलाबी मांसल चूत का जो नज़ारा मुझे कराया, वो तो शायद पापा ने भी नही किया होगा, मम्मी खुद आगे होकर मुझसे अपनी जाघो कुल्हो, और स्तनो तक पर क्रीम लगवा रही थी. जब मे रात मे मम्मी को क्रीम लगा रहा था तो मम्मी बोली की आज रात यही मेरे पास सो जा रात मे अकेली बोर हो जाती हूँ. तो मेने कहा की मम्मी मेरी नींद मे हाथ पेर चलाने की आदत हे और कही आप को लग गया तो तकलीफ़ होगी, तो मम्मी बोली की कोई बात नही, अब इतनी तकलीफ़ नही हे.
सोते समय मम्मी की चूत के पास का जो छोटा सा फफोला था वह फट गया, तो मेने उसका पानी कॉटन से पोछ कर दवा लगानी चाही तो मम्मी बोली की इसकी ऊपरी स्किन पकड़ कर धीरे से खीच दे, ऐसा करने के लिये मुझे मम्मी की चूत पर कई बार हाथ फेरने का मोका मिला, और कई बार तो मेने उसे जी भरकर दबाया. इस समय मम्मी अपनी आँखें बंद करके हल्की सी कराह रही थी. फिर हम दोनो सो गये,लेकिन मे तो अपने पास मे नंगी लेडी की बारे मे सोच कर ही पागल हुआ जा रहा था,की मेरी नींद लग गई. रात मे अपनी आदत के अनुरूप मेने गहरी नींद मे अपने हाथ पेर चलाना शुरू किये होगे, तो मम्मी बोली की बेटा ये तेरे बदन का बरमूडा मुझे चुभ रहा हे, ऐसा कर इसे खोल दे, मेने तत्काल अपना बरमूडा और साथ ही टी-शर्ट भी खोल दिया.
अब मेरे बदन पर केवल वी-शेप चड्डी रह गयी, जिसमे से मेरा उत्तेजित लंड भयानक लग रहा था, और मम्मी की निगाहे उस पर से हटने का नाम ही नही ले रही थी, रात मे लगभग चार बजे जब मे बाथरूम के लिये उठा तो, मेने नाइट लेम्प की रोशनी मे देखा की मम्मी अपनी दोनो टाँगे चोड़ी किये सो रही थी, जिस कारण उनकी खुली और रोटी के समान फूली चूत मुझे सीधा निमंत्रण दे रही थी, अब यह सब मेरी बर्दाशत के बाहर था, इसलिये मे धीरे से मम्मी से चिपक कर सो गया, और अपना मुहँ मम्मी के मांसल स्तनो के बीच घुसा दिया, कुछ हरकत ना होती देख मेने अपनी उंगलियो को धीरे-धीरे मम्मी की चूत पर फेरने लगा, और अपनी एक उंगली धीरे से फूली हुई चूत मे घुसा दी, चूत के अंदर का हिस्सा ग़ज़ब का नरम और गर्म था, यह मेरे जीवन का पहला अनुभव था, मे हल्के-हल्के अपनी उंगलिया चलाने लगा, मेने अनुभव किया की मम्मी के निपल कड़क होकर तन चुके थे, मेने तुरन्त अपनी उंगलिया चूत मे से निकाल ली, और आहिस्ता से पीछे हटने लगा,तभी मम्मी ने मुझे अपनी बाहो मे जकड़ते हुये धीरे से कहा की रुकना मत, अब और ना तरसा. मे पहले तो थोड़ा हिचकिचाया, फिर हिम्मत कर मम्मी के नंगे जिस्म से चिपक गया.
मे इस बात का ध्यान रख रहा था की कही मे मम्मी के जले हिस्से से ना छू जाऊ,तभी मम्मी ने अपने मांसल स्तनो को मेरे मुहँ मे दे दिया, जिनको मे चूसते हुये दबा भी रहा था, तभी मम्मी ने मेरे उत्तेजित लंड को पकड़ कर उसे दबाया और मेरा अंडरवेयर नीचे खीच दिया, मम्मी ने अपनी चूत को मेरे लंड से रगड़ते हुये उसे अपनी चूत के रस से भिगो सा दिया. मेने भी जोश मे आकर मम्मी की चूत को मुहँ मे लेकर उसे जी भर कर चूसा और अपनी जीभ को चूत मे घुसा-घुसा कर उसका पूरा रस चूस गया, यह सब मे एक ब्लू फिल्म मे पहले देख चुका था इसलिये मेरे मनकी यह इच्छा थी की जब भी मोका मिलेगा, चूत का सारा रस अपने मुहँ से पीऊगां. मम्मी अपने बदन को लगभग खीचते और चीखते हुये कह रही थी की डाल दे, घुसा दे अब मत तडपा.
मेने अपना लंड मम्मी की चूत मे सावधानी से घुसा दिया, यह मेरे जीवन का पहला अनुभव था लेकिन मम्मी तो इस सब की पक्की खिलाड़ी थी, इसलिये मम्मी की तरफ से मुझे अच्छा सहयोग मिला, अब मे बिना रुके आहिस्ता- आहिस्ता मम्मी के जख़्मो को बचाते हुये चुदाई किये जा रहा था, मम्मी भी अब काफ़ी खुल कर पेश आ रही थी, लगभग बीस मिनिट के बाद मे झड़ गया, इस बीच मम्मी दो बार मज़े मार चुकी थी, और कहने लगी की तेरे पापा भी बिल्कुल इसी अंदाज़ मे प्यार करते थे, लेकिन अब उम्र और बिज़नस के काम के कारण पहले जेसा मज़ा नही रहा. मुझे तो हफ्ते मे तीन चार बार सेक्स की आदत हे, लेकिन पापा के बाहर जाने के कारण हम पूरे महीने मे मुश्किल से दो या तीन बार मिल पाते हे. खेर अगली सुबह मम्मी और मे साथ मे ही बाथरूम मे नाहये, मेने सावधानी से मम्मी के सभी जले हिस्सो को धोया तो देखा की अब वो लगभग सुख चुके थे, और उन पर नयी स्किन भी आने लगी थी. मम्मी तो कपड़े पहनना चाहती थी. लेकिन मेरे कहने पर वह नंगी रहने को राज़ी हो गयी.
मे अपनी भावनाओ पर काबू नही रख पाता था इसलिये बार-बार मम्मी की मांसल और सफेद बदन से चिपक जाता, जब भी मम्मी किसी काम से झुकती मे उनके पीछे से उनकी फूली चूत मे उंगली या जीभ डाल देता. जब तक पापा लोटे मे दिन मे दो से तीन बार सेक्स करता रहता. यह सब अब हमारा रुटीन हो गया था, मम्मी को भी कुछ ज़्यादा ही सेक्स चड जाता था, कई बार तो वह ही नींद मे मेरे मुहँ मे अपने स्तन दे देती या अपनी गर्म कचोरी के समान चूत घुसा देती. जिसे चाट-चाट कर मे पूरी लाल कर देता और मम्मी को संतुष्टि देता. तो दोस्तों आप को मेरी यह कहानी केसी लगी मुझको जरुर बताये.

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सेक्सी मौसी की तड़पती चूत

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बात उन दिनों की हैं जब मैं कंप्यूटर इंजिनियरिंग का डिप्लोमा कर रहा था, मैं सेकेंड ईयर के एग्जाम देकर दिल्ली एक सेंटर पर कोचिंग लेने के लिए गया। मैं वहाँ अपनी मौसी जी के घर रहने लगा।

मेरी मौसी का नाम रेणु है, मेरी मौसी मौसा जी के साथ 3 सालों से वहाँ रह रही थी, मौसा और मौसी जी की बिल्कुल नहीं बनती थी। मेरी मौसी का शादी से पहले किसी और के साथ चक्कर था पर अब मौसी जी शादी के बाद बिल्कुल भी खुश नहीं थी।

मैं आपको बता दूँ कि मेरी मौसी एक बहुत मस्त शरीर की मलिका है। एक दिन जब मैं कोचिंग सेंटर से आया तो मौसी जी रसोई में रो रही थी। मैं समझ गया आज फिर इनका मौसा जी से झगड़ा हुआ है।

मौसा जी 4-5 दिनों के लिए बाहर गये थे। अब हम घर में एकदम अकेले थे। मैंने शाम को मौसी जी के साथ घर का थोड़ा काम करवाया और फिर रात का खाना खाकर टीवी देखने लगे। मैंने मौसी जी को कहा- मैं अब सोने जा रहा हूँ।

मौसी जी ने कहा- जाते हुए टीवी बंद करते जाना।

मैं टीवी बंद करके अपने कमरे में आकर सो गया। रात को मुझे पास के कमरे से किसी के रोने की आवाज़ आई। मैंने जाकर देखा तो मौसी जी रो रही थी। मैंने उनसे पूछा- आप क्यूँ रो रही हैं?

तो उन्होंने बताया- मैं तुम्हारे मौसाजी के साथ बिल्कुल खुश नहीं हूँ, वो मुझे बिल्कुल भी प्यार नहीं करते।

मैंने उनके आँसू साफ़ किए और उन्हें थोड़ी दिलासा दिलाई। वो मेरे कंधे पर अपना सिर रख कर बैठ गई। मैं उस रात उन्हीं के पास सो गया।

रात को करीब 2 बजे मेरी आँख खुली, मैंने महसूस किया कि मौसी जी का हाथ मेरे लण्ड के ऊपर है। मैंने झट से मौसी जी का हाथ

पकड़ कर हटा दिया और भाग कर अपने कमरे में चला गया।

जब मैं अपने कमरे में लेटा हुआ था तो मुझे वो सब ही याद आ रहा था जो मौसी जी के कमरे में हुआ। अब मुझे भी लग रहा था कि मुझे वहाँ से भागना नहीं चाहिए था। मैं भी अब मौसी जी के साथ सेक्स करना चाहता था। मैंने मुठ मारी और सो गया।

सुबह मौसी जी ने मुझे उठाया, वो हाथ में कॉफ़ी लिए खड़ी थी। उन्होंने मुझे कॉफ़ी दी और कहा- बेटा सैंडी, मैं कल रात के लिए

तुमसे माफी मांगती हूँ। मैं क्या करूँ, मुझे बहुत दिनों से तुम्हारे मौसा जी का प्यार नहीं मिला है।

मैंने मौसी जी को कहा- कोई बात नहीं मौसी जी, आप टेन्शन मत लो, मैं कल रात के बारे में किसी से नहीं कहूँगा।

मैंने उन्हें अभी तक यह नहीं बताया था कि अब मैं खुद भी उनके रूप का कायल हो चुका हूँ।

मौसी जी ने कहा- तुम जल्दी से नहा लो, मैं नाश्ता बना देती हूँ। फिर तुम सेंटर चले जाना।

पर मुझे तो आज मौसी की चुदाई करनी थी, मैंने मौसी को कहा- आज मेरी तबीयत कुछ ठीक नहीं है, मैं आज सेंटर नहीं जा रहा।

मौसी जी ने नाश्ते के बाद मुझे कहा- सैंडी बेटा, मैं तुम्हारी मालिश कर देती हूँ, तुम्हारा सिर दर्द ठीक हो जाएगा।

मौसी जी तेल लेकर बेड पर बैठ गई और मैं उनकी दोनों टाँगों के बीच में ज़मीन पर बैठ गया, मौसी जी मालिश करने लगी पर मेरे दिमाग़ में अभी भी रात वाली बात थी, मैंने धीरे से मौसी जी की सलवार में अपना हाथ नीचे से डाल लिया और सलवार थोड़ी सी ऊपर कर दी।

मौसी ने कहा- सैंडी, ये क्या कर रहे हो?

मैंने कहा- जो कल रात आप कर रही थी।

मौसी ने कहा- फिर कल रात क्यूँ भाग गये थे?

मैंने कहा- वो मेरी ग़लती थी कि मैं इस हूर की परी को छोड़ कर भाग गया, आज मैं आपकी सारी प्यास बुझा दूँगा।

मौसी ने कहा- फ़िर देर किस बात की है।

इतना सुनते ही मैं मौसी के कबूतरों को पकड़ कर मसलने लगा। मौसी ने भी मुझे अपने आगोश में समा लिया।

वाह ! क्या मज़ा आ रहा था।

फिर मौसी बेड पे लेट गई और बोली- आ जा मेरे राजा, बुझा दे मेरी सारी प्यास !

मैंने भी देर नहीं की और सीधा मौसी के ऊपर लेट गया। मौसी बोली- पहले मेरी चूत चाट कर इसका सारा रस आज निकाल दे !

मैंने उसी वक़्त 69 की पोज़िशन ली और मौसी की चूत चाटने में लग गया। मौसी भी मेरा लंड ऐसे चूस रही थी जैसे खा ही जाएँगी। 15 मिनट तक यही चला, इस बीच हम दोनों एक बार झड़ गये थे, हमने एक दूसरे का सारा रस पी लिया था, ऐसा लग रहा था मानो अमृत पी लिया हो।

मैंने फिर से उनके स्तन चूसने शुरू किए, वो थोड़ी देर में फिर चुदने के लिए तैयार ही चुकी थी।

फिर आई बारी चूत में अपना लौड़ा डालने की, मैंने पहले एक हल्का सा धक्का मारा, मेरा लंड थोड़ा सा अंदर चला गया। मौसी के मुँह से सिसकारियाँ निकालने लगी, मौसी बोली- अब इसको पूरा डाल दे, जल्दी कर, वरना मैं तड़पती रहूँगी।

मैंने दो धक्के और मारे और लंड पूरा अंदर घुसा दिया। मौसी के मुँह से चीख निकल गई, मैंने अपने होंठ उनके होंठों पे रखे और ज़ोर ज़ोर से चोदना शुरू किया। अब मौसी के मुँह से चीख नहीं निकल रही थी और हम दोनों ही चुदाई का पूरा मज़ा ले रहे थे।

मौसी ने कहा- और ज़ोर से सैंडी, वो तेरा बहन का लौड़ा मौसा तो कुछ करता नहीं, तू ही मेरी प्यास बुझा दे मेरे राजा।

मैंने उसके चूचे पकड़े और ज़ोर ज़ोर से धक्के मारने लगा। मौसी दो बार झड़ चुकी थी, मैंने कहा- मैं भी झड़ने वाला हूँ, कहाँ निकालूँ? मौसी ने कहा- अंदर ही निकाल दे और कर दे मेरी चूत को हरी भरी !

मैंने अंदर ही झाड़ दिया और हम एक साथ लेट गये।

मैं 3 महीने तक वहाँ रहा और इन 3 महीनो में मैंने मौसी को बहुत बार चोदा।

आपको मेरी कहानी कैसी लगी, प्लीज़ मुझे मेल करें।

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मेरी बहन की होने वाली ननद की चुदाई

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हेल्लो मेरा नाम नविन हैं और मैं मुंबई से हूँ. मेरी एज २४ साल हैं और मैं इस साईट का बड़ा फेन हूँ. मेरी यह कहानी मेरी सिस्टर की एंगेज के बाद स्टार्ट हुई. उस वक्त मेरी एज २० साल की थी. घर में बड़ा होने की वजह से सभी अरेंजमेंट मेरे पास ही था. लड़केवाले हमारे घर आये हुए थे और मैं काम में लगा हुआ था.

काम खत्म कर के मैं नहाने के लिए अपने कमरे में चला गया. कमरे का दरवाजा खुला था और मैं बाथरूम में नाहा रहा था. नाहा के मैं बहार आया और देखते ही चौंक पड़ा. एक लेडी मेरे कमरे में कपडे चेंज कर रही थी. उस वक्त वो सिर्फ ब्रा और पेंटी में थी. क्या मस्त फिगर था उसका! मैंने भी सिर्फ तोवेल लपेटा हुआ था बदन के चारोतरफ. उसे इस स्थिति में देख के मेरा लंड फट से खड़ा हो गया. उसने मेरी और देखा और मैं फट से वापस बाथरूम में घुस गया. अन्दर से ही मैंने आवाज लगाईं की आप का हो जाएँ तो मुझे बताना.

थोड़ी देर में उन्होंने आवाज दी और मैं बहार आया. अभी वो एक सेक्सी गुलाबी साडी में थी. इस साडी में तो वो बहुत ही सेक्सी लग रही थी. वो मेरी और देख के मस्त स्माइल दे के चली गई. मैंने उन्हें पहले नहीं देखा था लेकिन आगे से मैं उन्हें देखता तो देखता ही रहता. जिस जिस फंक्शन में वो होती मैं उनके आगे पीछे ही रहने की कोशिश करता था. उन्हें भी पता था की मैं उनके इर्दगिर्द रहता हूँ.

जब वो लोग जा रहे थे तो मेरी मौसी ने हम दोनों की पहचान करवाई. वो मेरी बहन की चचेरी ननंद थी और उसका नाम अनुराधा था.

कुछ ही दिन के बाद दीदी की शादी फिक्स हुई थी और अनुराधा एक दिन किसी काम से हमारे घर आई थी. काम निपटा के जब उनको जाना हुआ तो मेरी माँ ने मुझे कहा की नवीन बेटा इन्हें छोड़ आ तो जरा. मैंने अपना बाइक निकाला. मेरे घर से उनका घर करीब १५ किलोमीटर जितना दूर था. वो मेरी पीछे बैठ गई और मैं धीरे से बाइक को उनके घर की और भगाया.

रस्ते में मैंने उनसे कहा की उस दिन के लिए सोरी.

उसने हंस के कहा, गलती मेरी और सोरी तुम क्यों बोल रहे हो? मुझे ही रूम में आने से पहले पूछना चाहिए था.

मैंने जानबूझ कर ब्रेक लगाया एक खड्डे के सामने और उनका एकक बूब मेरे कमर को टच कर गया. वाऊ क्या मस्त मुलायम चुन्ची थी वो. मेरा लोडा एक सेकंड में ही खड़ा हो गया. पुरे रस्ते में मैंने कई बार चांस मारा. शायद वो भी जानती थी की मैं बार बार ब्रेक क्यों लगा रहा था.

फिर मैंने कहा, अगर आप बुरा ना माने तो आप से एक बात कहूँ?

उसने पूछा, क्या?

मैंने कहा, मैंने आप के जैसा फिगर नहीं देखा कभी पहले कसम से. आप को उपरवाले ने बड़ी ही फुर्सत से बनाया होगा.

उन्होंने मेरी कमर पर एक हाथ मारा और बोली, आप की मम्मी को बताऊँ यह सब!

मैंने कहा, देखा आप तो बुरा मान गई. मैंने पहले ही कहा था की अगर आप बुरा ना माने तो कुछ कहूँ.

उसने हंस के कहा, बाते अच्छी करते हो तुम वैसे.

फिर उन्होंने जो कहा उसका तो मुझे अंदाजा ही नहीं था.

उसने धीरे से पूछा, तुम कल मुझे मेरे घर आ के मिल सकते हो दोपहर में?

मैंने कहा, क्यूँ कुछ काम हैं.

उसने नजाकत से हंस के कहा, बड़ा जरुरी काम हैं.

मेरे मन में तो लड्डू फुट रहे थे. उसे मेरे से चुदाई के अलावा और क्या काम हो सकता था! मैंने उन्हें घर ड्राप कर दिया और वो घर में जा रही थी तो मैं उनके बड़ी कुलहो को इधर से उधर मटकते हुए देखने लगा. उन्होंने पीछे मुड के मुझे स्माइल दी और मैं बाइक की किक मार के घर की और निकल पड़ा.

दुसरे दिन २ बजे मैं उनके घर पहुंचा. उनके हसबंड जॉब पर गए हुए थे और वो घर में अकेली ही थी. उन्होंने दरवाजा खोला. मैंने देखा तो उन्होंने ब्ल्यू कलर की नाईटी पहनी हुई थी जिसके अन्दर ब्रा पेंटी शायद नहीं पहनी थी क्यूंकि बदन के उभार एकदम साफ़ दिख रहे थे नाइटी में. मैंने सोफे में बैठा और वो मेरी बगल में आके बैठ गई. मैं उन्हें देख रहा था तो वो बोली, मैं पहले दिन से ही तुम्हे जान गई थी. और जब तुमने मेरे फिगर का तारीफ़ किया तब तो मुझे पक्का यकीन हो गया.

मैंने भोले बनते हुए पूछा, किस चीज का यकीन?

उन्होंने कुछ जवाब नहीं दिया और मेरे शर्ट का कोलर पकड के मुझे अपनी और खिंच के मेरे होंठो के ऊपर किस कर लिया. मैंने भी एक भी पल गवाएं बिना सीधे ही उनके बूब्स को हाथ में ले लिया. ब्रा नहीं थी अन्दर सच में और वो सॉफ्ट बूब्स दबाने का बड़ा मजा आ रहा था!

फिर मैंने एक हाथ से उनकी नाइटी ऊपर कर के निकाल फेंकी. सच में उसका गोरा बदन बड़ा ही क़यामत लग रहा था. मेरे होंठो से अब मैं चुन्चियो को चाटने लगा था. उनकी सिसकियाँ निकल रही थी..हम्म्म्म हम्म्म्म अआह्ह्ह आआआआआ….!

मेरा दूसरा हाथ अब धीरे से उनकी चूत की और बढ़ गया और मैं चूत को सहलाने लगा था. चूत एकदम लिसी थी और उसके होंठो पर चिकना पानी निकल चूका था जिसने चूत को चिकनी बना दिया था. अब उस से रहा नहीं गया और उसने हाथ लंबा कर के मेरे लोडे को अपने हाथ में ले के दबाया. मेरा लोडा तो एकदम टाईट हो चुका था. मैं इस चिकनी चूत को चाटने का मौका हाथ से जाने नहीं देना चाहता था.

उनकी टांगो को सोफे के हेंडल पर रख के मैंने अपना मुहं चूत में डाला. चूत की गुलाब के पंखड़ियों जैसे होंठो को मैं अपने मुहं में डाल के चाटने लगा था अब! उसकी सिसकियाँ बढती ही जा रही थी और वो मेरे माथे को अपनी और खिंच रही थी. चूत से पसीने की बास आ रही थी और मैंने और भी जोर से उसे चाटने लगा था. एक मिनिट में ही उनकी चूत से पानी निकल गया जिसे मैंने पी लिया. फिर मैंने अपना लंड उनके मुहं के सामने रख दिया. यह अनुभवी भाभी ने मुह को खोल के लोडे को सीधा ही लपक लिया. कुछ देर तक मेरे लोडे को मस्त चूसने के बाद उन्होंने लंड को निकाल दिया. अब हम दोनों किस कर रहे थे और वो मेरे बालों को अपने हाथो से मसल रही थी. अब वो चुदने के लिए एकदम तैयार थी.

मैंने सोफे के निचे उतर के उनकी दो टांगो के बिच में जगह बनाई. अपना लंड उसकी चूत पर रख के मैंने एक ही झटके में अपना लंड उसकी चूत में कर दिया. वो मुझ से लिपट गई और मैं उसकी चूत में लोडे को अन्दर बहार करने लगा. उसकी चूत बड़ी ही हॉट और गीली थी मेरा लोडा बिना किसी परेशानी के अन्दर बहार हो रहा था. वो मुझे पूरा सपोर्ट कर रही थी और अपने बदन को हिला के मेरे साथ मजे ले भी रही थी. हालांकि उसको दर्द ही हो रहा था जो उसकी सिसकियों से साफ़ पता चलता था!

अब मैंने अपना स्पीड बढ़ा दिया और जोर जोर से चोदने लगा तो वो भी जोर जोर से आह आह ओह ओह ऊऊह ऊह्ह्ह्ह ऊऊउ करने लगी. २ मिनिट की और चुदाई में तो उसकी योनी झड़ गई और मेरे लोडे को गिला कर गई.

लेकिन मेरा अभी नहीं हुआ था. मैंने उसके बूब्स को चूसता हुआ अपने लोडे को अभी भी ठोके जा रहा था. उसकी साँसे फुल गई थी और पसीना निकलने लगा था. वो मुझे गले लगा के अपनी तरफ से मेरा लोडा खाली करने के लिए पूरा प्रयत्न कर रही थी. मैंने भी झड़ने के लिए अपनी स्पीड एकदम तेज कर दी थी और लंड जैसे की मख्खन में छुरी होती हैं ऐसे बिना किसी रुकावट के हिल रहा था.

बस दो मिनिट और मैंने उसे चोदा था की मुझे लगा की बदन का सारा लहू लोडे की और बढ़ रहा हैं. बदन में एक झटका लगा और लंड के मुहं से पेशाब के जैसे ही एक धार निकल पड़ी. १०-१५ मिलीलिटर वीर्य उसकी ढीली चूत में निकला जिसमे से कुछ बुँदे बहार भी टपक पड़ी. उसने बड़े ही प्यार से मुझे गले लगाया और किस करने लगी. दो मिनिट तक मैंने लंड को बहार नहीं निकाला और हम ऐसे ही पड़े रहे. फिर जब मैंने लंड बहार खिंचा तो उसने निचे झुक के लोडे के ऊपर से सारा माल चाट लिया.

उसने खड़े हो के फिर मुझे चुम्मा लिया और बोली की आज बहुत दिनों के बाद उसे पूरा सुख मिला था. मेरे लिए अपनेआप प् गर्व करनेवाली ही बात थी. मैंने कपडे पहने और फिर उससे आगे मिलने का वादा कर के मैं निकल पड़ा.

फिर तो दीदी की शादी के पहले मैं उसके पास बिलकुल जा नहीं सका था. शादी में भी हम एक दुसरे से बहुत बार मिले लेकिन चुदाई का जुगाड़ नहीं हुआ, लेकिन दीदी की शादी के बाद उसकी यह हॉट ननंद का चूत चोदन कार्यक्रम अभी भी चालु हैं. हमारे सबंध से उसको एक बेटी भी हुई हैं, और वो कहती हैं की उसकी नाक बिलकुल मेरे जैसे ही है!

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घर के आंगन में मिली बड़ा लंड

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हैल्लो दोस्तों, मेरा नाम संजना है और में सबसे पहले आप सभी को बहुत बहुत धन्यवाद देना चाहती हूँ क्योंकि आप लोगों की वजह से ही हम जैसे लोगों को अपनी बात कहने का मौका मिलता है और अब में अपनी घटना को विस्तार से सुनाने जा रही हूँ जिसमें मैंने मेरी बुआ के पति के साथ अपनी चुदाई के बहुत मज़े लिए.

दोस्तों उस समय मेरी दीवाली की छुट्टियाँ चल रही थी और मुझे कुछ दिन घूमने, आराम करने के लिए गाँव जाना था, लेकिन मेरे साथ घर वाले नहीं जा सकते थे क्योंकि माँ और पापा को अपने ऑफिस जाना था और भाई की कोचिंग क्लास अभी तक शुरू थी, लेकिन मेरी बुआ का परिवार भी गाँव जाने वाला था. हर साल एक परिवार को वहां पर जाकर दीवाली से पहले का सब काम करना रहता है, लेकिन इस साल मेरे सभी चाचा भी बहुत व्यस्त थे. मेरी बुआ ने कहा कि वो लोग वहां का सब काम कर लेंगे और मेरी बुआ को हमारा गाँव उनके ससुराल के गाँव से कुछ ज़्यादा पसंद था क्योंकि हमारा गाँव एक टापू के पास में है.

तो दोस्तों हुआ यह कि मेरे पापा ने मुझसे कहा कि में भी उन लोगो के साथ गाँव जा सकती हूँ. मेरी बुआ का बेटा निखिल मेरे बराबर ही है और मेरी उसके साथ अच्छी जमती है तो में भी अब उनकी यह बात सुनकर राज़ी हो गई और फिर हमने दस दिन का प्लान बनाया.

