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मेरा पहला लेस्बियन सेक्स का अनुभव

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जब मै जवान हुई और मेरे शरीर में बदलाव आये, तो मुझे बड़ा अजीब सा लगता था, लेकिन मेरी माँ ने मुझे उसके बारे में बताया; तो मुझे शरीर में होने वाले बदलाव के बारे में तो पता चल गया, लेकिन उस बदलाव के साथ-साथ जवानी में होने वाली बैचनी से मेरा परिचय मेरी सहेली ने करवाया. मै 18 साल की हो चुकी थी और मेरा 18व जन्मदिन था और मुझे मेरी सहेली ने अपने घर पर बुलाया. उसने मेरे माँ- बापू से मुझे उसके घर रात में रुकने की परमिशन भी ले ली. मुझे तो पता भी नहीं चलने दिया किसी ने. वो मेरी सहेली थी रीमा, मेरी सबसे अच्छी दोस्त और मेरे बारे मुझसे ज्यादा वो जानती थी और मेरे छोटी-बड़ी सब समस्या वो ही सुलझती थी. जब मेरे बूब्स बढ़ने शुरू हुए और चूत पर कुछ बाल आये; तो मैने सबसे पहले रीमा को बताया; मेरी माँ ने तो अपने आप नोटिस करके मुझे पकड़ लिया और पूरा का पूरा कामसूत्र का ज्ञान बाँट दिया. मुझे रीमा अपने घर ले गयी और रास्ते में ऑटो में जाते हुए, मेरे कानो में फुसफुसाई, कि घर में तेरे लिए एक मस्त गिफ्ट है. मेरे दिल में खलबली मच गयी थी, क्युकि मुझे मालूम था रीमा बहुत शैतान है और उसने मुझे सताने के लिए कुछ का कुछ बदमाशी की होगी.

जब मै उसके घर में घुसी, तो कोई जश्न का माहौल नहीं था; बल्कि उसके माँ-बाप को तो मेरे जन्मदिन के बारे मालूम भी नहीं था. हम लोगो ने किसी आम दिन की तरह खाना खाया और सोने के लिए उसके कमरे में चले गए. घर में सब सो चुके थे और रीमा और मै भी लाइट बंद करके लेट गए थे. रीमा की उंगलिया मेरे बदन पर चल रही थी और वो मुझे नंगा कर रही थी. मैने उसके हाथ पर मारा और बोली, क्या कर रही है शैतान? उसने हँसकर बोला, जानेमन अभी नहीं. थोड़ी देर में लाइट जलाकर जादू दिखाउंगी और जब रीमा ने लाइट जलायी; तो मै दंग रह गयी. रीमा ने मुझे एक कामुक और सेक्सी नाइटी पहना दी थी. उसमे बड़ी मुश्किल से मेरे चुचे ढक रहे थे और उसकी लम्बाई मेरी चूत को और गांड के छेद को बड़ी मुश्किल से ढक पा रही थी. मैने रीमा के गाल पर बड़ी प्यारी से चपत लगायी और बोली, तू बड़ी बदमाश है, क्या चाहती है? रीमा बोली, जानेमन; आज की रात लूट जाने का अरमान है और कुछ लूटने का अरमान है और बड़ी जोर से हँसने लगी.

रीमा मेरे पास आई और बड़े ही कामुक तरीके से मेरी जांघो पर हाथ रख दिया, मेरे मुँह से इश्श्श्स करके आहें निकल गयी और मैने रीमा का हाथ पीछे हटा दिया. लेकिन, आज की रात रीमा कहां मानने वाली थी और फिर वो मेरे पास आई और मेरी गर्दन को अपने हाथो में पकड़कर मुझे अपनी तरफ खीच लिया और मेरे होठो पर अपने होठो को रख लिया. मैने उसको पीछे धक्का देने की कोशिश की; लेकिन रीमा की पकड़ मुझसे ज्यादा मज़बूत थी और वो पीछे जाने की बजाय मेरे और भी ज्यादा करीब आ गयी और मेरे होठो को मस्ती में चूमने लगी. मेरे दिल में भी अब कुछ-कुछ होने लगा था और बदन में अजीब सी आग लगने लगी थी. मैने भी रीमा को अपनी बाहों में भर लिया और उसके होठो को अपने होठो के बीच में दबा लिया और मस्ती मै भी उसके होठो को चूस रही थी. हम दोनों की साँसे गरम हो चुकी थी और बहुत तेज चल रही थी. हम एक दूसरे की साँसों को सुन सकते थे और उसकी गर्मी को महसूस कर सकते थे.

इतने में, रीमा ने अपना टॉप निकल लिया और उसके चुचे मेरे सामने लटक गए. हम दोनों ने ही अंदर ब्रा और पेंटी नहीं पहनी थी. रीमा ने मेरी नाइटी उतारकर मुझे नंगा कर दिया. मुझे बड़ी शर्म आई और मैने तेजी से उठकर लाइट बंद कर दी. रीमा ने नाईट लेम्प जलाकर कमरे में हलकी रौशनी कर दी. अब हम दोनों बिस्तर पर नंगे पड़े हुए थे और एक दूसरे के शरीर को मस्ती में छू रहे थे. मुझे कुछ मालूम नहीं था, तो मै वही कर रही थी, जो रीमा कर रही थी. रीमा ने मुझे हल्का सा धक्का देकर बिस्तर पर लिटा दिया और मेरे ऊपर आ गयी और मेरे होठो पर अपने होठो को रखकर चूसने लगी. हम दोनों के चुचे एक दूसरे से टकरा रहे थे, तभी रीमा ने थोड़ा का नीचे झुककर मेरे चुचो को अपने हाथो पर पकड़ लिया और उसको दबाने लगी और मेरे निप्प्लेस को अपने मुँह में दबा लिया. मेरे मुँह से कामुक आहें निकल रही थी अहहहः मर गयी. तू क्या कर रही रीमा? प्लीज मत कर. कुछ- कुछ हो रहा है. मुझे महसूस हुआ कि मेरी चूत पूरी गीली हो चुकी थी और मेरी चूत से रिसाव हो रहा था. मुझे लगा शायद मेरा मूत निकल गया और जब मैने नीचे अपना हाथ लगा कर देखा, तो रीमा हँस पड़ी और बोली जानेमन आज जन्नत की सैर करोगी और नीचे आ गयी.

नीचे आकर रीमा ने अपने होठ मेरी जांघ पर रख दिए और अपनी जीभ से चाटने लगी. मेरा बदन उस कामुक अहसास में अकड़ गया और मै अपने पैरो को चलाते हुए इधर-उधर मचलने लगी. रीमा मुस्कुरा रही थी और उसने मेरे पैरो को अपने हाथो में जकड लिया और अपनी जीभ चुत पर लगा दी. ऊऊओ. .ओओओओओ मर गयी. .सहसहसहसहसह क्या गरम अहसास था. मुझे ऐसा लग रहा था, कि कोई गरम लावा मेरी चूत के अंदर धधक रहा है और बाहर आने को बेताब है. मैने रीमा को बालो को पकड़कर पूरी ताकत से खींचा, लेकिन रीमा टस से मस नहीं हुई और उसकी जीभ मेरी चूत पर और भी तेज चलने लगी. उसकी जीभ इतनी गरम थी, कि कुछ ही देर में मुझे अपने अंदर से गरम लावा बाहर आता हुआ महसूस हुआ और मैने अपना पानी पूरा का पूरा रीमा की जीभ पर छोड़ दिया. रीमा ने मेरी चूत को पूरा चाटकर साफ़ कर दिया. बहुत ही कामुक और गरम था. फिर रीमा ने अपने मोबाइल पर एक लेस्बियन फिल्म दिखाई और मैने उसको उसी अंदाज़ में चोदा. हम लोगो ने पूरी रात मस्ती की और उस रात ने मुझे बाईसेक्सुअल बना दिया.

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एनआरआई कजिन की चूत का स्वाद

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ये स्टोरी मेरी कजिन के साथ है. उसका नाम शालू है और वो आयरलैंड में रहती है. मेरी और उसकी बहुत अच्छी फ्रेंडशिप है और हम दोनों रोज़ फ़ोन पर बात करते है, तो मैंने ऍफ़बी पर भी अपना अकाउंट बनाया और वहां भी बहुत गर्ल्स के साथ सेक्स चैट किया है. हम दोनों भी यहाँ पर भी फ्रेंड बने और उसने मुझे उसके साथ कुछ करने के लिए बोला. मैं अपनी सिस्टर के साथ सेक्स चैट ट्राई किया. मैंने उसको बतायाम कि आई लाइक हर और मुझे उसके साथ फिजिकल रिलेशनशिप करनी है. तो उसे बहुत गुस्सा आ गया और उसने फिर मुझसे ११ बात नहीं की और और फिर ११ डेज बाद, मुझे पता चला कि.. वो इंडिया आ गयी है. तो मैं मिलने गया. मुझे बहुत डर लग रहा था. बट जब उसको देखा, तो मेरा लंड पूरा खड़ा हो गया. जब वो २ इयर पहले गयी थी, तो बच्ची लगती थी.

बट अब उसका फिगर ३४-२८-३२ का हो गया था और उसे देखकर मेरा लंड पगला गया. मैं उससे नज़रे नहीं मिला पा रहा था. उसने मुझे देखा और घूरने लगी. फिर मैं जाके रूम में बैठ गया, तो वो मेरे पास आई और कहने लगी. देखो, वी आर फ्रेंड्स और मुझे तुम्हारी फ्रेंडशिप चाहिए. फिर, हम दोनों की बातें शुरू हो गयी. काफी टाइम गुजर गया. मेरी समर वेकेशन थी, तो मैं उसके घर रहने चले गया और वहां जब वो मेरे सामने आती, तो मेरा लंड खड़ा हो जाता था. एकबार, वो घर में बाथ कर रही थी और घर में कोई नहीं था. उसने मुझसे टॉवल माँगा और जैसे ही, मैं उसे देने लगा. तो बाथरूम में लगे मिरर से मुझसे उसकी बॉडी दिख गयी और मैं पगला गया. एकदम गोरी बॉडी, मेरी तो लंड खड़ा हो गया. मैं भाग के टॉयलेट गया और मुठ मारने लगा. फिर सोचा, कि मुझे इसे चोदना ही है. फिर बस प्लान बनाने लगा, कि उसे कैसे चोदु? फिर मैं उसे किसी ना किसी बहाने से टच करने लगा. उससे चिपक कर बातें करने लगा. उसने भी वो नोटिस किया और शायद उसे भी अच्छा लगने लगा था और सब एन्जॉय करने लगी.

फिर एक बार, वो मेरा फ़ोन चेक कर रही थी, तो गैलरी में बीऍफ़ थी. वो उसने ओपन की ही थी और मैंने फ़ोन ले लिया और फिर सीधे बाथरूम में चला गया और जान के डोर थोडा सा ओपन कर दिया. मैंने बीऍफ़ की वौइस् थोड़ी बढ़ा दी. मुझे पता था, वो आवाज़ जरुर सुनेगी. वो आई और मैं मुठ मारने लगी और वो देखती रही. तभी उसकी माँ ने उसे आवाज़ देकर बुलाया, तो वो चली गयी. फिर वो भी शायद मान गयी थी. तभी उसने शोर्ट क्लॉथ पहनना स्टार्ट कर दिए और मुझसे चिपकने लगी. एकबार, वो फ्लोर साफ़ कर रही थी और उसने लूज टॉप के बीचे ब्रा नहीं पहनी थी और मैं सोफे पर बैठा था और वो मेरे सामने जानकार झुक रही थी. मेरा लंड खड़ा हो गया, जो उसने देख लिया और मुझे एक नॉटी सी स्माइल दे दी. मुझे ग्रीन सिग्नल मिल चूका था. रात को उसने अपनी माँ से बोला, कि मैं बाथ करने जा रही हु और मेरी तरफ स्माइल करके बाथरूम जाने लगी. मैं समझ गया था. मैं टेरेस पर चला गया. बाथरूम के टेरेस पर एक्स्जोस्ट है, जहाँ से मैं मुह डालके देखने लगा. वहां से मुझे बस उसकी पीठ ही दिख रही थी और मुझे डर भी लग रहा था.

जब मैं उसे देख रहा था, तो मेरी पॉकेट से एक कॉइन बाथरूम में गिर गया और उसने मुझे ऊपर देखा और वो मुझे देखकर स्माइल करने लगी. फिर, वो जल्दी से बाथरूम से निकल आई. उसने ब्रा और पेंटी भी नहीं पहनी थी. मैं भी शोर्ट में था और मेरा लंड ज्यादा ही लम्बा हो गया था. एकदम रॉक सॉलिड, फिर वो सीधे ही ऊपर आ गयी और मैंने उसे वहीँ पर पीछे से पकड़ लिया. मैं पीछे से उनके बूब्स मसलने लगा. बहुत जोर – जोर से उसके बूब्स मसलने लगा. वो भी अहहाह आअह्हाआअ करने लगी. जोर – जोर से सिसकिया लेने लगी. रात थी, तो मैंने बिना देरी किये उसके बूब्स मसलने लगा था और जोश में मैंने उसकी टॉप फाड़ दी और उसके निप्पल को नोच रहा था, मसल रहा था उसके बूब्स. फिर एक हाथ मैंने उसकी चूत पर रखा और उसकी शोर्ट गीली थी. मैं उसकी शॉर्ट्स के ऊपर से ही उसकी चूत को मसल रहा था और मेरा लंड उसकी गांड में टच हो रहा था. मैंने उसे वहीँ लिटाया और उसके बूब्स चूसने लगा, पागलो की तरह, तभी उसकी माँ की आवाज़ आई.

वो डर गयी और टेरेस पर उसकी २-३ टॉप सुखी हुई थी. उसने एक टॉप पहनी और अपना फ़ोन लिया और नीचे जाने लगी और मुझे आँख मार रही थी. फिर थोड़ी बाद, मैं भी नीचे गया, तो वो टी बना रही थी. मैंने उसे पीछे से पकड़ लिया और वो छुड़ाने लगी और कहने लगी, बस थोड़ी देर और इंतज़ार कर लो. उसने नीद की दवाई माँ की टी में डाल दी और उन्हें दे दी. और ३० मिनट में, वो सो गयी. उसने थोडा स्ट्रोंग मेडिसिन दी थी, तो आंटी सुबह तक नहीं उठने वाली थी. वो मुझे लेकर दुसरे रूम में चली गयी और मैंने उसे पकड़ लिया और उसके सारे कपडे उतार दिए और उसकी पूरी बॉडी को चूसने लगा. फिर उसने मेरे कपडे उतार दिए और मैं उसके बूब्स को मसल रहा था और वो मेरा लंड पकड़ कर हिला रही थी. मैंने उसे वाल के अगेंस्ट बैठा दिया और उसके मुह में लंड डाल दिया और उसके मुह को चोदने लगा. वो भी मज़े में चूत में ऊँगली करने लगी और लंड को पागलो की तरह चूसने लगी. मैं तो सातवे आसमान पर था. फिर मैंने उसे उठाया और उसकी टांगो के बीच में लंड डालकर हिलाने लगा. मैं उसके ऊपर आ गया था और उसके बूब्स को निचोड़ – निचोड़ कर चूसने लगा और मसलने लगा.

वो पागलो की तरह चिल्ला रही थी और फिर १५ मिनट उसके दूध पीने के बाद, मैंने उसकी नेवल में जीभ डाल दी और अन्दर – बाहर करने लगा. वो मेरे सिर को दबाने लगी और बेग करने लगी, प्लीज फक मी. फक मी. फिर मैंने जीभ से उसकी चूत को सहलाना शुरू किया. मैंने उसको अपने मुह पर बैठा लिया और उसकी चूत के लिप्स को ओपन किया और अपने लिप्स से उसकी चूत के लिप्स को चूसने लगा. फिर अपनी जीभ को उसकी चूत में डाला… उफ्फ्फफ्फ्फ़.. क्या रसीली चूत थी. उसकी गीली चूत का रस मेरे मुह में जा रहा था. उफ्फ्फ्फ्फ्फ्फ्फ़ म्मम्मम्मम्म… वो चिल्ला रही थी.. उफ्फ्फफ्फ्फ़ अहहहा जिजिजिजिजिजीजी.. चाटो जान.. ऊऊफ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्.. अहाह्ह्ह्हह्ह्ह्हह और मैं जोर – जोर से उसकी चूत को चाटने लगा. फिर मैंने उसको ऊपर से नीचे करना शुरू किया और अपनी जीभ से उसकी चूत की चुदाई शुरू कर दी. वो स्क़ुइर्त करने लगी और चिल्लाने लगी आआआआआअह्हह्हह्हह्हह्हह अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्छ आअह्ह्ह्ह तेज और तेज उग्ग्ग्ग फ्फ्फ्फफफ्फ्फ्फ़ चोदो ना, मुझे चोदो और जोर से चोदो… मैंने उसे उठाया और उसका चूत का सारा रस चाटकर साफ़ कर दिया.

मैंने उसे लिटाया और टाँगे फैला दिया. मैं उसकी चूत पर लंड को रखा और वो तड़पने लगी. वो भी अपनी गांड – गांड उठाकर लंड को अपनी चूत में डालने की कोशिश कर रही थी. फिर, मैंने एक झटका मारा, तो वो चिल्ला उठी… निकालो इसे.. अहहहः .. बहुत दर्द हो रही है. मैंने उसका मुह बंद कर दिया और थोड़ी देर ऐसे लेटा रहा. फिर जब उसका दर्द कम हुआ, तो पूरा लंड डाल दिया और उसकी चूत को चोदने लगा. २५ मिनट तक मैं ऐसे ही चोदता रहा. फिर, मैंने उसको कुतिया बनाया और पीछे से उसकी चूत में लंड डाल दिया. वो चिल्ला रही थी मज़े में आआअह्हह्हह ऊऊऊऊईईईईइमा फ्फ्फ्फफ्फ्फ्फ़ जानन्न्न्नन्न और तेज प्लीज और तेज. मैंने उसको उठाया और गोद में बैठाया और झटके मारने लगा. उसको और ज्यादा मज़ा आने लगा और वो ३ बार झड चुकी थी. मेरी ४० मिनट चुदाई करने के बाद, मैं भी झड गया था और उसकी चूत में ही सब निकाल दिया. वो मेरे ऊपर आ गयी और मुझे किस करने लगी. उस रात, मैंने उसे २ बार और चोदा और जब तक वो इंडिया में रही, मैं उसे चोदता रहा. अभी भी वो मेरी साथ सेक्स चैट करती है.

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पड़ोसन रूचि दीदी की मस्त चुदाई

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सभी रीडर्स को मेरा प्यार भरा सलाम. मैं इस साईट को पिछले २ महीने से पढ़ रहा हु और मुझे लगता है, कि इस सेक्स वेबसाइट में हम अपनी सेक्स की सच्चाई किसी के साथ भी बाँट सकते है, जो कि नार्मल वेबसाइट में पॉसिबल नहीं है. तो आज मैं आपके साथ अपनी एक पड़ोसन दीदी की सेक्सी स्टोरी बताने जा रहा हु. जो कि मुझे याद भी याद आती है. मेरा नाम अंशु है और मैं भुवनेश्वर, उड़ीसा का रहने वाला हु. कब ५.१० और साइज़ कभी मेजर नहीं किया, बट बहुत बड़ा है. उन दिनों की बात है, जब मैं बी- टेक फाइनल इयर में था और यहीं मेरे होम टाउन भुनेश्वर में पढ़ रहा था. मेरी पापा दिल्ली में सर्विस करते है. तो मेरी माँ और भाई, पापा के साथ ही दिल्ली में रहते है. मैं यहाँ घर पर अकेले रहता हु और दो दोस्तों को भी अपने साथ रखा हुआ था. क्योंकि, अकेले रहना मुझे अच्छा नहीं लगता था. यो बात ये है, कि मेरे सामने वाले घर में एक फॅमिली थी. जिनकी तीन बेटी थी. बड़ी दो लड़की की शादी हो चुकी थी, पर छोटीवाली घर में रहती थी. उनके पिता सरकारी नौकरी में थे और काफी बड़ी पोस्ट पर थे.

उस छोटी वाली लड़की का नाम रूचि है. जोकि, मेरे से २ साल बड़ी है. दिखने में ठीक – ठाक गोरी है, साइज़ भी अच्छा है. फिगर पूरा मस्त और उसका फिगर ऐसा है, कि साड़ी पहने हुए वो बहुत अच्छी लगती है. हम तीनो दोस्त कॉलेज साथ जाते थे और एकदिन हमारा छुट्टी हुआ. मेरे दोनों दोस्त अपने – अपने घर चले गये और मैं घर में अकेले ही रह गया. इस तरह ३ दिन गुजर गये और एकदिन रात को करीब १२ बजे, एक जोरदार धमाके की आवाज़ आई. मैं सो रहा था, फट से उठकर देखने गया, कि क्या हुआ? बाहर आकर बात चली, कि रूचि के घर में इलेक्ट्रिक शोर्ट सर्किट हुआ था. उनके घर की सारी वायरिंग जल चुकी थी. रूचि के पापा ने मुझे कहा, बेटे कहीं से कोई एलेक्ट्रिसियन ले आओ. रात के १२:३० हो चूका था, तो कोई कहाँ पर मिलने वाला था. मैंने कहा, अंकल मैं अभी कोई टेम्पररी बंदोबस्त कर देता हु, क्योंकि मैं एक इलेक्ट्रिकल इंजिनियर हु. मुझे कैसे करना था, वो मुझे पता था.

तो अंकल ने हाँ बोला और मैंने एक कनेक्शन अपने घर से लेकर उनके बेडरूम में दे दिया, जोकि सोर्फ़ लाइट जला सकता था. फेन नहीं चल रहा था. क्योंकि शोर्ट सर्किट में फेन भी जल गया था. अंकल ने मुझे कहा, बेटा मैं यहाँ सो जाता हु. रूचि दीदी को अपने घर ले जाओ. वो बिना फेन के नहीं सो पाती है. उसकी माँ भी नहीं है. मैंने हामी भर ली और रूचि दीदी मेरे साथ मेरे घर पर आ गयी. क्योंकि हम बचपन से वहां रहते थे और हम लोग बहुत अच्छे दोस्त भी थे, तो रूचि दीदी के पापा को मेरे ऊपर पूरा भरोसा था. वैसे भी, मैं अकेले रहू या दोस्तों के साथ, मैंने अपने घर में कभी कोई भी गलत काम नहीं किया था. तो यहीं से स्टोरी बिगेन. घर पर हम दोनों, रूचि और मैं आये और रूचि दीदी बोली… मुझे नीद नहीं आ रही थी. चलो कुछ बातें करे. मेरी भी नीद खुल चुकी, तो मैं हाँ कर दी. मैं पापा – मम्मी के रूम में चले गया और दीदी के बिस्तर ठीक करने लगा.

तो वो बोली – तुम अपने रूम में भी मेरा बिस्तर लगा लो, मुझे अकेले में डर लगता है. यहाँ आप को बता दू, कि तब तक मेरे मन में और ना ही उसके दिल में कुछ गलत बात उभरी थी. सिर्फ ऐज फ्रेंडली वो मुझसे बोली, तो मैंने भी हामी भर ली और बोला, मेरे रूम में आ जाओ. तो हम मेरे बेडरूम में आ गयी और मैंने लाइट ऑफ किया और बातें करने लगे. तब मैंने उनसे पूछा, दीदी आपको डर क्या लगता अकेले. तो उन्होंने कहा, कि पता नहीं. पर बहुत सारी डरावने ख्याल आते है, जब मैं अकेले होती हु. मैंने कहा – आपके डर को दूर करते है और एक घोस्ट फिल्म देखते है. पहले तो उसने मना किया, कि रोमेंटिक फिल्म लगाओ. पर मुझे तो मज़ा देखना था, कि वो कितनी डरती है. तो मैंने जिद की और उन्होंने हाँ बोल दी. हम फिल्म लैपटॉप पर स्टार्ट करके एक ही बिस्तर पर लेटकर देखने लगे. तभी एक सेक्स सीन आया, तो मेरा लंड खड़ा हो गया. तभी अचानक मुझे पता नहीं, कैसे रूचि दीदी को चोदने का ख्याल आया. पर मैंने खुद को कण्ट्रोल करके, उस सीन को फॉरवर्ड कर दिया और दीदी समझ गयी और कुछ नहीं बोली.

हम देखने लगे. आगे – आगे मेरा तो उसी सीन को देखने के बाद खड़ा हो गया था. तो अभी तक तना ही हुआ था. एक डरावने सीन में दीदी ने डरके मारे, मेरे ऊपर चढ़ गयी, तो मेरा तना लंड उनके हाथ में टच हो गया. उन्होंने झटके से हाथ हटा दिया. फिल्म ख़तम हो गयी और दीदी ने कहा – दूसरा कुछ लगाओ. आज नीद नहीं आ रही है. तो मैंने कहा, मुझे तो आई है. मैं सोता हु, आप देखिये. उसने कहा – ऐसी हालत में भी, तुझे सोने का मन कर रहा है. मुझे कुछ समझ नहीं आया, तो मैंने उनसे कहा – कैसी हालत? वो बोली – तुझे पता नहीं? मैंने कहा – नहीं. उसने झट से मेरी पेंट पर हाथ मारकर बोली, इस हालत में. मैं पूरा सुन्न हो गया. मुझे तो पता ही नहीं चला, कि रूचि दीदी डायरेक्ट क्या कर रही थी. मैंने उनके हाथ को झट से अलग करके कहा – ये क्या कर रही हो दीदी? तो उसने कहा, कि अंशु मुझे बहुत मन करता है ये सब करने का. पर पापा कितने स्ट्रिक्ट है, तुझे तो पता ही है. कोई बॉयफ्रेंड भी नहीं कर सकती. नहीं तो मार देंगे और शादी में भी एक साल बाकी है, तो मुझसे कण्ट्रोल नहीं होता.

मैंने कहा, दीदी तो आप क्या चाहती हो. उसने कहा – अगर हम दोनों कुछ करे, तो पापा को पता भी नहीं चलेगा और तुम भी पहचान के हो, किसको बोलोगे? मैंने कहा, ठीक है. मैंने कभी किया तो नहीं, अभी तक तो सिर्फ मुठ ही मारा है. लेकिन आज करते है. फिर लैपटॉप को साइड में रखकर मैंने दीदी के होठो से होठ मिला लिए. ओह्ह्ह्ह.. क्या फीलिंग्स थी. ओह्ह्ह.. उसके बाद उनके दूध को धीरे – धीरे एक हाथ से दबाने लगा. वो सिसकिया ले रही थी. फिर उन्होंने अपने हाथ को मेरी पेंट में डाल दिया. वो मेरे लंड को दबा रही थी. क्या अहसास था वह्ह्ह्ह… फिर वो इतनी उतावली हो गयी थी, कि अपने हाथ से ही सब खोल दिया और मुझे बोली, कि तुम भी खोल दो. मैंने भी खोल दिया और फिर हम दोनों एक दुसरे को लिप किस करने लगे. १५ से २० मिनट करने के बाद, उन्होंने ने कहा – अंशु अब मुझे चोद दो और फॉरप्ले नहीं, अब मुझसे और कण्ट्रोल नहीं होता है. मैं भी अब आउट ऑफ़ कण्ट्रोल हो रहा था. मैं झट से उनके ऊपर आ गया और अपना बड़े वाला लंड उनकी चिकनी फुद्दी में घुसाने लगा.. साला घुस ही नहीं रहा था. मैंने एक झटका मारा, तो मेरा लंड आधा ही उनके अन्दर गया…

वो चिल्लाई और बोली – धीरे से अंशु. प्लीज धीरे से. तो मैं धीरे – धीरे करता रहा और कुछ देर बाद, आधे से ज्यादा लंड अन्दर जा चूका था. मैं पेलने लगा. करीब ४५ मिनट की धुनाधार पेलन के बाद, मैं झड़ गया और उस ४५ मिनट के पेलन के अन्दर वो ३ बार झड़ चुकी थी. फिर मैं उनके ऊपर सो गया और निप्पल चूसता रहा. चूसते – चूसते कब आँख लग गयी, पता ही नहीं चला. फिर अगले दिन, वो उठकर मुझे किया और बोली – मैं फिर आउंगी, पापा के ऑफिस जाने के बाद. हम फिर से करेंगे. वो चली गयी और मैं सो गया. यारो.. एक बात समझ में आई सुबह, उनके जाने के बाद. कि मेरा इतना बड़ा लंड और वो कभी चुदी नहीं थी. वो उसने मेरे लंड को कैसे संभाला और मज़े से चुदने लगी. फिर मुझे याद आया, कि मेरी पेलन में उसे ब्लड तो आया ही नहीं. तो इसका मतलब.. साली मुझसे झूठ बोल रही थी, वो पहले भी चुद चुकी थी. फिर बाद में जब वो आई, तो मैंने उससे पूछा और उसने बताया, कि वो अपनी फिंगर अपनी चूत में करती है और कुछ और भी चीजों को इस्तेमाल करती है, अपने को शांत करने के लिए. उसदिन, फिर चोदा और उसके बाद भी और जब भी मौका मिला, तब मैंने उसे चोदा.

मेरी कहानी कैसी लगी आपको. श्यौर अपने कमेंट दीजियेगा. मैंने आपके कमेंट का वेट कर रहा हु.

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कमसिन हसीना जैसी मेरी भाबी की जवानी

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हैल्लो दोस्तों, मेरा नाम गौतम शाह है और में एक कॉलेज स्टूडेंट हूँ और में अहमदाबाद का रहने वाला हूँ. आज में आप सभी को अपना पहला सच्चा सेक्स अनुभव सुनाने जा रहा हूँ जो कि अभी करीब 6 महीने जिसमें मैंने अपने कज़िन भाई की पत्नी मतलब कि मेरी भाभी को अपनी तरफ आकर्षित करके चोदा.

दोस्तों जब मेरे कॉलेज के पहले साल के एग्जाम खत्म हुए थे, तब हमारे घर पर मेरा कज़िन भाई और उसकी पत्नी खुशबू आए हुए थे और तब में पहली बार अपनी नई भाभी से बहुत करीब से मिला था. वो दिखने में एकदम कयामत लगती है और उनकी हाईट करीब 5.6 फिट और उनके बूब्स का साईज़ 36, उनकी गांड का साईज 32 और कमर 28 की है. मेरी हाईट 5.11 है और दोस्तों जब वो मेरा रूम देख रही थी, तब सिर्फ़ हम दोनों ही रूम में थे. उन्होंने तब मुझसे कहा था कि उन्हे ज़्यादा हाईट वाले लोग बहुत अच्छे लगते है, लेकिन मेरे भाई की हाईट ज़्यादा नहीं है तो इसलिए मैंने उनसे पूछा कि उनकी हाईट भी तो ज़्यादा नहीं है तो फिर आपने क्यों उन्हे पसंद किया?

दोस्तों मेरे इस सवाल से उनका चेहरा बिल्कुल बिगड़ गया और वो मुझसे एक भी शब्द नहीं बोली और अपना सर झुकाए खड़ी रही और फिर में वहां से चला गया, लेकिन अब में समझ गया था कि इनके बीच में कुछ तो समस्या है, वैसे मुझे बहुत अच्छा लगा कि भाभी ने मेरे साथ इस तरह की बात की, सिर्फ़ इसलिए नहीं कि वो दिखने में अच्छी थी, लेकिन उनका स्वभाव भी बहुत अच्छा था और मेरा भाई दिखने में ज़्यादा अच्छा नहीं था, लेकिन मुझे बाद में पता चला कि भाभी के पापा को केंसर है और वो अपनी बेटी की शादी देखकर जाना चाहते थे तो इसलिए उन्होंने यह फैसला लिया था.

मेरे भाई का घर भी अहमदाबाद में ही है और शादी के बाद उनका हमारे घर पर आना जाना बढ़ गया था, मेरी और भाभी की बहुत अच्छी बनती थी और उस वक्त मेरे पास एक नया फोन था तो एक दिन बातों ही बातों में उन्होंने मुझसे कहा कि क्यों इस फोन में कोई सुंदर सी लड़की का मोबाईल नंबर तो होगा ना? तो मैंने मुस्कुराते हुए कहा कि नहीं आपने मुझे अभी तक आपका कोई नंबर दिया ही नहीं. तभी उन्होंने भी मुझे एक शरारती स्माईल दी और अपना मोबाईल नंबर बताया और मैंने एक मैसेज करके अपना नंबर भी उन्होंने दे दिया, लेकिन अब मेरी कभी भी हिम्मत नहीं हुई उनसे चेट करने की, लेकिन में कभी कभी उन्हें कोई मैसेज जरुर भेज दिया करता था और एक दिन सुबह सुबह उनका एक मैसेज आया जिसमें गुड मॉर्निंग लिखा हुआ था.

फिर मैंने भी उन्हें एक अच्छा सा मैसेज किया और वो आगे की बात करने लगी. फिर मैंने मजाक मजाक में उनसे कहा कि आपको क्या शर्म नहीं आती कि घर में आपका पति है तो भी आप किसी और को मैसेज करती है? फिर उन्होंने कहा कि वो घर पर कहाँ रहते है? में खुद घर पर अकेली दिन भर बोर हो जाती हूँ. फिर मैंने उनसे कहा कि आप कोई किताब पढ़िए, उन्होंने कहा कि नहीं आज मुझे बाहर बाजार में कुछ कपड़े खरीदने जाना है और साथ में मुझे भी ऑफर भी किया कि क्या तुम मेरे साथ चलोगे? फिर में उनकी यह बात सुनकर खुश तो बहुत हुआ, लेकिन फिर सोचने लगा कि में अपने घर पर क्या बहाना बनाऊंगा?

