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एयरहोस्टेस की चुत का बना हवाई अड्डा

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आज मैं अर्जुन पंडित अपनी आत्मकथा आपको सुनाने जा रहा हूँ जोकि एक एयरहोस्टेस की है और उसका नाम स्नेहा सिखावत था | मेरी मुलकात उससे दिल्ली से प्लेन में आते ही हुई थी और वो मेरे व्यक्तितत्व से इतनी प्रभावित हुई की उसने हवाई अड्डे पर पर अपने मोबाइल का नंबर भी मुझे दे दिया की हम आगे चलकर बात कर सकें | मैंने भी इतने अचे मौका का खूब फाइदा उठाया और अगले ही पल से उसे प्यार भरी बातें करके अपने जाल में फंसा लिया | मैं उसे कोई प्यार – व्यार नहीं करता था पर च्यूंकि मुझे इतने मस्त बदन और गोरी सूरत वाली पहली बार ही कोई लड़की मिली थी इसीलिए मैं उसे अपने हाथ से किसी भी हालत में जाने नहीं देना चाहता था |

उसके बाद से वो जब कभी भी अपनी छुट्टियाँ बिताने आती तो मैंने उसे अपने दोस्त के खाली बड़े बड़े से फार्म – हाउस में ले जाया करता जिससे उसके उप्पर मेरा भी व्यक्तितत्व भारी पड़ने लगा था और वो मुझसे शादी करने के लिए बेचैन हुई जा रही थी | मैं तो केवल उसके साथ सुहागरात ही बनाना चाहता था और एक दो बार की मुलाकात के बाद उसे मैं जी भर के लिए चूम लिया करता | एक रोज के बाद जब वो अपने लंबे काम से आई तो मैं भी उसकी चुत के दर्शन करने लिए बहुत ही तड़पा जा रहा था और इस बार मैंने पहली रात को चुदाई के आलम को पूरी तरह से तैयार कर चूका था | रात को मैंने उसे अपनी तरफ खींचा ओर उसके हाथ को सहलाते हुए उसे गर्म करने लगा |

मैंने उसे बिस्तर पर लिटाते हुए उसके गाउन को खोल दिया और उसके पीछे से ब्रा को खोलते हुए चुचों को पीते हुए दबाने लगा | मैंने पहली बार ही इतने मोटे गोरों चुचों के दर्शन किये थे जिन्हें मैं मुंह में भरकर चुद रहा था | मैंने अब उसकी पैंटी को नीचे खींच दिया और उसकी चुत पर अपनी मस्तानी उंगलियां मसलने लगा | मैंने अब अपने भी कपड़े खोल डाले चुदाई होने की मुस्कान देती हुई आगे बढते हुए उसकी चुत में ऊँगली कुछ देर करता रहा जिससे कुछ देर बाद ही उसकी चिकनी गोरी चुत से पानी निकल पड़ा | मैं उसकी अंदर की गुलाबी वाली फांक से टपक रहे रस को चाटने अग अपनी जीभ से जिसपर वो सिसकियाँ ले रही थी और अपनी चुत के उप्परी हिस्से को मसल रही थी |

कुछ पल बाद ही मैंने स्नेहा की टांगों को खोलते हुए अपने लंड को उसकी चुत पर में देते हुए ज़ोरदार झटका मारा और मेरा लंड भी उसकी चुत में पूरा जाने ना चूका और वो अपनी गर्दन को झटकते हुए मस्त वाली जोर – जोर की सिसकियाँ लेने लगी | मैंने अब सब कुछ भुलाते हुए उसकी चुदम – चुदाई की और पीछे से उसके गोरों गद्देदार चूतडों को भी मसलता हुआ चला गया | मैंने उसके होठों अपने होठों तले दबा लेता जिसपर उसकी कामुक आवाजें और उत्तेजित कर रही थी और मैं उसके चूतडों के बीच ऊँगली उसकी गांड में देने लगा | इस तरह मैंने उसे दिखानेने के लिए अपनी मंगेतर बना लिया और कुछ महीने बाद उससे अपनी प्यास भुजाकर गायब हो चला |

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शिमला में कुंवारी बुर तोड़ चुदाई हुई

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हैल्लो दोस्तों, सबसे पहले में आप सभी को अपने बारे में बता देती हूँ, मेरा नाम रितिका है और में 21 साल की हूँ. में चंडीगढ़ की रहने वाली हूँ और में एक स्कूल में पढ़ती हूँ, मेरी हाईट 5.7 इंच है और में दिखने में भी बहुत सुंदर हूँ, मेरा रंग बहुत गोरा है और मेरा फिगर भी दिखने में बहुत अच्छा है. अब में आप सभी का ज़्यादा समय ना खराब करते हुए सीधा अपनी सच्ची घटना पर आती हूँ. दोस्तों में आज आप सभी को अपना पहला सेक्स अनुभव आप सभी चाहने वालों को सुनाने जा रही हूँ जिसके बाद मेरा सोचने, समझने का तरीका बदल गया. यह मेरी सच्ची घटना है और में उम्मीद करती हूँ कि यह आप सभी को जरुर पसंद आएगी.

दोस्तों यह बात एक साल पहले की है जब में 20 साल की थी और में अभी जवानी के उस दौर से गुजर रही थी जिससे सभी लड़कियां एक बार जरुर गुजरती है मेरे बूब्स, कमर, गांड, चूत मेरे जिस्म के हर एक अंग ने अपना आकार बदल लिया था और मेरी चूत पर बहुत सारे छोटे छोटे बाल उगने लगे थे, मेरे बूब्स की निप्पल अब थोड़ी थोड़ी बाहर नजर आने लगी थी और अपने गदराए हुए बदन का वो बदलाव में खुद महसूस करने लगी थी.

दोस्तों वैसे तो में एक बहुत ही अच्छे घर की लड़की हूँ, लेकिन मैंने तब तक कभी भी कोई गलत काम नहीं किया था और मुझे मन में कभी कभी अपने जिस्म को देखकर कुछ कुछ होता था, लेकिन मेरी चूत अब तक कुंवारी थी और हर कोई उस समय मेरे जिस्म का बहुत पागल था क्योंकि में चेहरे से बहुत अच्छी दिखती थी और वैसा ही मेरा सेक्सी बदन भी था जो हर किसी को अपनी तरफ आकर्षित कर ले. दोस्तों एक दिन हमारे स्कूल का टूर एक हिल स्टेशन के लिए जाना था और हम सभी ने निर्णय किया कि हम शिमला जाएँगे और वो हमारा तीन दिन का टूर था.

फिर मैंने अपने घर पर इस बारे में बात की तो मेरे घर के सभी लोग खुशी खुशी मान गये क्योंकि हमारे सर भी हम लोगों के साथ जा रहे थे और मेरे घरवालों को मेरी फ़िक्र करने की बिल्कुल भी ज़रूरत नहीं थी. फिर हमारा टूर शुरू हुआ और हम सभी ने वहां पर बहुत मज़े किये, लेकिन मुझे क्या पता था कि इस टूर के बाद मेरी लाईफ इस तरह बदल जाएगी? हम पांच घंटे के सफर के बाद शिमला पहुंच गये और वहां पर एक अच्छी सी होटल में हमारा रहने का इंतज़ाम किया गया था. वहां पर मेरे साथ मेरे रूम में दो और लड़कियाँ थी और हमारा रूम आखरी वाले रूम से पहले था. उस दिन हम सभी लोग बाहर घूमने चले गये, लेकिन उस दिन थोड़ा समय बीतने के बाद शाम होने वाली थी तो हम लोग जल्दी वापस आ गये. फिर जब हम अपने रूम में अंदर जा रहे थे तो हमने देखा कि आखरी वाला रूम जो हमारे पास साथ वाला रूम था उसमे एक अंकल अंदर जा रहे है वो दिखने से वहीं के लग रहे थे और उनकी उम्र करीब 45 साल की होगी और उनकी हाईट भी 6.6 होगी और वो थे भी बहुत हट्टे-कट्टे. हमें देखकर उन्होंने हमसे हैल्लो किया और थोड़ा सा हमारे बारे में पूछा (दोस्तों में उनकी बोली हुई इंग्लिश की बातें भी आप सभी को हिन्दी में ही बताउंगी जिससे आपको ज़्यादा मजा आएगा) फिर हमने उन्हे बताया कि हमारे स्कूल का टूर यहाँ पर आया हुए है, लेकिन मैंने देखा कि वो अंकल मुझे बातें करते समय बहुत ध्यान से देख रहे थे और उनकी आखें मेरे जिस्म को खा जाने वाली नजरो से घूर रही थी. फिर वो कुछ देर हमसे बात करने के बाद अपने रूम में चले गये और हम भी अपने रूम में चले गए, लेकिन उनका मुझे इस तरह से घूर घूरकर लगातार देखना बहुत अजीब भी लगा और मेरे दिल ही दिल में कुछ हुआ भी. फिर उसके अगले दिन हम सभी तैयार होकर होटल के बाहर आ गये, लेकिन कुछ देर बाद मुझे याद आया कि में अपना कुछ सामान अपने रूम में भूल आई थी और फिर में अपने सर से कहकर वो सामान लेने अपने रूम में आ गई और जब में अपने रूम में अंदर जा रही थी तभी मैंने देखा कि वो अंकल भी अपने रूम से बाहर आ गये और उन्होंने मुझसे हैल्लो कहा और फिर वो मुझसे कहने लगे कि उनकी बेटी भी दिखने में बिल्कुल मेरे जैसी ही है, लेकिन बस उसका रंग उसके पापा पर गया है.

फिर उन्होंने मुझसे मेरे बारे में और भी बहुत कुछ पूछा, मुझे अब उनसे बात करके बहुत अच्छा लगने लगा. फिर उन्होंने मुझसे कहा कि वो मुझे एक तोहफा देना चाहते है, मैंने कहा कि हाँ दे दीजिए तो उन्होंने कहा कि उस तोफे के लिए मुझे एक दिन उनके साथ घूमना होगा और वो भी किसी को बिना बताए. अब मैंने कहा कि नहीं ऐसा नहीं हो सकता तो उन्होंने मुझसे कहा कि में तुम्हे अपनी बेटी समझकर यह बात कह रहा हूँ और मुझे बहुत देर तक समझाया. फिर मैंने कहा कि में अकेली आपके साथ नहीं रह सकती क्योंकि मेरे सर मुझे आपके साथ अकेला नहीं जाने देंगे. फिर उन्होंने मुझसे कहा कि कल सुबह जब सभी लोग बाहर घूमने जाएँगे तो तुम किसी भी बीमारी का बहाना बनाकर यहीं पर रुक जाना और फिर हम साथ में चलेंगे. अब मैंने उनसे कहा कि ठीक है, कल देखेंगे क्या होता है? और उनसे यह बात कहकर मैंने रूम से अपना सामान लिया और फिर नीचे चली गई.

दोस्तों उस दिन हमने बहुत मजे मस्ती किए और फिर रात को खाना खाकर सोने के लिए अपने अपने रूम में आ गये, लेकिन मुझे अब नींद नहीं आ रही थी क्योंकि में यह बात सोच रही थी कि में झूठ बोलूं या नहीं? फिर मैंने सोचा कि गिफ्ट तो मुझे जरुर लेना है, लेकिन में उनके साथ घूमने नहीं जाउंगी और में उनके साथ यहीं होटल में बैठकर बातें करूँगी. फिर अगले दिन जब सभी घूमने बाहर जा रहे थे तो मैंने अपनी सर से कहा कि मेरी तबीयत कुछ ठीक नहीं है और में आज उनके साथ नहीं जा सकती.

फिर मेरे सर ने मुझसे वहीं पर आराम करने के लिए कहा और फिर वो सभी चले गए और आधे घंटे के बाद मुझे अपने पास वाले रूम के दरवाजे की आवाज़ सुनाई दी तो में झट से बाहर आ गई और अब मैंने देखा कि वो अंकल बिल्कुल तैयार थे और उन्हे मुझे देखकर बहुत खुशी हुई. फिर उन्होंने मुझसे चलने के लिए बोला तो मैंने उन्हें सारा कुछ बता दिया, उन्होंने कहा कि ठीक है हम दोनों उनके रूम में बैठकर बातें करेंगे. अब में भी उनकी यह बात मान गई और में उनके रूम में चली गई तो उन्होंने दरवाजा अंदर से बंद कर लिया और मुझसे बैठने के लिए बोला. फिर उन्होंने मुझसे कोल्डड्रिंक पीने के लिए कहा, लेकिन मुझे जरा सा भी एहसास नहीं था कि उसमे बेहोशी की दवा हो सकती है. फिर मैंने उस कोल्डड्रिंक को पी लिया और में थोड़ी देर बाद बेहोश हो गई और जब मुझे होश आई तो मैंने देखा कि में बिना कपड़ो के बिस्तर पर पड़ी हुई थी और वो अंकल मेरे पास बैठे हुए थे.

यह सब देखकर में एकदम से बहुत डर गई और में कहने लगी कि यह आपने मेरे साथ क्या किया? तो अंकल मुझसे हंसकर बोले कि उन्होंने अभी तक कुछ नहीं किया, लेकिन वो बहुत कुछ कर सकते थे, लेकिन उन्होंने ऐसा कुछ नहीं किया. अब मैंने उनसे कहा कि मुझे अपने रूम पर जाना है, तो अंकल मुझसे बोले कि तुम प्लीज एक बार मेरे साथ सेक्स कर लो उसके बाद तुम अपने रूम पर चली जाना.

फिर मैंने उनसे कहा कि प्लीज मुझे जाने दो, वो मुझसे बोले कि अगर तुम गई तो में तुम्हारी फोटो नेट पर अपलोड कर दूँगा प्लीज मेरे साथ एक बार सेक्स करो तुम मुझे बहुत अच्छी लगती हो इसलिए मैंने तुम्हे अभी तक कुछ नहीं किया. दोस्तों अब मेरे पास कोई और चारा भी नहीं था और अब में उनकी यह बात चुपचाप मान गई. अब अंकल ने मुझसे कहा कि तुम एकदम सीधी लेट जाओ पहले मुझे तुम्हे सेक्स के लिए तैयार करना है और फिर में उनके कहने पर बेड पर सीधी लेट गई अंकल मेरे दोनों पैरों के बीच में आकर बैठ गए और अब वो मेरे बूब्स को ज़ोर ज़ोर से दबाने लगे.

दोस्तों मैंने महससू किया कि उनके हाथ इतने बड़े थे कि मेरे बूब्स उनके सामने छोटे लग रहे थे, लेकिन उनके मेरे बूब्स को दबाने से मुझे अब बहुत मजा आ रहा था और में मन ही मन अब बहुत खुश थी. फिर उन्होंने अपना मुहं मेरे एक बूब्स पर रख दिया और अब वो मेरे बूब्स को चूसने लगे में तो उनके ऐसा करने से जैसे एकदम सुन्न पढ़ गई, मुझे इतना मजा आया कि में शब्दों में नहीं बता सकती और पांच मिनट एक बूब्स को चूसने के बाद उन्होंने मेरा दूसरा बूब्स चूसना शुरू किया. वो इतनी ज़ोर से चूस रहे थे जैसे मेरा पूरा दूध आज ही पी जाएँगे.

फिर वो उठकर मेरे पैरों के बीच में आ गये और अब वो मेरी चूत को सहलाने लगे जिसकी वजह से मुझे बहुत गुदगुदी हुई और में ज़ोर से हंसने लगी. अब उन्होंने अपना मुहं मेरी चूत पर रख दिया और मेरी चूत को चूसने लगे. जब उन्होंने अपनी जीभ पहली बार मेरी चूत में डाली तो अचानक से मुझे ऐसा लगा कि जैसे मेरे शरीर में बिजली दौड़ गई हो और मुझे अब उनके यह सब करने से बहुत मज़ा आ रहा था और मेरी चूत अब धीरे धीरे गीली भी हो रही थी. फिर उन्होंने अपनी एक उंगली को मेरी चूत में डाल दिया जिसकी वजह से मुझे बहुत दर्द हुआ और अब मैंने उन्हें उंगली बाहर निकालने के लिए बोला तो वो मुझसे बोले कि तुम्हारा सब दर्द अभी कुछ देर में ठीक हो जाएगा और अब वो बहुत जल्दी जल्दी अपनी उंगली को अंदर बाहर कर रहे थे और अब मुझे भी बहुत मजा आने लगा था और मेरा दर्द धीरे धीरे खत्म होने लगा था. अब वो अपने कपड़े उतारने लगे और उनका शरीर दिखने में बहुत मस्त था जब उन्होंने अपनी अंडरवियर उतारी तो उनका वो करीब 6 इंच लंबा 3 इंच मोटा सांप जैसा काला लंड मेरी आखों के सामने आ गया वो दिखने में बहुत मोटा था मेरी कलाई जितना मोटा.

अब अंकल मुझसे बोले कि चलो अब इसे चूसो. मैंने डरते हुए कहा कि यह तो बहुत बड़ा है और मेरे मुँह में नहीं जाएगा तो वो बोले कि यह तो अभी आधा है जब तुम इसे चूसोगी तो पूरा खड़ा हो जाएगा और तुम्हे भी बहुत मजा आएगा. फिर जब मैंने उनके लंड को अपने हाथ में पकड़ा तो मैंने महसूस किया कि वो बहुत गरम था और वो मेरे हाथों में पूरा ठीक तरह से आ भी नहीं रहा था और फिर में उसे अपने दोनों हाथों से पकड़कर अपने मुँह के करीब ले गई.

फिर उन्होंने मुझसे लंड को मुँह में लेकर चूसने को कहा में भी अब बहुत गरम हो चुकी थी और उनके साथ सेक्स करना चाहती थी इसलिए में उनकी सभी बातें एक एक करके मान रही थी. अब मैंने अपना पूरा मुँह खोला और लंड का टोपा धीरे से अंदर ले लिया, लेकिन वो और अंदर नहीं जा रहा था और इसलिए अंकल उसे ऐसे ही थोड़ा थोड़ा हिलाने लगे. कुछ देर बाद मेरे मुँह की गरमी से लंड अब और भी बड़ा होने लगा था. जब मैंने लंड को अपने मुहं से बाहर निकाला तो वो 8 इंच लंबा हो गया और में तो उसका इतना बड़ा आकार देखकर एकदम से डर गई, लेकिन फिर मुझे देखकर अंकल हंसने लगे और अब वो मुझसे बोले कि अब यह तेरी चूत में जाएगा और में तुझे चोदूंगा.

फिर मैंने उनसे कहा कि में इतना बड़ा और मोटा लंड नहीं ले सकती मुझे बहुत दर्द होगा और इससे मेरी चूत फट जाएगी, प्लीज अब मुझे जाने भी दो. फिर वो बोले कि तुम्हे इसे लेने में बहुत मजा आएगा, तुम एक बार इसे लेने की कोशिश तो करो और यह बात कहकर उन्होंने मुझे बेड पर सीधा लेटा दिया और अब मेरी चूत को चाटते हुए अपना सलाइवा छोड़ने लगे. उन्होंने बहुत सारा सलाइवा मेरी चूत पर निकाल दिया और फिर उन्होंने अपने लंड को अंदर जाने के लिए तैयार कर रखा था, लेकिन उनके बड़े मोटे लंड का और मेरी प्यारी छोटी चूत का कोई मुकाबला ही नहीं थी, मेरी चूत बहुत छोटी नाजुक सी थी जो अभी अभी जवान हुई थी.

अब उन्होंने लंड को चूत के मुहं पर पकड़कर ज़ोर लगाया और फिर उन्होंने अपने लंड का टोपा मेरी चूत के अंदर डाल दिया, लेकिन उस दर्द से मेरी तो जान ही निकल गई और में उन्हे अपने ऊपर से हटाने लगी, लेकिन वो इतने भारी थे में कुछ ना कर सकी, में बस उस दर्द से तड़पती रही. वो अब थोड़ा रुककर मुझे किस करने लगे और मेरे बूब्स को चूसने लगे और थोड़ी देर बाद जब मेरा दर्द कम हुआ तो वो अपने लंड को धीरे धीरे अंदर बाहर करने लगे. उन्होंने अभी और लंड अंदर नहीं डाला और वो बस उतना ही लंड अंदर बाहर करते रहे.

फिर थोड़ी देर बाद उन्होंने एक ज़ोर का झटका मारा और दो इंच लंड मेरी चूत के अंदर डाल दिया. उस दर्द के मारे मेरे मुहं से बहुत ज़ोर से चीख निकल गई, लेकिन अंकल ने अपने होंठो को मेरे होंठो पर रख दिया और फिर चूसते रहे जिसकी वजह से मेरी चीखने चिल्लाने की आवाज़ बाहर नहीं निकल सकी. अब मैंने महसूस किया कि मेरी चूत से खून बाहर आ रहा था और अब में धीरे धीरे बेहोश होने वाली थी. अंकल मेरे बूब्स को लगातार मसल रहे थे और मुझे किस करते रहे, जिसकी वजह से मुझे अच्छा लगने लगा, में बहुत जोश में थी और अब थोड़ी देर के बाद मैंने भी उनका पूरा पूरा साथ देना शुरू कर दिया और अब अंकल ने एक बार फिर से मेरी चूत में धक्के मारने शुरू कर दिए. वो धीरे धीरे अपना लंड मेरे अंदर करते जा रहे थे और ऐसे करते करते उन्होंने मेरी चूत के अंदर अपना थोड़ा लंड और डाल दिया जिसकी वजह से मेरी जान निकली जा रही थी और मुझे ऐसा लग रहा था कि जैसे मेरी चूत आज दो हिस्सों में हो जाएगी.

अब अंकल ने अपना लंड और अंदर नहीं डाला और वो लंड को अंदर बाहर करने लगे. मुझे लगा कि उनका सारा लंड अंदर चला गया है और मुझे खुद भी बिल्कुल भी विश्वास नहीं हो रहा था कि उनका इतना बड़ा लंड मेरी छोटी सी चूत के अंदर चला गया है. में अब जोश में आकर उछल उछलकर अंकल का साथ देने लगी थी.

फिर मैंने उनसे कहा कि देखा अंकल मैंने आपका सारा लंड अंदर ले लिया है तो वो कुछ नहीं बोले, बस मुस्कुराने लगे, लेकिन जब उन्होंने अपने लंड को बाहर निकालकर मुझे दिखाया तो में उसकी लम्बाई को देखकर एकदम से हैरान रह गई कि अभी भी लंड का एक हिस्सा बाहर है. उनका पूरा लंड खून से भरा हुआ था और जब मैंने अपनी चूत देखी तो में वो खून देखकर बहुत डर गई. मेरी चूत भी अब फट गई थी और मुझे उसे देखकर नहीं लगता था कि वो अब किसी और के लायक रह गई थी क्योंकि अंकल का लंड इतना मोटा था और उसने मेरी चूत को फाड़कर फैला दिया था. अब अंकल मुझसे बोले कि तुम बिल्कुल भी डरो मत, ऐसा कुछ नहीं है और ऐसा पहली बार चुदाई करते समय सभी के साथ होता है. फिर उन्होंने मुझे एक बार फिर से लेटा दिया और अब उन्होंने धीरे धीरे फिर से अपना लंड मेरी चूत में डाल दिया. में दर्द के साथ सिसकियाँ लेने लगी और अब अंकल ने अपनी स्पीड को बड़ा दिया और पूरा लंड बाहर निकालकर फिर से अंदर डाल दिया.

दोस्तों उन्हे तो यह सब देखकर ही बहुत मजा आ रहा था कि वो आज अपने से इतनी छोटी उम्र की कुंवारी लड़की को चोद रहे थे और उसकी चूत को फाड़ रहे है और मुझे मन ही मन यह बात सोच सोचकर जोश आ रहा था कि मैंने आज पहली बार में ही इतना बड़ा लंड ले लिया था. अब अंकल पूरे ज़ोर से मेरी चूत में लंड डाल रहे थे और हम दोनों पसीने में पूरी तरह भीग गये थे. फिर 15 मिनट की चुदाई के बाद अंकल मुझसे पूछने लगे कि क्या में अपना पूरा लंड अंदर डाल दूँ? तो मैंने झट से हाँ कह दी.

फिर अंकल ने एक ज़ोर का धक्का मारा जिसकी वजह से मुझे लगा कि उनका लंड जैसे मेरी गर्दन तक आ गया हो और मुझे लगा कि अब सारा लंड अंदर चला गया है और उस दर्द की वजह से में मर रही थी, लेकिन में पूरा लंड अंदर लेने के जोश में बस यह सब कुछ करवा रही थी और जब मैंने देखा तो अभी भी दो इंच लंड बाहर था. मुझसे बिना कुछ बोले अंकल ने एक और ज़ोर का झटका मारा और अब पूरा का पूरा लंड मेरे अंदर चला गया और में उस दर्द से एकदम से तड़प उठी, लेकिन अंकल की आँखों में इतनी हवस थी कि वो मुझे पागलों की तरह किस कर रहे थे. फिर थोड़ी देर बाद मैंने उनसे कहा कि अंकल प्लीज अब करो ना मेरी चूत में और अंकल मेरे मुहं से यह बात सुनकर एकदम से पागल हो गये और अब उन्होंने पूरा लंड बाहर निकालकर मेरी चूत में डाल दिया, लेकिन अब मुझे बिल्कुल भी दर्द नहीं हो रहा था और अंकल बहुत तेज तेज कर रहे थे. अब मुझे भी बहुत मज़ा आ रहा था.

फिर दस मिनट करने के बाद अंकल ने मेरी चूत में ही अपना वीर्य निकाल दिया, उनके लंड से इतना वीर्य निकाला जैसे किसी घोड़े का होता है और वो मेरी चूत में पूरा भरकर बाहर बहने लगा जिसकी वजह से वो चादर वीर्य और मेरे खून से पूरी गीली हो चुकी थी और उसके बाद भी उन्होंने अपना लंड बाहर नहीं निकाला. फिर वो मुझ पर ही लेट गये और मेरे चेहरे को चूमने लगे और मेरे बूब्स को मसलने लगे. फिर कुछ देर बाद में उनसे लिपटकर सो गई. उस वक़्त वो मेरे लिए सबसे अच्छे व्यक्ति थे.

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कामुक भाबी की जिस्म की गर्मी

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हैल्लो दोस्तों, मेरा नाम शाहिद है और मेरी लम्बाई 5.10 फिट और मेरे लंड की लम्बाई 7 इंच है. दोस्तों में आज आप सभी को अपनी भाभी की चुदाई की कहानी सुनाने जा रहा हूँ, वैसे में उन्हें चोदने के सपने बहुत देखा करता था और फिर एक दिन मेरा वो सपना सच हुआ और मुझे उनकी चुदाई करने का मौका मिला और आज में उसकी चुदाई की घटना को आप सभी को पूरा विस्तार से सुनाने जा रहा हूँ. यह मेरी पहली कहानी है और अब में अपनी भाभी के बारे में भी थोड़ा बहुत बता देता हूँ.

दोस्तों मेरी भाभी बहुत सेक्सी है, उनका नाम ऋतु है वो बहुत फिट है और उनकी गांड का साईज 34 और बूब्स और कमर बहुत हॉट, सेक्सी 24 है जिनको देखकर मेरा लंड अपना आकार बदलकर पेंट से बाहर आने लगता था. दोस्तों वैसे में शुरू से ही चूत का बहुत दीवाना लड़का हूँ और मैंने अब तक बहुत सी लड़कियों को चोदा है, लेकिन वो सब की सब मेरी ही उम्र की थी उनमे से बहुत लड़कियों की चूत की सील मैंने तोड़ी थी.

दोस्तों में हमेशा से ही अपनी पड़ोस में रहने वाली सेक्सी भाभी को हवस की नज़रों से देखता था और उनको चोदने के ख्यालों को सोचकर मुठ मारा करता था. में हमेशा सोचता था कि जब में अपनी भाभी को चोदूंगा तो मुझे कितना मज़ा मिलेगा? में सबसे पहले उनकी चूत को चूसूंगा और उनकी गीली चूत का पानी पी जाऊंगा और जब यह सब करने का मुझे मौका मिला तो मैंने उसका पूरा पूरा फायदा उठाया और आज तक भी उठता आ रहा हूँ. दोस्तों यह बात इसी साल की है और उस समय मेरी भाभी के घर पर हम सब रिश्तेदार गए हुए थे और में उनके घर पर ऐसे ही घूम रहा था और जब मैंने देखा कि भाभी ने अपने कुछ कपड़े धोकर सुखा रखे है तभी मैंने देखा कि उन कपड़ो में भाभी की ब्रा और पेंटी भी थी. तो में वहाँ गया और फिर इधर उधर देखकर चुपके से उनकी पेंटी को उठाकर चाटने लगा.