उसमे से कुछ दिनों के लिए बुआ के ससुराल जाने का प्लान भी था क्योंकि वहां पर उनकी देवरानी गर्भवती थी तो उन्हे गोद भराई की मदद करने के लिए जाना था. दोस्तों मेरी बुआ की उम्र करीब 40-42 साल होगी और उनके पति की उम्र भी करीब 43-44 साल होगी, उनके पति जहाज पर काम करते थे और वो दिखने में बहुत स्मार्ट भी थे. वो साल के आठ महीने जहाज पर बिताते थे और बाकी चार महीने अपने घर पर. फ्रेंच कट वाली दाड़ी, पूरी तरह से साफ चेहरा, 6 फुट हाईट, उनका अच्छा दिखने वाला शरीर था.

दोस्तों मेरी उनके पति के साथ भी बहुत अच्छी जमती थी और वो हमेशा मेरे साथ एक दोस्त की तरह बात करते थे और बहुत मस्ती मजाक़ भी करते थे, लेकिन मेरी बुआ थोड़ी खराब है, लेकिन वो मुझसे बहुत प्यार करती है और बुआ बहुत झगड़ालू भी है. पता नहीं उनका परिवार उनको रोज़ कैसे सहता है?

अब हम गाँव में पहुंच गये और हमारे गाँव के घर में हमारा जो नौकर है सोनू, उसकी कुछ ही महीनो पहले शादी हुई थी और अब हम पहली बार उसकी नयी नवेली दुल्हन से मिल रहे थे. वो बहुत सुंदर थी और वो करीब 22-23 साल की थी. वो दोनों अपने क्वॉर्टर में रहते थे और उनका क्वॉर्टर हमारे घर के पीछे की तरफ था. उसके लिए एक दरवाजा घर के अंदर से यानी हमारी किचन से था और दूसरा दरवाजा बाहर से था.

दोस्तों हमारा घर भले ही बहुत बड़ा था, लेकिन उसकी बनावट पुरानी स्टाइल में थी यानी कि दरवाज़े पर नये तरह के ताले नहीं थे पुरानी टाईप की कुण्डी थी और दरवाज़े भी पुराने टाईप के लकड़ी वाले थे. पहले दिन हम बहुत अच्छी तरह से सेट हुए और सोनू की बीवी सुप्रिया बहुत सुंदर थी, भले ही वो ज़्यादा पढ़ी लिखी नहीं थी और वो हमारी भाषा इतनी अच्छी तरह से नहीं समझ पाती थी, लेकिन वो बहुत ही कम समय में हमारे घर का सब काम अच्छी तरह से सीख गयी थी और वो खाना भी अच्छा ख़ासा बना लेती थी और बुआ के पति उसके साथ भी बहुत मस्ती मजाक़ किया करते थे.

एक दिन हुआ यह कि हम घर में सेट हो ही गये थे कि दो दिन में ही सोनू को अपने गाँव से कॉल आ गया और उसके पिताजी ने उसे बुलाया था क्योंकि उसके पिताजी की एक छोटी सी दुकान थी जिसमे चोरी हुई थी और अब सोनू को उन्होंने जल्दी से बुलाया था और सुप्रिया भी उसके साथ जाना चाहती थी, लेकिन सोनू ने उससे यहीं पर रहने को कहा क्योंकि घर का और हमारा ख्याल कौन रखता. वो उससे बोला कि वो जल्द से जल्द लौटने की कोशिश करेगा.

फिर अंकल ने सोनू को कुछ पैसे दिए और सोनू शाम को ही अपने घर पर चला गया और अब समस्या यह हुई थी कि दो दिन बाद बुआ, अंकल और निखिल को बुआ के गाँव जाना था. उनकी देवरानी की गोद भराई के लिए उनका प्लान यह था कि में सोनू और सुप्रिया के साथ घर पर ही रुकने वाली थी, लेकिन अब सोनू वहां पर नहीं था इसलिए सिर्फ़ वो हम दोनों पर पूरा घर छोड़कर नहीं जा सकते थे. तो फैसला यह हुआ कि बुआ और निखिल जाएँगे.

में और अंकल घर पर ही रुकेंगे क्योंकि गोद भराई में अंकल क्या करेंगे? और वो बुआ को अकेले भी नहीं भेज सकते और में तो उन लोगो को पहचानती भी नहीं थी इसलिए में उनके साथ नहीं जा सकती थी और सब सुप्रिया के साथ भी नहीं जा सकते थे क्योंकि घर का काम, पेड़, पौधो को पानी वग़ैरह देना होता है इसलिए हमारे साथ एक मर्द रुके इसलिए अंकल वहीं पर रुक गये. वो लोग वैसे भी सिर्फ़ दो रातो के लिए गये थे.

तो हमारा पहला दिन बहुत अच्छा गया, लेकिन में गौर कर रही थी कि अंकल सुप्रिया के साथ कुछ ज़्यादा ही मस्ती मजाक़ कर रहे थे और सुप्रिया भी उनसे बात करते वक़्त बहुत शरमाती. अब रात हुई और हमने खाना खा लिया और दस बजे सुप्रिया अपना सारा काम खत्म करके सोने चली गई. हमेशा अंकल और निखिल हॉल में सोते थे और बुआ और में अंदर.

आज भी हम वैसे ही सोए थे और में अकेली अंदर और अंकल अकेले हॉल में और सुप्रिया अपने क्वॉर्टर में सो गई. मुझे उस रात जल्दी नींद नहीं आ रही थी और में बस बिस्तर पर करवटे बदल रही थी. रात को करीब 11:30 बजे मुझे प्यास लगी तो में अपने कमरे से बाहर गई.

मैंने देखा कि अंकल अपने बिस्तर पर नहीं है. में जब किचन में गई तो मुझे किचन के अंधेरे में पास के क्वॉर्टर्स के बंद दरवाज़े के अंदर की लाईट चालू दिखी और अंदर से हल्की सी बातों की आवाज़ भी आ रही थी. मैंने किचन की लाईट को चालू किया और पानी पीने लगी और अब अचानक अंदर से आने वाली आवाज़ें बंद हो गई. मैंने लाईट को बंद किया और बाथरूम में चली गई और मैंने बाथरूम से बाहर आने के बाद देखा तो अंकल हॉल में अपने बिस्तर पर लेटे हुए थे.

अब उन्होंने भी मुझे देख लिया तो मैंने उनसे पूछा कि आप कहाँ गये थे? उन्होंने कहा कि में सिगरेट पीने बाहर गया था, क्यों तुम अभी तक सोई नहीं? तो मैंने कहा कि मुझे अंदर नींद नहीं आ रही है तो उन्होंने कहा कि अरे तुम भी बाहर आकर सो जाओ. फिर मैंने अपनी चादर उठाई और बाहर आकर अंकल के पास में सो गई और अंकल के साथ कुछ देर बातें करने के बाद मुझे नींद आ गई.

उस रात में फिर से नहीं जागी. दूसरे दिन सब कुछ ठीक ठाक था और पूरा दिन कुछ ख़ास नहीं था, लेकिन अंकल और सुप्रिया की मस्ती आज बहुत ज़ोरो में चल रही थी. फिर रात को हमेशा की तरह सुप्रिया ने दस बजे अपना पूरा काम खत्म किया और सोने चली गई और में आज भी अंकल के पास लेट गई, लेकिन में अंकल के साथ कुछ देर बातें करने के बाद सो गई. फिर रात को अचानक से मेरी आँख खुली तो मैंने देखा कि अंकल मेरे पास नहीं थे और वो आस पास भी कहीं नहीं थे. मैंने जब घड़ी में देखा तो एक बज रहे थे और दरवाज़े की कुण्डी भी अंदर से लगी हुई थी और अब मेरी नींद पूरी तरह से भाग गई थी. में किचन की तरफ गई तो मैंने देखा कि आज भी उस क्वॉर्टर की लाईट अंदर से चालू थी और अंदर ज़ीरो बल्ब भी था. में दरवाज़े के पास गई और अब मैंने उसे धक्का देना चाहा तो दरवाज़े की अंदर से कुण्डी लगी हुई थी.

फिर मैंने दरवाज़े पर अपना एक कान लगाया तो अंदर से कुछ आवाज़ भी नहीं आ रही थी बस पंखे की आवाज़ आ रही थी. फिर में खिड़की की तरफ गई और खिड़की को धक्का दिया तो वो थोड़ी सी खुल गई और मैंने अंदर देखा कि सुप्रिया चटाई पर पीठ के बल लेटी हुई थी उसके बाल खुले हुए थे और उसने उसका गाऊन नीचे से ऊपर किया हुआ था और उसकी दोनों आखें बंद थी और दोनों पैर फैले हुए थे. पैरों के बीच में अंकल पूरे नंगे होकर उस पर चढ़कर उसे धीरे धीरे धक्के देकर चोद रहे थे. अब में वैसे ही खड़ी रही और देखने लगी. अंकल जैसे ही ज़ोर का धक्का देते तो सुप्रिया ऊपर हो जाती. वो लोग पूरे रूम में अपनी चुदाई की ठप ठप आवाज को फैला रहे थे.

फिर कुछ देर बाद सुप्रिया उनको बस और नहीं बस करो कहने लगी तो अंकल ज़ोर ज़ोर से धक्के देकर चोदने लगे और उसे लंड के जल्दी जल्दी आने जाने के दर्द से तकलीफ़ होने लगी और अब वो ज़ोर से हिलने लगी और अब वो लोग खड़े हो गये, लेकिन अंकल ने चोदना नहीं रोका और अंकल बीच बीच में स्पीड एकदम कम करके ज़ोर से लंड को अंदर घुसाकर उस पर चढ़ते और वो अपनी पूरी कमर उठाती. दोस्तों उसे देखकर लग रहा था कि उसे ऐसे अलग अलग स्टाइल में सेक्स की आदत नहीं थी और वो बहुत दर्द महसूस कर रही थी. उसका सर अब दीवार पर लग रहा था और अंकल उसे ज़ोर से चोद रहे रहे थे.

तभी अंकल ने एकदम से अपने धक्के रोक दिए और मैंने उनके चेहरे की तरफ देखा तो वो मुझे देख रहे थे. में जल्दी से नीचे झुक गयी और छुप गई. अब मैंने जल्दी से पीछे का दरवाज़ा धीरे से बंद किया और अपने बिस्तर पर दौड़कर लेट गई और सोने का नाटक करने लगी.

फिर अंकल मेरे अंदर आने के बहुत देर बाद आए, लेकिन अभी भी मुझे नींद नहीं आई थी. मेरी छाती अभी भी ज़ोर ज़ोर से धड़क रही थी. फिर अंकल ने मुझे आवाज़ दी, लेकिन मैंने कोई जवाब नहीं दिया क्योंकि में सोने का नाटक करने लगी थी. फिर वो लेट गये और मेरे पास में आकर मेरी तरफ बहुत ध्यान से देखने लगे क्योंकि उन्हे पता चल गया था कि में सोने का नाटक कर रही हूँ.

उन्होंने वापस मुझे आवाज़ दी, लेकिन अब भी मैंने कोई जवाब नहीं दिया तो उन्होंने सोते हुए मुझ पर अपना एक हाथ रख दिया. फिर मैंने उनका हाथ अपने ऊपर से हटाया और वहां से हटकर दूर सो गई. उन्होंने मुझे ऐसे ही रहने दिया और वापस हाथ नहीं लगाया और अब मुझे कुछ देर बाद नींद आ गई. सुबह अंकल बिल्कुल अजीब सा व्यहवार कर रहे थे. वो मुझे हर बात पर घूरते यह देखने के लिए कि क्या मेरा उनकी तरफ अपना व्यहवार बदला है? में उनको अनदेखा करने की कोशिश कर रही थी, लेकिन जब भी वो मिलते तो में उनसे अच्छी तरह बात करती थी, जैसे कि मैंने कुछ नहीं देखा हो, लेकिन सुप्रिया मेरे साथ बिल्कुल पहले जैसी थी, शायद वो यह सब नहीं जानती थी कि मैंने उन दोनों को देखा है. वो बस अंकल के आस पास थोड़ी शांत रहती.

उस दिन शाम को बुआ और निखिल लौट आए, सब कुछ ठीक ठाक था क्योंकि मैंने अब तक बुआ को कुछ नहीं बताया था. अंकल मुझे बार बार देख रहे थे और जैसे ही में बुआ के साथ अकेली रहती तो वो बीच में आ जाते ताकि में उनको कुछ बता ना सकूं और उस रात अंकल ने एक चाल चली ताकि में बुआ के साथ ना सो सकूं. उन्होंने कहा कि आज हम बरामडे में सोते है ताज़ा खुली हवा में, लेकिन बुआ ने साफ माना किया, लेकिन में और निखिल राज़ी हो गये और हम तीनों रात को बाहर सो गये. निखिल मेरे और अंकल के बीच में सोया हुआ था. अंकल बार बार उठकर मुझे देखते और में सोए होने का नाटक करती और फिर आख़िर में मुझे नींद आ ही गयी, उसके बाद अंकल सोए या सुप्रिया के पास गये यह में नहीं जानती. दूसरे दिन अंकल मेरे साथ जब भी अकेले बैठने आते तो में कोई ना कोई बहाना बनाकर वहां से चली जाती. उन्होंने शायद इस बात पर गौर किया और उस रात भी हम बाहर ही सोने वाले थे.

निखिल जल्दी सो गया और में कुछ देर बुआ के साथ बात कर रही थी. अंकल बार बार रूम के आस पास घूमते रहते निखिल कल की तरह बीच में सोया हुआ था तो में एक किनारे में सोई थी और अब अंकल बैठकर सिगरेट पी रहे थे. कुछ देर बाद वो उठकर कही पर चले गये और वो जब कुछ देर तक नहीं आए तब में समझ गई कि वो सुप्रिया के रूम के अंदर होंगे. में उठी और चुपचाप पीछे की साईड के दरवाज़े से अंदर चली गई, लेकिन उस क्वॉर्टर का दरवाज़ा बंद था और अंदर की लाईट भी बंद थी. में जल्दी से खिड़की की तरफ गई और मैंने जब खिड़की खोलनी चाही तो वो एकदम टाईट बंद थी और में उसे ज़ोर से धक्का देने लगी.

तभी पीछे अंकल की आवज़ आई तुम यह क्या कर रही हो? मेरी जान निकल गई और में एकदम से डर गई क्योंकि अब अंकल ठीक मेरे पीछे खड़े हुए थे, लेकिन मैंने कुछ नहीं कहा और वहां से झट से चली गई. में समझ गई कि वो अब यह बात समझ गये है कि में वहां पर क्यों आई हूँ.

फिर में जाकर चुपचाप सो गई और में अभी कुछ देर पहले रंगे हाथ पकड़ी गई थी तो अंकल भी कुछ देर बाद अंदर आ गए और उन्होंने निखिल को किनारे पर धकेल दिया और खुद बीच में सो गये बिल्कुल मेरे पास में. फिर मैंने देखा कि निखिल गहरी नींद में था इसलिए ना उसे कुछ समझ आया और ना ही वो हिला था, लेकिन में अब बिल्कुल सतर्क हो गई थी. उन्होंने मुझसे धीरे से पूछा कि तुम वहां पर क्या कर रही थी? में अब नींद में होने का नाटक करने लगी, लेकिन उन्होंने फिर से मुझे हिलाकर पूछा और मैंने नींद में धीरे से कहा कि हाँ. उन्होंने कहा कि मुझे पता है तुम जाग रही हो और सोने का नाटक मत करो और मुझे सच सच बताओ कि तुम वहां पर क्या कर रही थी? तो मैंने कहा कि कुछ नहीं, उन्होंने कहा कि अब झूठ मत बोलो, लेकिन में अब भी एकदम चुप रही.

फिर से बोले क्यों तुम वहां पर क्या देख रही थी? में फिर चुप रही. अब वो मेरे एकदम करीब आए और बोले कि क्या देखना था तुम्हे? तो मैंने बहुत डरते हुए कहा कि कुछ नहीं, वो बोले कि अच्छा तो फिर तुम उस दिन क्या देख रही थी? में बिल्कुल चुप रही, लेकिन तभी उन्होंने मुझसे गुस्से से कहा कि बोलो.

मैंने नींद में कहा कि आपको वो सब पता है ना और में अपनी बाई तरफ मुड़कर सो गयी. उन्होंने मुझे पकड़कर घुमाया और बिल्कुल सीधा कर दिया और कहा कि जवाब दो. मुझे वो उस समय बहुत गुस्से में थे और में बहुत डर रही थी. मैंने भी घबराहट में कहा कि प्लीज अब आप मुझे सोने दीजिए वरना में बुआ को बताउंगी, तो वो बोले कि बोल क्या बताएगी? लेकिन में चुप रही और वो बार बार पूछते गए, बता तू क्या बताएगी? उनके बहुत बार पूछने के बाद में बोली कि वही, तो वो बोले कि वही क्या? में बोली कि कुछ नहीं.

वो अब बहुत प्यार से पूछने लगे बताओ ना बताओ में बिल्कुल भी गुस्सा नहीं करूँगा, संजना मुझसे बात करो, में तुम पर गुस्सा नहीं करूँगा. तो मैंने कहा कि मुझे नींद आ रही है प्लीज अब आप मुझे सोने दीजिए. उस समय मैंने अपनी दोनों आखें बंद कर रखी थी. फिर वो बोले कि क्यों तुम मुझ पर गुस्सा हो? में चुप रही. वो बोले कि क्या तुम अपने अंकल से ऐसे बात करोगी?

यह बात कहकर वो मेरे एकदम करीब आए और मेरे मुहं को हिलाने लगे ताकि में आँख खोल दूँ और बोले कि आखें खोलो संजू, लेकिन मैंने आंख बंद रखी और अब वो अपना चेहरा मेरे चेहरे के एकदम करीब लाए और वो अपनी नाक को मेरी नाक से रगड़ने लगे. हमारी बातें एकदम धीमी आवाज़ में हो रही थी. निखिल नींद में बहुत मस्त में था और उसे हमारी बातों का कुछ भी पता नहीं था. फिर वो बोले कि तुम क्या मुझ पर गुस्सा हो संजू? प्लीज आखें खोलो और मुझसे बात करो, तुम्हारे प्यारे अंकल से बात करो.

अब वो कुछ देर तक मेरे जवाब के लिए रुके रहे, लेकिन में जब कुछ नहीं बोली तो वो मुझे होंठो पर हल्के से किस करने लगे. में चुप रही और उन्होंने फिर से किस करना शुरू किया, क्यों तुम्हे अच्छा लग रहा है? में अपने बाई तरफ मुड़ने लगी तो वो मुझ पर पूरी तरह से चढ़ गये. मैंने नींद में कहा कि प्लीज अंकल ऐसा मत करो. वो बोले कि क्या हुआ? क्या तुम्हे पसंद नहीं क्यों बेटा? में तो बस तुमसे प्यार कर रहा हूँ. फिर अचानक से मेरे मुहं से निकल गया कि बुआ को पता चल जाएगा.

फिर वो मुझसे पूछने लगे कि क्या पता चल जाएगा संजू? लेकिन मैंने कुछ नहीं कहा और बिल्कुल चुप रही और वो फिर से पूछने लगे कि बोलो क्या पता चल जाएगा? तो मैंने कहा कि आप क्या करते हो, झट से वो बोले हाँ बोला ना में क्या करता हूँ? में तो बस तुमसे बहुत प्यार कर रहा हूँ.

दोस्तों में अब कसमसाने लगी और वो अरे बेटा कहकर मुझे फिर से किस करने लगे और मुझ पर अपने आपको रगड़ने लगे. उतने में निखिल ज़ोर से चीखने लगा. अंकल जल्दी से मुझ पर से उतर गये और अंकल ने उससे कहा कि अंदर जाकर सोना वो बाहर ठंड में ना सोए. तो उन्होंने उसको उसका बिस्तर उठाने में मदद की और अंदर कमरे में रखकर आए और उन्होंने बाहर से दरवाज़ा बंद कर दिया और अब उनके लिए पूरी जगह खुली थी.

मैंने जल्दी से अपने आपको सर से नीचे तक एक चादर से ढक लिया और अपने बाई और मुड़कर सोने का नाटक करने लगी. अंकल कुछ देर तक वहीं पर खड़े रहे और फिर मेरे पास में आकर लेट गये. फिर कुछ देर बाद वो मेरी चादर को खींचने लगे. मैंने चादर को कसकर पकड़ा हुआ था. उन्होंने मुझे पीछे से पकड़ लिया और कहा कि अरे मेरी जानू बेटा क्या हुआ? अब कितना गुस्सा करोगी? चलो में कुछ नहीं करूँगा.

अब भी में वैसे ही रही और फिर वो मुझे गुदगुदी करने लगे, तो मैंने कहा कि सोने दीजिए ना अंकल वरना बुआ को बताउंगी. वो बोले अरे तुम कब से धमकी दिए जा रही हो चलो बताओ क्या बताओगी बुआ को? फिर उन्होंने ज़ोर से मेरी चादर खींची और अपने पास रख ली. में एक हाथ से चादर ढूंड रही थी तभी उन्होंने मुझे फिर से झपट लिया और मेरा मुहं ज़बरदस्ती उनकी तरफ करके किस किया.

मेरा हाथ उनके लंड की तरफ लगा तो मैंने महसूस किया कि वो सिर्फ़ अंडरवियर में थे. में जल्दी से धक्का देकर अपनी बाई तरफ सरकी और ज़मीन पर आ गयी. तो वो ज़ोर से हंसने लगे और मुझे ज़िद्दी कहने लगे. में अभी भी अपने पेट के बल ज़मीन पर लेटी हुई थी और अब उन्होंने मुझे अपनी तरफ खींचना चाहा, लेकिन में नहीं हिली. फिर वो पीछे से मेरे ऊपर चढ़ गये और अब उन्होंने मेरी गर्दन पर एक किस कर दिया और बोले अब क्या करोगी?

मैंने नींद में होने का नाटक करके कहा कि मुझे सोना है तो वो कहने लगे कि ठीक है तुम सो जाओ में भी अब तुम्हे तंग नहीं करूँगा और वो मुझ पर वैसे ही लेटे रहे. फिर जब हम ऐसे ही लेटे रहे तो मेरी आँख लगने ही वाली थी कि वो मुझ पर धीरे से अपना लंड रगड़ने लगे. में नींद में होने जैसे पड़ी रही और अब कुछ देर बाद वो थोड़ी ज़ोर ज़ोर से लंड को रगड़ने लगे. अब वो मेरी गर्दन पर धीरे से किस करने लगे और उन्होंने अपनी अंडरवियर को भी नीचे कर दिया था और अपना कड़क और खुला लंड मेरी साईड से मेरी गांड पर रगड़ने लगे और वो मेरा पजामा नीचे करने लगे. मैंने उन्हे बहुत रोकना चाहा.

फिर वो मेरे कान के पास आए और बोले कि शीईईईइ तुम सो जाओ, में कुछ नहीं करूँगा. फिर उन्होंने मुझे गाल पर किस किया और वापस मुझ पर लेट गये और धीरे धीरे लंड रगड़ते रहे. मेरे थोड़ा शांत हो जाने के बाद वो धीरे धीरे मेरा पजामा नीचे सरकाने लगे, लेकिन अब मैंने कुछ नहीं कहा और उन्होंने पूरा उसे पूरा नीचे सरकाया और हल्के से मेरी गांड को चूमा. उन्होंने लगातार मेरी गांड पर बहुत सारे किस दिए और ऐसे करते करते मेरी पेंटी को भी उतार दिया.

में उनसे एक बार फिर से मना करने लगी तो वो बोले कि अरे कुछ नहीं बस थोड़ा खुलकर सो जाओ. फिर उन्होंने मेरी पेंटी, पजामा मेरे पैरों से पूरी बाहर निकाल दी और अपनी भी अंडरवियर को उतार दिया. वापस मुझ पर सोते वक़्त उन्होंने मेरी चूत पर एक किस कर दिया और वो मुझ पर सो गये और बोले कि देखा कुछ नहीं हुआ ना? तुम सो जाओ. वो मुझ पर लेटे रहे और उन्होंने अपना कड़क और लंबा लंड मेरी गांड की गली में दबा दिया था.

वो कुछ देर शांत रहने के बाद फिर से धीरे धीरे अपना लंड रगड़ने लगे और फिर धीरे से लंड मेरी चूत पर लगाकर उस पर धीरे से रगड़ने लगे और मेरी गर्दन पर किस करने लगे. उनकी अब स्पीड भी बढ़ गई थी और उनकी सासें भी तेज हो गई थी. उन्होंने कुछ देर बाद धीरे से अपना लंड रगड़ते रगड़ते चूत के अंदर डालना शुरू कर दिया. में नहीं नहीं करने लगी तो उन्होंने मुझे कसकर पकड़ा और अपना पूरा लंड अंदर डाल दिया.

उन्होंने मुझे कंधे से पकड़ रखा और अब धीरे धीरे अंदर बाहर करने लगे. वो अब मेरी गर्दन को काटने लगे और ज़ोर से धक्के देने लगे. वो अपना बदन मेरे बदन पर ज़ोर ज़ोर से पटकने लगे क्योंकि उन्हे डर नहीं था कि कोई आएगा. हम बाहर थे और दरवाज़ा बाहर से बंद था और हमें आस पास देखने वाला कोई नहीं था. वो अब एकदम जोश में आ गये. फिर उन्होंने मेरे दोनों पैर फैलाए और चोदने लगे.

फिर वो उठे और मुझे ज़ोर से उठाया और बिस्तर पर पीठ के बल डाल दिया और मुझ पर चढ़ गये. मेरी आखें अभी भी बंद थी. अब उन्होंने मेरे पैरों को फैला दिया और दोनों हाथों से उन्हे नीचे दबाए रखा और चोदने लगे. उन्होंने थोड़ा झुककर मेरे होंठो को काटा और ज़ोर के धक्के देने लगे, लेकिन एकदम ज़ोर से धक्का देते जिससे उनका लंड पूरा अंदर जाता और लंड वाला पूरा एरिया ज़ोर से मेरी चूत को लगता जिसकी वजह से मेरा लंड गहराईयों तक जाता जिससे मुझे दर्द होने लगा और में ऊपर नीचे होने लगी.

मैंने अपने पैर उठाए और उनके कंधे पर रख दिए. अब वो मुझे उसी स्टाइल में कुछ देर और चोदते रहे और कुछ देर बाद मेरे पेट पर अपना वीर्य गिरा दिया. वो मुझ पर लेट गये और मुझे किस करते हुए मेरे नीचे वाले होंठ को चबाने लगे. वो बहुत थके हुए धीरे से हंसने लगे. मेरी आखें अभी भी बंद थी और अब बोले कि बुआ को क्या बताएगी संजू? अंकल ने क्या किया? उन्होंने मुझे फिर से एक लंबा किस किया और वो मेरी शर्ट के बटन खोलने लगे तो में उनको रोकने लगी. फिर उन्होंने कहा कि में बस देख रहा हूँ संजू और उन्होंने बटन खोल दिए. मैंने ब्रा नहीं पहनी हुई थी क्योंकि रात को में बिना ब्रा के सोती हूँ और अब वाह संजू कहकर उन्होंने मेरे बूब्स को ज़ोर से मसला और उनको चूसा.