तभी उन्होंने कहा कि तुम आंटी से कह देना कि आज ऑटो की हड़ताल होने की वजह से तुम मुझे अपनी बाईक पर बैठकर बाजार ले जा रहे हो और अब मैंने ठीक वैसा ही किया जैसा उन्होंने मुझसे कहा और में दोपहर को अपने घर से निकलकर उनके फ्लेट के नीचे उनका इंतजार कर रहा था और फिर कुछ देर बाद वो आई. दोस्तों में तो उन्हे आखें फाड़ फाड़कर देखता ही रह गया क्योंकि ऐसी हॉट, सेक्सी, लड़की तो हमारे पूरे कॉलेज में भी नहीं थी, उन्होंने एकदम टाईट जींस और बिना बाँह की एकदम टाईट टी-शर्ट पहनी हुई थी और उस टी-शर्ट में से उनके बूब्स कुछ ज़्यादा ही बाहर निकलते हुए दिख रहे थे और उस जींस से उभरी हुई गांड बाहर आ रही थी और मेरी बाईक नयी पल्सर है तो इसलिए उन्हें बैठने में बहुत समस्या हो रही थी और फिर उनको मुझे पकड़कर बैठना पड़ा, जिसकी वजह से उनके बूब्स मेरी पीठ को छू रहे थे.

दोस्तों उस दिन पहली बार कोई लड़की मेरी बाईक पर मुझसे बिल्कुल चिपककर बैठी हुई थी और इसलिए मुझे कुछ कुछ हो रहा था. फिर कुछ देर बाद मेरे मन की बात जानकर मेरी हालत देखकर उन्होंने मुझसे पूछा कि क्या हुआ क्या तुम्हारी गर्लफ्रेंड ऐसे नहीं बैठती? दोस्तों वैसे वो बहुत अच्छी तरह से जानती थी कि मेरी कोई गर्लफ्रेंड नहीं है, लेकिन फिर भी मैंने बहुत धीरे प्यार से कहा कि वो मुझसे ऐसे चिपककर नहीं बैठती.

फिर वो मुझे अब कुछ ज़्यादा टाईट पकड़कर बोली कि क्या वो ऐसे बैठती है? फिर मैंने उनसे पूछा कि आप तो मेरी गर्लफ्रेंड नहीं हो ना? तभी उन्होंने कहा कि नहीं हूँ तो अब बन जाती हूँ और मुझे इसमें क्या आपत्ति है? तो मैंने कहा कि फिर तो में कुछ भी कर सकता हूँ ना? फिर उन्होंने मेरे सर पर धीरे से मारा और कहा कि तुम अब कुछ ज्यादा ही बहुत बड़े हो गये हो.

फिर हम जब बाजार में पहुंचे तो वहां पर बहुत से कपल्स एक दूसरे के हाथ में हाथ डालकर चल रहे थे. फिर मैंने उन्हें देखकर भाभी से कहा कि क्यों आप मेरी गर्लफ्रेंड हो ना? तो अब आपको भी ऐसा सब कुछ करना पड़ेगा. दोस्तों वो दिखने में इतनी सेक्सी लगती थी कि जैसे कोई कॉलेज स्टूडेंट हो और वो मुझसे उम्र में सिर्फ चार साल बड़ी थी. अब उन्होंने मेरे मुहं से यह बात सुनते ही झट से मेरा हाथ पकड़ लिया और फिर गर्लफ्रेंड, बॉयफ्रेंड की तरह मुस्कुराते हुये बातें करते हुए मेरे साथ चलने लगी और कुछ देर बार उनकी कुछ ड्रेस लेने के बाद उन्होंने मुझसे कहा कि मुझे ब्रा, पेंटी लेने है. फिर मैंने मुस्कुराते हुए कहा कि में आपका बाहर खड़ा इंतजार करता हूँ आप ले आओ, लेकिन भाभी ने मेरा हाथ पकड़कर कहा कि तुम अब मेरे लवर हो तो तुम्हे मेरे साथ अंदर भी आना पड़ेगा.

दोस्तों भाभी को में आज पहली बार इतना खुश देख रहा था और अब अंदर आने के बाद भाभी कुछ पसंद करके ट्रायल रूम में चली गई और फिर उन्होंने मुझे एक मैसेज किया कि यहाँ आकर देखो तो यह मुझ पर कैसी है? और जब में ट्रायल रूम के बाहर गया तो उन्होंने मुझे अंदर बुलाया और उन्होंने उस समय जींस के ऊपर सिर्फ़ काली कलर की ब्रा ही पहनी हुई थी. फिर मैंने कहा कि में आपका बॉयफ्रेंड हूँ तो में अब कुछ भी कर सकता हूँ ना? वो मेरी बात सुनकर थोड़ा मुस्कुराई तो मैंने उनकी कमर पर हाथ रखकर उन्हें मेरी तरफ खींच लिया, उनकी दोनों आखें बंद थी तो मैंने मौके का फायदा उठाते हुए उन्हें एक किस किया और उन्होंने भी मेरा पूरा पूरा साथ दिया.

फिर में बाहर आ गया और कुछ देर के बाद में मैंने उनको अपने घर पर छोड़ दिया, लेकिन उन्होंने आते समय मुझसे कुछ नहीं बोला और बस चुपचाप मुझसे चिपककर बैठी रही और में उनके बड़े मुलायम बूब्स की गर्मी लेता रहा और मेरा भाई उस दिन आउट ऑफ टाउन था तो में जब अपने घर पर पहुंचा तो मेरी माँ ने कहा कि तुम्हारी भाभी का कॉल आया था, तुम्हारा भाई घर पर नहीं है और इसकी वजह से तुम्हारी भाभी को रात के समय घर पर अकेले बहुत डर लगता है तो उसने तुझे वहां पर बुलाया है और तू आज रात को वहीं पर सो जाना. मैंने तेरे पापा को यह बात बताकर उनसे पूछकर तुझसे यह बात कही है.

दोस्तों में अपनी माँ के मुहं से यह बात सुनकर बहुत खुश हो गया और अब मन ही मन अपनी भाभी को चोदने के सपने देखने लगा और दिन भर जैसे तैसे बिताकर शाम को में भाभी के घर पर चला गया और मैंने देखा कि वो खाना खाने के बाद अपने बेडरूम में बैठी हुई थी और में वहां पर पहुंचकर बैठक रूम में सोफे पर बैठकर टी.वी. देख रहा था और अब तक हमने कुछ भी बात भी नहीं की थी. तभी थोड़ी देर बाद भाभी अपने बेडरूम से उठकर बाहर आई और उन्होंने मुझसे कहा कि क्यों गौतम अगर तुम्हे कोई दिक्कत ना हो तो तुम आज मेरे साथ मेरे बेड पर ही सो जाओ?

फिर में मन ही मन बहुत खुश होकर उन्हे झट से हाँ कहकर चुपचाप टी.वी. देखने लगा और जब में कुछ देर के बाद उनके रूम में गया तो भाभी वही मेक्सी पहनकर सोई हुई थी जो हमने आज दिन में बाजार से ली थी और वो उस बिल्कुल टाईट मेक्सी में बहुत सेक्सी लग रही थी और में उनके पास में लेट गया. तभी थोड़ी देर बाद उनका एक हाथ मेरी छाती पर था, मुझे तब तक नींद नहीं आ रही थी और मुझे लगा कि वो शायद गहरी नींद में है, लेकिन वो अब मेरी तरफ देखकर मुस्कुराई और में चुप रहा.

तभी उसने मुझसे कहा कि में तुमसे एक बात कहना चाहती हूँ. मैंने कहा कि हाँ कहो और फिर उसने मुझसे कहा कि मेरे पति तुम्हारे भैया ने आज तक मेरे साथ कभी भी सेक्स नहीं किया और यह बात बोलते बोलते वो रोने लगी. फिर में उनके मुहं से यह बात सुनकर बिल्कुल दंग रह गया, में भैया को पहले बहुत अच्छा मानता था, लेकिन मुझे यह बिल्कुल भी नहीं मालूम थी कि वो ऐसा भी होगा. फिर भाभी बोली कि उनके पति ने उनसे कहा है कि हम अभी पांच साल तक इंतज़ार करेंगे और अब उसे रोती हुई देख मैंने उन्हें गले लगा लिया, वो मेरे बालों में हाथ घुमा रही थी.

फिर मैंने उसकी गर्दन पर किस किया, लेकिन वो मुझसे कुछ नहीं बोली और फिर मैंने उनके होंठ पर किस किया और उनकी आखों में देखा तो वो बहुत खुश थी, अब हमने 15 मिनट तक लगातार लिप किस किया और मैंने पास में पड़ी हुई बॉटल में से पानी पिया, तभी भाभी मुझसे बोली कि मुझे भी पानी पीना है. फिर मैंने उन्हे वो बॉटल दे दी, लेकिन वो बोली कि ऐसे नहीं तुम्हारे मुहं से. फिर मैंने थोड़ा पानी पीकर अपने मुहं से उनके मुहं में डाल दिया और यह सब करना मुझे बहुत अच्छा लगा. मैंने उनकी ब्रा को खोल दिया और उनके हल्के गुलाबी निप्पल को चूसने लगा. दोस्तों उनके बूब्स बहुत स्वादिष्ट, मुलायम, बड़े आकार के, एकदम गोल थे.

फिर में अपने एक हाथ से बूब्स को दबा रहा था और दूसरे हाथ से उनकी पेंटी को उतार रहा था तो वो बहुत सेक्सी आवाज़ कर रही थी और वो मुझसे कह रही थी हाँ और ज़ोर से चूसो जान, गौतम में तुमसे बहुत प्यार करती हूँ, प्लीज ज़ोर से सक करो हाँ और ज़ोर से प्लीज. फिर मैंने उनकी चूत में अपनी एक उंगली को डाल दिया और उन्होंने मुझे कसकर पकड़ लिया. दोस्तों मैंने अपनी उंगली को आगे पीछे, अंदर बाहर डालकर महसूस किया कि उनकी चूत बहुत टाईट थी और सच में वो अब तक बिल्कुल वर्जिन थी और उनकी चूत पूरी तरह से गीली थी, लेकिन फिर भी मेरी दो उंगलियाँ आसानी से अंदर नहीं जा रही थी तो मुझे बहुत ज़ोर लगाना पड़ रहा था और उसको बहुत दर्द हो रहा था तो वो ज़ोर ज़ोर से सिसकियाँ ले रही थी और मचल रही थी और में उन्हे अपनी दो उँगलियों से चोद रहा था, अब उनकी सिसकियों की आवाज़ बहुत ज़ोर से आ रही थी और वो मुझसे चुदने की भीख माँग रही थी और वो मुझसे कह रही थी कि प्लीज अब मुझे और मत तड़पाओ, अह्ह्ह्हह्ह प्लीज मुझे अब चोद दो, आईईईईई प्लीज मुझे एक बार अपना वो दे दो. फिर मैंने उनकी यह बात सुनकर उन्हे खींचकर बेड के कॉर्नर पर ले लिया और अब उनकी प्यासी चूत चाटने, चूसने लगा और अपनी जीभ से चोदने लगा.

फिर वो पूरे जोश में आकर मेरा सर उनकी चूत पर दबा रही थी और अब वो बहुत कामुक हो गई थी और मुझे बार बार चोदने को बोल रही थी, लेकिन में उसे तड़पा रहा था, क्योंकि हर काम को करने से पहले उसकी तड़प जितनी ज़्यादा होती है तो मज़ा उतना ही ज़्यादा आता है और फिर हम 69 की पोज़िशन में थे, लेकिन वो करीब दस मिनट में ही झड़ गई. उसकी सुगंध बिल्कुल अच्छी नहीं थी, लेकिन फिर में उसके चूत रस को पी गया और उन्होंने मेरा लंड चूस चूसकर लोहे जैसा बना दिया था और अब मैंने अपना 8 इंच का लंड उनकी चूत के पास रखा और उसकी चूत के मुहं पर धीरे से रगड़ने लगा और वो सिसकियों के साथ मुझसे बहुत भीख माँग रही थी, प्लीज गौतम अब मुझे और मत तड़पाओ, में मर जाउंगी, प्लीज़ मुझे एक बार चोदकर खुश कर दो. फिर मैंने लंड को चूत के अंदर डालने की बहुत कोशिश की, लेकिन लंड आसानी से अंदर नहीं गया और वो मेरे हर बार धक्के से चिकनी चूत के ऊपर से फिसलकर इधर उधर जा रहा था.

तभी उन्होंने मेरा लंड एक हाथ से पकड़कर अपनी चूत के छेद पर पकड़कर रखा और मुझे धक्का देने का इशारा किया और मैंने जब एक और ज़ोर का झटका मारा तो मेरा आधा लंड अब अंदर जा चुका था और वो रो रही थी, आआहह आईईईईइ प्लीज गौतम मुझे बहुत दर्द हो रहा है ऊईईईईई माँ प्लीज अब बाहर निकालो इसे, लेकिन मैंने उनकी एक ना सुनी और एक झटका मारा और मेरा पूरा का पूरा लंड अंदर चला गया था और वो बैहोश हो गई थी.

फिर मैंने उसे किस किया और वैसे ही पांच मिनट लेटा रहा. फिर में उनके बूब्स को सहलाने लगा और धीरे धीरे से दबाने लगा, लेकिन दोस्तों अब मेरे लंड में भी थोड़ा थोड़ा दर्द हो रहा था. फिर कुछ देर बाद जब उसे थोड़ा अच्छा लगने लगा तो मैंने अपनी चुदाई की स्पीड को बढ़ा दिया और वो मेरे साथ चुदाई के मज़े लेने लगी और सारे रूम में उनकी सिसकियों और पच पच की आवाज़ आ रही थी और बीस मिनट के बाद वो झड़ गई और झड़ने के वक्त उन्होंने मेरी पीठ पर इतने नाख़ून मारे कि मुझे बहुत दर्द हो रहा था और में भी तुरंत झड़ गया, वो मेरी इस चुदाई से बहुत खुश थी और उसने मुझे हग किया और कहा कि तुम बहुत अच्छे हो और में तुम्हे बहुत प्यार करती हूँ, तुमने मुझे चोदकर पूरा कर दिया है और तुम बहुत अच्छा चोदते हो, वाह मज़ा आ गया. अब हम इतने थक चुके थे कि कब सो गये और हमे पता ही नहीं maचला. सुबह 6 बजे वो उठी तो मैंने देखा कि उनसे अब ठीक तरह से चला भी नहीं जा रहा था और दिन में 12 बजे तक भैया आने वाले थे. फिर हम साथ में नहाए और एक बार फिर से सेक्स किया और तब से हम रोज़ फोन सेक्स करते है.

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पिंकी चूत वाली दीदी से हुई रात रंगीन

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हैल्लो दोस्तों, दोस्तो मेरा नाम राजेश है. में और मेरी बहन एक दूसरे से हर एक बात में बहुत खुले हुए है और इस कहानी की हिरोईन मेरी किरण दीदी है वो बहुत सेक्सी है और वो हमेशा बहुत सेक्सी कपड़े पहनती है. एक बार वो फोन पर चेटिंग कर रही थी तो मेरे उसके पास जाते ही उसने अचानक से हड़बड़ाकर अपनी चेटिंग को बंद कर दिया और जब मैंने उनसे पूछा कि दीदी आप क्या कर रही हो? तो वो मुझसे बोली कि कुछ नहीं में तो बस ऐसे ही टाईम पास कर रही थी और फिर वो मुझसे पूछने लगी.

दीदी : क्या तेरी कोई गर्लफ्रेंड है?

में : जी नहीं दीदी मेरी कोई भी गर्लफ्रेंड नहीं है.

दीदी : लेकिन ऐसा क्यों?

में : मुझे अब तक कोई मिली ही नहीं.

दीदी : तू कोशिश कर तुझे बहुत जल्दी जरुर वो मिल जाएगी.

दोस्तों दीदी ने उस समय बिना बाहं का टॉप और पेंट पहनी हुई थी, वो उसमे बहुत सेक्सी लग रही थी. फिर सुबह जब में उठा तो मैंने देखा कि दीदी कांच के सामने खड़ी होकर अपने बाल सुखा रही है और वो उस समय सिर्फ़ टावल में है, वो क्या सेक्सी लग रही थी? उनका वो दूध जैसा गोरा बदन, चिकने पैर जिन्हें देखकर मेरा तो लंड ही खड़ा हो गया. में तुरंत बाथरूम में चला गया और मुठ मारकर बाहर आ गया, लेकिन अब मेरे मन में उनके लिए बहुत गलत गलत विचार आने लगे और में अब ना जाने क्या क्या उनके बारे में गलत सोचने लगा.

अगले दिन दीदी नहाने बाथरूम में चली गई तो मैंने दरवाजे के एक छोटे से छेद से अंदर झांककर देखा. दीदी उस समय बिल्कुल नंगी खड़ी थी, उनके क्या मस्त बड़े बड़े झूलते हुए बूब्स थे, जिनको देखकर मेरा लंड एक बार फिर से तनकर खड़ा हो गया और अब में वहीं पर मुठ मारने लगा. फिर मैंने अंदर देखा कि दीदी ने भी अपनी चूत में उंगलियां करनी शुरू कर दी है और थोड़ी देर बाद वो झड़ गई और में भी झड़ गया और अब में हर रोज दीदी को इस तरह बाथरूम के बाहर खड़ा होकर नहाते हुए पूरा नंगा देखने लगा. एक दिन में कमरे में बैठकर टीवी देखा रहा था तो दीदी मेरे पास आकर बैठ गई, वो एकदम सेक्सी माल लग रही थी और फिर हम इधर उधर की बातें करने लगे और अब मैंने थोड़ी हिम्मत करके उनसे कुछ सवाल किए.

में : दीदी क्या आपका कोई बॉयफ्रेंड है?

दीदी : हाँ कुछ समय पहले था, लेकिन अब मेरा उससे ब्रेकअप हो गया है.

में : और अब क्या चल रहा है?

दीदी : मुझे अभी तक कोई और नहीं मिला.

में : दीदी क्या में आपसे एक बात कहूँ, आपको बुरा तो नहीं लगेगा? आपका बॉयफ्रेंड बहुत लकी होगा

दीदी : हाँ कहो, मुझे भी तो पता चले कि तुम्हारे मन में ऐसा क्या सवाल चल रहा है?

में : वो क्या है कि मुझे लगता है कि आपका बॉयफ्रेंड बहुत किस्मत वाला होगा.

दीदी : लेकिन तुम्हे ऐसा क्यो लगा?

में : क्योंकि आप बहुत सुंदर हो इसलिए.

दीदी : में क्या सिर्फ़ सुंदर ही हूँ या मुझमें तुम्हे और कुछ भी दिखता है?

में : जी नहीं, आप जितनी हॉट सेक्सी दिखती हो आप सही में वैसी हो भी.

दीदी : क्यों क्या बात है, आज तुम्हे अपनी दीदी पर बहुत प्यार आ रहा है?

दोस्तों फिर में उनकी तरफ मुस्कुराकर वहां से उठकर दूसरे कमरे में चला गया और उसके कुछ देर बाद हमने साथ में बैठकर खाना खाया और फिर सोने चले गए. दोस्तों दीदी और में हमेशा एक साथ ही सोते है और रात को हमेशा दीदी लोवर पहनकर सोती है.

फिर जब रात को मेरी आँख खुली तो मैंने देखा कि दीदी मेरी तरफ अपना मुहं करके सोई हुई थी और मुझे उनके कपड़ो से बाहर निकलते हुए उनके वो सेक्सी बूब्स दिख रहे थे जिनको देखकर में उनकी तरफ आकर्षित होने लगा और कुछ देर बाद मैंने बहुत हिम्मत करके अपना एक हाथ उनके बूब्स पर रख दिया, लेकिन मेरी गांड अब बहुत फट रही थी कि कहीं दीदी उठ ना जाए और मुझे डांटने ना लगे या मेरा यह गलत काम घर पर सबको बता ना दे तो में उस समय उनको अपने इतने पास और उस अवस्था में देखकर अपने आप को रोक ना सका और में अब धीरे धीरे उनके बूब्स को दबाने लगा, जिसकी वजह से मेरा लंड अब पूरा खड़ा हो चुका था और फिर मैंने उनकी तरफ से किसी भी तरह की हलचल ना देखकर थोड़ी हिम्मत करके और अपना एक हाथ दीदी के टॉप में डाल दिया और अब में उनकी ब्रा के ऊपर से बूब्स को दबाने लगा, वाह दोस्तों में शब्दों में आपको क्या बताऊँ? वो कैसा अहसास था और अब मुझे ऐसा करने में बहुत मज़ा आ रहा था.

तभी अचानक से दीदी थोड़ा हिली और वो अपना मुहं दूसरी तरफ करके सो गई जिसकी वजह से में बहुत डर गया, लेकिन कुछ देर बाद में थोड़ी हिम्मत करके उनके थोड़ा पास सरक गया और मैंने अपना एक हाथ उनके ऊपर रखा और उनके बूब्स को छूने लगा और अब में अच्छा मौका देखकर झट से किरण दीदी से चिपक गया और फिर मेरा लंड दीदी की गांड पर लग रहा था.

में अपने लंड को दीदी की गांड पर धीरे धीरे रगड़ने लगा, लेकिन अब मुझसे रहा नहीं गया और मैंने अपना लंड पेंट से बाहर निकाला और एक बार फिर से दीदी की गांड पर रगड़ने लगा. मुझे ऐसा करने में बहुत मज़ा आ रहा था. अब में ज़ोर ज़ोर से धक्के मारने लगा और में थोड़ी देर में झड़ गया और मुझे कब नींद आई पता ही नहीं चला. फिर में सो गया और में जब सुबह उठा तो मैंने देखा कि दीदी किचन में चाय बना रही है. फिर में भी उनके पर जाकर खड़ा हो गया और फिर हम दोनों पहले तो इधर उधर की बातें करने लगे, लेकिन उसके कुछ देर बाद दीदी मुझसे बोली कि कल पूरी रात मुझे नींद नहीं आई.

में : दीदी, लेकिन ऐसा क्यों?

दीदी : कल रात को एक मोटे चूहे ने मुझे बहुत परेशान किया.

में : क्या दीदी, आप यह क्या कह रही हो, ऐसा कैसे हो सकता है?

दोस्तों में दीदी के उस व्यहवार से अब बहुत अच्छी तरह से समझ गया था और मुझे अब पता चल गया था कि दीदी कल रात सोने का नाटक कर रही थी और वो यह सब बातें घुमा फिराकर मुझसे क्यों कर रही है और इन सब बातों का क्या मतलब है? और अब में भी मज़े लेता गया.

दीदी : मुझे पता नहीं, लेकिन शायद वो कोई बिल ढूंढ रहा था.

में : तो क्या उसे वो बिल मिल गया जिसको वो कल रात ढूंढ रहा था?

दीदी : नहीं यार वो बैचारा कुछ देर मेहनत करने के बाद थककर हार मानकर सो गया.

में : दीदी तो क्या पता आज उसको उसकी किस्मत से वो बिल मिल भी जाए?

दीदी : हाँ देखते है कि उसकी किस्मत कितनी अच्छी है, मुझे उसका क्या पता?

दोस्तों अब में रात होने का इंतजार करने लगा और जब रात को में सोने के लिए कमरे में गया तो मेरी आँखे वो सब देखकर खुली की खुली रह गई क्योंकि आज दीदी ने एक मिनी स्कर्ट और बहुत ढीला सा टॉप पहना हुआ था. उनके कपड़ो और उनकी सुबह की बातों से मुझे साफ साफ पता चल गया कि दीदी भी मुझसे अब क्या चाहती है? मेरी हिम्मत अब बहुत ज्यादा बढ़ चुकी थी और में अब पूरे जोश में था.

फिर जब मैंने देखा कि दीदी सो गई है तो मैंने अपना हाथ दीदी के बूब्स पर रख दिया, लेकिन टॉप के अंदर से कुछ महसूस करके मेरी तो गांड फटकर हाथ में आ गई दोस्तों मैंने महसूस किया कि आज दीदी ने ब्रा नहीं पहनी थी और उनके बूब्स की निप्पल एकदम कड़क थी. मुझे तो यह सब महसूस करके बहुत मज़ा आ रहा था और मेरा लंड अब खड़ा हो चुका था.

अब में बूब्स को दबाने लगा वाह क्या बूब्स थे? दोस्तों मुझे मज़ा ही आ गया और अब में बहुत जोश में था फिर मैंने थोड़ी हिम्मत करके टॉप को पूरा ऊपर कर दिया वाह दोस्तों वो क्या मस्त मदहोश कर देने वाला नज़ारा था. दूध जैसे सफेद बूब्स और उस पर गुलाबी कलर की निप्पल मुझसे अब रहा नहीं गया और मैंने एक बूब्स की निप्पल को मुहं में ले लिया और दूसरे बूब्स को में धीरे धीरे सहलाने, दबाने लगा.

फिर मैंने सुना कि दीदी के मुहं से सिसकियाँ निकल गई जिसको सुनकर में समझ गया कि दीदी नींद में नहीं बल्कि वो सिर्फ अपनी दोनों आखें बंद करके सोने का नाटक कर रही है और मेरे साथ साथ पूरे पूरे मज़े ले रही है. अब में ज़ोर ज़ोर से एक बूब्स के निप्पल को चूसता रहा और दूसरे बूब्स को ज़ोर ज़ोर से दबाता.

अब मैंने कुछ देर बाद महसूस किया कि में और दीदी हम दोनों बहुत जोश में आ गये करीब 15 मिनट तक निप्पल को चूसने, निचोड़ने, दबाने और रगड़ने के बाद में अपना हाथ नीचे ले गया और मैंने किरण दीदी की स्कर्ट को ऊपर किया और जैसे ही मैंने अपना हाथ अंदर डाला तो मेरी गांड एक बार फिर से फट गई. में वो सब महसूस करके एकदम चकित रहा गया क्योंकि मैंने महसूस किया कि किरण दीदी ने पेंटी भी नहीं पहनी थी और मेरा हाथ सीधा उनकी नंगी चूत पर जा लगा जो जोश में आकर बहुत गीली हो गई थी.

फिर में अपनी एक उंगली उनकी चूत में अंदर बाहर करने लगा और अब मैंने उनकी स्कर्ट को उतार दिया और उनके टॉप को भी उतारकर उनसे बिल्कुल दूर किया और अब वो मेरे सामने बिल्कुल नंगी थी. फिर मैंने उनकी दोनों जांघो को फैला दिया वाह दोस्तों उनकी क्या मस्त कामुक चूत थी बिल्कुल चिकनी और उस पर एक भी बाल नहीं था.

उसको देखकर मुझसे अब रहा नहीं गया और मैंने अपना मुहं उनकी चूत पर रख दिया और फिर में पागलों की तरह उनकी गरम गीली चूत को चूसने लगा और अपनी जीभ को अंदर बाहर करने लगा. 15 मिनट चूसने, चाटने के बाद मैंने दीदी के पैरों को पूरा फैला दिया और अपना लंड किरण दीदी की चूत पर रखा और एक ही ज़ोर के झटके में पूरा का पूरा लंड अंदर डाल दिया.

दीदी के मुहं से बहुत ज़ोर की चीख निकली और वो दर्द से छटपटाने लगी. अब मैंने ज़ोर ज़ोर से धक्के मारना चालू कर दिया और अब दीदी भी अपनी गांड को उठा उठाकर मुझसे चुदवा रही थी. फिर में तेज़ तेज़ धक्के मार रहा था और फिर में और दीदी करीब बीस मिनट की धमाकेदार चुदाई के बाद एक साथ झड़ गये और सो गए. दोस्तों यह थी मेरी दीदी के साथ मेरी पहली चुदाई की कहानी जिसमे मैंने उनको पहली बार चोदा, लेकिन उसके बाद मैंने उन्हें बहुत बार चोदा और हमारी यह चुदाई ऐसे ही लगातार दिन रात आगे बढ़ती गई और अब हम दोनों बहुत खुलकर मस्ती से चुदाई करने लगे है.

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माँ को सिर्फ लंड से मतलब था

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हैल्लो दोस्तों, मेरा नाम विक्रम है और आज में एक बार फिर से आप सभी लोगों के लिए अपनी एक और सच्ची कहानी लेकर आया हूँ जिसमे एक बार फिर से मेरी चुदक्कड़ माँ मेरे एक दोस्त से चुदी और उसके साथ बहुत मज़े किए. अब में वो सब कुछ थोड़ा विस्तार से आप सभी लोगो को बता देता हूँ. दोस्तों यह कहानी मेरी माँ और मेरे एक दोस्त की है. मेरा दोस्त मुझसे मिला और फिर वो मेरे मुलाकात करवाने पर मेरी माँ से भी मिला और फिर उसने मेरी माँ से बहुत ही कम समय में दोस्ती कर ली, में अब अपने दोस्त के बारे में भी बता देता हूँ. उसका नाम आशीष है वो दिल्ली से है और उसकी हाईट 5.11 गोरा रंग, दिखने में अच्छा शरीर और लंड का साईज़ 6.5 है. दोस्तों मेरी माँ का नाम सपना है और हम एक मध्यम वर्ग परिवार से है और में फरीदाबाद में रहता हूँ. मेरे घर पर में मेरी मम्मी, पापा है. मेरे पापा का अपना काम है इसलिए में कभी काम पर पापा के साथ तो कभी मस्ती, बस यही मेरा काम है.

में अपने दोस्त आशीष से मिला और हम अच्छे दोस्त बन गये. वो मुझसे एक बार मिला भी फिर एक दिन में उसे अपने साथ घर लेकर आ गया. आशीष को मेरी माँ को बुरी तरह से चोदना था, वो चाहता था कि उसकी चूत को फाड़ दे. फिर मैंने उसे अपनी माँ से मिलवाया और उनसे कहा कि यह मेरा दोस्त है आशीष है, उनके बीच हाय हैल्लो हुई और माँ ने हमारे लिए चाय बनाई और हम सभी ने चाय पी. और फिर कुछ देर बाद में माँ और आशीष से यह बात बोलकर वहां से उठकर बाहर चला गया कि में अभी आता हूँ, मुझे एक कॉल करना है और अब में बाहर आ गया.

आशीष और मेरी माँ अब अंदर ही बैठे हुए इधर उधर की बातें कर रहे थे और थोड़ी देर बाद में भी अंदर चला गया उसके बाद हम दोनों मेरे घर से बाहर निकल गये मैंने बाहर आने के बाद आशीष से पूछा कि तुम्हारी क्या क्या बात हुई? तो आशीष बोला कि कुछ नहीं, बस ऐसे ही उन्होंने मुझसे पूछा कि तुम क्या करते हो कहाँ के रहने वाले हो यह सब? दोस्तों उसके बाद आशीष कभी भी मेरे साथ मेरे घर पर आ जाता था.

दोस्तों 6 जून को मेरी माँ का जन्मदिन था तो मैंने इस बात को आशीष को भी बता दिया था कि माँ का जन्मदिन है और उस समय मेरे पापा भी कुछ दिनों के लिए मेरे घर से बाहर गये हुए थे और फिर मैंने आशीष को बता दिया कि यह तेरे लिए एकदम सही टाइम है उसने मेरी बात को एक बार कहते ही तुरंत मान लिया और अब तक मेरी माँ और आशीष की बहुत अच्छी बनने लगी थी. 6 जून को आशीष मेरे घर पर आ गया. दोस्तों उस समय मेरे घर पर कोई भी नहीं था और में भी अपनी माँ से झूठा बहाना बनाकर बाहर चला गया था. फिर आशीष ने दरवाजे पर लगी घंटी को बजा दिया तो माँ ने दरवाजा खोलकर कहा अरे आशीष बेटा कैसे हो तुम?

आशीष : हाँ में एकदम ठीक हूँ आंटी और आप कैसे हो? आपको अपना जन्मदिन मुबारक हो आंटी.

माँ : धन्यवाद बेटा, लेकिन आपको कैसे पता चला कि मेरा आज जन्मदिन है और इस समय तो विक्रम भी घर पर नहीं ही है.

आशीष : आंटी आप यह सब मुझे अंदर बुलाकर भी पूछ सहकते हो.

माँ : अरे मुझे माफ़ करना बेटा, आ जाओ अंदर.

अब आशीष अंदर आ गया और फिर उसने बताया कि विक्रम ने कुछ दिन पहले ही बातों ही बातों में उसे बता दिया था कि 6 जून को आपका जन्मदिन है. तो माँ ने बोला कि उसे तो याद भी है, लेकिन उसके पापा ने तो आपको बधाई भी नहीं दी और ना मुझे एक बार भी फोन किया. दोस्तों आशीष के हाथ में एक केक और गिफ्ट भी था और उसने वह माँ को दे दिया और बोला कि आंटी केक कट करो. उसके बाद आप अपना यह गिफ्ट खोलकर देखना. दोस्तों आशीष के मुहं से यह सभी शब्द सुनकर मेरा माँ थोड़ी सी उदास हो गयी और उनकी आँख में हल्के से आंसू आ गये और वो कहने लगी कि बेटा आज तक मेरा जन्मदिन कभी किसी ने नहीं मनाया.

दोस्तों यह सब बातें मैंने ही आशीष को बताई थी तो उसने बोला कि कोई बात नहीं आंटी आप आज मना लो, में हूँ ना आपके साथ, आपको खुश करने के लिए. अब माँ ना तुरंत आशीष को हग कर लिया और फिर आशीष और माँ ने वो केक काट लिया और आशीष को खिला दिया और आशीष ने माँ को खिला दिया. अब आशीष ने बचा हुआ पूरा केक मेरी माँ के चेहरे पर लगा दिया और माँ भी आशीष को लगाने लगी और ऐसे करते करते उन दोनों ने एक दूसरे को बहुत सारा केक लगा दिया, जिसकी वजह से उन दोनों के कपड़े, चेहरा, बाल सब जगह केक लग गया.