मैंने देखा कि उनके पास बिस्तर गरम करने वाली बहुत सी जालीदार ब्रा और पेंटी थी क्योंकि मैंने उनके बाथरूम में भी ऐसी ही चुदम चुदाई वाली ब्रा देखी थी जिसको देखकर मेरा लंड तनकर खड़ा हो गया था और उनके पास एक कृत्रिम लंड भी था जो आकार में बहुत बड़ा था शायद वो उसे अपनी चूत में डालकर अपनी चूत को ठंडा करती थी.

फिर मैंने उनकी एक नीले कलर की जालीदार सेक्सी ब्रा उठाई और उसे चाटने लगा. में बहुत देर तक उसे सूँघता रहा और चाट रहा था तो इतने में मैंने पीछे मुड़कर कर देखा कि भाभी मुझे शरारती नज़रों से देख रही थी. दोस्तों मेरी भाभी मुझसे ज़्यादा बड़ी नहीं है, वो मुझसे उम्र में सिर्फ़ 8 साल बड़ी है. अब मुझे इस तरह उनकी ब्रा को चाटते सूंघते हुए देखकर उनकी चूत भी अब गरम होने लगी थी, लेकिन उस समय सब लोग घर पर थे इसलिए भाभी चुपचाप मेरे पास आई और मेरा लंड पकड़कर बोली कि क्यों बहुत गरमी है ना तुझमे, थोड़ी अपनी गरमी मुझे भी दे दे और फिर वो मेरे होठों पर चूमने लगी.

हम बहुत देर तक एक दूसरे को चूमते, चूसते रहे और अब में उनके बूब्स को दबा रहा था. फिर भाभी ने कहा कि इससे पहले कि कोई यहाँ पर आ जाए तुम मुझसे दूर हो जाओ हम इस काम को बाद में लगातार करेंगे. फिर में अपने खड़े लंड को वहां से लेकर बाथरूम में चला गया और मैंने उनके नाम की मुठ मारकर अपने लंड को शांत किया, लेकिन अब हम दोनों एक दूसरे को पूरा दिन हवस भरी नज़रों से देखते रहे और उसके बाद में अपने घर चला गया.

फिर हम जब भी मिलते थे तो में भाभी को उनके घर के बाथरूम में ले जाकर चूमा करता था और उनके बूब्स का दूध मुझे बहुत अच्छा लगता था. हम दोनों घंटों तक लगातार स्मूच किया करते थे और भाभी भी पूरा दिन गरम ही रहती थी क्योंकि भैया अधिकतर समय अपने ऑफिस के कामों से घर के बाहर ही रहते थे जिसकी वजह से वो लंड के लिए बहुत तरसती थी और मुझे उन पर शक भी था कि भाभी किसी पड़ोसी से भी चुदवाती है और अब में उन्हे यह कहकर हमेशा डराता था कि में भैया को यह बता दूँगा कि उनकी चूत कितने पराए लंड अंदर ले चुकी है और में भाभी को यही सब कहकर बातों ही बातों में उनकी पेंटी में हाथ डाल दिया करता था और उनके मुहं में अपना लंड देता था. उनके मुहं को ज़ोर ज़ोर से धक्के देकर चोदता और में हमेशा अपना वीर्य उनके मुहं में ही डालता था, लेकिन वो मेरा वीर्य जिस तरह से पीती और अपनी जीभ से चाटकर साफ करती थी तो मुझे अब शक होने लगा कि कहीं मेरे भैया ने किसी रांड से शादी तो नहीं कर ली.

भाभी चुसवाते वक़्त पूरे जोश में होती थी और उनकी सिसकियों की आवाज आआहह्ह्ह्ह उह्ह्ह्हह्ह मेरे लंड को खड़ा कर देती थी, लेकिन भाभी कभी भी मुझे चोदने नहीं देती थी, बस वो मेरे साथ स्मूच करती थी और अपने बूब्स को मुझसे दबवाती, चूसने को कहती, अपनी चूत चाटने देती और मेरा लंड चूसती थी, लेकिन अपनी चूत की चुदाई नहीं करने देती थी.

फिर एक रात को में अपने घर पर अपनी पड़ोस में रहने वाली आंटी के बारे में सोच सोचकर मुठ मार रहा था कि तभी भाभी ने मुझे फोन किया और फिर उन्होंने मुझसे कहा कि तुम्हारे भैया बिजनेस ट्रिप के लिए हांगकांग जा रहे है तो उन्हे एरपोर्ट तक छोड़ना है, लेकिन भाभी बिना कहे मेरा लंड माँग रही थी और में उनका कहना समझ गया था. फिर में उनके घर पर पहुंचा और भैया को एरपोर्ट छोड़कर आया और जैसे ही में घर पर वापस गया तो मैंने देखा कि भाभी अपने कमरे में बिस्तर पर उसी ब्रा और पेंटी में सो रही थी जिसे मैंने चाटा था, उन्हे इस हालत में देखकर मेरा लंड एकदम से खड़ा हो गया और में पीछे से गया और अब पास जाकर उनकी गांड पर अपना लंड रगड़ने लगा और फिर जैसे ही उनकी नींद खुली तो वो भी मेरे लंड को पकड़कर हिलाने लगी और में फिर से उन्हे चूमने लगा. मैंने उन्हे 15 मिनट तक होठों पर स्मूच किया और उनके बूब्स को ब्रा के ऊपर से दबा रहा था, लेकिन बस अब बहुत हो चुका था और अब मुझसे रुका नहीं जा रहा था तो मैंने भाभी की ब्रा को खोला और उनके गरम निप्पल पीने लगा.

मैंने भाभी से कहा कि आज तो में तुम्हे जरुर चोद दूँगा, तो भाभी मुस्कुराकर मुझसे बोली कि हाँ इसलिए ही तो मैंने तुझे आज यहाँ पर बुलाया है, आज तू जी भरकर चोद ले अपनी भाभी को. दोस्तों उनके मुहं से यह बात सुनते ही मेरा लंड तो एकदम से तन गया और उसी वक़्त मैंने भाभी की पेंटी को फाड़ दिया और भाभी को 69 पोज़िशन में अपने ऊपर ले लिया, में उनकी चूत को छू रहा था और वो मेरे लंड को लोलीपोप की तरह चूस रही थी और भाभी की उहहह्ह्ह आआअहह सुनकर मेरी हवस और भी बड़ रही थी.

में बिल्कुल पागल हुआ जा रहा था और वो मुझसे बोली कि साले, मादरचोद, बहनचोद तेरा लंड बहुत मीठा है. तो मैंने कहा कि भाभी आपकी चूत भी कुछ कम खट्टी मीठी नहीं है और 15 मिनट चूसने चाटने के बाद मैंने भाभी को उल्टा करके उनकी भीगी हुई चूत में अपना लंड डाल ही दिया, लेकिन दोस्तों उनकी चूत बहुत बार हर तरह से लंड से चुदने के बाद भी बहुत टाईट थी आहह्ह्ह्हह आईईईईई माँ मेरी थोड़ा धीरे धक्का दे, भाभी बहुत ज़ोर ज़ोर से चिल्लाने लगी और गालियां देने लगी.

दोस्तों जब वो रंडी मुझे हाँ और ज़ोर से चोद साले, मादरचोद, बहनचोद बोल रही थी तब मुझे बहुत मज़ा आ रहा था जब और जब उन्होंने मुझे अपने हाथों से जकड़ रखा था तब उनके नाख़ून मेरी छाती पर निशान बना रहे थे, लेकिन फिर भी मैंने उनसे कुछ भी नहीं कहा क्योंकि में अब पूरी तरह से भाभी के गरम जिस्म के वश में था और मेरा लंड और खड़ा होता जा रहा था. मैंने भाभी को लेटाकर बहुत देर तक चोदा और जब मेरा लंड उनकी बच्चेदानी पर टकराता तो भाभी की चीख निकल जाती.

भाभी को उछल उछलकर चोदने में जो मज़ा आ रहा था वो मुझे आज तक किसी को चोदने में नहीं आया था. दोस्तों करीब आधा घंटा भाभी को लगातार ठोकने के बाद जब मेरा लंड वीर्य से भर गया तो मैंने अपना लंड उनके बूब्स के बीच में फंसा दिया और उनके बूब्स के बीच में लंड हिलाते वक़्त मेरा वीर्य निकल गया और मैंने वो उनके मुहं में भर दिया और भाभी मेरा वीर्य बहुत प्यार से पी गई उनको वीर्य पिलाने के बाद में फ्री हो गया, लेकिन भाभी अभी भी बहुत जोश में और गरम थी और मुझमें इसके आगे चुदाई करने का दम नहीं था.

फिर में उठकर उनके बाथरूम में गया और उनका कृत्रिम लंड लेकर आ गया. उस कृत्रिम लंड से मैंने भाभी को चोदकर ठंडा किया और उनकी चूत का पानी पिया. दोस्तों भाभी की चुदाई एक घंटे तक लगातार चली और उन्हे चोदने के बाद मैंने उन्हे ब्रा, पेंटी पहनाई और फिर में वहाँ से जाने लगा. तभी भाभी बोली कि अगर तू हर हफ्ते मुझे चोदने यहाँ पर नहीं आया तो में तेरे भैया को बता दूँगी कि तू कितना बड़ा मदारचोद है और तूने मेरी चूत को कितनी बेरहमी से लगातार चोदा है. दोस्तों उनके मुहं से यह बात सुनकर मुझ जैसा मज़ा आ गया था. में भाभी से बोला कि साली रांड तू अब जैसे, जब, जहाँ कहेगी में तुझे जरुर चोद दूंगा और यह बात कहकर में खुशी ख़ुशी वहाँ से निकल गया. दोस्तों आज तक में अपनी भाभी की चूत को चूस, चाट और चोद रहा हूँ और हर सप्ताह शनिवार को में उन्हे चोदता हूँ.

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मस्त चुदाई हुई दोनों बुर की

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हैल्लो दोस्तों, मेरा नाम आर्यन है और में एक प्राईवेट कंपनी में नौकरी करता हूँ और में देहरादून का रहने वाला हूँ और मेरी उम्र 21 साल है. में दिखने में बहुत अच्छा हूँ मेरा रंग गोरा है और में हर दिन जिम भी जाता हूँ. दोस्तों मुझे पर सेक्सी कहानियाँ पढ़ना बहुत अच्छा लगता है और में जब भी फ्री होता हूँ तो इसकी कहानियाँ पढ़ने लगता हूँ. दोस्तों आज में आप सभी के सामने अपनी एक सच्ची घटना लेकर आया हूँ.

दोस्तों मेरी गर्लफ्रेंड का नाम पूजा है और वो हरिद्वार की रहने वाली है और मेरे साथ मेरी कम्पनी में नौकरी करती है और हम दोनों का चक्कर पिछले 6 महीने से चल रहा है. दोस्तों वो एक सामान्य परिवार से है, उसका रंग एकदम दूध जैसा सफेद है और उसकी गांड एकदम मस्त है, लेकिन उसके फिगर का तो क्या कहना? वो एकदम अच्छे आकार के है जिसको देखकर में शुरू से ही उसकी तरफ आकर्षित हुआ उसके वो हॉट, सेक्सी बूब्स उसके कपड़ो से हमेशा बाहर आने को तैयार रहते और में उन्हें घूर घूरकर देखता रहता और मन ही मन उसकी चुदाई के सपने देखता रहता था.

दोस्तों उसके फिगर का साईज 30-28-32 है और अब तो आप समझ ही गये होंगे कि वो क्या चीज़ है और दिखने में कितनी और सेक्सी है? हम दोनों जब भी मिलते थे तो किसिंग ही करते थे और उससे ज़्यादा उसने मुझे कभी भी कुछ नहीं करने दिया, लेकिन में उसको हमेशा चोदने’ के बारे में सोचता रहता था, लेकिन मुझे कोई अच्छा मौका नहीं मिल रहा था जिसका फायदा उठाकर में अपने मन की सभी इच्छाओं को उसके साथ पूरा कर लूँ, लेकिन एक दिन उस भगवान ने मेरे मन की बात सुन ली और दिन उसने मुझे अपने रूम पर बुलाया, उस दिन उसका जन्म दिन था इसलिए में एक अच्छा सा गिफ्ट लेकर उसके रूम पर पहुँच गया और मैंने वहां पर पहुंच कर देखा कि वो उस समय अपने रूम पर बिल्कुल अकेली थी और मुझे नहीं पता था कि उसकी फ्रेंड रजनी भी उस समय उसके रूम पर आई हुई है और वो उस समय बाथरूम में नहा रही थी.

फिर मैंने जाते ही उसे जन्मदिन की बधाई दी और अब में उसको चूमने लगा. दोस्तों वैसे उसकी फ्रेंड भी हम दोनों के चक्कर के बारे में सब कुछ जानती थी, अब मैंने पूजा से बोला कि तुम्हे तुम्हारा गिफ्ट मिल गया और अब तुम मुझे भी मेरा गिफ्ट दे दो, वो समझ गई और बोली कि वो समय आने पर में तुम्हे जरुर दे दूँगी. फिर इतने में उसकी फ्रेंड भी नहाकर बाहर आ गई. तभी एक जोरदार तूफान आया और अचानक बहुत ज़ोर से बारिश होने लगी और बिजली कड़कने लगी जिसकी आवाज सुनकर वो एकदम मुझसे लिपट गई और कुछ देर बाद उसने मुझे छोड़ दिया, मुझसे अलग हुई और फिर कुछ देर बाद मैंने उनके साथ खाना खाया और कुछ देर इधर उधर की बातें करके में उनको बाय बोलकर अपने घर पर जाने लगा तो पूजा ने मुझे जाने से मना कर दिया.

उसके बाद वो फ्रेश होने चली गई तो में रजनी के साथ बैठकर इधर उधर की बातें करने लगा वो भी बहुत हॉट थी और बहुत सुंदर भी थी. उसने उस समय पंजाबी सलवार कमीज़ पहन रखा था जिसमे वो आज कुछ ज्यादा ही सुंदर लग रही थी. अब मैंने उससे कुछ देर बाद बातों ही बातों में पूछा कि क्या आपका कोई बॉयफ्रेंड नहीं है? तो उसने थोड़ा सा शरमाकर अपना सर हिलाकर मुझसे मना कर दिया और उसकी उम्र भी पूजा जितनी थी और इतने में पूजा भी नहाकर बाहर आ गई. दोस्तों पूजा तो क्या मस्त कयामत लग रही थी, उसने पटियाला सूट पहन रखा था और मेरी नजर तो अब उसके जिस्म से एक पल भी हटने को तैयार नहीं थी. में उसको घूर घूरकर देखे जा रहा था. तभी उसने मुझसे मुस्कुराते हुए कहा कि क्यों क्या आज मुझे पूरी तरह से खा ही जाओगे?

फिर मैंने अपनी नजर को उसके ऊपर से हटाकर मुस्कुराने लगा और वो अब मेरा मतलब बिना कहे ही समझ चुकी थी. दोस्तों उस रूम में एक फोल्डिंग बेड था और एक दूसरा हमेशा बिछा रहने वाला बेड था. अब हम दोनों पूजा और में एक बेड पर एक साथ एक दूसरे की बाहों में लेटे हुए टीवी देख रहे थे और रजनी उस फोल्डिंग वाले बेड पर सो रही थी.

फिर कुछ देर बाद मैंने पूजा के कान में कहा कि आज मौसम भी बहुत मस्त हो रहा है और आज तुम्हारा जन्मदिन भी है. तुम कहो तो में आज तुम्हे जन्नत की सैर करवा दूँ? तो उसने झट से मेरी बात के लिए हाँ कर दिया और फिर बोली कि रजनी को सो जाने दो उसके बाद तुम्हे जो करना है कर लेना और अब हम दोनों बहुत बेसब्री से रजनी के सोने का इंतजार करने लगे, लेकिन वो शायद हमारे मन की बात को समझकर बहुत जल्दी दूसरी तरफ अपना मुहं करके सो गई थी. फिर सबसे पहले मैंने पूजा के होंठो को चूमा और अपनी जीभ को उसके मुहं में अंदर तक डालकर बहुत देर तक बहुत मज़े लिए और फिर आहिस्ता आहिस्ता उसके गाल पर, गर्दन पर, उसकी छाती पर किस करने लगा और वो भी अब मेरा पूरा पूरा साथ दे रही थी.

फिर मैंने उसके बूब्स के करीब पहुंचकर उसके सेक्सी बूब्स को सहलाया और मसलने लगा तो वो अब धीरे धीरे गरम होने लगी थी और सिसकियाँ लेने लगी थी. फिर मैंने उसका वो जोश देखकर अपने कपड़े उतार दिए और जब में अपने कपड़े उतार रहा था तो रजनी भी अचानक से हमारी तरफ पलटकर मुस्कुराते हुए मुझे देख रही थी, अब में उसके सामने बिल्कुल नंगा हो गया और अब मेरा वो 7.5 इंच का लंड देखकर वो दोनों अचानक से डर गई और फिर पूजा मुझसे डरते हुए बोली कि तुम्हारा यह तो बहुत मोटा, लम्बा है और यह तो आज मेरी जान ही निकाल देगा, रहने दो में तो कुछ भी नहीं करूंगी.

मैंने उसे अब बहुत प्यार से बहुत देर तक समझाया और मैंने उससे कहा कि अगर तुम्हे थोड़ा भी दर्द होतो तो तुम मुझे मना कर देना, में तुम्हे वहीं पर वैसे ही छोड़ दूंगा, लेकिन प्लीज एक बार मुझे आगे बढ़ने का मौका तो दो और थोड़ा बहुत दर्द तो सबको होता है, लेकिन उसके बाद सबको बहुत मज़ा भी तो आता है और अब वो मेरे बहुत समझाने पर मान गई. अब में उसको एक बार फिर से गरम करने लग गया और उसके बूब्स को दबाने लगा.

वो अब ज़ोर ज़ोर से सिसकियाँ भरने लगी और रजनी भी हमे यह सब करते हुए देखकर दूर से ही गरम होकर जोश में आकर सिसकियाँ लेने लगी और अब मैंने पूजा के बचे हुए सारे कपड़े उतार दिए और उसे पूरी नंगी कर दिया और अब उसकी वो रसीली, कामुक चूत को देखकर मेरे मुहं में अचानक से पानी आ गया. तभी कुछ देर बाद हमने अपने साथ में रजनी को भी अपने बेड पर बुला लिया और उसके कपड़े भी पूरे उतार दिए और उसको भी पूरी नंगी कर दिया.

फिर मैंने देखा कि उन दोनों की चूत पानी एक एक बार छोड़ चुकी थी और मैंने सबसे पहले पूजा की जाँघो के बीच में जाकर उसकी रसीली चूत को चाट चाटकर बहुत अच्छी तरह से साफ कर दिया पूजा ने मेरे सर को बहुत दम लगाकर अपनी चूत में दबाया और अपने चूतड़ को उठा उठाकर चूत को मुझसे साफ करवाया और इस बीच पूजा का एक बार फिर से पानी निकल गया था और वो झड़कर बिल्कुल निढाल होकर चुपचाप पड़ी रही और में उसकी चूत को चूसता, चाटता रहा.

मैंने उसे बहुत अच्छी तरह साफ कर दिया और मैंने वो सारा रस पी लिया. अब मैंने रजनी की चूत को भी चाटा और उसने भी कुछ देर के बाद पानी की धार को मेरे मुहं पर छोड़ दिया मैंने उसकी चूत को भी चाटकर साफ कर दिया. अब मैंने उन दोनों को मेरा लंड चूसने के लिए बोला तो पूजा मना करने लगी, लेकिन रजनी ने झट से मेरे लंड को अपने मुहं में ले लिया, क्योंकि मेरा लंड बहुत मोटा था और अब वो लोलीपोप की तरह लंड को बहुत मज़े लेकर चूसने लगी, मुझे तो मानो जैसे जन्नत मिल गई हो, लेकिन थोड़ी देर चूसने के बाद मेरा वीर्य निकल गया और अब उसने सारा का सारा पी लिया.

अब मैंने पूजा के दोनों पैरों के बीच में आकर उसके पैरों को अपने कंधे पर रख लिया और उसकी गांड के नीचे एक तकिया रख दिया जिससे उसकी चूत ऊपर की तरफ उठ गई और फिर में अपना 7.5 इंच लंबा और 3 इंच मोटा लंड उसकी चूत पर रगड़ने लगा. वो बिल्कुल बैचेन सी हो गई और बोलने लगी कि प्लीज जानू अब चोद दो मुझे जानू अब मुझे और मत तरसाओ, में अब और नहीं रह सकती, आईईइ प्लीज थोड़ा जल्दी से मेरी चूत को ठंडा कर दो उह्ह्हह्ह. तो मैंने अपना लंड उसकी चूत पर लगाकर एक ज़ोर का धक्का मारा तो लंड का सुपाड़ा चूत के अंदर फिसलकर चला गया और पूजा ज़ोर से चीखने, चिल्लाने लगी. यह सब देखकर रजनी बिल्कुल पागल हो रही थी और वो भी अब मुझसे चोद दो मुझे भी प्लीज अब मुझे भी चोद दो बोले जा रही थी.

फिर मैंने थोड़ी देर पूजा को किस करते हुए उसे बहुत अच्छा महसूस करवाया और फिर वो अपनी गांड हिलाकर मुझसे चोदने के लिए बोलने लगी और फिर मैंने उसे 6-7 धक्को में अपना पूरा का पूरा लंड उसकी चूत में डाल दिया. वो बहुत ज़ोर ज़ोर से रोने लगी, शायद उसकी सील टूट गई थी इसलिए वो इतना चिल्ला रही थी. फिर मैंने थोड़ी देर रुककर एक बार फिर से धक्के मारने चालू किए, लेकिन में इस बार बिल्कुल भी नहीं रुका और मैंने 15 मिनट जमकर पूजा की चूत को चोदा, उसके बाद मेरा वीर्य निकल गया और मैंने अपने वीर्य से उसकी चूत को भर दिया. वो भी पहले दो बार झड़ चुकी थी और तीसरी बार मेरे साथ झड़ गई और जब मेरा लंड सिकुड़कर उसकी चूत से बाहर आया तो मैंने अपने लंड पर बहुत सारा खून देखा जो उसकी चूत का था. शायद अब उसकी चूत फट चुकी थी और चूत से मेरा और उसका गरम गरम लावा बाहर आ रहा था और थोड़ी सा खून भी बाहर निकल रहा था.

अब पूजा आराम से एकदम सीधी होकर लेट गई, क्योंकि वो अपनी चूत में बहुत दर्द महसूस कर रही थी और इस बात का फायदा उठाकर रजनी ने मेरे लंड को अपने मुहं में लेकर चूसा और खड़ा कर दिया. फिर उसके बाद मैंने रजनी को भी बहुत जमकर चोदा, हमारी यह चुदाई कम से भी कम एक घंटा लगातार चली थी जिसमे 25 मिनट पूजा के साथ और 35 मिनट रजनी के साथ सेक्स किया क्योंकि मेरा वीर्य दो बार पहले ही निकल चुका था इसलिए मुझे रजनी को चोदते समय झड़ने में बहुत समय लग गया और अब जब में रजनी की चूत में झड़ा तो वो भी मेरी इस चुदाई से पूरी तरह संतुष्ट होकर बहुत खुश हो गई और अब हम तीनों एक साथ एक ही बेड पर बिल्कुल नंगे होकर एक ही रज़ाई में सो गये. में उन दोनों के बीच में था और वो दोनों मेरे आस पास लेटी हुई थी.

फिर में एक एक करके बारी बारी से उनके बूब्स को मसलता, दबाता, चूसता रहा और मैंने उस रात उन दोनों को करीब दो दो बार चोदा और फिर हम सो गए. दोस्तों वो दोनों अब भी मुझसे कई बार एक साथ चुद चुकी है और मैंने उनकी गरम चूत को चोदकर ठंडा किया है.

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बेचारी मेरी कुंवारी बुर का हुवा तमाशा

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हैल्लो दोस्तों, मेरी इस साईट पर ये पहली कहानी है. दोस्तों मेरा नाम रूचि है और में पटना बिहार से हूँ, मेरी लंबाई 5 फुट 7 इंच है और में दिखने में गोरी हूँ और मेरी पूरी बॉडी पर एक भी बाल नहीं है. मेरा फिगर साईज 36-33-35 है. ये कहानी तब शुरू हुई जब मैंने डेंटल कॉलेज में अपना ग्रेजुयेशन शुरू किया था. में रैगिंग में ही कुछ सीनियर्स कि नजर में चढ़ गई थी, पता नहीं उन्होंने पहले ही दिन कितना मुठ मारा होगा? लेकिन मैंने किसी को भी भाव नहीं दिया. फिर पहला साल गुजरने के बाद मुझे प्रेक्टिकल एग्जॉम में अपने कॉलेज का प्रोजेक्ट वर्क होता था, जिसमें मरीज को देखना होता था.

अब हर नॉर्मल दिन की तरह उस दिन भी मेरा प्रेक्टिकल एग्जॉम था और मेरे पास एक मरीज आया था, वो करीब 22 साल का था, लेकिन सच में बहुत सुंदर और मस्त बंदा था. मेरा दिल एक ही बार में फिसल गया. अब में उसे घूर रही थी और ये बात उसने भी नोटीस कर ली थी. अब मुझे उसके दाँत की फिलिंग करनी थी, पहला दिन तो बिना कुछ बोले ऐसे ही चला गया.

फिर अगली बार वो जब आया तो वो मेरे लिए एक गिफ्ट लेकर आया तो मैंने ले लिया और फिर मेरी उससे बहुत सारी बातें हुई. फिर उसने मेरे बारे में सब कुछ पूछा और बताया भी और फिर मुझसे मेरा फोन नम्बर ले लिया. दोस्तों पता नहीं मुझे क्या हुआ था? अब रात के 11 बज रहे थे और अब मेरी आँखों में जैसे नींद थी ही नहीं, बस बहुत बेताबी सी थी. फिर अचानक से मेरा फोन बजा तो मैंने एक रिंग में ही फोन उठा लिया और अब मेरी साँसे बहुत तेज चल रही थी, उसने मुझसे पूछा कि में अभी तक सोई क्यों नहीं हूँ?

में : वो किसी चीज़ का बहुत बेसब्री से इंतजार कर रही थी.

वो : जानता हूँ डियर, आप मेरे कॉल का ही इंतजार कर रही थी.

फिर उसने मुझसे बिना कुछ सोचे समझे कहा रूचि जी आई लाइक यू वेरी मच.

में : मी टू.

वो : आई लव यू रूचि जी.

में : मी टू बहुत सारा.

फिर हमारी इधर उधर की बातें हुई और अचानक से उसने कहा.

वो : आप बैठकर बात कर लीजिए नहीं तो थक जायेंगी.

में : आपको कैसे पता में चल रही हूँ?

वो : बताऊँ, बुरा तो नहीं मानोगे.

में : अरे आप भी ना, प्यार किया है तो हक़ से बोलिए.

वो : आपके दूध कुछ ज़्यादा बाउन्स हो रहे है, ब्रा नहीं पहनी क्या?

में : हटो आप भी ना, वैसे आपको कैसे पता चला कि मैंने ब्रा नहीं पहनी है?

वो : बस पता चल गया, खैर में कल भी एक सेशन के लिए हॉस्पिटल आऊंगा, कुछ गिफ्ट चाहिए?

में : नहीं, में क्या कहूँ? जो आपको अच्छा लगे वो लेते आना.

वो : ठीक है.

फिर हमने फोन रख दिया, फिर वो अगले दिन हॉस्पिटल आए और अपने साथ एक गिफ्ट भी लाए, लेकिन मैंने उसे उस समय ओपन नहीं किया. फिर मैंने उन्हें ट्रीट करना शुरू किया, तो उन्होंने मेरे बूब्स को ही दबा दिया, में तो ज़ोर से चीख पड़ी और अटेंडर अंदर आया कि क्या हुआ मेडम?

में : कुछ नहीं, आप जाओ और मैंने रूम लॉक कर दिया.