फिर मेरी चादर को ज़ोर से दूर फेंक दिया और मेरे बदन पर से वीर्य को साफ किया और अपने लंड पर से भी और फिर मुझे मेरी पेंटी और पजामा पहनाया. में अब अपनी बाई और मुड़ गई और उन्होंने अपने कपड़े पहन लिए. हम दोनों ने अपने ऊपर एक ही चादर डाल ली और कहने लगे कि क्यों तुम्हे तो में बच्ची समझता था. तुम तो बहुत बड़ी हो गई हो, क्यों में सच कह रहा हूँ ना? में बिल्कुल चुप रही और अरे मेरी बेटी कहकर उन्होंने मेरा मुहं पकड़कर एक फ्रेंच किस किया और कहा कि सो जाओ और वो मुझसे लिपटकर सो गये.

दोस्तों अब में बहुत थक गई थी और अब क्या होना था? में भी सो गई. वो रात भर बीच बीच में मेरे बदन पर हाथ घुमाते रहे और मेरे बूब्स दबाते रहे, मेरी गर्दन को किस करते रहे, गाल को किस करते रहे और मेरी चूत पर उंगली घुमाते रहे. फिर दूसरे दिन से अंकल बिंदास हो गये क्योंकि वो घर में एक कुंवारी लड़की और एक शादीशुदा औरत को चोद चुके थे और कोई किसी को यह बात बताएगा भी नहीं इसलिए वो एकदम बिंदास हो गये, लेकिन अब उन्होंने सुप्रिया पर से अपना पूरा ध्यान हटा दिया था और वैसे भी बुआ वहां पर थी तो वो ज़्यादा कुछ नहीं कर सकते क्योंकि सुप्रिया भी बुआ से बहुत डरती थी, लेकिन वो लोग बीच बीच में बात करते हुए जरुर दिखते और अब अंकल जब भी मेरे साथ होते तो मुझे बहुत ज़्यादा छूने की कोशिश किया करते थे. कभी मेरा कान चबाते, कभी गर्दन पर काटते, लेकिन किसी को कोई शक़ नहीं होता था क्योंकि सबको में बच्ची लगती थी.

फिर उस रात के बाद वाली रात को बहुत ज़ोर से बारिश हुई इसलिए हम बाहर नहीं सोए और में अंदर कमरे में बुआ के साथ सोई और उस रात भी अंकल चुपचाप सोए या सुप्रिया के पास गये मुझे कुछ भी पता नहीं था. दूसरे दिन घर पर पूजा थी और उस दिन सोनू भी लौट आया था. उसके दुकान में चोरी का मामला अब पुलिस के हाथों में था. अब उसे अंकल और सुप्रिया के बारे में पता चला या नहीं मुझे वो पता नहीं, लेकिन देखने से तो नहीं लगता था.

दोस्तों पूजा वाली रात को हम बाहर सोए और निखिल भी हमारे साथ सोया. उस रात भी निखिल बीच में सोया था जब में गहरी नींद में थी तो मुझे अंकल का हाथ मेरी चूत पर महसूस हुआ और उस दिन की गड़बड़ के बाद में बहुत थक गई थी और अंकल के मेरे जिस्म पर हाथ घुमाने पर भी में जल्दी नहीं जागी. उन्होंने मेरा नाईटसूट और पेंटी को नीचे से सरका दिया और फिर मेरी चूत चाटने लगे. मुझे बहुत मज़ा आ रहा था, लेकिन मेरी आखों में बहुत गहरी नींद थी और उन्होंने अपने सर पर एक चादर ओढ़ ली थी ताकि निखिल अगर जागे तो उसे कुछ ना दिखे.

अंकल सब कुछ चुपचाप कर रहे थे और हम दोनों बिल्कुल भी आवाज़ नहीं कर रहे थे और अब मुझे निखिल का डर था इसलिए मैंने आखें खोल दी. अंकल फिर मेरे ऊपर आए और मेरे मुहं में अपना लंड घुसाया और चुसवाया. वो चादर के अंदर रहते हुए मेरे पैरों के बीच आकर चोद रहे थे. में भी धीरे धीरे उनके साथ सेक्स में खुल रही थी और वो जब मुझे चोद रहे थे तब निखिल हमारी तरफ मुहं करके सोया हुआ था. अंकल उठे और मेरे पास में लेट गये और चादर से ढकते हुए मेरे कंधो को पकड़े हुए मुझे ज़ोर से धक्के देकर चोदने लगे और वीर्य गिरने के बाद हम बहुत देर तक किस कर रहे थे. दोस्तों उस दिन में भी उन्हें किस कर रही थी और वो मेरे बूब्स को भी बहुत देर तक चूस रहे थे.

बचे हुए तीन दिनों में से हमने अगले दो दिन कुछ नहीं किया और उसके बाद हमने एक रात पहले सब कुछ किया. इस बार मैंने घुटनो के बल होकर डॉगी पोज़िशन में भी सेक्स किया. निखिल हमारे पास में ही सोया हुआ था और एक बार सेक्स करके सो जाने के बाद रात को तीन बजे अंकल ने फिर से मुझे जगाया और हमने इस बार खड़े होकर सेक्स किया और आखरी रात होने के कारण हमने चुदाई में कोई कसर नहीं छोड़ी. घर पर लौटने के बाद हमने फिर कभी सेक्स नहीं किया.

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एक थी लंड की प्यासी चुदाई की दीवानी

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हैल्लो दोस्तों, मेरा नाम धीरज है और में एक इंश्योरेंस कंपनी में जॉब करता हूँ. मुझे इंश्योरेंस के काम से मुंबई में एक बड़े ऑफिस में जाना पड़ा, जहाँ बहुत सारी खूबसूरत लड़कियां और औरतें जॉब कर रही थी‌‍. मुझे वहीं एक रूम लेना ज़रूरी था, तो मैंने मेरे एक दोंस्त से बात कि तो उसने एक जगह बताई में वहाँ गया और वहाँ की मालकिन से बात कि तो उसने 2100 रुपये के किराए पर उसके फ्लेट का एक रूम मुझे किराए पर दिया. मकान मालकिन एकदम मस्त 30 साल की माल थी. वो एकदम सेक्सी दिख रही थी, उसका फिगर 36-28-38 था और उसकी हाईट 5 फुट 1 इंच थी. रंग गोरा था और वो दिखने में हिन्दी फिल्म की हिरोईन जैसी औरत थी. मैंने उससे खाने के बारे में पूछा तो उसने मुझे बताया कि वो खुद रात के खाने का इंतज़ाम कर सकती है.
फिर भी मैंने उसे देखकर रूम बुक कर लिया और में वहाँ जल्दी से शिफ्ट हो गया. फिर बातचीत के दौरान मुझे समझ आया कि वो वहाँ अकेली ही रहती है और उसका कोई बच्चा नहीं है. उसका पति जो कि एक कंपनी में जॉब कर रहा था वो उसे 12 साल पहले तलाक़ दे चुका है और वो एक महिला गृह उधोग में काम कर रही है. अब मेरा रोज का काम ठीक चल रहा था, में मेरे रूम में बहुत टाईप की ड्रिंक्स का पूरा मज़ा लेता था और पॉर्न मूवी भी देखता था. फिर मेरे पास के ऑफिस में चंदा नाम की एक आईटम औरत काम करती थी. मेरा सम्पर्क हमेशा उससे होता रहता था और रात को में उसके नाम से मुठ मारा करता था.
एक दिन में काम से 4 दिनों के लिए दिल्ली चला गया. उन दिनों मेरी मकान मालकिन पूनम ने मेरा रूम सॉफ करते वक़्त वो सभी ब्लू फिल्म की सीडी देख ली और वो उनको देखकर गर्म हो गई थी. जब में वापस लौटा तो मैंने उसके व्यवहार में चेंज देखा. वो अब मेरे रात के खाने का पूरा ख्याल रख रही थी. फिर एक हफ्ते के बाद उसने मुझे डोर के होल में से मुठ मारते देख लिया और दूसरे दिन मुझसे बहुत फ्रेंकली होकर बातें करने लगी. फिर उसने मुझे सीधे से उसके शरीर की प्यास की प्रोब्लम बताई.
वो जहाँ काम करती थी वहाँ उसे सभी औरतें ताई बुलाती थी और उनका बूढा बॉस सभी खूबसूरत औरतों को अपने कैबिन में बुलाकर उनकी जवानी का मज़ा लेता था. एक दिन पूनम मेरे रूम में आई और पूनम ने कहा में एक औरत हूँ और मेरी ज़िंदगी सूनी है. मेरा पति तो मेरे साथ नहीं है, में कब तक अकेली रात गुजारुँगी, मुझे एक साथी चाहिए जिससे में अपनी हर बात कह संकू, मेरे भी कुछ अरमान है. में जाने कितने दिनों से तड़प रही हूँ, प्लीज़ आज की रात मुझे अपना बना लो, इतना कहकर वो मुझसे लिपट गयी.
फिर हम किस करने लगे और मैंने पूनम का कुर्ता उतारा, ओह्ह्ह माई गॉड क्या बूब्स थे? में पहली बार उसके बूब्स देख रहा था. उसने रेड कलर की ब्रा पहन रखी थी और फिर मैंने बूब्स को दबाना शुरू किया और किस किया और फिर उसकी ब्रा उतारी और बूब्स को चूसने लगा. इतने में पूनम ने मुझे पूरा नंगा कर दिया और मेरे लंड को मुँह में डालकर चूसने देने लगी. मुझे बहुत ज़्यादा मज़ा आ रहा था. फिर मैंने उसको पूरा नंगा किया और उसकी पेंटी भी उतार दी. पूनम की चूत एकदम क्लीन शेव थी. फिर मैंने उसकी चूत चाटना शुरू किया और फिंगरिंग भी की तो थोड़े समय बाद पूनम ने झड़ना शुरू कर दिया और पूनम बोली कि धीरज आई लव यू. आज से तुम मेरे मर्द हो और जब तुम चाहों मुझे आकर चोद सकते हो.
फिर मैंने पूनम को बेड पर लेटा दिया और उसके शरीर को ऊपर से नीचे तक चाटने लगा. उसकी चूत के छेद में उंगली डालकर उसे चोदता रहा. पूनम बोली अब और मत तड़पाओ मुझे, अब मुझे चोद दो में बहुत प्यासी हूँ. फिर में अपना लंड पूनम की चूत में डालने लगा और पहले ही झटके में लंड अंदर नहीं गया. अब पूनम मौन करने लगी, अहह्ह्ह्हह ओह्ह्ह्ह धीरज देखो बेचारी मेरी चूत कैसे तुम्हारे लंड के लिए तड़प रही है? आओ ना उसकी प्यास बुझाओ मेरे राजा, अब नहीं सहा जा रहा. आओ ना चोदो मुझे और मैंने तुरंत उसके होठों पर मेरे होंठ रख दिए. फिर पूनम ने मेरे लंड को पकड़ा और चूत पर रखा और कहा हाँ अब डालो अंदर जल्दी से मुझसे रहा नहीं जा रहा है.
फिर मैंने भी कुछ नहीं सोचा और ज़ोर का झटका मारा और आधा लंड उसकी चूत को चीरते हुए घुसेड दिया, फिर में उसे धीरे-धीरे चोदता रहा. फिर पूनम बोली कि धीरज धीरे करो, तो मैंने एक और झटका मारा तो पूनम ज़ोर से चिल्ला उठी अहह धीरज दर्द हो रहा है.
फिर मैंने उसे धीरे-धीरे चोदना शुरू किया और पूनम और ज़्यादा मौन कर रही थी. ओह्ह्ह में मर गई और फिर पूनम बोली कि बहनचोद धीरे चोद ना, में कहीं भागी जा रही हूँ क्या? में और जोश में आ गया और बोला कि पूनम अब तो तू मेरी रंडी है मेरी 24 घंटे की रखेल है, मुझे बड़ा मज़ा आ रहा है. फिर में ज़ोर-ज़ोर से उसकी चूत में धक्के लगाता रहा, अब पूनम भी बड़बड़ा रही थी. आआहह धीरे मेरी चूत फट जायेगी, आआअहह आअहह और चोदो मेरी चूत को, इसको भोसड़ा बना दो और चोदो मुझे अपनी बीवी बना लो आअहह ऊऊहह माँ ज़ोर से चोदो मुझे, हाइईइ क्या लंड है तुम्हारा? धीरज रूको मत, पेलते जाओ अपना लंड मेरी चूत के अंदर, बहुत मज़ा आ रहा है, मत रूको मेरे राजा, हाइईईई आहहहहहह आआहह. अब में उसे एक स्पीड में चोदने लगा तो वो बोली कि अब और इंतज़ार मत करवा मेरे राजा, चोद दे मुझे, चोद दे इस पूनम रानी को, मेरी चूत कब से लंड की प्यासी है, इसकी तड़प मिटा दे और अब और देर ना कर.
अब पूनम दर्द और मस्ती में गांड उछाल उछालकर चुदवाने लगी थी. पूरा डाल दे और चोद दे अपनी रंडी को आज, मेरी और अपनी प्यास बुझा दे आआ अयाया ह्ह्ह्हम्म्म्म. फिर मैंने उसका दर्द जानते हुए अपनी स्पीड कम कर दी, तो वो बोल पड़ी नहीं मेरे राजा तू रुक मत, दर्द में ही तो मज़ा है. ये मेरी चुदक्कड़ चूत बहुत दिनों से चुदी नहीं है इसलिए फड़फडा रही है. तू चोदना चालू रख और पानी मेरी चूत में ही डाल दे और मेरी आग शांत कर दे हाईईईईईई मर जाऊं में तेरे लंड पर. मुझे आज तक जिंदगी में ऐसा मज़ा कभी नहीं आया था. हाईईइ तेरे लंड ने मुझे मस्त कर दिया है, क्या फौलादी लंड है? आआहहह हाइईईई, में आज से सिर्फ़ और सिर्फ़ तेरी पूनम रानी हूँ. में आज से तेरे लंड की गुलाम हूँ आआहह और ज़ोर से आअहहू. फिर 20 मिनिट के बाद मुझे लगा कि मेरा पानी अब छूटने वाला है. तभी पूनम का शरीर अकड़ गया और वो झड़ गयी. फिर में धक्का लगता रहा और फिर मेरा भी छूटने वाला था तो मैंने पूनम की चूत में ही अपना माल निकाल दिया.
फिर मैंने कहा कि पूनम आज से में जैसे चाहूँ तुझे चोदूंगा. फिर पूनम जोश में आकर मेरे सीने से लिपट गई तो मैंने कहा हाँ पूनम रानी मुझे ऐसे चोदने दे. में तुझे इतना प्यार दूँगा कि तेरे पति ने भी तुझे ना दिया होगा, में तुझे आज से जमकर चोदा करूँगा और बोला कि पूनम रानी आज तो तेरा भोसड़ा बनाकर रख दूँगा और करीब 20 मिनट के बाद मैंने उसकी चूत में उंगली डाली और उसे अपनी उंगली का जादू दिखा दिया और उसका सारा रस निकाल दिया और फिर पूनम भी झड़ गयी और फिर में बेड पर आराम से लेट गया, तो पूनम ने कहा कि ऐसी चुदाई मेरी आज तक नहीं हुई. मुझे आज के जितना मज़ा कभी नहीं आया, लव यू धीरज. मैंने भी कहा कि मुझे भी बड़ा मज़ा आया मेरी पूनम रानी, लव यू टू पूनम.
फिर थोड़ी देर के बाद मेरा लंड फिर से खड़ा होने लगा तो मैंने पूछा तुमने गांड मरवाई है. तो पूनम बोली हाँ चाचा अक्सर गांड चोदते है. ये वही चाचा है जो फैक्ट्री के ऑफिस में औरतों को हमेशा चोदा करते है. तो में बोला तब तो मजा आ जायेगा, में भी तेरी गांड मारूँगा. फिर पूनम ने कहा कि अभी तो मेरी चूत की बारी है उसे और एक बार शांत करो, तो मैंने कहा रानी तेरी चूत इतना मज़ा देती है तो तेरी गांड में लंड घुसेड़कर क्यों ना तेरी इतने दिनों की भूख को को मिटा दिया जाये? इस पर पूनम ने मुस्कुराकर कहा कि मेरे बलम में तो तुम्हारी ही हूँ, जब जी चाहे जैसे चाहे चोद दो मुझे और वो डॉगी स्टाईल में बेड पर झुककर बैठ गई. फिर मैंने उसकी गांड के छेद पर अपना लंड रखकर एक धक्का लगाया. पूनम की गांड काफ़ी टाईट थी. फिर मैंने लंड उसकी चूत में डालकर गीला कर लिया और फिर से उसकी गांड में डालने लगा.
फिर लंड करीब 2 इंच अन्दर गया ही था तो पूनम बोली कि बहुत दर्द हो रहा है, तुम्हारा बहुत बड़ा लंड है. मेरी गांड में धीरे धीरे डालना और वो ज़ोर से चिल्लाने लगी उई माआआअ मेरी तो गांड फटटटट गइईईईईईईईईईईईईईई अहह आज तक कभीईईईईईईईईईईईई मेरे पतिईईईईईईईई ने भी मेरीइईईईईईई गांड नहीं मारी थीईईईईई अह्ह्ह्हहहह आअहह ज़ोर ज़ोर से और ज़ोर से मेरी जान, आआहह मिटा दे मेरी प्यास, तू मुझे अपनी जान बना ले, मुझे ऐसे रोज चोदा कर, अब तक कहाँ था तू मेरे राजा, मेरी प्यास तो आज तूने बुझाई है. फिर में उसकी गांड में लंड पेलता रहा और फिर करीब 15 मिनट के बाद में में उसकी गांड में ही झड़ गया. उस रात मैंने पूनम को 4 बार चोदा और हम सो गये.
दूसरे दिन रविवार था इसलिए वो भी सुबह देर तक मेरे साथ ही सोई रही और फिर रविवार के दिन हमने बहुत मजा किया. फिर बातोँ-बातों में मुझे पता चला कि पूनम मेरे एक पहचान के आदमी की पहली बीवी है और उन दोनों का तलाक़ हो चुका है, उसे प्रेग्नेन्सी की प्रोब्लम थी इसलिए पूनम ने उसे बिना बतायें झगड़ा करके उससे तलाक़ लिया था. इसका मतलब में सुरक्षित था और में उसके साथ और भी ज़्यादा संबंध बना सकता था. मैंने पूनम को नहीं बताया कि में उसके पति को जानता हूँ.

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भाबी की चुदाई हुई होली के मौके में

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हमारा खानदान बड़ा होने की वजह से मेरी करीब 14 भाभियाँ थी और तीन सेक्सी चाचियाँ भी थी। वैसे सभी एक नंबर की माल थी और मैं सभी को चोदने के तरीके ढूंढ रहा था लेकिन कोई हाथ नहीं आ रही थी। मैंने मेरी चाची को जैसे चोदा था (रात को साथ में सोने के बाद गर्म करके चोदने का तरीका) वही तरीका मुझे बेहद पसंद है लेकिन वो मौका मुझे इनके साथ मिल नहीं रहा था, अब नया तरीका सोच रहा था !
साल 2004 में मैं अमरावती में जॉब करता था लेकिन कोई भी ऐसा त्यौहार नहीं रहा कि मैं गाँव में नहीं जाता था।

ऐसे ही मैं होली के त्यौहार के लिए गाँव गया हुआ था। रंगपंचमी की दिन सुबह उठा और मुँह-हाथ धोकर दोस्तों के साथ खेत में दारू पीने और रंग खेलने चले गया। दारू पीने के बाद धीरे धीरे नशा बढ़ने लगा और बातों बातों में दोस्तों ने चुदाई के किस्से सुनाने चालू किये जिससे मेरा लंड खड़ा होने लगा और मेरे दिमाग में चाची को चोदने की इच्छा हुई और वहाँ से उठ कर मैं वापस घर आ गया।
मैं चाची के यहाँ गया और चाची को चूमने लगा तो उसने बोला- अभी नहीं, घर पर सब लोग हैं, रात को जितनी मर्जी, उतना चोद लेना !
और मुझे उसने बाहर जाने के लिए बोला।
मैं बाहर तो निकल गया लेकिन मेरा लंड अभी भी तना हुआ था,बार-बार मुझे चोदने की इच्छा हो रही थी !
मैं चुपचाप ऐसे ही बैठा हुआ था कि मेरे दिमाग में भाभियों को रंग लगाने की बात आ गई और मैं उठ कर एक-एक करके सबको रंग लगाने निकला ! अभी तक मेरा लंड वैसे ही हिचकोले मार रहा था।
मैंने सोचा कि रंग लगाने के बहाने से भाभियों को छूने का मौका तो मिल ही जायेगा और मैंने एक-एक के घर में जाकर रंग लगाना चालू किया। उस समय हर किसी के घर में कोई न कोई मौजूद था जैसे किसी का पति तो किसी के सास-ससुर और यह देख के मेरा दिमाग और ज्यादा ख़राब हो रहा था क्योकि मेरे लंड को ठंडक नहीं मिल रही थी।
अब मैं अपने चचेरे भाई के यहाँ जा रहा था उसकी अभी तीन महीने पहले शादी हुई थी, उसकी बीवी यानि मेरी भाभी का नाम अरुणा था वो दिखने में थोड़ी सांवली थी मगर बदन को देखा तो किसी का भी लंड खड़ा हो जाये। उसका बदन 34-30-36 था, उसके चूचे तो दीवाना कर देते थे वैसे ही जब से उनकी शादी हुई थी तब से ही मैं उसको चोदने के लिए बेताब था।
उनके घर में उन दोनों के शिवाय कोई नहीं रहता था क्योंकि मेरे भाई के माता-पिता का देहांत हो चुका था। मैं अभी भी नशे में था लेकिन होश में था और यही सोच कर उसके घर जा रहा था आज मेरा भाई घर में न हो। मैं उनके घर के दरवाजे पर पहुँचा और सीधा अन्दर चले गया तब भाभी खाना बना रही थी। वो मुझे देखते ही समझ गई कि मैं उनको रंग लगाने के लिए आया हूँ।
भाभी बोली- अरे देवर जी, आप कब आये अमरावती से?
मैं बोला- कल शाम को आया भाभी ! अभी मैं आपको रंग लगाने आया हूँ।
वो बोली- मैं समझ गई थी कि आप होली खेलने के लिए आये हो लेकिन थोड़ा रुको, मुझे सब्जी का तड़का लगाने दो।
मैंने उनसे मेरे भाई के बारे पूछा तो वो बोली- आज कंपनी में काम होने की वजह से वो ड्यूटी पर गए हैं, शाम को 6 बजे आयेंगे।
वैसे ही मेरे दिमाग में ख्याल आया कि आज भाभी को तो चोदने का अच्छा मौका मिल गया है। देखते ही मेरा लंड फिर से तन गया और मेरे बरमुडे से बाहर निकलने लगा।
आज वैसे भी मैं बेफिक्र था क्योंकि अगर भाभी को बुरा लगा तो परिवार वालों को लगेगा कि दारू के नशे में रंग लगते वक़्त गलती से हाथ लग गया होगा।
उनके घर में दो कमरे थे, एक में मैं खड़ा था और दूसरे में वो खाना बना रही थी, उसी कमरे में उनका बेड भी था।
अब मैं उनके अन्दर के कमरे में चले गया और बेड पर बैठा उनके वक्ष को घूर रहा था।
क्या हसीन नजारा था, दो उभारों के बीच में पूरी खाई दिख रही थी। उसने लाल साड़ी और काला ब्लाऊज पहना था।
मैं धीरे धीरे अपने लंड को दबा रहा था, उतने में उनका ध्यान मेरी तरफ गया और मैंने फटाक से अपना हाथ अपने लंड से हटा लिया। उन्होंने ये सब देख लिया और अनदेखा करके सब्जी बनाने लगी।
वो मेरे से तीन साल से छोटी थी लेकिन रिश्ते में भाभी होने की वजह से मैं उनको आप आप कहता था।
फिर 5 मिनट के बाद वो वहाँ से उठी बोली- अब आप रंग लगा लो।
मैं उनके पास गया और पीछे से दोनों हाथों से उनके चेहरे पर रंग लगाना चालू किया।
अभी मैं उनके शरीर से दूर ही था, धीरे से मैंने अपना लंड उनके गांड से चिपकाया और जोर जोर से उनको रंग लगाना चालू किया जिससे उसको लंड के धक्के समझ में नहीं आ रहे थे।
मेरा दिमाग दूर का सोच रहा था कि अब समय बर्बाद करने में मतलब नहीं और ऐसा मौका शायद मिले।
मैं अपना मुँह नीचे करके उनके गर्दन के पास लाया और अपने होठों से उसको चूमने लगा तो वो एकदम चकरा गई कि यह क्या हो रहा है।
वो बोलने लगी- देवर जी बस हो गया रंग लगाना, अब छोड़ो !
लेकिन मैं कहाँ रुकने वाला था, मैंने फिर से कस कर उनको पकड़ लिया और गर्दन और पीठ की चूमना चालू किया। साथ में पीछे से लंड भी गांड को ठोक रहा था !
अब मैंने उनकी साड़ी का पल्लू नीचे गिरा दिया जिससे उसका ब्लाउज पूरा खुला हो गया। वो ना-नुकुर करने लगी…प्लीज छोड़ो ना… कोई आ जायेगा…प्लीज…
मैं यह सुनते ही समझ गया कि भाभी को यह सब अच्छा लग रहा है लेकिन वो डर रही है।
मैंने उनकी बातों को अनसुना करके अपने दोनों हाथों से ब्लाऊज के ऊपर से स्तन दबाना शुरु किया।
वाह ! क्या सख्त चूचे थे…. बहुत अच्छा लग रहा था ! अभी तक मैंने सिर्फ अपने चाची के ही चूचे दबाये थे जो बहुत ही नर्म थे !
अब मैं जोर जोर से स्तन दबा रहा था। वैसे ही भाभी की आवाज तेज हो रही थी वो सिसकारियाँ मार रही थी उसकी धड़कन भी तेज हो गई थी…आ…आ…हु…हु…आह्ह्ह.. ह्ह्ह….
अब मुझे पूरा यकीन हो गया था कि अब भाभी गरम हो गई है। मैंने उनका हाथ पीछे लेकर अपने लंड पर रख दिया अब वो मेरा लंड सहला रही थी और बीच-बीच में दबा भी रही थी।
और मैं दोनों हाथों से उसके स्तन दबा रहा था !
मैंने उनका ब्लाउज खोलना शुरु किया और खोलते ही उनकी काली ब्रा दिखने लगी, मैंने ब्रा के ऊपर से दबाना चालू रखा।
भाभी बोली- देवर जी, जो भी करना है कर लो लेकिन दरवाजा तो बंद करो !
और मैं उनको छोड़ कर दरवाजा बंद करने गया।
दरवाजा बंद करने के बाद मैंने उनकी पूरी साड़ी उतार दी और अपना बरमूडा भी उतार दिया। अब मेरे शरीर पर चड्डी और शर्ट के शिवाय कुछ नहीं था और उसके शरीर पर सिर्फ ब्रा, चड्डी और पेटीकोट ही था !
हम दोनों ने एक दूसरे को बाँहों में भर लिया और होठों को चूमना शुरु किया, साथ साथ में मैं उसकी गर्दन की भी पप्पी ले रहा था।
मुझे मालूम है कि औरत के गर्दन के पास चूमा तो वो जल्दी गर्म होती है ऐसा मुझे मेरी चाची ने बताया था।
मैंने अपने हाथों से उसके ब्रा के हुक भी खोल दिए और उसे निकाल कर बेड पर फेंक दिया ! ब्रा खोलते ही उसके बड़े बड़े चूचे मेरे सीने से चिपक गए। मैंने उसको थोड़ा सा दूर किया और हाथों से उनको दबाना चालू किया। उसकी निप्पल बहुत ही छोटी और गुलाबी रंग की थी !
उसने भी अपना एक हाथ मेरे चड्डी में डाल दिया और मेरे 6″ के लंड को सहलाने लगी। थोड़ी देर मसलने के बाद मैंने उसकी एक एक करके दोनों चूचियों को मुंह से चुसना चालू किया, मैं जैसे जैसे चूसता वैसे वैसे वो मेरा लंड और जोरों से दबाती।
अब हम दोनों बिस्तर पर चले गए और 69 की अवस्था में हो गए। मैंने उनका पेटीकोट पूरा ऊपर कर लिया और उनके पैरों को चूमने लगा ! वो भी मेरे पैरों को चूमने लगी। पैर चूमते चूमते अब मैं उसकी चूत तक पहुँच गया, उस पर सिर्फ चड्डी ही थी। मैंने चड्डी के ऊपर से उसकी चूत सहलानी शुरु किया तो वो अपने पाँव खींचने लगी।
मैंने जबरदस्ती से उसके दोनों पावों को फैला कर उसके चूत को अपने मुँह से चूमना शुरु किया तो वो अपने हाथों से मुझे धकेलने लगी।
अब मैंने उसकी चड्डी को नीचे सरकाना शुरु किया और कुछ ही सेकंडों में उसकी चूत को पूरा खुला कर दिया।
क्या चूत थी भाभी की ! एक भी बाल नहीं था, पूरी चिकनी चूत थी !
उसी अवस्था में मैं उसके शरीर के ऊपर हो गया और अपनी जीभ से उसकी चूत को चाटने की कोशिश करने लगा, चूत गीली हो गई थी !
वो भी मेरा लंड चड्डी से ही हिला रही थी, मैं जैसे जैसे उसकी चूत चाट रहा था, वैसे वैसे उसकी आवाज में बदल हो रहा था।
वो बोलने लगी- प्लीज… ऐसा मत करो… गुदगुदी हो रही है !
मैंने उसको बोला- भाभी आप भी मेरा लंड चूसो ना !
वो बोली- नहीं बाबा, मुझे यह सब गन्दा लगता है।
लेकिन मेरी विनती से उसने चड्डी से ही मेरे लंड को अपने मुँह में भर लिया।अब मैंने एक उंगली उसके चूत में डाल दी और अन्दर-बाहर करने लगा। उसकी चूत बड़ी कसी थी लेकिन गीली होने की वजह से उंगली आराम से जा रही थी। कुछ देर अन्दर-बाहर करने के बाद उसकी सिसकारियाँ बढ़ने लगी।
उसने मेरी चड्डी उतार दी और मेरा लंड देखते ही वो खुश हो गई, बोली- आपका लंड तो बहुत ही बड़ा है, आपके भाई तो इससे भी छोटा और पतला है !
उसने अपने पेटीकोट से मेरा लंड पौंछा और उसे चूमना शुरु किया।
धीरे धीरे उसकी इच्छा उसे चाटने की भी हुई लेकिन वो थोड़ा ही चाट पाई !
इधर मैं जोर-जोर से उंगली अन्दर बाहर कर रहा था ! अब उसको सहन नहीं हो रहा था तो वो बोली- अब जल्दी से इसे मेरी चूत में डाल दो नहीं तो अगर कोई घर पर आ गया तो मेरी चूत ऐसे ही प्यासी रह जाएगी !
मैंने भी वक़्त की नजाकत को समझा और उसे चोदने का मन बना लिया। शायद कोई आता तो मेरा भी लंड प्यासा का प्यासा ही रहता !
मुझे चाची के साथ सेक्स करते करते बहुत सारे आसन मालूम थे फिर भी मैंने भाभी को पूछा- आपको कौन से आसन में चुदवाना पसंद है?
तो वो बोली- आप जिसमें चोदोगे वो चलेगा बस अब चोदना चालू करो !
और मैंने उनको अपने ऊपर लेकर अपने लंड पर उसकी चूत को रखा और एक झटके के साथ उसे नीचे अपने लंड पर दबाया तो वो चिल्ला उठी- वोह्ह्ह्ह….वोह्ह्ह….बहुत दर्द हो रहा है …
वो तड़फ रही थी- प्लीज निकालो बाहर ! नहीं तो मेरी चूत फट जाएगी।
लेकिन मैंने उसे पकड़ कर रखा था, अभी भी मेरा लंड उसकी चूत में था, कुछ सेकंड रुकने के बाद मैंने उसे अपने सीने पर झुका लिया और लंड को अन्दर-बाहर करने लगा। अब उसको थोड़ा-थोड़ा दर्द हो रहा था। लेकिन उसे आनन्द भी आ रहा था, साथ में उसके होठों को भी चूम रहा था। फिर धीरे धीरे मैंने स्पीड भी बढाई और जोर-जोर से चोदने लगा।
अब वो भी अपनी गांड हिलाने लगी और अन्दर-बाहर करने लगी। ऐसा हमने करीब 5 मिनट किया।
उसके बाद मैंने उसे घोड़ी बनाया और जोरदार धक्के के साथ अपना पूरा 6″ का लंड उसकी चूत में डाल दिया।
वैसे ही वो चिल्ला उठी- अरे बाप रे ….मार डालोगे क्या?
अब मैंने धीरे धीरे अन्दर-बाहर करना शुरु किया, अपने दोनों हाथों से उसके स्तन दबाना भी चालू रखा। इतने में वो झड़ गई। अब मुझे भी लग रहा था कि मैं जल्दी झड़ जाऊँगा तो मैंने अपनी स्पीड बढ़ाई और तुरंत दो मिनट के बाद मैं भी झड़ गया और अपना पूरा पानी भाभी की चूत में छोड़ दिया।
अब भाभी के चेहरे पर ख़ुशी साफ झलक रही थी। हमने अपने अपने कपड़े पहने और दरवाजा खोल दिया।
मैंने भाभी को बताया- मैं दस दिनों की छुट्टियों पर आया हूँ !
उसने भी मुझे बताया की मेरे भाई की अगले 7 दिन नाईट ड्यूटी है !
हमने तय किया कि रोज रात को 11 से सुबह के 4 बजे तक यही रासलीलायें खेलेंगे और एक चुम्बन के साथ मैं वहाँ से निकल गया।
अगले 7 दिन मैं ऐसे ही भाभी को चोदता रहा रोज रात को हम 3-4 बार सेक्स करते रहे और १० दिन के बाद मैं फिर से अपने ड्यूटी पर चला गया। भाभी को चोदने की बात सिर्फ मेरी चाची को ही मालूम है।
कुछ दिन के बाद भाभी का एक दिन फ़ोन आया कि वो माँ बनने वाली है, उसको 2005 में जनवरी में लड़की हुई।
अब कभी कभी जब मैं गाँव को जाता हूँ तो मौका मिलते ही भाभी को चोदे बगेर रहता नहीं !
अब उसको मेरा लंड चूसने से परहेज नहीं है और बड़े प्यार से पूरा लंड मुँह में लेकर चूसती है !