फिर आशीष ने मेरी मम्मी को अपना वो गिफ्ट दिया और उसमे एक सुंदर सी ड्रेस थी. माँ ने उसे खोलकर देखा और वो बोली कि वाह यह तो बहुत अच्छी है. तो आशीष ने कहा कि तो आंटी अब आप इसे एक बार पहनकर भी देखो ना, माँ बोली कि क्या अभी? आशीष ने बोला कि हाँ आंटी यह कपड़े तो आपके सारे केक में खराब हो गये है तो नहाना तो अब आपको पड़ेगा, नहाकर चेंज कर लो.

अब मेरी माँ ने ठीक है कह दिया और दोस्तों आप सभी लोग मेरी माँ को तो बहुत अच्छी तरह से जानते ही हो कि वो कैसी है? उसे तो बस कोई अच्छा मौका चाहिए, माँ तुरंत बोली कि ठीक है में अभी आती हूँ, तुम तब तक बैठो. अब आशीष लिविंग रूम में बैठा हुआ था और उसे जब लगा कि माँ अंदर बाथरूम में चली गयी है तो उसने सोचा कि अब माँ के रूम में जाकर बैठ जाता हूँ और वो रूम में चला गया और माँ के बाथरुम के पास चला गया और मेरी माँ ने ऐसे ही दरवाजा बंद तो कर दिया, लेकिन पूरा बंद नहीं किया आशीष ने ऐसे ही हल्का सा चेक करने के लिए अपना एक हाथ लगाया तो वो खुल गया उसने देखा कि मेरी माँ ब्रा और पेंटी में नहा रही थी आशीष ने तुरंत दरवाजा पूरा खोल दिया और उसके अपने सारे कपड़े बाहर ही उतारकर वो खुद भी बाथरूम के अंदर चला आ गया. तो माँ उसे अचानक से देखकर बिल्कुल चकित हो गई या फिर होने का नाटक करने लगी और वो बोली कि अरे बेटा आप यहाँ पर कैसे? में नहा रही हूँ.

आशीष बोला कि अरे आंटी वो मुझे भी केक लगा है तो इसलिए मैंने सोचा कि आपके साथ में भी नहा लेता हूँ, प्लीज आप थोड़ा मुझे भी साफ कर दो ना. दोस्तों मेरी माँ को तो ऐसा ही मौका चाहिए होता है माँ ने झट से कहा कि अच्छा लाओ में कर देती हूँ और अब माँ उसके साथ नहाने लगी और उसके शरीर पर हाथ लगाने लगी और अब हाथ लगते लगते आशीष का लंड तनकर खड़ा हो गया. उस पर माँ की नज़र चली गई और माँ ने अपना एक हाथ उसके लंड के पास लाकर उससे पूछा कि तुमने अंदर यह क्या छुपा रखा है, यह क्या मेरे लिए कोई और गिफ्ट है? तो आशीष बोला कि हाँ आंटी यह आपके लिए सबसे अच्छा गिफ्ट है, अब माँ ने मुस्कुराते हुए कहा कि अच्छा तो मुझे यह गिफ्ट भी दो ना.

फिर आशीष ने झट से अपना अंडरवियर उतार दिया और माँ उसके लंड को देखकर बहुत खुश हो गयी और उसका लंड करीब 6.5 इंच का था. अब माँ ने उसे हाथ में ले लिया और हिलाने लगी. आशीष ने भी माँ की ब्रा पेंटी को उतार दिया और अब वो भी मेरी माँ की चूत पर हाथ लगने लगा जिसकी वजह से माँ उम्म्म उफ्फ्फ्फ़ कर रही थी. अब आशीष ने माँ को किस करना शुरू कर दिया और फिर माँ के बूब्स को दबाने लगा और चूसने लगा. फिर थोड़ी देर में वो दोनों नहाकर बाथरूम से बाहर आ गये, लेकिन वो दोनों पूरे नंगे ही बाहर आ गए तो आशीष ने बोला कि आंटी यह आपका शरीर बिना कुछ पहने बहुत अच्छा लगता है और उसने माँ को बेड पर लेटा दिया और वो उनके ऊपर आ गया. वह माँ को किस करने लगा और माँ के बूब्स को चूसने लगा, वो दोनों बिल्कुल मदहोश हो गये.

अब आशीष ने मौका देखकर माँ की चूत में अपनी जीभ को डालकर वो चूत के दाने को चूसने लगा जिसकी वजह से माँ मचल गई और कुछ देर चूसने के बाद आशीष ने अपना लंड माँ के मुहं की तरफ कर दिया और अब माँ भी उसका लंड अपने मुहं में लेकर चूसने लगी और कुछ देर चूसने चाटने के बाद वो दोनों अपनी चरम सीमा तक पहुंच गये थे और फिर वो दोनों एक दूसरे के मुहं में झड़ गए और एक दूसरे का रस चाटकर चूसकर वो दोनों कुछ देर बाद बिल्कुल सीधा होकर लेट गए.

तभी थोड़ी देर बाद आशीष ने माँ का एक हाथ अपने लंड पर रख दिया और माँ उसे मसलने लगी और फिर आशीष ने दोबारा जब उसका लंड खड़ा हुआ तो उसने अपना लंड माँ के मुहं में डाल दिया और माँ लंड को चूसने लगी. अब तक उसके लंड का आकार बहुत बड़ चुका था. फिर आशीष ने अपनी पेंट से एक कंडोम बाहर निकाला और माँ को उसे अपने लंड पर लगाने को कह दिया और माँ ने उसके लंड पर उस कंडोम को तुरंत लगा दिया. अब आशीष अपने लंड को माँ की चूत पर लगाकर धीरे धीरे रगड़ने लगा और कुछ देर बाद माँ गरम होकर बोलने लगी कि प्लीज अब इसे मेरी प्यासी चूत के अंदर डाल दो प्लीज आशीष. फिर आशीष ने एक ज़ोर का झटका दे दिया और लंड माँ की चूत में चला गया और माँ ज़ोर से चिल्ला गई, क्योंकि पूरा लंड एकदम से गया था तो माँ बोली कि थोड़ा आराम से आईईईई क्या आज तू मुझे मारेगा क्या?

अब आशीष बोला कि आंटी आज ज़ोर ज़ोर से ही करने में मज़ा आएगा और आज आपको गिफ्ट देना है और वो स्पीड में करने लगा. फिर माँ बोली उफ्फ्फफ्फ्फ़ आह्ह्हह्ह प्लीज आशीष थोड़ा आराम आराम से कर बेटा, आराम से ऊईईईईइ माँ मर गई. अब आशीष कहने लगा कि चुपकर साली बस मज़े ले और फिर उसके अपनी स्पीड को और भी बड़ा दिया. फिर कुछ देर में करीब 12- 20 मिनट के बाद आशीष झड़ गया और वो माँ के ऊपर ही थककर लेट गया. दोस्तों उसने मेरी माँ को कपड़े पहनाकर फिर से उतारकर दोबारा चोदा और उसकी गांड भी मारी. उस दिन पूरे दिन उसने मेरी माँ को बहुत मज़े लेकर चोदा.

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जवानी से भरपूर दीदी की तड़पती चूत

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हैल्लो दोस्तों, आप सभी चाहने वालों को मेरी तरफ से धन्यवाद, क्योंकि आप लोगों की वजह से हम जैसे लोगों को अपने मन की बात को कहने का मौका मिलता है और लोग उसे अपना कीमती समय निकालकर हमे अपना समय देते है और आज में आप सभी लोगों के सामने अपनी एक सच्ची, लेकिन पहली घटना बताने जा रहा हूँ और में उम्मीद करता हूँ कि जिसको पढ़कर आप सभी को बहुत मज़ा आएगा. अब में अपने बारे में बताते हुए अपनी आज की कहानी पर आता हूँ.

दोस्तों मेरा नाम आकाश पाटिल और में पुणे शहर में रहता हूँ, मेरी उम्र 25 साल और में दिखने में बहुत अच्छा लगता हूँ. मेरे परिवार में चार सदस्य है. में, मम्मी पापा और एक मेरी बड़ी बहन और में हमेशा अपनी बहन को दीदी कहकर बुलाता हूँ और इसके अलावा में उसे किसी और घर के नाम से नहीं पुकारता हूँ, हम दोनों भाई बहन की उम्र में सिर्फ दो साल का अंतर है. मैंने अभी पिछले साल अपनी इंजिनियरिंग की पढ़ाई पूरी करने के बाद में अब एक मल्टिनेशनल कंपनी में नौकरी कर रहा हूँ और मेरी दीदी भी पिछले कुछ सालों से एक बहुत बड़ी प्राईवेट कम्पनी में नौकरी करती है.

दोस्तों मुझे शुरू से ही सेक्स कहानियाँ पढ़ना बहुत अच्छा लगता है और जिनको पढ़कर मुझे बहुत मज़ा आता है और मुझे बचपन से ही सेक्स करने में बहुत रूचि है. दोस्तों मेरे घर में तीन कमरे है, नीचे मम्मी, पापा का बेडरूम है और ऊपर मेरा और मेरी दीदी का. हमारे पूरे घर में सिर्फ दीदी के रूम में इंटरनेट था और में हमेशा सोचता रहता था कि क्या वो भी इंटरनेट पर कुछ ऐसा देखती होगी? तब मैंने एक प्लान बनाया कि में उनके लेपटॉप पर इंटरनेट की हिस्टरी चेक करूं, वो शायद गुरुवार का दिन था और दीदी के नौकरी के लिए निकलने के बाद में उसके कमरे में चला गया और में उनका लेपटॉप चालू करके इंटरनेट ब्राउज़िंग की हिस्टरी देखने लगा, लेकिन अफ़सोस मेरे देखने से पहले ही पूरी हिस्टरी डिलीट थी. इसका मतलब यह था कि दीदी ने अपने लेपटॉप पर नोट सेव इंटरनेट हिस्टरी किया हुआ था और मेरा वो पूरा दिन ऐसे ही चला गया था, मेरे हाथ कुछ ऐसा ख़ास नहीं लगा था.

फिर दूसरे दिन शुक्रवार को फिर मैंने लेपटॉप को चेक करने की कोशिश की, लेकिन उस दिन भी मुझे ब्राउज़िंग हिस्टरी में कुछ भी नहीं मिला और ना ही लेपटॉप में. फिर अचानक मुझे एक विचार आया जिससे मेरी तो पूरी जिंदगी ही बदल गई. मैंने ब्राउज़र की सेटिंग में दीदी का गूगल अकाउंट का पासवर्ड सेव था तो वो देखा. दीदी का गूगल लॉग इन करने के बाद में उसकी गूगल सर्च हिस्टरी देखने लगा और उसे देखने के बाद में तो जैसे बिल्कुल पागल ही हो गया. मैंने देखा कि मेरी दीदी बहुत सारा पोर्न देखती थी और और तब मैंने एक बात पर गौर किया कि दीदी ज़्यादातर सेक्स के बारे में सभी शनिवार रात को ही देखती है.

फिर मैंने लेपटॉप को बंद किया और मेरे रूम में आकर सोचने लगा कि आज शुक्रवार है और दीदी कल रात कुछ ना कुछ तो जरुर करेगी और अब मुझे वो कैसे भी देखना था. फिर मैंने एक प्लान बनाया, दीदी और मेरे रूम में हवा बाहर जाने के लिए एक छोटी सी खिड़की थी और आने वाले कल के बारे में सोच सोचकर मैंने शुक्रवार रात को दो बार अपना लंड हिलाया और फिर शनिवार को दीदी शाम को अपने ऑफिस से ठीक समय पर घर आ गई और रात को खाना खाने के बाद मैंने उसको पूछा.

में : दीदी क्यों तू रात को कितने बजे सोती है?

दीदी : क्यों रे तुझे लेपटॉप पर ऐसा क्या करना है?

में : वो मुझे रात को 12.30 के बाद तुम्हारे लेपटॉप पर इंटरनेट से कुछ काम करना था और वो मुझे मेरे एक दोस्त से चेटिंग करना था इसलिए.

फिर दीदी ने थोड़ा सोचकर बोला कि ठीक है में 12.30 तक अपना सभी काम ख़त्म करती हूँ और फिर तुम्हें एक मिस कॉल दे दूँगी. अब में अपने बेडरूम में आ गया और करीब 10-15 मिनट के बाद मैंने मेरे रूम की लाईट को बंद कर दिया और मैंने अपनी पढ़ाई करने की टेबल पर एक कुर्सी रखी और अब उस खिड़की से पास वाले कमरे के अंदर देखने लगा. मैंने देखा कि करीब 10.30 बजे दीदी ने अपने लेपटॉप को चालू किया और फिर उसने अपने कान में हेडफोन्स लगाए और अब वीडियो गाने देखने लगी. में अब बहुत परेशान हुआ जा रहा था और मन ही मन सोच रहा था कि क्या दीदी आज कुछ करेगी भी या नहीं?

तभी कुछ देर बाद दीदी ने अपने कानों से हेडफोन्स को बाहर निकाला और फिर कांच के सामने आ गई और वो अब एक एक करके अपने कपड़े उतारने लगी, मुझे वो सब कुछ एकदम साफ साफ दिख रहा था. दोस्तों अब मुझे अपनी आखों पर बिल्कुल भी विश्वास नहीं हो रहा था कि मेरी दीदी अब मेरे सामने उस हालत में नंगी खड़ी हुई थी. अब मेरा लंड वो सब देखकर धीरे धीरे झटके देकर खड़ा होने लगा था, उसने अब अपने पूरे कपड़े उतार दिए और अब वो कांच के सामने पेंटी में खड़ी हुई थी और उसके वो बड़े बड़े बूब्स देखने के बाद मेरे तो लंड से पानी निकलना शुरू हो गया.

फिर उसने कपबोर्ड में से एक शॉर्ट जो कि सिर्फ़ जांघो तक ही था और एक बिना बाँह की टी-शर्ट बाहर निकाली और उसे पहन लिया और फिर चलकर लेपटॉप की तरफ आ गई और उसमें कोई सेक्सी विडियो ढूंढने लगी और फिर दीदी ने एक लेस्बियन वीडियो लगाया और अपने कानों में दोबारा हेडफोन्स लगाकर उसे देखने लगी. दोस्तों मुझे तो वो सब देखकर मज़ा ही आ गया, क्योंकि अब ठीक मेरे सामने मेरी हॉट, सेक्सी बहन थी और में उस सीन को देख देखकर मज़े ले रहा था.

फिर कुछ देर बाद मेरी दीदी ने जोश में आकर अपनी चूत में ऊँगली करना शुरू कर दिया और थोड़ी देर के बाद दीदी ने अपने बूब्स को भी दबाना, मसलना शुरू किया. मैंने भी यह सब देखकर अपना लंड बाहर निकाला और हिलाने लगा. उसने दोनों पैर टेबल पर रखे और शॉर्ट और पेंटी को उतारा और अब वो अपनी चूत के साथ बहुत मज़े से खेलने लगी, वो अपने एक हाथ से अपने बूब्स दबा रही थी और अपने दूसरे हाथ से चूत को ज़ोर ज़ोर से रगड़ रही थी.

दोस्तों उस सीन को देखकर इतना गरम हुआ था कि में क्या बताऊँ? आप उसके बारे में सोच भी नहीं सकते है कि अपनी बहन को अपनी चूत में उंगली करते देखकर कितना हॉट महसूस होता होगा? फिर थोड़ी देर के बाद दीदी झड़ गयी और बिल्कुल ठंडी हो गई. मैंने देखा कि उसके चेहरे पर एक संतुष्टि की चमक थी, लेकिन में अभी तक भी अपना लंड लगातार हिला रहा था. फिर में कुर्सी से नीचे उतरा और अब बेड पर बैठकर ज़ोर ज़ोर से अपना लंड हिलाकर कुछ देर बाद बिल्कुल शांत हुआ.

फिर मैंने समय देखा तो 12:15 बज चुके थे. फिर में फ्रेश हुआ और पर्फ्यूम लगाकर तैयार हुआ तो तभी दीदी का मेरे मोबाईल पर एक कॉल आया और वो मुझसे बोली दस मिनट के बाद मेरे रूम पर आ जाना.

मैंने उससे कहा कि ठीक है और अब मुझे देखना था कि वो इस दस मिनट में ऐसा क्या करती है, इसलिए में एक बार फिर से वेंटिलेटर से पास वाले कमरे में देखने लगा, जब तक दीदी ने अपना नाईट गाऊन पहना था और वो भी उसके शरीर पर बॉडी स्प्रे मार रही थी और तभी मुझे थोड़ा सा शक हुआ कि दीदी भी मुझे अपनी तरफ आकर्षित करना चाहती थी, लेकिन तभी उसने अचानक अपने गाऊन को उतारा और फिर ब्रा को भी उतार दिया और उसे लेपटॉप के पास रखा और वापस गाऊन पहन लिया और अब मेरे समझ में पूरी तरह से आ गया कि वो मुझे अपने गदराए बदन को दिखाकर अपनी तरफ आकर्षित करना चाहती थी और में उसकी इस हरकत को देखकर समझ सकता था कि उसने अभी थोड़ी ही देर पहले अपनी चूत में उंगली की थी और वो अभी तक पूरी तरह से शांत नहीं हुई थी और वो अपने आप को अंदर ही अंदर जोश से भरा हुआ महसूस कर रही थी.

फिर मैंने भी दीदी के बेडरूम में जाने से पहले अपनी टी-शर्ट को उतार दिया और जानबूझ कर सिर्फ़ शॉर्ट पहना. फिर मैंने दरवाजे को खटखटाया. फिर दीदी ने दरवाजा खोला और वो अब मेरे चेस्ट को कुछ ज्यादा ही घूर रही थी और में उसके होठों को, उसने शायद लिपस्टिक भी लगाई थी, वो दिखने में एकदम सुंदर परी जैसी लग रही थी.

फिर में अंदर आया और मैंने दरवाजा बंद किया और लेपटॉप पर बैठा, थोड़ी देर बाद मैंने दीदी से बोला कि वो मेरे दोस्त का मैल आया है कि वो किसी वजह से मुझसे आज चेट नहीं कर सकता. फिर हम दोनों बैठकर बातें कर रहे तो तभी अचानक मुझे दीदी का मोबाईल लेपटॉप के पास रखा हुआ दिखा तो मैंने जैसे ही उसे उठाया तो दीदी आई और अब वो मुझसे जबरदस्ती अपना मोबाईल लेने की कोशिश करने लगी, लेकिन में भी जानबूझ कर नहीं दे रहा था और इसलिए उसने मेरे चेस्ट पर ज़ोर से चिकोटी काटी और फिर में उससे बोला.

में : एक शर्त पर दूँगा?

दीदी : वो क्या?

में : तुम आज मुझे इधर ही सोने दोगी.

दीदी : ( वो कुछ देर थोड़ा सोचकर बोली ) हाँ ठीक है सो जाना.

फिर मैंने उसको वो मोबाईल दे दिया, तभी दीदी ने उस ब्रा को उठाया जो टेबल पर रखी हुई थी और अब उसे कपबोर्ड में रखा. फिर उसने मुझसे बोला कि लाईट को बंद कर दे और बेड पर आजा और अब दोस्तों हम दोनों एक ही बेड पर थे और मुझे मन ही मन बहुत अच्छा लगा, लेकिन अब तो बस यह देखना था कि हम दोनों में से शुरुआत कौन करता है? और में इस उम्मीद में था कि दीदी ही पहले थोड़ा आगे बढ़े.

दीदी : वाह तुम्हारे पर्फ्यूम की खुशबू बहुत अच्छी है.

में : धन्यवाद दीदी.

दीदी : लेकिन तुमने शर्ट क्यों नहीं पहनी.

में : वो में रात को सोते वक़्त कभी कभी कुछ नहीं पहनता हूँ.

दीदी : कुछ भी नहीं से तुम्हारा क्या मतलब?

फिर हम दोनों वो बात सुनकर ज़ोर ज़ोर से हंसने लगे.

में : दीदी क्या में एक बात पूछ सकता हूँ?

दीदी : हाँ जरुर पूछ ना बेटा.

में : दीदी तुम्हारा बॉयफ्रेंड कौन है और मोबाईल क्यों छुपा रही थी?

दीदी : नहीं, मेरा कोई भी बॉयफ्रेंड नहीं है.

में : ऐसा क्यों?

दीदी : क्या तू बिल्कुल पागल है?

में : झूट मत बोलो दीदी. फिर तब तुमने मुझे इतने ज़ोर से पिंच क्यों किया? उसकी वजह से मुझे अपने सीने पर अब तक कितना दर्द हो रहा है?

दीदी : वो तो ऐसे ही मजाक में रे. ( फिर दीदी मुस्कुराते हुए मेरी नंगी छाती पर अपने एक हाथ से धीरे धीरे से सहलाने लगी. )

में : अच्छा चलो ठीक है, लेकिन मैंने तो सुना है कि लड़की हमेशा उनके बॉयफ्रेंड को ही किस करती है और में यह बात भी बहुत अच्छी तरह से जानता हूँ कि तुम आज मेरे साथ ऐसा नहीं करोगी.

दीदी : मैंने बचपन में तुझे हज़ार बार किस किए है.

में : अच्छा यह बताओ कि कहाँ कहाँ किए थे, बोलो ना सिर्फ़ मेरे गाल पर ही या?

दीदी : तुम्हारे इस या का क्या मतलब?

में : या मेरे होंठो पर भी.

दीदी : चुप, हाँ तुम अब बहुत बदमाश हो गये हो.

में : प्लीज बोलो ना दीदी.

दीदी : अरे बाबा वो बचपन की बातें है और हाँ मैंने सब जगह किए थे गाल पर, गर्दन पर और होंठो पर भी, लेकिन वो सब मैंने बचपन में किया था.

दोस्तों अब तक दीदी पूरी गरम हो गयी थी और मेरी छाती से खेलते खेलते वो अब मेरे निप्पल को भी छू रही थी और उस पर भी अपने हाथ से सहला रही थी.

में : ठीक है अब में बड़ा हुआ हूँ है ना तो कम से कम गाल पर तो किस कर सकती हो ना?

दीदी : हाँ कर सकती हूँ, लेकिन.

में : लेकिन क्या दीदी?

दीदी : कुछ नहीं बस तुम यह बात किसी को बताना मत.

में : हाँ ठीक है दीदी, जल्दी से मुझे मेरे गालों पर गर्दन पर किस करो.

दोस्तों तब उस कमरे में पूरा अंधेरा था और दीदी का वो मुलायम हाथ मेरे निप्पल को सहला रहा था. फिर कुछ देर बाद दीदी थोड़ी उठी और अब वो मेरी छाती पर हाथ रखकर गाल पर किस करने लगी और जैसे ही उसके होंठ मेरे करीब आए तो मैंने तुरंत अपना मुहं घुमा दिया और उन होंठो को चूमने लगा और मुझे बहुत अच्छा महसूस हो रहा था, क्योंकि यह किस मेरा पहला किस था और वो भी मेरी हॉट सेक्सी बहन के साथ और में उस किस के बहुत मज़े ले रहा था, दीदी का हाथ मेरे गाल पर था और वो मेरे गालों को सहला रही थी. फिर मैंने उसके बालों में अपनी उंगलियां डालकर सहलाते हुए में अब उसके ऊपर आ गया और करीब 20-25 सेकिण्ड के बाद दीदी ने अपना वो स्मूच थोड़ा और वो मुझसे कहने लगी कि यह सब ठीक नहीं है और मुझे डांटने लगी.

फिर मैंने अपने मुहं पर एक ऊँगली रखकर सिर्फ़ सस्शह कहा और फिर शायद कुछ बातें बोली जो कि आज मुझे ठीक से याद नहीं आती कि मैंने क्या कहा? लेकिन हाँ यह जरुर याद है कि ठीक उसके बाद हमारा वो खेल शुरू हुआ. अब में दीदी के ठीक ऊपर था, दीदी ने अंदर ब्रा नहीं पहनी हुई थी तो इसलिए उसके टाईट निप्पल मेरी नंगी चेस्ट को लग रहे थे और में अपना टाईट लंड उसकी जांघो पर रगड़ रहा था. फिर दीदी ने मुझे नीचे लेटाया और अब वो मेरे ऊपर आ गई और तुरंत उसने मेरा एक हाथ पकड़ा और उसके बूब्स पर रख दिया और उसके आगे का काम में खुद जानता था.

दोस्तों मैंने अब उन दोनों तरबूज के आकार के बड़े बड़े बूब्स को ज़ोर ज़ोर से दबाना शुरू किया. दीदी ने फिर से किसिंग शुरू की, लेकिन अब की बार दीदी एकदम धीरे धीरे किसिंग करना चाहती थी, पहले मेरे ऊपर के होंठो को चूसा और फिर नीचे के. मेरी साँसे बहुत तेज़ हो रही थी और फिर उसने अपनी जीभ को बाहर निकाल लिया और मेरे मुहं के अंदर डाल दिया. अब मैंने भी पूरा पूरा साथ दिया और करीब दस मिनट तक हमारा स्मूच ऐसे ही चलता रहा.

फिर मैंने दीदी का एक हाथ पकड़ा और अपने लंड पर रख दिया और दीदी ने सारे कंट्रोल्स उसके हाथ में ले लिए और वो मेरे ऊपर बैठ गई और मेरा पूरा बदन चाटने लगी और वो मेरे निप्पल जब चाट रही थी तब में अपने लंड को उसकी गांड में दबा रहा था. फिर वो धीरे से नीचे नीचे आ गई और उसने मेरी शॉर्ट और अंडरवियर को उतार दिया, मेरा लंड थोड़ा सा गीला हो गया था, दीदी ने अब लंड को हाथ में लिया और दबाने लगी. फिर मैंने धीरे से उससे बोला कि मेरा लंड सक करो मेरी जान.

दीदी मेरे मुहं से यह बात सुनकर थोड़ा सा हंसी और फिर उसने मेरा लंड अपने मुहं में ले लिया और चूसने लगी, मुझे अब बहुत अच्छा महसूस हो रहा था और यह पहली बार था जब कोई मेरा लंड चूस रहा था तो में उस अहसास को शब्दों में नहीं बता सकता, क्योंकि वो बहुत धीरे से मुझे पूरा मज़ा देकर मेरा लंड चूस रही थी और उसके कुछ देर चूसने के बाद जब में झड़ने वाला था तो मैंने उसका मुहं हटाया और पास में अपना सारा वीर्य गिरा दिया. दोस्तों अब में ऊपर और दीदी मेरे नीचे. मैंने उसके पूरे कपड़े उतारे और बूब्स को दबाए, निप्पल चूसे तो वो आवाज़े निकाल रही थी, उम्म्म्मम आआअहह उूुउउम्म्म्ममम ह्म्‍म्म्ममम.

अब दीदी कुछ ऐसा बोली कि वो सुनकर मेरा लंड एक बार फिर से खड़ा हो गया. दीदी मुझसे बोली कि आकाश प्लीज अब तुम भी मेरी चूत को चाटो, अपनी जीभ से मेरी चूत में आअहह आअहह उम्म्म्म. फिर मैंने भी तुरंत अपनी जीभ से अपनी बहन की चूत को चाटना, चूसना शुरू किया और में अपनी उंगली को भी लगातार अंदर बाहर करके चूत को चोद रहा था और अब तक मेरा लंड पूरा टाईट हो चुका था.

फिर मैंने दीदी की गांड के नीचे एक तकिया रख दिया, जिसकी वजह से वो गुलाबी चूत थोड़ा ऊपर उठकर पूरी तरह से खुल गई थी और अब में अपना लंड उसकी चूत के मुहं पर रगड़ने लगा और जिससे मेरी बहन तो बिल्कुल पागल हुई जा रही थी. फिर मैंने ज़ोर का झटका दिया तो मेरा आधा लंड अंदर चला गया और दीदी के मुहं से आवाज़ आई बहनचोद और वो शब्द सुनते ही मैंने ज़ोर से दूसरा झटका दिया, जिसकी वजह से मेरा पूरा का पूरा लंड अंदर था और मेरे दोनों हाथ दीदी के बूब्स दबा रहे थे और लंड मेरी बहन की चूत में था.

फिर मैंने हल्के हल्के, लेकिन लगातार झटके मारते हुए दीदी से कहा कि दीदी चलो अब तुम मुझे अभी जैसी गालियां दो और वो बहनचोद, कुत्ते, कमीने उह्ह्ह्हह्ह हाँ और ज़ोर से चोद मुझे मादरचोद आईईईईई थोड़ा और ज़ोर लगा हरामजादे. फिर क्या था दीदी मुझे लगातार गालियाँ देती रही और में लगातार झटके मारता रहा, लेकिन जब में झड़ने के करीब था तो दीदी ने मुझे माँ की गाली दी. उन्होंने कहा कि तेरी माँ की चूत, हाँ चोद मुझे पूरे जोश से. दोस्तों वो शब्द सुनते ही मैंने अपनी धक्कों की स्पीड को जोश में आकर तुरंत बढ़ा दिया और फिर में झड़ गया.

दोस्तों यह मेरे जीवन की पहली चुदाई और मेरी अब तक की सबसे यादगार चुदाई है. मैंने इस चुदाई के बहुत मज़े लिए और मेरे साथ साथ मेरी बहन ने भी बहुत मज़े किए. उसके बाद में थककर उसके ऊपर लेट गया और कुछ देर उसके बूब्स, चूत से खेलने के बाद ना जाने कब हम दोनों ऐसे ही पूरे नंगे एक दूसरे की बाहों में लिपटकर सो गए.

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भाबी को माँ बनाया

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कई बार सपने में मैं अपनी प्रीति भाभी को उनकी तारीफ में कहता था ..” भाभी आप बहुत खूबसूरत हो आपके रसीले होठो का रस पीने के लिए कोई भी मर्द चाहेगा गोल गोल बड़ी आँखों में अजीब सी उलझन है आपकी पतली कमर देख कर कोई भी छूने को चाहेगा काजोल की जैसे बड़ी बड़ी चुचियां है आपकी दो मोटे कूल्हों को देखकर हर कोई दीवाना हो जाएगा सच कहूं भाभी आप एक हसींन हिरोइन जैसे दिखती हो.” वो मुस्कुरा कर कहती हैं-”बस बस बहुत तारीफ करते हो वो भी झूठी ” ये क्या कहा आपने मैं भी कुर्बान जाऊं आप पर अगर झूठा निकला तो।

भैया को अक्सर शहर से बाहर जाना पड़ता है। एक बार भाभी ने काले रंग की साड़ी और ब्लाऊज पहना। भाभी गोरी हैं इसिलिए मैंने उसकी खूब तारीफ की और कहा – भाभी आप तो काले कपड़ो में बहुत ही खूबसूरत दिखाती हो वो मुस्कुरा के बोली झूठे कहीं के।

फिर कई दिनों तक मन में एक सपना सजाता रहा कि कब भाभी को पा लूं और कस के उनकी गरम नरम चूत में अपना मोटा लन्ड डाल के उन्हें चीखने पर मज़बूर कर दूं।

एक दिन भैया ने सुबह जल्दी बाहर जाना था और मैंने उन्हें स्टेशन तक छोड़ने जाना था। मैं केवल अंडरवीयर पहने कसरत कर रहा था कि अचानक भाभी आ गई। मुझे एक झटका सा लगा और मैंने एकदम अपनी कमर पर एक तौलिया लपेट लिया। भाभी मेरे पास आईं और बोली- देवर जी ! आपकी बोडी तो बहुत जानदार है। मेरी बाजू पकड़ कर कहा- क्या सख्त बाजू है। मेर लन्ड भाभी के नर्म हाथों का स्पर्श पाते ही मचलने लगा। भाभी ने तौलिये में मेरे लन्ड को फ़ूलते हुए देख लिया। फ़िर वो जल्दी से बोली – जल्दी तैयार हो जाओ, चलो तुम्हारे भैया राह देख रहे हैं, उनकी गाड़ी का वक्त हो रहा है। वो चली गई पर मेरा लन्ड गर्म हो चुका था। मैं भैया को स्टेशन छोड़ आया और फ़िर कालेज चला गया।

शाम को जब घर आया तो भाभी पड़ोस में गप्पें हान्क रही थी। मुझे देख कर वो अन्दर आ गई। आज उन्होंने गहरे नीले रंग का गाऊन पहन रखा था और अन्दर आ कर दरवाजा बंद करते ही उन्होंने कहा – क्यों देवर जी मैं काले कपडों में सुंदर लगती हूँ ना !

मैंने कहा – हाँ. तो उन्होंने मैं कैसी दिखती हू इन काले कपड़ो में ?

मैंने हँसते हुए कहा – भाभी तुमने तो नीले रंग का गाऊन पहना है.

उन्होंने शरारत से कहा उस दिन तो कहते थे भाभी तुम काली साड़ी और काले ब्लाऊज में अप्सरा लगती हो. आज क्या हुआ ? मैंने कहा – लेकिन भाभी आपने नीला गाऊन पहना हुआ है काला नहीं.

तभी मेरा ध्यान भाभी के कंधे पर दिख रहे ब्रा स्ट्रैप पर गया। मैंने आगे बढ कर ब्रा स्ट्रैप के नीचे उंगली डाल कर ऊपर को उठाया और कहा- अच्छा तो ये है काले रंग की ब्रा। लेकिन दिख तो नहीं रही, भाभी जरा दिखाओ ना।

” कुछ नहीं ! कुछ नहीं ! मैं तो मज़ाक कर रही थी “भाभी बोली।

मैंने कहा- भाभी प्लीज! दिखाओ ना ! प्लीज भाभी प्लीज ! बस एक झलक एक बार !

इतना सुनते ही भाभी ने अपना गाऊन निकल दिया मैं उसे देखते ही दंग रह गया सच भाभी काले रंग की चोटी सी ब्रा और काले रंग की बिल्कुल छोटी सी पैन्टी में थी। उसकी दोनों चूचियां आधी से ज्यादा नंगी थी जब पैन्टी उसकी आधी चूत को ही ढक पा रही थी दोनों ओर से चूत नंगी दिखाई दे रही थी ये नजारा देख कर मेरा लंड अंडरवियर में खड़ा होने लगा.