फिर जैसे ही में पीछे मुड़ी तो वो मेरे एकदम करीब थे और मुझे बाहों में ले लिया और कसकर मेरे लिप्स को चूम लिया, वाउ क्या एहसास था? अब मेरे पैर कांपने लगे थे. फिर मैंने उन्हें रोका और जल्दी-जल्दी अपना काम पूरा किया और हॉस्पिटल से निकल गई. अब वो नीचे अपनी कार में मेरा इंतजार कर रहे थे. फिर में उसमें बैठ गई और उन्होंने मुझे उस दिन बहुत किस किए और मेरे बूब्स को कपड़े के ऊपर से ही दबाया. लेकिन बहुत दबाया तो मैंने घर आकर जब देखा तो मेरे बूब्स एकदम लाल हो गये थे और उनकी उंगलियों के निशान थे, अब मैंने शॉवर लिया और खाना खाया और सोने चली गई. तब उनका फोन आया तो उन्होंने पूछा कि मैंने उनका गिफ्ट खोला या नहीं.

में हैरान रह गयी और में गिफ्ट के बारे में बिल्कुल भूल गई थी. फिर मैंने झट से गिफ्ट खोल दिया. उन्होंने मुझे एक सिल्की बिकनी गिफ्ट की थी, वो लाल कलर की थी और पारदर्शी थी. अब में बिल्कुल शरमा गई थी. फिर उन्होंने बोला ट्राई करने को, तो मैंने कहा ओके में आपको दो मिनट में कॉल करूँगी.

वो : नहीं बिल्कुल नहीं, आप बिना कॉल बंद किये ट्राई कीजिए.

फिर मैंने पहले अपने सारे कपड़े उतारे और फिर मैंने उनका गिफ्ट पहन लिया. अब मुझे ऐसा लगा ही नहीं कि मैंने कुछ पहना हुआ भी है या नहीं. अब में कांच के सामने बिल्कुल मस्त माल लग रही थी. फिर उस दिन मैंने प्लान बनाया कि हम दोनों 3 दिन के लिए बाहर चलते है और हम 3 दिन बिल्कुल साथ रहेगें. फिर मैंने उसी समय घरवालों से बोला कि मुझे कॉल आया था कि मुझे 3 दिन के लिए बाहर जाना होगा. फिर अगले दिन सवेरे-सवेरे उन्होंने मुझे पिक किया और हम दोनों आउट एरिया पर एक होटल में रुके. फिर एक दिन सवेरे 9 बजे में रूम में फ्रेश हुई तो जब में बाहर आई तो मैंने देखा कि वो सिर्फ़ अंडरवेयर में थे, वाह्ह मर्द कितना अच्छा लगता है? में आपको बता नहीं सकती.

वो : क्या देख रही है?

में : कुछ नहीं.

अब में उनकी बाहों में भाग कर गई और उन्हें बेड पर धक्का दिया और उन्हें किस करने लगी. फिर थोड़ी देर के बाद वो मेरे ऊपर थे और मेरे होंठो को चूस रहे थे. अब उनकी जीभ मेरे मुँह के अंदर थी और अब वो मेरी तो बिल्कुल नहीं सुन रहे थे. फिर उन्होंने मेरी ड्रेस नहीं उतारी और उसको फाड़ दी और मेरे बूब्स को चूसा, नोचा, उस पर थप्पड़ मारा. ओह अब मेरी तो जान निकल रही थी, लेकिन मैंने सोचा कि ऐसा ही होता होगा, मेरा पहली बार था इसलिए मैंने सब सहन किया. फिर मैंने कहा कि मुझे आपको नंगा देखना है.

वो : तो साली उतार ले, तुझे किसका इंतजार है.

अब में हैरान हो गई थी और जैसे ही मैंने उनकी अंडरवियर उतारी तो उनका वो कितना गन्दा और काला था, फिर उन्होंने कहा.

वो : देख लिया ना, चल अब मुँह में ले और चूस, जब तक में रुकने को ना बोलूं रुकना मत.

मैंने मना किया कि में ऐसा नहीं करूँगी, तब उन्होंने मुझे अपनी गोद में उठाया और बेड पर लेटाकर मेरी सलवार फाड़ दी, मैंने अन्दर पेंटी नहीं पहनी थी.

अब मेरी बुर (चूत) पहले से ही गीली थी. अब पहली बार माँ बाप के और खुद के अलावा कोई मुझे नंगा देख रहा था. अब मुझे थोड़ी शर्म तो आ रही थी, लेकिन सब ठीक था. फिर उन्होंने मेरे होंठ को चूमा और चूत सहलाने लगे, क्या मजा आ रहा था? में बता नहीं सकती. फिर धीरे-धीरे वो मेरे पैरों के बीच में आ गये और मेरी चूत को चाटने लगे. अब में कभी सोच भी नहीं सकती थी कि ऐसा भी होता होगा, अब में तो सातवें आसमान में थी. फिर वो धीरे-धीरे मेरी चूत में अपनी जीभ घुसाने लगे, ओह में तो बता भी नहीं सकती कि मैंने क्या किया? अब मैंने उनके मुँह पर ही मूत दिया, लेकिन वो फिर भी नहीं हटे और मेरा मूत पीने लगे, अब उन्होंने इतना किया तो मैंने भी सोचा कि उनका ख्याल तो मुझे भी रखना चाहिए, फिर जैसे तैसे में अपने घुटनों के बल बैठी और उनका लंड पकड़ लिया और अपने मुँह में ले लिया और चूसने लगी, जब मैंने उनके मुँह से आवाज सुनी.

वो : ओह मेरी जान कमिनी रंडी तू, कितना मस्त लंड चूसती है? अब मुझे लगा कि में उन्हें मज़ा दे रही हूँ.

अब में और ज़ोर से उनका लंड चूसने लगी और वो और भी मस्त होते गये. अब साथ में उनका लंड भी फूलता गया. अब में सही से तो नहीं जानती थी, लेकिन उनका लंड जैसे तैसे मेरी मुट्ठी में आ रहा था और मुँह के अंदर जाने में अब दिक्कत हो रही थी. अब उन्होंने मेरे मुँह में ही अपना सफेद पानी छोड़ दिया. फिर उन्होंने मुझसे बोला कि कुत्तिया बन जा तो में बन गई और अब मेरी चूत में धीरे-धीरे कुछ गर्म लोहे जैसा घुसने की कोशिश कर रहा है, लेकिन मेरी सील बंद थी जिससे उनका लंड बार-बार फिसला जा रहा था.

फिर मैंने खुद अपने हाथ से पकड़कर उनका लंड अपनी चूत पर सटाया और धक्का मारने को बोली. ओह में तो जैसे सन्न रह गई, अब मेरी आँखों से आसूं निकलने लगे थे, लेकिन वो जल्लाद बन चुके थे. फिर वो एक मिनट रुके और उसके बाद मेरे मुँह पर हाथ रखा और ज़ोर से धक्का मार दिया. अब मेरी साँस लगभग बंद हो चुकी थी और अब में पूरी बेहोश हो चली थी. फिर वो 5 मिनट रुक गये और अब में तब तक कुत्तिया ही बनी रही, फिर धीरे-धीरे उन्होंने आगे पीछे होना शुरू किया और थोड़ी देर के मीठे दर्द के बाद अब में भी मस्त चुद रही थी, उस वक़्त में पता नहीं कैसे बोल रही थी?

में : ओह एस ओह अह्ह्ह्ह चोदो मुझे, और ज़ोर से अह्ह्ह मज़ा आ रहा है.

वो : हाँ मेरी रांड, ये ले रंडी साली कुत्तिया धंधे वाली.

फिर उन्होंने मुझे करीब 45 मिनट तक चोदा और उन्होंने अपना सारा माल मेरी चूत में ही गिराया. में उस पल को कभी नहीं भूल पाऊँगी, जब उनका सारा माल मेरी चूत में जा रहा था, लेकिन मैंने कभी ये नहीं सोचा था कि जिससे इतना प्यार किया, वो ही मुझे रंडी बनायेगा और कुतिया बनाकर चोदेगा.

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भाबी सिकाती थी मुझे सबकुछ

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हैल्लो फ्रेंड्स, मेरा नाम हर्ष है और मेरी उम्र 24 साल है और में दिल्ली में रहता हूँ. में इस साईड की कहानियाँ रोजाना पड़ता रहता हूँ और मुझे इसकी सारी कहानियाँ पसंद है. ये कहानी मेरी और मेरे पड़ोस में रहने वाली भाभी की है, जो कि बहुत ही हॉट है. में दिल्ली में किराये के रूम पर रहता हूँ, मेरे पड़ोस में एक बहुत ही हॉट भाभी रहती है और जिनका नाम शबाना है. अब में आपको शबाना के बारे में बता दूँ कि शबाना एक हाऊसवाईफ है और उसके दो बच्चे है, उनके पति के बिज़नेस था जिसकी वजह से वो ज्यादातर बाहर ही रहते थे.

शबाना भाभी दिखने में तो सावंली थी, लेकिन उनका फिगर बहुत ही मस्त था. में उन्हें जब भी देखता तो मेरा लंड खड़ा हो जाता और उसे चोदने का दिल करता था. वो मेरे बिल्कुल पड़ोस के फ्लेट में रहती थी, जब में नया-नया उस रूम में शिफ्ट हुआ था तो उन्होंने मेरे बारे में पूछा था. फिर मैंने उन्हें अपने बारे में बता दिया था, लेकिन मैंने उनके बारे में उस टाईम नहीं पूछा था. मुझे उनके बारे में बाद में पता चला कि उनके पति बाहर रहते है. फिर धीरे-धीरे मैंने उनसे बात करना शुरू किया और ऐसे हमारी अच्छी फ्रेंडशिप हो गई, वो कभी-कभी मेरे रूम पर आ जाती थी और हम काफ़ी देर तक बातें करते रहते थे.

फिर एक दिन मैंने देखा कि शबाना भाभी अपने पति से फोन पर बात कर रही थी और कह रही थी कि तुम्हें गये हुए कितने दिन हो गये है और अब तुम्हें आना ही होगा, मुझे तुम्हारी बहुत याद आती है. ये सुनते ही मुझे पता लग गया कि शबाना भाभी लंड की प्यासी है तो में शबाना भाभी को चोदने की प्लानिंग करने लगा. फिर मैंने सोचते-सोचते एक प्लान बनाया और अगले दिन जब शबाना भाभी मेरे रूम पर आई तो मैंने उनसे कहा कि शबाना भाभी में होटल का खाना खाकर परेशान हो गया हूँ और आप प्लीज मुझे खाना बनाना सिखा दीजिए तो उन्होंने कहा कि ज़रूर में तुम्हें खाना बनाना सिखा दूंगी. फिर अगले दिन में खाना बनाने का सामान ले आया और भाभी से कहा कि मुझे खाना बनाना सिखा दीजिए. मेरे फ्लेट में एक छोटा सा किचन था तो उसमें एक ही आदमी खाना बना सकता था और उस टाईम उस किचन में हम दो लोग थे. अब आप समझ ही गये होंगे कि हम कितने करीब करीब होंगे. फिर खाना बनाते टाईम मेरा हाथ कभी-कभी शबाना भाभी की गांड से टच हो जाता था तो मैंने उन्हें सॉरी बोल दिया करता था और वो मुझे एक स्वीट सी स्माईल दे दिया करती थी.

फिर में अपने आपको शबाना भाभी के इतने करीब पाकर काफ़ी गर्म हो रहा था और इसी बीच शबाना भाभी का हाथ मेरे लंड से लग गया जो कि उनको अपने इतने पास सोचकर पहले से ही खड़ा था और उन्होंने मेरी तरफ देखा और एक सेक्सी स्माईल दी और कहा कि तू तो काफ़ी बड़ा हो गया है. ये सुनकर मैंने भी शबाना भाभी को स्माईल पास कर दी. फिर मैंने महसूस किया कि शबाना भाभी के हाथ मेरे लंड पर लगने से शबाना भाभी भी उत्तेजित हो गई है और फिर मैंने सोचा कि शबाना भाभी को फंसाने का ये ही सही मौका है.

शबाना भाभी खाना बना रही थी और मुझे बताती जा रही थी कि खाना ऐसे बनता है, वो मुझे खाना बनाते टाईम कूकर में कुछ दिखाने लगी तो में उनके पीछे से जाकर चिपक कर खड़ा हो गया, जिससे मेरा लंड उनकी गांड से महसूस होने लगा और में उनकी गांड पर अपना लंड का दबाव डालते हुए कुकर में देखने लगा, जिससे शबाना भाभी के मुँह से सिसकारी निकल गई ईईइसस्स. फिर मैंने सिसकारी सुनकर शबाना भाभी से पूछा कि भाभी क्या हुआ? फिर वो बोली कि कुछ नहीं. फिर ऐसे ही कुछ देर खड़ा रहने के बाद में हट गया.

फिर मैंने देखा कि मेरे हटने से शबाना भाभी थोड़ी दुखी हो गई. मेरा लंड मेरा पजामा फाड़कर बाहर आने को बेताब था, लेकिन अभी टाईम सही नहीं था तो इसलिए मैंने थोड़ा कंट्रोल किया और अपने हाथ से लंड को ठीक करने लगा तो ठीक करते हुए भाभी ने भी देखा और पूछा कि क्या हुआ? फिर मैंने कहा कि कुछ नहीं भाभी.

भाभी समझ गई कि में भी गर्म हो गया हूँ और में भी समझ गया था कि भाभी भी गर्म हो गई है. फिर थोड़े टाईम के बाद भाभी ने मुझे फिर से कूकर में कुछ दिखाया तो में भाभी से पहले से भी ज्यादा चिपक कर खड़ा हो गया तो भाभी के मुँह से फिर से सिसकारी निकली ईईइसस्स्सस्स और उन्होंने अपनी आँखे बंद कर ली और मज़े लेने लगी. फिर मैंने भी अपने लंड का सारा दबाव उनकी गांड पर डाल दिया और अब भाभी से कंट्रोल नहीं हुआ तो भाभी अपना एक हाथ पीछे ले गई और मेरे लंड को हाथ से पकड़कर दबाने लगी और इस बार मेरे मुँह से आआहह की सिसकारी निकली.

फिर मैंने अपने दोनों हाथ शबाना भाभी के बूब्स पर रख दिए और धीरे-धीरे दबाने लगा. ऐसे ही कुछ देर रहने के बाद में शबाना भाभी के लिप पर किस करने लगा और शबाना भाभी भी मेरा साथ देने लगी. फिर हम ऐसे ही एक दूसरे को किस करते रहे और में उनके बूब्स दबाता रहा और वो मेरा लंड सहलाती रही और फिर 10 मिनट के बाद में उनसे अलग हुआ और उन्हें गोद में उठाकर बेड पर ले गया और रूम का दरवाजा अन्दर से लॉक कर दिया.

फिर में शबाना भाभी के पास आया और उन्हें किस करने लगा और उनसे कहा कि आई लव यू शबाना भाभी तो उन्होंने भी आई लव यू टू कहा. फिर मैंने भाभी से कहा कि भाभी में तो जिस दिन से यहाँ पर आया था तो बस आपको चोदने के बारे में ही सोचता रहता था. फिर भाभी बोली कि में भी तुझसे कब से चुदवाना चाहती थी, लेकिन में कह नहीं पाई.

फिर मैंने कहा कि भाभी आप फ्रिक ना करो और आज में आपको चोदकर खुश कर दूँगा. फिर भाभी ने कहा कि हाँ हर्ष आज मुझे दिल खोलकर चोदना, आज मेरी सारी प्यास बुझा दो हर्ष, में बहुत दिन से प्यासी हूँ हर्ष. फिर मैंने भाभी के कपड़े उतार कर उन्हें पूरा नंगा कर दिया. फिर मैंने भाभी से कहा कि भाभी अब आप मुझे नंगा करो. फिर भाभी ने मुझे पूरा नंगा कर दिया और मेरे लंड को हाथ में लेकर सहलाने लगी और कहा कि आज तो बहुत ही मज़ा आने वाला है हर्ष.

फिर मैंने कहा कि क्यों नहीं भाभी. फिर भाभी मेरे लंड को मुँह में लेकर चूसने लगी तो मुझे ऐसा लग रहा था कि जैसे में सातवें आसमान पर हूँ, वो मेरा लंड लॉलीपोप की तरह चूस रही थी और में उनके दोनों बूब्स दबा रहा था और मेरे मुँह से सिसकारियाँ निकल रही थी, आआअहह आआहह उउउह्ह्ह्हह्हह्ह्ह और ज़ोर से भाभी आअहह आआअहह. फिर मैंने भाभी को घोड़ी बनाया और उनके बालों को पीछे से पकड़ा और लंड को चूत पर रखकर एक ज़ोरदार धक्का मारा और मेरा पूरा लंड फच की आवाज़ करके एक ही बार में भाभी की चूत में चला गया तो भाभी के मुँह से उउउइईई की आवाज निकली और जिसे सुनकर मुझे बहुत मज़ा आया.

फिर मैंने अपना लंड भाभी की चूत से निकाला और फिर से उनकी चूत पर रखकर एक ज़ोरदार धक्का दिया, इस बार भाभी को भी मज़ा आया और उनके मुँह से आआहह की आवाज़ निकली. फिर में ऐसे ही ज़ोरदार धक्के लगाता रहा और पूरे रूम में आअहह आआहह आआहह और पुउऊउचुकक पुउऊउचुकक की आवाज गूंजने लगी. फिर 15-20 ऐसे ही ज़ोरदार धक्के लगाने के बाद मैंने भाभी से कहा कि मेरा माल निकलने वाला है तो भाभी ने कहा कि माल मेरे मुँह में ही निकालना. फिर मैंने अपना लंड भाभी की चूत से निकाल कर भाभी के मुँह में दे दिया और अपना सारा माल उनके मुँह में निकाल दिया. फिर भाभी मेरा सारा माल पी गई. फिर मैंने ऐसे ही भाभी को 1 महीने तक चोदा और फिर मैंने अपना फ्लेट चेंज कर दिया.

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लंबे बाल वाली विदेशी पर्यटक की चुदाई

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दोस्तों आप सभी जानते हैं लंबे बाल वाली लड़की, हसीनाओं के बारें में, वो कितनी सेक्सी लगती हैं उतनी ही चुदक्कड़ होती हैं। उनके लंबे बाल ही मर्दों को उनको लाखों की भीड़ में भी आकर्षित करते हैं। मेरा नाम कांति है और मैं एमबीए एच आर का छात्र था। मैं यूनिवर्सिटी आफ देल्ही में इंटर्नशिप के लिए नौदान्या ट्रस्ट में भेजा गया था। नौदान्या ग्रामीण विकास के छेत्र में काम करने वाली अग्रणी संस्था है जहां कि अक्सर विदेशी पर्यटक आकर अपना श्रमदान करते हैं।

उन विदेशियों में एक लंबे बाल वाली लड़की थी, उसकी कातिल जवानी देख कर मेरा लंड फनफनाने लगता था, ऐसा लगता था साली को अभी चोद दूं पर कंट्रोल कांति कँट्रोल। मैने उसको अभी चोदने की बजाए, धीरे धिरे पटाकर चोदने के बारे में सोच रहा था।

रात को अक्सर मेस में खाना साथ खाते थे हम लोग्। आज मैने जानबूझकर उसके सामने वाली कुर्सी चुनी और उससे बात करने का मौका ढूंढने लगा। आप सब जानते तो होगे ही कि एमबीए वाले बात करने में कितने माहिर होते हैं और वैसे भी मेरी इंग्लिश परफेक्ट है। मैने उससे बात करनी शूरु की और वो बहुत जल्दी ही मुझसे प्रभावित हो गयी। उस लंबे बाल वाली लड़की का नाम जॉली था और वो बहुत ही प्यारी थी। उसकी गोरी गोरी चूंचियां, उसके विदेशी परिधान में भारतीय पैमानों के अनुसार अश्लीलता की सीमा तक दिक्खतीं थीं, उसके निप्पल अक्सर उसकी टौप में से झांकते दिख जाते। वो ब्रा तो पहनती ही नहीं थी।

मैने उसकी जवानी का भरपूर स्कैनिंग करते हुए मजे से उससे इंडियन कल्चर और इतिहास की जानकारी देनी लेनी जारी रखी। कुल मिला कर मैने उसे इम्प्रेस्स कर लिया था। अब लंबे बाल वाली लड़की मेरे कमरे में बेधडक रात को भी बैठने और बात करने को आ जाती थी। मैं उस लंबे बाल वाली विदेशी हसीना को चोदने की पक्की जुगत में था

आज मैंने कामसूत्र का एक सचित्र संस्करण खरीद कर अपने स्टडी टेबल पर रख दिया था और उसके आने के टाइम पर दरवाजा खोल कर बाथरुम में घुस कर नहाने लगा था। मेरे सुघड़ शरीर सौष्टव को लड़कियां कुछ ज्यादा ही पसंद करतीं थीं। मेरा प्लान ये था कि आज मैं सबसे पहले उसको अपना शरीर सौष्टव दिखाउं और फिर उसे काम्सूत्र पर चर्चा करते करते गरम करके बाल वाली हसीना की जवानी का लुत्फ उठाउं

यह सोच कर मैं बाथरुम में घुसा। वो अंदर आयी और कामसूत्र के पन्ने पलटने लगी। सचित्र कामकलाओं की वह सेक्सी पुस्तक विदेशियों के लिए सहज आकर्षण का केंद्र है और वो भारतीय कामकला के रहस्य को जानने के लिए कुछ भी कर सकते हैं।

इसलिए मैने उसको फांसने के लिए यह चाल चली थी। जैसे मैं बाथरुम से टावेल पहन कर बाहर निकला, वो मुझे देखती रह गयी। मैने हेलो कहा और दूसरे टावल से अपने शरीर को पोंछने लगा। वो मेरे बदन के हर कटाव को बड़े ध्यान से देख रही थी, गंधर्वों सरीखा बलशाली बदन उसके लिए आकर्षण का केंद्र बन चुका था। मैं जानता था कि तीर सही निशाने पर लग रहा है। अब मैंने जब देह पोछ ली तो टावल पहने ही उसके पास जाके बैठ गया।

उसने कामसूत्र के बारे में पूछा तो मैने बताया कि यह भारतीय कामकलाओं की इनसाइक्लोपीडिया है बेबी। उसने कहा – “ मुझे इसका गाड़ (ज्ञान) दो” मेरे साथ रह के थोड़ी हिंदी बोलनी आ गयी थी उसको।

मैने एक पेज खोला जिसमें एक महिला पुरुष के लिंग को चाटते हुए अपनी चूत में उंगली कर रही थी। मैने कहा देखो – हस्त्मैथुन भारत में हजारों साल पहले ही खोजा जा चुका था, भारतीय कामकला पाश्चात्य कामकला से हजारों साल पुरानी है।

लेकिन उसका ध्यान कहीं और था, मैं बाल वाली लड़की के इस रिस्पांस से आश्चर्यचकित रह गया, मेरे तौलिये के हटने से मेरा मूसल लंड उसे साफ दिख रहा था और वो उसी को घूर के मुस्करा रही थी। ये तो मैं भी नहीं देख पाया था कि मेरा लंड दिख रहा है। मैने उसे छुपाने की कोशिश की तो उसने उसे पकड़ लिया। और कहा – आई लव इंडियन पेनिस! बेबी! लेट मी हैव इट

मैं अवाक रह गया और उसने मेरी टावल खोल दी, और सोफे के नीचे से बैठ कर मेरी जांघों को अपनी नुकीलि जीभ से चाटने लगी। मेरा लंड एक दम खड़ा हो गया था। मैने उसकी चूंचियों को मसलते हुए उसकी नाईटी उपर उठा के उसके बदन से अलग निकाल दिया। वो अंदर पूरी नंगी थी। दूधिया जवानी को पेलने का ख्वाब सच हो रहा था। मैने उसे फर्श पर लिटा दिया और उसके पेट पर बैठ कर उसके मस्त चूंचों के बीच लंड को पेलते हुए उसके मुह में चोदने की कोशिश करने लगा। उसने अपनी ठुड्डी पेट की तरफ लाते हुए अपना मुह मेरे लन्ड के करीब ला दिया। बाल वाली लड़की चुदाई की एक्सपर्ट थी और मैने उसके स्तनो और मुह में एक साथ चोदा। धकाधक चूंचों के बीच चोदने से मस्त गांड मारने का अनुभव हो रहा था। स्तन मैथुन और मुखमैथुन का मजा लेते लेते मैने उसके चूत को उंगली करनी भी जारी रखी।

वो गीली हो गयी थी और मैने उसके गांड तले दो तीन किताबें रखकर उसकी चूत को उचका दिया। और अपने लंड को लेकर उसकी टांगों के बीच उंकड़ू बैठा हुआ पूरे स्पीड से चोदने लगा। वह आह्ह!! उह्ह!! उफ्फ्फ!! करते हुए चुदवाने लगी।

धकाधक चोदते हुए मैने उसके स्तनों का मर्दन जारी रखा। बाल वाली लड़की की चूत एकदम किसी खोये की मिठाई की तरह मुलायम और संकरी थी। इसलिए मुझे जन्नत का मजा आ रहा था।

चोदते हुए मैने उसके भग को क्षत विक्षत करना जारी रखा, अपने नाखूनों से उसे छेड़ते हुए मैने उसकी चूत को चोदना और धकियाना संपन्न किया। आधे घंटे तक फर्श पर पेलने के बाद मैने उसे कमरे के हर कोने में खड़ा करके, कुतिया बनाके और लिटाके, उठाके हर स्टाइल में चोदा।

साली बाल वाली लड़की तो रंडी निकली, उसने मुझे अपने स्पेनिश कामसूत्र के बारे में बताया और ये भी कि वो इंडिया में सेक्स एडवेंचर के लिए आई हुई है। दोस्तों अगर आपको बाल वाली लड़की पसंद है तो यहां क्लिक करके मजे करें।

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नशीली गांड और दमदार चूची वाली चाची

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हेल्लो दोस्तों, आप का सक्सेक्स पर दिल और डील से स्वागत है, आज आपके लिए खास मेरी चाची गौरी की गांड मारने की कहानी पेश कर रहा हूँ और यह कहानी तब की है जाब हम ट्रक में चाचा का सामान लाद भोपाल जा रहे थे और चालू ट्रक में ही मैंने चाची की गांड ले ली थी |….मेरे चाचा गोविंद एक कंपनी में काम करते थे और उनकी नई नई शादी हुई थी, उनकी पत्नी गौरी 23-24 साल की होंगी और बहुत ही पटाखा माल थी, चाचा वैसे हमारे साथ यही बरोड़ा में रहेते थे पर अब उनका तबादला भोपाल हो गया | चाचाने एक ट्रक नक्की कर लिया अपना सारा सामान भोपाल ले जाने के लिए, चाची ने मुझे कहा की मैं भी उन लोगो के साथ जाऊं ताकि उनको थोड़े दिन नया ना लगे, वैसे भी मेरी कोलेज की छुट्टिया थी इस लिए मैं तैयार हो गया उनके साथ जानेके लिए |

मैं, चाचा और चाची तीनो ट्रक के साथ चल पड़े, चाचा आगे ड्राइवर के साथ बैठें थे और हम दोनों ट्रक के पिछले हिस्से में, चाची ने आराम से बेठने के लिए वहा एक गद्दा डाल दिया और हम दोनों उपर बैठे थें | में चलती गाडी में चाची के उछलते यौवन को भरपूर देख रहा था, उसके उछलते चुंचे मेरे लंड की हालत ख़राब कर चुके थे | हम शाम को 6 बजे बरोड़ा से निकले थे और रात का खाना हमने एमपी बोर्डर के करीब खाया होंगा, रात का अन्धेरा अब छाने लगा था | चाचीने एक चद्दर निकाली और वह उसे ओढ़ के लेट गई, ट्रक अप उखड़खाबड़ रास्ते पर चल रही थी और कभी कभी तो कोई गड्डा इतना बड़ा आता था की मैं चाची से टकरा जाता था, एक बार ऐसे ही एक खड्डे में ट्रक उछला और मैं चाची के चुन्चो से टकरा गया, वाह क्या मुलायम चुंचे थे यार…! मेरा लंड अब पेंट में ही दस्तक देने लगा |