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मामा ने मिटाई मेरी कुंवारी चूत की खुजली

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हैल्लो दोस्तों, मेरा नाम रेशमा है और में आपको अपनी लाईफ की रियल स्टोरी बता रही हूँ और ये स्टोरी पढ़कर आप खुद जान जायेंगे कि ये किसी लड़की ने अपनी रियल लाईफ की स्टोरी बताई है. में बचपन से सभी से घुल मिलकर रहती थी. किसी की भी गोद में बैठ जाती थी और किसी भी अंकल के साथ घूमने चली जाती थी. मेरे मम्मी पापा दोनों रेल्वे जॉब में है. मम्मी पापा के ऑफिस जाने के बाद में बिल्कुल अकेली रहती थी, कभी-कभी मामा गावं से आया करते थे. वो मुझे बहुत प्यार करते थे और जब भी आते थे तो बहुत सारी मिठाइयां और चॉकलेट लेकर आते थे. इस बार, वो 1 या 2 साल बाद आ रहे थे और अब मेरी बॉडी में उभार आ गया था और जब से मेरी बॉडी में उभार आया तब से सभी अंकल और भैया लोग मेरी छाती पर ध्यान देते थे.
फिर हमेशा की तरह में स्कूल से आई और में आकर उनकी जांघो पर बैठ जाती थी. ये बात उस समय की है जब में 12वीं में पढ़ती थी और मेरे मामा की नीयत शायद जब मेरे ऊपर ख़राब नहीं हुई थी. वो नॉर्मली मुझे अपनी जांघ पर 5 से 10 मिनट ही बैठने देते थे और फिर मुझे उतार देते थे. लेकिन इस बार उन्होंने मुझे दोनों हाथों से जकड़ कर रखा था और में भी टी.वी देखने में लगी थी. मुझे हल्की-हल्की गुदगुदी हुई जब वो मेरी जांघ को सहलाने लगे तो में हंसकर बोली मामा गुदगुदी हो रही है. तो मामा ने कहा तू टी.वी देख बहुत अच्छा सीन चल रहा है और में टी.वी देखने लगी, लेकिन फिर उन्होंने अपना हाथ मेरी स्कर्ट के और अंदर डाल दिया. अब वो मेरी पेंटी के ऊपर से सहला रहे थे और में हंस रही थी, मामा हटाओ हाथ मुझे गुदगुदी हो रही है.
उन्होंने अब धीरे से अपना हाथ मेरी पेंटी के अंदर डाल दिया, लेकिन वो कुछ कर नहीं पायें थे. फिर उन्होंने कहा रेशू एक पैर नीचे करो और मैंने पैर नीचे कर दिया और वो धीरे-धीरे मेरी दोनों टाँगो के बीच में सहलाने लगे. मुझे थोड़ी भी भनक तक नहीं थी कि मामा मेरी बॉडी के साथ कुछ ग़लत कर रहे थे. फिर मुझे थोड़ी देर के बाद दर्द हुआ और टांगे सिकुड़ कर मैंने मामा का हाथ पकड़ लिया और जब मामा ने हाथ निकाला, तो मुझे पता चला कि मामा फिंगरिंग कर रहे थे और फिर मामा ने मेरा ध्यान टी.वी की तरफ कर दिया और धीरे से मेरी पेंटी निकाल दी. फिर मैंने पूछा कि मामा पेंटी क्यों निकाल दी? तो उन्होंने बोला कि काफ़ी गर्मी है ना इसलिए. फिर मामा ने मुझसे कहा कि तुम बहुत डरपोक हो, तो मैंने कहा में डरपोक नहीं हूँ, फिर मामा ने कहा अगर डरपोक नहीं हो तो मेरी ये उंगली अपनी चूत में डालकर दिखाओ, तो मैंने पूछा ये चूत क्या होती है? तो उन्होंने मुझे चूत दिखाई और बोले ये है.
फिर मैंने कहा ठीक है आप फिंगर डाल लो, फिर मामा धीरे से अपनी उंगली मेरी चूत के पास लाए और डालने लगे और मुझे जैसे दर्द हुआ तो मैंने टांगे समेट दी. फिर मामा ने कहा कि तुम बहुत डरती हो तो में बोली नहीं डरती हूँ. फिर मामा बोले अगर नहीं डरती तो टांगे खोलकर रखो. फिर में बोली कि मुझे दर्द हो रहा है और मामा बोले धीरे धीरे उंगली करूँगा और अगर तुम्हें अच्छा नहीं लगे तो नहीं करूँगा. फिर में बोली मुझे अच्छा क्यों लगेगा? जब दर्द हो रहा है तो वो बोले एक बार करके तो देखो.
फिर मैंने थोड़ी टांगे ढीली की और मामा मेरे पैर फैलाकर चूत को देखने लगे और कहने लगे कि तू बहुत कच्चा माल है. फिर मैंने पूछा क्या? तो वो बोले तुझे बाद में बताऊंगा और ये कहकर वो अपनी जीभ से मेरी चूत को सहलाने लगे. मुझे अजीब सी गुदगुदी हो रही थी, लेकिन उसके साथ-साथ अच्छा भी लग रहा था. अब वो चाट चाटकर मुझे एक फिंगर से फिंगरिंग कर रहे थे. फिर 30 मिनट के बाद वो दो उंगली डालकर फिंगरिंग करने लगे और मुझे अब दर्द हो रहा था, लेकिन मामा मेरे दर्द को नज़र अंदाज़ कर रहे थे और फिर उन्होंने मुझे 2 मिनट के बाद छोड़ दिया.
अब वो हर दिन स्कूल से आने के बाद मुझे अपनी जांघ पर बैठाकर फिंगरिंग करते थे और में खामोश होकर अपने पैर फैलाए हुए उनके कंधे पर अपना सिर रखकर सोए रहती थी. मम्मी के आने से पहले तक मामा मुझे गोद में लेकर जो मन में आता वो सब करते थे और में सिर्फ़ खामोश रहती थी, जैसे कि कभी-कभी पेंटी उतार कर उंगली से मेरी चूत को फैलाकर के अंदर देखते या फिर मेरी चूत को चाटते थे या फिर मुझसे कहते कि दूध पीना है और में अपनी निपल्स निकाल कर उनके मुँह के पास रखती और वो मेरा पूरा टॉप या फ्रॉक निकाल कर फिर जी भर कर चूसते थे और काटते थे या फिर कभी-कभी मेरे पूरे कपड़े उतार कर मेरे साथ पलंग पर लेटे रहते थे.
अब मामा मेरी चूत के हर अंग की जानकारी रखते थे और वो जानते थे कि कहाँ तक मुझे दर्द होता है, क्योंकि जब वो फिंगर करते थे तो में कमर ऊपर नीचे करती थी और पैर सिकुड़ कर रखती. फिर वो फिंगररिंग धीरे करते और में चुपचाप पैर फैलाए उनको मनमानी करने देती थी.
मामा की उम्र 30 साल थी और वो बहुत चालाकी से हर दिन मेरे सेक्स की भूख बढ़ा रहे थे और उनकी जादुई उंगलियाँ मुझे पागल बना रही थी और वो यह अच्छे से जानते थे कि मेरी चूत के साथ कब क्या करना है? कभी कभी तो बिना स्कूल की ड्रेस चेंज किए ही मेरी चूत में फिंगर करने लग जाते थे और में लास्ट पीरियड से स्कूल में मामा को मिस करती थी. अब मामा मुझसे सेक्स करने की प्लानिंग कर रहे थे, लेकिन मुझे थोड़ी भी भनक नहीं लगने दी. मेरे एक रिलेटिव की शादी थी और मम्मी पापा ने प्लानिंग की हम सब जायेंगे, लेकिन मामा ने मुझसे कहा कि तुम कह दो कि तुम्हारा टेस्ट है और मैंने अपने पापा मम्मी को यही कहा और उन्होंने कहा कि तो तुम अकेली कैसे रहोगी? तो मैंने मामा का नाम लिया और वो मान गये.
ये मेरी ज़िंदगी की सबसे बड़ी भूल थी और वो दिन आ ही गया जिस दिन मेरे पापा मम्मी को जाना था. में सुबह स्कूल चली गयी और उनकी ट्रेन सुबह 10 बजे की थी. फिर में जब स्कूल से आई तो घर में मामा थे और मामा ने मेरे आते ही म्यूज़िक लगा दी और मेरे साथ डांस करने लगे. उनका मुझे छूना बहुत अच्छा लग रहा था, उन्होंने मुझे किस किए. अब वो मेरे बूब्स दबा रहे थे.
मैंने कहा कि मामा में पहले नहाकर आती हूँ तो वो बोले ठीक है तू नहा ले और में नहाने चली गयी और मेरे नहाते समय मामा ने डोर लॉक किया और मैंने जैसे ही कुण्डी खोली तो वो झट से दरवाजे को धक्का देकर अंदर आ गये और मेरे भीगे बदन को सिर्फ़ पेंटी में देखने लगे. फिर मैंने जब मामा को देखा तो वो पूरे नंगे थे और मेरी नज़र सीधे उनके लंड पर गयी, जो इतना बड़ा था कि मेरी नज़र वहाँ से हट ही नहीं रही थी, मैंने पहली बार मेरे मामा को नंगा देखा था, मामा मेरे पूरे बदन पर साबुन लगा कर मसल रहे थे और बोल रहे थे कि में तुम्हें आज चोदूंगा.
फिर वो मुझे गोद में उठा कर अपनी साबुन वाली उंगली से फिंगरिंग करने लगे और में पागलों की तरह, आह्ह्ह्ह आह्ह्ह्ह कर रही थी. फिर मामा ने शॉवर चालू किया और मुझे फ्लोर पर लेटा दिया और वो मेरे ऊपर आ गये और मेरे होंठ चूसने लगे और बोले सेक्स करूँ? तो मैंने कहा हाँ करो. मामा बोले में आज तेरी सील तोड़ूँगा, लेकिन चिल्लाना मत और ये कहकर मेरी चूत पर अपना लंड रगड़ने लगे और अपने एक हाथ से मेरा सिर पकड़ कर होंठ चूसने लगे और दूसरे हाथ से मामा ने मेरी चूत पर अपना लंड सेट किया और एक शॉट मारा तो मेरी जान ही निकल गयी. में दर्द के मारे तड़प रही थी. फिर मामा ने एक और शॉट मारा तो में अपने दोनों हाथों से उनको धक्का दे रही थी, लेकिन उनको कोई फर्क नहीं पड़ रहा था.
फिर वो थोड़ी देर रुके, तो मुझे लगा कि मामा मुझे छोड़ देंगे, लेकिन उन्होंने फिर से अपने लंड को सेट करके मुझे एक और शॉट मारा. मेरी चूत से खून आ रहा था, ऐसा लग रहा था कि जैसे मेरी दोनों टांगो के बीच में कोई सख्त चीज़ से दनादन वार कर रहा था और मुझे अब समझ में आ रहा था कि चुदाई क्या होती है? में मामा से कह रही थी कि मुझे छोड़ दो.
मामा ने कहा कि अगर तुझे पूरा अच्छी तरह से नहीं चोदा तो दूसरी बार तुझे दर्द होगा और यह कहकर उन्होंने अपनी बॉडी के पूरे वजन से अपना लंड और अंदर डाल दिया, मुझे कुछ समझ में नहीं आ रहा था. फिर दर्द के मारे मैंने मेरी टांगे थोड़ी ढीली की, तो वो मुझे थैंक यू कहने लगे और वो मुझे वैसे ही शॉट्स मारते रहे. में समझ गयी थी कि मामा जब तक अपने आप नहीं छोड़ेंगे तब तक मुझे ऐसे ही उनके शॉट्स लेने पड़ेगें. अब मुझे दर्द हो रहा था, लेकिन थोड़ा कम था और ऐसे ही में 20 मिनट तक मामा से चुदवाती रही और फिर मामा ने मेरे अंदर सारा पानी छोड़ दिया.
अब मुझसे उठा भी नहीं जा रहा था, फिर मामा मुझे गोद में उठाकर बेड पर ले गये और टावल से मेरा पूरा बदन पोछा और कंबल ओढ़ा दिया और में सो गयी. जब मेरी नींद खुली तो रात के 10 बज रहे थे और फिर मामा ने मुझे जूस दिया और थोड़ी देर के बाद मेरे कंबल में आ गये. अब मामा फिर से मुझे छुने लगे, में समझ गयी कि मामा फिर चोदेंगे और मामा मेरे दूध को धीरे-धीरे दबाने लगे और मेरे होंठ चूसने लगे.
फिर वो धीरे से मेरे ऊपर आ गये और मैंने उनसे कहा बहुत दर्द होगा, तो वो बोले तेरी सील टूट गयी है और थोड़ा दर्द तो किसी से भी करवाती तो होता. फिर मामा ने मेरे पैर मोड़कर फैला दिए और धीरे से अपना लंड मेरी चूत में रखकर एक शॉट मारा और में बोली अयाया, ऐसा लग रहा था जैसे मेरी दोनों टांगो के बीच में कुछ चीरता हुआ अंदर जा रहा है.
फिर मामा ने तब तक दनादन शॉट्स मारे जब तक वो पूरा अंदर नहीं कर दिया. फिर हर एक शॉट्स में मुझे साफ साफ एहसास हो रहा था कि वो मेरी टांगो के बीच में कोई चीज़ फाड़ रहे है. ऐसे ही उन्होंने मुझे 20 मिनट तक चोदा और फिर पूरा पानी मेरे अंदर छोड़कर सो गये. फिर जब सुबह हुई तो में चल भी नहीं पा रही थी, लेकिन मामा ने मुझे उसी हालत में सुबह भी चोदा, ये सिलसिला 3 दिन तक चला. जब तक मेरे मम्मी पापा नहीं आए और फिर मामा ने मुझे 1 हफ्ते तक ही चोदा.
फिर एक रात मैंने 1 बजे मामा को उठाया और कहा जो करना है करो, लेकिन ऐसे मुझसे दूर मत जाओ और उस रात उन्होंने मेरी जमकर चुदाई की. ये सिलसिला अब हर दिन चलता रहा, कभी स्कूल से आने के बाद या फिर रात में और मैंने गौर किया कि मेरे रंग में और निखार आ रहा था और मेरी गांड भी बड़ी हो रही थी, शायद यह सब मेरी चुदाई का ही असर था.