भाभी ने कहा ” उस दिन तो बड़ी तारीफ करते थे आज क्या हो गया ”. मैंने कहा “भाभी तुम्हारी चूचियां और चूत का कोई जवाब मेरे पास नहीं पहली बार किसी औरत का आधा बदन नंगा देखा है सच कह रहा हूँ तुम्हारी कसम भाभी इतनी खूबसूरत गदराई हुई जवानी पहली बार देख कर मैं बाग बाग हो गया हूँ ”

ये कहते हुए मैंने आगे कदम बढाया तो भाभी हिली नहीं अपनी जगह से. मैंने भाभी को कंधो से पकड़ कर अपने से चिपटा लिया। उन्होंने मुझसे कहा “ क्या कर रहे हो, पहले अन्दर चलो ”.

मै समझ गया कि आज भाभी दावत दे रही हैं। अन्दर जाते ही मैंने अपनी शर्ट निकल दी ,ऊपर का बदन नंगा हो गया फिर बिना सोचे अपनी पैंट उतार दी सिर्फ़ अंडरवियर में आ गया मेरी नजर भाभी की चुचियों पर गई छोटी सी ब्रा और बड़े कद की चूचियां कब तक छुपाती. मैंने पीछे जा के हूक खोल दी। दो नंगे फल भाभी के बदन पर झूलने लगे .वो कसमसाई मैंने उनकी बिना परवाह किए पैंटी को एक ही झटके में उतार दी और अपना अंडरवियर को निकाल दिया.उन्होंने नकली गुस्से से कहा .. ये क्या कर रहे हो.

मैंने कुछ सुना नहीं मैंने अपनी बाहों में नंगी भाभी के जिस्म को दबोच लिया वो कराहने लगी की मैने दोनों होठो को उसके रसीले होठो पर रख दिए और जी भर के उसका रस पान करने लगा एक हाथ से चुचियों को दबाता मसलता रहा दूसरे हाथ से उसका जिस्म पूरा कस के मेरे जिस्म से चिपकाया ये सब अचानक हो जाने से वो हाथ पाँव मारने लगी लेकिन उसका कुछ न चला ओर मैं भाभी के जिस्म को बुरी तरह रौंदने लगा होठो के बीच जीभ डाल के मैंने उसे बुरी तरह चूमा उसके मुह में .. आह्ह्ह उफ़. .मोनू .. मैं तुम्हारी भाभी हूँ .. ये ग़लत है .. छोड़ दो मुझे ..जग गगग ..की आवाज निकलने लगी पर मैं पूरी तरह से उनकी भरी भरी चूचियों को दबाता रहा उसकी कड़ी निप्पल को दो उंगली के बीच ले के मसलने लगा भाभी अब सिस्कारियां भरने लगी ..नही .. प्लिज्ज़ ..उईई ईई …. धीरे ..मोनू ऊउऊ ..लेकिन अब उसका विरोध ख़तम हो गया था.

हम दोनों की सांसे तेज होने लगी मैंने जम कर भाभी के पूरे बदन को बेतहाशा चूमा .. .. मेरे होंठ उसके बदन पर फिसलने लगे .. एकदम गोरा और चिकना बदन था .अभी तक मैंने उसकी चूत पर हाथ नहीं लगाया था .. वो दोनों जांघो को सिकोड़े हुए थी .. मेरे हाथ और होंठो के स्पर्श से वो … ऐसी आवाजे निकलने लगी थी. प्रीति भाभी अब मीठी मीठी आहें भरने लगी मेरी ध्यान अब उसके पेट से होते हुए गहरी नाभि पर गया मैंने वहां सहलाया तो उन्होंने सिहर कर अपनी जांघे खोल दी और अब मेरी नजर उन की चूत पर पड़ी मैं झूम उठा एक भी बाल नहीं था गुलाबी रंग की चूत के बीच में एक लाल रंग का होल दिखाई दिया ये देख कर मुह में पानी आ गया.

भाभी के जिस्म को चारो ओर से चूमने सहलाने और दबाने के बाद चूचियों को प्यार से मुंह में लेकर कई बार चूसा भाभी का अंग अंग महक ने लगा उसकी दोनों चूचियां कड़ी ओर बड़ी हो गई उसके लाल लाल निप्प्ल उठ कर खड़े हो गए तीर की तरह नुकीले लग रहे थे. तब मेरी भाभी मुझसे जोर से लिपट गई। दो बदन एक दूसरे से रगड़ने लगे मेरी सांसे फूलने लगी हम दोनों तेजी से अपने मकसद की ओर आगे बढ़ने लग॥ १० मिनट तक हम दोनों ने एक दूसरे को पूरा चूमा सहलाया। भाभी ने पहली बार शरमाते शरमाते लंड को पकड़ा तो बदन में बिजली सी दौड़ गई पहली बार मैंने कहा “मेरी जान उसके साथ खेलो शरमाओ मत अब हम दोनों में शर्म कैसी .”

मेरा बदन बहुत ही गरमा चुका था तब मैंने भाभी को फर्श पर लिटा दिया ओर उसके ऊपर आके जोर से चुचियों को फिर से दबाया पर बाद में मैंने चूत की तरफ़ देखा. चूत तो पूरी गीली थी. उसमे से जूस ऐसे निकल रहा था जैसे नल से पानी बह रहा हो. अब मैंने भाभी के पावों को चौडा किया तो उनकी फूली हुयी गुलाबी चूत पूरी तरह दिखने लगी .भाभी की गुलाबी चूत को देख कर मैंने कहा “भाभी सच बहुत ही चिकनी है तेरी ये चूत बिना बाल की गोरी उभरी हुई। दिल कर रहा है इसे खा जाऊं ” इतना कह कर मैं उसकी चूत पर झुका और चूत के होठों को अपने होठों से चूमने लगा।

भाभी तो जैसे उछल पड़ी। ओह आ मोनू ………॥अऽऽऽ ये क्या कर रहे हो…ऐसा तो तुम्हारे भैया भी नहीं करते कभी.. ओह मुझे अजीब सा लग रहा है। भाभी की सिस्कारियों से पूरा कमरा गूंजने लगा। मैं बड़े प्यार से भाभी की चूत को चूसता, चूमता चाटता रहा। वो अपने होठों पर जीभ फ़ेर रही थी और मचल रही थी कि अचानक चिल्लाई- मोनू छोड़ मुझे… आहऽऽमेरा हो रहा है…जोर से…कहते हुए मेरा सिर अपनी जान्घों में दबा लिया और मेरे बाल खींचने लगी। …भाभी ने आह ऽऽ भरते हुए जल्दी जल्दी तीन चार झटके पूरे जोरों से अपने चूतड़ उठा कर मारे। मैंने फ़िर भी उनको नहीं छोड़ा और अपनी जीभ से उनकी चूत से बहने वाले रस को चाट गया।

वो कह रही थी- अब हट जाओ मोनू, अब सहन नहीं हो रहा। अब अपनी प्यारी भाभी को चोदो। फ़ाड़ दो मेरी चूत को अपनी भाभी की चूत में घुस जाओ। मैं पहले से जानती थी कि तुम मुझे चोदना चाह्ते हो, मैं भी तुम से चुदना चाहती थीअब मैं भी भाभी की चूत का स्वाद अपने लौड़े को चखाना चाहता था। मैं भाभी के ऊपर आया तो भाभी ने सिर उठा कर मेरे लौड़े कि तरफ़ देखा। उन्होने कहा- देवरजी ! मैं तो मर जाऊंगी इतने मोटे और लम्बे से।

मैंने पूछा किस मोटे और लम्बे से?

वो शरमाते हुए बोली तुम्हारे लो ऽऽऽ लौड़े से !

मैंने कहा-कुछ नहीं होगा… और भाभी की टांगें चौड़ी की तो उनकी चूत के होंट ऐसे खुल गये जैसे किसी फ़ाइव स्टार होटल के दरवाजे अपने आप खुल जाते हैं किसी के आने पर। मैंने अपनी दो अंगुलियों से चूत को थोड़ा और खोला और अपना लन्ड का सिर उस पूरे खिले गुलाब के फ़ूल में रख दिया। भाभी ने कहा – थोड़ा अन्दर तो करो !

मैने कहा- अभी करता हूं। यह कह कर मै अपना लौड़ा धीरे धीरे बाहर ही रगड़ने लगा। भाभी बेचैन हो उठी। वो अपने चूतड़ ऊपर को उठा उठा कर लौड़े को अपनी चूत में डलवाने की कोशिश कर रही थी। मैं उनको तड़फ़ाते हुए उनकी सारी कोशिशें नाकाम कर दिए जा रहा था।

“अब डालो ना !” भाभी बोली।

“क्या डालूं… और कहां …” मैंने भाभी से पूछा।

“अच्छा बताऊं तुझे? बहनचोद ! अपनी भाभी की चूत में अपना लौड़ा डाल और चोद साले ! भाभी तड़फ़ते हुए बोली।

भाभी के मुंह से ऐसी गालियां सुन कर मैं हैरान रह गया।

तभी भाभी ने एक ऐसा झटका दिया ऊपर की तरफ़ अपने चूतड़ों को कि एक बार में ही मेरा पूरा का पूरा लौड़ा भाभी की चूत की गहराई में उतर गया। भाभी के मुख से निकला- आह हय-मार दिया ! एक दर्द मिश्रित आनन्द भरी चीख !

अब मैं भाभी के ऊपर गिर सा गया और उनको हिलने का मौका ना देकर उनके होंट अपने होंटों से बंद कर दिये और अपने चूतड़ ऊपर उठा कर एक जोर का धक्का मारा तो भाभी फ़िर तड़प गई।

इसके बाद तो बस आऽऽह्…आऽऽह्…आऽऽह्…आऽऽह्…आऽऽह्… आऽऽह्…आऽऽह्…आऽऽह्…आऽऽह्…धीरे…आऽऽह्…आऽऽह्…आऽऽह्…आऽऽह्… आऽऽह्…आऽऽह्…आऽऽह्…आऽऽह्…आऽऽह्…आऽऽह्…रुक जरा … हां… आऽऽह्…आऽऽह्…आऽऽह्…जोर से… आऽऽह्…आऽऽह्…आऽऽह्…हांऽऽअः……हांऽऽअः…हांऽऽअः…ह्म्म… हांऽऽअः

हम दोनो की एक जैसी आवाजें निकल रही थी। काफ़ी देर ऐसे ही चलता रहा। बीच बीच में भाभी बड़बड़ाती रही- मज़ा आ रहा है ! करते रहो ! चूसो !

भाभी की चूत लगातार पानी छोड़ रही थी और मेरा लौड़ा बड़े आराम से अन्दर बाहर आ जा रहा था। भाभी भी अपने चूतड़ उठा उठा कर सहयोग कर रही थी। वो मदहोश हुई जा रही थी। उनके आनन्द का कोई पारावार ना था। ऐसा मज़ा शायद उन्हें पहले नहीं मिला था।

अब मैं चरमोत्कर्ष तक पहुंचने वाला था। मैंने भाभी को कहा – ले प्रीति ! ले ले मेरा सारा रस ! पिला दे अपनी चूत को !

“हां ! भर दे मेरी चूत अपने रस से मेरे मोनू भैया ! ” भाभी बोली।

और मैंने पूरे जोर से आखिरी धक्का दिया तो मेर लन्ड भाभी के गर्भाशय तक पहुंच गया शायद और वो चीख पड़ी- मार डालेगा क्या?

मेरे मुंह से निकला- बस हो गया ! मेरा लन्ड भाभी की चूत में पिचकारियां मार रहा था। भाभी भी चरम सीमा प्राप्त कर चुकी थी। फ़िर कुछ रुक रुक कर हल्के हल्के झटके मार कर मैं भाभी के ऊपर ही लेटा रहा। हम दोनों अर्धमूर्छित से पड़े रहे काफ़ी देर। पता नहीं कब नींद भी आ गई।

जब मेरी नींद खुली तो देखा कि भाभी उसी तरह नंगी मेरी बगल में बेसुध हो कर सो रही थी। उनके मुख पर असीम तृप्ति का आभास हो रहा था। उनके लबों पर बहुत हल्की सी मुस्कान भी दिख रही थी। मैं धीरे से उठा और रसोई में जाकर दो कप चाय बना कर लाया तो देखा भाभी वैसे ही सो रही थी। मैं उनके पास गया और उनके लबों को हल्के से चूम लिया। जैसे ही मेरे होंठ ने उनके होंठों को स्पर्श किया, भाभी ने आंखें खोल दी और मुस्कुरा कर मेरी आंखों में झांकने लगी।

मैंने भाभी से कहा- “तो सोने का बहाना कर रही थी आप?”

भाभी बोली- मैं तो तभी जाग गई थी जब तुम यहां से उठ कर गए थे, लाओ अब चाय तो पिला दो जो प्यार से बना के लाए हो।

हमने चाय पी। तब तक रात के आठ बज चुके थे। मैंने भाभी से पूछा – कैसा लगा?

भाभी ने शरमा कर नज़रें झुका ली, कुछ बोली नहीं।

मैंने उनकी ठोडी पकड़ कर उनका चेहरा ऊपर को उठाया और फ़िर पूछा कि कैसा लगा आज मेरे साथ।

भाभी शर्मिली मुस्कान के साथ बोली- बहुत मज़ा आया, मज़ा तो तुम्हारे भैया के साथ भी बहुत आता है, पर तुम्हारे अन्दर नया जोश है

“पहले ऐसा ही मज़ा आता था भैया के साथ?” मैंने पूछा।

” सच कहूं तो ऐसा मज़ा मुझे कभी नहीं आया, मुझे तो पता भी नहीं था कि इतना मज़ा भी आता होगा चुदाई में” भाभी ने कहा। भाभी के मुंह से चुदाई शब्द सुन कर मैं अवाक रह गया। फ़िर मैंने भाभी से कहा- भाभी ! मैंने आपको इतना आनन्द दिया है, मुझे ईनाम मिलना चाहिए

” हां ! ईनाम के हकदार तो तुम हो। बोलो क्या चाहिए तुम्हें ईनाम में?” भाभी ने पूछा।

“मैं तो ऐसे ही कह रहा हूं, आप मिल गई, मुझे तो मेरा ईनाम मिल गया” मैंने कहा।

” नहीं, फ़िर भी मैं तुम्हें कुछ ना कुछ ईनाम जरूर दूंगी” भाभी ने कहा।

” जैसी आपकी मरजी ! अगर मैंने अपनी तरफ़ से कुछ मांग लिया तो देना पड़ेगा भाभी ! ” मैंने कहा।

” हां हां जरूर ! मेरे बस में हुआ तो जरूर दूंगी” भाभी ने आश्वासन दिया।

” अच्छा अब बताओ रात के खाने में क्या बनाऊं? ” प्रीति भाभी ने पूछा।

“अब क्या बनाओगी, मैं बाज़ार से ले आता हूं कुछ, वैसे भी मैं अभी सारी रात बाकी है। आप मुझे खाना, मैं आपको खाऊंगा” मैंने भाभी को छेड़ा।

मैंने बाज़ार जाने के लिए उठते हुए कहा- भाभी ! मैं बाज़ार से खाना ले कर आता हूं। आप बस ऐसे ही नंगी रहना, कपड़े नहीं पहनना। भाभी भी मेरे साथ खड़ी हो गई यह कहते हुए कि दरवाजा भी तो बंद करना होगा। भाभी मेरे पीछे पीछे आईं और मुझे कहा देखो बाहर कोई है तो नहीं, मैं दरवाजा बंद कर लूं।

जब मैंने बाज़ार से आकर दरवाजे की घण्टी बजाई और भाभी ने दरवाजा खोला तो वो वही नीला गाऊन पहने थी।

अन्दर आते आते मैंने पूछा कि गाऊन क्यों पहना?

तो कमरे में पहुंच कर भाभी बोली- आज तो बस बच गई। अभी अभी थोड़ी देर पहले दरवाजे की घण्टी बजी थी और मैंने समझा तुम ही होगे और मैं बिना गाऊन पहने दरवाजा खोलने ही वाली थी कि मुझे पड़ोस वाली रितु की आवाज सुनाई दी। वो मुझे ही पुकार रही थी। मैंने दौड़ कर गाऊन पहना और फ़िर दरवाजा खोला।

क्या करने आई थी रितु? रितु वही जो चार पांच घर छोड़ कर रहती है, नमिता आन्टी की बेटी?

हां वही, तू तो सबको जानता है?

बड़ी मस्त चीज है वो, एक बार मिल जाए तो साली को चोद चोद कर चार छः बच्चों की मां बना दूं।

“तेरा बस चले तो तू सारी दुनिया की लड़कियों को चोद चोद कर मां बना दे” भाभी बोली।

“सारी दुनिया को नहीं तो भाभी आपको तो अब जरूर मां बना दूंगा” मैंने कहा।

यह सुन कर भाभी भावुक हो उठी, उनकी आंखें गीली हो गई, वो बोली- तीन साल हो गए शादी को ! अब तक तो कोई आस बंधी नहीं, पता नहीं कब मैं मां का शब्द सुनूंगी अपने लिए। और तुम क्या सोचते हो कि मैंने ये सारी रासलीला तुम्हारे साथ शारीरिक आनन्द के लिए रचाई है? यह सब मैंने औलाद का सुख पाने के लिए किया है। भाभी रोती जा रही थी और बोलती जा रही थी-” वैसे तो तुम्हारे भैया में कोई कमी नहीं है, वो मुझे सहवास का पूरा पूरा मज़ा देते हैं, पर पता नहीं क्यों मैं गर्भवती क्यों नहीं हो रही। अब देखो तुम क्या गुल खिलाते हो? इतना कह कर भाभी के चेहरे पर कुछ मुस्कुराहट आई।

मैंने आगे बढ कर भाभी को अपनी बाहों में भर लिया और कहा- भगवान ने चाहा तो अगले साल तक मैं चाचाऽऽ… नहीं आपके बच्चे का पापाऽऽ… नहीं बस चाचा … हां … चाचा ही ठीक है, बन जाऊंगा।

अगर ऐसा हो गया तो मैं तुम्हें मुंह मांगा ईनाम दूंगी- भाभी ने भरे गले से कहा।

तो अब दो ईनाम हो गये- एक तो आपने चाय पीते हुए वायदा किया था आज ही और दूसरा अब जो अगले साल या उससे भी पहले मिल सकता है।

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भाबी की बहन थी गरम,चूत मार के करदिया नरम

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जब मैं भाभी की गांड में ऊँगली कर रहा था तभी उसकी छोटी सिस्टर स्कूल से वहाँ आ गई और उसने हमको देख लिया और वो बेडरूम के बाहर चली गई और फिर थोड़ी देर बाद मैं और भाभी बेडरूम के बाहर आए तो वो सोफा पर बैठी हुई थी उसने हमको देख कर कहा कि तुम क्या कर रहे थे तो भाभी ने कहा कि तुम्हारे जीजू जो नहीं करते वो मैं ने इसके पास करवाया। तो उसने कहा कि मैं जीजू को बोल दूँगी पर भाभी घबराये बगैर कहने लगी कि कोई बात नहीं, मैं भी तुम्हारी सारी बातें जानती हूँ तो वो बोली कि कैसी बातें तो कहने लगी कि तुम बाथरूम में रोज क्या करती हो अपनी पुसी को रब करके उसमे उंगली रोज करती हो कि नहीं यह सुनकर वो घबरा गई, तो फिर भाभी कॉनफिडेंस में आ गई और कहने लगी कि तुम चाहो तो तुम भी मज़े ले सकती हो मुझे कोई प्राब्लम नहीं है। यह सुनकर मैं खुश हो गया कि चलो एक साथ दोनों बहनों को चोदने को मिलेगा और एक तो वरजिन है। फिर भाभी उसके पास जाकर बैठ गई और उसके स्कूल यूनिफॉर्म का स्कर्ट बहुत छोटा था उठा दिया तो मैं देख कर हैरान हो गया कि उसकी पेंटी एक दम भीगी हुई थी। तो भाभी ने कहा कि अभी तुम क्या कर रही थी हमको देख देख कर अपनी पुसी रब कर रही थी ना। और कहा कि चलो आज तुम भी पूरा मज़ा ले लो और उसकी पुसी को रब करने लगी.

यह देख कर मेरा लंड फिर खड़ा हो गया और मैं सोफा के पीछे खड़े होकर उसके बड़े बड़े टाइट बूब को दबाने लगा। अब वो भी मस्ती में आने लगी एक तरफ भाभी उसकी पुसी को सक कर रही थी और दूसरी तरफ मैं बूब्स को दबा रहा था उसके बूब बहुत ही टाइट और मोटे थे। फिर वो बोली कि प्लीज़ मेरे बूब्स को सक करो फिर मैं सोफा पर आकर बैठ गया और उसका शर्ट उतार दिया और उसके बूब को सक करने लगा उसके बूब को सक कर कर एक दम रेड हो गया और उसकी पुसी ने भी पानी छोड़ दिया था अब वो एकदम हॉट हो चुकी थी। मैं उसके सारे बदन को सक कर रहा था। फिर मैं ने अपना पेंट उतारा और मेरा मोटा और लंबा लंड उसके मुँह में देने की कोशिश करने लगा तो वो मना करने लगी पर मैं ने कहा कि जब तक तुम इसको सक नहीं करोगी यह तुम्हारी पुसी में जाने से इनकार करेगा सो प्लीस इसको सक करो। फिर वो मेरे लंड को सक करने लगी और मुझे बहुत मज़ा आने लगा।

अब मैं उसकी पुसी को सक करने लगा फिर एक बार उसकी पुसी ने पानी छोड़ दिया। भाभी ने कहा कि समीर जल्दी करो वरना कोई आ जाएगा अब यह एकदम तैयार है अपना कॉक इसकी पुसी में डालो। अब भाभी भी पूरी तरह न्यूड थी और वो भी अपनी पुसी में फिंगरिंग कर रही थी और अपनी सिस्टर को बोल रही थी कि चाटो मेरी पुसी को तुम्हारे जीजू तो इसको छूते ही नहीं है यह मुझे बहुत परेशान करती है। तो मैं ने भाभी को कहा कि तुम्हें जब भी अपनी पुसी और सारे बदन को चटवाना हो तो मुझे याद कर लेना मैं आपके सारे बदन को मसाज और चाटूँगा। तो बोली हाँ ज़रूर मैं अब तुमसे ही अपने बदन की मालिश और सक करवाउंगी। तुम इस काम में बहुत एक्सपर्ट हो। और कहा कि चलो अब इसकी पुसी की प्यास बुझा दो। यह भी बाथरूम में जा जा कर अपनी पुसी को रब करती और फिंगरिंग करती है तो वो बोली कि दीदी मैं तो जीजू और आपको रात को करते देख कर ही यह सब सीखू हूँ और मेरी पुसी में फिंगरिंग डालती हूँ। अब मुझसे इसकी खुज़ली बरदास्त नहीं होती, दीदी आप कुछ करो न। तो भाभी ने कहा की समीर जल्दी करो।

फिर मैं ने उसको सोफा पर ही लिटा दिया और उसके हिप्स के नीचे भाभी ने एक पिलो रखा क्यूंकि वो अभी वर्जिन थी। और मुझे कहा कि रोनू चलो और वो उसके मुँह के पास जाकर अपनी पुसी उसके मुँह पर रख दी और कहने लगी कि तुम इसको सक करो। मैं अपना लंड उसकी पुसी के सामने रखा और अंदर करने लगा पर उसकी पुसी बहुत ही टाइट थी वो अंदर नहीं जा रहा था यह देख कर भाभी ने कहा कि थोड़ा ज़ोर लगाओ मैंने ज़ोर लगाया पर वो अंदर नहीं गया तो भाभी ने कहा कि तुम्हारा बहुत मोटा है मैंने आज तक इतना मोटा लंड xxx मूवी में भी नहीं देखा है। और वो वहाँ से खड़ी हुई और बेडरूम में से क्रीम लेकर आई और थोड़ा मेरा लंड पर लगाया और थोड़ा अपनी सिस्टर की पुसी पर रब किया और फिर कहा कि अब अपना कॉक डालो। मैंने फिर ट्राइ किया और मेरा थोड़ा कॉक उसकी पुसी में गया तो वो रोने लगी कि मुझे दर्द हो रहा है तो भाभी ने कहा कि कुछ नहीं होगा और उसके लिप्स पर अपने लिप्स रख दिए और मुझे इशारा किया कि अब डालो तो मैंने एक ज़ोरदार धक्का दिया और सारा लंड उसकी वर्जिन पुसी में डाल दिया वो चीख पड़ी पर भाभी के लिप्स होने से उसकी आवाज़ नहीं निकली पर उसके आंशु निकल गये वो रोने लगी। तो भाभी ने कहा कि कुछ देर तुम यूँ ही रहो इसकी चूत छोटी और टाइट है इसलिए।

फिर मैं करीब ५ मिनट यूँ ही रहा और फिर मूव होने लगा अब उसको भी मज़ा आने लगा और वो भी रेस्पोन्स देने लगी और कहने लगी कि ज़ोर से और ज़ोर से कई दिनों से मैं किसी के पास जाकर चुदवाने की सोच रही थी पर कोई मुझे मिला ही नहीं एक बार मैंने अपने लिफ़्टमैन के सामने भी अपने बूब्स दबाये थे कि यह देख कर वो मुझे छेड़े औए सेक्स करे पर उसकी वाइफ वहाँ आ गई। मैंने अपने बॉय फ्रेंड को भी कहा था पर उसका लंड तो बहुत छोटा था तुम्हारा रियली में बहुत सेक्सी और मोटा लंड है अब मैं इससे ही चुदवाउंगी। फिर मैं १५ मिनट स्ट्रोक लगाने के बाद पानी छोड़ने वाला था तो भाभी ने कहा कि रोनू बाहर पानी निकलना तो मैंने फॉरन अपना लंड बाहर निकाला और उसके मुँह में पानी छोड़ दिया और उससे कहा कि तुम्हारी पहली चुदाई का जूस है तुम पी जाओ तो वो सारा मेरा पानी पी गई और कहा कि बहुत टेस्टी है।

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एक दुसरे के बीवी को बदल कर चुदाई की

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हम पांच दोस्त हैं, सभी शादीशुदा। मैं विजय और मेरी पत्नी मानसी, गपिल और अंशु, विकास और आरुशी, सजल और मनु, अजय और नीतू।

हम सभी के परिवार आपस में दोस्ताना हैं और अक्सर साथ साथ बैठ कर दारू पीते हैं, हमारी बीवियाँ भी दारू पीती हैं।

हम लोग साल में एक बार होली पर मिल कर होली खेलते हैं और रंग लगाने के बहाने से एक दूसरे की बीवियों के अंगों को मसलते हैं।

इसमें एक नियम है कि कोई भी उस दिन अपनी बीवी को बचाने नहीं आएगा। सब लोग मस्त होकर होली खेलते हैं और हमारी बीवियाँ भी इस खेल के खूब मज़े लेती हैं।

होली के बहाने सब लोग एक दूसरे से सेक्स के सीमित मजे ले लेते हैं।

इस बार भी हम लोगों ने होली खेलने का कार्यक्रम बनाया था। होली सजल-मनु के घर पर उनके बगीचे में होती है क्योंकि उनका बगीचा चारों तरफ से दीवारों से बंद है कोई बाहर का आदमी झांक नहीं सकता।

सब लोगों के लए इस बार ड्रेस कोड था, महिलाओं के लिए सफ़ेद साड़ी-ब्लाऊज़ और मर्दों के लिए सफ़ेद कुरता पायजामा।

पर जब सब लोग इकट्ठे हुए तो देखा कि सभी महिलाएँ सलवार-सूट पहन कर आई हैं। सब लोगों के लिए पहले ज़ाम हाज़िर हुए।

जब दो दो पेग सभी ने पी लिए और दारू का नशा सर पर चढ़ने लगा तो गपिल झूमता हुआ खड़ा हुआ और बोला- इस बार सभी महिलाओं के लिए जो ड्रेस कोड तय हुआ था, उसमें क्यों नहीं आई वे?

“अरे गपिल, होली में साड़ी में आते तो कितना अंग-प्रदर्शन होता, इसलिए हम सलवार सूट में आये हैं।” मेरी पत्नी मानसी ने कहा।

‘चलो ठीक है, पर इसकी सजा मिलेगी।” और यह कहते हुए उसने मानसी के चेहरे पर रंग लगा दिया।

मानसी भी कौन सी कम थी, उसने भी गपिल के मुंह पर रंग लगा दिया।

गपिल ने मानसी को पीछे से पकड़ कर उसके कुरते में हाथ डाल कर उसकी चूचियों पर रंग लगा दिया और उसका कुरता जोर से पकड़ कर खींचा, उसी समय मानसी गपिल की पकड़ छुड़ा कर भागी और इस खींचा-तानी में मानसी का पूरा कुरता चर्र से फट गया और पूरा का पूरा गपिल के हाथ में आ गया।

अब मानसी केवल ब्रा में खड़ी थी।

“यह हुई न बात गपिल ! ड्रेस कोड में न आने की सजा है कि इनके कपड़े उतार दो !” विकास बोला।

नियम के मुताबिक मैं आज अपनी पत्नी को बचा नहीं सकता था। पर यह पहली बार हुआ था कि कोई महिला होली पर नंगी हो गई हो।

गपिल ने दोड़ कर मानसी की सलवार में हाथ डाल कर उसके चूतड़ों में रंग लगाया और मानसी उससे बचने का प्रयास कर रही थी पर गपिल ने उसे कस कर पकड़ा हुआ था और मानसी भी चिल्ला रही थी- तुमने मुझे नंगा कर दिया, मैं तुम्हें नहीं छोडूंगी।

दोनों एक दूसरे से गुत्थम-गुत्था थे और इस गुत्थम-गुत्थी में गपिल ने मानसी की सलवार भी फाड़ दी और उधर मानसी ने गपिल का कुर्ता फाड़ दिया, उसके बाद पायजामा।

गपिल अण्डरवीयर पहन कर नहीं आया था तो वो एकदम नंगा हो गया। उसका लण्ड सबके सामने था- खड़ा, तना हुआ !

मानसी के शरीर से चिपकने के कारण और तन गया था।

वो मानसी के शरीर के पीछे छुपने की कोशिश कर रहा था और उसने मानसी की ब्रा की स्ट्रिप पकड़ी हुई थी कि अचानक उसने झटके से स्ट्रिप नीचे करके हुक खोल दिया और मानसी की ब्रा उतार कर फ़ेंक दी।

मानसी की पैन्टी भी उसने खींच कर अलग कर दी। अब वो दोनों एकदम नंगे खड़े थे।

मेरी बीवी एक गैर-मर्द के साथ सब लोगों के सामने नंगी खड़ी थी और मैं उसे बचा भी नहीं सकता था।

ठीक है, मैं उसे नहीं बच सकता था पर बदले में किसी दूसरे की बीवी को नंगा तो कर सकता था।

मुझे याद आया कि गपिल को विकास ने चढ़ाया था इसलिए मैंने उसकी बीवी आरुशी की सलवार में हाथ डाल कर उसका नाड़ा एक झटके में तोड़ दिया और उसकी सलवार नीचे गिर गई।

“प्लीज विजय, मुझे नंगी मत करो !” आरुशी इस अचानक के हमले से चीखी।

पर मैं कहाँ मानने वाला था, अगर मेरी बीवी नंगी हुई है तो सबकी बीवियों को नंगा होना पड़ेगा।

“नियम तो नियम है।” अजय ने मेरी बात का समर्थन किया।

मैंने आरुशी को पकड़ कर उसके वक्ष और निप्प्ल दबाते हुए उसका कुरता बीच से पकड़ कर फाड़ दिया।

उसकी ब्रा मेरे हाथ में थी, उसे दोनों चूचियों के बीच में से झटके से तोड़ कर उसकी चूचियों को आजाद करके एकदम नंगा कर दिया।

आरुशी मुझ से चिपक गई और बोली- तुमने मुझे नंगा क्यों किया? साले, अब देख मैं तेरा क्या हाल करती हूँ। मानसी आज मैं तेरी पति को चोद दूँगी।

उस पर शराब का नशा हावी था और उसका हाथ मेरे लण्ड पर था, मुझे मालूम था अब वो मुझे नंगा करेगी पर मैं उसके गोरे गोरे जिस्म का मजा लेना चाह रहा था। मैंने उसके स्तन पकड़े हुए थे।

उसने मेरे पायजामे का नाड़ा खोल कर मेरा लण्ड सबके सामने उजागर कर दिया और ख़ुशी से बोली- देखो, विजय का लण्ड देखो, मुझसे चिपक कर कितना खड़ा हो गया है।

हम दोनों को देख कर विकास अजय की बीवी नीतू की तरफ बढ़ा और पीछे से हाथ डाल कर अन्दर से उसके दूध दबा दिए।

नीतू गोरे रंग की सुडौल शरीर वाली लड़की है और हम सभी उसे चोदने की फिराक में रहते हैं।

उसने हाथ जोड़ कर कहा- मुझे छोड़ दो !