जैसे ही मैं चाची के चुन्चो से टकराया मेरी और चाची की नजर मिली, मैंने देखा की चाची की हलकी मुस्कान उसके होंठो पर फेल गई, मुझे लगा की चाची को भी इससे अच्छा लगा होगा | अब में जान बुझ कर हर छोटे खड्डे में भी उससे टकराने लगा और चाची भी कभी कभी सामने से टकरा जाती | मेरी हिम्मत खुल गई, ऐसे भी खाना हो गया था इसलिए शायद ही ट्रक अब रुकने वाला था और अगर रुका भी तो इतना वक्त तो मिल ही जाएगा..! ट्रककी केबिन से पीछे कुछ दिखे इसकी भी गुंजाइश ढेर से सामान के खिड़की को ढँक देने से खत्म हो गई थी |मैंने अब अपने हाथ चलाने शरू कर दिए, एक खड्डे पर मैंने चाची के चुंचे पर रखे हाथ हटाए नहीं बल्कि धीमे ससे हाथ उनकी गांड पर ले गया और उनकी चुन्चो जितनी ही मुलायम गांड सहेला दी | चाची ने एक लंबी सांस ली और वह कुछ बोली नहीं | मैंने अब हाथ को गांडके ऊपर चलाना शरू कर दिया और चाचीने चद्दर खिंच ली ताकि उसका शरीर ढँक जाएं | चाची का मतलब था की करेंगे लेकिन बहार नहीं, चद्दर के अंदर…! मैंने अब चाचीकी गांडसे हाथ ले लिया और में उसके सेक्सी कड़े स्तन दबाने लगा, चाची कुछ नहीं बोल राही थी ट्रक के धक्को में वह भी उत्तेजित हुई पड़ी थी |

चाची ने चूत देनी चाही पर मैंने गांड को ज्यादा तवज्जो दी…!
मैं चाची के उभरते चुन्चो को अब और भी जोर से दबाने लगा और चाची हलकी हलकी सिस्कारिया निकालने लगी, चाची भी अब ताव में आ गई और उसने अपना हाथ लम्बा करके मेरा लंड अपने हाथ में ले लिया | मैंने चाची के कमीज़ को हटा, उसके स्तन को ब्रा के उपर से ही चूसने शरू कर दिए, चाचीने मेरी मदद की और अपनी ब्रा बिना हुक खोले स्तन के उपर से हटा दी उसका एक तरफ का स्तन इससे बहार आ गया, में उसके तने हुए निपल को मुहं में लेकर चुसाई करने लगा | चाची मेरे लंड को मसलने लगी और वह एक हाथ से मेरे माथे को अपने स्तन पर दबा रही थी, मैंने चाची के नाड़े को खोल दिया और धीमे से उसकी इजार को निचे कर दिया | चाचीने चद्दर सही की और घुटनों तक अपनी इजार खिंच ली | उसने मेरा लंड एक हाथ से अभी भी पकडे रखा था | लंड बिलकुल तना था और उसे अब मस्ती करनी ही थी | चाची अब पासे पर लेट गई और उसका इरादा लंड अपनी चूत में डलवाने का था, पर मुझे उसकी गांड में कुछ ज्यादा दिलचस्पी थी और मुझे पता था की आज जो करूँगा वोह करने देगी, इसलिए मैंने अपने हाथ के उपर थोडा थूंक निकाला और उसकी गांडके छेद पर थूंक मलने लगा | चाचीने मेरे सामने देखा और वह हंस पड़ी |

चाची हंस पड़ी और मैंने अब लंड को उसकी गांडके छेद के करीब रख दिया, उसकी गांड टाईट थी और गर्म भी | मैंने अब धीमे धीमे लंड गांड के अंदर घुसेड़ना शरू किया, ट्रक अभी भी झटके मार रहा था इसलिए लंड को अंदर डालने में दिक्कत आ रही थी, तभी चाचीने आपने मुहं से थूंक हाथ में लिया और लंड के मुख पर मल के लंड को गोटों के करीब से पकड कर अपनी कड़ी गांडमें लेना शरु किया, थूंक की चिकनाहट और चाची के अनुभव के चलते लंड गांड में घुस गया, मुझे धक्के मारने की दिक्कत नहीं उठानी पड़ी, क्यूंकि एक तरफ से चाची अपनी गांड उठा कर हिलाने लगी और मेरी तरफ से ट्रक धक्के मारने लगा. कुछ 2-3 मिनिट गांडमें लंड गया होगा की मेरा लंड वीर्य निकालने लगा, वीर्य चाची की गांड के अंदर गया और कुछ उसके गांडके बहार आया चाचीने पेंटी पहनी जिससे वीर्य पूंछ गया…! चाची ने आज तो गांड दे कर मुझे बहुत मजे करा दिए, भोपाल जाके भी हमारी चुदाई और गांडकी मस्ती चलती रही, चाचा काम पर जाता और हम चाचाके लेपटोप पर ब्ल्यू फिल्मे देख अपनी मोज मस्ती करते रहेते…तभी तो जब मैं भोपाल से वापस बड़ोदा आया तो चाची और मैं दोनों दुखी थे….!

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हॉस्पिटल मे मनाया चूत चुदाई का जश्न

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स वक्त, मैंने बस अपनी डिग्री कम्पलीट की थी और थैंकफुल्ली मुझे एक प्राइवेट हॉस्पिटल में अच्छी जॉब भी मिल गयी. मैं बहुत खुश था.. सब कुछ मिल गया था. बस इंतज़ार था तो बस एक प्यारी चूत का. आइ वाज मॉडल इन माय कॉलेज. और मेरी फिजिक बहुत अच्छी है, लेकिन इन सब बावजूद, मेरी जिन्दगी में एक चूत की कमी थी.

मेरे सब फ्रेंड मुझे ताने देने लगे थे, कि इतना सुंदर होने के क्या फायदा, अगर चूत का मज़ा ना लिया तो. बस मैंने ठान ली थी, कि अब कुछ दिनों में एक अच्छी सी चूत का मज़ा लेना है. जॉब अच्छी चल रही थी. सब काम ठीक था. मेरे स्टाफ में, मेरे अंडर दो लडकिया थी. सब आधी उम्र की. मज़ा ही नहीं आता था. बस उनमे एक चीज़ मस्त थी, उनके मम्मे पामेला अन्द्रेसन की तरह थे. बस सारा दिन, उनके मम्मो के दर्शन में बीत जाता था.

फिर, एक दिन बहुत ही मस्त बात हुई. मेरे स्टाफ की एक औरत को बाहर जाना पड़ा कुछ दिनों के लिए. वो अपनी जगह अपनी लड़की को काम के लिए छोड़ गयी. हाँ, क्या मस्त माल थी यार. शब्दों में उसकी खूबसूरती का बयां करना बहुत ही मुश्किल है. बिलकुल रानी मुखर्जी जैसी लगती थी साली. बस, फिर तो सोच लिया था, कि अगर चोदना है तो बस इसी को चोदना है. बट हॉस्पिटल में और वो भी किसी दूसरी लड़की के सामने ये होना बहुत ही मुश्किल था. बट उसे चोदना ही था, तो मैं तरकीब सोच रहा था. फिर उसको काम सिखाने के बहाने से मैं उसको ज्यादा से ज्यादा अपने साथ रखने लगा. जब पेशेंट नहीं होते थे, तो उससे बातचीत करने लगता था. बस फिर क्या था, धीरे-धीरे वो मुझसे खुलने लगी.

मुझे याद है, उस दिन फ्राइडे था. ओटी डे था, तो पेशेंट भी कम ही थे. और किस्मत से दूसरी लड़की भी छुट्टी पर थी. फिर क्या था. मैंने सोच लिया था, कि आज मौका है. जो करना है, आज ही करना है. रोज़ की बातचीत से वो खुल ही गयी थी. वो उस दिन सुबह देर से आई. मैंने पूछा – व्हाई आर यू लेट टुडे? उसने कहा – सर, आज पीठ में बहुत दर्द है. मैंने ऊपर वाले को थैंक्स बोला और कहा – दिखाओ, कहाँ है दर्द. उसने कहा – नीचे साइड में है. मैंने अपने दोनों हाथो से उसके चुतड को पकड़ा और उसको देखने लगा. फिर मैंने कहा, कि अब धीरे-धीरे आगे झुको. वो धीरे-धीरे आगे झुकी. अब उस वक्त उसके गोल चुतड और उसकी गांड मेरे मुह के बिलकुल सामने थे. मैंने पूछा – दर्द है?

वो बोली – हाँ सर, थोडा सा है. मैंने कहा – ऐसे पता नहीं चलेगा. अन्दर अस्सेस्मेंट रूम रूम में आ जाओ. वो अपनी गांड हिलाते हुए अन्दर आ गयी. मैंने उसको लेटने के लिए कहा. वो लेटी, तो मैंने उसके दोनों तरफ पीठ पर हाथ रखते हुए उसको दबाने लगा और एक्सेस करने लगा और पुछता रहा – यहाँ दर्द है? वो बोली – नहीं सर. मैं पूछते-पूछते बिलकुल उसके मम्मो के पास आ गया और फिर से पूछा – यहाँ दर्द है? वो बोली – हाँ सर. इसके आसपास ही है. मैंने फिर हिम्मत करके हाथ अन्दर डालते हुए, उसके मम्मो को सहलाना शुरू किया और पूछा – यहाँ दर्द तो नहीं है? वो बोली – हाँ सर, यही होता है दर्द. ये कहकर वो मेरी तरफ देखते हुए मुस्कुरा दी और कहने लगी – सर आप तो हर दर्द की दवा जानते है. तो मेरा भी इलाज कर दीजिये ना. मैंने बोला – कर देता हु, पर जो मैं बोलूँगा वो करना पड़ेगा. वो बोली – जी सर. बस फिर क्या था, उसको सीधा किया और उसके गाल पर किस करना शुरू कर दिया. किस करते हुए, कभी मेरा हाथ उसके मम्मो को सहला रहा था और कभी उसकी चूत को.

क्या घनी चूत थी साली की. फिर किस करते-करते मैंने उसको खड़ा किया. उस वक्त तक मेरा लंड एकदम तन चूका था और बाहर आने के लिए तड़प रहा था. ऐसा लग रहा था, कि बस अभी अंडरवियर को फाड़कर बाहर आ जाएगा. फिर उसका भी हाथ धीरे-धीरे मेरी पेंट की तरफ बढ़ने लगा. शायद वो समझ गयी थी, कि अब मेरा लंड उसको प्यार करने को बेताब था. उसने धीरे-धीरे मेरी पेंट को खोला और अंडरवियर को नीचे किया और मेरा लंड इस तरह बाहर आया, मानो स्प्रिंग को पकड़कर छोड़ा हो. उसको देखते ही, वो बोली – हाई धैया, इतना बड़ा तो मेरी चूत का कबाड़ा कर देगा. मैंने कहा – वो बाद में देखेंगे, पहले इसे प्यार तो करो. फिर उसने मेरे ८ इंच के लंड को मुह में लेकर चुसना शुरू कर दिया. ऊह्ह्ह्हह्ह .. क्या मस्त चुसाई करती थी साली. मेरे मुह से अहहहः ऊऊऊओ म्म्मम्म्म्मम्म ऊऊ एस ऊऊ एस एस ऊऊ एस करके आवाज़े निकल रही थी और वो ऐसे चुसे जा रही थी, जैसे कि किसी लोलीपोप को चूस रही हो.

तक़रीबन १५ मिनट की चुसाई के बाद, मैंने उसको कहा – कि मैं आने वाला हु, वो बोली – सर, मैं आपका रस पीना चाहती हु. फिर, मैंने कहा – ले फिर और सारा रस उसके मुह में डाल दिया और उसने भी एक भी बूंद को जाया नहीं होने दिया और सारा का सारा पी गयी. अब मैंने उसके सारे कपड़े उतारे और उसको बेड पर लिटाया और उसके गोल – गोल मम्मो को चूसने-चाटने लगा. वो भी अहहहः आआआआ म्मम्मम ऊहोहोहो की आवाज़े निकालने लगी. फिर मोम्मो की चुसाई करते हुए मैंने एक ऊँगली उसकी चूत में डाल दी और वो चीखे मारने लगी. डॉक्टर साहब नहीं … दर्द हो रहा है. अहहः अहहहः …नहीं नहीं … निकालो. साली का शायद पहली बार था. किसी को पता ना लगे, इसी डर से मैंने ऊँगली बाहर निकाल ली और उसको जमाके २ थप्पड़ मारे. बोला – साली अबकी आवाज़ आई, तो ये लंड तेरे मुह में पूरा का पूरा घुसा दूंगा. फिर, मैंने उसकी चूत को चाटना शुरू किया. वो सिसकिया भरने लगी – आआआअ आआआ डॉक्टर साहिब ..म्मम्मम्म. तकरीब १५ मिनट बाद, उसने कहा – मैं आने वाली हु आआआआआह.. ह्ह्ह्हह्ह. लो अहहः…आआअ … कहते हुए वो झड़ गयी.

इतने मैं मेरा लंड दोबारा तैयार हो चूका था. फिर मैं उसके पैरो के बीच आया और उसकी चूत के नीचे एक पिल्लो रख दिया और फिर एक जोर का झटका मारा. उसके चिल्लाने की आवाज़ ना आये, इसलिए मैंने अपने लिप्स को उसके लिप्स पर रख दिया और उसके लिप्स को अपने लिप्स के बीच में दबा दिया. ऊऊऊओ ऊऊऊ की आवाज़ आ रही थी. उसने मेरे बाल खिचे और अपने को छुड़ाने की कोशिश की; पर मैं भी कहाँ छोड़ने वाला था. मैंने एक बार और पुरे जोर के साथ धक्का मारा और अपने पुरे लंड को उसकी चूत में उतार दिया. उसको दर्द हो रहा था और वो छटपटा रही थी. मैंने अपनी स्पीड और भी तेज कर दी. ५ मिनट के बाद वो भी शांत हो गयी और मेरा सात्घ देने लगी. शायद उसका दर्द कम हो गया था. वो भी चुत्तड हिला-हिला कर मेरा साथ दे रही थी. तक़रीबन ३० मिनट की चुदाई के बाद मैं आने वाला था. वो कहीं प्रेग्नेंट ना हो जाए, इसलिए मैंने अपने अपने लंड को बाहर निकाल लिया और उसके मुह पर अपना माल छोड़ दिया. वो साली फिर से सारा माल पी गयी. उसके बाद, रूम क्लियर कर दिया और काम पर लग गये.

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माँ और बहन की चूत मारी

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रागीनी इन्ही मजबूर लड़कियों में एक थी. जिसकी उम्र सिर्फ 19 साल की है जो अब पेशेवर रंडी बन चुकी थी. वो तीन साल पहले इस धंधे में मेरे द्वारा ही लायी गयी थी. हालांकि वो मुझे अंकल कहती है लेकिन मै भी उसके जिस्म का भोग उठाता हूँ. मुझे उसे चोदने में काफी आनंद आता था . अचानकएक दिन उसके गाँव से उसकी मौसी का फ़ोन आया कि उसके पति (यानि रागिनी के मौसा) का देहांत हो गया है. और वो लोग काफी मुश्किल में हैं. वो भी अपनी बेटी को रागिनी के साथ उसके धंधे में देना चाहती है ताकि घर का खर्च चल सके. रागिनी ने मुझे सारी बातें बतायी. रागिनी ने अपने धंधे के बारे में अपने मौसी को काफी पहले ही बता दिया था जब दो साल पहले उसकी मौसी अपने पति का इलाज करवाने रागिनी के यहाँ आयी थी.
रागिनी ने अपनी मौसी की समस्या के बारे में मुझे बताया और कहा कि मौसी भी अपनी बेटी को रंडीबाजी के धंधे में उतारना चाहती है. मै झट से उसे अपने गाँव जा कर उस लड़की को लेते आने कहा.
रागिनी ने कहा – गबरू अंकल, आप भी चलिए ना मेरे साथ. एकदम मस्त जगह है मेरा गाँव . पहाड़ों पर है. अगर आप मेरे साथ चलेंगे तो हम दोनो का हनीमून भी हो जाएगा .
मैंने कहा – हाँ क्यों नहीं.
और हम दोनों ने उसी शाम रागिनी के अल्मोड़ा के लिए बस पकड़ ली अगली सुबह करीब 9 बजे हम दोनों अल्मोड़ा पहुँच गए. वहीँ बस-स्टौप पर हीं फ़्रेश हो कर हम दोनों ने वहीं नास्ता किया और फ़िर करीब दो घन्टे हमारे पास थे, क्योंकि उसकी गाँव जाने वाली बस करीब 1 बजे खुलती। हम दोनों पास के एक पार्क में चले गए। रागिनी ने अपनी सब आपबीती बताई। उसकी मौसी बहुत गरीब हैं, और मौसा मजदूरी करते थे। उनकी मौत के बाद परिवार दाने-दाने का मोहताज है। रागिनी कभी-कभार पैसा मनी-आर्डर कर देती थी। अब मौसी ने उसको अपनी मदद और सलाह के लिए बुलाया था। मौसी की तीन बेटियाँ थीं – 13, 15 और 17 साल की। मौसी गाँव के चौधरी के घर काम करती थी तो रोटी का जुगार हो जाता था। चौधरी उसकी मौसी को कभी-कभार साथ में सुलाता भी था। उसके मौसा भी उसके खेत में हीं काम करते थे। यह सब बहुत दिन से चल रहा था। मौसा के मरने के बाद चौधरी अब उसकी मौसी के घर पर भी आ कर रात गुजारने लगा था. चौधरी के अलावे उसका मुंशी भी उसकी मौसी के यहाँ रात गुजारने आ जाता था और उसकी जिस्म का मज़ा लेता था. अब चौधरी रागिनी की मौसी पर दवाब बना रहा था कि वो बड़ी बेटी रीना को उसके साथ सुलावे तभी वो उनको काम पर रखेगा। मौसी नहीं चाहती थी कि उनकी बेटी उसी से चुदे जो उसकी माँ भी चोदा हो, और कोई फायदा भी ना हो. सो वो रागिनी को बुलाई थी कि वो उसको साथ ले जा कर पूरी तरह से रंडी के काम पर लगा दे जिससे कमाई होने लगे।
मैं अब पहली बार रागिनी से उसके घर के बारे में पूछा तो वो बोली, “अब तो सिर्फ़ मौसी हीं हैं. छः महिने हुए माँ कैंसर से मर गई। मेरे बाप ने मुझे और उनको पहले हीं निकाल दिया था, क्योंकि माँ की बीमारी लाईलाज थी और उसमें वो पैसा नहीं खर्च करना चाहते थे। मेरे रिश्तेदारों ने हम दोनों से कोई खास संपर्क नहीं रखा, और मेरी माँ भी यहीं अल्मोड़ा में हीं मरी।” आज पहली बार रागिनी के बारे में जान कर मुझे सच में दुख हुआ। मेरे चेहरे से रागिनी को भी मेरे दुख का आभास हुआ सो वो मूड बदलने के लिए बोली, “अब छोड़िए भी यह सब अंकल, और बताईए, मेरे साथ हनीमून आज कैसे मनाईएगा?”
मैंने भी अपना मूड बदला, “अब हनीमून तो मुझे एक हीं तरह से मनाने आता है, लन्ड को बूर में पेल कर हिला हिला कर लड़की चोद दी, हो गया अपना हनीमून।”
रागिनी बोली, “अंकल, आप एक बार मेरी मौसी को चोद कर उनको कुछ पैसे दे दीजिए न। चौधरी तो फ़्री में उनको चोदता रहा है।”
मैं आश्चर्य से उसको देखा, “तुम्हें पता है कि तुम क्या कह रही हो? जवान रीना को क्यों न चोदूँ जो उसकी बुढ़िया माँ को चोदूँ?”
रागिनी हँसी, “पक्के हरामी हैं आप अंकल सच में…अरे रीना तो साथ में चल रही है। मौसी वैसी नहीं है जैसी आप सोंच रहे हैं। 35 साल से भी कम उमर होगी। 16 साल की उमर में तो वो माँ बन गई थी। खुब छरहरे बदन की है, आपको पसन्द आएगी। मैंने उनको समझा दिया है कि मैं अपने अंकल को बुला रही हूँ, अगर खुब अच्छे से उनका खातिर हुआ तो वो रीना को जल्दी नौकरी लगवा देंगे।”
मैंने भी सोचा कि क्या हर्ज है, आराम से यहाँ माँ चोद लेता हूँ, फ़िर लौट कर बेटी की सील तोड़ूँगा। और फ़िर इस माँ को चोदने का एक और फ़ायदा था कि यहाँ एक के बाद एक करके तीन सीलबन्द बूर अगर भगवान ने मदद की तो मुझे खुलने को मिल जाने वाली थी। मैंने भी सोंच लिया कि इस मौसी को तो ऐसे चोदना है कि वो आज तक की सारी चुदाई भूल कर बस मेरी चुदाई हीं याद रखे।
दिन में हल्का से एक बार और नास्ता जैसा हीं खा कर हम दोनों बस में बैठ कर गाँव की तरफ़ चल दिए।करीब 6.30 बजे हम जब रागिनी के मौसी के घर पहुँचे तो पहाड़ों में रात उतरने लगी थी। हल्के अंधेरे और लालटेन की रौशनी में हमारा परिचय हुआ। रागिनी ने मुझे अपनी मौसी बिन्दा और उनकी तीनों बेटियों रीना, रूबी और रीता से मिलाया। दो कमरे का छॊटा सा घर था वो। मेरे लिए चिकेन और रोटी बना हुआ था। कुछ देर इधर-उधर की बातों के बाद हमने खाना खाया।
रागिनी ने मौसी से कहा, “आज मैं अंकल के साथ हीं सो जाती हूँ, तुम लोग दूसरे कमरे में सो जाना।”
सबसे छॊटी बेटी रीता ने कहा, “हम आपके पैर दबा दें अंकल?”
मौसी बोली, “नहीं बेटी, दीदी है न… वो अंकल को आराम से सुला देगी। तुम चिन्ता मत करो। ले जाओ रागिनी अपने अंकल को…आराम दो उनको. थके होंगे।”
रागिनी मेरे साथ एक कमरे में चल दी। अन्दर जाते ही हम दोनों निवस्त्र हो गए. उस रात रागिनी ने मुझे कुछ करने नहीं दिया। आराम से मुझे लिटा दी और खुद हीं मेरा लन्ड चूसी, उसको खड़ा की। फ़िर मेरे उपर चढ़ कर अपने चूत में मेरा लन्ड अपने हाथ से पकड़ कर घुसाई और फ़िर उपर से खुब हुमच हुमच कर चोदी। जल्दी हीं वो भी गर्म हो गई और आह आह आह, उउह उउह उउउह करने लगी। बिना इस चिन्ता के कि बाहर अभी सब जगे हुए हैं और उसके मुँह से निकल रही आवाज वो सब सुन रहे होंगे, उसने मेरे लन्ड पर अपनी चूत को खुव नचाया, इतना कि अब तो फ़च फ़च फ़च…की आवाज होने लगी थी। वो हाँफ़ रही थी…आआह आआह आआह और मैं भी हूम्म्म हूम्म्म्म हूऊम कर रहा था। करीब 15 मिनट की हचहच फ़चफ़च के बाद मेरे भीतर का लावा छूटा…आआआअह्ह्ह और मैंने अपना पानी उसकी चूत में छोड़ दिया। रागिनी ने भी उसी समय अपना पानी छोड़ा। और फ़िर अपने सलवार से अपना चूत पोछते हुए मेरे ऊपर से उतर गई। मुझे प्यास लग गयी थी. मैंने रागिनी को पानी लाने को कहा . उसने कमरे से ही अपनी मौसी को पानी के लिए आवाज़ लगाई. और अपने आप को एवं मुझे एक चादर से ढँक लिया. उसकी मौसी बिंदा तुरंत ही पानी ले कर आयी और नजरें झुकाए खुकाए हम दोनों की अर्द्धनंगी हालत को देखते हुए पानी का जग टेबल पर रख चली गयी. मैंने तीन गिलास पानी पीया. मैं सच में थक गया था, सो करवट बदल कर सो गया।
अगले दिन खाना खाने के बाद करीब 12 बजे रागिनी और उसकी मौसेरी बहनें मुझे आस-पास की पहाड़ी पर घुमाने ले गई। हिमालय अपने सुन्दर लहजे में अपना सारा सौन्दर्य बिखेरे था। एकांत देख कर रागिनी ने मुझे बता दिया कि आज रात में बिन्दा मेरे साथ सोएगी, मुझे उसको चोद कर सब सेट कर लेना है, वैसे वो सब पहले से सेट कर चुकी थी। करीब 5 बजे हम घर लौटे, तो उसकी मौसी बिन्दा हम सब के लिए खाना बना चुकी थी। खाना-वाना खाने के बाद हम सब पास में बैठ कर इधर-उधर की गप्पें करने लगे। पहाड़ी गाँव में लोग जल्दी सो जाते थे सो करीब आठ बजे तक पूरा सन्नाटा हो गया, तो रागिनी बोली, “मौसी, अंकल थक गए होंगे सो तुम उनके पैरों में थोड़ा तेल मालिश कर देना, मैं रीना के साथ उसके बिस्तर पर सो जाऊँगी।” इशारा साफ़ था कि आज मुझे बिन्दा को चोदना था।
बिन्दा मुझे देख कर मुस्कुराई और तेल की डिब्बी ले कर मुझे कमरे में चलने का इशारा की। पाँच चूतवालियों से घिरा मैं अपने किस्मत को सराहता हुआ बिन्दा के पीछे चल दिया और फ़िर कमरे के किवाड़ को खुला ही रहने दिया तथा सिर्फ उसके परदे फैला दिए. उस कमरे के बरामदे पर ही चारपायी पर उसकी सभी बेटियां और रागिनी लेटी हुई थी. बिन्दा तब तक अपने बदन से साड़ी उतार चुकी थी और भूरे रंग के साया और सफ़ेद ब्लाऊज में मेरा इंतजार कर रही थी। मैं उसे देख कर मुस्कुराया और अपने कपड़े खोलने लगा। वो मुझे देख रही थी और मैं अपने सब कपड़े उतार कर पूरा नंगा हो गया। मेरा लन्ड अभी ढ़ीला था पर अभी भी उसका आकार करीब 6″ था। बिन्दा की नजर मेरे लटके हुए लन्ड पर अटकी हुई थी।
मैंने उसके चेहरे को देखते हुए, अपने हाथ से अपना लन्ड हिलाते हुए जोर से कहा, “फ़िक्र मत करो, अभी तैयार हो जाएगा…आओ चूसो इसको।”
मेरे हिलाने से मेरे लन्ड में तनाव आना शुरु हो गया था और मेरा सुपाड़ा अब अपनी झलक दिखाने लगा था। बिन्दा ने आगे बढ़ कर बिना किसी हिचक या शर्मिंदगी के मेरे लन्ड को अपने हाथों में पकड़ा और सहलाई। मादा के हाथ में जादू होता है, सो मेरा लन्ड बिन्दा के हाथ के स्पर्श से हीं अपना आकार ले लिया।बिन्दा ने मुझे बिस्तर पर लिटा कर लन्ड अपने मुँह में भर लिया।