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क्या हॉट थी मकानमालकिन

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हैल्लो दोस्तों, सेक्सी लड़कियों और भाभियों आप सभी अब अपनी अपनी चूत को नंगी कर लो, क्योंकि मुझे विश्वास है कि इस कहानी को पढ़ते पढ़ते आप सभी की चूत का पानी निकल जाएगा और लंड वालों आप सभी अपना अपना लंड हाथ में पकड़ लो और मुठ मारना शुरू कर दो, क्योंकि यह मेरी कहानी बहुत गर्म है. दोस्तों मेरा नाम प्रदीप है और में जालंधर के एक कॉलेज में सिविल इंजीनियरिंग का स्टूडेंट हूँ. दोस्तों आज में जो कहानी आप सभी के सामने पेश कर रहा हूँ वो मेरे साथ उस वक्त घटित हुई थी जब में कॉलेज के दूसरे साल में अपनी पढ़ाई कर रहा था और में यहाँ पर एक मकान में किराए से रहता था.
उस मकान में मकान मालिक का परिवार जिसमे एक छोटा लड़का उम्र 2 साल लेकिन वो बहुत शरारती है और उस लड़के की माँ जिसे में भाभी कहता हूँ उनकी उम्र करीब 27 साल है और मकान में दादा, दादी भी रहते है. दोस्तों उन भाभी के पति जो कि अभी कनाडा में रहते है और उन्हे यहाँ से गये हुए पूरे दो साल हो गये थे. दोस्तों यह बात फरवरी 2013 की है उस वक़्त पंजाब में बहुत ज्यादा ठंड होती है, क्योंकि मकान में जवान सिर्फ़ भाभी है तो हर काम उन्हे ही देखना पड़ता है, लेकिन जब से में उनके मकान में रहने लगा हूँ तब से उन्हे मेरी तरफ से थोड़ी बहुत मदद मिल जाती थी, क्योंकि में बाहर से कुछ भी जरुरी सामान लाने में उनकी हमेशा मदद किया करता था.
दोस्तों थोड़ा बहुत में अपनी भाभी के बारे में भी बता दूँ कि उनकी उम्र 27 साल, गोरा चेहरा, उनके फिगर का साईज़ 32-30-34 है और वो दिखने में बहुत मस्त है. उन्हे एक बार देखने से ही किसी का भी चोदने का दिल कर जाए. अब में अपने मन की बताऊँ तो भी ऐसा परिवार पाकर बहुत खुश था और भाभी के बूब्स तो मुझे बहुत ज्यादा अच्छे लगते थे और वो मकान पर अधिकतर समय सूट पहनती थी और उन कपड़ो में तो वो बिल्कुल कयामत लगती थी, उन्हे देखते ही मेरा दिल करता है कि बस पकड़कर चोद दूँ. दोस्तों अब में अपनी कहानी को शुरू करता हूँ. तो एक दिन हुआ यह कि मुझे उस मकान में कमरा लिए हुए अभी दो महीने ही हुए थे और में उनके मकान पर एक परिवार के सदस्य की तरह रहने लगा था और उनका मुझ पर विश्वास भी पूरा बन गया था, मेरा रूम ऊपर वाला था और मुझे खाना देने भाभी खुद ही आया करती थी, क्योंकि में बाहर के कामों में उनकी मदद कर देता था और जब मकान के सभी सदस्य खाना खा लेते थे तो उसके बाद भाभी मुझे खाना लाकर ऊपर दे दिया करती थी. दोस्तों पहले पहले तो में भाभी को चोदने के बारे में नहीं सोचा करता था, लेकिन थोड़े दिनों के बाद भाभी की शायद मुझमें रूचि ज्यादा ही बन गई थी और अब वो मेरे साथ कुछ अजीब सा व्यहवार करने लगी थी, उन्होंने मेरे साथ अब हंसी मज़ाक भी करना शुरू कर दिया था और में भी कभी कभी उन्हे मज़ाक में पकड़ लिया करता था, लेकिन वो मुझसे कुछ भी नहीं कहती थी और अब मुझे उनका व्यहवार देखकर लगने लगा था कि भाभी मुझसे कुछ चाहती है? लेकिन मैंने उस काम में ज्यादा जल्दी नहीं की. दोस्तों में हर रोज शाम को जिम जाया करता था और फिर वहां से आकर नहाता था.
एक दिन जब में शाम को जिम से वापस आया तो मैंने देखा कि मकान में सिर्फ़ भाभी और उनका लड़का ही था. तो मैंने उनसे पूछा कि मकान के सब लोग कहाँ गये? तो वो मुझसे बोली कि दादा दादी पास में किसी के मकान पर जागरण में गए हुए है, लेकिन मुझे लगता कि शायद वो आज घर नहीं आएँगे. तो उनके मुहं से यह बात सुनकर मैंने उनसे कहा कि ठीक है और फिर में बाथरूम में नहाने चला गया. दोस्तों में हमेशा नंगा होकर नहाता हूँ और हर रोज की तरह आज भी में नंगा ही नहा रहा था, वो बाथरूम इस तरह से बना है कि अगर कोई छत पर खड़ा हो तो उसे ऊपर से अंदर की तरफ सब कुछ दिखेगा, लेकिन वहां पर ज्यादा कोई नहीं जाता है, सिर्फ़ कपड़े सुखाने के लिए तार लगा हुआ है. उस दिन शायद भाभी ने अपने कुछ कपड़े तार पर डाल रखे थे और वो छत पर उन्हे उतारने गई हुई थी, लेकिन मैंने उस तरफ बिल्कुल भी ध्यान नहीं दिया और फिर मैंने अपने लंड पर साबुन लगाया तो वो धीरे धीरे तनकर खड़ा होने लगा और इसी बीच मेरा मुठ मारने का मन किया और फिर में शुरू हो गया और शायद यह सब भाभी देख रही थी, लेकिन मैंने ध्यान नहीं दिया. फिर मैंने मुठ मारी और नहाकर बाहर आ गया. दोस्तों मेरा लंड 6 इंच का है. तो उसी रात को भाभी रूम में खाना लेकर आई और फिर पानी वग़ैरह रखकर मेरे सामने ही बैठ गयी. तभी मैंने उनसे मुस्कुराते हुए पूछा कि लगता है आज आप अपने सभी कामों से बिल्कुल फ्री है? तो उन्होंने कहा कि हाँ और फिर मैंने उनसे पूछा कि छोटू कहाँ है? तो वो बोली कि वो सो गया है.
फिर हम बातें करने लगे और जब मैंने खाना खा लिया तो वो बर्तन ले जाकर रसोईघर में रख आई और फिर दोबारा मेरे रूम में आई और बोली कि आज मेरा मन नहीं लग रहा है क्या हम कुछ देर बात कर सकते है? तो मैंने कहा कि हाँ क्यों नहीं? चलो भाभी हम दोनों आज छत पर बिल्कुल खुले में बैठकर बातें करते है और फिर हम छत पर चले गये, वो मेरे पास में बैठी हुई थी और फिर हम दोनों ने बातें करनी शुरू की. दोस्तों भाभी ने अपनी शादी से पहले बी.ए. की हुई है इसलिए में उनकी कॉलेज लाईफ के बारे में पूछने लगा कि उनकी कॉलेज लाईफ कैसी थी? तो उन्होंने मुझे बताया कि उस समय उनके पीछे कॉलेज के बहुत सारे लड़के थे, लेकिन वो एक लड़के को बहुत पसंद करती थी. फिर वो मेरे बारे में मुझसे पूछने लगी कि क्या तुम्हारी कोई गर्लफ्रेंड है? तो मैंने कहा कि हाँ एक है, तो वो मुझसे मजाक में बोली कि क्यों इसका मतलब तुम तो पूरा मज़ा ले रहे होंगे? और वैसे भी आज कल तो सब बहुत तेज़ हो गया है. मैंने भी उनकी यह बात सुनकर उनको स्माइल किया और मैंने भाभी से कहा कि भाभी क्या में आपसे एक बात पूछ सकता हूँ, आप मुझसे गुस्सा तो नहीं हो जाओगी?
फिर वो बोली कि नहीं तुम पूछ लो ऐसा कुछ नहीं होगा. तो मैंने थोड़ी हिम्मत करते हुए कहा कि आपने शादी से पहले कभी किसी के साथ कुछ किया है? तो यह बात सुनते ही वो मुझे एकदम हैरान होकर देखने लगी और फिर वो हंसकर बोली कि तुम यह मुझसे क्या पूछ रहे हो? तो मैंने कहा कि क्यों हम इतनी बात तो कर ही सकते है ना? तो वो हंसने लगी और फिर बोली कि नहीं पहले कभी मैंने ऐसा कुछ नहीं किया था, लेकिन जिस लड़के को वो दिल से चाहती थी वो एक बार उन्हे अकेले में ले गया था और वहां पर हमने किस किए थे और उसने मेरे बूब्स दबाए थे और मुझसे मेरी चुदाई करने की कह रहा था, लेकिन में नहीं मानी.
मैंने उनकी बात खत्म होते ही उनसे पूछा कि क्या आप अपनी इस लाइफ से खुश हो? तो वो एकदम से बोली कि हाँ और फिर वो मेरी बात को काटते हुए मुझसे पूछने लगी कि तुम बाथरूम में क्या कर रहे थे? दोस्तों उनके मुहं से यह बात सुनते ही मेरे तो होश ही उड़ गये और उस घबराहट में मेरे मुहं से आवाज़ नहीं निकली. में पसीने से गीला हो गया, मेरे चेहरे का रंग उड़ गया और में ये, वू, में वो कर रहा था और कुछ भी बड़बड़ाने लगा. फिर वो स्माइल करते हुए बोली कि क्या हुआ मुझसे इतना डर क्यों रहे हो? तुमने तो मुझसे बहुत आसानी से सब कुछ पूछ लिया और जब मैंने तुमसे कुछ तुम्हारे बारे में पूछा तो तुम्हारी आवाज़ नहीं निकल रही ऐसा क्यों? वैसे अब तुम मुझसे बिल्कुल भी मत डरो क्योंकि मैंने तुम्हे वो सब करते हुए देख लिया था.
मैंने कुछ नहीं कहा और थोड़ी देर शांत रहा, लेकिन मन ही मन कुछ सोचता रहा और फिर मैंने कुछ देर बाद उनसे कहा कि भाभी प्लीज आप यह बात किसी से मत कहना. तो वो बोली कि यहाँ पर इस समय कहने और सुनने के लिए सिर्फ़ तुम ही हो और कोई नहीं है. जिससे में यह सब कहूँगी और फिर वो मुझसे मुस्कुराती हुई बोली कि वैसे तुम्हे वो सब करने की ज़रूरत ही नहीं. मैंने थोड़ी हिम्मत करते हुए बहुत हल्की आवाज से पूछा कि क्यों? लेकिन वो कुछ नहीं बोली बस शरारती अंदाज में मुस्कुराती रही.
मैंने पूछा कि भाभी भैया को बाहर गये हुए दो साल हो गये है तो आप कैसे रह लेते हो? फिर वो झट से बोली कि कैसे रह लेती हो का क्या मतलब् है? तो मैंने कहा कि वो सब जो एक पति पत्नी करते है उसका क्या? तो वो बोली कि हाँ ठीक है में तुम्हारा कहने का मतलब समझ गयी, लेकिन वो थोड़ी देर बिल्कुल चुप रही और फिर वो अपनी आंख से आँसू साफ करते हुए बोली कि चलो अब नीचे सोते है, क्योंकि अब रात भी बहुत ज्यादा हो गयी है. दोस्तों में उनकी इन सब बातों से समझ गया था कि भाभी बहुत प्यासी है और उन्हे अब लंड की ज़रूरत है और मैंने भी मन ही मन सोचा कि आज में इसे इस बात का एहसास करा देता हूँ कि उसका पति नहीं है तो क्या हुआ लंड मेरे पास भी है और में उसके पास हूँ ना?
फिर मैंने थोड़ी हिम्मत करके भाभी को बैठे हुए ही पीछे से कंधे पर हाथ रखा और मेरे ऐसा करते ही भाभी मेरे कंधे पर अपना सर रखकर रोने लगी और में उन्हे अपनी तरफ खींचकर उनकी पीठ को सहलाने लगा. वो करीब पांच मिनट तक रोती रही. फिर जब उन्होंने अपना चेहरा मेरे कंधे से हटाया और अपने चेहरे को ऊपर किया तो मैंने अचानक से उनके गुलाबी, मुलायम होंठो पर अपने होंठ रख दिए, लेकिन भाभी ने कुछ नहीं कहा बस उन्होंने अपनी दोनों आखों को बंद कर लिया और जिसकी वजह से मुझे ग्रीन सिग्नल मिल गया और अब मैंने भाभी को स्मूच करना शुरू कर दिया और थोड़ी देर बाद भाभी ने भी मेरा पूरा पूरा साथ देना शुरू कर दिया.
थोड़ी देर के किस के बाद मैंने भाभी को खड़ा किया और अपने साथ उन्हे अपने रूम में ले गया, कमरे की लाइट चालू की और दरवाजा बंद कर दिया और जब मेरी और भाभी की नजरें एक दूसरे से मिली तो हम दोनों ने एक दूसरे को स्माइल किया और में भाभी को पकड़कर बेड पर ले गया और फिर मैंने उन्हे चूमना शुरू कर दिया और इस काम में भाभी भी मेरा पूरा साथ दे रही थी, भाभी ने उस समय सूट पहना हुआ था.
फिर मैंने उनकी चुन्नी को उतार दिया और सूट के ऊपर से ही दोनों बूब्स को दबाने लगा. जिसकी वजह से भाभी अब धीरे धीरे गरम हो रही थी और वो मुझे ज़ोर ज़ोर से किस कर रही थी और अब हम दोनों की जीभ एक दूसरे के मुहं में थी और करीब 15 मिनट किस करने के बाद मैंने भाभी को अलग किया और उनका सूट उतार दिया. अब भाभी सिर्फ़ सलवार में थी और ऊपर ब्रा पहन रखी थी. मैंने फिर से भाभी को पकड़ा और स्मूच करने लगा और ब्रा के ऊपर से ही दोनों बूब्स दबाने लगा.
वाह दोस्तों क्या मस्त बूब्स थे और किस करते ही मैंने सलवार का नाड़ा खोल दिया और वो नीचे सरक गई. भाभी ने उस समय काले रंग की पेंटी पहनी हुई थी और में किस करते वक़्त कभी भाभी के बूब्स दबाता तो कभी पेंटी में हाथ डाल रहा था. तो भाभी ने मुझे अपने जिस्म से अलग किया और मुझे भी पूरा नंगा कर दिया और मेरे लंड को देखकर बोली कि कितना मस्त है? मैंने तुम्हे आज पहली बार तब देखा जब तुम नहाते समय बाथरूम में मुठ मार रहे थे और उसी वक़्त मेरा तुम से चुदने का दिल किया, लेकिन में तुमसे बात नहीं कर सकी और फिर वो मुझसे इतना कहकर मेरे लंड को मुहं में लेकर चूसने लगी. तो आअहह ऊऊओह भाभी मेरे मुहं से आवाज़ निकल पड़ी और भाभी तो पूरी तरह से लंड चूसने में अनुभवी लग रही थी और वो मेरे लंड को बहुत देर तक चूसती रही.
मैंने उसे सीधा लेटाया और उसकी ब्रा और पेंटी को उतार फेंका और उसके दोनों गोरे गोरे पैरों को फैलाया, लेकिन अब उसकी चूत को देखकर मेरी आँखे खुली की खुली रह गयी और मेरा चेहरा देखकर भाभी बोली कि क्या हुआ? तो मैंने कहा कि कुछ नहीं भाभी आपकी चूत तो बहुत मस्त है. मैंने आज तक एसी चूत कभी किसी ब्लूफिल्म में भी नहीं देखी. दोस्तों उसकी चूत एकदम गोरी, चिकनी, कामुक और बहुत सुंदर थी और उसकी चूत का दाना बिल्कुल लाल रंग का था.
मैंने कहा कि भाभी आप अपनी इस बैचेन चूत को अब तक मुझसे क्यों छुपाकर रख रही थी? तो वो बोली कि नहीं में तो कब से तुमसे चुदने को तैयार थी, लेकिन तुम ही मुझ में बिल्कुल भी रूचि नहीं ले रहे थे. फिर मैंने उनसे कहा कि सॉरी भाभी और मैंने उनके दोनों पैरों को फैलाया और मैंने अपना मुहं उसकी चूत के दाने पर रख दिया तो वो एकदम से उछल पड़ी और उसके मुहं से आहह्ह्ह्हह्ह आईईई की आवाज़ आई और मैंने चूत को चाटना शुरू कर दिया.
दोस्तों वाह क्या मस्त स्वाद था उसकी चूत के पानी का और उसे में चूसता ही रहा और करीब दस मिनट तक चाटता ही रहा, तो इसी बीच वो एक बार झड़ चुकी थी और जब मैंने उसकी तरफ़ देखा तो वो ज़ोर ज़ोर से हाँफ रही थी और स्माईल कर रही थी. मैंने उसे किस किया और बोला कि भाभी क्या आप हमेशा अपनी चूत को क्लीन शेव रखती हो? तो वो बोली कि नहीं मैंने आज ही खाना बनाने से पहले अपनी चूत को साफ किया है और हम फिर से किस करने लगे और उसने मेरे लंड को दोबारा चूसना शुरू कर दिया और जब मेरा लंड पूरा टाइट हो गया तो वो मुझसे बोली कि प्रदीप प्लीज मेरी चूत बहुत प्यासी है आज इसकी प्यास बुझा दो और फिर मैंने अपना लंड उसकी चूत के छेद पर रख दिया और एक ज़ोर का धक्का मारा, लेकिन उसकी चीखने की आवाज़ उसके मुहं में दबकर रह गयी और आँखे जैसे बाहर आ गयी. तो यह सब देखकर में थोड़ा सा रुका और वो बोली कि प्लीज थोड़ा धीरे धीरे डालो, मैंने इसमें पिछले दो साल से एक उंगली भी नहीं डाली है और फिर मैंने धीरे धीरे धक्के देकर चोदना शुरू कर दिया और थोड़ी देर के बाद वो भी अपनी गांड को उछालने लगी और मेरे हर एक धक्के के साथ आअहह आईईईई उफफ्फ्फ् आआआहह ऊऊऊओह की आवाज़ निकालने लगी और में भी उसे ज़ोर ज़ोर से धक्कों के साथ चोदने लगा, उसने मस्ती में अपनी दोनों आँखे बंद कर रखी थी और में उसे इस कामुक अवस्था में देखकर और भी पागल हुआ जा रहा था और उसे ज़ोर ज़ोर से चोद रहा था.
फिर वो भी अब मुझे बोल रही थी हाँ और ज़ोर से चोदो मुझे प्रदीप आआआहह और ज़ोर से चोदो मेरी चूत को, दो साल से वो साला कुत्ता मुझे प्यासी छोड़कर गया हुआ है और वहां पर वो रंडियों को चोद रहा होगा और में यहाँ पर बिना लंड के चुदने के लिए तरस रही हूँ आआआहह ऊऊऊओभ और वो अपनी गांड को ज़ोर ज़ोर से उछालने लगी. मैंने उसे सीधा लेटाया हुआ था और उसके दोनों पैर मेरे कंधे पर थे, जब वो एक बार झड़ गयी तब उसने अपनी आँखे खोली और स्माईल के साथ आअहह कर रही थी. में उसे लगातार धक्के मार रहा था और उसे किस कर रहा था, उसके बूब्स को बारी बारी से चूस रहा था दबा रहा था और फिर करीब दस मिनट तक लगातार धक्के मारने के बाद मेरा भी वीर्य अब निकलने वाला था और में ज़ोर ज़ोर से चोदने लगा. तो उसने कहा कि प्लीज अपने लंड का पानी मेरी चूत में ही निकालकर आज इसकी प्यास बुझा दे मेरे राजा. फिर यह बात सुनकर मैंने जोश में आकर धक्के और तेज़ कर दिए और दो मिनट में मैंने अपने लंड का सारा वीर्य उसकी चूत में डाल दिया और उसके ऊपर लेट गया.
वो मुझे किस करने लगी और सहलाने लगी और थोड़ी देर के बाद जब मुझे थोड़ा अच्छा महसूस हुआ तब भी मेरा लंड उसकी चूत में ही था और वो मुझसे बोली कि प्रदीप तुम बहुत अच्छे हो और में तुमसे बहुत प्यार करती हूँ और आज से तुम मुझे जब भी ठीक टाईम मिले और मौका मिले तो चोदना, तुम इस बात का मुझसे वादा करो. फिर मैंने कहा कि मेरी जान में भी तुमसे उतना ही प्यार करता हूँ और इतनी मस्त, रसीली, कामुक चूत और गांड वाली भाभी को में कैसे बिना चोदे छोड़ सकता हूँ और अब तो दिल करता है कि में तुम्हारी चूत से अपने लंड को बाहर ही नहीं निकालूँ. तो इस पर वो बोली कि तो मैंने कब कहा है कि तुम अपना लंड कभी मेरी चूत से बाहर निकालो. मेरा लंड अब उसकी चूत में ही खड़ा होने लगा था और उसे लंड टाईट होता हुए महसूस हुआ तो वो बोली कि वाह मेरा शेर फिर से एक बार तैयार हो रहा है और इस बार में घोड़ी बनती हूँ. तो मैंने कहा कि हाँ ठीक है में तुझे डोगी स्टाइल में चोदूंगा और फिर वो कुतिया बन गयी और डोगी स्टाइल में इस बार मैंने उसे करीब 15 मिनट तक लगातार चोदा और मैंने एक बार फिर से उसकी चूत में अपना वीर्य निकाल दिया, लेकिन मुझे तो अब उसकी गांड मारने का दिल कर रहा था.
फिर मैंने उससे कहा कि भाभी में अब तुम्हारी गांड मारूँगा. तो वो बोली कि ठीक है, लेकिन तुम मुझे अभी से भाभी नहीं, रेशमा बोलो, दोस्तों क्योंकि उसका नाम रेशमा था और फिर मैंने उसकी एक बार गांड मारी और उसके साथ उसी के रूम में गया और उसके साथ दो बार और चुदाई करके वहीं पर सो गया और उसके बाद हमें जब भी मौका मिलता तो हम चुदाई करते है.

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बहुत रोमांटिक कहानी थी लंड और बुर की

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मैं 26 वर्ष का हूँ और काफी अनुभवी भी हूँ। बात उस समय की है जब यह शुरू हुआ था। मुझे आज भी वह दिन याद है जब मेरे शरीर में परिवर्तन आना शुरू हुआ था और मैं बिल्कुल अच्छा महसूस नहीं कर रहा था। मेरा लिंग बढ़ने लगा था, कई बार स्वप्नदोष से परेशान रहता था, सम्भोग के बारे में पता था पर उसका कुछ भी वास्तविक ज्ञान नहीं था और न ही कुछ वीडियो देखे थे। काफी शर्मीला था और दोस्तों से भी इस बारे में बात नहीं करता था। उस समय मेरी उम्र 17 साल थी और यह सब करीब एक साल तक ऐसे ही चलता रहा। फिर मुझे मिला एक दोस्त जो डॉक्टर का बेटा था और उसने मुझसे लड़कियों और सेक्स के बारे में खुल कर बात करना चालू कर दिया।

फिर भी मैंने काफी महीनों तक उससे कुछ नहीं कहा और उसकी बातें सुनता रहा। और एक दिन उसने खुद इस बारे में चर्चा की और मुझे मुठ मारने के बारे में बताया। मैं हक्का-बक्का रह गया और मैंने उससे कहा- यह सब फालतू है।
तो उसने मुझे बताया- यह सब जरूरी है, इसमें कुछ बुरा नहीं है।
वो मेरा पहला दिन था जब मैंने पहली बार मुठ मारी और काफी देर तक हाथ धोता रहा। फिर मुझे आदत पड़ चुकी थी और मजा आने लगा। उसने मुझे औरतों के गुप्त अंगों के बारे में बताना चालू किया। फिर मैं इंग्लिश मूवीज़ देखने लगा जिसमे लड़कियाँ बिकिनी में होती और कुछ सेक्स होता था। मुझे मजा आने लगा और मन करने लगा कि किसी असली लड़की को ऐसे देखूँ।
मेरी बारहवीं की बोर्ड परीक्षा आने वाली थी और मैंने गणित की कोचिंग चालू की। मेरे जो अध्यापक थे वो हमें घर पर ही पढ़ाते थे और चौथे माले पर रहते थे। जब भी मैं वहाँ जाता था तो दूसरे माले पर एक आँटी रहती थी जिनका दरवाजा कई बार खुला मिलता था और वो सफाई करती रहती थी। मुझे उसे देख कर बहुत उतेजना होती थी। उसके स्तन बहुत बड़े थे और पिछवाड़ा भी, वो साड़ी पहनकर रखती थी पर ब्लाऊज़ के ऊपर से स्तन कुछ कुछ दीखते थे और कई बार झाड़ू लगाते हुए वो थोड़े और दिख जाते थे।
मैं खुद पर काबू नहीं कर पता था और उत्तेजना से सराबोर हो जाता था और कई बार उस बारे में सोच सोच कर वीर्य निकल जाता था।
हँसना मत यारों।
कई बार मैंने आँटी के बारे में सोचकर मुठ मारी। लेकिन एक दिन सोचते सोचते सोच अपने परिवार की औरतों के ऊपर आई तो मैं सिहर उठा। मैंने खुद को कोसा कि मैं क्या सोच रहा हूँ, मैं कितन गन्दा सोचने लगा हूँ।
फिर मैंने पढ़ने जाते वक़्त उस तरफ देखना बंद कर दिया और बहुत तेजी से सीढ़ियाँ चढ़ जाता।
पर एक दिन जब मैं ऊपर जा रहा था तो आँटी ने मुझे बुलाया, मैं कुछ समझ नहीं पा रहा था और मेरा अपने दिमाग पर काबू पाना मुश्किल होता जा रहा था, फिर भी मैं बिना उनकी तरफ देखे अन्दर गया और पूछा- जी आँटी?
तो उन्होंने कहा- क्या तुम यह सोफा सरकाने में मदद कर सकते हो? थोड़ी सफाई करनी है।
मैंने कहा- क्यूँ नहीं !
और एक तरफ से सोफा उठाया और एक तरफ से आँटी ने। फिर क्या था, वो मेरे इतने सामने झुकी हुई थी और मैं स्तनों के बीच की रेखा को बहुत अच्छी तरह देख पा रहा था। मैं खुद की सोच को काबू करने की कोशिश कर रहा था पर कुछ नहीं हुआ और मेरा लिंग एकदम कड़क हो चुका था जो पैंट के ऊपर से साफ़ दिख रहा था। आप तो जानते ही हैं कि दस साल पहले पैंट कितनी तंग हुआ करती थी।
मैंने सोफा सरकाया और कुछ देर सोफे के पीछे खुद को छुपाने की कोशिश की और देख रहा था कि कब आँटी नज़र इधर उधर हो और मैं खिसक जाऊँ।
मुझे वहाँ खड़ा देख आँटी ने कहा – थैंकयू, अब तुम जा सकते हो।
मैंने कहा- कोई बात नहींम मैं वापिस जगह पर रखवा देता हूँ।
क्योंकि मैं नहीं चाहता था कि उन्हें यह पता चले।
इतने में मेरा एक दोस्त वहाँ से ऊपर जा रहा था, मैंने उसे आवाज लगाई और कहा- थोड़ी मदद कर सोफा सरकाने में।
वो आया और हमने सोफा जगह से रह दिया और जाने लगे। मेरा दोस्त आगे निकल गया और आँटी ने मुझे आवाज दी। अब मैं फिर से दुविधा में था, मैं नीचे उतरा और गर्दन झुकाते हुए आँटी के पास पहुंचा और कहा- जी आँटी?
उन्होंने कहा- तुमने इतनी मदद की तो मैं तुम्हें ऐसे ही नहीं जाने दे सकती, मैंने शरबत बनाया है, पीकर जाओ, और तुम्हारा दोस्त कहाँ गया?
मैंने कहा- आँटी, वो ऊपर गया और मुझे भी जाना है, क्लास चालू होने वाली होगी।
तो उन्होंने कहा- ऊपर देखकर बात करो, यह जमीन में क्या देख रहे हो।
जैसे ही मैंने ऊपर देखा, मेरा लिंक फिर से हरकत में आने लगा जो आँटी को दिखने लगा। मैं बहुत ही शर्मिंदा महसूस कर रहा था और समझ नहीं पा रहा था कि क्या करूँ।
तो आँटी ने मुझे बैठने के लिए कहा और कहा- तुम शर्बत पियो।
मैं कांपे जा रहा था और शर्बत पीने लगा तो आँटी ने मुझसे ऐसी बात कही कि मैं सकते में आ गया। उन्होंने कहा- कांपो मत, रेलक्स हो जाओ, देखना मर्दों की फिदरत है और तुम मर्द बन रहे हो, जितना रेलक्स रहोगे और इस सबको सामान्य तरीके से सोचोगे तो उत्तेजना को काबू करने में मदद मिलेगी।
मेरा चेहरा सफ़ेद हो चुका था।
तो उन्होंने कहा- डरो नहीं, मुझसे दोस्ती करोगे? मैं तुम्हारी हेल्प कर सकती हूँ।
मैंने कहा- कैसी हेल्प?
तो आँटी ने कहा- तुम उत्तेजना को काबू करना चाह रहे हो और तुम से हो नहीं रही। तुम्हारी कोशिश के कारण वो और भी ज्यादा नज़र आ रही है।
मैंने कहा- मेरी क्लास शुरू हो गई होगी, मुझे जाना चाहिए।
तो आँटी ने कहा- अगर तुम्हें सचमुच मदद चाहिए तो सन्डे को थोड़ा टाइम निकल कर आ जाना।
मैं वहाँ से चला गया। मैं समझ नहीं पा रहा था कि मैं क्या करूँ, जाऊँ या नहीं, जाऊँ तो घर वालों से क्या कहूँ।
फिर मैंने हिम्मत जुटाई और फैसला किया कि मैं जाऊँगा।
मैंने घरवालों से क्रिकेट मैच का बहाना किया और चल दिया। मैंने उन्हें बताया कि ये मेरे नए दोस्त हैं जिनके साथ मैं खेलने जा रहा हूँ।
मैं वहाँ पहुँचा तो आँटी ने मुझसे कहा- मुझे यकीन था कि तुम जरूर आओगे।
तो मैंने उनसे कहा- मैं मैच का बहाना बना कर आया हूँ। मेरे पास 3-4 घंटों का वक़्त है।
तो उन्होंने मुझसे पूछा- तुम क्या जानते हो, तुमने कभी वीडियो देखे हैं? असली में स्तन और स्त्री के अंग देखे हैं?
तो मैंने उन्हें बताया- मैंने कुछ कम सेक्स वाली मूवी देखी है जिसमे कुछ भी ओपन नहीं होता, लड़कियाँ बिकिनी में रहती हैं और किस्सिंग सीन रहते हैं। मैंने असली में कुछ नहीं देखा है और मुझे कुछ ज्ञान है जो मेरे दोस्त ने जो डॉक्टर का बेटा है उसने बताया है।
तो आँटी कहा- बिल्कुल नए हो।
मैंने कहा – हाँ।
आँटी- मुठ मारते हो?
मैं- हाँ।
आँटी- तुम इसे कण्ट्रोल करना चाहते हो?
मैं- हाँ।
आँटी- तुम्हे इसे कण्ट्रोल करने के लिए इसे नोर्मल करना होगा।
मैं- कैसे?
आँटी- मर्दों को देखना पसंद है। यह कहानी आप अन्तर्वासना.कॉंम पर पढ़ रहे हैं।
फिर आँटी ने अपने ब्लाऊज़ के ऊपर के कुछ बटन खोले और ब्लाऊज़ के साइड के हिस्सों को अन्दर की तरफ दबा दिया। मुझे अब जो दिख रहा था वो जन्नत से कम नहीं था। निप्पल को छोड़ कर मैं उनके पूरे स्तनों को देख पा रहा था ठीक जो इंग्लिश मूवी देखी थी उस तरह।
मैंने कहा- आँटी यह सही नहीं। आप शादीशुदा है और आपके पति?
आँटी- वो सेलमैन है और कंपनी के काम से बाहर ही ज्यादा रहते हैं। और कुछ गलत नहीं है, जहाँ तक तुम्हारा सवाल है तुम्हारी यह जरूरत है और आज कल कोई बड़ी बात नहीं, रहा मेरा सवाल तो मेरे पति जब बाहर होते हैं तो दूसरी लड़कियों के साथ मजे करते हैं तो मैं तो सिर्फ तुम्हें कुछ दिखा रही हूँ।
मेरा दिमाग अब भी यह मान रहा था कि यह सही नहीं पर अपनी अन्तर्वासना पर काबू नहीं था, मैं किसी भूखे भेड़िये की तरह उन्हें देख रहा था। फिर जो हुआ वो और भी गजब था देने वाला था।
आँटी ने अपनी साड़ी हटाई और अपना पेटीकोट खोल दिया। मेरा लिंग पैंट फाड़ने को तैयार था। वो काले रंग की झालर वाली पेंटी और ऊपर लगभग पूरे स्तन दिखाता ब्लाऊज़।
मैंने आँटी से कहा- मैं बर्दाश्त नहीं कर पा रहा और मैं गीला हो चुका हूँ।
आँटी- बस इन्हें देखते रहो और इस तरह से देखो जैसे यह तुम रोज़ देखते हो, उन्हें अपने दिमाग में इस तरह बिठाओ जैसे यह रोज़ का काम हो।
मैं- आँटी कैसे करूँ मेरा मेरा लिंग कूद रहा है।
आँटी ने मुझसे आगे बढ़ने को कहा और सब खोलने को कहा, और स्तन दबाने और चूसने को कहा।
मैंने ब्लाऊज़ खोला और पेंटी भी, वो गीली थी, तो मैंने कहा- आपका भी वीर्य निकलता है क्या?
आँटी- हाँ।
मैंने स्तनों को दबाया और चूसा। मैं क्या बयान करूँ कि मैं कहाँ था और उसके साथ आँटी की वोह सेक्सी आहें।
वाह !
फिर मैंने उसका पिछवाड़ा दबाया और फिर चूत की तरफ बढ़ा। काफी बाल थे जिसमें कुछ स्पष्ट दिखाई नहीं दे रहा था।
मैंने कहा- मुझे वो भी अच्छी तरह देखनी है।
तो आँटी कहा- दो मिनट बैठो।
मैं लगभग 15 मिनट बैठा रहा और आँटी आई। वो पहली बार था जब मैंने चूत देखी थी, वो दिन मेरी जिन्दगी को झकझोर देने वाला था।
जब मैंने चूत को देखा तो मैं बर्दाश्त नहीं कर पाया। मुझे उलटी सी आने वाली थी, मुझे घृणा होने लगी थी, मैंने आँटी से कहा- प्लीज़ कपड़े पहन लो, मुझे जाना है।आँटी समझ गई और उन्होंने पेंटी पहन ली और मेरे पास आकर बैठ गई, कहने लगी- कभी न कभी तो तुम्हें इससे रूबरू होना था।
मैंने कहा- मुझे कुछ समय चाहिए।
उन्होंने कहा- कोई बात नहीं, तुम पहले यह वीडियो देखो।
और उन्होंने एक वीडियो केसेट निकली और वीसीआर में लगा दी। वो उस दिन दूसरा भयानक सच था जिससे मैं रूबरू हुआ, और वो था ओरल सेक्स।
मुझे सब बहुत ही भद्दा लग रहा था और मैंने उलटी कर दी।
हंसो मत दोस्तो।
फिर आँटी भी समझ गई, उन्होंने मुझे कहा- जब तुम मुठ मारते हो तो कैसा फील करते हो?
मैंने कहा- बहुत मज़ा आता है।
तो उन्होंने कहा- तुम मेरे स्तन देखो और कहीं मत देखना और महसूस करो।
उन्होंने मेरा लिंग निकाला और मानो पूरे बदन में आग दौड़ गई हो जब उन्होंने उसे छुआ और धीरे धीरे मुठ मारने लगी।
मैं उनके बड़े बड़े स्तनों को देख रहा था और इस बार मैं जन्नत का सफ़र कर रहा था, फिर उन्होंने मुझे आँखें बंद करने को कहा।
मैंने कर ली।
आंटी ने कहा- जब तक मैं नहीं कहूँ, आंखें न खोलना।
मैंने वैसा ही किया। फिर मुझे अपने लिंग में कुछ अजीब सा महसूस हुआ जो अलग था और हवाएं भी।
मैं समझ रहा था कि यह क्या है पर मैंने आँखें नहीं खोली क्योंकि मैं नहीं जानता था कि देखने के पश्चात कैसा महसूस होगा। मुझे बन्द आँखों में बहुत मज़ा आ रहा था और मेरा वीर्य दुबारा निकल चुका था।
फिर उन्होंने मुझे कहीं लेटाया और मुझे यह महसूस हुआ कि कोई मेरे ऊपर बैठ रहा है और लिंग पर कुछ गीला-गीला महसूस हुआ। फिर मुझे अपनी छाती पर कुछ नरम सा महसूस हुआ, वह तकिया था।
मुझे पता है आपने कुछ और ही सोचा होगा।
फिर उन्होंने मुझे आँखें खोलने के लिए कहा।
मैंने देखा कि आँटी मेरे ऊपर है तकिये से उसने मेरे और अपने लिंग छुपा लिए थे और उनके स्तन दिखाई दे रहे थे।
उसने एक कंडोम लिया और धीरे धीरे मेरे लिंग पर चढ़ाने लगी। अब मुझे अच्छा लग रहा था, फिर उन्होंने धीरे धीरे मेरा लिंग अपने अंग में ले लिया, मुझे कुछ दर्द हो रहा था पर उससे ज्यादा मज़ा आ रहा था। उसने मुझे अपने स्तनों को जोर जोर दबाने के लिए कहा और मैंने वही किया।
आँटी ऊपर-नीचे होने लगी, मेरी उत्तेजना चरम सीमा पर थी और लिंग कूद रहा था, इतना मजा आ रहा था कि क्या बताऊँ?
अभी सब कुछ शुरू ही हुआ था एक तेज़ झटके से मेरा वीर्य निकल पड़ा। अब मुझे कुछ अजीब सा लग रहा था और मैंने आँटी से हट जाने के लिए कहा, पर आँटी ने कहा- मैंने तुम्हारी इतनी मदद की, अब तुम्हारी बारी है।
वो कुछ और रूप में दिख रही थी, प्यासी, तड़पती हुई, और जोर जोर से ऊपर-नीचे हो रही थी। मेरा लिंग बहुत बुरी तरह दुखने लगा था, मुझे पसीना आ रहा था।
मैंने आँटी से कहा- प्लीज़ आँटी, बर्दाश्त नहीं हो रहा।
फिर उसने स्पीड धीरे की और थोड़ी देर बाद हट गई। वो मुझे बाथरूम ले गई मेरा कंडोम उतारा और लिंग साफ किया। मैंने जल्दी जल्दी कपड़े पहने और आँटी सिर्फ़ पेंटी में मेरे पास आकर बैठ गई और कहा- तुम्हें यह और करना होगा, तुम्हें खुलना होगा, तभी तुम्हें मज़ा भी आएगा और लड़कियों देखते ही वीर्य नहीं निकलेगा।
मैंने हाँ में हाँ मिलाई और कहा- फ़िलहाल इतना ही, इससे ज्यादा के लिए मैं तैयार नहीं हूँ।
तो उसने कहा- अगले सन्डे?
फिर मैं हर सन्डे मैच के बहाने से आँटी के घर जाने लगा और उसने अपने अनुभव से मुझे भी धीरे धीरे अनुभवी बना दिया और हमने खूब मजे लूटे।
अब मैं अनुभवी हूँ और कई लड़कियों के साथ मजे लूटे हैं और उन्हें पूरा आनंद दिया। लेकिन आज भी मुझसे चूत नहीं चूसी जाती।
और वो आँटी तो मेरी सबसे अच्छी दोस्त हैं और कई बार हम मजे लूटते हैं।
बाकी लड़कियों के साथ की कहानी फिर कभी।
मुझे जरूर बतायें कि मेरी कहानी आपको कैसी लगी और कुछ कमी लगी तो माफ़ कीजियेगा क्योंकि यह मेरी पहली कहानी है।