पर विकास ने तब तक उसका कुरता खींच दिया था, काले रंग की ब्रा उसकी सहेली अंशु ने आकर उतार दी।

“नीतू, तू खेल का मजा ख़राब मत कर, अब हम सभी को नंगा होना पड़ेगा, चल उतार दी सलवार अपनी !” अंशु बोली।

अंशु खुद ही अपने सभी कपड़े उतार कर नंगी होकर सभी के सामने आ गई। उसके दूध सभी में सबसे बड़े थे।

विकास ने नीतू की सलवार में हाथ डाल कर उसकी चूत में उंगली दी तो नीतू चिहुंक पड़ी। उसे मजा आने लगा। शराब का नशा अपना काम कर रहा था।

मजे मजे में विकास ने नीतू भाभी की सलवार खींच दी और पैंटी उसकी रजामंदी से उतार दी।

एकदम गोरे रंग और मांसल शरीर की मालकिन अपनी गोरी गोरी जांघों और मांसल दूधों के साथ नीतू हमारे सामने नंगी खड़ी थी।

उसको देख कर हम सभी के लण्ड तन गए।

अब सजल की बीवी मनु बची थी।

वो अजय से बोली- ठीक है, मुझे नंगा कर दो पर मेरे को इस तरह नंगा करो कि मेरा कुरता चिंदी चिंदी करके फाड़ दो।

अजय ने उसकी बात मानते हुए पहले उसके कुरते की बांह फाड़ी, फिर एक तरफ़ से छाती के ऊपर का कुरता फाड़ा, फिर पीठ का और फिर ब्रा समेत सारे कपड़े उतार दिए। मनु ने भी उसको सहयोग दिया और नंगी हो गई।

वो भी बेहद गोरी थी और उसके चूचे भी बड़े बड़े थे।

अब हम सभी लोग नंगे थे और एक दूसरे से चिपक चिपक कर रंग लगा रहे थे।

मानसी को विकास और गपिल ने पकड़ा हुआ था, गपिल उसकी चूत में उंगल दे रहा था तो विकास उसके दूध चूस रहा था।

आरुशी मेरा लण्ड चूस रही ही और मैं नीतू के दूध सहला रहा था।

अंशु के दूध अजय के हाथ में थे।

मनु विकास का लण्ड चूस रही थी।

फिर तय हुआ कि अब एक एक पेग शराब का और हो जाए।

महिलाओं ने कहा की वे चाहती हैं कि सभी मर्द अपना लण्ड शराब के गिलास में डुबो डुबो कर रखें और हम लण्ड चूस चूस कर शराब पियेंगी।

उनकी यह इच्छा पूरी की गई।

मेरा लण्ड शराब में डुबो डुबो कर चूसा आरुशी ने और नीतू ने, गपिल का लण्ड चूसा मानसी ने, सजल का लण्ड चूसा अंशु ने, विकास का लण्ड चूसा मनु ने और अजय का लण्ड चूसा मानसी ने।

मर्दों की ख्वाहिश थी लड़कियों के चुचूकों से शराब पी जाए।

उनकी यह ख्वाहिश भी पूरी हुई।

मुझे मिला नीतू के दूध की शराब। निप्प्ल चूस चूस कर शराब पीने का मजा ही कुछ और था। नीचे से लण्ड चूत में टकरा रहा था।

विकास ने मनु के दूध पिए, गपिल ने आरुशी को चूसा, अजय ने मानसी को चूसा और सजल ने अंशु के दूध से टपकी हुई शराब पी।

इसके बाद तीन पैग हो चुके थे और सभी सेक्स की लिए मस्त हो रहे थे।

मैंने आरुशी को लिटा कर उसकी टांगें खोल दी और बोला- विकास, साले देख ले तेरी बीवी को चोदने जा रहा हूँ।

“चोद ले भाई, चोद ले, मैं भी तेरी बीवी मानसी को अपने लण्ड का मजा दे रहा हूँ।”

मानसी की चूत में विकास का लण्ड घुसा हुआ था और वो खूब मजे से चुदवा रही थी,”विजय इसका लण्ड तो बड़ा कड़क है, मजा आ गया ! प्लीज़, महीने में एक बार इससे चुदवा दिया करो मुझे !” मानसी बड़बड़ा रही थी।

“तुम उधर मत देखो, मेरी चूत में डालो।” आरुशी लण्ड अपनी चूत में घुसवाते हुए बोली।

आरुशी की चूत बहुत कसी हुई थी।

“विकास, तेरी बीवी की चूत बहुत कसी हुई है यार ! कुछ दिन इसे मेरे पास छोड़ दे चोदने के लिए।”

गपिल नीतू को चोद रहा था और सजल अंशु को, अजय मनु को चोद रहा था।

चारों तरफ से सीत्कारें सुनाई दे रही थी।

“साले गपिल, तुझे एकदम गोरी चूत मिली है।” मैंने कहा।

“जल क्यों रहा है बे? तुझे भी तो सबसे हसीन और कसी हुई चूत मिली है।” गपिल बोला।

“और विकास को मानसी की परफेक्ट चूत और बूब्स।” नीता हंस कर बोली।

“मेरी बीवी अंशु तो देखो कैसे चूतड़ ऊपर करके सजल से चुदा रही है।” गपिल बोला।

अजय और मनु भी खूब हंस हंस कर चुदाई कर रहे थे।

चारों तरफ से लड़कियों की आवाज़ आ रही थी।

चोदो ! और चोदो ! अन्दर तक डाल दो। दूध कस कर पकड़ो।

मादरचोदो, इस मौके को फिसलने न दो, मन भर कर चोद लो।

देर शाम तक हम लोग चुदाई के कार्यक्रम में ही लगे रहे।

सभी को दूसरे की बीवी को चोदने में बड़ा मजा आया, बीवियों को भी नया लण्ड लेकर बहुत संतुष्टि हुई।

अंत में यह तय हुआ कि अब महीने में एक बार बीवी बदलने का कार्यक्रम रखा जायेगा। इस सेक्स में अगर इतना मजा आता है तो इसे बार बार करने में क्या हर्ज़ है।

बस उस दिन के बाद से हम लोग हर महीने बीवी बदल लेते है। कभी कभी तो एक दूसरे की बीवी को बाहर घुमाने ले जाते हैं।

अबकी बार यह सुझाव आया है कि एक एक महीने को बीवी बदल कर रख ले इस तरह से हमारी बीवी पांच महीने के बाद हमारे पास वापस आएगी। तब वो नया माल लगेगी और उससे सेक्स करने में भी नयापन लगेगा।

देखो इस सुझाव को सभी मानते है या नहीं।

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क्या जरुरत है झांट साफ़ करने की

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नमस्कार दोस्तो, देसी सेक्स स्टोरी  के सभी पाठकों को मेरा नमस्कार मेरा नाम रवि है और मैं दिल्ली के नजफगढ़ से हूँ। मैं इस वेबसाइट का चहेता हूँ।

वैसे मैं देखने में ज्यादा स्मार्ट नहीं हूँ फिर भी ठीक हूँ। रंग सांवला है और 5 फिट 7 इंच लबांई है। मेरी उम्र 23 साल है। वैसे तो मैं काफी सेक्सी हूँ और मुझे बड़े मम्मों व उभरे हुए चूतड़ों वाली औरतें व लड़कियां काफी पसंद हैं। मैंने कभी भी किसी की चूत नहीं चोदी थी, सिर्फ नहाती हुई औरतों को ही नंगा देखा है।
अब मैं अपनी कहानी पर आता हूँ यह बात आज से दो साल पहले की है। मैं जिस इलाके में रहता हूँ वो एक अच्छा इलाका है। मेरे दो मकान है, एक में मेरा परिवार रहता है और दूसरा मकान किराये पर दे रखा है। जिसमें तीन किराऐदार रहते हैं, जिनमें से दो तो नौकरी वाले हैं और एक परिवार रहता है, जो कुछ समय पहले ही आये हैं, उन्हें मैं भैया और भाभी कहता हूँ।

भाभी की उम्र करीब 27 साल है और भैया की 30 है। उनके दो बच्चे हैं, एक की उम्र 2 साल है व दूसरे की 4 साल है। भाभी देखने में नहीं लगतीं कि दो बच्चों की माँ हैं। उनका नाम गीता है (बदला हुआ नाम)
उनका रंग गोरा है और चूचों का क्या कहना…! इतने बड़े हैं कि उनके ब्लाउज में समाते ही नहीं हैं। करीब 36 के तो होगे ही..! उनके चूतड़ भी एकदम गोल और थोड़े बड़े हैं। उनके नैन-नक्श भी काफी अच्छे हैं। उनका पति कुछ कमजोर है और किसी कम्पनी में नौकरी करता है।

उसकी व मेरी काफी अच्छी पटती है। सभी लोगों के काम पर चले जाने के बाद भाभी अकेली हो जाती हैं, इसलिए उसका पति मुझसे बोल जाता है कि घर का ख्याल रखूँ। वैसे तो मैं खाली ही रहता हूँ, इसलिए मैं भी कभी-कभार वहाँ पहुँच जाता हूँ।
वैसे तो मैंने कभी भी गीता भाभी को गलत नजर से नहीं देखा, पर एक दिन कुछ ऐसा हुआ, जिसके बाद उन्हें देखना का मेरा नजरिया बिल्कुल ही बदल गया।

तो उस दिन हुआ यह कि मैं रोज की तरह मकान की छत पर था, फिर मैं नीचे आ गया। मैंने देखा कि भाभी के कमरे का गेट थोड़ा सा खुला हुआ था। जब मैंने अन्दर देखा तो देखता ही रह गया।
भाभी पलंग पर सो रही थीं और उनके बच्चे खाट पर सो रहे थे। भाभी तो बिल्कुल बेहोश होकर सो रही थीं उनकी साड़ी बिल्कुल अस्त-व्यस्त हो रही थी और उनका पेटीकोट उनके घुटनों से भी ऊपर जा रहा था जिस कारण उनकी चिकनी जांघें दिख रही थीं और उनके ब्लाउज का ऊपर का बटन खुला हुआ था, जिस कारण उनके आधे से ज्यादा चुच्चे दिख रहे थे।

ये सब देख कर तो मेरी हालत खराब हो गई और मेरा लंड खड़ा हो गया। मेरा मन तो कर रहा था कि जाकर अभी चोद दूँ, पर मैंने खुद पर कण्ट्रोल किया लेकिन मेरी तो हालत खराब हो गई थी।
मैं अन्दर घुस गया और फिर उनके पास खड़ा हो गया और एकदम पास से उनके मस्त शरीर के सारे नजारे लेने लगा।
फिर मैंने हिम्मत करके अपने हाथ को भाभी के मम्मों के ऊपर रख दिया, पर उनकी तरफ से कोई प्रतिक्रिया नहीं हुई।

फिर मैं धीरे-धीरे उनके चूचों को मसलने लगा। मैं बता नहीं सकता कि मुझे कितना मजा आ रहा था।
मैं उत्तेजित हो चुका था और मेरी स्पीड बढ़ती चली गई। धीरे-धीरे मैंने अपना पूरा हाथ उनके ब्लाउज में घुसेड़ दिया। उन्होंने काले रंग की ब्रा पहन रखी थी। उनके चूचुक काफी कड़े हो गए थे पर भाभी अभी भी सोई हुई थीं या पता नहीं सोने का नाटक कर रही थीं।

फिर मैंने अपना हाथ उनकी जांघ पर रखा और धीरे-धीरे सहलाने लगा। फिर मैंने हिम्मत करके उनकी साड़ी व पेटीकोट को ऊपर कर दिया, जिस कारण उनकी काली कच्छी दिखने लगी।
मैं तो पागल सा हो गया था।
मैंने गौर किया कि भाभी के मुँह से कुछ सिसकारियाँ सी निकल रही थीं। जब तक मेरा हाथ उनकी कच्छी में पहुँच चुका था। मुझे डर लगा कि कही वो जग ना जाएं, इसी डर से मैं वहाँ से जाने लगा।
तभी भाभी ने मेरा हाथ पकड़ लिया, मेरी तो जैसे गाण्ड ही फट गई।

मैंने पलट कर देखा तो वो मुझे घूर रही थीं। मैं डर गया और फिर मैं वहाँ से भागने के लिए अपना हाथ छुड़ाने लगा, पर उन्होंने मेरा हाथ और भी कस कर पकड़ लिया।
मैं भाभी से आँखें नहीं मिला पा रहा था, मैं उनसे बोलने लगा- मुझे माफ कर दो, ये सब गलती से हो गया।
पर वो अभी भी मुझे घूर रही थीं।
फिर मैं उनसे बोलने लगा- प्लीज… किसी को मत बताना… नहीं तो मेरी बहुत बदनामी होगी।
और मैं फिर रोने लगा।

उन्होंने मुझसे बोला- नहीं बताऊँगी, पर तुम्हें मेरा एक काम करना होगा।
मैंने तुरन्त कह दिया- ठीक है, आप जो भी काम बोलेगीं मैं करूँगा!
फिर उन्होंने मुझसे कहा- अब तुम्हें मेरी ये आग, जो तुमने भड़का दी है, उसे अब शांत करना होगा।
मैंने कहा- मैं कुछ समझा नहीं?
मेरे इतना कहते ही, उन्होंने मुझे अपनी तरफ खींच लिया, जिस कारण मैं उनके ऊपर गिर गया और फिर उन्होंने मुझे कस कर पकड़ लिया।
मैंने उनसे बोला- आप क्या कर रही हो?
तो उन्होंने कहा- चुप रहो, मैं जो कर रही हूँ, करने दो… वरना तुम्हारी खैर नहीं!
और फिर इसके बाद तो वो मुझे पागलों की तरह चूमने लगीं। ये सब मुझसे बर्दाश्त नहीं हो रहा था और मेरा लंड तो मेरा पैन्ट फाड़ने को तैयार था।

फिर उन्होंने मेरा हाथ अपने ब्लाउज के ऊपर रख दिया और दबाने लगीं, फिर क्या था..! मैंने डर को खत्म किया और उनका साथ देने लगा और मैंने धीरे-धीरे उनके ब्लाउज के सारे बटन खोल ब्लाऊज़ उनके बदन से अलग कर दिया और वो तो काली ब्रा में कहर ढा रही थीं।
उनकी ब्रा इतनी टाईट थी कि क्या बताऊँ…!

इसके बाद मैं उनके चूचों को ब्रा में ही दबाने लगा और उन्हें बेतहाशा चूमता जा रहा था। ये सब मेरे साथ पहली बार हो रहा था और मुझे अजीब सा लग रहा था।
फिर मैंने उनकी ब्रा को उनके शरीर से अलग कर दिया, उनके चूचों को नंगा देख कर तो मैं पागल सा हो गया। उनके चूचों के निप्पल कुछ काले-काले जामुन जैसे थे।
फिर मैं उनके एक मम्मे को दबाने लगा व दूसरे को अपने मुँह में लेकर चूसने लगा।
भाभी तो ‘उउ उउउ आआआ..’ करने लगीं और उन्होंने मेरा लंड पकड़ लिया।
पहली बार किसी औरत ने मेरा लंड पकड़ा था इसलिए मुझे बहुत अच्छा लगा।
काफी देर तक मैंने उनके चूचों को चूसा, जिस कारण वो लाल हो गए थे। फिर वो मेरे लण्ड को मेरी पैन्ट में से बाहर निकाल कर उसके साथ खेलने लगीं।

तब तक मैं भी अपना हाथ उनके पेटीकोट में डाल कर उनकी चूत को सहलाने लगा। जिससे उनकी सिसकारियाँ और तेज हो गईं।
फिर कुछ देर बाद उनकी साड़ी को उतार दिया, फिर उनके पेटीकोट को भी खोल दिया। अब वो मेरे सामने सिर्फ कच्छी में खड़ी थीं। फिर मैंने भी अपने सारे कपड़े उतार दिए और बिल्कुल नंगा हो गया। वो मेरे लंड को अपने मुँह में लेकर चूसने लगीं।
क्या बताऊँ, दोस्तो… मैं तो जैसे जन्नत में आ गया था!
वो मेरे लंड को ऐसे चूस रही थीं, जैसे किसी ब्लु-फिल्म में अंग्रेजन चूसती है। फिर कुछ समय बाद जब मुझे लगा कि मैं झड़ने वाला हूँ तो मैंने अपना लंड उनके मुँह में से निकाल लिया।
अब मेरी बारी थी, मैंने कई ब्लू-फिल्मों में देखा है कि आदमी चूत जरूर चाटता है और इसमें औरत को बड़ा मजा आता है।

ये सब देखकर मेरा भी मन करता था, पर आज तक ऐसा मौका मिला ही नहीं था। शायद आज मेरी फूटी किस्मत जागने जा रही थी। फिर मैंने भाभी की कच्छी को भी उतार दिया, उनकी चूत काली थी और उनकी झाँटें भी कुछ बड़ी थीं, शायद कई दिनों से साफ नहीं करी थीं।
मैंने पूछा तो वो बोलीं- झाँटें किसके लिए साफ करूँ? तुम्हारे भैया की तबियत खराब रहती है, हमें चुदाई करे तो महीनों हो गए हैं। जब तुमने मेरे चुच्चे दबाए, तो मेरी चूत की आग और भड़क गई। अब जल्दी से इसे शान्त कर दो।

फिर मैंने भाभी को पंलग पर लेटा दिया और मैं उनके घुटनों पर आ गया, तो उन्होंने पूछा- यह क्या कर रहे हो?तो मैंने बोला- मुझे आपकी चूत चाटनी है..!
तो वो बोलीं- नहीं वो जगह साफ नहीं है..!
पर मैं नहीं माना, जब मैं अपनी उंगलियों से उनकी झाँटें हटा रहा था, तो मुझे कुछ गीला सा लगा। मैं समझ गया कि वो झड़ चुकी हैं। फिर मैंने उनकी चूत को थोड़ा चौड़ा करके उसमें अपनी जीभ डाली।
मुझे उसका स्वाद कुछ अजीब सा लगा और उसमें से अजीब सी खुशबू भी आ रही, पर कुछ भी मुझे तो उस चटाई में बड़ा मजा आ रहा था।
फिर कुछ समय के बाद उन्हें भी इसमें मजा आने लगा और वो ‘उउउअअअइइ..’ जैसी आवाजें निकालने लगीं।

धीरे-धीरे उनकी आवाज और तेज हो गई, मैं कुछ समझ पाता, इससे पहले ही वो झड़ गईं और उनका सारा पानी मेरे मुँह पर गिर गया। फिर मैंने अपना मुँह साफ किया।
भाभी ने मेरा लंड पकड़ा और कहने लगीं- अब मत तड़पाओ.. जल्दी से इसे मेरी चूत में घुसेड़ दो प्लीज!
फिर मैंने उनके घुटनों को थोड़ा फैलाया, जिससे उनकी चूत का मुँह कुछ खुल गया। फिर क्या था मुझे बड़ी खुशी हो रही थी क्योंकि मैं पहली बार चुदाई करने जा रहा था।
मैंने लंड का मुँह चूत पर रखा और उसे अन्दर घुसेड़ने लगा, तभी उनके मुँह से आवाज निकलने लगी। वो काफी दिनों के बाद चुद रही थीं, इसलिए उनकी चूत टाइट हो गई थी पर मैंने उनकी एक ना सुनी और धीरे-धीरे पूरा लंड उनकी चूत में घुसेड़ दिया, फिर झटके मारने लगा और वो चिल्लाने लगी पर मैं नहीं माना और अपने झटकों की स्पीड को बढ़ा दिया।

पूरा कमरा पच…पच…पच… की आवाज से भर गया फिर धीरे-धीरे भाभी को भी मजा आने लगा क्योंकि वो भी अपनी गांड को उठा-उठा कर मेरा साथ दे रही थीं।
मैंने उन्हें कई तरीकों से चोदा इस चुदाई में उन्हें बड़ा मजा आ रहा था।
जब मुझे लगा कि मैं झड़ने वाला हूँ, तो मैंने उनसे पूछा- कहाँ झड़ूँ?
तो वो बोलीं- चूत में मत झड़ना!
मैंने अपना सारा माल उनके पेट पर झाड़ दिया और उसके बाद मैं थोड़ी देर ऐसे ही लेटा रहा।
फिर वो बोलीं- आज तुमने मेरी प्यास बुझा दी, अब तो मैं तुमसे ही चुदवाया करूँगी।
यह सुनकर तो मैं जैसे खुशी के मारे पागल सा हो गया।
वो बोलीं- अब जाओ, तुम्हारे भैया आने वाले हैं।
मैं बोला- भाभी, पर मुझे तो आपकी गांड मारनी है।
इस पर वो बोलीं- अभी नहीं, फिर कभी..!

फिर हमने अपने आप को साफ किया और अपने अपने कपड़े पहने और वहाँ से आ गया।
इसके बाद मैंने उन्हें कई बार चोदा उनकी गांड भी मारी। फिर उसके बाद मैं एक कम्प्यूटर कोर्स करने लगा, जिस कारण मैं बिजी हो गया। पर जब भी मुझे मौका मिलता है, मैं उन्हें जरूर चोदता हूँ।
मेरी कहानी आपको कैसी लगी, मुझे जरूर मेल करें, अगर मुझे आपका समर्थन मिला, तो मैं अपनी और भी कहानियाँ लिखूँगा।

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भतीजे और उसके पंजाबी दोस्त के साथ चुदवाया

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हेलो दोस्तों, मैं आज आप लोगों से अपनी कहानी शेयर कर रही हूँ जो मेरे साथ अभी कुछ समय पहले हुई एक सच्ची घटना है. मेरा नाम शोभा है और मेरी उम्र 33 साल है.. लेकिन मैं अपने चहरे से लगती नहीं कि मेरी उम्र इतनी है. मैं बहुत खूबसूरत और सेक्सी औरत हूँ और मेरा बहुत अच्छा फिगर है. मेरे बूब्स बहुत बड़े बड़े है और जब भी मेरे पति को समय मिलता है.. वो हमेशा मुझे चोदते है और मेरे बूब्स से तो वो रोज़ ही खेलते है. जब भी मेरे पति घर पर रहते है.. तो मेरे बूब्स हमेशा व्यस्त रहते है. मेरे दो बच्चे है.. एक बेटी और एक बेटा, उनकी उम्र 6 और 12 साल है और हम पटना के रहने वाले है. एक दिन हमारे घर मेरे पति का भतीजा रहने आ गया.. वो हमारे घर अपनी कॉलेज की पढ़ाई पूरी करने के लिए गावं से आया.. क्योंकि गावं के आस पास में कोई भी अच्छा कॉलेज नहीं था और था तो बहुत दूरी पर था.

उसका नाम दीपक है वो करीब 20 साल का है.. लेकिन मेरे पास वो पहले भी रह चुका है. जब हम गावं में अपने घर पर रहते थे.. लेकिन तब दीपक बहुत छोटा था और उसकी उम्र लगभग 13-14 साल की थी और हमेशा वो मुझे घूरता रहता था. फिर जब मैं मेरी बेटी को दूध पिलाती तो उसकी नज़रे मेरे बूब्स से नहीं हटती थी.. उसने कई बार मेरे नंगे बदन को देखा है. हमारे घर में एक कमरा खाली है.. हमने उसे वहां पर रख लिया.

दीपक मुझसे ज़्यादा बात नहीं करता था.. लेकिन उसकी नज़रे हमेशा मेरे बूब्स पर ही रहती थी. मुझे ज़्यादातर बिना कपड़ो के रहने की आदत थी और मैं घर पर पेटिकोट ही पहनती हूँ. दीपक ज़्यादातर घर पर ही रहता था.. क्योंकि उनकी ज़्यादा क्लासेज नहीं होती थी और वो एक सप्ताह में दो, तीन दिन ही कॉलेज जाता था और दिन के वक़्त बस हम दोनों ही घर पर रहते है. वो गर्मियों के दिनों मैं हमेशा बिना टी-शर्ट के रहता था और मैं उसका नंगा बदन देखती थी. एक बार मैं नहाने के बाद बाथरूम से निकली और मैंने अपने बूब्स पर सिर्फ टावल बांध रखा था और नीचे सिर्फ़ पेटिकोट पहना हुआ था और जब मैंने बाहर देखा तो दीपक मेरे बेटे के साथ खेल रहा था और जब मैं उन लोगों की तरफ से गुज़री तभी अचानक मेरे बेटे ने मेरा पेटीकोट नीचे खींच दिया और पेटीकोट को बचाने के चक्कर में, मेरा टावल भी नीचे जमीन पर गिर गया और मेरा पूरा शरीर साफ साफ दिखने लगा. तभी मेरी नज़रे दीपक की तरफ गयी और मैंने देखा कि उसकी आँखें मेरे बूब्स से हट ही नहीं रही थी.. क्योंकि मेरे बूब्स अब हवा मैं झूलने लगे थे और वो नीची निगाह से मेरी चूत के दर्शन भी कर रहा था और घूर रहा था और फिर मैंने पेटिकोट ऊपर खींच लिया.

तभी अचानक मैंने दीपक के लंड की तरफ देखा.. उसका लंड मेरे नंगे जिस्म को देखकर खड़ा हो गया था और उसकी पेंट के ऊपर उसके लंड का आकार उभर आया था और मैं कुछ नहीं बोली और अपने रूम मैं चली आई. फिर एक रात दीपक मैं और मेरे दोनों बच्चे टीवी देख रहे थे और तभी मेरा बेटा मेरी गोद में आ गया और वो मेरे बूब्स को दबा रहा था और उनसे खेल रहा था. फिर धीरे से उसने मेरे ब्लाउज को खोल दिया और मेरे बूब्स पूरे नंगे हो गए और वो मेरे नंगे बूब्स को मसल रहा था.. लेकिन मैंने उसे नहीं रोका और फिर मैंने देखा कि दीपक की आँखें टीवी पर नहीं मेरे बूब्स पर है. तो मैंने अपने बेटे से कहा कि अब बस कर देख तेरे भैया मेरे बूब्स घूर घूरकर देख रहे है.. तभी अचानक मेरा बेटा दीपक से बोला कि भैया क्या आपने कभी इनका बूब्स दबाया है यह बहुत मज़ेदार है.. लेकिन दीपक कुछ नहीं बोला बस चुप था और थोड़ी देर बैठकर अपने रूम में चला गया. फिर एक दिन घर पर कोई नहीं था. सिवाए मेरे और दीपक के.. मैं उस वक़्त सोकर उठी थी और मैं दीपक के रूम मैं गयी.. उसके रूम का दरवाज़ा खुला था और जब मैंने अंदर जाकर देखा तो दीपक मुठ मार रहा था. वो अपने लंड को अपने एक हाथ में पकड़कर ज़ोर ज़ोर से हिला रहा था और पहली बार मैंने उसका लंड देखा.. वो बहुत बड़ा था और फिर दीपक ने भी मुझे देख लिया और मेरी नज़रे बस उसके लंड पर ही थी.. लेकिन उसने झट से अपनी अंडरवियर में लंड को डाल लिया और मैं उससे कुछ ना कह सकी बस चुपचाप चली आई.

फिर एक बार मैंने ध्यान दिया कि बाथरूम से कई बार मेरी ब्रा पेंटी गायब रहती है और मेरा शक सीधे दीपक पर ही था और एक बार मैंने उसे रंगे हाथों पकड़ लिया.. वो मेरी ब्रा को तकिये पर पहना के उसके ऊपर से दबा रहा था और साथ में मुठ मार रहा था. तो मैं सीधे अंदर गयी और उसे बहुत डांटा.. लेकिन उसने अचानक मेरे बूब्स को मेरे ब्लाउज के ऊपर से दबाया और मुझे अपने बिस्तर पर पटका और मेरे ऊपर खुद चड़ गया और उसने अपना लंड मेरी नाक में सुंघाया. तो मैंने उसे पीछे धकेला और चिल्लाने लगी.. तभी वो मुझसे आग्रह करने लगा कि वो मुझे एक बार चोदना चाहता है और मैं उसकी बात मान जाऊँ.. लेकिन मैं नहीं मानी और मैं वहाँ से चली गई. फिर कुछ देर बाद वो मेरे रूम में आया और फिर आग्रह करने लगा. तब मैंने यह सब बातें उसके चाचा को बताने की धमकी दी और वो फिर से माफी माँगने लगा.
उस दिन के बाद से हम दोनों की थोड़ी भी बात नहीं होती थी. फिर एक रात मुझे सपना आया जिस में वो मुझे बहुत चोद रहा था. उसके बाद कई बार वो मेरे सपनों में आने लगा.. उसके लंड की तस्वीर मेरे मन में बस गयी थी और मैं उसके लंड को देखना चाहती थी.. लेकिन मैं उससे ल नहीं पा रही थी. फिर एक दिन में उसके रूम मैं गयी और उससे अपने रूम को साफ करने में मदद माँगी.. तो वो झट से मेरे रूम मैं आ गया. उस दिन घर पर कोई भी नहीं था.. फिर कुछ ही मिनट साफ सफाई का काम करके मैंने अपना ब्लाउज उतार दिया और मेरे बूब्स उसके सामने लटकते हुए दिखने लगे. मैंने अपनी ब्रा पहनी और टावल लपेटा और पेटीकोट पहन लिया और अब उसकी नज़रे मुझ पर ही टिकी थी..

तो मैंने उसे एक स्माईल दी और अब शायद वो समझ गया था कि मैं उससे क्या कहना चाहती हूँ. तो उसने मुझे अपनी बाहों में कसकर पकड़ लिया और मेरे होठों को चूमने लगा और मैंने भी उसे जवाब दिया.. मैंने उससे कहा कि मैं तेरे लंड की दीवानी हो गयी हूँ. तो उसने मेरी ब्रा उतारी और दूर फेंक दी और मेरे बूब्स को चूसने लगा.. बिल्कुल अपने चाचा की तरह वो भी मेरे बूब्स से खेल रहा था और उसने मेरे बूब्स को बहुत दबाया और अपने लंड को निकालकर मेरे चेहरे के सामने रख दिया. तो मैंने उसके लंड को बहुत देर तक देखा और फिर वो बोला कि चूसो मेरे लंड को. मैंने उसके लंड को अपने मुहं में लिया और बहुत देर तक चूसा.. उसके बॉल्स तक को नहीं छोड़ा. फिर वो मज़े लेते हुए बोला कि वो मुझे बचपन से चोदना चाहता था और उसने मुझे बिस्तर पर लेटाया और अपना मुहं चूत तक ले गया और चूत चाटने लगा. उसने जैसे ही मेरी चूत पर अपनी जीभ रखी.. मेरे पूरे शरीर में करंट दौड़ने लगा और मैं सिसकियाँ भरने लगी.

फिर उसने चाट चाटकर मेरी चूत को गीला कर दिया और करीब दस मिनट के बाद मैं झड़ गई और वो मेरा सारा रस चाट गया. फिर वो एकदम से उठा और अपना लंड मेरी चूत पर रगड़ने लगा और फिर उसने लंड को चूत पर रखा और एक ही धक्का देकर चूत में लंड डाल दिया और उसने मुझे बहुत देर तक ज़ोर ज़ोर से धक्के देकर चोदा. मैं उसके नीचे बेबस पड़ी थी. वो मेरी आँखों में आँखें डालकर चोद रहा था और मैं उससे आँखें नहीं मिला पा रही थी और करीब बीस मिनट की चुदाई के बाद वो पहली बार झड़ गया और उसने अपना पूरा वीर्य मेरी चूत में डाल दिया. फिर उसने अंत में मेरी एक बार गांड भी मारी और उस दिन के बाद कई बार हम दोनों ने चुदाई की. मैं उसकी चुदाई से बहुत खुश थी. मुझे अब दो दो लंड मिल रहे थे.. कभी रात मैं मेरे पति का तो कभी दिन दोपहर में उसका .. लेकिन उनकी पढ़ाई खत्म होने के बाद वो मेरे पास से चला गया और मैं फिर से प्यासी रह गयी.. लेकिन उसके एक साल बाद एक पंजाबी मास्टर को हमने हमारे घर पर अपने बेटे की पढ़ाई के लिए बुला लिया.

उसकी उम्र करीब 28 या 30 साल की थी और वो लंबा और दाढ़ी वाला था.. वो शायद शुरू से ही मेरी सुन्दरता पर फिदा हो गया. फिर जब भी दिन को दो बजे वो मेरे बेटे को पढ़ाने आता तो किसी ना किसी तरह मुझसे बात करता था. फिर क्या कुछ दिनों के बाद पढ़ाई कम और हम दोनों की बातें ज़्यादा होने लगी और अब वो मुझसे मज़ाक भी करने लगा था. वो शादीशुदा नहीं था और वो मेरी बहुत तारीफ किया करता था और वो कहता था कि मैं बहुत सेक्सी हूँ. काश उसे भी मेरे जैसी बीवी मिले. फिर कुछ दिन बाद वो हमेशा एक घंटा पहले घर आने लगा.. लेकिन जब तक मेरा बेटा स्कूल से ही वापस नहीं आता था और मुझे भी वो अब अच्छा लगने लगा था.. लेकिन वो कुछ दिनों के लिए गायब हो गया और मैं उसे बहुत याद करने लगी. तो मैंने अपने पति से अपने बेटे की पढ़ाई का बहाना बनाकर उसके नंबर लिए और उसे कॉल किया. मैंने उससे पूछा कि कहा हो आप और घर क्यों नहीं आते? तो उसने कहा कि मैं कुछ जरूरी काम से बाहर गया था और मैं कल से आ जाऊंगा.

तो अगले दिन से वो आया और मैंने उसका हाल पूछा तो उसने मुझे फ्लर्टी अंदाज़ मैं जवाब दिया कि क्या मेरी याद आ रही थी? फिर मैंने भी उसे सीधा सीधा जवाब दिया कि हाँ आ रही थी.. इसलिए तो पूछ रही हूँ. दूसरे दिन वो दो घंटे पहले आया और करीब आधा घंटा साथ बैठने के बाद उसने मेरा हाथ पकड़ लिया.. लेकिन मैं कुछ नहीं बोली और उसने मेरा इशारा पाकर मेरे होठों को सीधा किस किया.. उस समय घर पर दिन में कोई भी नहीं था और फिर मैंने उससे पूछा कि आप यह क्या कर रहे हो? तो वो मुझसे सॉरी बोला और फिर बातों बातों में मुझे मना ही लिया. फिर वो दूसरे दिन करीब एक घंटा पहले आया.. उस वक़्त मैं बाथरूम से टावल पहनकर निकली थी. उसने मुझे देखा और फिर मुझसे बोला कि तुम बहुत सेक्सी हो और वो मेरे थोड़ा करीब आया और फिर मुझे किस किया.