5-8 बार अंदर-बाहर करके बिन्दा बोली- आप सीधा आराम से लेटिए, मैं तेल लगा देती हूँ।
मैंने उसे बाहों में भर कर अपने ऊपर खींच लिया और बोला, “कोई परेशानी की बात नहीं है। मेरी सब थकान खत्म हो जाएगी जब तुम्हारी जैसी मस्त माल की चूत मेरे लन्ड की मालिश करेगी।” मुझे पता था की हम दोनों की एक – एक आवाज खुले किवाड़ के द्वारा उन बेटियों के काम में स्पष्ट सुनाई पड़ रहे होंगे.
मैंने बिन्दा के होठों से अपने होठ सटा दिए और वो भी चुमने में मुझे सहयोग करने लगी। मैंने उसके ब्लाऊज और पेटीकोट खोल दिए तो उसने खुद से अपने को उन कपड़ों से आजाद कर लिया।
मैंने बिन्दा को अपने से थोड़ा अलग करते हुए कहा, “देखूँ तो कैसी दिखती है मेरी जान…”।
बिन्दा मेरे इस अंदाज पर फ़िदा हो गई, उसके गाल लाल हो गए। बिन्दा अपने उमर से करीब 5 साल छोटी दिख रही थी दुबली होने की वजह से। वैसे भी उसकी उमर 35 के करीब थी। रंग साफ़ था, चुचियाँ थोड़ी लटकी थीं, पर साईज में छॊटी होने की वजह से मस्त दिख रही थीं। सपाट पेट, गहरी नाभी और उसके नीचे कालें घने झाँटों से घिरी चूत की गुलाबी फ़ाँक। काँख में भी उसको खुब सारे बाल थे। मैंने धीरे-धीरे उसके पूरे बदन पर हाथ घुमाने शुरु किए और उसमें गर्मी आने लगी। जल्द हीं उसका बदन चुदास से भर गया और तब मैंने उसकी चूचियों और चूत पर हमला बोल दिया, अपने हाथों और मुँह से। उसकी सिसकी पूरे कमरे में गुजने लगी। करीब आधा घन्टा में वो बेदम हो गई तो मैंने उसको सीधा लिटा कर उसके पैरों को फ़ैला कर ऊपर उठा दिया और बिना कोई भूमिका बाँधे, एक हीं धक्के में अपने लन्ड को पूरा उसकी चूत में घुसा दिया।
मुझे पता था कि मेरा लन्ड उसकी झाँटॊं को भी भीतर दबा रहा है। मैं चाहता भी यही था, सो मैंने लन्ड को कुछ इस तरह से आगे-पीछे करके घुसाया कि ज्यादा से ज्यादा झाँट मेरे लन्ड से दबे और वो झाँटों के खींचने से दर्द महसूस करे।
वही हुआ भी…बिन्दा तो चीख हीं उठी थी, “ओह्ह्ह्ह्ह्ह मेरा बाल खींच रहा है साहब जी”।
मैंने भी कहा, “तो मैं क्या करूँ, तुम्हारा झाँट हीं ऐसा शानदार है कि मत पूछो,”
वो अब अपना हाथ अपनी चुद रही चूत के आस-पास घुमा कर अपने झाँटों को मेरे लन्ड से थोड़ा दूर की, और फ़िर बोली, “हाँ अब चोदिए, खुब चोदिए मुझे…..आह्ह्ह्ह आह्ह्ह्ह्ह”।
ने अब उसकी जबर्दस्त चुदाई शुरु कर दी थी। वो भी गाँड़ उछाल-उछाल कर ताल मिला रही थी और मैं तो उसकी चुचियों को जोर-जोर से मसल मसल कर चुदाई किए जा रहा था। ये सोच कर की बाहर उसकी बेटियाँ अपनी माँ की चुदाई की आवाज सुन रही हैं मेरा लन्ड और टनटना गया था और जोरदार धक्के लगा रहा था। वो झड़ गई थी, थोड़ा शान्त हुई थी, पर मैं कहाँ रुकने वाला था। मैंने उसको पलटा और जब तक वो कुछ समझे मैंने पीछे से उसके चूत में लन्ड पेल दिया। वो थक कर निढ़ाल हो गई थी तो मैं झड़ा उसकी चूत के भीतर। पर मेरा लन्ड कब एक बार झड़ने से शान्त हुआ है जो आज होता।
मैंने बिन्दा से कहा, कि वो अब आराम से पोजीशन ले ले, मैं उसकी गाँड़ मारुँगा। वो शाय्द थकान की वजह से ऐसा चाह नहीं रही थी, पर मैंने उसको तकिया पकड़ा दिया तो वो समझ गई में नहीं रुकने वाला। सो वो भी तकिये पर सिर टिका कर अपने घुटने थोड़ा फ़ैला हर सही से बिस्तर पर पलट गई। मैं उसके पीछे थोड़ा खड़ा हो गया और फ़िर उसकी गाँड़ पर ढ़ेर सारा थुक लगा कर अपना लन्ड छेद से भिड़ा दिया। लेकिन वो जोर से कराह उठी.
बोली – आह..रुकिए साहब जी आपका लंड बहुत मोटा है. मेरी गांड में वेसलिन लगा दीजिये तब मेरी गांड मारिये.
मैंने कहा – कहाँ है वेसलिन?
उसने आलमारी में से वेसलिन निकाल मुझे दिया. मैंने ढेर साड़ी वेसलिन उसके गांड के छेद में डाला फिर अपना लंड उसके गांड में घुसाया. थोड़ी मेहनत करनी पड़ी, पर वो दर्द सह कर अपने गाँड़ में मेरा लन्ड घुसवा ली। मैं भी मस्त हो कर अब उसकी गाँड़ मारने लगा। शुरु में दर्द की वजह से वो कराह रही थी, पर जल्द हीं उसको भी मजा मिलने लगा और फ़िर आह्ह्ह्ह आअह्ह आअह्ह ऊऊह्ह्ह्ह उउउम्म्म जैसे सेक्सी बोल कमरे में गुँजने लगे। इस बार थोड़ा थकान मुझे भी लगने लगा था, शायद दिन भर का घुमना अब हावी हो रहा था, सो मैं भी तेजी में धक्के पर धक्के लगाए और जल्द हीं बिन्दा की गाँड़ अपने लन्ड के रस से भर दिया। वो तो कब की थक कर निढ़ाल थी। अब हम दोनों में से कोई हिलने की हालत में नहीं था सो हम दोनों ऐसे हीं नंगे सो गए। बिन्दा ने तो अपने चूत और गाँड़ को साफ़ करना भी मुनासिब नहीं समझा।
अगली सुबह मैं जरा देर से तब उठा जब बिंदा मुझे चाय देने आयी. उस समय तक मै नंगा ही था. मैंने तौलिये को अपने कमर पर लपेटा .तब तक सब चाय पी चुके थे। मैं जब बाहर आया तो देखा कि खुब साफ़ और तेज धूप निकली हुई है। पहाड़ों में वैसे भी धूप की चमक कुछ ज्यादा होती है। रागिनी और उसकी मौसी आंगन में बैठ कर सब्जी काट रहे थे, बड़ी रीना सामने चौके में कुछ कर रही थी। रूबी नहा चुकी थी और वो धूले कपड़ों को सुखने के लिए तार पर डाल रही थी। आंगन के एक कोने में सबसे छोटी बहन रीता नहा रही थी। सब कपड़े उतार कर, बस एक जंघिया था उसके बदन पर। मुझे लग गया कि घर में कोई मर्द तो रहता नहीं था, सो इन्हें इस तरह खुली धूप में नहाने की आदत सी थी। मुश्किल यह थी कि मैं जोरों से पेशाब महसूस कर रहा था, और इसके लिए मुझे उसी तरह जाना होता जिधर रीता नहा रही थी। वो एक तरह से बाथरूम मे सामने हीं बैठी थी। तभी मौसी चौके की तरफ़ गई तो मैंने अपनी परेशानी रागिनी को बताई।
उसने कहा, “तो कोई बात नहीं, आप चले जाइए बाथरूम में…”।
मैं थोड़ा हिचक कर बोला-“पर रीता?”
अब वो मुस्कुराते हुए बोली, “आपको कब से लड़की से लज लगने लगा” और उसने आँख मार दी।
मेरे लिए वैसे भी पेशाब को रोकना मुश्किल हो रहा था सो निकल गया। एक नजर रीता के बदन पर डाली और बाथरूम में पेशाब करने लगा। पेशाब करने के बाद मैं बाहर जहाँ रीता नहा रही थी वहाँ पहुँच गया, अपना हाथ-मुँह, चेहरा धोने। रीता भी समझ गई कि मैं हाथ-मुँह धोना चाह रहा हूँ। उसने बाल्टी-मग मेरी तरफ़ बढ़ा दिया और खुद अपने हाथों से अपना बदन रगड़ने लगी। अपना चेहरा और हाथ-मुँह धोते हुए अब मैं रीता को घुरने लगा। खुब गोरी झक्क सफ़ेद चमड़ी, हल्का उभार ले रही छाती जिसका फ़ूला हुआ भाग मोटे तौर पर अभी भी चुचक हीं था, अभी रीता की छाती को चूची बनने में समय लगना था। पतली-पतली चिकनी टाँग पर सुनहरे रोंएँ। मेरी नजर बरबस हीं उसके टाँगों के बीच चली गई, पर वहाँ तो एक बैंगनी रंग का जांघिया था, ब्लूमर की तरह का जो असल चीज के साथ-साथ कुछ ज्यादा क्षेत्र को ढ़ंके हुए था। मेरे दिमाग में आया, “काश इस लड़की ने अभी जी-स्ट्रींग पहनी होती…” और तभी रीता अपने दोनों बाहों को उपर करके अपने गले के पीछे के हिस्से को रगड़ने लगी। इस तरह से उसकी छाती थोड़ी उपर खींच गई और तब मुझे लगा कि हाँ यह भी एक लड़की है, बच्ची नहीं रही अब। इस तरह से हाथ ऊपर करने के बाद उसकी छाती थोड़ा फ़ूली और अपने आकार से बताने लगी कि अब वो चूची बनने लगी है। मेरी नजर उसकी काँख पर गड़ गई। वहाँ के रोंएँ अब बाल बनने लगे थे। बाएँ काँख में तो फ़िर भी कुछ रोंआँ हीं था, बस चार-पाँच हीं अभी काले बाल बने थे, पर दाहिने काँख में लगभग सब रोआँ काला बाल बन चुका था। अब वहाँ काला बालों का एक गुच्छा बन गया था, पर अभी उसको ठीक से उनको मुरना और हल्का घुंघराला होना बाकी था, जैसा कि आम तौर पर जवान लड़कियों में होता है। रीता के काँख में निकले ऐसे बालों को देख कर मैं कल्पना करने लगा कि उसकी बूर पर किस तरह का और कैसा बाल होगा। अब तक वो भी अपना बदन रगड़ चुकी थी सो उसको बाल्टी कि जरूरत थी, और मेरे लिए भी अब वहाँ रूकने का कोई बहाना नहीं था।अब तक रीना दोबारा चाय बना चुकी थी, और दुबारा से सब लोग चाय ले कर बीच आंगन में बिछे चटाईओं पर बैठ गए थे।
रागिनी ने अब पूछा, “कब तक आपको छुट्टी है?”
मैंने पूछा, “क्यों…?”
तो वो बोली, “असल में रीना को तो हमलोग के साथ हीं चलना है तो उसको अपना सामान भी ठीक करना होगा न…दो-तीन दिन तो अभी है कि नहीं?”
मैंने कहा, “अभी तीसरा दिन है, और मैंने एक सप्ताह की छुट्टी ली हुई है, सो अभी तो समय है।”
अब बिन्दा (रागिनी की मौसी) बोली, “रीना कर तो लेगी यह सब तुम्हारा वाला काम….कहीं बेचारी को परेशानी तो न होगी?”
रागिनी ने उनको भरोसा दिलाया, “तुम फ़िक्र मत करो मौसी, जब पैसा जिलने लगेगा तो सब करने लगेगी। मैं भी शुरु-शुरु में हिचकी थी। पहले एक-दो बार तो बहुत खराब लगा फ़िर अंकल से भेंट हुई और जिस प्यार और इज्जत के साथ अंकल ने मेरे साथ सेक्स किया कि फ़िर सारा डर चला गया और उसके बाद तो मैं इसी में रम गई। अंकल का साथ मुझे बहुत बल देता है, लगता है कि इस नए जगह में भी कोई अपना है। कल तुमने भी देखा न अंकल का सेक्स का अंदाज़? कोई तकलीफ हुई क्या तुझे? ”
बिंदा ने थोडा मुस्कुरा कर अपना सर निचे झुकाया और कहा – नहीं री. तेरे अंकल तो सच में बहुत प्यार से सेक्स करते हैं.
मुझे अपने पर रागिनी का ऐसा भरोसा जान कर अच्छा लगा और उस पर खुब सारा प्यार आया, मेरे मुँह से बरबस निकल गया, “तुम हो हीं इतनी प्यारी बच्ची….” और मैंने उसका हाथ पकड़ कर चुम लिया।
रागिनी ने अब एक नई बात कह दी – “मौसी मेरे ख्याल से रीना को आज रात में अंकल के साथ सो लेने दो। अंकल इतने प्यार से इसको भी करेंगे कि उसका सारा भय निकल जाएगा।”
झे इस बात की उम्मीद नहीं की थी। मैं अब बिन्दा के रीएक्शन के इंतजार में था। रीना पास बैठ कर सिर नीचे करके सब सुन रही थी।
बिन्दा थोड़ा सोच कर बोली, “कह तो तुम ठीक रही हो बेटा, पर यहाँ घर पर…फ़िर रीना की छोटी बहनें भी तो हैं घर में….इसीलिए मैं सोच रही थी कि अगर रीना तुम लोग के साथ चली जाती और फ़िर उसके साथ वहीं यह सब होता तो…”।
मुझे लगा कि ऐसा शानदार मौका हाथ से जा रहा है सो मैं अब बोला, “आप बेकार की बात सब सोच रही हो बिन्दा. मेरे हिसाब से रागिनी ठीक कह रही है, अगर रीना अपने घर पर अपने लोगों के बीच रहते हुए पहली बार यहीं चुद ले तो ज्यादा अच्छा होगा। अगर उसको बुरा लगा तो यहाँ आप तो हैं जिससे वह सब साफ़-साफ़ कह सकेगी, नहीं तो वहाँ जाने के बाद तो उसको बुरा लगे या अच्छा, उसको तो वहाँ चुदना हीं पड़ेगा।”
ब मैं यह सब कह रहा था तब तक रूबी और रीता भी वहीं आ गईं और इसी लिए जान बूझ कर मैंने चुदाई शब्द का प्रयोग अपने बात में किया था। रागिनी भी बोली, “हाँ मौसी अंकल बहुत सही बात कह रहे हैं, वहाँ जाने के बाद रीना की मर्जी तो खत्म हीं हो जाएगी। वैसे भी पिछले कई दिनों में रूबी और रीता को क्या समझ में नहीं आया होगा कि चौधरी और उसका मुंशी तेरे साथ रात रात भर कमरे में रह कर क्या करता है? एक एक आह की आवाज स्पष्ट सुनाई देती है बाहर में. क्यों रीई रूबी और गीता, क्या तुम नहीं जानती कि रात में मैं या तेरी माँ अंकल से साथ क्यों सोते हैं ?
शर्मा गई और हाँ में सर ऊपर नीचे हिलाया.
मैं बोला, “मेरे ख्याल से तो रात से बेहतर होगा कि रीना अभी हीं नहाने से पहले आधा-एक घन्टा मेरे साथ कमरे में चली चले, चुदाई कर के उसके बाद नहा धो ले…उसको भी अच्छा लगेगा। रात में अगर चुदेगी तो फ़िर सारी रात वैसे हीं सोना होगा।”
न्दा के चेहरे से लग गया कि अब वो कुछ बोलने की स्थिति में नहीं है और सब कुछ रागिनी पर छोड़ दी है।
बिन्दा ने अपनी छोटी बेटी तो हल्के से झिड़का, “तू यहाँ बैठ कर क्या सुन रही है सब बात…जाओ जा कर सब के लिए एक बार फ़िर चाय बनाओ।”
रीता जाना नहीं चाहती थी सो मुँह बिचकाते हुए उठ गई।
मैंने उसको छेड़ दिया, “अरे थोड़े हीं दिन की बात है, तुम्हारा भी समय आएगा बेबी… तब जी भर कर चुदवाना। अभी चाय बना कर लाओ।”
वो अब शर्माते हुए वहाँ से खिसक ली। चलो अच्छा है दो-दो कप चाय मुझे ठीक से जगा देगा। साँढ़ जब जगेगा तभी तो बछिया को गाय बनाएगा।”
मेरी इस बात पर रागिनी ने व्यंग्य किया, “साँड़…..ठीक है पर बुढ़्ढ़ा साँड़” और खिल्खिला कर हँस दी।
मैंभी कहाँ चुकने वाला था सो बोला, “अरे तुमको क्या पता….नया-नया जवान साँढ़ सब तो बछिया की नई बूर देख कर हीं टनटना जाता है और पेलने लगता है, मेरे जैसा बुढ़्ढ़ा साँढ़ हीं न बछिया को भी मजा देगा। बाछिया की नई-नवेली चूत को सुँघेगा, चुमेगा, चुसेगा, चाटेगा, चुभलाएगा….इतना बछिया को गरम करेगा कि चूत अपने हीं पानी से गीली हो जाएगी, तब जा कर इस साँढ़ का लन्ड टनटनाएगा….”
अब रूबी बोल पोड़ी, “छी छी, कितना गन्दा बोल रहे हैं आप…अब चुप रहिए।”
मैंने उसके गाल सहला दिए और कहा, “अरे मेरी जान….यह सब तो घर पर बीवी को भी सुनना पड़ता है और तुम्हारी दीदी को तो रंडी बनने जाना हैं शहर। मैंने तो कुछ भी नहीं बोला है…..वहाँ तो लोग रंडी को कैसे पेलते हैं रागिनी से पूछो।”
रागिनी भी बोली, “हाँ मौसी, अब यह सब तो सुनने का आदत डालना होगा, और साथ में बोलना भी होगा”।
रीना का गाल लाल हुआ था, बोली, “मैं यह सब नहीं बोलुँगी…”।
मैंने उसकी चुची सहला दी वहीं सब के सामने, वो चौंक गई। मैं हँसते हुए बोला, “अभी चलो न भीतर एक बार जब लन्ड तुम्हारी बूर को चोदना शुरु करेगा तो अपने आप सब बोलने लगोगी, ऐसा बोलोगी कि तुम्हारे इस रूबी देवी जी का गाँड़ फ़ट जाएगा सब सुन कर।”
रीता अब चाय ले आई, तो मैंने कहा, “वैसे रूबी तुम भी चाहो तो चुदवा सकती हो…बच्ची तो अब रीता भी नहीं है। 14 साल की दो-तीन लड़की तो मैं हीं चोद चुका हूँ, और वो भी करीब-करीब इतने की हीं है।”
रीता सब सुन रही थी बोली, “अभी 14 नहीं पूरा हुआ है, करीब पाँच महीना बाकी है।”
मैं अब रंग में था, “ओए कोई बात नहीं एक बार जब झाँट हो गया तो फ़िर लड़की को चुदाने में कोई परेशानी नहीं होती। मैं तुम्हारे काँख में बाल देख चुका हूँ, सो झाँट तो पक्का निकल गया होगा अब तक तुम्हारी बूर पर…” रीता को लगा कि मैं उसकी बड़ाई कर रहा हूँ सो वो भी चट से बोली-“हाँ, हल्का-हल्का होने लगा है, पर दीदी सब की तरह नहीं है”।

बिन्दा ने उसको चुप रहने को कहा, तो मैंने उसको शह दी और कहा, “अरे बिन्दा जी, अब यह सब बोलने दीजिए। जितनी कम उमर में यह सब बोलना सीखेगी उतना हीं कम हिचक होगा वर्ना बड़ी हो जाने पर ऐसे बेशर्मों की तरह बोलना सीखना होता है। अभी देखा न रीना को, किस तरह बेलाग हो कर बोल दी कि मैं नहीं बोलुँगी ऐसे…।” सब हँसने लगे और रीना झेंप गई, तो मैंने कहा-“अभी चलो न बिस्तर पर रीना, उसके बाद तो तुम सब बोलोगी। ऐसा बेचैन करके रख दुँगा कि बार-बार चिल्ला कर कहना पड़ेगा मुझसे”।
उसने अपना चेहरा ऊपर उठाया और मेरे तरह तिरछी नजर से देखते हुए पूछा-“क्या कहना पड़ेगा?”
मैंने उसको छेड़ा और लड़कियों की तरह आवाज पतली करके बोला, “आओ न, चोदो न मुझे….जल्दी से चोदो न मेरी चूत अपने लन्ड से”।
मेरे इस अभिनय पर सब लोग हँसने लगे। मैं अपने हाथ को लन्ड पर तौलिये के ऊपर से हीं फ़ेरने लगा था। लन्ड भी एक कुँआरी चूत की आस में ठनकना शुरु कर दिया था।मैंने वहीं सब के सामने अपना लन्ड बाहर निकाल लिया और उसकी आगे की चमड़ी पीछे करके लाल सुपाड़ा बहर निकाल कर उसको अपने अँगुठे से पोछा। मुझे पता था कि अब अगर मेरा अँगुठा सुँघा गया तो लन्ड की नशीली गन्ध से वस्ता होगा, सो मैंने अपने अँगुठे को रीना की नाक के पास ले गया-“सुँघ के देखो इसकी खुश्बू”।
मैं देख रहा था कि रागिनी के अलावे बाकी सब मेरे लन्ड को हीं देख रहे थे।
रीना हल्के से बिदकी-“छी: मैं नहीं सुँघुगी।”
रीता तड़ाक से बोली, “मुझे सुँघाईए न देखूँ कैसा महक है।”
ने अपना हाथ उसकी तरफ़ कर दिया, जबकि बिन्दा ने हँसते हुए मुझे लन्ड को ढ़्कने को कहा। मैं अब फ़िर से लन्ड को भीतर कर चुका था और रीता मेरे हाथ को सुँघी और बिना कुछ समझे बोली, “कहाँ कुछ खास लग रहा है…?”
ब रुबी भी बोली-“अरे सब ऐसे हीं बोल रहे हैं तुमको बेवकूफ़ बनाने के लिए और तू है कि बनते जा रही है।”
मैंने अब रूबी को लक्ष्य करके कहा, “सीधा लन्ड हीं सुँघना चाहोगी”।
वो जरा जानकार बनते हुए बोली-“आप, बस दीदी तक हीं रहिए….मेरी फ़िक्र मत कीजिए, मुझे इस सब बात में कोई दिल्चस्पी नहीं है।”
रीता तड़ से बोली-“पर मुझे तो इसमें खुब दिलचस्पी है…।
अब बिन्दा बोली, “ले जाइए न अब रीना को भीतर….बेकार देर हो रहा है।”
मैंने भी उठते हुए रूबी को कहा, “दिलचस्पी न हो तो भी चुदना तो होगा हीं, हर लड़की की चूत का यही होता है- आज चुदो या कल पर यह तय है।”
और मैंने खड़ा हो कर रीना को साथ आने का ईशारा किया। रीना थोड़ा हिचक रही थी, तो रागिनी ने उसको हिम्मत दी-“जाओ रीना डरो मत….अभी अंकल ने कहा न कि हर लड़की की यही किस्मत है कि वो जवान हो कर जरुर चुदेगी…सो बेहिचक जाओ। मुझे तो अनजान शहर में अकेले पहली बार मर्द के साथ सोना पड़ा था, तुम तो लक्की हो कि अपने हीं घर में अपने लोगों के बीच रहते हुए पहली बार चुदोगी.. जाओ उठो…।”
रीना को पास और कोई रास्ता तो था नहीं सो वो उठ गई और मैंने उसको बाहों में ले कर वहीं उसके होठ चुमने लगा। तब बिन्दा मुझे रोकी, “यहाँ नहीं, अलग ले जाइए….यहाँ सब के सामने उसको खराब लगेगा।”
मैंने हँसते हुए अब उसको बाहों में उठा लिया और कमरे की तरफ़ जाते हुए कहा, “पर इसको तो अब सब लाज-शर्म यहीं इसी घर में छोड़ कर जाना होगा मेरे साथ…अगर पैसा कमाना है तो…” और मैं उसको बिस्तर पर ले आया। इसके बाद मैंने रीना को प्यार से चुमना शुरु किया। वो अभी तक अकबकाई हुई सी थी। मैं उसको सहज करने की कोशिश में था।
मैंने उसको चुमते के साथ-साथ समझाना भी शुरु किया – “देखो रीना, तुम बिल्कुल भी परेशान न हो. मैं बहुत अच्छे से तुमको तैयार करने के बाद हीं चोदुँगा. तुम आराम से मेरे साथ सहयोग करो. अब जब घर पर हीं परमीशन मिल गई है तो मजे लो. मेरा इरादा तो था कि मैं तुमको शहर ले जाता फ़िर वहाँ सब कुछ दिखा समझा कर चोदता. पर यहाँ तो तुमको ब्लू-फ़िल्म भी नहीं दिखा सकता. फ़िर भी तुम आराम से सहयोग करो तो तुम्हारी जवानी खुद तुमको गाईड करती रहेगी.। लगतार पुचकारते हुए मैं उसको चुम रहा था।
रीना अब थोड़ा सहज होने लगी थी, सो धीमी आवाज में पूछी, “बहुत दर्द होगा न जब आप करेंगे मुझे?”
ने उसको समझाते हुए कहा, “ऐसा जरुरी नहीं है, अगर तुम खुब गीली हो जाओगी तो ज्यादा दर्द नहीं करेगा। वैसे भी जो भी दर्द होना है बस आज और अभी हीं पहली बार होगा, फ़िर उसके बाद तो सिर्फ़ मस्ती चढ़ेगी तुम पर. फ़िर खुब चुदाना।”