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अंकल का रिश्ता मेरी माँ की चूत से

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यह बहुत पुरानी घटना है, कहानी उदयपुर(राजस्थान) की है जहाँ मेरे नानाजी भी काम के सिलसिले में ठहरे हुए थे और उनके साथ उनका एक अच्छा दोस्त भी था जिनका नाम गोपाल था। वो मेरी मम्मी को अच्छी तरह से जानते थे और मेरी मम्मी भी उनको जानती थी, अक्सर नानाजी के साथ उनसे भी मिलना हो जाता था पर मैं उनके सम्बन्ध को नहीं जानता था। मेरी यह कहानी मेरी मम्मी और उन गोपाल अंकल की है।जब मैं छोटा था तब “संभोग” के बारे में नहीं जानता था लेकिन आज इतना बडा हो गया हूँ तो सब समझ में आता है कि उस दिन मेरी मम्मी और वो अंकल क्या कर रहे थे !

सबसे पहले मैं आपको मेरी मम्मी और उन अंकल का परिचय कराता हूँ। मेरी मम्मी एक घरेलू महिला हैं, गोरा रंग, उस वक्त उम्र 26 साल थी, कद 5 फ़ुट 2 इन्च और अंकल की उम्र करीब 50 और 55 के बीच की रही होगी।

तो अब यहाँ मेरी कहानी शुरु होती है। एक दिन मेरी मम्मी ने मुझसे कहा- चलो, नानाजी से मिलकर आते हैं।

उनका घर एक घुमावदार टीले पर था और थोड़े कच्चे मकान भी थे आसपास।

जब हम नानाजी के घर पहुंचे तो गोपाल अंकल ने दरवाजा खोला, उन्होंने अन्दर आने के लिये बोला। मुझे देख कर वो खुश भी हुए और बोले- अरे चीनू भी आया है !

और उन्होंने मुझे प्यार किया और गोद में उठाया और अन्दर आ गये। मेरी मम्मी ने नानाजी के बारे में पूछा तो उन्होने कहां वो किसी काम से बाहर गये हैं।

मैं घर को इधर उधर देखने लगा, वो लोग बातें कर रहे थे पर मुझे उनकी बातों से क्या मतलब था क्योंकि मैं बहुत छोटा था। वो धीरे धीरे बातें कर रहे थे, वो दोनों एक बिस्तर पर ही बैठे थे जो एक खटिया जैसी थी।

थोड़ी देर के बाद बात अंकल ने मुझे बाहर खेलने को कहा। मैंने मम्मी की तरफ़ देखा तो उनके चेहरे पर हल्की सी मुस्कान थी और ऐसा लग रहा था जैसे मेरी मौजूदगी से उनको किसी तरह की शर्म आ रही हो।

मैं वहाँ से जाना नहीं चाहता था क्योंकि मैं बहुत छोटा था और जिद्दी भी। फिर मम्मी ने मुझसे कहा- बेटा तुम थोड़ी देर बाहर जाकर खेलो, हम तुझे आवाज लगा देंगे।

अब मेरी मम्मी बिस्तर पर लेट गई। ऐसा लग रहा था कि दोनों की रजामंदी आँखों ही आँखों में हो गई थी पर मैं वहीं एक तरफ़ खडा हो गया, बाहर की तरफ़ देखने लगा और वो एक-दूसरे में ही खो गये। शायद उन्होंने अपना ध्यान मेरी तरफ़ से हटा लिया था। अब मेरी मम्मी ने अपनी साड़ी ऊपर करने के किये अपने पैर फ़ैलाए तो उनकी पायल ने मेरा ध्यान खींचा पर वो दोनों मेरी ओर ध्यान नहीं दे रहे थे।

तब मैंने देखा कि मेरी मम्मी ने अपने एक हाथ से अपनी साड़ी ऊपर की जिससे मैंने अपनी मम्मी की गोरे-गोरे गदराई हुई जांघों को देखा, मम्मी की जांघों को देखकर अंकल की आँखों में चमक आ गई और वो अपने होंटों पर जीभ फेरने लगे जैसे भूखे शेर के सामने गोश्त का टुकड़ा रख दिया हो।

इधर मैं हैरत में पड़ गया कि मेरी मम्मी की इतनी गोरी गोरी टाँगें कैसे हैं, बाहर से इतनी गोरी तो कभी नहीं दिखती थी।

इतनी देर बाद भी उनका ध्यान मेरी तरफ़ नही गया। उधर अंकल घुटनों क बल बिस्तर पर खड़े हुए थे। अब मम्मी ने अपनी गदराई हुई टांगों को फ़ैलाया, अंकल मम्मी को “संभोग” के लिये तैयार होने तक रुके हुए थे।

अब मम्मी ने अपनी साडी के अंदर हाथ डालकर अपनी अंडरवीयर का थोड़ा सा हिस्सा एक तरफ़ किया पर मैं उसे साफ़ नहीं देख सका। अब मेरी मम्मी अंकल को अपनी योनि का भोग देने के लिये पूरी तरह से तैयार थी और अंकल का इंतजार कर रही थी। इधर अंकल ने भी अपनी पैंट का हुक खोला और फिर जिप… और बाद में अंडरवीयर।

तो मैंने देखा कि दस इंच का काला मोटा लण्ड मेरी मम्मी की योनि भोगने के लिये बैचेन हो रहा था। अब अंकल धीरे धीरे मेरी मम्मी के ऊपर लेटने लगे और मेरी मम्मी को पूरा अपने कब्जे में ले लिया और पूरी तरह से मम्मी के ऊपर चढ़ गये जैसे कोई उनसे मम्मी को छीन न ले।

अब मैंने देखा उनकी वो पैंट का वो खुला हुआ हिस्सा और मम्मी का खुला हुआ हिस्सा आपस मे मिल रहे हैं, पर मुझे कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि ये लोग कर क्या रहे हैं।

तभी अंकल ने झटका मारा, जिससे पूरी खटिया हिल गया।

तभी उन दोनों का ध्यान मेरी ओर गया और मेरी मम्मी ने मुझे कहा- बेटा, तुम थोड़ी देर बाहर जाकर खेलो, थोड़ी देर बाद में आना !

तब मुझे बहुत गुस्सा आया कि मुझे बाहर क्यों भेज रहे हैं, लेकिन मैं, इन सब बातों को समझने के लिये बहुत छोटा था। करीब पांच मिनट बाद मैंने सोचा कि आखिर ये लोग कर क्या रहे हैं। तो फिर मैं एकदम से अंदर चला गया तो वो हक्के-बक्के रह गये, शायद वो दोनो गर्म हो चुके थे और मेरे एकदम से आने के कारन उनके संभोग मे बाधा पड़ गई थी तो अंकल ने मुझे कहा- तुमको कहा ना कि थोड़ी देर बाहर जाओ, हम तुझे बुला लेंगे। और कहा कि इस गेट को बंद करके जाना और अब अंदर मत आना।

इस बार अंकल के स्वभाव में थोड़ी नाराजगी थी।

तो मैं फिर बाहर चला गया। फिर मैंने उनको छुप कर देखने की योजना बनाई पर डर के मारे हिम्मत नहीं हो रही थी। तभी मैंने देखा कि दरवाजे में छोटा सा छेद है।

मैंने उसमें से अंदर झांका तो सब कुछ साफ़ दिख रहा था। वो आपस में धीरे-धीरे बात कर रहे थे पर उनकी बातें मुझे समझ में नहीं आई।

फिर मैंने देखा कि अंकल मम्मी को जोर-जोर से झटके मार रहे थे और पूरी खटिया हिल रही थी। इन झटकों की वजह से मम्मी की पायल भी सुर से ताल मिला रही थी। मैंने देखा कि अंकल के जबरदस्त झटकों से मम्मी की जांघों के लोथड़ आवाज कर रहे थे और दोनों एक दूसरे से आपस में पैरों को उलझाए हुए थे, साथ में बात भी कर रहे थे और “संभोग” का भरपूर आंनद ले रहे थे।

पूरा कमरा फ़च…फ़च… की आवाज से गूंज रहा था और एसा लग रहा था कि खटिया अभी टूट जायेगी अंकल के करारे झटकों से !

उनकी वासना भरी बातें मुझे समझ में नहीं आ रही थी क्योंकि इन सब बातों के लिये बहुत छोटा था। इधर अंकल हर चार पांच झटकों के बाद एक जोरदार झटका देते मम्मी को तो मम्मी की चूड़ियाँ और पायल भी बज उठती और अंकल को और जोश आ जाता। मेरी मम्मी अपने हाथ से उनकी कमर को प्यार से ऊपर से नीचे तक बच्चे की तरह सहला रही थी और उनको भरपूर यौनसुख दे रही थी।

15 मिनट बाद अंकल का शरीर अकड़ने लगा और नौ-दस झटके मारने के बाद अंकल के चेहरे से ऐसा लगा वो मेरी मम्मी कि योनि को जी भरकर भोगने के बाद पूरी तरह से तृप्त हो गये !

दोनो पसीने से पूरी तरह भीग चुके थे, उनकी सांसें बहुत तेज चल रही थी और फिर वो मम्मी के स्तनों पर लेट गये और स्तनो को धीरे-धीरे दबाने लगे। मेरी मम्मी उनके बालों में हाथ डालकर उनको प्यार से सहला रही थी और फिर बाद में उनके माथे को चूमा, उनको छोटे बच्चों की तरह प्यार देने लगी। दोनों पसीने से नहाए हुए थे और हांफ़ भी रहे थे। थोड़ी देर मेरी मम्मी और अंकल एसे ही लेटे रहे, फिर अंकल मेरी मम्मी के उपर से हटकर बगल में लेट गये।

अब मैंने देखा कि अंकल मेरी मम्मी से उनके कान में कुछ बोल रहे थे, तब मेरी मम्मी ने अपनी साड़ी ठीक की और अंकल मेरी मम्मी के बराबर से थोड़ा नीचे सरक गये, मेरी मम्मी अंकल की तरफ़ मुँह करके लेट गई और अंकल मम्मी के स्तनों के बराबर आ गये। अब मैने देखा कि मेरी मम्मी ने अपना पल्लू अपने स्तनों से हटाया और अपने ब्लाउज के हुक खोलने लगी और फिर हाथ पीछे करके अपनी ब्रा का हुक खोला और अपने कोमल, मुलायम स्तनों को अंकल के सामने परोस दिया। इधर अंकल नर्म-नर्म स्तनों को देखकर उस पर टूट पडे और मेरी मम्मी प्यार से उनके बालों में हाथ फ़ेरते हुए बोली- आप तो बहुत भूखे हो !

तो अंकल बोले- पहली बार किसी जवान और दूध वाली स्त्री के स्तनों का भोग लगा रहा हूँ।

थोड़ी देर के बाद मेरी मम्मी एकदम से चीखी। अंकल ने कहा- क्या हुआ?

धीरे-धीरे पियो, काटो मत ! दुखता है !

फिर पंद्रह मिनट तक मम्मी ने अंकल को अपना दूध पिलाया… इस दौरान अंकल ने मम्मी के स्तनों काट-काट कर अनार जैसा लाल कर दिया। मम्मी को बहुत दर्द भी हुआ था।

जब अंकल मम्मी के स्तनों को जी भरकर भोगने के बाद पूरी तरह से सन्तुष्ट हो गये तब कहीं जाकर मम्मी को राहत मिली और मम्मी ने अपना ब्लाउज बंद किया।

अंकल का मुँह दूध से भरा हुआ था, तब वो मम्मी से कहने लगे- तुम्हारे स्तनों का दूध गरम और मीठा है, मैंने आज जी भरकर तुम्हारे स्तनों का भोग लगाया है।

तब मेरी मम्मी ने उनके बालों में प्यार से हाथ फ़ेरते हुए उनके सर को चूम लिया और उठकर दरवाजे की ओर आने लगी तो मैं वहाँ से फ़टाफ़ट भाग गया…

मेरी मम्मी दरवाजा खोलते ही मुझे देखने के लिये आई, मैंने वहीं सीढ़ियों पर खड़े होकर सड़क पर चल रही गाड़ियों को देखने का बहाना बनाया और उनको एहसास भी नहीं होने दिया कि मैंने सबकुछ देख लिया था। मेरी मम्मी ने मुझे आवाज लगाई पर मैने कोई जवाब नहीं दिया, मैने देखा कि दूध रिसने के कारण मेरी मम्मी के ब्लाउज के आगे के हिस्से गीले हो रहे थे।

वो मेरे पास आई, मैं तब भी चुप था, हकीकत में मैं उदास भी था क्योंकि मुझे डांट कर बाहर जाने के लिये बोला गया था, मैं अपनी मम्मी से नाराज था क्योंकि उन्होंने भी मुझे जाने से नहीं रोका, मैंने अपनी मम्मी की तरफ़ नहीं देखने की ठान ली। मेरी मम्मी बार-बार मुझे अपनी तरफ़ देखने के लिये मना रही थी, काफ़ी देर बाद मनाने के बाद मैंने उनकी तरफ़ देखा, तो मेरी आँखों से आँसुओं की बरसात होने लगी। तब मेरी मम्मी ने मुझे अपने सीने से लगा लिया और रोने का कारण पूछा।

तो मैंने अंकल के डांटने की वजह बताई, तब मेरी मम्मी ने बहुत प्यार किया और कहा- अब कोई नहीं डांटेगा, मैं हूँ ना।

और मुझे कमरे में ले गई और मुझे खूब प्यार किया और खाने के लिये चीजें भी दी, मैं खुश हो गया।

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सेक्सी सासु माँ को चुसाया लंड