इस बार मैंने भी उसके किस का जवाब दिया और फिर हम दोनों ने बहुत देर तक किस किया. तो मैंने उससे बोला कि बस और अपने रूम में चली आई. जैसे ही मैंने अपना टावल हटाया और ब्रा पहनी तो वो वहां पर आ गया और मुझे अपनी और खींचा और मेरे बूब्स दबाने लगा.. अब मुझे भी बहुत मज़ा आने लगा था और मैंने उससे कुछ नहीं कहा और उसने मेरी ब्रा उतार दी और मेरे निप्पल को चूसने लगा. उसने मेरी गांड पर बहुत थप्पड़ मारे और अपना लंड बाहर निकाला. तभी उसका लंड देखकर तो मैं हैरान रह गई.. बाप रे इतना बड़ा लंड.. मेरे पति से डबल साइज़ और मैं कामुक होकर उसके लंड को चूसने लगी और तभी इतने में मेरा बेटा स्कूल से घर आ गया और हम दोनों ने जल्दी से अपने कपड़े पहन लिए और उसने मेरे बेटे को कहा कि बेटा आज पढ़ाई नहीं होगी.. तुम अपने दोस्त के यहाँ पर खेलने चले जाओ. फिर क्या मेरा बेटा बहुत खुश होकर कुछ समय बाद अपने एक पड़ोस वाले दोस्त के घर पर चला गया और हम फिर से शुरू हो गये.

फिर मैंने उसका लंड चूसा.. मुझे उसका लंड चूसने मैं बड़ा मज़ा आ रहा था और मैं उसके सामने बिल्कुल नंगी पड़ी थी और वो मुझ पर कोई रहम नहीं कर रहा था और वो मुझे गालियां भी देने लगा.. साली रांड तेरे बेटे के सामने तुझे चोदने का मन कर रहा था.. लेकिन मैं बहुत मजबूर था. आज मैं तेरी चूत फाड़ दूँगा और तुझे मेरी रंडी बनाऊंगा.. साली दो बच्चो की माँ होकर चुदवाती है. रुक आज मैं तेरी चूत ठंडी करता हूँ. फिर उसने मुझे लेटाया और अपना लंड मेरी चूत पर रखकर एक ज़ोर का धक्का देकर घुसा दिया. मुझे बहुत दर्द हो रहा था.. क्योंकि पहली बार इतना बड़ा लंड मेरी चूत में घुस रहा था. फिर उसने मेरी बहुत चुदाई की और थोड़ी देर बाद मैं उसके लंड को सहन ना कर सकी तो मैं रोई बहुत चिल्लाई उससे भीख माँगी.. लेकिन उसने मेरी एक ना सुनी और मेरी बहुत देर तक चुदाई हुई और उसने ठंडा होकर मेरी चूत में अपना वीर्य डाल दिया.

दूसरे दिन फिर वो आया.. लेकिन मैंने उसे चुदाई के लिए साफ मना कर दिया.. लेकिन उसने मुझे जबरदस्ती गोद मैं उठाया और मुझे मेरे रूम में ले जाकर पूरा नंगा किया और चोदने लगा. फिर कुछ देर बाद मैं भी चुदाई के मजे लेने लगी. दोस्तों उसके बाद उसने मुझे हर दिन चोदा और मैं उसके लंड की प्यासी हो गई. मुझे उसका लंड अच्छा लगने लगा और उसने मुझे बहुत दिनों तक चोदा ..

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मामी ने डाली मेरी सर्म की पानी अपने बुर मे

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हेलो दोस्तों.. मेरा नाम आदर्श है.. मेरी उम्र 22 साल है. दोस्तों मैं इस वेबसाइट का बहुत बड़ा फेन हूँ. मैंने इस साईट पर बहुत सी सेक्सी कहानियाँ पढ़ी हैं. आज मैं अपनी एक सच्ची कहानी आप सभी को बताने जा रहा हूँ.. यह कहानी एकदम सच्ची है और मैं उम्मीद करता हूँ कि आप सभी को यह बहुत पसंद आएगी. अब मैं अपनी कहानी पर आता हूँ. दोस्तों मैं अपने घर मैं तीन भाइयों में सबसे छोटा हूँ.. मेरे घर में माँ, पापा और हम तीन भाई है. यह स्टोरी तब की है.. जब मैं बारहवीं के पेपर के बाद अपनी नानी के घर पर गया. मेरी नानी के घर पर नानी, नाना, और बड़े मामा, मामी.. उनके 4 बच्चे और मेरे छोटे मामा जो गर्मियो में एक महीने के लिए आते है.. क्योंकि वो एयरफोर्स मैं काम करते है. छोटे मामा के दो बच्चे है.. बड़ी लड़की 4 साल की है और छोटा बेटा एक साल का है. दोस्तों यह स्टोरी मेरी छोटी मामी के साथ हुई घटना पर आधारित है और मैं पहले आप सभी को अपनी मामी के बारे में बता देता हूँ.. उनका नाम ऋतु है. वो एक हाऊसवाईफ है और बहुत ही सुंदर है.. उनका फिगर 36-28-38 है और मुझे उनके बूब्स हमेशा से ही बहुत पसंद है.

वो अक्सर मेरे सामने ही अपने बच्चे को दूध पिलाया करती थी और मेरा सारा दिन उनके साथ बातें करते हुए ही बीता करता था. नानी का घर बहुत बड़ा तीन मंजिल का है.. उसमे 10 कमरे है. मैं और मामी हमेशा पहली मंजिल पर ही रहते थे. बड़े मामा ज्यादातर मार्केट में या खेतों पर घूमने चले जाते थे और बाकी लोग नीचे की मंजिल पर ही रहते थे. फिर इस बार जब मैं वहाँ पर पहुंचा तो मुझे पता चला कि दोनों मामा, बड़ी मामी, नानी और बड़े मामा के बच्चे यह सारे लोग पास के गावं मैं किसी रिश्तेदार की शादी में जा रहे है. मैं बहुत खुश था क्योंकि मुझे मामी के साथ अब और टाईम बिताने का मौका मिलने वाला था. घर पर नाना, मामी, मामी के बच्चे, मैं और बड़ी मामी की बेटी दिव्या जो की 18 साल की है.. सिर्फ हम लोग ही रुकने वाले थे. फिर अगले दिन सभी लोग शादी में चले गये और अब वो 4-5 दिन बाद ही आने वाले थे.. मेरे नाना ज्यादातर खेतों मैं ही रहते थे और दिव्या अपनी आगे की पढ़ाई करने में व्यस्त रहती थी. फिर मैं सभी को बस स्टेशन छोड़कर घर वापस पहुंचा तो मैंने देखा कि मामी नहाने गई हुई थी और दिव्या टीवी देख रही थी. तो मैं सीधे मामी के रूम में चला गया और मुन्ने और गुड़िया के साथ खेलने लगा. फिर मामी बाथरूम से साड़ी में भीगे हुए बालों को सुखाते हुए कमरे में आई और गुड़िया से अपनी चोटी बंधवाई.
मामी : क्या मस्ती हो रही है भैया के साथ?

मैं : अरे मामी कुछ नहीं ऐसे ही हम लोग बस मुन्ने के साथ खेल रहे है.
मामी : गुड़िया जा ज़रा दीदी से बोल कि नाश्ता लगा ले.
गुड़िया झट से चली गयी और मामी मेरे पास आकर बैठ गयी और अपना हाथ मेरे कंधे पर रख दिया.. वो अक्सर ऐसे ही बैठती थी और मुझे भी बहुत अच्छा लगता था.. लेकिन कभी भी मैंने उनके बारे मैं ग़लत नहीं सोचता था.. मुझे उनके बूब्स तो हमेशा से ही बहुत पसंद थे.. क्योंकि मैं एक मर्द हूँ.. तो ना चाहते हुए भी उन्हे देखना पड़ता था. फिर मैंने मामी से बोला कि मुन्ने को भूख लगी है और मामी तुरंत मुन्ने को गोद में लेकर दूध पिलाने लगी. मैं उनके बूब्स को देखता रहा और मामी ने यह बात हमेशा नोटिस की.. लेकिन वो मुझे अपने बच्चे जैसा मानती थी. हाँलाकि वो मुझसे 10 साल ही बड़ी थी. मामी को हमेशा से ही पता था कि मैं उनके बूब्स को देखता हूँ और वो यह बात जानते हुए भी कभी भी उन्हे नहीं छुपाया करती थी. मामी हमेशा से ही मुझसे बहुत ही खुलकर बातें करती थी.. लेकिन मैं ही समझता नहीं था और हमेशा शरमाता रहता था. फिर मामी ने मुझसे बोला कि आदर्श क्या देख रहा है? तो मैंने कहा कि मुन्ने को देख रहा हूँ.. क्या वो सो गया? तो मामी ने हंसते हुए बोला कि सच्ची में सो गया है और मुझसे बोली कि क्या तेरी कोई गर्लफ्रेंड नहीं है?

मैं : नहीं मामी.. मैंने कभी बनाने के बारे में सोचा ही नहीं.
मामी : ऐसा क्यों?
मैं : मुझे लड़कियों से बात करना पसंद नहीं है.
मामी : लेकिन तुम मुझसे तो बहुत अच्छे से बात करते हो और लड़कियों से बात करना पसंद नहीं है.. या फिर शरमाते हो?
मैं : कुछ ऐसा ही.. लेकिन आपसे तो मैं बात कर ही सकता हूँ ना.. क्योंकि आप भी मुझसे बात करती हो.
मामी : अच्छा तो तू चाहता है कि कोई लड़की खुद तुझसे बात करने आए.
मैं : मैंने ऐसा कहाँ बोला.
मामी : मैं सब समझती हूँ.
मैं : क्या समझती है आप?
मामी : तू बाहर से बहुत शर्मिला है.. लेकिन अंदर से कुछ और ही है.
मैं : क्या मतलब मामी?
मामी : तू हमेशा मुझे घूर घूरकर देखता है ना और जब मैं बच्चे को दूध पिलाती हूँ तो तेरी निगाहे बस वहीं टिकी रहती है.
फिर मैं कुछ ना बोल सका और शांति से गर्दन नीचे करके बैठा रहा.
मामी : अरे शरमाता क्यों है? तुम तो मेरे बच्चे जैसे हो ना और तुम वो देखते हो इस पर मुझे कोई आपत्ति नहीं.. लेकिन तुम इतना शरमाते हो उस पर मुझे बहुत हंसी आती है.
मैं : तो मैं क्या करूं? मामी मैं ऐसा ही हूँ.
मामी : तो शादी के बाद भी ऐसा ही रहेगा क्या?
मैं : क्या मतलब?
मामी : मेरा मतलब है कि क्या तू अपनी शादी के बाद अपनी बीवी को भी ऐसे ही देखेगा?
मैं : नहीं मामी वो तो जब शादी होगी.. तब देखा जाएगा.
मामी : अच्छा बच्चे ठीक है.. मैं तेरी मम्मी को बोल देती हूँ कि आदर्श की जल्दी से शादी कर दे.. नहीं तो वो ऐसे ही लडकियों को छुपकर देखता रहेगा.
मैं : मामी आप भी ना.
तभी दिव्या ने आवाज़ दी कि चाची नाश्ता तैयार है और हम मुन्ने को सुलाकर नीचे नाश्ता करने चले गये.
मामी : दिव्या क्या तुझे एक बात पता है?
दिव्या : वो क्या चाची?
मामी : तेरे आदर्श भैया लड़कियों को छुप छुपकर देखते है और ऐसे ही जी भरते है.
मामी : आप भी ना.. मैंने ऐसा क्या किया है?
दिव्या : क्यों भैया आप तो बड़े छुपेरुस्तम हो?
फिर ऐसा बोलकर वो दोनों हंसने लगी और मैं शरम के मारे शांत रहा और नाश्ता करके चुपचाप उठकर चला गया. दोपहर में मामी मेरे पास आई और बोली..
मामी : तू मुझसे इतना नाराज़ क्यों है?
मैं : आपने दिव्या के सामने ऐसी बात क्यों की?
मामी : दिव्या को भी तेरी यह बात पता है क्योंकि तू उसे भी ऐसे ही देखा करता है और इसलिए मैंने तुझे बचाने के लिए ऐसा मज़ाक किया.
मैं : फिर मैं और शर्मिंदा हो गया.
मामी : देख तू ऐसे क्यों शर्मिंदा हो रहा है?
मैं : तो क्या करूं? मैं अपनी नज़रों पर काबू नहीं कर पाता हूँ और मेरी किसी भी लड़की से बात करने की हिम्मत भी नहीं होती.
मामी : तो इसमे इतनी टेंशन क्यों ले रहा है? मैंने तो बस मज़ाक किया था अगर मैं तुम्हारी कुछ मदद कर सकूं तो मुझे बताओ.
मैं : आप मेरी क्या मदद कर पाओगी?
मामी : तू एक बार बोल तो सही तेरी सारी परेशानियाँ मैं बिल्कुल समाप्त कर दूंगी.
मैं : लेकिन आप ऐसा क्या करोगी?
मामी : मैं तेरी गर्लफ्रेंड बन जाती हूँ और तू मुझसे अपनी गर्लफ्रेंड जैसे ही बातें किया कर.
मैं : यह क्या बोल रही हो आप?
मामी : क्यों तुझे मैं पसंद नहीं हूँ क्या? जो तू मुझे अपनी गर्लफ्रेंड नहीं बना सकता.
मैं : ऐसी कोई बात नहीं मामी.. लेकिन मैंने आपके लिए कभी ऐसा नहीं सोचा.
मामी : तो उसमे क्या है? मैं एक लड़की हूँ ना और तू मुझसे बातें भी करता है.. अब यह सोच ले कि मैं तेरी गर्लफ्रेंड हूँ और बस इसमे क्या ग़लत है?
मैं : ठीक है मामी.. लेकिन मैं आपके साथ गर्लफ्रेंड, बॉयफ्रेंड वाली बातें कैसे करूँगा?
मामी : हाँ यह तो प्राब्लम है.. लेकिन मेरे पास इसका भी हल है.
मैं : वो क्या?
फिर वो अंदर अपने रूम में चली गयी और मैं भी उनके पीछे पीछे चला गया और जैसे ही वो रूम मैं पहुंची मामी ने कहा कि दरवाजा बंद कर दे.
मैं : वो क्यों?
मामी : तू सवाल बहुत करता है.. बस मैं जो बोलती हूँ वो चुपचाप कर.
मैं : ठीक है करता हूँ.
मामी : आजा इधर मेरे पास.
फिर मैं चला गया और उन्होंने अचानक मुझे पीछे से पकड़ लिया.. वो अक्सर ऐसा करती थी.. लेकिन इस बार बात कुछ ओर थी.
मैं : क्या हुआ मामी? आप यह क्या कर रही हो?
मामी : मैं तेरी गर्लफ्रेंड हूँ ना तो यह सब तो कर ही सकती हूँ.. तो ऐसा बोलकर वो मेरे सामने आई और मेरे होंठो पर अपने होंठ रखकर किस करने लगी.. मेरे साथ ऐसा पहली बार हो रहा था और मुझे बहुत मज़ा आ रहा था.
मैं : मामी आप ऐसा क्यों कर रही हो?
मामी : तेरी खातिर और तेरी इस शरम को दूर करने के लिए.
मैं : लेकिन यह सब सही नहीं है.
मामी : ना हो.. लेकिन तेरे लिए यह बहुत अच्छा है.
फिर इतने मैं ही मेरा लंड खड़ा हो गया और मामी ने अपना हाथ तुरंत उस पर रख दिया और मैं पागल हुए जा रहा था. फिर मामी ने अपना ब्लाउज खोल दिया और उनकी चूचियाँ बाहर कूद पड़ी.. तो मैंने अपना हाथ झट से उनके ऊपर रख दिया और दबाने लगा.
मामी : क्यों मेरी चूचियाँ कैसी लगी?
मैं : बहुत मस्त है मामी.
मामी : तो फिर क्या इनका दूध पीना नहीं चाहोगे?
तो मैंने तुरंत एक बूब्स के निप्पल को मुँह मैं ले लिया और चूसने लगा और दूसरे बूब्स को सहलाने लगा.
मामी : आराम से बाबा.. अब यह तुम्हारे ही है जितना चाहे उतना चूसो चाहो तो आज इनको बिल्कुल खाली कर दो.
फिर मैं दोनों चूचियों को बारी बारी से चूसता रहा और दूध पीता रहा और करीब 15 मिनट बाद चूची खाली हो गई. अब मामी ने मेरे 7 इंच के लंड को मेरी पेंट से बाहर निकालकर अपने हाथ में ले लिया और अपने हाथ को आगे पीछे करके सहलाने लगी और फिर मैं थोड़ी ही देर में झड़ गया. तो मामी ने बोला अभी के लिए बस इतना ही आगे का काम रात में करेंगे. फिर मैं रात होने का इंतजार करने लगा और खाना हम सबने एक साथ खाया और अपने अपने रूम में सोने के लिए चले गये और मैं मामी के साथ बातें कर रहा था और सबके सोने का इंतजार कर रहा था.. तभी लाइट चली गयी और गर्मी की वजह से हम छत पर चले गये और वहाँ पर हमने दो गद्दे लगाए और उस पर लेट गये. तभी मामी ने बोला कि अब आगे का काम किया जाए.. तो मैं तुरंत उनके ऊपर आ गया और उनकी चूचियां दबाने लगा.
फिर मामी ने मेरा लंड अपने हाथों में ले लिया और बोली कि मुझे तेरे लंड को चखना है और फिर वो लंड को अपने मुहं में लेकर चूसने लगी. तो मुझे ऐसा लग रहा था.. जैसे कि वो लोलीपोप चूस रही हो और उन्होंने लंड को चूस चूसकर उसका पानी निकाल दिया और सारा गटक गयी.. मेरा लंड बिल्कुल शांत होकर बैठ गया. तो मामी ने कहा कि ले दूध पी ले.. तेरा लंड फिर से खड़ा हो जाएगा और ऐसा बोलते हुए उन्होंने अपनी चूची मेरे मुहं में डाल दी और मेरा लंड थोड़ी ही देर मैं फिर से खड़ा हो गया और मामी के मुहं से अजीब अजीब सी आवाज़े आने लगी.. आअहह उउउई चूस ले मेरे राजा और ज़ोर ज़ोर से साँसे लेने लगी और अब हम दोनों पूरे नंगे हो गये और मामी ने मेरा एक हाथ पकड़कर अपनी चूत पर रख दिया और मैं देर ना करते हुए उसे रगड़ने लगा.. मैंने ब्लूफिल्म में यह सब देखा हुआ था. इसलिए यह सब करने मैं ज्यादा प्राब्लम नहीं हुई.
फिर ऐसे ही हमने 10 मिनट तक एक दूसरे को गरम किया और फिर मामी ने बोला कि अब और मत तड़पाओ चोद दो मेरी चूत को. तो मैंने अपने लंड को चूत पर रखा और एक ही झटके में पूरा लंड अंदर डाल दिया और ज़ोर ज़ोर से ताबड़तोड़ धक्के देकर चोदने लगा और साथ ही साथ चूचियों को भी दबाता रहा और मामी के रसीले होंठ का रस भी चूसता रहा. फिर 20 मिनट चोदने के बाद मैंने अपना वीर्य उनकी चूत में डाल दिया और हम दोनों ही एक साथ झड़ गये और जब हमारा चुदाई का नशा खत्म हुआ और हमने नजरे उठाकर देखा तो दिव्या वहाँ पर खड़ी होकर हमारी चुदाई का खेल देख रही थी. तो मैं बहुत डर गया और तुरंत अपने कपड़े लेकर खड़ा हो गया. तभी मामी ने कहा कि क्या हुआ? इतना डर क्यों रहा है? इसे मैंने ही बोला था और यह भी अब जवान हो रही है. तो इसे भी सब पता होना चाहिए कि चुदाई कैसे की जाती है? लंड कैसे लेना चाहिए? तो मैं मामी की तरफ़ देखते हुए मुस्कुराया और बोला कि मामी आपने तो सच में मेरी प्राब्लम हल कर दी. दोस्तों यह मेरी सच्ची कहानी थी जो कि आज से 6 साल पहले हुई थी.. लेकिन अब मैं दिव्या और मामी की एक साथ चुदाई करता हूँ और वो दोनों भी मजे से दिल खोलकर चुदवाती है ..

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बहन बन गयी रखैल

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हैल्लो दोस्तों.. मेरा नाम कुलदीप है. कैसे हो आप सब? में इस सेक्स वेबसाइट का बहुत बड़ा फेन हूँ और इसको रेग्युलर पढ़ता हूँ.. मुझे इसकी सभी कहानियां पड़ना बहुत अच्छा लगता हैं खास कर घर की मेरा मतलब माँ और बेटा, भाई और बहन. तो फिर दोस्तों मैंने भी सोचा कि क्यों ना में भी अपने जीवन की एक सच्ची घटना लिख देता हूँ जो कि मेरी और मेरी बड़ी दीदी की है. तो दोस्तों अब आप अपना लंड अपने हाथ में ले लो और मेरी और मेरी दीदी के नाम की मुठ भी मार सकते हैं.. लेकिन इससे पहले में अपने बारे में थोड़ा बहुत बता देता हूँ… मेरा नाम कुलदीप है और मेरी ऊम्र 19 साल, हाईट 5.10 इंच.. शरीर मजबूत, लंड का साईज 6 इंच लंबा और 2 इंच मोटा और में उत्तरप्रदेश का रहने वाला हूँ और मेरी दीदी का नाम सपना उम्र 21 साल हाईट 5.6 इंच फिगर 36-26-38 रंग साफ और दिखने में एकदम सेक्सी माल, बड़े बड़े बूब्स बड़ी सी गांड.
तो दोस्तों अब में आपका ज्यादा टाईम खराब किए बिना अपने जीवन की घटना सुना देता हूँ. यह बात अगस्त 2012 की है मेरा बीकॉम का पहला साल था और दीदी के कॉलेज का दूसरा साल. हम दिल्ली में पढ़ रहे हैं. फिर पहले तो मेरे मन में दीदी के लिए कोई ग़लत ख्याल नहीं थे और हम दोनों दिल्ली में अपने कॉलेज से थोड़ी ही दूरी पर एक किराए का रूम लेकर रहते थे और जब बारिश का टाईम था और में, दीदी कॉलेज में थे और ट्यूशन भी करते थे और कोई शाम को 8-9 बजे रूम पर आते थे और हम खाना भी बाहर से ले आते थे. उस दिन बहुत ज़ोर की बारिश हुई थी और जब हमने अपने रूम पर आकर देखा तो हमारे रूम में भी बहुत सारा पानी आ गया था और हम दोनों तो बारिश में भीग भी गये थे. हमारे रूम में कोई अलमारी नहीं थी.. इसलिए हमारे कपड़े हम टेबल पर ही रुखते थे और बाहर बारिश बहुत ज़ोर से हो रही थी और हवा भी चल रही थी. तभी रूम की खिड़की हवा से खुल गई और रूम में रखे सारे कपड़े नीचे गिरकर भीग गये थे और दीदी का पलंग खिड़की के पास था और वो भी पूरा भीग गया था और हम भी पूरे भीगे हुए थे और हमारे पास कोई चेंज करने के लिए कोई और कपड़े नहीं थे. तभी मैंने दीदी से कहा कि दीदी आपको सर्दी लग जाएगी. आप अपने गीले कपड़े चेंज कर लो. तो दीदी बोली कि कहाँ से चेंज करूं? मेरे तो सभी कपड़े गीले हो गये हैं.
तो मैंने कहा कि आप एक काम करो मेरे बेड की बेड शीट ले लो और उसे लपेट लो. मेरा बेड कोने में था और वो गीला होने से बच गया था. तो दीदी ने बोला कि नहीं में ऐसे ही ठीक हूँ. फिर मैंने ज़्यादा बार कहा तो दीदी मान गई थी और उसने अपने कपड़े उतार दिये और बेड शीट लपेट ली. फिर दीदी बोली कि तुम भी अपने कपड़े चेंज कर लो. तो मैंने भी बेड पर से टावल उठाकर अपने कपड़े निकाल लिए और टावल लपेट लिया. फिर मैंने देखा कि दीदी के पैर उसमे से साफ साफ दिख रहे थे. क्या पैर थे दीदी के गोरे गोरे चिकने.. लेकिन उस टाईम भी मेरा मन साफ था और रात बहुत हो चुकी थी और हम सोने के लिए तैयार हो गये.. लेकिन बेड एक ही था और हम दो. तो दीदी ने कहा कि हम एक ही बेड पर सो जाते हैं.. और फिर मैंने कहा कि ठीक है और हम सो गये. तो एक या दो घंटे के बाद मेरी आँखे खुली.. क्योंकि मुझे बहुत ठंड लग रही थी और फिर मेरी तो आँखे खुली की खुली रह गई दीदी की बेड शीट उसके शरीर से पूरी तरह से हट गई थी और वो बिल्कुल नंगी थी. उसके बूब्स में क्या बताऊँ यारों और उसकी चूत बिल्कुल साफ सुथरी शेव की हुई और में तो देखकर पागल ही हो गया और उसको ऐसे देखकर मेरे अंदर का जानवर जागने लगा था और उसे इस हालत में देखकर में क्या और कोई भी पागल हो जाए.
तो उन्हें ऐसे देखकर मेरा लंड खड़ा होने लगा और अब में दीदी को चोदना चाहता था. तो मैंने नींद का बहाना करके एक हाथ दीदी के बूब्स पर रख दिया और एक उसकी चूत पर.. लेकिन दीदी गहरी नींद में थी और उस टाईम थोड़ी देर बाद दीदी की आँख खुली और दीदी ने देखा.. लेकिन मेरे नींद में होने की वजह से ज्यादा ध्यान नहीं दिया और मेरे हाथ हटा दिए और थोड़ी देर बाद अब दीदी को भी नींद नहीं आई. तो मैंने सोचा कि वो सो गई है और मैंने अपना हाथ उसकी चूत पर रखा दिया और धीरे धीरे आगे बड़ाकर अपनी एक उंगली से सहलाने, मसलने लगा. तो थोड़ी देर तक तो दीदी ने कुछ नहीं कहा.. लेकिन थोड़ी देर के बाद दीदी ने मेरा हाथ पकड़ लिया और कहा कि यह क्या कर रहे हो? तभी में बहुत घबरा गया और में अब मौके को छोड़ना नहीं चाहता था.. क्योंकि दीदी को अब ही तो फंसाया जा सकता है.. क्योंकि दीदी और में दोनों पूरे नंगे थे.
तो में अब दीदी के ऊपर चड़ गया था और उसको अपनी बाहो में ले लिया.. तभी दीदी छटपटाने लगी और बोली कि छोड़ मुझे. तो में बोला कि दीदी प्लीज़ आज आज फिर नहीं. फिर दीदी बोली कि पागल हो गया क्या? तू चल हट दूर.. छोड़ मुझे. तो मैंने कहा कि नहीं दीदी प्लीज एक बार मुझे यह करने दो. फिर दीदी कहने लगी कि यह बात बिल्कुल ग़लत है और में तेरी बहन हूँ. तो मैंने कहा कि नहीं दीदी आज हम दोनों भाई बहन नहीं एक लड़का और लड़की हैं और यह बोलकर में दीदी को चूमने लगा में उसके बूब्स को दबाने लगा, धीरे धीरे उसके जिस्म को सहलाने लगा उसको किस करने लगा और अब दीदी का विरोध थोड़ा कम हो गया. तो मैंने अपनी एक उंगली उसकी चूत पर लगाई. दीदी ने मेरा हाथ पकड़ लिया और बोली कि नहीं.. मुझको बहुत अजीब लग रहा है. फिर में समझ गया था कि दीदी वर्जिन है और आज मुझे अपनी ही सग़ी बहन की सील तोड़ने में बहुत मज़ा आएगा.
फिर दीदी अब गरम हो चुकी थी और मेरा लंड भी अब उनकी चूत को खड़ा होकर सलाम कर रहा था. तभी दीदी मेरे लंड को देखकर चौंक गई और बोली कि यह आज मेरी चूत को फाड़ देगा. तो में कहने लगा कि नहीं कुछ नहीं होगा बहुत मज़ा आएगा और फिर मेरे बहुत कहने पर दीदी मान गई. फिर मैंने अपने लंड पर थोड़ा थूक लगाया और अपने एक हाथ से लंड को पकड़कर दीदी की चूत पर रखा और मैंने लंड को चूत के मुहं पर रखकर एक ज़ोर का झटका मारा.. तो मेरे लंड का टोपा ही अंदर गया और उसकी वजह से दीदी के मुहं से सिसकियाँ निकल गई आह्ह्ह उईईईई अहह और दीदी ने कहा कि प्लीज बाहर निकाल में मर जाउंगी.. लेकिन मुझे तो बहुत मज़ा आ रहा था और मैंने बिना देर किए हुए एक और ज़ोर झटका का मारा और अब मेरा लंड 4 इंच अंदर चला गया था और दीदी दर्द से छटपटाने लगी थी और वो उईईई अह्ह्ह मर गई माँ अह्ह्ह की आवाज़ करने लगी.
में थोड़ी देर रूका रहा और थोड़ी देर में दीदी नॉर्मल हुई. फिर मैंने अब की बार पूरी ताक़त से एक और झटका मारा.. मेरा पूरा का पूरा लंड उसकी चूत की गहराईयों में समा गया.. तो दीदी बहुत ज़ोर से चीखी और रोने लगी. वो बहुत ज़ोर ज़ोर से चीखे जा रही थी और हर बार लंड को बाहर निकालने को कह रही थी.. शायद अब दीदी की सील टूट चुकी थी और अब वो एक लड़की से औरत बन गई थी. में अपने लंड को एक जगह पर रखकर थोड़ी देर रुका रहा.. फिर धीरे धीरे जब उनका दर्द कम हुआ तो मैंने लंड को थोड़ा आगे पीछे किया और दीदी मुझसे चिपक गई थी. तो मैंने देखा कि उसकी चूत से थोड़ा खून भी निकल रहा था.. फिर थोड़ी देर बाद जब वो थोड़ा ठीक हो गई और अब वो भी मेरा साथ देने लगी थी. वो अपने चूतड़ उछाल उछाल कर चुदाई का मज़ा लेने लगी और में ज़ोर ज़ोर के धक्के देकर उन्हें चोदने लगा और उस दौरान दीदी की चूत से दो बार पानी निकला और अब में भी झड़ने वाला था.
फिर मैंने अपनी स्पीड बड़ा दी और मैंने दीदी की चूत में ही अपना माल निकाल दिया और थककर वहीं पर सो गया. फिर उस रात हमने 4-5 बार चुदाई की और अगले दिन मैंने दीदी की माँग में सिंदूर भर दिया और अब हम दुनिया के लिए भाई बहन और अपने रूम में पति पत्नी हैं. अब हम रोज सेक्स करते हैं और दीदी को डॉगी स्टाईल में चुदवाना बहुत अच्छा लगता है और फिर हमारी चुदाई ऐसे ही चलती रही. मैंने दीदी की चूत को चोद चोदकर उसकी चूत का भोसड़ा बना दिया. दोस्तों अब दीदी की शादी हो चुकी और वो जब कभी हमारे घर आती है तो मुझसे चुदवाकर ही वापस जाती है. में उसको अब एक रखेल बनाकर चोदता हूँ और उसकी चूत मेरे लंड की दासी है.
तो दोस्तों यह है मेरे जीवन की एक सच्ची घटना और में उम्मीद करता हूँ कि यह आप सभी को बहुत पसंद आएगी ..

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उम्र नादेखे चूत की प्यास

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हेलो दोस्तों.. हाउ आर यू? सभी सेक्सी कहानिया पढने वालो को और उनको बेइंतिहा चाहने वालो को मेरा प्यार भरा नमस्कार. में उम्मीद करता हूँ कि यह कहानी आप सभी को बहुत पसंद आएगी. अब में आप सभी का ज्यादा टाईम खराब ना करते हुए सीधा अपनी आज की कहानी पर आता हूँ.

दोस्तों यह घटना 4-5 साल पहले की है.. उस टाईम में अपना शहर छोड़कर दूसरे शहर में नया नया रह रहा था. मेरे शहर जाने के 3 महीने बाद मेरे एक दोस्त के दादा जी की तबीयत बहुत खराब हो गई और वो लोग उन्हें वहीं पर लेकर आ गए थे. फिर में वहाँ पर पहले से ही रहता था तो सभी जगह मुझे अच्छे से मालूम थी.. इसलिए में उनकी मदद के लिए हॉस्पिटल में रहता था और रात को में और मेरा दोस्त दादाजी के साथ रुकते थे. उस हॉस्पिटल में एक नर्स थी जिसको मैंने पहले दिन जब देखा तो मुझे अंदर से कुछ कुछ होने लगा और में उसे पटाने का प्लान बनाने लगा.. लेकिन वो बहुत कड़क स्वभाव की थी. तो इसीलिए मेरी उससे ज़्यादा बात करने की हिम्मत नहीं होती थी. फिर भी मुझे जब भी मौका मिलता तो में उससे बातें करने लगता.. लेकिन वो मुझे बिल्कुल भी भाव नहीं देती थी. एक दिन मेंने उसे दादाजी की बोतल बदलने के लिए बुलाने गया तो वो किसी से फोन पर बात कर रही थी और वो सामने वाले को बेटा कहकर बुला रही थी और उस पर बहुत भड़क रही थी.