अब वो बोली, “और अगर बच्चा रह गया तो…?”
मैंने उसको दिलासा दिया, “नहीं रहेगा, अब सब का उपाय है….निश्चिंत हो कर चुदो अब…” और मैंने उसके कपड़े खोलने लगा।
उसके बदन से उसकी कुर्ती उतारना चाह रहा था जब वो बोली, “इसको खोलना जरुरी है क्या.सिर्फ़ सलवार खोल कर नहीं हो जाएगा?”
ने मुस्कुरा कर जवाब दिया…अब शर्म छोड़ों और अपना बदन दिखाओ. एक जवान नंगी लड़की से ज्यादा सुन्दर चीज मर्दों के लिए और कुछ नहीं है दुनिया में” और मैंने उसकी कुर्ती उतार दी। एक सफ़ेद पुरानी ब्रा से दबी चुची अब मेरे सामने थी। मैंने ब्रा के ऊपर से हीं उन्हें दबाया और फ़िर जल्दी से उसको खोल कर चुचियों को आजाद कर दिया। छोटे से गोरे चुचियों पर गुलाबी निप्पल गजब की दिख रही थी।
मैंने कहा, “बहुत सुन्दर चुची है तुम्हारी मेरी जान…” और मैं उसको चुसने में लग गया।
जल्द हीं उसने अपने पहलू बदले ताकि मैं बेहतर तरीके से उसकी चूची को चूस सकूँ। मैं समझ गया कि अब लौंडिया भी जवान होने लगी है।इसके बाद मैं उसकी सलवार की डोरी को खींचा। वो थोड़ा शर्माई फ़िर मुस्कुराई, जो मेरे लिए अच्छा शगुन था। लड़की अगर पहली बार चुदाते समय ऐसे सेक्सी मुस्कान दे तो मेरा जोश दूना हो जाता है। मैंने उसको पैरों से उतार दिया और उसने भी अपने कमर को ऊपर करके फ़िर टाँगें उठा कर इसमें सहयोग किया। मैंने अब उसकी जाँघो को खोला। पतली सुन्दर अनचुदी चूत की गुलाबी फ़ाँक मस्त दिख रही थी। उसके इर्द-गिर्द काले, घने, लगभग सीधे-सीधे बाल थे जो मस्त दिख रहे थे। उसकी झाँट इतनी मस्त थी कि पूछो मत। कोई तरीके से उसको शेव करने की जरुरत नहीं थी। बाल लम्बे भी बहुत ज्यादा नहीं थे और ना हीं बहुत चौड़ाई में फ़ैले हुए थे। पहाड़ की लड़कियों को वैसे भी प्राकृतिक रूप से सुन्दर झाँट मिलता है अपने बदन पर। वैसे उसकी उमर भी बहुत नहीं थी कि बाल अभी ज्यादा फ़ैले होते। मैं अब उसकी झाँटों को हल्के-हल्के सहला रहा था और कभी-कभी उसकी भगनाशा (क्लीट) को रगड़ देता था। उसकी आँखें बन्द हो चली थी। मैं अब झुका और उसकी चूत को चूम लिया। मेरी नाक में वहाँ का पसीना, गीलेपन वाली चिकनाई और पेशाब की मिली जुली गन्ध गई। मैंने अब अपने जीभ को बाहर निकाला और पूरी चौड़ाई में फ़ैला कर उसकी चूत की फ़ाँक को पूरी तरह से चाटा। मेरी जीभ उसकी गाँड़ के छेद की तरफ़ से चूत को चाटते हुए उसकी झाँटों तक जा रही थी। जल्द हीं चूत की, पसीने और पेशाब की गन्ध के साथ मेरे थूक की गन्ध भी मेरे नाक में जाने लगी थी। रीना अब तक पूरी तरह से खुल गई थी और पूरी तरह से बेशर्म हो कर अब सहयोग कर रही थी। मैंने उसको बता दिया था कि अगर आज वो पूरी तरह से बेशर्म हो कर चुद गई तो मैं उसको रागिनी से भी ज्यादा टौप की रंडी बना दुँगा। वो भी अब सोच चुकी थी कि अब उसको इसी काम में टौप करना है सो वो भी मेरे कहे अनुसार सब करने को तैयार थी।
मैंने कहा, “रीना, अब जरा अपने जाँघ खोलो न जानू…तुम्हारी गुलाबी चूत की भीतर की पुत्ती को चाटना है।”
यह सुन कर वो आह कर उठी और बोली, “बहुत जोर की पेशाब लग रही है…इइइइस्स्स अब क्या करूँ…।”
मैं समझ गया की साली को चुदास चढ़ गई है सो मैंने कहा, “तो कर दो ना पेशाब…”
वो अकचकाई, “यहाँ….कमरे में” और जोर से अपने पैर भींची।
मैंने कहा, “हाँ मेरी रानी, तेरी रागिनी दीदी तो मेरे मुँह में भी पेशाब की हुई है, तू भी करेगी क्या मेरे मुँह में?”
मैं उसके पैर खोल कर उसकी चूत को चाटे जा रहा था। वो ताकत लगा कर मेरे चेहरे को दूर करना चाह रही थी। मैं उसको अब छोड़ने के मूड में नहीं था सो बोला, “अरे तो मूत न मेरी जान. तेरे जैसी लौन्डिया की मूत भी अमृत है रानी।”
वो अब खड़ी हो कर अपने कपड़े उठाते हुए बोली, “बस दो मिनट में आई” तो मैंने उसके मूड को देखते हुए कहा, “ऐसे हीं चली जा ना नंगी और मूत कर आजा…प्लीज आज अगर तू नंगी चली गई तो मैं तुम्हें 5000 दुँगा अभी के अभी।”
पैसे के नाम पर उसके आँख में चमक उभरी, “सच में” और फ़िर वो दरवाजे के पास जा कर जोर से बोली, “मम्मी मुझे पेशाब करने जाना है, बहुत जोर की लगी है और अंकल मुझे वैसे हीं जाने को कह रहे हैं”
गिनी सब समझ गई सो और किसी के कहने के पहले बोली, “आ जाओ रीना, यहाँ तो सब अपने हीं हैं, और फ़िर तुम अब जिस धन्धे में जा रही हो उसमें जितना बेशर्म रहेगी उतना मजा मिलेगा और पैसा भी।”
ब मैं बोला, “बिन्दा, अपनी बाकी बेटियों को तुम संभालो अब. मैं और रीना नंगे हैं और मैं भी सोच रहा हूँ कि एक बार पेशाब कर लूँ फ़िर रीना की सील तोड़ूँ”, कहते हुए मैं नंगे हीं कमरे से बाहर आ गया और मेरे पीछे रीना भी बाहर निकल आई। मैंने उसकी कमर में अपना हाथ डाल दिया और आँगन की दूसरी तरफ़ ऐसे चला जैसे कि हम दोनों कैटवाक कर रहें हों। बिन्दा के चेहरे पर अजीब सा असमंजस था, जबकि उसकी दोनों बेटियाँ मुँह बाए हम दोनों के नंगे बदन को देख रही थी। रागिनी सब समझ कर मुस्कुरा रही थी। जल्द हीं हम दूसरी तरफ़ पहुँच गए तो मैंने रीना के सामने हीं अपने लन्ड को हाथ से पकड़ कर मूतना शुरु किया। रीना भी अब पास में बैठ कर मूतने लगी। उसकी चूत चुदास से ऐसी कस गई थी कि उसके मूतते हुए छर्र-छर्र की आवाज हो रही थी। उसका पेशाब पहले बन्द हुआ तो वो खड़ी हो कर मुझे मूतते देखने लगी।
बिन्दा अब हड़बड़ा कर बोली, “ठीक है, ठीक है, अब आप दोनों कमरे में जाओ और भाई साहब आप अब जल्दी छोड़ लीजिये रीना को, इसे नहाना धोना भी है फ़िर उसको मंदिर भी भेजुँगी।”
मैंने रीना की चुतड़ पर हल्के से चपत लगाई, “चल जल्दी और चुद जा जानू, तेरी माँ बहुत बेकरार है तेरी चूत फ़ड़वाने के लिए…।”
फ़िर मैंने बिन्दा से कहा, “बहुत जल्दी हो तो यहीँ पटक कर पेल दूँ साली की चूत के भीतर क्या?”
न्दा अब गुस्साई, “यहाँ बेशर्मी की हद कर दी…कमरे में जाइए आप दोनों.।
मैं समझ गया कि अब उसका मूड खराब हो जाएगा सो मैं चुपचाप रीना को कमरे में ले आया।इतनी देर में पेशाब कर लेने के बाद मेरा लन्ड करीब 40% ढ़ीला हो गया था। मैंने रीना को बिस्तर पर सीधा लिटा दिया और फ़िर से उसकी चूत को चाटने लगा। मैं अपने हाथ से अपना लन्ड भी हिला रहा था कि वो फ़िर से टनटना जाए। देर लगते देख मैंने रीना को कहा कि वो मेरा लन्ड मुँह में ले कर जोर-जोर से चूसे।
रीना अब मुँह बना कर बोली-“नहीं, आप पेशाब करने के बाद इसको धोए नहीं थे, मैं देखी हूँ।”
मैंने उसको समझाया, “और जैसे तुमने अपनी चूत धोई थी…तुम देखी थी न कि मैं तुम्हारे चूत पर लगे पेशाब को कैसे चाट कर तेरी छॊटी बहन को दिखाया था…औरत-मर्द जब सेक्स करने को तैयार हों तो ये सब भूल-भाल कर एक दूसरे के लन्ड और चूत को पूरा इज्जत देना चाहिए। चूसो जरा तो फ़िर से जल्द कड़ा हो जाएगा। अभी इतना कड़ा नहीं है कि तुम्हारी चूत की सील तोड़ सके। अगर एक झटके में चूत की सील पूरी तरह नहीं टूटी तो तुमको हीं परेशानी होगी। इसलिए जरुरी है कि तुम इसको पूरा कड़ा करो।”
इसके बाद मैंने पहली बार रीना को असल स्टाईल में कहा, “चल आ जा अब, नखरे मत कर नहीं तो रगड़ कर साली तेरी चूत को आज हीं भोसड़ा बना दुँगा साली रंडी मादरचोद…” और मैंने अपने ताकत का इस्तेमाल करते हुए उसका मुँह खोला और अपना लन्ड उसकी मुँह में डाल दिया।
वो अनचाहे हीं अब समझ गई कि मैं अब जोर जबर्दस्ती करने वाला हूँ। वो बेमन से चूसने लगी पर मेरा तो अब तक कड़ा हो गया था। पर मैं अपना मूड बना रहा था, उसकी मुँह में लन्ड अंदर-बाहर करते हुए कहा, “वाह मेरी जान, क्या मस्त हो कर अपना मुँह मरवा रही हो, मजा आ रहा है मेरी सोनी-मोनी…” और मैं अब उसको प्यार से पुचकार रहा था। वो भी अब थोड़ा सहज हो कर लन्ड को चुस रही थी।
थोड़ी देर में मैं बोला, “चल अब आराम से सीधा लेटॊ, अब तुमको लड़की से औरत बना देता हूँ…बिन कोई फ़िक्र के आराम से पैर फ़ैला कर लेट और अपनी चूत चुदा….और फ़िर बन जा मेरी रंडी…”।
मैंने उसको सीधा लिटा दिया और उसकी जाँघो के बीच में आ गया। मेरा लन्ड एकदम सीधा फ़नफ़नाया हुआ था और उसकी चूत में घुसने को बेकरार था। मैंने उसको आराम से अपने नीचे सेट किया और फ़िर उसकी दोनों टाँगों से अपनी टाँगे लपेट कर ऐसे फ़ँसा दिया कि वो ज्यादा हिला न सके। इसके बाद मैंने अपने दाहिने हाथ को उसके काँख के नीचे से निकाल कर उसके कंधों को जकड़ते हुए उसके ऊपर आधा लेट गया। मेरा लन्ड अब उसकी चूत के करीब सटा हुआ था। अपने बाँए हाथ से मैंने उसकी दाहिनी चुची को संभाला और इस तरह से उसके छाती को दबा कर उसको स्थिर रखने का जुगाड़ कर लिया। पक्का कर लिया कि अब साली बिल्कुल भी नहीं हिल सकेगी जब मैं उसकी चूत को फ़ाड़ूंगा। सब कुछ मन मुताबिक करने के बाद मैंने उसको कहा कि अब वो अपने हाथ से मेरे लन्ड को अपने चूत की छेद पर लगा दे। और जैसे हीं उसने मेरे लन्ड को अपनी चूत से लगाया, मैंने जोर से कहा, “अब बोली साली….कि चोदो मुझे…बोल नहीं तो साली अब तेरा बलात्कार हो जाएगा। लड़की के न्योता के बाद हीं मैं उसको चोदता हूँ…मेरा यही नियम है।”
वो भी अब चुदने को बेकरार थी सो बोली, “चोदो मुझे….”
मैं बोला, “जोर से बोल कि तेरी माँ सुने….बोल कुतिया….जल्दी बोल मदर्चोद….”
भी जोर से बोली, “चोदो मुझे, अब चोदो जल्दी…आह…”.और उसकी आँख बन्द हो गयी।
मैंने अब अपना लन्ड उसकी चूत में पेलना शुरु कर दिया। धीरे-धीरे मेरा सुपाड़ा भीतर चला गया और इसके बान वो दर्द महसूस की। उसका चेहरा बता रहा था कि अब उसको दर्द होने लगा है। मैं उसके चेहरे पर नजर गड़ाए था और लन्ड भीतर दबाए जा रहा था। मै रुका तो उसको करार आया वो राहत महसूस की और आँख खोली।
मैं पूछा, “मजा आ रहा था?”
रीना बोली,”बहुत दर्द हुआ था….”।
मैं बोला – अभी एक बार और दर्द होगा, अबकि थोड़ा बरदास्त करना”।
मैंने अपना लन्ड हल्का सा बाहर खींचा और फ़िर एक जोर का नारा लगाया, “मेरी रीना रंडी की कुँआरी चूत की जय….रीना रंडी जिन्दाबाद….” मैंने इतनी जोर से बोला कि बाहर तक आवाज जाए। इस नारे के साथ हीं मैंने अपना लन्ड जोर के धक्के के साथ “घचाक” पूरा भीतर पेल दिया।
रीना दर्द से बिलबिला कर चीखी, “ओ माँ….मर गई……इइइइस्स्स्स्स्स्स्स्स अरे बाप रे…अब नहीं रे….माँ….” वो सच में अपनी माँ को पुकार रही थी।” पर एक कुँआरी लड़की की पहली चुदाई के समय कभी किसी की माँ थोड़े न आती है, सो बिन्दा भी सब समझते हुए बाहर हीं रही और मैं उसकी बेटी की चूत को चोदने लगा। घचा-घच….फ़चा-फ़च….घचा-घच….फ़चा-फ़च…..। रीना अब भी कराह रही थी और मैं मस्त हो कर उसके चेहरे पर नजर गड़ाए, उसके मासूम चेहरे पर आने वाले तरह-तरह के भावों को देखते हुए उसकी चूत की जोरदार चुदाई में लग गया।
रीना के रोने कराहने से मुझे कोई फ़र्क नहीं पर रहा था। आज बहुत दिन बाद मुझे कच्ची कली मिली थी, और मेरी नजर तो अब इसके बाद की संभावनाओं पर थी। घर में रीना के बाद भी दो और कच्ची कलियाँ मौजूद थीं। मैं रीना को चोदते हुए मन हीं मन रागिनी का शुक्रिया कर रहा था जो वो मुझे यहाँ बुलाई। करीब दस मिनट की कभी धीरे तो कभी जोर के धक्कमपेल के बाद जब मैं झड़ने के करीब था तो रीना का रोना लगभग बंद हो गया था। मैं रीना को बोला की अब मैं झड़ने वाला हूँ तो वो घबड़ा कर बोली, अब बाहर कीजिए, निकालिए बाहर, खींचिए न उसको मेरे अंदर से” और वो उठने लगी।
मगर मैं एक भार फ़िर उसको अपनी जकड़ में ले चुका था। पहली बार चूद रही थी, सो मैंने भी सोंचा कि उसको मर्द के पानी को भी महसूस करा दूँ। मैं रीना की चूत को अपने पानी से भर दिया।
वो घबड़ा रही थी, बोली – “बाप रे, अब कुछ हो गया तो कितनी बदनामी होगी। मैं अब निश्चिन्त हो कर अपना लन्ड बाहर खींचा, एक फ़क की आवाज आई। रीना की चूत एकदम टाईट थी, अभी भी मेरे लन्ड को जकड़े हुए थी।
मैंने रीना को कहा की अब वो पेशाब कर ले, ताकि जो माल भीतर मैंने गिराया है उसका ज्यादा भाग बाहर निकल जाए, और पेशाब से उसकी चूत भी थोड़ा भीतर तक धुल जाए। चुदाई के खेल के बाद पेशाब करना बेहतर हैं समझ लो इस बात को”, मैंने उसको समझाया।
वो अब कपड़े समेटने लगी तो मैंने कहा, “अब इस बार ऐसे बाहर जाने में क्या प्रौब्लम हैं चुदने के पहले तो नंगा बाहर जा कर मूती थी तुम?”
मैं देख रहा था कि अब वो थोड़ा शान्त हो गई थी और उसका मूड भी बेहतर हो गया था।
मेरे दुबारा पूछने पर बोली, “अब ऐसे जाने में मुझे शर्म आएगी?”
मैं पूछा, “क्यूँ भला…”।
वो सर नीचे कर के कही, “तब की बात और थी, अब मैं नई हूँ… पहले मैं लड़की थी और अब मैं औरत हूँ तो लाज आएगी न शुरु में सब के सामने जाने में…।”
मुझे शरारत सुझी, सो मैंने सब को नाम ले ले कर आवाज लगाई, “रागिनी…बिन्दा….रूबी….रीता…सब आओ और देखो, रीना को अब तुम लोग के सामने आने में लाज लग रहा है…मेरा सब माल अपने चूत में ले कर बैठी है बेवकूफ़…, बाहर जाकर धोएगी भी नहीं” कहते हुए मैं हँसने लगा।
मेरी आवाज पर रागिनी सबसे पहले आई और रीना की चूत में से उसकी जाँघो पर बह रहे पानी देख कर मुस्कुराई, “आप अंकल इस बेचारी की कुप्पी पहली हीं बार में भर दिए, ऐसे तो कोई सुहागरात को अपनी दुल्हन को भी नहीं भरता है” और वो कपड़े से उसकी चूत साफ़ करने लगी।
रीना शर्मा तो रही थी पर चुप थी। मैं भी बोला, “अरे सुहागरात को तो लड़कों को डर रहता है कि अगर दुल्हन पेट से रह गई तो फ़िर कैसे चुदाई होगी…. मैं तो हर बार नई सुहागरात मनाता हूँ। वैसे भी इतनी बार मैं निकालता हूँ कि मेरे वीर्य से स्पर्म तो खत्म ही हो गये होंगे, फ़िक्र मत करों, यह पेट से नहीं रहेगी।
अब तक मैंने कपड़े बदल लिए और बाहर निकल गया, कुछ समय बाद रागिनी अपने साथ रीना को ले कर बाहर आई। बिन्दा ने एक नजर रीना को देखा, और फ़िर झट से कहा, “जाओ, अब नहा-धो कर साफ़-सुथरी हो जाओ, मंदिर चलना है।”
रीना भी चुपचाप चल दी। मैंने देखा रूबी चुल्हे के पास है सो मैंने कहा एक कप और चाय पिला दो रूबी डार्लिंग , तुम्हार अहसान होगा, बहुत थक गया हूँ।”
रूबी ने मुँह बिचकाते हुए कहा, “हूँह, साँढ़ भी कहीं थकता है….।”
मैंने भी तड़ से जड़ दिया, “बछिया को चोदने में थकता है डार्लिंग …और तुम्हारी दीदी तो लाजवाब थी… अंत-अंत तक मेरे धक्के पर कराह रही थी, ऐसी कसी हुई चूत की मालकिन है।”
इस बात को सुन कर बिन्दा फ़िक्रमंद हो गई। मेरे से पूछी, “तब अब आगे कैसे होगा, शहर में तो बेचारी अकेली रह जाएगी, घुट-घुट कर रोएगी…”।

मैंने समझाया, “अरे नहीं बिन्दा, ऐसी बात नहीं है, अभी दो-चार बार और कर दुँगा तो सही हो जाएगी, जब पुरा मुँह खुल जाएगा। असल में न उसको आप सब के प्रोत्साहन की जरुरत है। आप उसको सब करने बोल रहे हैं पर खुल कर नहीं, जब सब आपस में बेशर्मी से बात-चीत करेंगे तो उसका दिमाग भी इस सब के लिए तैयार होने लगेगा और फ़िर बदन भी तैयार हो जाएगा। ऐसे मैं तो उसको 2-3 बार में ढ़ीला कर हीं दुँगा। आप तो जान चुकी हैं कि मेरा लंड आम लोग से मोटा भी है….सो जब मेरे से बिना दर्द के चुदा लेगी तो बाजार में कुछ खास परेशानी नहीं होगी। अभी तो जितनी टाईट है, अगर मैं हीं पैसा वसूल चुदाई कर दूँ जैसा कि कस्टमर आमतौर पर रंडियों की करते हैं तो बेचारी इतना डर जाएगी कि चुदाने के नाम पर उसकी नानी मरेगी।”

रूबी चाय ले आई थी और वहीं खड़े हो कर सब सुन रही थी। मैं कह रहा था, “उसको बहुत प्यार से आराम-आराम से अपने मोटे लन्ड के चोदा हूँ आज”।

रूबी अब बोली, “आपको अपनी मुटाई पर बहुत नाज है न, खुद से अपनी बड़ाई करते रहते हैं।”

उसको शायद मैं कुछ खास पसन्द नहीं था।”

मैंने उसको जवाब दिया, “ऐसी कोई बात नहीं है, मेरे से ज्यादा सौलिड लन्ड वाले हैं दुनिया में…पर मेरा कोई खराब नहीं है बल्कि ज्यादातर मर्दों से बहुत-बहुत बेहतर है….जब तुम बाजार में उतरोगी और कुछ अनुभव मिलेगा तब समझोगी।”

अब मैं दिल में सोंच रहा था कि जब इस कुतिया की सील तोड़ने की नौबत आएगी उस दिन वियाग्रा खा कर साली को फ़ाड़ दुँगा, वैसे भी मैं इसको खास पसन्द हूँ नहीं तो बेहतर होगा कि साली का बलात्कार हीं कर दूँ। इस घर में तो अब मेरे सात खून माफ़ होंगे।

बिन्दा सब सुन कर सर हिलाई, “ठीक है, अब तो यह आपके और रागिनी के हीं भरोसे है।”

रीना अब तैयार हो कर आ गयी तो बिन्दा, रीना और रूबी मंदिर चली गई। घर पर मेरे साथ रागिनी और रीता थीं। मैं भी अब नहाने धोने के सोच रहा था। जब मैं टट्टी के लिए गया तो रीता आंगन में नल पर नहाने लगी। मैं भी वहीं ब्रश करने लगा। सब दिन की तरह रीता आज भी सिर्फ़ एक पैन्ट में नहा रही थी। उसकी छॊती-छोटी चुचियाँ अभी तरीके से चुची बनी भी नहीं थी…एक उभार था जिसका आधा हिस्सा गुलाबी था, बड़े से एक रुपया के सिक्के जितना और उस पर एक बड़े किशमिश की साईज की निप्पल थी। आज आराम से गौर से उसकी छाती का मुआयना कर रहा था तो लगा कि कल मैंने जिसे चुचक कहा था…वह सही में अब चूची लग रहा है। यह बात अलग है कि अभी उसमें और ऊभार आना बाकी था। मैंने एक तौवेल लपेट रखा था अपनी कमर में।

रीना को चोदने के बाद से मैं ऐसे हीं टौवेल में घुम रहा था। नहाते हुए रीता बोली, “अंकल, क्या दीदी को बहुत तकलीफ़ हुई थी?”

मैंने उससे ऐसे सवाल की अभी उम्मीद नहीं की थी सो चौंक कर कहा, “किस बात से?”

अब रीता फ़िर से पूछी, “वही जब आप दीदी को कमरे में ले जाकर उसकी चुदाई कर उसको औरत बनाए तब?”

मै बोला, “अब थोड़ा बहुत तो हर लड़की को पहली बार में परेशानी होती है कुछ खास नहीं। पर इसमें मजा इतना मिलता है लड़की को कि वो इसक काम को बार-बार करते है मर्दों के साथ। अगर सेक्स में मजा नहीं आता तो क्या इतना परिवार बनता, फ़िर बच्चे कैसे होते और दुनिया कैसे चलती…सोचों।”

रीता कुछ सोंची, सब समझी फ़िर बोली, “तब दीदी इस तरह से कराह-कराह कर रो क्यों रही थी?”

मैं अब उसको समझाया, “वो रो नहीं रही थी बेटा…ऐसी आवाज जब लड़की को मजा मिलता है तब भी मुँह से निकलता है…आह आह आह। असल में तुम कभी ब्लू-फ़िल्म तो देखी नहीं होगी सो तुमको कुछ पता नहीं है। वैसे मैंने कमरा बन्द नहीं किया हुआ था, तुम चाहती तो आ जाती देखने।”

रीता अब खड़े हो कर बदन तौलिए से पोछते हुए बोली, “जैसे माँ तो मुझे जाने हीं देती…देखते नहीं हैं जब आप लोग बात करते हैं तो कैसे मुझे किसी बहाने वहाँ से हटाने की कोशिश करती है। अभी इतना बात कर पा रही हूँ कि वो अभी 2-3 घन्टे नहीं आएगी, मंदिर से बाजार भी जाएगी”। कल मैं उसको नहाते समय जब देखा तो चूची और खाँख का बाल हीं देख पाया था और बूर पर कैसे बाल होंगे सोचता रह गया था। आज मुझे भी मौका मिल रहा था कि उसकी बूर पर निकले ताजे बालों को देखूँ।

मैंने अब उसको एक औफ़र दिया, “रीता तुम मेरा एक बात मानो तो मैं तुमको अभी सब दिखा सकता हूँ, रागिनी है न…उसको अभी तुम्हारे सामने चोद दुँगा, फ़िर तुम सब देख समझ लेना कि कैसे तुम्हारी दीदी को मैंने औरत बनाया था।”

रीता की आँख में अनोखी चमक दिखी, “क्या बात है बोलिए जरुर मानुँगी।”

मैंने मुस्कुरा कर कहा, अगर तुम मेरे सामने अपनी पैन्ट भी खोल कर अपना बदन पोंछो…तो। असल में मैं तुम्हारी बूर पर निकले बालों को देखना चाहता हूँ, कभी तुम्हारी उम्र की लड़की की बूर नहीं देखी है न आज तक।”

मैंने सब साफ़ कह दिया। वो राजी हो गई और अपना पैन्ट नीचे ससार दी, फ़िर झुक कर उसको अपने पैरों से निकाल दिया।

बिन्दा की सबसे छोटी बेटी 13 साल की रीता की नंगी बूर मेरे सामने चमक उठी। वो मेरे सामने खड़ी थी। 5 फ़ीट लम्बी दुबली पतली, गोरी चिट्टी, गोल चेहरा, काली आँखें…चेहरे से वो सुन्दर थी, पर उसका अधखिला बदन…आह अनोखा था। एक दम साफ़ गोरा बदन, छाती पर ऊभार ले रही गोलाईयाँ, जो अभी नींबू से कुछ हीं बड़ी हुई होगी जिसमें से ज्यादा तर हिस्सा भूरा-गुलाबी था जिसके बीच में एक किशमिश के दाने बराबर निप्पल, जिसको चाटा जा सकता था पर चूसने में मेहनत करनी पड़ती। अंदर की तरफ़ हल्के से दबी हुई पेट जिसके बीच में एक गोल गहरी नाभी…और मेरी नजर अप उसकी और नीचे फ़िसली। दो पतले-पतली गोरी कसी हुई टाँगे और उसकी जाँघों की मिलन-स्थली का क्या कहना, मेरी नजर वहाँ जाकर अटक गई। थोड़ी फ़ुली हुई थी वह जगह, जैसे एक डबल रोटी हो जिसको किसी पेन्सील से सीधा चीरा लगा दिया गया हो। चाकू नहीं कह रहा क्योंकि रीता की डबल रोटी इतनी टाईट थी कि तब शायद चीरा भी ठीक से न दिखता। इसीलिए पेन्सील कह रहा हूँ क्योंकि उसकी उस फ़ुली हुई डबल रोटी में चीरा दिख रहा था, लम्बा सा, करीब 4 ईंच का तो मुझे सामने खड़े हो कर दिख रहा था। मेरी पारखी नजरों ने भाँप लिया कि इसमे करीब दो ईंच का छेद होगा, वो दरवाज जो हर मर्द को स्वर्ग की सैर पर ले जाता है।उस चीरे से ठीक सटे ऊपर की तरफ़ काले बालों का एक गुच्छा सा बन रहा था। औसतन करीब आधा ईंच के बाल रहे होंगे, सब के सब एक दुसरे से सटे बहुत घने रूप से बहुत हीं कम क्षेत्र में, फ़ैलाव तो जैसे था हीं नहीं। अगर नाप बताऊँ तो 1 ईंच चौड़ाई और करीब 3 ईंच लम्बाई में हीं उगी थी अभी उसकी झाँट। इसके बाद के इलाके में जो बाल था उसको मैं झाँट भी नहीं कहुँगा…बस रोएँ थे जो भविष्य में झाँट बनने वाले थे।

मैंने बोला, “एक बार जरा अपने हाथ से अपनी बूर को खोलो न जरा सा।”

वो तुरन्त अपने दोनों हाथों से अपनी बूर की फ़ुली हुई होठ को फ़ैला दी। मैं भीतर का गुलाबी भाग देख कर मस्त हो गया।

तभी वो अपना कपड़ा उठा ली, “अब चालिए न दिखा दीजिए जल्दी से रागिनी दीदी का…कहीं माँ आ गई तो बस….।”

मेरा लन्ड वैसे भी गनगनाया हुआ था, सो मैंने रागिनी को पुकारा, “रगिनी….”।

हम लोग के नाश्ते की तैयारी कर रही थी। वो चौके में से हीं पूछा, “क्या चाहिए…?”

मैंने कह दिया, “तेरी चूत….आओ जल्दी से।”

रागिनी अब मुस्कुराते हुए आई, “आपका मन अभी भरा नहीं अभी तो रीना को चोदे हैं।”

मैंने मक्खनबाजी की, “अरे रीना तो भविष्य की रन्डी है जबकि तू ओरिजनल है…सो जो बात तुझमें है, वो और किसी में नहीं (मैंने जो बात तुझमें है तेरी तस्वीर में नहीं – गाने के राग में कहा)”।

रागिनी हँस पड़ी, “अरे अभी नास्ता-पानी कीजिए दस बज रहे हैं”

मैं अब असल बात बताया, “असल बात यह है रागिनी की रीता का मन है कि वो एक बार चुदाई देखे और बिन्दा के घर पर रहते तो यह संभव है नहीं सो….”।

अब रागिनी बिदकी, “हत…., वो अभी बच्ची है, उसकी उम्र हीं क्या है 13-14…. यह सब दिखा कर उसको क्यों बिगाड़ रहे हैं आप?”