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हैल्लो दोस्तों, मेरा नाम समीर है और आज में आप सभी को अपनी पांच साल पुरानी एक सच्ची घटना सुनाने जा रहा हूँ, वैसे दोस्तों में शुरू से ही अपने परिवार के सभी सदस्यों को बहुत प्यार करता हूँ. मेरे परिवार में मेरी माँ, दो बहनें, मेरी पत्नी और मेरी सासू माँ है और में उन्हे भी बहुत प्यार करता हूँ और वो भी मेरी हर एक बात को मानते है और अब में अपने परिवार के सभी सदस्यों का एक छोटा सा परिचय आप सभी से करवा देता हूँ.
में : सूरज शर्मा मेरी उम्र 25 साल है
मेरी वाईफ : सुधा शर्मा जिसकी उम्र 22 साल है
मेरी बड़ी बहन : मानसी शर्मा जिसकी उम्र 30 साल है
मेरी छोटी बहन : प्रिया शर्मा जिसकी उम्र 18 साल है
मेरी सासू माँ : रूपा शर्मा जिनकी उम्र 55 साल है
मेरी माँ : कल्पना शर्मा उनकी उम्र 47 साल है
दोस्तों मेरे पिताजी का देहांत आज से 15 साल पहले हो गया था और मेरी माँ एक कॉलेज में प्रोफेसर है और वो बहुत ही कड़क स्वभाव और अनुशासन पसंद औरत है, लेकिन माँ बहुत धार्मिक नेचर की औरत है और अक्सर घर में पूजा और हवन करवाती रहती है और मेरी माँ ही हमारे घर की मुखिया है और सब उसके कड़े स्वाभाव के कारण उनसे बहुत डरते भी है और में भी. मेरी बड़ी बहन मानसी एक तलाक़शुदा महिला है और अब वो हमारे साथ ही रहती वो खुद का एक सिलाई कढ़ाई संस्थान चलाती है. उसका तलाक़ हुए 6 साल हो गये है. मेरी छोटी बहन प्रिया अभी 12th में पढ़ती है और में एक स्टेशनरी की दुकान चलाता हूँ. हमारा परिवार जयपुर में रहता है. मेरी शादी को एक साल हो गया है और मेरी पत्नी 7 महीने की गर्भवती हो गयी है. हमारा घर दो मंज़िला मकान है जिसमे तीन कमरे नीचे है और दो कमरे पहली मंजिल पर है. छत पर एक स्टोर रूम भी है जिसमे पुराना सामान पड़ा रहता है.
नीचे के रूम एक दूसरे से बिल्कुल सटे हुए है और एल आकार में है और मेरा रूम कॉर्नर पर है और बाकी दोनों रूम उससे सटे हुए है और रूम की दीवारें बहुत पतली है और दूसरे रूम में से आवाज़ मेरे रूम तक आती है और मेरे रूम से बाकी दोनों रूम में भी जाती इसलिए जब भी में अपनी पत्नी के साथ सेक्स करता हूँ तो हम कोशिश करते की कम से कम आवाज़ हो. दोस्तों मेरे पास वाले रूम में मेरी माँ और दूसरे रूम में मेरी छोटी बहन रहती है और मेरी बड़ी बहन ऊपर के कमरे में रहती है.
मेरी पत्नी के गर्भवती होने के 8 महीने में मेरी सास ने कॉल किया और सुधा की डिलवरी उसके मायके में होने की बात कही और फिर मेरी माँ ने उनकी उस बात को मान लिया और में सुधा को लेकर उसके घर दिल्ली चला आया. दोस्तों मेरी सास भी एक विधवा औरत है और मेरे ससुर को मरे हुये करीब दस साल हो चुके है. उनका एक बेटा चेन्नई में अपनी पत्नी के साथ रहता है और यहाँ पर वो खुद अकेली रहती है दोस्तों मेरी सासु माँ का घर हमारे घर से थोड़ा छोटा था, लेकिन कमरे बड़े थे. नीचे दो रूम और एक हॉल था, ऊपर भी एक रूम था, लेकिन वो जब उनका बेटा आता तो उसके काम में लिया जाता था. फिर सास ने हमे नीचे के रूम में रुकवाया जो कि बाथरूम से बिल्कुल सटा हुआ था ताकि सुधा को ज़्यादा चलना ना पड़े. मेरी सास एक सरकारी बेंक में क्लर्क की नौकरी करती है और में उन्हे मम्मी जी कहता हूँ. वो भी मुझे अपने बेटे जैसा ही मानती है, क्योंकि मेरी वाईफ का आठवां महीना था, इसलिए हमने अब सेक्स करना बंद कर दिया था, लेकिन अब भी हम ओरल सेक्स के ज़रिए एक दूसरे को संतुष्ट कर देते थे.
दोस्तों मेरी वाईफ मुझे मेरा लंड चूसकर बहुत मज़ा देती थी और हम पिछले दो महीने से ओरल सेक्स ही करते आ रहे थे. वो भी बहुत सावधानी से क्योंकि चूसने की आवाज़ माँ और मेरी छोटी बहन के रूम तक ना जाए और फिर ससुराल आते ही मैंने सोचा कि आज में खुलकर ओरल सेक्स करूँगा, क्योंकि सास का कमरा मेरे कमरे से थोड़ा दूरी पर था, जहाँ तक हमारी आवाज़ नहीं जाएगी. फिर रात के खाने के बाद में और सुधा अपने कमरे में आ गये और मेरी सास बर्तन धोने के बाद अपने कमरे में चली गयी.
सास का रूम हमारे रूम से कुछ दूरी पर था इसलिए में आज बिल्कुल फ्री ओरल सेक्स करने की बात को सोचकर बहुत उत्तेजित हुआ जा रहा था और फिर करीब तीस मिनट तक बातें करने के बाद मैंने सुधा की मेक्सी में हाथ डाला और उसके बूब्स सहलाने लगा. जिसकी वजह से बहुत जल्दी ही मेरा लंड खड़ा हो गया और सुधा भी गरम हो गयी. अब मैंने उसकी मेक्सी को ऊपर किया और उसकी पेंटी को हटाकर उसकी चूत को सहलाने लगा. मैंने दो उंगलीयां उसकी चूत में धीरे से अंदर डाली और उन्हे फैलाकर होल होल अंदर बाहर करने लगा और बहुत जल्दी उसकी चूत पूरी तरह गीली हो गयी.
फिर में झुककर उसकी चूत को चाटने लगा, मैंने अपनी जीभ को उसकी चूत पर घुमाया और धीरे से उसकी जांघो को पकड़कर खींचा. सुधा के मुहं से हल्की सी चीख निकल पड़ी और फिर मैंने अपनी जीभ को उसकी चूत में अंदर डाल दिया और उसकी चूत की पंखुड़ियों को फैलाकर जीभ से उसकी चूत को चाटने लगा और अब तक सुधा बिल्कुल मदमस्त हो गयी थी और करीब दस मिनट तक उसकी चूत की अपनी जीभ से चुदाई करने पर उसने ढेर सारा पानी छोड़ दिया और अब में उठा और उसके सर के पास जाकर खड़ा हो गया, सुधा पीठ के बल लेटी हुई थी और मैंने अपना लंड उसके होठों पर रगड़ना शुरू किया तो वो लंड को मुहं में लेने को एकदम बैताब थी, लेकिन में जल्दी में नहीं था, इसलिए लंड को मुहं में डालने के बजाए में उसे उसके होठों पर घुमा रहा था और ऊपर ही रगड़ रहा था और जब उसने मुझसे आग्रह किया तो मैंने लंड उसके मुहं में डाला और अन्दर तक ले गया, फिर बाहर निकाला और पूरा लंड फिर से उसके गले में अंदर तक ले गया और धीरे धीरे मैंने उसके मुहं को चोदना शुरू कर दिया. सुधा मेरे लंड को बहुत जमकर चूस रही थी, जिसकी वजह से मुझे उसकी चूत में लंड डालने का अहसास हो रहा था. तो मैंने उसके गले को दोनों हाथों से पकड़ा और पूरी स्पीड से उसके मुहं को धक्के देकर चोदने लगा, जिसके कारण रूम में फक फक स्लर्प स्लर्प की आवाज़ गूँज रही थी और थोड़ी देर तक मुहं की चुदाई करने के बाद सुधा ने साँस लेने के लिए लंड मुहं से बाहर निकाल लिया और लंड से लार पूरे चेहरे पर टपक रही थी जो उसकी आँखो और बालों तक को भीग चुका था और अब उसने मुझे थोड़ी देर रुकने का इशारा किया.
अब तक मुझे भी लगातार उसको चोदते हुए करीब बीस मिनट से ऊपर हो गये थे, मैंने सुधा से कहा कि में बाथरूम होकर अभी आता हूँ. मैंने बाथरूम में पेशाब किया और फ्रीज़ से पानी पीकर वापस अपने कमरे की तरफ आने लगा. तभी मैंने अपनी सास के रूम की तरफ देखा तो उसका दरवाजा अंदर से बंद था और मुझे पक्का यकीन था कि अब तक मेरी सास सो चुकी है, इसलिए में चुपचाप सीधा अपने रूम में आ गया. अब सुधा उठकर बेड पर बैठ चुकी थी. फिर मैंने बिना देर किए उसके मुहं को किस किया और अपना लंड उसके मुहं में डाल दिया. मैंने उसके बालों को पकड़ा और अपने लंड को आगे पीछे झटका देने लगा साथ ही साथ में उसके बालों को आगे की और खींचता जिससे सुधा को बहुत मज़ा भी आ रहा था, वैसे सुधा को वाइल्ड सेक्स बहुत पसंद था और उसे बालों का खींचना, स्लॅपिंग और चेहरे पर मुठ निकलवाना भी बहुत अच्छा लगता था.
फिर मैंने उसके बालों को कसकर आगे की तरफ खींचा और एक ज़ोर का झटका मारा, जिसके कारण लंड पूरे गले में अंदर तक समा गया और में ज़ोर ज़ोर से धक्के देकर उसके मुहं को चोदने लगा और रूम फिर से पुच पुच गुलपप सुउरप सुउरप की आवाज़ से भर गया और वो आवाज़ बहुत तेज थी, लेकिन हम दोनों ही बेफ़िक्र होकर ओरल सेक्स में बिल्कुल व्यस्त थे.
करीब दस मिनट और उसके मुहं को चोदने के बाद में झड़ने पर पहुंच गया और मैंने अपना लंड बाहर निकाल लिया. सुधा को पता था कि अब उसे क्या करना है? और उसने मुहं खोलकर आँखें बंद कर ली मैंने लंड के सुपाड़े को दबा रखा था और जैसे ही मैंने सुपाड़े पर से उंगली हटाई तो गरमा गरम मुठ की लंबी धार निकलकर सुधा की आँखो और बालों में चिपक गयी. फिर मैंने लंड को हिलाया और थोड़ा सा पानी निकलकर उसके मुहं में चला गया. मुझे बहुत सुख का एहसास हुआ और सुधा ने मेरे वीर्य को हाथों से अपने पूरे चेहरे पर मल लिया और में एकदम निढाल होकर सोफा पर बैठ गया.
फिर सुधा ने एक टावल से अपना मुहं साफ किया और फ्रेश होने बाहर बाथरूम में चली गयी. करीब पांच मिनट के बाद सुधा अंदर आई और मुझसे गुड नाईट कहकर बेड पर लेट गयी. में थोड़ी देर वहीं सोफे पर पड़ा रहा. फिर उठकर में भी फ्रेश होने बाहर गया और जाते वक़्त मैंने सासू माँ के रूम की तरफ देखा तो पाया कि उनका दरवाजा जो पहले बंद था अभी हल्का सा खुला हुआ था. मैंने उस तरफ ज्यादा ध्यान नहीं दिया और बाथरूम में चला गया. मैंने बाथरूम में पेशाब किया और तभी मेरी नज़र बाथरूम में हुक पर लटकी हुई एक लेडीस पेंटी पर गई. मुझे बड़ा अजीब लगा, क्योंकि सुधा कभी भी सेक्स के बाद पेंटी उतारकर बाहर नहीं रखती थी.
मैंने उस पेंटी को छूकर महसूस किया तो वो पूरी तरह चूत के रस से गीली थी और उससे बहुत ही मादक सुगंध आ रही थी. मैंने फिर सोचा कि मैंने तो सुधा की पेंटी को ओरल के टाइम निकाल कर सोफे पर रख दिया था, जो बिल्कुल सुखी हुई थी. तभी मुझे शक हुआ कि यह मेरी सासू माँ की पेंटी है और इसलिए मैंने पेंटी के टेग पर उसका साइज़ देखा तो मेरा शक अब पूरा यकीन में बदल गया, क्योंकि उस पेंटी का साइज़ 44 था जो कि बहुत बड़ी गांड की औरत पहन सकती है और वो मेरी सास की हो सकती है, क्योंकि सुधा की गांड छोटी थी और वो 36 साइज़ की पेंटी पहनती थी. अब मुझे एक अजीब अहसास होने लगा कि मेरी सास जिसकी उम्र 55 साल है, उनकी चूत के रस से सनी हुई पेंटी आज मेरे हाथ में है.
फिर मैंने उस पेंटी को नाक से सटाया और उसे सूंघने लगा. उसमे से चूत के रस की भीनी सी खुश्बू आ रही थी, जिसकी वजह से मुझे अलग सा मज़ा आया और पता नहीं क्यों मैंने पेंटी को चाट लिया? और उस गीली पेंटी का स्वाद हल्का नमकीन सा था. में पेंटी को बहुत मज़े से चाटने लगा और अब मेरा लंड जो सिकुड़ गया था वापस एक बार अपने पूरे साईज़ में आ गया था. तभी मुझे लगा कि कहीं सुधा वापस बाहर ना आ जाए इसलिए मैंने पेंटी को वापस वहीं पर टाँग दिया और चुपचाप अपने कमरे में आकर सुधा के पास में लेट गया, लेकिन अब मेरा पूरा ध्यान मेरी सास की उस पेंटी की तरफ जाने लगा था. दोस्तों मैंने शादी के बाद आज तक सुधा के आलावा किसी दूसरी औरत को ग़लत नज़र से नहीं देखा था, लेकिन आज मेरी 55 साल की सास ही मेरे दिमाग़ में सेक्स आईटम की तरह समाए जा रही थी.
पहले मैंने अपने मन को समझाया कि यह बहुत ग़लत बात है, अपनी ही बीवी की माँ के बारे में ऐसा सोचना बिल्कुल जायज़ नहीं है, लेकिन बार बार मेरे दिमाग़ में उनकी गीली पेंटी ही आए जा रही थी. तभी मेरे मन में यह ख्याल आया कि शायद मेरी सास ने हमारा ओरल सेक्स का पूरा एपिसोड रूम के बाहर से देखा या सुना होगा और हमें सेक्स करते देख लिया था, जिसकी वजह से उनकी चूत गीली हो गयी होगी. मैंने पता लगाने का सोचा और फिर सुधा को आवाज़ दी, लेकिन वो बहुत गहरी नींद में सो चुकी थी.
फिर मैंने यह बात जानने के लिए सुधा को हिलाया, लेकिन मुझे कोई हलचल महसूस नहीं हुई. में बेड से उतरकर दरवाजे तक गया और दरवाजे में कोई छेद या दरार खोजने लगा, लेकिन उसमें मुझे कुछ भी नहीं दिखा. तभी मैंने दरवाजे के पास में एक खिड़की देखी और उसको चेक किया तो देखा कि वो खिड़की लकड़ी की थी और उसके दो हिस्सों में से एक हिस्से में बहुत चौड़ी दरार थी और जब मैंने बाहर की तरफ झांककर देखा तो मुझे हॉल में रखा हुआ फ्रीज़ साफ साफ दिखाई दे रहा था और अब मुझे पूरा यकीन हो गया कि शायद हमारी सेक्स की आवाज सुनकर मेरी सास ने खिड़की की दरार से अंदर देखा और हमें सेक्स करते हुए देखकर उनकी चूत ने पानी छोड़ दिया.
मुझे मेरी सास अब सेक्सी माल की तरह दिखने लगी, जिसकी वजह से मुझे मुठ मारने का मन हुआ और जब में कमरे से बाहर आया तो मैंने देखा कि सास के रूम का दरवाजा अब फिर से बंद हो चुका था. मैंने सोचा कि शायद मेरी सास ने बहुत दिनों बाद सेक्स का आनंद उठाते हुए किसी को देखा होगा? में बाथरूम में गया पेंटी को उतारा और फिर से उसे चाटने लगा. पेंटी चाटने में मुझे अजीब सा नशा आ रहा था. शायद इसलिए कि मेरी सास के बारे में मैंने कभी इस तरह से नहीं सोचा था और मेरी सास ने बहुत दिनों या सालों बाद मुठ मारी थी, इसलिए उनकी पेंटी गीली थी और शायद उनकी चूत ने ढेर सारा पानी छोड़ा होगा?
अब मैंने पेंटी को अपने लंड पर लपेट लिया और मुठ मारने लगा. मुठ मारते वक़्त में मेरी सास रूपा के जिस्म को मन ही मन सोचने लगा कि वो पूरी नंगी होने के बाद कैसी दिखेगी? रूपा की हाईट 4.8 इंच है. बड़े 42 साईज़ के बूब्स और उसके पेट पर बहुत चर्बी है जिस कारण वो बहुत मोटी दिखती है, लेकिन सबसे प्यारी उनकी गांड है चौड़ी और भरी भरी. उनकी गांड बाहर निकली हुई है और चलते वक़्त हिलती है जिसे देखकर किसी का भी मन उसे चोदने को कर जाए, लेकिन उनकी उम्र और मेरे रिश्ते के कारण मैंने उनके बारे में अब तक कभी ऐसे नहीं सोचा था, कम हाईट के कारण उनकी गांड उनके पूरे शरीर में साफ और बड़ी दिखाई देती है.
मैंने उनकी नंगी गांड को सोचते हुए लंड को पेंटी पर ज़ोर ज़ोर से रगड़ना चालू कर दिया. फिर करीब 5-7 मिनट के बाद मैंने ढेर सारा मुठ उनकी पेंटी पर गिरा दिया और फिर मैंने पेंटी से पूरे लंड को साफ किया और फ्रेश होकर वापस अपने कमरे में आ गया, लेकिन बेड पर लेटकर भी में उनके बारे में ही सोच रहा था और आखिकार मैंने उनको चोदने का फ़ैसला कर लिया और उनको फंसाने के बहाने सोचने लगा और कब मेरी आँख लग गई मुझे पता ही नहीं चला?
फिर सुबह सुधा ने मुझे जगाया तो मैंने अपने कपड़े पहने और फ्रेश होकर नाश्ता करने हॉल में आ गया. सुधा टेबल पर मेरा इंतजार कर रही थी. तभी मेरी सास रूपा किचन से बाहर आई और मुझे नाश्ता परोसने लगी, सास ने लाल रंग की साड़ी पहनी हुई थी और पीले रंग का ब्लाउज. मैंने उनके चेहरे की तरफ देखा तो उस पर हल्की सी मुस्कान थी और नाश्ता करने के बाद हम वहीं पर हॉल में टीवी देखने लगे और मेरी सास किचन में चली गयी. थोड़ी देर बाद सुधा ने आराम करने की इच्छा जताई तो मेरी सास ने उसे कमरे तक ले जाकर छोड़ दिया और वापस बर्तन धोने किचन में चली गयी. फिर थोड़ी देर बाद सासू माँ ने मुझसे पूछा कि तुम्हे कुछ लेना हो तो बता देना? तो मैंने कहा कि एक ग्लास पानी चाहिए, तो वो पानी का ग्लास लेकर मेरे पास आई. में उन्हे आते हुए गौर से देख रहा था कि तभी अचानक मैंने गौर किया मेरी सास का पल्लू ब्लाउज से थोड़ा हटा हुआ था और उनका पेट भी साफ साफ दिख रहा था. उनके मोटे मोटे बूब्स ब्लाउज से बाहर आने को बैताब लग रहे थे और उनके गोरे और गदराए हुए पेट पर उनकी बड़ी सी गोल नाभि बहुत सेक्सी लग रही थी. मैंने अपनी सास को इतना खुला प्रदर्शन करते हुए कभी नहीं देखा था. फिर मैंने पानी पिया और सास वापस किचन में चली गयी. तो जाते वक़्त में उनकी थुलथुली गांड को ऊपर नीचे हिलते हुए देख रहा था और मेरे पायज़ामे में मेरा लंड बिल्कुल तनकर टाईट हो चुका था. तभी मुझे याद आया कि जब सुधा टेबल पर बैठी हुई थी तब तक मेरी सास ने कपड़े ठीक तरह से पहने हुए थे, लेकिन सुधा के कमरे में जाते ही सासू माँ के कपड़े उनकी चूची और पेट से हट गये.
अब इसका मतलब साफ था कि उन्होंने जानबूझ कर अपनी साड़ी को हटाया था ताकि मेरी नज़र उनके शरीर पर जाए. मैंने सोचा कि क्या सासू माँ मुझे रिझाने की कोशिश कर रही है? लेकिन अब यकीन से कुछ कहना मुमकिन नहीं था. तभी थोड़ी देर बाद सासू माँ मेरे पास के सोफे पर आकर बैठ गयी और सब्जी काटने लगी. मैंने फिर गौर किया कि उनका ब्लाउज अब साफ साफ दिख रहा था और उसके ऊपर के बटन भी खुले हुए थे और वो थोड़ा झुककर बैठी हुई थी जिसकी वजह से उनके बड़े बूब्स खुले ब्लाउज से आधे बाहर लटक रहे थे. में उनसे नज़र बचाकर उनके बूब्स को ही देख रहा था.
एक दो बार हम दोनों की नज़र भी मिली, लेकिन उन्होंने बस मेरी तरफ मुस्कुरा दिया, लेकिन अपने बूब्स को ढकने की बिल्कुल भी कोशिश नहीं की और अब वो बार बार अपने पैरों को फैलाकर ऊपर सोफे पर कर लेती और फिर थोड़ी देर में नीचे कर लेती, जिस कारण उनकी साड़ी थोड़ी ऊपर सरक गयी थी और उनके गोरे गोरे पैर साफ साफ दिख रहे थे और अब यह भी साफ हो गया था कि वो जानबूझ कर ऐसा कर रही है और अब मुझे पूरा विश्वास हो गया कि अगर मैंने पहल की तो में उन्हे चोदने में जरुर कामयाब हो जाऊंगा. तभी मैंने एक प्लान सोचा और सास से कहा कि मम्मी जी में भी खाना बनाने में आपकी मदद करता हूँ.
फिर सासू माँ ने कहा कि आप मेरी क्या मदद करेंगे दामादजी? में उठकर उनके पास सोफे पर बैठ गया और मैंने कहा कि दीजिए में सब्जी काट देता हूँ. इतना कहकर में उनके हाथ से चाकू और सब्जी की प्लेट लेने को उनके ऊपर झुका, जिसके कारण मेरी जाँघ उनकी जाँघ से सट गई. वो थोड़ा सिहर गई, लेकिन दूर नहीं हटी.
तभी मेरी हिम्मत बढ़ी और अब में उनसे ज़्यादा सटने की कोशिश करने लगा. मैंने उन्हे प्लेट को वापस दे दिया और अपना हाथ उनके पेट और जाँघो से सटाते हुए पीछे लिया, वो अंदर ही अंदर मुस्कुरा रही थी. फिर वो कुछ देर बाद उठकर किचन में चली गयी, मैंने खुद से मन ही मन कहा कि यही एकदम ठीक मौका है, अभी नहीं तो फिर कभी नहीं और में अपने कमरे में गया और चेक किया कि सुधा क्या कर रही है? सुधा को नींद आ गई थी और अब वो गहरी नींद में सो रही थी, क्योंकि सुधा अक्सर सुबह एक से दो घंटे तक सोती थी.
मैंने अपने प्लान के हिसाब से अंडरवियर को उतारा और सिर्फ़ पयज़ामा पहन कर बाहर आ गया, मैंने रूम को बाहर से बंद करके चिटकनी को लगा दिया और में सीधा किचन में गया जो कि बहुत छोटी थी और वहां पर दो लोग भी बड़ी मुश्किल से खड़े रह सकते थे और अगर गैस चूल्हे से वॉश बेसिन तक जाना हो तो दूसरे आदमी से सटकर ही जाना होता था और अब मैंने पूरा प्लान बना लिया था कि में आज अपनी सास को अपने लंड के स्पर्श से दीवाना बना दूँगा. फिर में उनसे बातें करने लगा और फिर उनसे कहा कि आप अकेली कैसे टाईम बिताती है? तो सास ने कहा कि बेटा अब तो इन सबकी आदत पड़ गयी है और अब वैसे भी इस उम्र में फ़र्क क्या पड़ता है?
मैंने कहा कि आप दिखने में 40 साल से ज़्यादा की नहीं लगती तो वो मुस्कराने लगी और इधर मेरा लंड पूरे जोश में आ चुका था. उनकी गदराई हुई गांड को देखकर मेरा लंड उसमे समाने को बैताब हो रहा था. तो में हाथ धोने के बहाने वॉश बेसिन की तरफ जाने लगा. मेरी सास की पीठ की तरफ से थोड़ी सी जगह में से जब में गुजरा तो उस समय मेरा लंड पूरा टाईट था और में उनकी गांड पर अपना लंड रगड़ते हुए उस पार चला गया और हाथ धोते वक़्त मैंने देखा तो उनके चेहरे पर कामुकता साफ साफ दिख रही रही थी, लेकिन वो थोड़ा घबराई हुई लग रही थी और अब मैंने उनकी घबराहट दूर करने के लिए कहा कि सुधा सो रही है और मैंने उसके दरवाजे की बाहर से चिटकनी को भी लगा दिया है.
फिर यह बात सुनकर सासू माँ बिल्कुल चकित हो गयी और मेरी तरफ देखते हुए पूछा कि ऐसा क्यों किया आपने? तो मैंने बहाना बनाते हुए कहा कि वो टीवी की आवाज़ सुनकर जाग ना जाए इसलिए आराम करने के लिए लगाया है और मैंने पहले ही टीवी की आवाज को थोड़ी तेज कर दिया था और अब में वापस अपनी जगह पर आने लगा, लेकिन इस बार मेरा इरादा लंड को कुछ ज़्यादा देर तक उनकी गांड पे रगड़ने का था इसलिए उनके ठीक पीछे पहुंचकर उनके कंधे पर हाथ रखा और लंड को उनकी गांड के ऊपर सटाया और धीरे से झटका मारते हुए उनके आगे निकल गया और जैसे ही मैंने उन्हे देखा तो उनकी आँखे बंद थी और वो तेज साँसें ले रही थी और फिर हम बातों में लग गये.
अब मुझे पूरा यकीन हो गया कि चिड़िया जाल में फंस चुकी है और इतने में मेरी सास ने उनके ठीक ऊपर अलमारी में से मुझे एक डब्बा उतारने को कहा, वैसे मुझे भी इसी मौके की मुझे तलाश थी. में उनके पीछे पहुंचकर उनसे सटे हुए हाथ ऊपर करके डब्बा उतारने की कोशिश करने लगा. वैसे तो डब्बा मेरी पहुंच में था, लेकिन मैंने ऐसा दिखाया कि मेरा हाथ वहां पर पहुंच नहीं रहा है इसलिए मैंने ऊपर उठने के लिए उनके कंधे पर हाथ रखा और इधर दूसरे हाथ से अपने लंड को पयज़ामे से ही उनकी गांड पर सटाया और फिर एक झटके से मैंने उनके कंधे को दबाते हुए ऊपर जाने का प्रयास किया, जिसके कारण मेरा लंड उनकी साड़ी में अंदर तक घुसता चला गया.
इस हरकत से मेरी सासू माँ एकदम से उछल पड़ी और अपने को मुझसे थोड़ा अलग हटाने के लिए अपने पैर के पंजो पर खड़ी हो गयी और थोड़ा आगे को झुक गयी. मैंने थोड़ा पीछे हटते हुए लंड को लोवर से बाहर निकाला और उनकी गांड पर फिर एक झटका मारा तो लंड खुला होने की वजह से अंदर तक घुस गया और उनके मुहं से एक हल्की सी चीख निकल गई. मैंने अब कंधे को और दबाते हुए ऊपर उठा तो मेरा लंड उनकी पीठ पर छू गया और अपने बदन पर नंगे लंड का स्पर्श वो भाँप गयी और एक सिसकी उनके मुहं से निकल पड़ी.
फिर मैंने डब्बा उतारा और नीचे आते वक़्त मैंने हाथ उनके बूब्स के नीचे से अंदर ले जाते हुए पेट को पकड़ा और ऐसा दिखाया कि में बॅलेन्स बनाने के लिए ऐसा कर रहा हूँ और नीचे आने के बाद में कुछ देर वैसे ही खड़ा रहा और मैंने सीधे हाथ से लंड को वापस लोवर में डाल लिया और जैसे ही में वहां से हटा तो मेरी सास ने अपनी साड़ी को ठीक किया और बाहर हॉल में चली गयी, वो यह देखने गई थी कि सुधा उठी तो नहीं है और वापस आने के बाद उनकी आँखो में एक अलग ही आग थी.
फिर मैंने भी अब ज्यादा देर करना ठीक नहीं समझा और उनके पीछे जाकर उन्हे गले से लगाया. मेरे दोनों हाथ उनके बूब्स पर सट रहे थे, लेकिन मैंने उन्हे पकड़ा नहीं था और जब सासू माँ ने मुझसे कुछ नहीं कहा तो मैंने एक हाथ उनकी गर्दन पर ले जाते हुए दूसरा हाथ उनकी पेंटी पर ले गया. में उन्हे गर्दन से पीछे झुकाते हुए उनके गालों को चूमने लगा और दूसरे हाथ को मैंने उनकी नाभि पर गोल गोल घुमाते हुए उनके पेट पर चुटकी काट ली. फिर सासू माँ ने थोड़ा विरोध दिखाते हुए कहा कि बेटा यह क्या कर रहे हो? यह सब बहुत ग़लत है.
फिर मैंने कहा कि मम्मी जी कुछ ग़लत नहीं है. में बस आपसे एक बार प्यार करना चाहता हूँ और अब में उनके बूब्स को ब्लाउज के ऊपर से दबाने लगा. तो सास ने फिर से कहा कि अगर सुधा ने देख लिया तो क्या होगा? दोस्तों यह बात मेरे लिए ग्रीन सिग्नल थी, क्योंकि उन्हे बस अब पकड़े जाने का डर था. उन्हे मुझसे चुदवाने से कोई भी ऐतराज नहीं था. यह उनकी कही हुई बात से अब साफ हो चुकी थी. तो मैंने उन्हे भरोसा दिलाया मम्मी जी सुधा को कुछ पता नहीं चलेगा, क्योंकि दरवाजा बाहर से बंद है.
तो वो फिर भी नाटक करते हुए बोली कि लेकिन यह सब ग़लत है आप मेरी बेटी के पति है, तो इस बात पर मैंने कहा कि रात को आपने उसी बेटी और उसके पति को सेक्स करते हुए देखा है और मुझे पता है कि आप अंदर ही अंदर मुझसे चुदवाना चाहती है? तो मेरे मुहं से यह बात सुनकर वो एकदम से चौंक गयी और मुझसे पूछा कि आपको कैसे पता चला?
फिर मैंने उनको उनकी पेंटी की पूरी कहानी को उन्हे बता दिया और कहा कि में आज आपको चुदाई का पूरा मज़ा दूँगा. मेरे मुहं से चुदाई शब्द सुनते ही उन्होंने नज़र हटाते हुए कहा कि ऐसा मत करो. अब मैंने अपने सीधे हाथ को उनके पेट से सरकाते हुए उनके पेटीकोट के अंदर ले गया. मेरा हाथ उनकी चूत तक पहुंच गया था तो उन्होंने झट से मेरा हाथ पकड़ लिया और शरमाते हुए मुझसे मना करने लगी, लेकिन मैंने ज़ोर से उनके हाथ को झटक दिया और उनकी चूत पर घने और घुंघराले बालों को हाथ में पकड़कर खींचा तो वो उछल पड़ी और उसके मुहं से आईईईईईईइ की आवाज़ निकल गयी. फिर मैंने उन्हे मेरी तरफ घुमाया और उनके ब्लाउज को मेरे सीधे हाथ से खोल दिया. अब मैंने ब्रा को एक झटके में बाहर निकाल दिया और अब उनके दोनों बूब्स बिल्कुल आज़ाद होकर ऊपर नीचे हिलने लगे. दोनों बूब्स पपीते के आकर के थे और भरे हुए थे. उन पर गोल काला धब्बा बहुत ही मादक लग रहा था, उनके निप्पल बड़े और बाहर को निकले हुये थे.
फिर मैंने थोड़ा झुककर उनके निप्पल को मुहं में भरा और चूसने लगा. उनके गोरे गोरे बूब्स पर काले गोल घेरे में बड़े निप्पल बहुत सेक्सी लग रहे थे और उधर में एक हाथ से लगातार उनकी चूत को सहला रहा था. वो जोश से पागल हुई जा रही थी और अपने सर को दोनों कंधो पर झटके दे रही थी. उनके बाल उनके चेहरे पर गिर आए थे और चेहरा पूरा ढल गया था और करीब पांच मिनट तक निप्पल और बूब्स को चूसने के बाद में उठा और मैंने उनके बालों को पीछे करके उनके होठों को चूम लिया.
मेरे इतना करते ही वो मेरे मुहं को अपने होठों में लेकर चूसने लगी. वो मुझे बहुत जानदार किस किए जा रही थी और अपनी जीभ को बार बार मेरे मुहं में अंदर तक डाल रही थी और में उनकी जीभ को चूस रहा था. करीब पांच मिनट चूमने और चाटने के बाद मैंने उनको खुद से अलग किया तो उन्होंने मेरे होठों पर हल्का सा दाँत से काट लिया. सासू माँ सेक्स की जबरदस्त भूखी और अनुभवी खिलाड़ी लग रही थी. अब मैंने उनको उठाकर ऊपर बैठा दिया और उनके पैरों को फैलाकर उनकी साड़ी को ऊपर कर दिया. उनके गोरे पैरों के बीच काली झांटो में उनकी चूत बिल्कुल छुपी हुई थी. मैंने झांटो को हटाते हुए उनकी चूत के दर्शन किए और फिर नीचे बैठकर अपनी जीभ को उनकी चूत के होंठो पर सटा दिया. वो मदहोशी में पागल हो गयी और अपने दोनों हाथों से अपनी दोनों निप्पल को मसलने लगी.
मैंने थोड़ी देर तक उनकी चूत के होंठो को चाटा और फिर हाथ से चूत को फैलाकर जीभ को अंदर डाल दिया. उनके मुहं से ऊईईईईईई माँ निकल पड़ा और वो सिसकारियाँ भरने लगी और में लगातार जीभ से उनकी चूत को चोदे जा रहा था. फिर मैंने उनकी चूत के ऊपरी दाने को दाँत से पकड़ा और चूसते हुए खींचा और फिर ज़ोर से छोड़ दिया. इस हरकत ने मेरी सास को और अधिक दीवाना बना दिया और उन्होंने मेरे सर को पकड़कर अपनी चूत में और अंदर तक सटा दिया. उन्होंने अपनी जाँघो को मेरे सर पर जकड़ लिया, जिससे मेरा सर उनकी दोनों जाँघो में फंस गया और में लगातार उनकी चूत को चूस रहा था जैसे कोई मशीन लगी हुई है. अब उनकी चूत पूरी गीली हो गयी और तब मैंने अपने हाथ की दो उँगलियों को उनकी चूत में डाल दिया और अंदर बाहर करने लगा. में अब पूरी रफ़्तार से उंगली से उनकी चूत को चोदने लगा और वो मादक आवाज़े निकालने लगी. ओह्ह्ह्हह माँ हे भगवान आहह उईईईईईईईईईई उफ्फ्फ्फ़ और मेरे पूरे हाथ पर उनकी चूत का पानी लगा हुआ था और तब मैंने हाथ को बाहर निकालते हुए उनके मुहं में दे दिया. जिसे सास ने आईसक्रीम के कोन की तरह चूसना शुरू कर दिया.
अब तक मेरा पयज़ामा भी मेरे लंड के पानी से भीग चुका था और फिर मैंने पायज़ामा उतार दिया. दोस्तों मेरे लंड की लंबाई वैसे तो नॉर्मल 7 इंच है, लेकिन वो बहुत ही अधिक मोटा है और लगभग 4.5 इंच की गोलाई है और वैसे चुदाई करते समय सुधा ने भी कई बार मुझसे कहा है कि मेरा लंड बहुत मोटा है जिसके कारण उसे ओरल सेक्स करते वक़्त साँस लेने में बहुत दिक्कत होती है.
मेरे लंड को देखकर पहले तो मेरी सास की आँखें चमक उठी, लेकिन उनके चेहरे के हावभाव जल्दी ही बदल गये. जब उन्होंने उसकी मोटाई देखी और फिर वो बोली कि बाप रे दामदजी आपको औजार तो बहुत मोटा है? मैंने उनसे पूछा कि क्या आपको पसंद आया? तो वो मुहं से कुछ नहीं बोली बस शरमाकर हल्का सा मुस्करा गई. फिर मैंने पूछा कि मेरे ससुर का साईज़ क्या था? तो सास बोली आपका लगभग आधा ही था और यह बात सुनकर मुझे बहुत गर्व महसूस हुआ और फिर मैंने कहा कि आपकी चूत में जाने को मेरा लंड बिल्कुल बैचेन है. फिर मैंने उन्हे नीचे उतारा और घुटने के बल बैठने को कहा तो उन्होंने वैसा ही किया. मैंने अपना लंड उनको हाथ में दे दिया तो वो उसे सहलाने लगी एक हाथ से वो मेरे लंड को ऊपर नीचे कर रही थी और दूसरे से मेरे दोनों आंडो को सहला रही थी.
फिर मैंने उनके सर को पकड़कर अपने लंड पर सटा दिया तो उन्होंने झटके से सर पीछे खींच लिया. मैंने कहा कि मम्मी चूसो ना इसे, तो सासू माँ ने मना करते हुए कहा कि उन्होंने लाईफ में कभी भी लंड नहीं चूसा है. तो मैंने कहा कि रात आपने देखा नहीं सुधा कितने मज़े से मेरा लंड चूसती है तो यह बात सुनकर वो थोड़ा सा समझ गई, लेकिन अभी भी वो झिझक रही थी. उन्होंने जीभ बाहर निकाली और लंड के पास ले जाकर उसे बस छुआ. अब मैंने उनके बालों को एक हाथ से पकड़ा और पीछे खींचा जिससे उनकी गर्दन पीछे की तरफ झुक गयी. फिर मैंने लंड को दूसरे हाथ में लिया और उनके मुहं पर उसे थपकी देने लगा. लंड उनके होठों पर रगड़ने लगा और अब उनके पूरे चेहरे पर लंड मसलने लगा. वो थोड़ा तो मुहं खोलती, लेकिन लंड को अंदर नहीं लेती.
फिर मैंने उनके बालों को ज़ोर से पीछे की तरफ खींचा और दर्द से उनका मुहं खुल गया और ठीक उसी वक़्त मैंने मेरा लंड उनके मुहं में डाल दिया और उनके चेहरे को आगे की तरफ दबाने लगा. उसने फिर से घबराकर लंड को बाहर निकाल दिया. मैंने वापस उनके मुहं पर लंड रगड़ा तो इस बार उन्होंने खुद ही मुहं खोल दिया और मैंने मौका देखते हुए लंड उनके मुहं में अंदर तक डाल दिया. अब मैंने उनके बालों को छोड़ दिया और दोनों हाथों से उनके कानो के पीछे ले जाकर उनके चेहरे को थामते हुए लंड उनके मुहं में आगे पीछे करने लगा. पहले तो मैंने धीरे धीरे लंड मुहं में घुसाया, लेकिन जब देखा कि सास अब नॉर्मल हो चुकी है तो मैंने अपनी स्पीड को बढ़ा दिया और अब मैंने उनके बालों को दोनों हाथों से पकड़ा और ज़ोर से लंड उनके मुहं को चोदने लगा वो भी पूरी तबीयत से जीभ बाहर निकालती और सुपाड़े को चाट लेती.
फिर करीब पांच मिनट तक उनके मुहं को चोदने के बाद उनका मुहं मेरे लंड के पानी और उनकी लार से भर चुका था. जैसे ही मैंने लंड को बाहर निकाला तो उनके मुहं से लार बाहर छूने लगी और उनके बूब्स पर गिरने लगी. उन्होंने चैन की साँस ली और ज़ोर ज़ोर से साँस लेने के कारण उनके दोनों बूब्स ऊपर नीचे उछल रहे थे, मैंने फिर लंड को उनके मुहं में डाल दिया और उनके मुहं की चुदाई को शुरू कर दिया. थोड़ी देर सासू माँ का मुहं चोदने के बाद मैंने लंड को बाहर निकाल लिया.
फिर सासू माँ ने मेरे लंड को हाथ से पकड़ा और मेरे सुपाड़े को चूसने लगी. वो मेरा सुपाड़ा चूसे जा रही थी. बरसों की आग आज बुझाने का मौका मिला तो वो उसे छोड़ना नहीं चाहती थी. मेरा सुपाड़ा उनके चूसने के कारण बिल्कुल गरम होकर लाल हो चुका था. में लंड से निकल रहे उनके लार को उनके पूरे चेहरे पर मसलने लगा, उनका पूरा चेहरा भीग चुका था. तभी जैसे हमारे पूरे अरमानो पर पानी फिर गया. सुधा ने कमरे को खटखटाया में एकदम घबरा गया और अपना लोवर ऊपर करते हुए बाहर जाने लगा और मेरी सास भी बिना ब्रा के ही ब्लाउज को पहनकर खड़ी हो गई, उन्होंने मुहं धोया और सब्जी पकाने में जुट गयी.
फिर में बाहर गया और दरवाजा खोला तो सुधा ने आँखें मसलते हुए कहा कि बाहर से दरवाजा क्यों बंद कर दिया था? तो मैंने कहा कि में टीवी पर फिल्म देख रहा था तो आवाज़ से तुम्हारी नींद खुल जाती इसलिए, वो मुस्कुराने लगी और मुझसे पूछा कि माँ किधर है? तो मैंने बिल्कुल अंजान बनते हुए कहा कि शायद किचन में खाना बना रही होगी? तो सुधा बाथरूम में गयी और फ्रेश होकर बाहर आई और सीधा किचन में चली गयी, सुधा ने सासू माँ से पूछा कि क्या कर रही थी माँ? तो उन्होंने कहा कि पहले तो पूजा की और अभी अभी किचन में खाना बनाने आई हूँ.
फिर मैंने मन में सोचा कि सच ही तो कह रही है कामदेव की ही तो पूजा कर रही थी. तभी सुधा ने सास के ब्लाउज की तरफ देखकर कहा कि यह इतना भीगा हुआ क्यों है? में घबरा गया, क्योंकि ओरल सेक्स के कारण लार गिरने से उनके पूरे बूब्स गीले थे और सास ने उस पर ही ब्लाउज पहन लिया, लेकिन सासू माँ बहुत ही चालक खिलाड़ी थी.
उन्होंने कहा कि सब्जी ढोते वक़्त भीग गया उसके बाद में टीवी देखने लगा और सुधा और मेरी सास किचन में ही खाना बनाने लगी और मैंने सोचा कि आज एक सुनहरा मौका हाथ से गया. फिर दोपहर का खाना हम तीनों ने साथ में खाया और टेबल पर में और मेरी सास बिल्कुल सामान्य व्यहवार कर रहे थे. सुधा को अंदाज़ा भी नहीं था कि अभी कुछ मिनट पहले ही उसका पति और उसकी अपनी माँ सेक्स के मज़े लूट रहे थे. टेबल के नीचे से मैंने सासू माँ का पैर रगड़ना शुरू कर दिया तो वो भी मेरे पैर को अपने पैर के नाख़ून से खुरचने लगी. मुझे समझ आ गया कि यह शेरनी अभी भूखी रह गई है, लेकिन जल्दी ही शिकार करेगी.
फिर हमने खाना खत्म किया और सास किचन में बर्तन धोने चली गयी. सुधा भी हाथ धोकर अपने कमरे में चली गयी, लेकिन अब वो सोने वाली नहीं थी. मेरे हाथ से अच्छा मौका निकल गया. में किचन में गया और सासू माँ को बाहों में लेते हुए कहा कि मम्मी मुझे आपको चोदना है. तो उन्होंने झटके से मुझे अलग करते हुए कहा कि पागल मत बनो, सुधा जागी हुई है और उसे पता चल गया तो सब खत्म हो जाएगा. फिर मैंने पूछा कि फिर कब मिलेगा आपको चोदने का मौका? सास ने कहा कि आज रात को में रूम का दरवाजा खुला रखूँगी तुम सुधा को सुलाकर आ जाना, मैंने कहा कि अगर सुधा रात में जाग गई और उसने मुझे वहां पर नहीं पाया तो उसे शक हो जाएगा? तो इस पर सासू माँ ने कहा कि उसकी फ़िक्र मत करो, मेरे पास नींद की गोलियाँ है जो कभी कभी में भी लेती हूँ. में आज रात को उसे दूध के साथ मिलकर दे दूँगी. दोस्तों अब मुझे मेरी सास के दिमाग़ पर बहुत गर्व हुआ कि अपनी आग मिटाने के लिए यह बूढ़ी शेरनी कुछ भी कर सकती है, दोस्तों उस दिन के बाद तो में अपनी सास को अपनी बीवी बनाकर चोदने लगा.