यह सुनकर मुझे लगा कि शायद वो कोई और होगा. फिर जब उसने फोन रखा तो मैंने थोड़ी हिम्मत करके उससे पूछ लिया कि वो किससे बात कर रही थी और वो इतने गुस्से में क्यों है? तो उसने मेरी तरफ देखा और कुछ नहीं बोला. फिर उसने मेरे साथ दादाजी के पास आकर उनकी बोतल बदल दी और अपने केबिन में जाकर बैठ गयी. फिर में उसके पीछे पीछे गया और उसे बहुत परेशान देखकर फिर से उसकी प्राब्लम के बारे में पूछा.. उसने मुझे बताया कि में अपने बेटे के कारण बहुत परेशान हूँ और यह बात सुनकर मेरे होश उड़ गये.. क्योंकि उसे देखकर कोई नहीं कह सकता कि वो शादीशुदा है और उसका एक कॉलेज जाने लायक एक बेटा भी है और मुझे बातों बातों में पता चला कि वो विधवा है और उसके पति को मरे हुए 9 साल हो चुके है. उसने अपना नाम सविता और अपनी उम्र 40 साल बताई. में तो सुनकर बहुत चकित हो गया.. फिर मैंने उससे पूछा कि क्या हुआ? आपको मैंने इतना परेशान कभी नहीं देखा और मुझे लगता है कि कोई बड़ी प्राब्लम होगी. अगर आप बुरा ना माने तो क्या में जान सकता हूँ कि क्या हुआ है? तो उसने बताया कि उसके बेटे की 10th क्लास खत्म हो गई है और वो अभी एक अच्छे से कॉलेज की तलाश में है जहाँ उसका बेटा पढ़ सके. तो सारी बातें सुनने के बाद मैंने कहा कि मेडम इसका हल मेरे पास है. फिर उसने पूछा कि वो कैसे? तो मैंने कहा कि मेरे शहर में एक बहुत अच्छा कॉलेज है जहाँ पर स्टूडेंट के लिए सभी जरूरी चीज़े मौजूद है और में भी वहाँ पर पढ़ता था तो मेरी वहाँ पर बहुत अच्छी जान पहचान है.. अगर आप कहें तो में आपके बेटे का दाखिला वहाँ पर करवा सकता हूँ और होस्टल में भी अच्छा सा रूम दिला सकता हूँ. फिर यह बात सुनकर सविता ने मेरी तरफ देखा और कहा कि यहाँ से कितना दूर है तुम्हारा शहर? मैंने कहा कि सिर्फ 5 घंटे का रास्ता है.. फिर उसने बोला कि ठीक है.

. तुम ही मेरे बेटे के लिए वहाँ पर बात कर लो. फिर मैंने उसी वक़्त अपने एक दोस्त को फोन किया जो कॉलेज का प्रेसिडेंट रह चुका था और अब उसका भाई वहाँ पर प्रेसीडेंट है. फिर उसने मुझे कहा कि यार तू उसे मेरे पास भेज दे.. में उसका दाखिला करवा दूँगा और जब तक होस्टल में रूम नहीं मिलता वो हमारे घर में रह सकता है. फिर यह सारी बातें मैंने सविता को बताई तो वो बहुत खुश हो गयी और उसने मेरा हाथ पकड़ा और मुझे धन्यवाद कहा. दोस्तों यह पहली बार था.. जब मैंने उसे हाथ लगाया.. लेकिन उस टाईम मेरे दिमाग़ में कोई ग़लत ख़याल नहीं था और मैंने भी उससे कहा कि मेडम यह तो एक छोटी सी बात है इसके लिए धन्यवाद क्यों? अगर आपके बेटे की जगह मेरा भाई होता तो में भी उसके लिए यह सब करता.
फिर मेरी बातें सुनकर वो मुझसे आकर्षित हो गयी और फिर मैंने उसके बेटे को अगले ही दिन ट्रेन में बैठा दिया और अपने दोस्त को फोन करके बोल दिया कि वो उसे स्टेशन से घर पर ले जाए और उसने वैसा ही किया और उसका दाखिला कॉलेज में करवा दिया. उस दिन के बाद सविता मुझसे बहुत घुल गयी. में खाली टाईम पर उसके साथ बातें करने बैठ जाता और धीरे धीरे केन्टीन में उसके साथ कॉफ़ी पीने जाने लगा. दो दिन के बाद उसका नाईट का समय चालू हो गया और में रात को उसके केबिन में उससे बात करने जाने लगा. अब वो मेरे साथ बहुत खुलकर बातें करने लगी और मैंने एक रात उससे उसकी शादी के बारे में पूछा तो उसने मुझे बताया कि उसका पति एक शराबी था और वो रोज़ रात को शराब पीकर घर आता था और उसे बहुत मारता भी था. फिर धीरे धीरे ज़्यादा शराब पीने के कारण उसका लीवर खराब हो गया था और उसी वजह से उसकी मौत हुई.

फिर मैंने कहा कि आपके पति के जाने के बाद अपने दूसरी शादी क्यों नहीं की? तो सविता ने कहा कि इस शादी के कारण मैंने जो जो दुख उठाए उसके बाद मेरा तो मर्दों के ऊपर से विश्वास ही उठ गया और मैंने ठान लिया कि में अकेले ही अपने बेटे की परवरिश करूँगी और उसे एक अच्छा इन्सान बनाऊंगी.. इस कारण से मैंने वो घर छोड़ दिया और अलग रहने लगी और यह बात कहते कहते वो रोने लगी. फिर मैंने उसके आँसू साफ किए तो वो मुझसे लिपटकर रोने लगी.. पहले तो मुझे थोड़ा अजीब लगा.. क्योंकि ऐसे किसी की मजबूरी का फायदा उठना मुझे अच्छा नहीं लगता.. अगर वो इन्सान अच्छा है तो. सविता ने अपनी लाईफ में बहुत मेहनत की है और आज इस मुकाम पर पहुँची है. फिर में उसकी पीठ को थपथपाते हुए उसे चुप करने लगा.. वैसे मुझे तो पहले से ही औरतों को पटाना अच्छा लगता था और इसका मुझे अच्छा ख़ासा अनुभव भी था.. क्योंकि में जब अपने शहर में रहता था तो मैंने बहुत सी औरतों को पटाकर चोदा था. फिर थोड़ी देर बाद सविता ने रोना बंद कर दिया और मुझसे अलग हो गयी. पहले तो हम दोनों ने ही नज़रे झुका दी और फिर मैंने थोड़ी हिम्मत करके उसके हाथों को अपने हाथों में ले लिया.. तो वो मुझे देखने लगी. मैंने उसे कहा कि मेडम भूल जाओ पुरानी बातों को.. वो तो बीत गई.. अब उसके बारे में सोचकर क्यों अपने आप को दुखी करती हो? तो उसने मुझे कहा कि तुम मुझे मेरे नाम से पुकार सकते हो या और कुछ भी पुकारो.. लेकिन मेडम मत कहो. फिर मुझे उसकी आखों में एक अजीब सी कशिश दिखाई देने लगी और हम दोनों एक दूसरे की आखों में आंखे डालकर देखने लगे. हमे इस दौरान पता ही नहीं चला कि कब हम दोनों एक दूसरे के इतने करीब आ गए है कि हमारे होंठ आपस में टकराने लगे और हम लिप किस करने लगे. तभी अचानक दरवाजा खटखटाने की आवाज़ आई तो हमे होश आया और देखा कि हम एक दूसरे की बाहों में थे. मैंने उसका सर पकड़ा हुआ था और उसने मेरे गले पर अपने हाथ बांध रखे थे. आवाज़ सुनते ही हम दोनों अलग हो गये और उसने बाहर वाले को अंदर आने के लिए कहा..

वो एक कम्पाउंडर था और उसके जाने के बाद सविता ने मुझे कसकर पकड़ लिया और कहा कि आज से पहले मैंने ऐसा कभी किसी के बारे में महसूस नहीं किया और मेरे पति के जाने के बाद तुम पहले ऐसे मर्द हो जिसने मुझे छुआ है.. प्लीज़ मुझे अपनी बाहों में भर लो.. पिछले 9 सालों से में प्यार के लिए तड़प रही थी.
तो मैंने उसे अपनी बाहों में ज़कड़ लिया और उसकी पीठ को सहलाने लगा.. उसके माथे को चूमने लगा. तो वो मदहोश होने लगी और उसने अपनी आंखे बंद कर दी. फिर में उसके होंठो को किस करने लगा.. वो मेरी पीठ को अपने दोनों हाथों के नाख़ून से खरोंचने लगी और धीरे धीरे हम दोनों ही गरम होने लगे. फिर मैंने उसे दीवार पर सटा दिया.. उसने एप्रन पहन रखा था और में उसके ऊपर से ही बूब्स को मसलने लगा. फिर मैंने उसकी नाभि को किस किया. उसके मुहं से आहह की आवाज़ निकल गयी. तो मैंने एप्रन के अंदर हाथ डालकर ब्लाउज में हाथ घुसा दिया और ब्रा के ऊपर से ही बूब्स को दबाने लगा.. उसके बूब्स बहुत बड़े बड़े थे.. रंग गोरा और स्लिम फिगर था. फिर में उसकी साड़ी के ऊपर से ही चूत को सहलाने, दबाने लगा तो वो अपने पैरों खोलकर खड़ी हो गयी.. ताकि आसानी से मेरा हाथ उसकी चूत में घुस सके. कुछ देर बाद मैंने उसकी साड़ी को ऊपर उठा दिया और पेंटी के अंदर हाथ घुसाकर चूत को सहलाने लगा.. उसकी चूत में बहुत बाल थे और उसकी चूत बहुत गीली हो गयी थी.

फिर में जैसे ही उसकी चूत के दाने को रगड़ने लगा तो वो आह्ह्ह अच्छा लग रहा है कहने लगी और अब मुझे भी जोश चढ़ने लगा और मेरा लंड खड़ा होने लगा. तो उसने मेरे लंड को पेंट की ज़िप खोलकर बाहर निकाला और हाथ से मुठ मारने लगी.. में और जोश में आ गया और चूत में उंगली डालकर अंदर बाहर करने लगा. तो उसने मुझे कसकर पकड़ लिया और कहने लगी कि और मत तड़पाओ में पिछले 9 सालों से इस आग में जल रही हूँ.. प्लीज जल्दी से मेरी चूत में अपना लंड घुसाकर आज मेरी इस आग को ठंडा कर दो.. अभी तो मेरे तन बदन में आग लगी है और देर मत करो. उस रूम में एक टेबल थी जिस पर वो रात को आराम करती थी.. मैंने उसे उसी टेबल पर बैठा दिया. तो उसने मेरे लंड को अपने मुहं में भर लिया और चूसने लगी. तभी अचानक फिर से कोई आ गया और दरवाजा ठोकने लगा.. तो हम दोनों अलग हो गये और हमने अपने अपने कपड़े ठीक किए.. जब उसने दरवाजा खोलकर देखा तो बाहर एक नर्स खड़ी थी और फिर उसके जाने के बाद उसने मुझे फिर से पकड़ लिया तो मैंने कहा कि यहाँ नहीं.. वरना हमे कोई देख लेगा तो तुम्हे बहुत मुश्किल हो जाएगी.

तो उसने कहा कि हम बाथरूम में चलते है और मैंने वहाँ पर भी जाने से मना कर दिया.. क्योंकि उसमे भी बहुत रिस्क था. फिर में उसे साथ में लेकर मेरे दोस्त के दादाजी के केबिन में आ गया और हमने सोचा कि शायद वहाँ पर कुछ बंदोबस्त हो जाए.. लेकिन वहाँ पर भी प्राब्लम थी.. क्योंकि मेरा दोस्त भी वहाँ पर मौजूद था जो कि कभी भी उठ सकता था. हम दोनों हवस की आग में जल रहे थे तो में उसे उसी रूम के बाथरूम में लेकर गया.. लेकिन वहाँ का बाथरूम बहुत छोटा था और उसमे सिर्फ़ एक ही आदमी ठीक से रुक सकता था. तो अंदर जाते ही सविता घुटनों के बल बैठ गयी और मेरा लंड बाहर निकालकर चूसने लगी. वाह क्या लंड चूस रही थी वो.. मुझे तो बहुत मज़ा आ रहा था और में अहह ओह कर रहा था. फिर मैंने उसके सर को पकड़ा और लंड को ज़ोर ज़ोर से अंदर बाहर करके उसके मुहं को चोदने लगा और जब मेरा लंड उसके गले तक घुस जाता तो वो उल्टी करने लगती. फिर 10-15 मिनट लंड चुसवाने के बाद मेरा लंड हिचकोले मारने लगा और मैंने उसे गोद में उठा लिया और उसकी साड़ी को ऊपर करके खड़े खड़े लंड को नीचे से चूत में घुसाने लगा.. लेकिन जगह छोटी होने के कारण लंड बार बार फिसल जाता था. फिर 3-4 बार ऐसा करने के बाद मैंने उसे नीचे उतार दिया और आगे झुकने के लिए कहा तो उससे वो भी नहीं हुआ. फिर में उसकी जांघो के बीच लंड फंसाकर चोदने लगा और चूत में उंगली अंदर बाहर करने लगा.. लेकिन इसमे हम दोनों को ही कुछ ज़्यादा मज़ा नहीं आ रहा था.. क्योंकि चूत में लंड घुसाकर चोदने में जो मज़ा है वो ऐसे कहाँ. वो बार बार लंड को चूत में डालने की कोशिश कर रही थी.. लेकिन उससे नहीं हुआ. फिर मैंने उससे कहा कि डार्लिंग ऐसे कुछ भी नहीं होगा.. आज के लिए बस इतना ही रहने दो..

कल जब तुम्हारी ड्यूटी खत्म हो जाएगी तो में दोपहर को तुम्हारे घर पर आ जाऊंगा और तुम्हारी चूत की आग को ठंडा करूँगा.. लेकिन उस टाईम हम दोनों की हालत ऐसी थी कि बिना चुदाई के जाने का मन ही नहीं था.
तो में उसकी चूत को उंगली से चोदने लगा और साथ ही साथ उसे लिप किस करने लगा और वो मेरे लंड को हाथ में लेकर मुठ मार रही थी. कुछ देर बाद ऐसा करने से वो झड़ गयी और उसकी चूत से ढेर सारा पानी निकलने लगा जो नीचे ज़मीन पर गिर रहा था.. झड़ने के दौरान वो अह्ह्ह उऊह्ह्ह उफ्फ्फ माँ कर रही थी. फिर थोड़ी देर बाद वो शांत हो गयी.. लेकिन अभी तक में शांत नहीं हुआ था तो में उसे नीचे बैठाकर उसके मुहं में लंड डालकर तेज़ी से चोदने लगा और बहुत देर बाद जाकर मेरे लंड ने पानी छोड़ा और में झड़ गया. मैंने सारा का सारा वीर्य सविता के मुहं में छोड़ दिया.. पहले तो उसे उल्टी आने लगी. फिर उसने सारा वीर्य निगल लिया और उसके बाद हम दोनों बाथरूम से बाहर आ गए और उसके केबिन में चले गये. फिर जैसे तैसे रात एक दूसरे की बाहों में बीत गयी और सुबह उसकी ड्यूटी खत्म हुई तो मैंने उसे गले लगाया और किस किया और उसने मुझे जल्दी से उसके घर आने को कहा.. तो मैंने भी उससे कहा कि मुझे ऑफिस का थोड़ा काम है तो में उसे खत्म करके आ जाऊंगा और मैंने उसे बाईक से घर छोड़ा और बाहर से ही ऑफिस चला गया ..

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रात की रानी,चुदाई का राजा

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कई सालों के बाद मैं अपने मामा के पास गया था। मेरे मामा एक दबंग ठेकेदार थे और पूरे इलाके में उनकी बहुत धाक थी, ५० साल पार करने के बाद, भी उनके पहलवान शरीर पर बुढ़ापे के कोई लक्ष्ण नहीं थे। मामा की हवेली की शान देखते ही बनती थी। इकलौता भांजा होने की वजह से मामा मुझे प्यार भी बहुत करते थे।
शहर से पहली बार मैं गाँव की गया था। मेरे लिए एक अलग कमरा और नौकर था, मगर यह नहीं मालूम था कि एक नौकरानी भी रख रखी थी मेरे लिए। शाम होते ही नौकरानी मेरे लिए चाय और नाश्ता लेकर कमरे में पहुँच गई। मैं उसी समय नहा कर निकला था और तौलिये में लिपटा मेरा गठीला बदन देखने लायक था। होता क्यों नहीं, जिम जा कर और कसरत करके मैंने अपनी बदन को गठीला और मजबूत बना रखा था। तौलिया लपेट कर मैं आईने में बाल संवारता जा रहा थी कि मेरी नजर अचानक अपने पीछे किसी पर पड़ी। चोली और लहंगे में लिपटी एक छरहरी काया वाली कंटीली कन्या मेरे पीछे चाय की तश्तरी लिए मेरे गठीले बदन को निहार रही थी।

पीछे मुड़ कर देखा तो वो शरमा गई। उसकी कसी हुई चोली और नाभि के नीचे तक कसा हुआ लहंगा वाकई में गजब ढा रहा था।
छोटे मालिक ! नाश्ता ! उसने कहा।
रख दो ! और सुनो, आगे से पूछ कर कमरे में आना !
जी, गलती हो गई ! उसने कहा और मुड़ कर जाने लगी।
कुछ सोच कर मैंने उसे रोका और कहा- अच्छा, तुम्हारा नाम क्या है?
रानी ! उसने जवाब दिया।
हम्म ! नाम तो अच्छा है, कब से काम करती हो?
साहब, मैं तो हूँ ही आप लोगों की सेवा के लिए …. और बड़े मालिक ने कहा है कि आपका खास ख्याल रखूं.. अगर किसी चीज़ की जरुरत हो तो संकोच मत कीजियेगा …
सच में, रानी कर भरा-पूरा शरीर देख कर कोई भी संकोच नहीं करना चाहेगा …
साहब मैं रात में फिर से आऊँगी ! कह कर रानी अपने मांसल नितम्बों को सेक्सी अदा से मटकाती हुई कमरे से चल दी।

आप ये कहानी देसी सेक्स स्टोरी पे पढ़ कर मज़ा ले रहे हें .

रानी क्या गई मेरे तन बदन में आग लगा गई… मेरा ८ इंच का लंड एकदम से फनफ़ना उठा … दिल कर रहा था कि उसी समय उसे अपनी बाँहों में दबोच लूँ और उसकी मादक जवानी का रस पी लूँ …
खैर रात होने का इन्तज़ार करने लगा। इतने में मामा जी आ गए और कहने लगे- क्यों भांजे, कैसा लगा हमारा इन्तजाम … कोई कसर तो नहीं रह गई?
नहीं मामा जी, सब बहुत बढ़िया है !
और कैसी लगी, तीखी मिर्ची? मामा जी ने कहा
जरा संभल कर ! शहर की मालों से अलग है, खास तुम्हारे लिए ही है …जी भर के मजे करना……और कोई कसर मत रखना …
मैं समझ गया कि उस कंटाप को मामा जी ने मेरे लिए ही रखा है …
अब तो मैं भी पूरे जोश में था कि कैसे अपनी प्यास बुझाई जाये और रात का इन्तज़ार करने लगा।
रात का भोजन तो हो गया और मैं अपने कमरे में लौट गया और रानी का इन्तज़ार करने लगा।
नौ बजे के बाद कमरे का दरवाजा हल्का सा खुला और सजी-धजी रानी मेरे कमरे में आई…
साहब आ सकती हूँ? उसने आवाज लगाई…
आ जाओ, मैंने कहा।
वो आई और बिस्तर पर मेरे बगल में बैठ गई … उसने कसी हुई चोली और कमर के बहुत नीचे से लहंगा पहन रखा था, उसके बालों में मोगरे और चमेली की माला सजी हुई थी, माथे पर बिंदी, आँखों में काजल और होंठों में गजब की लाली थी।
मैंने उसके कमर पर हाथ रखा और तुंरत अपनी बाहों में भींच लिया…
“ज्यादा उतावले मत होईये साहब, रात तो अभी बाकी है और मैं तो आपकी ही हूँ !” रानी ने कहा।
“मुझे साहब मत कहो, मनोज कहो !” मैंने कहा।
वो मेरी बाँहों में लिपट गई और उसके सीने के दो उन्नत उभर मेरे सीने में धँसने लगे।
यूँ तो मैंने शहर में बहुत लड़कियों को चोदा था मगर गाँव की किसी हसीना के साथ ये मेरा पहला मौका था।
मैंने उसके होंठों को अपने होंठों में लिया और धीरे-धीरे चूसने लगा। गजब का स्वाद था ! मेरे हाथ उसकी चिकनी पीठ पर फिसल रहे थे और मेरा ८ इंच का लंड धीरे-धीरे अपने शबाब पर आ रहा था। मगर मैं यह पारी बहुत देर तक खेलना चाहता था और उस नशीली रात का पूरा मजा लेना चाहता था, आखिर मुझे उस गाँव की कली को मसल कर जो रख देना था। रानी की कमर पर हाथ डाल कर मैंने उसे पूरा भींच लिया था। रानी भी अपने रसीले होंठों को मेरे होंठों पर घुमा रही थी जैसे कहना चाहती हो कि चूसो और चूसो मेरे रसीले होंठों को !
मेरे हाथ फिसलते हुए उसके मांसल नितम्बों पर जा पहुंचे और मैंने उसके मांसल नितम्बों को कस-कस के दबाना शुरू कर दिया। रानी जैसे पागल हुई जा रही थी। मैंने उसका लहँगा खींच कर सीधे उसकी कमर तक उठा दिया और उसके होंठों को चूसते हुए उसकी चिकनी जाँघों को सहलाना शुरू कर दिया। अब रानी भी पागल हो गई और मेरी कमीज को उतारना शुरू कर दिया। मैंने अपनी कमीज उतार दी और पैंट भी ! अब मैं सिर्फ अपनी चड्डी में था और चड्डी में ८ इंच का लंड हिलौरें मार रहा था।
मैंने सीधे रानी को बाँहों में भर और पलंग पर पटक दिया, उसकी चोली को उतारा और उसके उन्नत उरोजों को सहलाना शुरू कर दिया, चुचूकों को मुँह में लिया और धीरे धीरे चूसना शुरू किया। एक चुचूक को चूसता रहा और हाथ से उसकी दूसरी चुची को दबाना शुरू किया….
रानी के मुँह से उह.. उफ़. आह की आवाजें आने लगी और मैं बेहद उत्तेजित हो गया।
मैंने उसकी चुची को और जोर से दबाना शुरू कर दिया। रानी अपनी चिकनी जांघें मेरी जाँघों से रगड़ने लगी और अपनी कमर को मेरी कमर से सटाना शुरू कर दिया। मैंने रानी के मम्मे छोड़े और उसके पेट को सहलाते हुए उसके लहंगे में अपना हाथ घुसा दिया और उसकी चिकनी चूत को अपनी बीच की ऊँगली से हल्के-हल्के रगड़ना शुरू कर दिया। रानी की तो मस्ती का ठिकाना ही नहीं था..
मेरे राजा… मुझे चोदो . जल्दी चोदो ….और मत तड़पाओ …… कहते हुए मुझ पर हावी होने की कोशिश करने लगी.. मगर मेरी मर्दानगी के आगे कहाँ टिक पाती, मैंने फिर से उसके पलंग पर पटक दिया और उसके लहंगे को ऊपर कर, उसकी चड्डी उतार फेंकी …
हाय … उसकी जवान .. कोमल चूत ….. थोड़ी सी पनिया गई थी …..उसकी चूत पूरी तरह साफ़ थी …शायद मेरी लिए ही अपनी कोमल चूत को साफ़ करके आई थी।
मैंने अपनी जीभ से उसकी रसीली चूत को चाटना शुरू किया तो रानी जोर से चिल्ला उठी- उफ़ ऽऽ…… हाय ….. मर गई ….. इतना मत तड़पाओ न राजा … अब डाल दो अपना लंड मेरी बुर में …और मिटा दो इसकी खुजली …
मगर मैं कहाँ मानने वाला था … उसकी चूत को चूसना और चाटना मैंने नहीं छोड़ा …. गाँव की छोरी की चूत का स्वाद कुछ अलग ही होता है … करारा … !
मैंने अपनी जीभ को उसकी चूत में और अन्दर तक डाला और उसके रस को पीने लगा …
रानी बार-बार अपने चूतड़ उछाल कर मेरे मुँह पर धकेलती और मैं अपनी जीभ उसकी चूत में और अन्दर तक डालता।
मजा आ गया उसकी चूत का स्वाद ले कर .. ऐसा मजा पहले नहीं आया था .. शहर की लड़कियों की चूत , रानी की चूत के सामने कुछ नहीं थी …
बहुत देर तक रानी की चूत का मजा ले कर मैंने सोचा और रानी को अपने मूसल लंड का मजा भी दे दिया जाये ….
मैं पलटा और अपने लंड को रानी के मुँह के सामने ले गया…. बस फिर क्या था, खूंखार शेरनी की तरह रानी ने फ़ौरन मेरे लंड को अपने मुँह में ले लिया और जोर-जोर से चूसने लगी..
मैंने भी अपने लंड को उसके मुँह में पूरा अन्दर तक डाल दिया। रानी बहुत बेकरार थी और मेरे लंड के स्वाद ने उसको और भी बेकरार कर दिया था। वो पूरी तरह पनिया चुकी थी मगर मेरे लंड को बहुत मजे से चूस रही थी।
रानी ! कैसा लगा मेरा लंड?
मस्त है मेरे राजा ! आज तक ऐसा तगड़ा लंड मैंने नहीं चखा है …. आज तो लगता है मुझे बहुत मजा आने वाला है ! रानी ने कहा।
रानी मेरा लंड चूसती जा रही थी और मैं उस एहसास का मजा ले रहा था।
मैंने फैसला कर रखा था कि आज रानी की चूत और गांड दोनों को फाड़ दिया जाये और रानी को ऐसा मजा दिया जाये कि साली सारी जिंदगी याद रखे ….
इधर रानी मेरे लंड को अपनी जीभ से सहला रही थी और मैं उसकी गांड को जोर से मसल रहा था … उसकी चूचियों को तो मैं मसल-मसल कर लाल कर ही चुका था, अब बारी उसकी गांड की थी ….
बहुत देर तक अपने लंड की चुसवा कर मैंने रानी को पीठ के बल लिटाया और सीधा उसकी केले के तने जैसे चिकनी जाँघों के बीच में आ गया। आज बहुत दिनों के बाद अपने मूसल से लंड को चूत का स्वाद चखाना था। मगर मैं रानी को थोड़ा और तड़पाना चाहता था, मैंने अपना आठ इंच के लंड तो रानी की चूत पर रखा और धीरे धीरे अपने लंड से उसकी पनियायी चूत को रगड़ने लगा.. रानी और भी उत्तेजित हो गई ….और मेरी गाण्ड में अपने नाखून गड़ा दिए…. मैंने मगर अपना लंड उसकी चूत में नहीं डाला…. और फिर से लंड उसकी चूत के ऊपर रगड़ने लगा…. मैं रानी को और भी गर्म करना चाहता था ताकि उसको रगड़ कर चोद सकूँ … पता नहीं मेरा मूसल सा लंड झेल भी पायेगी या नहीं …
लंड को उसकी चूत में रगरते-रगड़ते मैंने एक झटके से अपना आठ इंच उसके अन्दर डाल दिया…
आऽऽऽहऽऽ…… की जोर से आवाज़ आई और रानी एकदम तिलमिला उठी…… मैंने रानी को कस के पकड़ा और अपना लंड पूरा उसकी चूत में डाल दिया। रानी तड़फ़ती रही और मैंने उसको चोदना जारी रखा… सचमुच बहुत मजा आ रहा था। रानी यूँ तो पहले चुद चुकी थी मगर उसकी चूत एकदम कसी हुई थी और मेरे जैसा मूसल लंड उसमें कभी नहीं गया था… मैंने उसे अपनी बाँहों में जकड़ा और जोर से शॉट मारने लगा… उसकी चिकनी चूत की गर्मी मेरे लंड को और भी मोटा और कड़ बना रही थी.. एक तो कंटाप माल और उसकी कसी चूत…. ऊपर से मेरा मूसल सा लंड …फिर दबा कर चुदाई होनी ही थी… मैं चोदता रहा और रानी चिल्लाती रही..
इतना जोर से मत चोदो.. मैं मर जाऊँगी ….. उफ़्फ़ऽऽऽ…..आऽऽऽहऽऽ ……. ऊई ….माँ ….. ये सब रानी के मुँह से निकलता रहा और मैं उसको कस-कस कर चोदता रहा……. मैंने अपने दांत उसके चुचूकों पर गड़ा दिए और चुदाई चालू रखी ……..मुझे लगा शायद मेरा लंड पूरा अन्दर नहीं जा रहा है, एक तकिया उसकी गाण्ड के नीचे रखा और फिर शुरू हुई- रगड़म चुदाई …
मैं उसकी चूत के अन्दर तक अपना पूरा लंड पेल रहा था और रानी मजे ले रही थी…..
रानी ने मेरी कमर पर नाखूनों के बहुत निशान बना दिए और मेरा लंड उसके चूत में और अन्दर तक जाता रहा…..
करीब चालीस मिनट की चुदाई के बाद मैंने आसन बदला और ..रानी को अपने ऊपर ले आया….
ले रानी, अब तू मुझको चोद ! देखता हूँ तुझमें कितना दम है …….
अब रानी मेरे ऊपर थी … और इस अवस्था में मेरा पूरा लंड उसकी चूत में एकदम अन्दर तक जा रहा था.. मैंने उसके दोनों झूलते हुए स्तनों को दबाना शुरू किया और रानी मेरे ऊपर अपनी कमर हिला-हिला कर अपनी चूत से मेरे लंड को चोदती रही….. मगर इस आसन में रानी को ज्यादा तकलीफ़ हो रही थी.. मैंने फ़ौरन उसकी गाण्ड को अपने हाथों से पकड़ा और जोर से उसकी चूत को अपने लंड पर दबाना शुरू किया… रानी की तो हालत ख़राब होने लगी….
मैंने कहा- क्यों रानी? अभी तो पूरी रात बाकी है ! अभी तो मुझे सुबह तक तुझे चोदना है ….तेरी कसी चूत और गाण्ड का भोंसड़ा न बना दिया तो कहना …..
रानी बस अपनी गाण्ड हिलाती रही और मुझे चूमती रही…..
थोड़ी देर बाद, मैंने रानी को फिर से पीठ के बल लिटाया और अपना लंड उसकी चूत से निकाल लिया…. तुंरत ..एक दानेदार कण्डोम लिया और अपने लंड महाराज़ को पहना दिया। देखता हूँ अब ये मेरी चुदाई कैसे सहन करती है…
बस जो मैंने उसे चोदना शुरू किया तो पूरा कमरा उसकी सिसकियों से गूंज उठा..
उह.. आह .. माँ …मर गई…धीरे चोद …मैं मर जाऊँगी…
मगर मैं कहाँ मानने वाला था ….. उसे कस कर चोदा …..
एक घण्टे तक मैं उसे चोदता रहा…. मगर अब थोडा थक गया था… मैंने सोचा थोड़ा आराम करते हैं… फिर रानी की गाण्ड मारेंगे …….
मैं कस कर उससे लिपट गया….. रानी तब तक तीन बार झड़ चुकी थी…. और लम्बी-लम्बी सांसें ले रही थी… मैंने अपना लंड बाहर निकाला तो देखा- कण्डोम फ़ट चुका था …… थोड़ा आराम करने के बाद… मैंने बोरोलीन क्रीम ली, अपने लंड पर और रानी की गाण्ड पर खूब अच्छे से लगाई……
रानी को पेट के बल लिटाया और धीरे से अपना लंड उसकी गाण्ड के छेद में टिका दिया… उसकी गाण्ड कुंवारी थी.. पहले कभी नहीं चुदी थी… रानी भी थक कर बेहाल हो चुकी थी पर मेरा विरोध नहीं कर सकती थी….
मैंने धीरे से उसकी गाण्ड में अपना लंड का सुपाड़ा डाला और अन्दर धकेलने की कोशिश करने लगा .. मगर बहुत कसी थी उसकी गाण्ड .. लंड अन्दर जा ही नहीं रहा था…. आखिर मेरा सयंम जवाब दे गया … मैंने उसके नितम्बों को पकड़ा और एक झटके में अपना लंड उसकी गाण्ड में घुसा दिया …….
उसकी गाण्ड से खून छलक गया…. उसकी गाण्ड का छेद फ़ट चुका था….. रानी इतनी थक गई थी कि चिल्ला भी नहीं सकती थी.. मगर मुझे परवाह किसकी थी….उसकी कसी गाण्ड में मैंने अपना लंड डालना चालू रखा और पूरा अन्दर तक डाल दिया….. फिर धीरे से बाहर निकाला और एक झटके से अन्दर डाला। उसकी गाण्ड को चोदने में मुझे बहुत मजा आ रहा था….. एकदम कसी हुई गाण्ड और मेरा मोटा लंड…. मैं तब तक उसकी गाण्ड को चोदता रहा जब तक कि वो ढीली नहीं पड़ गई ……
रानी एकदम बेदम थी…. यही तो मैं चाहता था…
मगर इतनी देर चुदाई के बाद मेरा लंड भी गर्म हो गया था और चूत में झड़ना चाहता था…..
मैंने उसके गाण्ड से अपना लंड निकाला और उसे अच्छे से पौंछा …..थोड़ा सा तेल लगाया और रानी की चूत में फिर से डाल दिया .. अब रानी एकदम बेसुध थी….. मैंने उसकी दोनों टांगों को अपनी कमर से लगाया और उसे बाँहों में भर कर अब धीरे से चोदना शुरू किया… बस करेएब दस मिनट के बाद मैंने अपने वीर्य की पहली बूंद उसकी चूत में टपका दी ….. फिर तो एक पिचकारी सी छूटी और उसकी चूत को मैंने अपने वीर्य से भर दिया….. बहुत सुख का अनुभव हो रहा था … गाँव की एक सेक्सी माल को मैंने इतनी देर तक चोदा … कि वो बेसुध हो गई…..मैं रानी को चूमता रहा और अपना वीर्य गिराता रहा…..
थोड़ी देर में शान्त होकर मैं रानी के बदन से लिपट गया.. मैं भी थक गया था .. और ऐसे ही अपना लंड रानी की चूत में डाले-डाले सो गया…
सुबह हुई तो पहले मेरी नींद खुली ..
मैंने देखा कि रानी वैसे ही बेदम नंगी पड़ी थी और बिस्तर पर थोडा सा खून लगा था…. मैं समझ गया यह खून उसकी कोरी गांड की चुदाई के कारण लगा है।
मैं उठा और रानी का एक चुम्मा लिया …मेरा लंड इतनी चुदाई कर के एकदम झन झन कर रहा था. मैंने रानी को कपड़े से ढक दिया और बाथरूम की ओर चल दिया।