और रागिनी अब रीता पर भड़की, रीता का मुँह बन गया।

मैंने तब बात संभाली, “रागिनी, प्लीज मान जाओ…मेरा भी यही मन है। बेचारी अब ऐसी भी बच्ची थोड़े ना है, और फ़िर अब जिस माहौल में रह रही है….यह सब तो जानना हीं होगा उसको।”

रागिनी शांत हो कर बोली, “ठीक है…पर एक उम्र होती है इस सब की , और रीता अभी उस हिसाब से कम उम्र की है।”

मैं फ़िर से रीता की तरफ़दारी में बोला, “पर रागिनी तुमको भी पता है रीता से कम उम्र के लड़की को भी लोग चोदते हैं, यहाँ तो बेचारी को मैं सिर्फ़ दिखा रहा हूँ, अगर अभी मैं उसको चोद लूँ तो…? एक बात तो पक्का है कि वो अब तुम्हारे उमर के होने तक कुँवारी नहीं बचेगी। बिन्दा खुद हीं उसको चुदाने भेज देगी, जब रीना की कमाई समझ में आएगी। उसके पार तो दो और बेटी है। वैसे अब बहस छोड़ो मेरी बच्ची….मेरा भी मन है कि मैं उसको सेक करके देखाऊँ। तुम मेरी यह बात नहीं मानोगी मेरी बच्ची….” मेरा स्वर जरा भावुक हो गया था।

रागिनी तुरन्त मेरे से लिपट गई। आप ऐसा क्यों कहते हैं अंकल , मुझे याद है कि आप ने मुझे पहली बार कितना ईज्जत दी थी और मैंने प्रौमिस किया था कि आपके लिए सब करुँगी।”

फ़िर वो रीता को बोली, “आ जाओ कमरे में चलते हैं।”

कमरे में पहुँचते हीं मैंने रागिनी को बाहों में समेट कर चुमना शुरु किया और वो भी मुझे चुम रही थी। मैंने रागिनी को याद कराया कि उन सब को गए काफ़ी समय बीत गया है सो जल्दी-जल्दी कर लेते हैं, तो वो हटी और अपने कपडे उतारने लगी। मैंने अपने टॉवेल खोले। मैंने रीता को भी पूरी तरह नंगी होने को कहा.

वो बोली – क्यों?

मैंने कहा – चुदाई देखते समय दुसरे को भी नंगा रहना चाहिए.

बेचारी रीता ने अपने बदन पर के एकलौते वस्त्र पेंटी को उतार दिया और नंगी खडी हो गयी.

रागिने ने रीता को दिखा कर मेरा लन्ड अपने हाथ में लिया और चुसने लगी। रीता सब देख रही थी। मैंने बताया, ऐसे जब लन्ड को चूसा जाता है तो वो कड़ा हो जाता है, जिससे की लड़की की चूत में उसको घुसाने में आसानी होती है। इसके बाद मैंने रागिनी को लिटाकर उसकी क्लीट को सहलाया और फ़िर मसलने लगा। रागिनी पर मस्ती छाने लगी। मैंने रीता को बताया कि ऐसे करने से लड़की को मजा आता है, तुम अपने से भी यह कर सकती हो, जब मन करे। फ़िर मैंने रागिनी की चूत में अपनी ऊँगली घुसा कर उअको बताया कि लड़की कैसे सही तरीके से हस्तमैथुन कर सकती है। मैंने देखा की रीता की चूत से पानी निकल रहा है. यानि इसे मज़ा आ रहा है. इसके बाद मैंने रागिनी की चूत में अपना लन्ड पेल दिया।

रागिनी के मुँह से एक आह निकली तो मैंने कहा, “इसी “आह आह” को न तुम बोल रही थी कि दीदी रो क्यों रही थी…देख लो जब कोई लड़की चुदती है तो उसके मुँह से आह आह और भी कुछ कुछ आवाज निकलने लगती है, जब उनको सेक्स का मजा मिलता है। तुम्हारे मुँह से भी अपने आप निकलेगा जब तुम्हें चोदुँगा।”

यह कहने के बाद मैंने ने जोरदार धक्कम्पेल शुरु कर दिया। हस-हच फ़च-फ़च की आवाज होने लगी थी और मैं अपने लन्ड को एक पिस्टन की तरह रागिनी की चूत में अंदर-बाहर कर रहा था।

रीता पास में खड़ी हो कर सब देखी, और फ़िर मैं झड़ गया…रागिनी की चूत के भीतर हीं…. रागिनी भी अब शान्त हो गई थी।

मैं उठा और रीता से पूछा, “अब सीख समझ गई सब?”

उसके “जी” कहने पर मैंने कहा, “फ़िर चलो अब मुझे गुरु दक्षिणा दो..”।

रीता मुस्कुराते हुई पूछे, “कैसे…?”

मैंने मुस्कुरा कर कहा, “मेरे लन्ड को चाट कर साफ़ कर दो, बस…..”।

और घोर आश्चर्य…..रीता खुशी-खुशी झुकी और मेरे लन्ड को चाटने लगी। रागिनी सब देख रही थी पर चुप थी। मैंने रीता के मुँह में अपना लन्ड घुसा दिया और फ़िर उसका सर पीचे से पकड़ कर उसकी मुँह में लन्ड अंदर-बाहर करने लगा। एक तरह से अब मैं उस लड़की की मुँह मार रहा था और रीता भी आराम से अपना मुँह मरा रही थी। तभी बाहर से दरवाजा खटखटाने की आवाज आई। सब लोग आ गए थे।

रीता तुरन्त अपनी पेंटी ले कर किचेन में भाग गई फ़िर वहाँ से आवाज दी, “खोल रही हूँ…रूको जरा।”

मैं दो कदम में नल पर पहुँच गया एक तौलिया को लपेट कर। रागिनी कपड़े पहनने लगी। दरवाजा खुला तो सब सामान्य था। मैं नास्ते के बाद घुमने निकल गया। मैंने रागिनी और रीता को साथ ले लिया क्योंकि रूबी और रीना पहले हीं दो घन्टे के करीब चल कर थक गए थे।

उस दिन मैंने तय किया कि अब एक बार रीना को सब के सामने चोदा जाए, और फ़िर इस जुगाड़ में मैंने रागिनी और रीता को भी अपने साथ मिला लिया। रागिनी ने मुझे इसमें सहयोग का वचन दिया।

घर लौटने के बाद मैंने दोपहर के खाने के समय कहा, “बिन्दा, अभी खाने के बाद दो घन्टे आराम करके रीना को फ़िर से चोदुँगा, अभी जाने में दो दिन है तो इस में 4-5 बार रीना को चोद कर उसको फ़िट कर देना है ताकि शहर जाकर समय न बेकार हो, और वो जल्दी से जल्दी कमाई कर सके।

रागिनी भी बोली, “हाँ अंकल, उसकी गाँड़ भी तो मारनी है आपको, क्या पता पहला कस्टमर हीं गाँडू मिल गया तो….”।

बिन्दा चुप थी, और थोड़ा परेशान भी कि वहाँ उसकी दोनों छोटियाँ भी थीं। रीता अब बोली, “दीदी, अब तो तुम्हारे मजे रहेंगे, खुब पैसा मिलेगा तुम्हें।”

मैं बोला, “हाँ एक रात का कम से कम 5000 तो जरुर मिलेगा रीना का रेट। सप्ताह में 5 दिन भी गई तो 25000 हर सप्ताह, या क्या पता कुछ ज्यादा भी।”

अब पहली बार रूबी कुछ प्रभावित हो कर बोली, “वाह …..5 दिन काम का महिने का 1 लाख….यह तो बेजोड़ काम है…हैं न माँ…”।

मैंने कहा, “हाँ पर उसके लिए मर्द को खुश करने आना चाहिए, तभी इसके बाद टिप भी मिलेगा। यही सब तो रीना को अभी सीखना है शहर जाने से पहले।”
बिन्दा चुप चाप वहाँ से ऊठ गई, मैं उसके जाते जाते उसको सुना दिया, “आज जब दोपहर में तुम्हारी दीदी चुदेगी, तब तुम भी रहना साथ में सीखना….साल-दो साल बाद तो तुम्को भी जाना हीं है, पैसा कमाने।”

दोपहर करीब 3 बजे मैंने रीना को अपने कमरे में पुकारा। रागिनी और रीता मेरे साथ थीं। दो बार आवाज देने के बाद रीना आ गई, तो मैंने रूबी को पुकारा, “रूबी आ जाओ देख लो सब, अभी शुरु नहीं हुआ है जल्दी आओ…” और कहते हुए मैंने रीना के कपड़े उतारने शुरु कर दिए। जब रूबी रूम में घुसी उस समय मैं रीना की पैन्टी उसकी जाँघों से नीचे सरार रहा था। रूबी पहली बार ऐसे यह सब देख रही थी, सो वो भौंचक रह गई। रीना ने नजर नीचे कर लीं, तब रागिनी ने रूबी को अपने पास बिठा लिया और मुझसे बोली, अंकल आज इसकी एक बार गाँड़ मार दीजिए न पहले, अगर दर्द होगा भी तो बाद में जब उसको चोदिएगा तो उस मजे में सब भूल जाएगी।”

मुझे उसका यह आईडिया पसन्द आया। उसको इस तरह के दर्द और मजे का पूरा अनुभव था। सो मैंने जब रीना को झुकाया तो वो बिदक गई, कि वो अपने पिछवाड़े में नहीं घुसवाएगी। मैं और रागिनी उसको बहुत समझाए पर वो नहीं मानी तो रागिनी बोली, “ठीक है तुम देखो कि मैं कैसे गाँड़ मरवाती हूँ अंकल से, इसके बाद तुम भी मराना। अगर शहर में रंडी बनना है तो यह सब तो रोज का काम होगा तुम्हारा।” कहते हुए वो फ़टाक से नंगी हो कर झुक गई। मैंने उसकी गाँड़ की छेद पर थुका और फ़िर अपनी ऊँगली से उसकी गाँड़ को खोलने लगा। थुक और मेरे प्रयास ने उसकी गाँड़ को जल्दी हीं ढ़ीला कर दिया। तब एक बार भरपूर थुक को अपने लन्ड पर लगा कर मैंने अपने टन्टनाए हुए लन्ड को उसकी गाँड़ में दबा दिया। रागिनी तो एक्स्पर्ट थी, सो जल्द हीं अपने मस्ल्स को ढीला करते हुए मेरा पूरा लन्ड 8″ अपने गाँड़ के भीतर घुसवा ली। रूबी और रागिनी का मुँह यह सब देख कर आश्चर्य से खुला हुआ था। 8-10 धक्के हीं दिए थे मैंने कि रागिनी एक झटके से अपने गाँड़ को आजाद कर ली और फ़िर रीना को पकड़ कर कहा कि अब आओ और गाँड़ मरवाओ।

रीना भी सकुचाते हुए झुक गई, और एक बार फ़िर मैं थुक के साथ उसकी गाँड़ पे ऊँगली घुमाने लगा। रागिनी भी कभी उसकी चूत सहालाती तो कभी अपने चूत से निकल रहे गिलेपने से तो कभी अपने थुक से उसकी गाँड़ को गीला करने में लग गयी थी। जब मुझे लगा कि अब रीना की गाँड़ को मेरे उँगली की आदत पर गई है तो मैं ने उसकी गाँड़ में अपना एक फ़िर दुसरा उँगली घुसा दिया। दर्द तो हुआ था पर रीना बर्दास्त कर ली। इसके बाद उसके रजामन्दी से मैं उपर उठा और अपले लन्ड को उसकी गाँड़ की गुलाबी छेद पर टिका कर दबाना शुरु किया। रागिनी लगातार उसकी चूत में ऊँगली कर रही थी ताकि मजे के चक्कर में उसको दर्द का पता न चले, और मैं उसकी कमर को अपने अनुभवी हाथों में जकड़ कर उसकी कुँवारी गाँड़ का उद्घाटन करने में लगा हुआ था। जल्द हीं मैं उसकी गाँड़ मार रहा था। अब मैंने रूबी और रीता को देखा, दोनों अपनी बड़ी-बड़ी आँखों से अपनी दीदी की गाँड़ मराई देख रही थी। करीब 7-8 मिनट के बाद मैं उसकी गाँड़ में हीं झड़ गया और जब लन्ड बाहर निकला तो उसकी गाँड़ से सफ़ेद माल बह चला उसकी चूत्त की तरफ़….तभी बिना समय गवाँए, मैंने अपना लन्ड उसकी चूत में ठाँस दिया। लन्ड अपने साथ मेरा सफ़ेद माल भी भीतर ले कर चला गया।

रूबी अब बोली, “अरे ऐसे तो दीदी को बच्चा हो जाएगा…”

मैने जोश में भरकर कहा, “होने दो…होने दो….होने दो….और हर होने दो के साथ हुम्म्म्म्म करते हुए अपना लन्ड जोर से भीतर पेल देता। बेचारी की अब चुदाई शुरु थी, जबकि वो चक्कर में थी कि गाँड़ मरवा कर आराम करेगी।

वो थक कर कराह उठी….पर लड़की को चोदते हुए अगर दया दिखाया गया तो वो कभी ऐसे न चुदेगी, यह बात मुझे पता थी। सो मैं अब उसके बदन को मसल कर ऐसे चोद रहा था जैसे मैं उसके बदन से अपना सारा पैसा वसूल कर रहा होऊँ। रीना कराह रही थी….और मैं उसकी कराह की आवाज के साथ ताल मिला कर उसकी चूत पेल रहा था। मेरा लन्ड दूसरी बार झड़ गया, उसकी चूत के भीतर हीं। इसके बाद मैं भी थक कर निढ़ाल हो एक तरह लेट गया। रागिनी झुक कर मेरे लन्ड को चूस चाट कर साफ़ करने लगी।

मैने उस रात रीना को अपने पास ही सुलाया और रात मे एक बार फ़िर चोदा, पर इस बार प्यार से, और इस बार उसको मजा भी खुब आया। वो इस बार पहली बार मुझे लगा कि सहयोग की और ठीक से बेझिझक चुदी। सुबह जब हुम जगे तो सब पहले से जाग गए थे। रीना कमरे से बाहर जाने लगी तो मैंने उसको पास खींच लिया और चुमने लगा।

वो बोली, “ओह अब सुबह में ऐसे नहीं कैसा गंदा महक रहा है बदन…पसीना से।”

मैंने कहा, “अब मर्द के बदन की गन्ध की आदत डालो, बाजार में सब नहा धो कर नहीं आएँगे चोदने तुम्हें…और तुम भी तो महक रही हो, पर मुझे तो बुरा नहीं लग रहा….मैं तो अभी तुम्हारी चूत भी चाटूँगा और गाँड भी।”

फ़िर उसके देखते देखते मैं उसकी चूत चुसने चाटने लगा और वो भी गर्म होने लगी। जल्द हीं उसकी आह आह कमरे में गुंजने लगी, और शायद आवाज बाहर भी गयी, क्योंकि तभी बिन्दा बोली, “उठ गई तो बेटी तो जल्दी से नहा धो लो और तैयार हो जाओ आज बाजार जा कर सब जरुरत का सामान ले आओ, कल तुमको रागिनी के साथ शहर जाना है, याद है ना।”

रीना बोली-“हाँ माँ, पर अब ये मुझे छोड़े तब ना…इतना गन्दा हैं कि मेरा बदन चाट रहे हैं।”

मैंने जोर से कहा, “बदन नहीं बिन्दा, आपकी बेटी की चूत चाट रहा हूँ….आप चाय बनवा कर यहीं दे दीजिए….तब तक मैं एक बार इसको चोद लूँ जल्दी से।” यह कह कर मैंने रीना को सीधा लिटा कर उसके घुटने मोड़ कर जाँघों को खोल दिया। और अपना लन्ड भीतर गाड़ कर उसकी चुदाई शुरु कर दी। आह्ह्ह्ह्ह आह्ह्ह्ह का बाजार गर्म था। और जैसे हीं मैं उसकी चूत में हीं झड़ा…घोर आश्चर्य……बिन्दा खुद चाय ले कर आ गई।

बिन्दा यह देख कर मुस्कुराई…तो मैंने अपना लन्ड पूरा बाहर खींच लिया…पक्क की आवाज हुई और रीना की चूत से मेरा सफ़ेदा बह निकला।

बिन्दा यह देख कर बोली, “अरे इस तरह इसके भीतर निकालिएगा तब तो यह बर्बाद हो जाएगी” . वो जल्दी-जल्दी अपने साड़ी के आँचल से उसकी चूत साफ़ करने लगी। रीना भी उठ बैठी तो बिन्दा उसकी चूत की फ़ाँक को खोल कर पोछी। मैं बिना कुछ बोले बाहर निकल गया हाथ में चाय ले कर, और थोड़ी देर में रीना और बिन्दा भी आ गई। फ़िर हम लोग सब जल्दी-जल्दे तैयार हुए। आज बिन्दा ने अपने हाथ से सारा खाना बनाना तय किया और रीना और रागिनी को मेरे साथ बाजार जा कर सामान सब खरीद देने को कहा। हमें अगले दिन वहाँ से निकलना था और मैंने तय किया कि आज की रात को रीना की चुदाई जरा पहले से शुरु कर दुँगा, क्योंकि आज मैं उसको वियाग्रा खा कर सबके सामने चोदने वाला था। अब जबकि बिन्दा सुबह अपनी बेटी की चूत से मेरे सफ़ेदा को साफ़ कर हीं ली थी तो मैं पक्का था कि आज के शो में वो एक दर्शक जरुर बनेगी। मैंने बाजार में हीं रीना को इसका ईशारा कर दिया था कि आज की रात मैं उसको रंडियों को जैसे चोदा जाता है वैसे चोदुँगा।

मैंने उससे कहा, “रीना बेटी, आज की रात तुम्हारी स्पेशल है। आज मैं तुम्हें सब के सामने एक रंडी को जैसे हम मर्द चोदते हैं वैसे चोदुँगा। अभी तक मैं तुम्हें अपनी बेटी की तरह से चोद रहा था और तुम्हें भी मजा मिले इसका ख्याल रख रहा था, पर आज की रात मैं तुम्हारे मजे की बात भूल कर केवल एक मर्द बन कर एक जवान लड़की के बदन को भोगुँगा तो तुम इस बात के लिए तैयार रहना। शहर में लोगों को तुम्हारे खुशी का ख्याल नहीं रहेगा। उन्हें तो सिर्फ़ तुम्हारे बदन से अपना पैसा वसूल करना रहेगा। करीब 2 बजे हम लोग घर आए और फ़िर खाना खा कर आराम करने लगे।

रीना अपनी माँ और बहनों के पास थी और रागिनी मेरे पास। हम दोनों अब आगे की बात पर विचार कर रहे थे। मैंने कहा भी कि अब अगले एक सप्ताह तक मुझे काम से छुट्टी नहीं मिलेगी सो आज रात मैं अपना कोटा पूरा कर लुँगा तब रागिनी बोली हाँ और नहीं तो क्या…अब वहाँ जाने के बाद सूरी तो रीना की लगातार बूकिंग कर देगा, जब उसको पता चलेगा कि यह शहर सिर्फ़ कौल-गर्ल बनने आई है। एक तरह से ठीक हीं है आज रात में रीना को जरा जम कर चोद दीजिए कि उसको सब पता चल जाए कि वहाँ हम लोग क्या-क्या झेलते हैं अपने बदन पर।”

मैंने आज शाम की चाय के समय हीं सब को कह दिया कि आज रात में मैं रीना को बिल्कुल जैसे एक रंडी को कस्टमर चोदता है वैसे से चोदुँगा और आप सब वहाँ देखिएगा और रागिनी मेरे रूम में रीना को वैसे हीं लाएगी जैसे रीना को दलाल लोग मर्दों की रुम तक छोड़ कर आएँगे। सबसे पहले सबसे छोटी बहन रीता की मुँह से निकला “वाह … मजा आएगा आज तो”,

फ़िर मैंने बिन्दा को कहा, “अपनी बेटी की पहली दुकानदारी पर वहाँ रहोगी तो उसका हौसला रहेगा…अगर साथ में घरवालें हों तो।” उसके चेहरे से लगा कि अब वो भी अपना सिद्धान्त वगैरह भूल कर, “जो हो रहा है अच्छा हो रहा है”, समझ कर सब स्वीकार करने लगी है। उन सब के आश्वस्त चेहरों के देख मैं मन हीं मन खुश हुआ…आजकल मेरी चाँदी है, अब एक बार फ़िर मैं एक माँ के सामने उसकी बेटी को चोदने वाला था…और ऐसी चुदाई के बारे में सोच-सोच कर हीं लन्ड पलटी खाने लगा था। मैंने करीब 8 बजे खाना खाया हल्का सा और रीना को भी हल्का खाना खाने को कहा। फ़िर करीब 9 बजे मैंने वियाग्रा की एक गोली खा ली, रागिनी मुझे वियाग्रा खाते देख मुस्कुराई…वो समझ गई थी कि आज कम से कम 7-8 घन्टे का शो मैं जरुर दिखाने वाला हूँ उसकी मौसी और मौसेरी बहनों को।

करीब पौने दस बजे मैंने रीना को आवाज लगाई जो अपनी बहनों के साथ अपना सामान पैक कर रही थी। जल्द हीं जब सब समेट कर वो आई तो मैंने उसी को जाकर सब को बुला लाने को कहा और फ़िर खुद सब के लिए नीचे जमीन पर हीं दरी बिछाने लगा। कमरे में एक तरफ़ मैंने बेड को बिछा दिया था। करीब दस मिनट में सब आ गए, सबसे बिस्तर से लगे दरी पर बैठ गए तब रागिनी अपने साथ रीना को लाई।

रागिनी एकदम सूरी के अंदाज में बोली, “लीजिए सर जी, एक दम नया माल है। आपके लिए हीं इसको बुलाया है सर जी, पहाड़न की बेटी है…खुब मजा देगी। रात भर चोदिएगा तब भी सुबह कड़क हीं मिलेगी। अभी तो इसकी चूचियाँ भी नहीं खिली हैं देखिए कैसी कसक रही है”….कह कर उसने रीना की बायीं चूची को जोर से दबा दिया। वहाँ बैठी सभी लोग रागिनी की ऐसी भाषा सुन कर सन्न थे और उसकी अदाकारी का फ़ैन हो रहा था। फ़िर उसने रीना को मेरी तरफ़ ठेल दिया जिसे मैंने बिना देर किए अपनी तरफ़ खींचा। वियाग्रा खाए करीब एक घन्टा हो गया था सो मेरा लन्ड लगभग टन्टनाया हुआ था। बिना देर किए मैंने रीना के बदन से कपड़े उतारने शुरु कर दिए। पहले दुपट्टा, फ़िर कुर्ती इसके बाद सलवार….। रीना को ऐसी उम्मीद न थी सो मेरी फ़ुर्ती पर वो हैरान थी, और बिना देर किए मैंने उसकी पैन्टी नीचे सरार दी और जब तक वो समझे मैंने उस पैन्टी को उसके ताँगों से निकाल दिया और एक धक्के के साथ उसे नीवे बिछे बिछावन पर लिटा दिया। उसकी दोनों टाँगों को घुटने के पास से पकड़कर खोल दिया और फ़िर उसकी चूत में अपना टनटनाया हुआ लन्ड घुसा कर चोदने लगा। बेचारी सही से गीली भी नहीं हुई थी और उसको मेरे लन्ड पर लगे मेरे थुक के सहारे हीं अपनी चूत मरानी पड़ी सो वो कराह उठी। पर लौन्डिया नया-नया जवान हुई थी सो 5-6 धक्के के बाद हीं गीली होने लगी और मेरा लन्ड अब खुश हो कर मस्ती करने लगा। रीना की माँ और उसकी दोनों बहने वहीं बैठ कर सब देख रही थी। करीब 10 मिनट तक लगातार कभी धीरे तो कभी जोर से मैं उसको चोदा और फ़िर उसकी चूत में झड़ गया। किसी को इसका अंदाजा न था, पर जब मैंने अपना लन्ड बाहर खींचा तो रीना की चूत में से मेरा सफ़ेद माल बह चला।

मैंने बिना देरी किए रीना के मुँह में अपना लन्ड घुसा दिया जो ईशारा था उसके लिए, जिसको समझ कर वो मेरे लन्ड को चुस-चाट कर साफ़ की तो मैंने उसको पलट दिया और फ़िर उसकी गाँड़ मारने लगा। उस दिन लगातार चार बार मैं झड़ा, दो बार उसकी चूत में और एक-एक बार उसकी गाँड़ और मुँह में। इसके बाद मैंने पानी माँगा। बेचारी रीना थक कर चूर थी और वो मुँह से न बोल कर ईशारे से अपने लिए भी पानी माँगी।

बिन्दा हमारे लिए पानी लेने चली गई तो मैंने ईशारा किया और रीता मेरे पास आ कर मेरे लन्ड को चुसने लगी। बिन्दा जब पानी ले कर आई तो यह देख सन्न रह गई कि उसकी सबसे लाडली और छोटी बेटी अपने से 31-32 साल बड़े एक मर्द का लन्ड चूस रही है, वो भी उस मर्द का जो उसकी माँ के साथ अभी-अभी उसके सामने उसकी बड़ी बहन को चोदा था। वो गुस्से से भर कर रीता को मेरे ऊपर से हटाई तो रागिनी मेरे सामने बैठ कर लन्ड चूसने लगी और जैसे हीं बिन्दा ने एक थप्पड़ रीता को लगाया रुँआसी हो कर बोल पड़ी, “ये सब देख कर मन हो गया अजीब तो मैं क्या करूँ, तुम तो अंकल से चुदा ली और दीदी को भी चुदा दी और मुझे जो मन में हो रहा है उसका क्या? एक बार अंकल का छू ली तो कौन सा पाप कर दी, कुछ समय के बाद मुझे भी तो ऐसे हीं चुदाना होगा तो आज क्यों नहीं?”

अब रीना तो मैं अगले दौर के लिए खींच लिया था और रागिनी उन माँ-बेटी में सुलह कराने के ख्याल से बोली, “रीता अभी तुम छोटी हो, अभी कुछ और बड़ी हो जाओ फ़िर तो यह सब जिन्दगी भी करना हींहै} अभी से उतावली होगी तो तुम्हारा समय से पहले हीं ढ़ीला हो जाएगा फ़िर किसी को मजा नहीं आएगा न तुमको और न हीं जो तुमको चोदेगा उसको। अभी तो ठीक से झाँट भी नहीं निकला है तुमको।”

मैंने कहा – देखिये बिंदा जी. आज मैंने वियग्रा खाया है. मेरा लंड अभी शांत नही होगा. आपकी रीना तो अभी ही पस्त हो गयी है. अब मै किसे चोदुं?

बिंदा ने कहा – आप मुझे चोद लीजिये.

मैंने कहा – आईये , कपडे उतार कर आ कर नीचे लेट जाईये.

बिंदा ने सिर्फ साड़ी पहन रखी थी. उसने झट अपनी साड़ी उतारी. साड़ी के नीचे उसने ना ब्रा पहनी थी ना ही पेंटी. वो रागिनी और अपनी सभी बेटियों के सामने नंगी हो कर मेरे लंड को चूसने लगी. रीना ने लेटे लेटे ही अपनी चूत में अपनी उंगली डाल कर अपनी माँ को मेरा लंड चूसते हुए देख रही थी. अब मैंने देर करना उचित नही समझा. मैंने बिंदा को पटक कर जमीन पर लिटाया और उसकी टांगों को मोड़ कर अलग कर उसके बुर को फैलाया और अपना विशाल लंड उसके चूत में घचाक से डाल दिया. कई मर्दों से चुदा चुकी बिंदा को भी मेरे इस मोटे लंड का अहसास नही था. वो दर्द के मारे बिलबिला गयी. लेकिन वो मेरे झटके को सह गयी. अब मै उसकी चूत को पलना चालु कर दिया. उसकी बेटियां अपनी माँ की चुदाई काफी मन से देख रही थी. करीब १५ मिनट की चुदाई में बिंदा ने 3 बार पानी छोड़ा. लेकिन मेरे लंड से 15 वें मिनट पर माल निकला जो उसकी चूत में ही समा गयी. अब बिंदा भी पस्त हो कर जमीन पर लेट गयी थी. लेकिन मै पस्त नहीं हुआ था. अब रागिनी की बारी थी. वो तो पेशेवर रंडी थी. मैंने सिर्फ उसे इशारा किया और वो बिंदा के बगल में जमीन पर नंगी लेट गयी.

लेकिन मैंने कहा – रागिनी तेरी गांड मारनी है मेरे को.