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बादशाह थे लाला जी चोदने में

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लाला किशाराम की एक छोटीसी राशन की दुकान थी.वहएक ४० साल का हट्ताकत्ता आदमी था और बड़ा रंगीन्मिजाज़ था.उसकामस्ताना लंड हमेशा ठिठोरे मारता था.लेकिन उसकी बदकिस्मती यह थी कीउसकी बीवी चंपा एक बहोठी मोंटी और ठंडी औरत थी.लाला को रंडीयोंके पास जाना अचछा नही लगता था और मूठ मारने भीउसे पसंद नही हींदी कहानीयांथा.ईसलिए उसने अपने लंड की प्यास बुझाने का एक अलग ही तरीका निकललिया था.वह नौकारानियों को चोदकर अपना काम चला लेता था.अभीतकउसने कई नौकरानियों को चोदा था.उसमे नौजवान लड़कियों से लेकर अधेड़
उम्र की औरतें भी शमिल थी.उसकी बीवी के गुस्सैल स्वाभाव के करणकोई भी नौकरानी ज्यादा दीन नही टिकती थी और लाला को नाई नाई चूतका मजा मिलाता था.काली कलूटी ही सही लेकीन काम तो चल जाता था.
पिचले दास दिनों से घर्पर कोई नौकरानी काम पर नही थीइसलिए लाला बड़ा बेचैन था.उसका लंड बाहोठी तड़प रह था.चंपा तो उससे चुंचियां मसल्वाकर और छूत चट्वाकर झर जाती थी.

 

उसकोचुदाई मे कोई रस नही था और उसकी तोम्द बड़ी होने के करण चुदाई ढंग
से हो भी नही पाती थी.उसे पता था की लाला नौकारानियों को चोदता
हैं लेकिन उसे कोई एतराज नही था क्योंकी लाला उस की चूत चाटकर उसे
खुश कर देता था.पिचले दास दिनों मे उस ने २-३ बार बड़ी मुश्किल से
ही सही जैसे तैसे चंपा को चोदकर अपनी तड़प कुछ कम करने की
कोशिश जरूर की थी लेकिन उल्टे उसकी प्यास और बढ गयी थी.उसकी दुकान मे
कई लडकियां और औरतें राशन लेने आती थी.वह उनकी सूरतें
देखकर और कपडों के उपर से ही उनके शारीर का नाप तौल करके और सामान
और रुपयों के लें दें के समय उनको स्पर्श करके अपना दील बहला लेता
था.लेकिन आजतक आईएस से आगे बढ़ाने की उसकी हिम्मत नही हुई थी.
ना जाने नै नौकरानी कब मिलेगी आईएस सोच मे डूबा वह दुकान मे
बैठा था तभी एक बुद्धू सा दिखने वाला मरियल नौजवान उस के पास
आया और उसने पुछा की क्या आपही लाला किशन राम हैं तो लाला ने
हाँ भर दी.फिर उसने बताया की उसका नाम बुद्धुराम हैं और वह लाला
के गों से ही आया है.उसकी माँ लाला को जानती थी और उसने नौकरी
के लिए उसे लाला के पास भेजा था.उसे देखकर लाला को उसे नौकरी पर
रखने कोई इच्छा नही थी.लेकीन जब बातों ही बातों मे उसने बताया की
उसकी बीवी भी उसके साथ यहाँ आयी हैं और वह भी घर का काम कर
लेगी तो लाला की आँखें चमक उठी.उसने तुरंत हाँ भर दी और उसे
तुरंत बीवी को लेकर आने ए लिए कहा.बुद्धेराम उल्टे पांव लौटकर
अपनी बीवी को ले आया,जिसे उसने बस्स स्टैंड पर छोड़ा था.उसका नाम उसने
बेला बताया था.
जब बुद्दुराम लौटा तो उस के पीछे पीछे एक पुराणी सी मैली
घगारा चोली पहनी औरत ठुमकती चाल से आ रही थी.उसका बदन बहोत
कसा कसा था.उमर भी २०-२२ से ज्यादा नही लगती थी.उसे देखकर लाला
अपनी जगह पर उठ खड़ा हुआ.उसके मुँह से लार टपकने लगी.उस औरत की
रंगर साम्वाली थी.उसने अपने हाथों मे कुहनियों तक चुदियाँ पेहें
रखी थी और पावों मे बड़ी पैन्जनिया थी जो चलते समय छान
छान बजती थी.चोली और घग्रा बदन पर जैसे कसा हुआ था इसलिए उसके
अगले और पिचले उभारों का आकार तुरंत नजरों मे आ रह था.उसकी
काले रेशमी बालों वाली लंबी चोटी उसके चुतादों पर लहरा रही
थी.लाला उसकी सूरत नही देख पाय था क्यूंकि उसने सर पर घूँघट लिया
हुआ था.लाला को पहली नजर मे ही वह औरत भा गयी थी और वह उसकी
सूरत देखने को बेताब था.बुद्धुराम ने जैसे लाला के मन की बात
भांप ली थी.उस ने बेला से कहा,“अरी शर्म मत.लालाजी मेरे तौ जैसे
ही हैं.यूएन से क्या पर्दा? चल घुम्घत खोल और पाय लाग इन के.हमे
काम पर रखकर बड़ा अहसान किया हैं इन्होने हम पर.”
अपने मरद की आज्ञा मानकर बेलने झिझकते हुए घुम्गत खोला
तो लाला का मुँह खुला ही रह गया.हाआआआआय् क्या मतवाली सुअर्ट थी
उसकी ! बड़ी बड़ी काली नशीली आँखें,तीखा नाक,उभरे गाल,सुर्ख
होंठ,लंबी गर्दन,बड़ी बड़ी चुंचियां,कासी कासी क़मर,भरी भरी
जाम्घें सब कुछ बड़ा मस्त था.ऐसी गजब की औरत लाला ने आजतक नही
देखी थी.उस के चेहेर पर एक एस*क्ष्य् सी मुस्कान थी और वह बिना लाज के अब
लाला को घुर रही थी.उस की इस अदा से लाला का रागीला दील पानी पानी
हो रह था.उस ने कनखियों से बुद्द्धुराम को देखा था लेकीन वह तो
इन बातों से जैसे बेखबर सा खड़ा था.लाला का हौसला बढ गया और
वह भी सीधे बेला को घूरने लगा.उसकी वासना मे डूबी नजर बेला के
एक एक अम्ग का जायजा लेने लगी.लाला तो पुराना खिलाडी था,उस ने तुरंत
भांप लिया की बेला खेली खायी औरत हैं और आसानी से उसके चंगुल
मे फँस सकती हैं.यह जानकार वह बड़ा खुश हुआ और मुस्कुराते हुए
बेला को घूरने लगा.बेला भी उसकी नजर भांप गयी थी और जवाब
मे वह भी मुस्कुरा दी.दोनो हरामियों ने एक दुसरे को पहचान लिया
था.
लाला को एक बात का बड़ा अचरज लग रह था की बेला जैसी
मस्तानी औरत बुद्धुराम के पल्ले कैसे पट गयी ! उस ने तुरंत उन् को दोनो
को घर ले गया और चंपा से उनका परिचय करवाया.फिर बेला को घर
पर छोड़कर वह बुद्धुराम के साथ दुकान लॉट आया.बुद्धुराम नाम की
तरह की भोला भला था.लाला ने कुछ ही देर मे उस से सब कुछ सच
उगलवा लिया.बुद्धुराम सिर्फ नाम का ही मर्द था.उसको मर्द और औरत के
संबंधों के बारे मे ज्यादा जानकारी ना थी और कोई खास लगाव भी
नही था.बेला जैसी औरत को खुश करना उसके बस की बात नही थी.वह तो
दुसरे कई मर्दों के साथ मजा लेकर अपना काम चलती थी.उसके
चाहनेवालों से तंग आकर्ही बुद्धुराम की माँ ने उसे गों छोड़ने की सलाह
दी थी.
वैसे बेला इस खेल की पुराणी खिलाडी थी.वह जब जवान हुई थी
यानी १३ की उमर से ही चुद्वा रही थी.वह अपने माँ के साथ लोगों के
गह्रों मे और खेतों मे काम पर जाती थी.माँ तो सीधी सदी थी लेकीन
बेला की चूत तो जवानी मे कदम रखते ही खुजलाने लगी थी.उसका बाप
बचपन मे ही मर गया था और उसको द्दंत्नेवाला कोई नही था.माँ की तो
उसके आगे एक ना चलती थी.वैसे उसे अपने चाहनेवालों से अच्छे रुपये
भी मिल जाते और घर का खर्च आसानी से चल रह था इसलिए माँ भी
जानकार अनजान बन रही थी.बेला खुदी बड़ी चुदाक्काद किस्म की लडकी
थी और मर्दों को पटना खूब जानती थी फिर मर्द तो ऐसी चुदाक्काद की
तलाश मे ही होते हैं.गों मे तो क्या बहार से भी लोग बेला को छोड़ने
आते थे.लेकीन इस वजह से उसकी बहोत बदनामी हो चुकी थी और उसकी
शादी हों लाघ्बघ असंभव था.इसलिए तंग आकर उसकी माँ ने उसे
बुद्धुराम जैसे अनाडी के पल्ले बंध दिया.बुद्धुराम की माँ के पास भी कोई
चारा नही था.उसकी शादी वह बेला से ना करवाती तो वह बेचारा कंवारा
ही
रह जाता.
बेला को सुहागरात मे ही पता चल गया था की उसका पति सुके काम
का नही था.उसकी लाख कोशिशों के बावजूद उसका पिदिसा लंड खड़ा नही
हो पाय था.हाथों से मसल कर जब उसके हाथ दुखने लगे तो उसने
लंड को मुँह लेकर खड़ा करने की कोशिश भी की थी लेकीन वह तुरंत झाड़
गया.बुद्धुराम शर्मिंदा होकर सोगया लेकीन बेला रातभर चूत मे
उंगली करते हुए सो नही पायी.पहले तो उसे बहोत गुस्सा आया लेकीन
जब उसने ठंडे दिमाग से सोचा.उसके लिए यह कोई परेशानिवाली बात नही
थी.उस के कई चोदु अपना लंड हाथ मे लेकर तैयार ही बैठे थे.तो
शादी के बाद भी उसका ग़ैर मर्दों से चुद्वाना बीए-दस्तूर जारी
रह.उसे चाहनेवालों से नए कपडे और रुपये भी मिल जाते थे.बुद्धुराम को
तो बेला से कोई शिक़ायत नही थी लेकीन उसकी माँ तंग आ चुकी
थी.पिचले दो महिनोस से बेला की सास ने हंगामा खड़ा कर दिया था इसलिए बेला
को मजबूरी से खुद को रोकना पड़ा था.फिर भी कभी कभार मौका मिलते
ही वह किसी ना किसी से चुद्वा लेटी थी.
लेकीन आफत तो तब आयी थी जब उसने गों के महाजन के कम उमर
लड़के को अपने जाल मे फंसा लिया था.पता चलने के बाद महाजन ने
उसकी सास को फटकार लगायी थी तब मजबूर होकर उसने बुद्धुराम से
गों छोड़ने की सलाह दी थी.चुदाक्काद बेला की चूत मे जैसे अंगार सी लगी थी.रोज दो बार चुद्वानेवाली औरत को कभी कभार चुद्वाकर कैसे रह जाता ? उपर से तिन दीन सफ़र के करण प्यास और भड़की थी.उपर से ट्रेन मे एक बुधे ने रात मे उसकी चूत मे उंगली करके उसकी आग मे मानो घी दाल दिया था.इसलिए जब उसने लाला के आंखों मे वासना के डोरे देखे थे तो वह सिहर उठी थी.वह जान गयी थी की लाला उसपर फीदा हो चुका हैं और आसानी से जाल मे फँस सकता हैं.लेकीन लाला जैसा सेठ आदमी उसके काम का है या नही इस बारे मे उसे शक ही था,क्योंकी सेठ लोगों के बारे मे उसका अनुभव अचछा नही था.
उसने सुना था की यह सेठ लोग अपनी बीवियों को ही चोद नही सकते इसलिए उनकी बीवियां नौकरों से या गैर्मर्दों से चुद्वाती हैं.उसका खुद का पाला भी एक बार ऐसे सेठ से पड़ा था जिसने उसके साथ चुमचाती की थी और उसकी चुंचियां मसली थी.बाद मे चूत पर लंड रगड़ते ही वह बहार ही झर गया था.बुद्धुराम के साथ भी ऐसा एक हादसा हुआ था.वह एक सेठ यहाँ काम पर लगा था.वह सेठ के घर का काम देखता था और सेठ और सेठानी के हाथ पाँव भी दबाता था.सब नौकर बुद्धुराम की हंसी उड़ते थे.उसे कुछ समझ नही आता था.एक दीन सेठ ने उसे घर बुलाया था.उसने देखा तो सेठ बैठा शराब पी रह था और सेठानी सामने पलंग पर नंगी लेटी थी.सेठ उसे कहा की तुम अगर मेरी गांड मारोगे तो बदले मे मैं तुम्हे मेरी बीवी को छोड़ने दूंगा. उस सेठ को पता नही था की बुद्धुराम इस काम के लायक नही था.बुद्धुराम तो डरकर उल्टे पांव भाग खड़ा हुआ.बाद मे उसे पता चला की सेठ कई नौकरों से यह काम करवा चुका हैं.
इसलिए बेला को शक था की कहीं लाला भी ऐसा ना हो.लाला उसके काम का हुआ तो अचछा ही था क्यूँकी यहाँ रहने को मकान,अचछा खाना और कपडे मिल सकते थे.और लाला से काम बन गया तो किसी और को धून्दाने की जरूरत नही थी.उस मे नौकरी जाने का दर भी था.लेकीन जबतक वह लाला से चुद्वा नही लेटी तब तक उसे पता नही चल सकता था.उसने आजही इस बात का फैसला करने की ठान ली.घर का काम अच्छी तरह करके और चंपा की अच्छी मालिश करके उसने मालकिन का दील जीत लिया.चंपा ने खुश होकर उसे अपना एक पुराना घग्रा और चोली दे दी.उसे रहने के लिए बहर्वाला कमरा दे दिया.जब सेठ और बुद्धुराम घर लौटे तो उसने बुद्धुराम से रात मे छत पर सोने का हुक्म दिया और खुद सेठ को खाना परोसने लगी.मर्द को तद्पताद्पकर फाँसने वह माहिर थी.उसने लाला को भी उसी नुस्खे से फंसने की सोच ली.
खाना परोसते समय उसने पालू इस तरह लपेट लिया की उसकी सूरत तो क्या शारीर का कोई भी हिस्सा ना दिख सके.लाला तो दीन भर बेला की सोच मे पागल बना हुआ था.उसका मचलता जोबन देखकर वो खुद काबू नही रख पा रह था.उसने आज रात ही बेला को छोड़ने का मन बना लिया था.उसकी ठोस नंगी चुंचियां,भरी भरी गांड और मचलती चूत देखने को वह बेताब था.लेकीन यहाँ तो बेला की सूरत तक देखने को वह तरस गया था.दोपेहेर मे चुदास से भरी लग रही यह औरत अचानक इतनी शरीफ कैसे बन गयी.या तो इसे चंपा ने सब बताकर संभालकर रहने को कहा होगा या फिर वह नखरा दिखा रही थी.शायद इसे मुझसे रुपये एन्थाने होंगे ऐसा भी विचार उसके मन आया.जो भी हो आज रात इसकी चूत मारनी ही मारनी हैं यही सोचते सोचते उसने खाना खा लिया.जब वह बहार आया तो उसे बुधुराम तकिया और चद्दर लेकर छत की ओर जाता दिखाई दिया.लाला ने उसे टोका तो उसने बता दिया की बेला ने ही उसे छत पर सोने के लिए कहा है.यह सुनकर लाला ख़ुशी से झूम उठा.बेला की चालाकी पर वह बड़ा खुश हुआ.जरूर उसने मुझसे चुदवाने के चक्कर मे ही बुद्धुराम को छत पर भेज दिया हैं इस ख़ुशी मे झुमते हुए वह अपने कमरे मे चंपा के पास पहुँचा.
उसने फौरन चंपा को नंगा करके उसकी चुंचियां खूब मसली और ऐसी चूत छाती की चंपा को पहली बार इतना मजा आया.वह झर कर खर्रतें भरने लगी.लाला चुपचाप उठा और दरवाजा धीएरे से बंद करके बेला के कमरे के पास पहुंच गया.दरवाजा थोदासा खुला देखकर वह ख़ुशी से झूमता हुआ धीएमे कदमो से अन्दर दाखिल हुआ और दरवाजा अन्दर से बंद कर लिया.जब उसकी नजर छापी पर लेटी बेला पर पडी तो वह ठगा सा उसे देखता ही रह गया.रोशनदान से चांद की हल्किसी रौशनी अन्दर आ रही थी और और उस रोशनी मे लेटी बेला गजब की सुन्दर दिख रही थी.वह आंखों पर हाथ रखकर ऐसे लेटी थी मानो उसे नींद लग गयी थी.उसका पालो खिसक गया था और उसके ठोस उभर साँसों के साथ उपर नीचे हो रहे थे.सांवले कसे पेट का कुछ हिस्सा नजर आ रह था.उसका घगारा उपर सरक गया था और घुटनों तक तांगे नंगी थी.बिना बालों की कासी कासी मांसल पिन्धलियाँ गजब की एस*क्ष्य् दिख रही थी.उसके सूरः होंठ थोदेसे खुले हुए थे और मानो लाला को उन्हें चूमने का न्योता दे रहे थे.

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