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भाई बहन की चुदाई का खेल

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ही दोस्तो मेरा नाम ‘निहारिका’ है पर घर मे मुझे सब ‘पूजा’ बुलाते है क्यूंकी मेरा बदन गोरा और गुलाबी सा है. मेरा जन्म होने के बाद एक साल बाद ही मेरे पहले पिता ने मेरी मा को और मुझे छोड़ दिया और किसी और के साथ घर बसलिया. उस समय मै सिर्फ़ डेढ़ साल की थी. तभी मेरे मामा क दोस्त ने जिनकी बीवी लड़के को पैदा करते हुए मार गयी थी मेरे मा से शादी कर ली. वो लड़का यानी मेरा सौतेला भाई राकेश है. और मैं और मा उनके साथ रहने लगे. राकेश भैया मुझसे 4 साल बड़ा था. पर उसने कभी मुझे सौतेला व्यवहार नही किया. जब भाई बड़ा हुआ तो पापा ने उसे पढ़ने के लिए दिल्ली भेज दिया. तब वो 1२ वी क्लास मे था और मैं ९ वी मे थी. मैं तब 1४ साल की थी और भाई 1८ साल का था. जब भाई उस साल छूतियो मे घर आया तो बड़ा ही खूबसूरत दिख रहा था, उसे मुंबई रास आ गयी थी. पर वो मुझसे आते ही गुस्सा हो गया क्यूंकी वो जाने के बाद मैने उसका कमरा ले लिया था. पर पापा बोले, ‘राकेश जब तक तू यहा है तब तक पूजा हमारे कमरे मे सो जाएगी.’ वो और मैं दोनो मान गये. जब उसे रात मैं पापा-मम्मी के कमरे मे सो रही थी तब रात को मुझे मा की कसमसाहट सुनाई दी और मैं जाग गयी पर सिर्फ़ थोडिसी आखें खोलके देखने लगी, और हक्का बक्का हो गयी. पापा और मा दोनो ज़मीन पे बिल्कुल नंगे लेते थे और पापा मा के दोनो बूब्स को बरी बरी छू रहे थे. मैं ये देख के दंग हो गयी, फिर मा ने पापा के लूँगी मे हटा डाला और उनका लंड बाहर निकाला, इतना बड़ा और लाल था वो मैं तो घबरा गयी और फिर पापा ने उसे मम्मी क छूट पर रख के ज़ोर का झटका दिया और मा कसमसा उठी, तब मैने भी मेरे पिशब की जगह (मतलब चूत पे) गीला पन महसूस किया और मुझे कुछ अजीबसा लगने लगा. सुबह जब बातरूम जाके मैने मेरी पनटी उतरी और उसे हाथ मे पकड़ा तो मुझे वाहा चिपचिपा लगा और उसे नाक से सूंघने पर एक वासना भारी सुगंध आई. मैं तो जैसे बावरी हो गयी. उसे दिन पहली बार मैने खुद को पूरे कपड़े उतार के नंगा देखा और खुदके छोटे छोटे बूब्स को सबारा. हे क्या बतऊ मेरी हालत. उसके बाद मैने चार दिन मा और पापा का वो खेल रोज रात को चुपके से देखा. अब मैं 16 की होगआई थी और पूरी जवान लगने लगी थी. पर मुझे किसी लड़के ने अभी तक छुआ नही था. मेरा भाई भी अब 20 का हुआ था और स.य.ब्कॉम कर रहा था. मैने भी 10त पास कर लिया था और पापा ने मुझे भी भाई के साथ दिल्ली के उसीके कॉलेज मे 1२वी के लिए भेज दिया. भाई और मैं जब मुंबई पह्ोचे तब जोरो की बारिश चल रही थी और हम दोनो भीग गये थे. भाई तब एक चल मे रहता था जिसमे एक छोटसा कमरा किराए पे लिया था. कमरे मे ही टॉयलेट और बाथरूम था पर बातरूम को दरवाजा नही था. भाई अकेला होने के वजह से उसे तकलीफ़ नही हुए पर अब मुझे वाहा नहाने को परेशानी होगी ये मैने कहा तो उसने कहा, ‘ जब तुम नहाने जाओगी तब मैं कमरे क बाहर चला जौंगा और तुम अंदर नहा लेना, फिर दरवाजा खोलना.’ मैं इस बात पे मान गयी. दूसरे दिन हम कॉलेज पहुचे उसने मेरा दाखिला करा दिया. और हम रोज़ साथ मे ही घर से कॉलेज जाते और साथ ही घर आते. आते आते कभी हम समान बाजार से ले आते और मैं घर मे ही खाना पकाती और भाई भी मुझे हेल्प करता था. इस दौरान ही मुझपे जवानी चढ़ने लगी थी. कॉलेज मे हमे बहुत लोग बाय्फ्रेंड-गर्लफ्रेंड ही समझते थे. मुझे भी वो अछा लगता था. जब कभी भाई मुझे खाना बनाने मे हेल्प करता तो उसका हाथ कभी कभी मेरे स्तानो को छू जाता और मेरे बदन मे एक ही सिरसिरी भर जाती, पर ये वो जानभुज के करता या अंजाने हो जाता ये उसे ही पता. ऐसे ही दो महीने बीत गये. हमारे घर के पास ही एक मेला लगा, मैने भाई को कहा चलो मेला घूम आते है, भाई भी तैयार हुआ और हम शाम को मेला देखने चले गये. घूमते घूमते हम भाई के एक टीचर मिल गये, उन्हे लगा मैं भाई की पत्नी हू, और वो कुछ सुनने के पहेले ही कह गये, ‘जोड़ा खूब जज्ता है, कुश खबर जल्दीही देना.’ और्र मैं और भाई शरम के मारे पानी पानी हो गये. आयेज हम दोनो आकाश झूले मे बैठे, जैसे झूला उपर जाता मैं भाई को कस क पकड़ लेती थी क्यूंकी मुझे बहोट दर्र लगता है. तब मेरे स्तन भाई के खांडे को चिपक जाते, और जाँघ से जाँघ च्पक गई थी. मेरी आखे बंद थी और मेरे सलवार के उपर से मेरे स्तन दिख रहे थे, भाई उन्हे आखे फाड़ के देख रहा था (ये उसने मुझ बाद मे बताया) जब हम झूले से नीचे उतरे तो भाई मेरी तरफ अलग ही नज़र से देख रहा था. घर जाते जाते बारिश ने हमे घेर लिया और मैं और भाई पूरी तरह भीग गये. मेरे सलवार सफेद थी और भीगने के कारण मेरी ब्रा क्लियर नज़र आ रही थी जिसे भाई घूर रहा था. जैसे तैसे हम रूम पहुचे और दरवाजा बंद कर लिया. भाई ने कहा, “पूजा तुम कपड़े बदल लो मैं बाहर खड़ा रहता हू.’ तो मैने कहा,’भाय्या रहएने दो आप पीठ कर के खड़े हो जाओ, मैं झट से कपड़े बदलती हू.’ वो मान गया. मैं कपड़े बदल रही थी, जैसे ही मैने मेरा सलवार उतरा मुझे राकेश की हल्की सिसकी सुनाई दी, मैं समझ गयी की वो मुझे देख रहा है. मेरे भी बदन मे एक लेहायर आ गयी और मानो एक सेकेंड मे मेले की बाते और मा-पापा का सेक्स मेरे आखो के सामने आ गया और मुझे नीचे गीला लगने लगा. बाद मे मैने उसके तरफ देखा और कपड़े बदले पर उसने नही देखा. थोड़ी देर बाद उसने उसके कपड़े बदले तब मैं चोरी से उसकी अंडर पंत को देखा तू वो एक तुंबो जैसे लग रही थी. मैं समाज गयी के भाई का लंड खड़ा हो गया है. उस रात मैं रोज़ की तरह नीचे ज़मीन पे सो रही थी और भाई पलंग पे. वो पलंग पे पेट के बाल सॉयके सोने का नाटक कर रहा था और मेरे उभरो को देखे जेया रहा था. मैने भी उसे उतेज़ित करने के लिए पल्लू निकल दिया था, ताकि उसे मेरे स्तानो क बीच की खाई दिखे. उस रात मैं बहोट देर तक सोचती रही की ये सही है या ग़लत, वो मेरे छूट की खुजली भाई को सोच सोच और ही बढ़ रही थी. वैसे भी वो मेरा सौतेला भाई था और उसके तरफ भी आग लगी थी, पर उसकी हिम्मत नही थी कुछ करने की. फिर मैने ही एक प्लान बनाया.वो ऐसा, दूसरे दिन सुभह जब मैं नहाने निकली तो भाई बाहर जाने लगा, मैने कहा, ‘राकेश भाय्या, आप यही रूको, जब आप बाहर जाते हो तो बाजू के लोग, बाड़मे मुझे घूरते है.’ तो भाई रुक गया और पलंग पे पीठ कर के बैठ गया. मैने पल्लू का परदा किया और नहाने लगी. नहाते वक़्त मैं गाना गाने लगी, “सजना है मुझे, सजना के लिए…” तो भाई ने देखे और झट से फिर मूड गया. मैने जानबूजके टवल पलंग पे ही रखा था. नहाना होने के बाद मैने भाई को कहा की मुझे टवल देना, तब मैं स्टूल पे बैठ के दोनो पैर के बीच स्तन छुपाके बैठी थी. और मेरा कुर्ता गीला होने के वजह से मेरी पनटी और गीली भारी हुई जंघे दिख रही थी. मैने परदा हल्के से खिछा और टवल लेने के लिए थोड़ी उठी. उठाते ही मेरा लेफ्ट स्तन पूरा भाई को दिखा और उसके मूह से सिसकारी निकले. मैने ऐसा बर्ताओ किया की ये अंजाने मे हुआ और बैठ गयी, बैठते ही उसे मेरी पनटी दिखी. और उसके पंत मे मुझे हलचल दिखी. मैं जान गयी की तीर निशाने पे लगा है. उस दिन मैं सोचती रही के अब आयेज क्या करना है और उस रात खाना खाने क बाद, मैने भाई से कहा “ तुम सो जाओ मैने सहेली से नोट्स लाए है जो मुझे कंप्लीट करने है.” तो वो सोने की तायारी करने लगा और मैं नीचे बैठ क नोट्स कंप्लीट करने लगी. वो फिरसे पलंग पे पेट क बाल लेट क सो रहा था. मैं नोट्स लिखते वक़्त थोड़ी झुक क लिख रही थी जिससे मेरी स्तानो क बीच की खाई उसे थोड़ी थोड़ी दिख रही थी. मैने सोचा क भाई को गरम करने का ये चान्स छोड़ना नही छाईए इसलिए मैने गर्मी हो रही है ये दिखा क पल्लू निकल दिया और तोड़ा और झुक क लिखने लगी. उसकी थोड़ी सिसकी से मुझे पता चल गया की चिंगारी ने आग पकड़ ली है. भाई भी सोने का नाटक कर रहा था और मुझे देख रहा था. ऐसे ही 20-25 मिनिट बीट गये. मैने तोड़ा सोचा और एक बार भाई क तरफ देखा तो झट से उसने आखे बंद की और जताया क वो सो रहा है. मैं झट से उठी और मेरा कुर्ता उतार दिया. ये भाई ने कभी सोचा ही नही था क मैं ऐसा कुछ करूँगी. उसे तो जैसे 440वॉल्ट का करेंट ही लग गया. उसने उसकी उक्सुकता थोड़ी कम की और सोने का नाटक चालू रखा. पर यह मेरे छूट से पानी बहना शुरू हो गया था. वो मेरे दोनो द्तानो को घूर रहा था, मैं भी उसका मज़ा ले रही थी. और 10-15 मीं तक मैने कभी मेरे स्तानो पे का पसीना कभी कुर्ते से तो कभी टवल से पोछा जिसे भाई और उत्तेजित हो. मेरा तो बुरा हाल था, उत्तेजना के कारण मेरे दोनो स्तन कड़क हो गये थे और सीधे हो गये थे. मैने सोचा क अब और खिचना बेकार है, और उठकर सस्यू करने क लिए बातरूम गयी, और किसी तरह का परदा नही लगाया और झट से मेरा पंत उतरी और पनटी भी उतरी, ये सब भाई देख रहा है ये सोचके और मुझे पता था क वो ये देख ही रहा होगा. पनटी उतरने के बाद नीचे बैठ कर मूतने लगी ताकि मेरी गांद का घेरा और छेड़ भाई को सॉफ डीके. भाई तो जैसे सातवे आसमान पर था. मैं ज़ोर देके मूतने लगी ताकि मेरे मुतनी की ज़ोर से आवाज़ हो. उस रात के सन्नाटे मे वो आवाज़ कुछ असर कर गयी. मैं बाहर आए और एक त-शर्ट पहें लिया. मैं सोने क लिए गयी तो बारिश शुरू हो गयी और जहा मैं सोती थी वही से पानी टपकने लगा. और मेरी रज़ाई और चादर भीग गये. पानी की आवाज़ से भाई भी नींद से उठने का नाटक किया और बोला “ कोई बात नही पूजा यहा आजओ उपर.कल छत ठीक कर लेंगे.” मूज़े जैसा चाहिए था वैसा ही हुआ और मैं झट से पलंग पे लेट गयी. भाई से तोड़ा अंतर ले क सोने लगी(वैसे अब हम दोनो सोने का नाटक कर रहे थे) मैने थोड़े देर बाद नींद मे हू ऐसा दिखाते भाई क पेट पर हाथ रख दिया और तोड़ा तोड़ा हाट उपर नीचे करने लगी. जिस से उसका लंड उत्तेजित हो गया और उसके पाजामे मे तंबू बनाने लगा. उसने भी उसका हाथ मेरे छाती पर रख दिया और तोड़ा स्तानो पे फेरने लगा. अब आग पूरी लग गयी थी और बस मंज़िल थोड़ी ही दूर थी. तभी वो तोड़ा उठा और उसका पाजामा निकल के चड्डी भी निकल दी. तब मेरा हाथ उसके जाँघ को चुराहा था. वो मेरे तरफ मुड़ा और मुड़ते ही उसका लंड मेरे हथेली मे आ गया. मैने भी उसे तोड़ा हल्केसे दबाया और उसे मुट्ठी मे ले लिया, और तोड़ा हिलाया. तभी भाई ने झट से मेरे एक स्तन को ज़ोर से दबाया. बस अब हम दोनो क बीच की सब दीवारे टूट गयी और हम एक दूसरे को लिपट गये. भाई ने मेरे होतो को चूमा और एक फ्रेंच किस लिया. हे… क्या बतौ वो एहसास. फिर भाई ने धीरे धीरे मेरे स्तन दबाए, मैने भी उसके लंड को धीरे धीरे आयेज पीछे करना शुरू किया. भाई ने मेरा कुर्ता और सलवार उतार दिया अब मैं सिर्फ़ पनटी मे थी . मैने भी भाई का त-शर्ट उतार दिया और उसकी बालो वाली छाती चूमने लगी. भाई मेरे स्तानो को मूह मे लेके चूसने लगा, कभी एक कभी दूसरा. मेरे मुहसे सिसीकिया निकालने लगी, “हे… अफ… आ…और ज़ोर्से…” ये सुनके भाई और ज़ोर्से चूसने लगा. मैं भी उसका लंड हाथ से ज़ोर ज़ोर से हिलने लगी, जिसके वजह से भाई भी सिसकिया निकालने लगा… अब मैने उल्टा होकर उसका लंड मूह मे ले लिया और वो मेरी छूट चाटने लगा… हम 69 के पोज़िशन मे थे और मुखमैथून का आनंद ले रहे थे, मेरी छूट झड़ने लगी और भाई ने सारा पानी पी लिया. मैने भी उसका पानी झड़ने के बाद पी लिया… वा क्या स्वाद था उसका… हम दोनो का पानी चाड़ने के वजह से हम थोड़े सुस्त होगआय और एकदुसरे के बहो मे लिपट के लेते रहे. थोड़ी देर बाद भाई का लंड फिरसे खड़ा होने लगा, जब उसने मुझे दिखाया तो मैं खुश हो गयी और उसे मूह मे लेकर धीरे धीरे चूसने लगी वो मेरे स्तानो को दबाने लगा. भाई का लंड अब पूरे जोश मे आगेया था, और इस बार मैं उसे मुझमे समाने के लिए बेताब थी. मैं झट से बिस्तर पे लेट गयी और भाई को चढ़ने को कहा. भाई ने भी पोज़िशन ली, और मेरे उपर आ गया, पर उसे मेरे छूट का छेड़ मे डालते ही नही आ रहा था. तो मैने मेरे कुल्हो के नीचे तकिया रखा और टांगे फैला दी, जिससे मेरा छेड़ तोड़ा खुल के दिखने लगा. भाई उस पे आया और एक ज़ोर से धक्का लगाया, जिस से उसके लंड का सूपड़ा मेरी छूट चीरता हुआ अंडर चला गया. मैं ज़ोर से चीलाई पर उतने मे भाई ने मेरे होंटो मे उसके होंटो को डालके चूमा. मुझे बहोट दर्द होने लगा और मैं रोने लगी, तो उसने उसका लंड बाहर निकल लिया. जब मैने अपनी नन्ही छूट को देखा तो उससे खून निकालने लगा था, और ऐसा दर्द हो रहा था जैसे किसीने उसे फाड़ दिया हो… भाई ने मुझे समझाया, “पूजा, ऐसा तो होता ही है. आज तू काली से फूल बन गयी है.” भाई के समझने से मुझमे तोड़ा जोश आया और मैं उसे बोली, “राकेश मुझे बहो मे लेलो.” उसने झट से मुझको लिपट लिया. अब भाई ने मुझे फिरसे लेता दिया और अपनी हाथ के उंगली को मेरी छूट मे डाला और आयेज पीछे हिलाने लगे. इससे मुझे फिर से उत्तेजना होने लगी और मैं तयार होने लगी, थोड़ी देर ऐसे करने के वजह से मेरे छूट से पानी आने लगा और भाई ने उसे पी लिया और मेरी छूट ज़बान से चटकार सॉफ करने लगा. अब मुझेसे रहा नही जेया रहा था. सो मैं ने भाई को उपर आने का आमंत्रण दिया. वो झट से उपर आया पर इश्स बार धीरे धीरे उसका लंड छूट मे डालने लगा. दो-टीन झटको मे ही उसका आधा लंड मेरी छूट मे चला गया. भाई अब आयेज पीछे हिलने लगा, और एक हाथ से मेरा स्तन दबाने लगा. अब मुझे अच्छा लगने लगा और मैं चिल्लाने लगी, “फाड़ दो इश्स साली छूट को… भैया… अपनी बाहें को सारा सुख दे दो… और ज़ोर्से डालो… और… इश्स… अफ…” मेरे ऐसे कहेने से भाई भी जोश मे आगेया और ज़ोर्से झटके मरने लगा… 5मीं बाद मुझे लगा के मैं झड़ने वाली हूँ, मैं राकेश से बोली “भाई मैं झड़ने वाली हू… तुम भी साथ मे ही झड़ो और मुझमे ही झड़ो, मैं तुम्हारा पूरा रस अपने मे समलेना चाहती हू…” भाई ने वैसा ही किया और हम साथ ही झाडे. वो मेरे बगल मे लेट गया. और हम दोनो को नींद आ गयी. सुबह जब मैं उठने लगी तो मुझसे उठे नही जा रहा था. बहोट कोशिश करने के बाद मैं खड़ी हुई पर जैसे बातरूम जाने के लिए पैर बढ़ाया लड़खड़ा गयी और नीचे बैठ गयी. मेरी पहेली चुदाई के कारण मुझे बहोट दर्द हो रहा था और इसके वजह से मैं चल नही सकती थी. मैं वही पलंग पे बैठ गयी. भाई ने कहा “पूजा, तुम दो-टीन दिन घर मे ही आराम करो जब ठीक हो जाओ तब ही कॉलेज जाना.” ये कहा और मेरे पास आ के मुझे एक चूमा दे के अपने क्लास के लिए चला गया.

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कामुक थी लड़की

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कुछ करीब दो महीने पहले मेरी आसीन नाम की कामुक लड़की से काम के सिलसिले में मुलाकात हुई जोकि एक नंबर की माल थी | वो दिखने में तो एक दम गोरी थी | उसके पास दो मोटे – मोटे चुचों की भरमार थी और मटकती चाल का दीवाना मुझे बना दिया था | मैं तो देखते ही उसपर फ़िदा हो गया और उसी शाम में उससे बात आगे भी बढ़ा ली | मैं उसके बदन की ताकत के तौर पर इतना फ़िदा हो चूका था की उसे होटल में खाना खिलाने के बहाने और अपने साथ कुछ समय बिताने के बहाने ले गया | वहाँ मैं उसके बदन और उसकी जवानी की खूब तारीफ़ करने लगा जिसपर आसीन भी शर्मा जाती और समझती भी थी मैं उसकी चुत के लिए इतने मेहनत कर रहा था |

उसके बाद हम अंदर अपने कमरे में गए ऐसे ही थोड़े समय को बिताने पर उसे क्या पता थी मैंने इतना पागल हो चुका हूँ उसकी चुत को लेकर | मैंने पल में ही उसकी नशीली आँखों में खोते हुए उसके लबों को चूम लिया करता जिसपर वो भी शर्मा जाती | मेरा मुड अब एक दम हवस की चरम सीमा पर चढता हुआ था जिसपर मेरा कोई काबू नहीं था | मैं अब उसे ताकते हुए बहाने अपनी उंगलियों से सहलाने लगा | अब आसीन भी गरमाने लगी और उसके रोम – रोम खड़े हो गए | मैं जानता था की अब मैं आर्म से चुम्मा चटाई के पड़ पर चल सकता हूँ और इसीलिए मैंने अब उसके बांह को अपने लबों के चुम्मों से खिला दिया | मैं अब रुकने नहीं वाला था, तभी उसके उसके होंठ से अपने होंटों को सटा लिया और फिर मुंह में लबालब भरते हुए उसके होटों को चूमने लगा |

अब वो भी तैयार हो चुकी थी और मैं अपनी जुल्फों को को मुझपर भिकेरते हुए उसके सारे कपड़ों को खोलने लगा | आसीन शर्मा रही ही थी के पर मैं उसके चुचों को अपने हताहों में मसल रहा था जिसपर वो भी एकदम खुल चुकी थी और अपने तन बदन पे मुझे मंडराने दिया | आसीन की पैंटी को मैंने बिस्तर पर छडाते हुए निकाल डाला था और मेरी उंगलियां अब उसकी चुत के मुहाने की ओर बढ़ रही थीं |

आसीन के बड़े – बड़े चुत के बाल भी थे जिसमें मैं अपनी उँगलियों को बार – बार गुम कर रह था | मैंने कुछ देर बाद उसकी पैंटी भी उतार दि और उसकी चुत में अपनी उँगलियों की तेज़ी भी बड़ा कर उसे महोत कर दिया | मैंने अब बस अपने लंड निकाल अपने हताह में मुठी भरने लगा, और अचानक उसकी मस्तानी चुत में दे मारा |
मेरा लंड उस कामुक लड़की की चुत में घुसा ही था की वो तभी ज़ोरों से सिसकारियां भरने लगी और इशार – उधर झटपटाने लगी |
मैंने तभी उसकी नरम झांघों को भींचते हुए खूब जोर – जोर के झटके लगाने शुर कर दिया था | मैंने फिर कुछ पलों में उसकी चुत पागलों की तरह चोद रहा था जिसपर वो दर्द के मारे चींख रही थी | उसकी दर्द भरी चींखों को शायद उस वक्त मैंने सुनने से इनकार कर दिया जिसके कुछ देर बाद उसका दर्द भी कम होते हुए वो चुदाई में खो गए | मैं तीव्र झटकों से उसकी चुत में अप्रमोआर झटके दिए जा रह था | मैंने उसकी चुत के दाने को खूब शेलाया जिससे उसके कामरस को निकलने में समय ना लगा और साथ ही मैंने भी जवाब में आसीन की चुत में अपने मुठ को छोड़ डाला |

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कुंवारी लड़की की चूत

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आज मैं आपको नागरी नाम की २५ साल की लड़की की चुत – चमेली की कहानी सुनाने जा रहा हूँ जिससे मेरी मुलाकात राह चलते ही हुई थी और मैंने तब से ही उसकी चुत को जमकार चोदने का निर्णय कर लिया था | दरसल बात यूँ हुई की नागरी एक कंपनी में काम करती थी और उसी कंपनी में मुझे दाखिला दिलाने की बात चली थी जिसे मैंने खीचते हुए मुलाकतों में बदल दिया | अब हम नए मशहूर पार्कों में मिलते और काम के सिलसिले से बात करते हुए रोमांटिक बातें भी करने लगते जिसपर मेरा लंड खड़ा हो जाता और वो वही अपनी गोरो चिकी टांगों पर अपनी उँगलियाँ फेरने लगती और इसी बहाने मुझे मस्त वाला गरमा भी दिया करती |

नारगी मुझे अपने काम के समय में ही मिलने आय करती थी इसीलिए हमेशा उप्पर कमीज़ और नीचे एक श्होती सी स्कर्ट पहना करती थी जिनके नीचे दिख रही टांगों की बदौलत वो मुझे हमेशा गरमा दिया करती थी | ऐसे तो अमीन कई बार उसकी तारीफ़ की पर जब हम एक शाम के अँधेरे में अकेले ही पार्क के किसी कोने में बात कर रहे थे तो मैं अपने आप को रोक ना सका और करदी सारी हद्दें पार |
अब मैं उसकी टांगों पर हाथ फिराते हुए उसे गर्माना शुरू कर दिया | दोस्तों अब मेर बार आ चुकी थी और मैं किसी भी हालत मैं अपने आप को रोकने नहीं वाला था | जब वो भी मस्त में मस्होश हो गयी तो मैंने उसके ब्रा के हुक को भी खोल दिया और उसके गोरे – गोरे चुचों को मसलते हुए मुंह में मस्त में पीने लगा |

अब तो मैंने ज्यादा ना सोचते हुए बड़ी तेज़ी से उसकी स्कर्ट को उतार दिया और उसकी पैंटी के बाजू से ही उसकी चुत पर अपनी हटली रगड़ते हुए ऊँगली देना शुरू कर दिया | मैं अपनी उँगलियाँ मस्त वाली रफ़्तार से अंदर डालने लगा | अब मैंने भी अपनी पैंट को खोल दिया और अपने लंड को उसके हाथ में थम अदिया जिसे वो अपने हथेली में पकड़ी हुई मेरे सुपाडे को अंदर मुंह में किसी रसगुल्ले की तरह चूसने लगी | अब तो मैंने थक – हार हर कर फिर भी जोश में उसकी टांगों को खोल अपने लंड के सुपाडे को उसकी चुत पर टिका दिया और उसकी ज़ोरदार झटका जिससे लंड तो एक बार में उसकी चुत में जाने लगा जिसपर मीरा ही उत्तेजित होती हुई मटक –मटक कर सिस्कारियां ले रही थी |

मैं अब उसके उप्पर किसी खुल्ले सांड की तरह चढ गया और उसकी चुत छोड़ने में सारा ध्यान लगते हुए उस पूरी शाम बस उसके उप्पर चढ अरह | उस खुल्ले मौहल में भी उसकी बढती हुई चींखें और हमारे अनोखे चुदाई के द्रश्य को देखने वाला कोई ना था | हम दोनों ने अपने मिलाना को अपरम्पार रखा और आखिर में झटके से मेरे लंड की पिचकारी उसकी चुत के जा गिरी | मुझे पल ही सुकून मिला और अब मैं नागरी की शान्ति के लिए उसकी चुत को मसलने लगा जिससे कुछ ही दूर में उसकी चुत के भरके आंसूं निकल आये |

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एक लड़की लंड की दीवानी

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मेरा नाम राकेश हे और मैं दिल्ली में काम करता हू | मेरे ऑफिस में मेरे साथ एक लड़की काम करती थी जो मुझसे एक साल छोटी थी और मेरे साथ ही कंपनी में आई थी | दिखने में बहुत खूबसूरत थी पर वो उस किस्म की लड़की थी, बोले तो अस्लिन काम भी किया करती थी जो की मुझे उसके मोबाईल से एक दिन पता चल गया था | अब दिन रात मेरे दिमाग में यही चलता था की कैसे में इसको उठाऊ | फिर एक दिन मेरे दिमाग में बात आई और मेने शनिवार के दिन उससे बातो बताओ में कहा की मेरा आज का काम नही हुआ हे और मुझे कल रविवार को भी आना पड़ेगा काम के लिए पर में अकेला बोर हो जाऊंगा, कोई साथ रहता तो अच्छा होता | वो कुछ नही बोली पर थोड़े देर के बाद उसने अपना काम बंद कर दिया और बोली चलो मैं भी काल आती हूँ और हम दोनों मिलके साथ में करेंगे | मैं खुश हो गया की शिकार खुद मेरे तरफ आ रही थी |
मैं दूसरे दिन समय से पहले पहुच गया और ऑफिस में काम करने लग गया, वो मेरे आधे घंटे बाद आई और मेने जब उसको देखा तो लंड सलामी ठोकने लग गया, एक दम माल लग रही थी, काली जींस लाल टॉप एक दम मोर्डन परी लग रही थी | वो मुझे हाई बोली और पास में बैठ के बात करने लग गयी, में परेशां की बुला तो लिया पर शुरू कहा से करू | फिर एक और बात आई और में काम करते करते बार बार अपने लंड को खुजाने लग गया | तिन चार बार वो देखी और फिर बोली कुछ प्रॉब्लम हे क्या ? मैं बोला कुछ नही बस नया अंडरवियर हे तो सेट नही हुआ ठीक से | वो बोली फिर ठीक करलो | मुझे बीएस इसके मुह से यही सुनना था और मैं झट से खड़ा होके पेंट उतार के ठीक करने लग गया, वो एक दम से आँखे फाड़ फाड़ के मुझे देखने लग गयी | में लंड को सेट करते हुए पुचा क्या हुआ ? वो बोली कुछ नही, काफी स्मार्ट हो तुम | मैं बोला कैसे वो बोली की दिन समय और बात सबका अच्छे से इस्तेमाल करते हो और फिर वो खड़े होके मुझे चूमने लग गयी |
मेने अपनी पेंट वही छोड़ दी और फिर उसे किस करने लग गया और वो भी मस्त वाला साथ दे रही थी, और मेरा लंड उसके जांघों को छू छू के और तनते जा रहा था | मेने उसके सर को छोड़ दिया और उसके चुचो को दबाने लग गया और कुछ ही पल में मेने उसका टॉप और उसके ब्रा को उतरा दिया | उसके बाद जो नज़ारा था उसे में बयां नही कर सकता | एक दम तने हुए चुचे और प्यारी सी उसपे निप्पल देखते ही मन कर रहा था की उसे मुह में भर के खा जाऊ | मेने उसके निप्पल को मुह में भर के चूसना शुरू कर दिया और उसके दूसरे चुचे को मसलना शुरू कर दिया | वो सिसकिय पे सिसकिय भर्ती जा रही थी | उसने फिर जल्दी ही मेरे शर्ट को उतार दिया और मेने अपने फसे हुए पेंट को भी अलग कर दिया और फिर उसकी जींस और पेंटी भी उतार दी | ऑफिस में हम दोनों पुरे नंगे थे, मेने उसे कुर्सी पे बिठा दिया और फिर उसकी चुत चाटने लग गया | वो कस कस के कराहने लग गयी, और मेरे बालो को पकड़ के मुझे चूमने लग गयी |
मेने फिरसे उसके चुत को चाटना शूर किया और फिर उसकी पंखडियो को खोल के उसके छेद पे जीभ घुमाना शुरू किया तो वो कस के चीख उठी अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह एस ह्म्म्म्म्म्म्म और कर और बहुत अच्छा लग रहा हे करते रह ऐसे ही करते रह | मेने फिर अपना लंड उसे चूसने को दिया और वो दो मिनट चुसी और फिर मेने लंड उसके चुत पे सटा दिया और धक्का दे दिया, थोड़ी मुश्किल हुई पर चली गयी | उसे दर्द हुआ पर वो मुह बंद कर के सह गयी | मैं अब कस कस के धक्के देने लग गया और वो कस कस के कराहती रह गयी और मैं बिच बिच में सुके चुचो को भी मसलता रहता वो अह्ह्ह्ह्ह्ह उई उ उ उ उ उ उ हम्म ई करते करते दो बार झड गयी और मैं लगा हुआ था | करीब पन्द्रह मिनट बाद मैं उसके चुत में ही झड गया और वो मुझे कस के पकड़ के चूमना शूर कर दी | हम दोनों झड के सुकून महसूस कर रहे थे | उसके बाद हम दोनों उठे ठीक ठाक हुए और फिर अपने काम पे लग गए | काम करते करते हम दोनों ने बहुत बार किस किये और एक दूसरे के लंड और चुचो को मसला |

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