रागिनी मुस्कुराई और खड़ी हो कर एक टेबल पकड़ कर नीचे झुक गयी. मैंने उसकी कई बार गांड मारी थी. इसलिए मेरे लंड को उसके गांड के अन्दर जाने में कोई परेशानी नही हुई. तक़रीबन 200 बार उसके गांड में लंड को आगे -पीछे करता रहा. लेकिन वो सिर्फ मुस्कुराते रही. बिंदा और उसकी बेटियां मुझे रागिनी की गांड मारते हुए देख रही थी.

मैंने कहा – देखा बिंदा, इसे कहते हैं गांड मरवाना, देखो इसे दर्द हो रहा है?

रूबी ने कहा – रागिनी दीदी तो रोज़ 10-12 बार गांड मरवाती हैं तो दर्द क्या होगा?

मैं रागिनी की गांड मारते हुए हंसने लगा. रागिनी ने भी मुस्कुराते हुए रूबी से कहा – आजा, तू भी गांड मरवा के देख ले अंकल से. तुझे भी दर्द नहीं होगा.

रूबी ने कहा – ना बाबा ना. मै तो सिर्फ चूत चुदवा सकती हूँ आज. गांड नही.

यह सुन कर मेरी तो बांछें खिल गयी. मैंने कहा – खोल दे अपने कपडे , आज तेरी भी चूत की काया पलट कर ही दूँ. क्यों बिंदा क्या कहती हो?

बिंदा ने कहा – जब चुदाई देख कर रीता की चूत पानी छोड़ने लगी है तो रूबी तो उस से बड़ी ही है. उस की तमन्ना भी पूरी कर ही दीजिये. लेकिन प्यार से. रूबी, अपने कपडे उतार कर तू भी हमारी बगल में लेट जा.

माँ की परमिशन मिलते ही रूबी ने अपनी कुर्ती और सलवार उतार दिया. अन्दर उसने सिर्फ पेंटी पहन रखी थी. जो पूरी तरह गीली हो चुकी थी. सीने पर माध्यम आकार के स्तन विकसित हो चुके थे. रूबी पेंटी पहने हुए ही अपनी माँ के बगल में लेट गयी. बिंदा ने उसकी पेंटी को सहलाते हुए कहा – क्यों री , तेरी चूत से इतना पानी निकल रहा है?

रागिनी ने अपनी गांड मरवाते हुए कहा – क्यों नहीं निकलेगा पानी मौसी? इतनी चुदाई देखने के बाद तो 100 साल की बुढ़िया की चूत भी पानी छोड़ देगी . ये तो 16 साल की जवान है.

जवाब सुन कर हम सभी को हँसी आ गयी. बिंदा ने रूबी की पेंटी खोल दी. और उसकी चिकनी गीली चूत सहलाने लगी.

बिंदा बोली – क्यों री रूबी, ये चूत तुने कब शेव किया? दो दिन पहले तक तो बाल थे तेरी चूत पर.

रूबी – उस रात को जब अंकल तुम्हे चोद रहे थे ना तब तू अंकल से कह रही थी कि मेरी चूत के बाल फँस गए हैं . तभी मै सजग हो गयी थी. और उसी रात को चूत की शेव की थी मैंने. मुझे पता था कि क्या पता कब मौका लग जाए चुदाने का?

बिंदा – अच्छा किया कि तुने चूत की शेव कर ली. नहीं तो तेरे अंकल का लंड इतना मोटा है की चुदाई में बाल फँस जाते हैं और बहुत दुखता है. अच्छा , मै जो मोटा वाला मोमबत्ती खरीद कर लायी थी वो इसमें डालती हो कि नही आजकल?

रूबी – क्या माँ, अब तेरी उस मोमबत्ती से काम नहीं चलने वाला . अब तो पतला वाला बैगन भी डाल लेती हूँ.

बिंदा – पूरा घुसा लेती हो?

रूबी – नहीं , आधा डाल कर ही मुठ मार लेती हूँ.

बिंदा – अच्छा ठीक है, आज अपने अंकल का लंड ले कर अपनी प्यास बुझा लो.

मैंने जितना सोचा था उस से भी कहीं अधिक यह परिवार आगे था. मैंने झटाझट रागिनी की गांड मारी और अपना माल उसकी गांड में गिराया. अब मेरी वियाग्रा का प्रभाव कम होना शुरू हुआ. मैंने रागिनी के गांड में से अपना लंड निकला और रूबी के बगल में लेट गया. रागिनी भी नंगी ही मेरे बगल में लेट गयी. अब बिंदा उसकी दो बेटी- रूबी और रीना , रागिनी और मैं सभी एक साथ जमीन पर पूरी तरह नंगे पड़े हुए थे. अब मुझे रूबी की चूत का भी सील तोड़ना था.

मैंने रूबी को अपने से सटाया और अपने ऊपर लिटा दिया. उसका होंठ मेरे होंठ के ऊपर था. मैंने उसके सर को अपनी सर की तरफ दबाया और उसका होठ का रस चूसने लगा. वो भी मेरे होठ के रस को चूसने लगी. उसके हाथ मेरे लंड से खेल रहे थे. मैंने उसे वो सब करने दिया जो उसकी इच्छा हो रही थी. वो मेरे मोटे लंड को अपने दोनों हाथों से पकड़ कर मसल रही थी. उसकी माँ और बहन उसके बगल में लेट कर हम दोनों का तमाशा देख रही थी. थोड़ी देर में मैंने उसके होठों को अपने होठ से आजाद किया. उसे जमीन पर पीठ के बल लिटाया और उसकी माध्यम आकार की चुचियों से खेलने लगा. रूबी को काफी मज़ा आ रहा था.

बिंदा – अरे भाई, जल्दी कीजिये न? कब से बेचारी तड़प रही है.

मैंने भी अब देर करना उचित नही समझा. मैंने कहा – क्यों री रूबी, डाल दूँ अपना लंड तेरी चूत में?

रूबी – हाँ, डाल दो.

मैंने – रोवेगी तो नहीं ना?

रूबी – पहाड़न की बेटी हूँ. रोवुंगी क्यों?

मैंने उसके दोनों टांगों तो मोड़ा और फैला दिया. उसकी एक टांग को उसकी माँ बिंदा ने पकड़ा और दूसरी टांग को रागिनी ने. मैंने अपने लंड को उसकी चूत की छेद के सामने ले गया और घुसाने की कोशिश की. लेकिन रूबी की चूत की छेद छोटी थी और मेरा लंड मोटा. फलस्वरूप उसकी चूत पर चिकनाई की वजह से मेरा लंड उसकी चूत में ना घुस कर फिसल गया.

बिंदा ये देख कर हंसी और बोली – अरे भाई संभल कर. पहली बार चूत में लंड घुसवा रही है. रुक जाईये. मै डलवाती हूँ.

उसने एक हाथ की उँगलियों से अपनी बेटी रूबी की चूत चौड़ी करी और एक हाथ से मेरा लंड पकड़ कर उसकी चूत की छेद पर सेट किया. फिर मेरा लंड को कस कर पकड़ लिया ताकि फिर फिसल न जाये. बोली – हाँ , अब सही है. अब धीरे धीरे .
मैंने अपना लंड काफी धीरे धीरे रूबी की चूत में ससारना शुरू किया. उसकी चूत काफी गीली थी. इसलिए बिना ज्यादा कष्ट के उसने अपने चूत में मेरे लंड को घुस जाने दिया. करीब आधा से ज्यादा लंड मैंने उसके चूत में डाल दिया था, लेकिन रूबी को कोई तकलीफ नहीं हो रही थी.
बिंदा को थोडा आश्चर्य हुआ. बोली – क्यों री, पहले ही चुदवा ली है क्या किसी से?
रूबी – नही माँ. इस लंड के इतना मोटा बैगन तो मै रोज डालती हूँ ना.
मैंने कहा – आप चिंता क्यों करती हो बिंदा जी. अभी टेस्ट कर लेता हूँ.
मैंने कह कर कस के अपने लंड को उसके चूत में पूरा डाल दिया. रूबी चीख पड़ी. –माआआ
उसकी चूत की झिल्ली फट गयी. उसके चूत से हल्का सा खून निकल आया. खून देख कर बिंदा का संतोष हुआ कि रूबी को इस से पहले किसी ने नहीं चोदा था.
मैंने अपना काम तेजी से आरम्भ किया. उस दुबली पतली रूबी पर मै पहाड़ की तरह चढ़ उसे चोद रहा था. लेकिन वो अपनी इबादी बहन से ज्यादा सहनशील थी. उसने तुरंत ही मेरे लंड को अपने चूत में और मेरे भारी भरकम शरीर के धक्के को अपने दुबले शरीर पर सहन कर लिया. फिर मैंने उसकी 10 मिनट तक दमदार चुदाई करी. उसकी माँ इस दौरान अपनी बेटी के बदन को सहलाती रही तथा ढाढस बंधाती रही. 10 मिनट के बाद जब मेरे लंड ने माल निकलने का सिग्लन दिया तो मैंने झट से लंड को उसके चूत से निकाला और रूबी को उठा कर उसके मुह में अपना लंड डाल दिया. वो समझ गयी की मेरे लंड से माल निकलने वाला है. वो मेरे लंड को चूसने लगी. मेरे लंड ने माल का फव्वारा छोड़ दिया. रूबी ने सारा माल बिना किसी लाग लपेट के पी गयी. और मेरे लंड को चूस चूस कर साफ़ करी.
अब मै फिर एक- एक बार रीना और उसकी माँ बिंदा को चोदा .
रात दो बज गए थे. अंत में हम सभी थक गए. सबसे छोटी रीता हमारी चुदाई का खेल देखते देखते वहीँ सो गयी. बिंदा की गांड मारने के बाद मैं थक चुका था. हम सभी जमीन पर नंगे ही सो गए. लेकिन एक घंटे के बाद ही मेरी नींद खुली. मेरा लंड कोई चूस रही थी . मै लगभग नींद में था. अँधेरे में पता ही नही था की उन चार नंगी औरोतों में कौन मेरे लंड को चूस रही थी. मेरा लंड खड़ा हो चुका था. वो कौन थी मुझे पता नहीं था. मैंने नींद में ही और अँधेरे में ही उसकी जम के चुदाई की. इसी दौरान मेरी पीठ पर भी कोई चढ़ चुकी थी. ज्यों ही मैंने नीचे वाली के चूत में माल निकाला त्यों ही मेरी पीठ पर चढी औरत ने मुझे अपने ऊपर लिटाया और अपनी चूत में मेरे लंड को घुसा कर चोदने का इशारा किया. फिर मै उसे भी चोदने लगा. तभी मुझे अहसास हुआ की मेरी दोनों तरफ से दो और महिला भी मेरे से सट गयी हैं और मेरे चुदाई का आनंद उठा रही है. यानि मै इस वक़्त तीन औरतों के कब्जे में था. कोई मेरे होठों को चूम रही थी तो कोई मेरे अंडो को चूस रही थी. कोई मेरे लंड को अपने चूत में डलवा रही थी. ये प्रक्रम सुबह होने तक चलता रहा. जब थोड़ा थोडा उजाला हुआ तो मैंने देखा की मुझे से बिंदा, रीना और रूबी लिपटी हुई हैं. मेरे लंड इस वक़्त बिंदा के चूत में थे. बगल में रागिनी बेसुध सोयी पड़ी थी. मैंने अभी भी इन तीनो के साथ चुदाई करना चालु रखा. सुबह के नौ बज चुके थे. और तीनो माँ बेटी मुझे अभी तक नही छोड़ रही थी. ठीक नौ बजे सबसे छोटी रीता जग गयी. उस वक़्त रूबी मुझसे चुदवा रही थी और बिंदा मेरी पीठ पर चढी हुई थी. उधर रीना अपनी माँ की चूत चूस रही थी. जब मैंने रूबी के चूत में माल निकाला तो कुछ भी नही निकला सिर्फ एक बूंद पानी की तरह निकला. इस में भी मुझे घोर कष्ट हुआ. मजाक है क्या एक रात में 24-25 बार माल निकालना?
उसके बाद तो मै उन सब को अपने आप से हटाया और नंगा ही किसी तरह आँगन में जा चारपाई पर गिर पड़ा. शायद तब उन तीनों को समय और अपनी परिस्थिती का ज्ञान हुआ. वे तीनो कपडे पहन बाहर आयीं. रागिनी को भी जगाया. हमारी आज की बस छुट चुकी थी. रागिनी बेहद अफ़सोस कर रही थी. लेकिन मुझे नंगा चारपाई पर पड़ा देख उसे काफी आश्चर्य हुआ? उसने बिंदा से पूछा – मौसी, इन्हें क्या हुआ?
बिंदा – रात भर हम लोगों ने इस से चुदवाया. अभी अभी इस को हमने छोड़ा.
रागिनी – माई गाड, इतना तो बेचारा एक महीने में भी नहीं चोदता होगा. और तुम पहाड़नियों माँ बेटियों ने एक ही रात में इसका भुरता बना दिया. हा हा हा हा …खैर.. इस चारपाई को पकड़ो और इसे अन्दर ले चलो. कोई आ गया तो मुसीबत हो जायेगी.
उन चारों ने मेरी चारपाई को पकड़ा और मुझे अन्दर ले गयी. मै दिन भर नंगा ही पड़े रहा. शाम को मेरी नींद खुली तो मैंने खाना खाया.
हालांकि हमें अगले दिन ही लौट जाना था लेकिन उन माँ बेटियों ने हमें जबरदस्ती 10 दिन और रोक लिया. और वो तीनों माँ-बेटी और रागिनी हर रात को पूरी रात मेरा सामूहिक बलात्कार करती थी .
जब बिंदा और रूबी का मन पूरी तरह तृप्त हो गया तब उसने मुझे रीना के साथ शहर वापस आने की अनुमती दी. रीना तो पहले से ही रंडी बन चुकी थी. शहर आते ही उसने रंडियों में काफी ऊँचा स्थान बना लिया. छः महीने में ही उसने कार और फ़्लैट खरीद कर बिंदा , रूबी और रीता को भी शहर बुला लिया. बिंदा और रूबी भी इस धंधे में कूद पडीं.
मुझे आश्चर्य हुआ कि बिंदा की डिमांड भी मार्केट में अच्छी खासी हो गयी . अब ये तीनो इस धंधे में काफी कम रही है.
हाँ, सबसे छोटी रीता

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पत्नी की चूत दलाली

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मैंने अपने पति को बोली थी की यह आदमी कभी कभी मुझे टच करता हैं. तो पति बोले की उसको मजाक करने की आदत हैं डार्लिंग. मैंने भी सोचा की चलो मैंने अपनी तरफ से बता दिया पति को.

एक दिन हम दोनों होटल में खाने के लिए गए थे की राजेश वहाँ आ गया. वो मेरे पति के बगल इ बैठ गया. मेरे पति के बगल में बैठे हुए भी उसने अपनी हरकतें चालू रखी. उसका लेग मेरे लेग को टच कर रहा था. वो मुझे सहला रहा था पाँव की साइड में. मैं क्या करती अब इसका. और फिर इस हरामी ने हिम्मत कर के मेरी जांघ के ऊपर अपना हाथ रख दिया. मेरे पति बगल में ही थे उसके और वो बिना कोई डर रखे मेरी जांघ को सहला रहा था. मैंने उसका हाथ पकड के हटा दिया. लेकिन उसने तो मेरा हाथ पकड के अपने लंड पर ही धर दिया. राजेश का लंड टाईट हुआ था जो मेरे हाथ से टच होते ही मुझे पता चल गया. साले ने मेरी मुठ्ठी में लंड पकडवा दिया. साले का लंड कितना तगड़ा, मोटा और गरम था. मेरे पति का लंड तो इस से आधा भी नहीं था.

सच कहूँ तो मुझे भी गुदगुदी हो रही थी. उसके हाथ वापस मेरी जांघ पर थे. मैंने इशारे कर के उसे यह सब करने से मना कर रही थी, जबकि उसका लोडा अभी भी मेरे हाथ में ही था. उसने मेरे पति को बातों में उलझाया हुआ था, उन्हें तो पता ही नहीं की टेबल के निचे क्या हो रहा हैं. अब राजेश ने मेरी साड़ी को ऊपर किया और हाथ अन्दर डाला. साले ने मेरी चूत के ऊपर हाथ रख दिया और अपनी पेंट की ज़िप खोल के लंड को सीधे मेरे हाथ में पकडवा दिया. मैं उसके लंड को दबा रही थी और उसने मेरी चूत में ऊँगली डाल दी थी. मेरे बदन में कम्पन हो रहे थे और वो चूत को गरम करता जा रहा था.

जब खड़े होने का वक्ता आया तो उसने अपनी ज़िप बंध की और मैंने भी किसी की नजर ना पड़े वैसे साडी को ठीक किया.

जब हम उठे तो राजेश ने मेरे पति से कहा, अरे यार तुमने बॉस के पास से वो फ़ाइल ले ली थी?

मेरे पति ने कहा, कौन सी?

राजेश ने कहा, वर्मा बिल्डर वाली?

मेरे पति ने कहा, नहीं यार, बॉस ने कहा था क्या?

राजेश ने कहा, हाँ यार, वैसे वो फ़ाइल अभी सिंह के पास हैं. वहाँ से ले लेना, कल शायद बॉस मांगे.

मेरे पति ने कहा, लेकिन फ़ाइल एक दिन में थोड़ी हो जायेगी.

राजेश ने कहा, तू एक काम कर फ़ाइल ले के आजा सिंह से. मैं भाभी जी को घर छोड़ देता हूँ.

मेरे पति ने कहा, साला सिंह तो दिल्ली के दुसरे कौने में रहता हैं मुझे वापस आने में देर हो जाएगी.

राजेश ने कहा, तू घबरा मत मैं भाभी के पास बैठता हूँ.

मेरे पति ने अपनी बाइक चालू की और मुझे कहा मैं थोड़ी देर में आता हूँ. राजेश ने अपनी बाइक निकाली और बोला, आ जाओ भाभी.

मैंने उसके पीछे बैठी और उसने बाइक मेरे घर की और भगाई. रस्ते में उसने मेरा हाथ ले के अपने लंड पर रखवा दिया और बोला, हिलाओ मेरा लंड भाभी जी. इतना कह के वो हंसा और मैं उसके लंड को दबाने लगी थी. उसका मोटा लंड दबाते हुए मुझे कोई देख नहीं सकता था क्यूंकि मैंने स्वेटर के अन्दर से हाथ लंड पर रखा था. और वैसे भी अँधेरा ही था रस्ते पर.

घर पहुँचते ही राजेश ने मुझे दरवाजे के पास में ही ले दबोचा. वो मुझे किस करने लगा था. उसके मुहं से भी पति के मुहं जैसी तम्बाकू की स्मेल आ रही थी. उसके हाथ मेरे मम्मो पर थे और उसका लंड मेरे हाथ में ही था. फिर उसने मुझे दिवार के साथ सटा के खड़ा किया और साडी के ऊपर से ही गांड के ऊपर लोडे को रगड़ने लगा. उसका लंड बहुत ही गरम था और मोटा भी. मेरी तो हालत ख़राब हो रही थी. उसने अब मेरी साडी को खोला और मुझे एक मिनिट में पूरा नंगा कर दिया. फिर वो खुद भी पतलून खोल के खड़ा हुआ और बोला, भाभी जी लंड नहीं चुसोगी मेरा?

मैं उसके सामने अपने घुटनों पर बैठी और लोडे को मुहं में भर के चूसने लगी. उसका लंड आधा भी नहीं लिया जा रहा था मेरे से मुहं में. ऊपर से उसने मेरे बाल पकडे हुए थे और वो मुझे लंड पूरा चुस्वाने के फिराक में ही था. उसके लंड से बदबू भी आ रही थी, शायद वो पेंट में ही मुठ मरता था.

२ मिनिट्स और लंड चूसने के बाद मैंने कहा, अब नहीं चूसा जा रहा मेरे से.

राजेश ने मुझे खड़ा किया और मेरे बूब्स को जोर जोर से दबाने लगा. मुझे मम्मो में दर्द होने लगा था क्यूंकि वो बड़े ही प्रेशर से दबा रहा था उन्हें. इधर उसका लंड पूरा खड़ा था और उसके अन्दर कम्पन भी हो रहे थे. अब उसके मुझे वही दिवार के साथ घोड़ी बना दिया और पीछे से मेरी चूत पर थूंक लगाने लगा. उसने अपने सुपाडे पर भी थोडा थूंक लगाया और बोला, चलो आज तुम्हे लोडे की असली गर्मी दिखाता हूँ.

और फिर उसने मेरी चूत के अन्दर एक ही झटके में अपना आधा लंड पेल दिया. मैं तो रोने ही वाली थी. उसके मेरे बूब्स पर थे जिन्हें वो पके आम की तरह गुंद रहा था जैसे की उनका ज्यूस निकालना हो. फिर उसने एक और झटका दिया और मेरे मुहं से आह निकल पड़ी. लेकिन राजेश को उस से कोई फर्क नहीं पड़ा. वो अपनी गांड को हिला रहा था और उसका लंड मेरी चूत की दीवारों को दर्द दे रहा था. साले का लंड इतना लम्बा था की मुझे लगता था की पेट तक पहुँचता हैं वो. और वो जोर जोर से झटके मार मार के मेरी चूत को ठोक रहा था. मैं सिसकियाँ ले रही थी और अपनी गांड को हिला रही थी. इतने बड़े लोडे से चुदवाने में मुझे भी मजा आ रहा था.

अब उसने मेरे बूब्स को छोड़ दिया और मेरी गांड पर दोनों हाथ रख दिए. वो मेरी गांड को पकड के आगे पीछे कर रहा था और लंड का सारा आक्रोश मेरी चूत को दे रहा था.

राजेश बोला, तेरा पति सच कहता हैं की तेरी चूत में बहुत गर्मी हैं….!

मैंने चौंक के कहा, क्या?

राजेश हंस के बोला, हाँ उस हरामी ने ही मुझे कहा था की मेरी बीवी को चोदना हैं तो मैं सेटिंग करवाता हूँ. मुझे पता हैं की तुमने मेरी शिकायत की थी उस से. तुम्हे उस दिन ही समझ लेना चाहिए था जब उसने मुझे कुछ नहीं कहा था. आज भी जो कुछ हुआ उसके प्लान से ही हुआ हैं.

मैं कुछ नहीं बोली और वो बोला, उसे पता है की उसके छोटे लंड से तुम खुश नहीं हो पाती हो इसलिए यह सब उसने तुम्हारे लिए ही किया है.

मैं समझ नहीं पा रही थी की खुश होऊं या दुखी!

इधर राजेश के झटके तीव्र होते गए और वो मेरी चूत में ही अपने कामरस को छोड़ बैठा. साले ने बहुत ढेर सारा वीर्य मेरी चूत में छोड़ा था. वीर्य निकालने के बाद भी २ मिनिट्स तक वो मुझे चोदता रहा.

मैं भी थक चुकी थी और वो भी हांफने लगा था. फिर उसने लंड निकाल के मेरी साडी से ही उसे साफ किया. हम दोनों कपडे पहन के सोफे पर बैठे की मेरे पति आ गये.

उन्होंने घर में घुसते ही राजेश की और देखा, उनकी आँखों में बहुत सारे सवाल थे. राजेश बोला, भैया आप का काम हो गया हैं.

अब मेरे पति ने मेरी और देख के कहा, तुम खुश हो डार्लिंग.

मैं दौड़ के उनके पास गई और उन्हें चिपक के होंठो पर किस दे दिया!

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जोर जोर से दबाओ राजा

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जंगल की वीरानियों को चीरता हुआ एक रथ बहुत तेजी से भागा जा रहा था। उस रथ पर सवार वीर्यपुर की महारानी चूतनन्दा सवार थी। उन्हें शिकार का बहुत शौक था। इस समय भी उनके हाथ में धनुष था और निशाना एक सुन्दर हिरण था। चूतनन्दा गज़ब की सुन्दर स्त्री थी। उसके लाल लाल होंठ मानो रस भरे अंगूर हों जिन्हें देखकर मन करता था कि उसके होंठों का रस पी जायें। उसकी चूचियाँ इतनी मुलायम थी मानो मक्खन।

तभी उसके रथ के सामने वो हिरण आया और चूतनन्दा ने तीर चला दिया और हिरण मारा गया। चूतनन्दा रथ से उतरी और हिरण के पेट में घुसा हुआ तीर निकाल के जैसे ही वो मुड़ी उसकी नज़र एक योगी पर पड़ी। उसने देखा कि वो योगी पूरा नंगा खड़ा होकर ध्यान-मग्न है।

तभी चूतनन्दा की नज़र उसके सोये हुये नंगे लण्ड पर पड़ी, उस लण्ड को देखकर चूतनन्दा के मुँह में पानी आ गया, वो योगी के पास गई और बोली- ए साधु ! उठो ! जागो ! देखो वीर्यपुर की महारानी चूतनन्दा तुम्हारे सामने खड़ी है और तुम्हें आदेश देती है कि तुम मेरी प्यास बुझाओ।

पर उसकी आवाज़ का असर उस योगी पर नहीं पड़ा।

पर चूतनन्दा की बुर में तो आग लग चुकी थी, वो बस अपनी आग को शान्त करना चाहती थी। उसने योगी के लण्ड को अपने कोमल हाथों में पकड़ लिया और सहलाने लगी, परन्तु योगी पर कुछ भी असर नहीं हुआ।

वो भी मस्ती में आ चुकी थी इसलिए उसने लण्ड को अपने रस भरे होंठों से लगा लिया और मुख-मैथुन करने लगी। थोड़ी ही देर में योगी का लण्ड फ़ूल कर लम्बा और मोटा हो गया। चूतनन्दा को यही तो चाहिये था, वो भी मस्त होकर लण्ड को खूब जोर जोर से चूसने लगी।

तभी योगी का ध्यान टूट गया और पीछे हटते हुए बोला- कौन हो तुम? और मेरे ध्यान में विघ्न क्यों डाला? मैं वर्षों से बुरचोद देवी की तपस्या में मग्न था।

चूतनन्दा बोली- हे योगी, मैं वीर्यपुर की महारानी चूतनन्दा हूँ और तुम्हारा लण्ड देख कर मैं अपने आप को रोक न सकी, मुझे चोद कर मेरी बुर को धन्य करो।

योगी ने उसे उपर से नीचे तक उसके पूरे मचलते हुए अंग-अंग को देखा और गुस्से से बोला- तुमने मेरी बर्षों की तपस्या भंग की है, मैं तुम्हारी बुर को फाड़ डालूँगा।

चूतनन्दा ने कहा- मैं भी तो यही चाहती हूँ !

यह कहते हुए उसने अपने सारे वस्त्र उतार कर नंगी होकर योगी के लण्ड को पकड़ा और फिर चूसने लगी। अब तो योगी का गुस्सा भी कम होकर मस्ती में बदल गया और वो भी लण्ड चुसवाने का मज़ा लेने लगा। चूतनन्दा अपने अंगूर समान होठों से और जीभ से उसके लण्ड को चाटने में लग गई। योगी का हाथ चूतनन्दा की चूचियों पर फ़िसलने लगा। चूतनन्दा की गोल गोल चूचियों को योगी अपने हाथों से दबाने लगा।

चूतनन्दा सिसकारियाँ भरती हुई बोली- आह ! और जोर जोर से दबाओ राजा !

और वो भी लण्ड को अपने मुँह में जोर जोर से लेने लगी। योगी ने चूतनन्दा को मखमली घास पर लिटा दिया और उसकी चूचियों को अपनी जीभ से चाटने लगा, उसके निप्प्लों को मुँह से चूसने लगा।

चूतनन्दा सिसकारियाँ भरते हुए बोली- आह ! चूसो मेरे राजा ! चूसो मेरी चूचियों को।

योगी अपने दोनों हाथों से उसकी दोनों चूचियों को दबा दबा कर चूस रहा था जैसे कोइ बच्चा दूध पी रहा हो।

थोड़ी देर के स्तनपान के बाद चूतनन्दा लम्बी लम्बी आहें भरती हुई बोली- आह ! मेरी बुर को चोदो राजा ! मेरी बुर को पेलो।

यह सुनकर योगी ने अपना एक हाथ चूतनन्दा की बुर की तरफ़ बढ़ाया और बुर पर हाथ लगाया तो उसे महसूस हुआ कि चूतनन्दा की बुर गीली हो चुकी थी। योगी अब सरकते हुए चूतनन्दा की बुर के पास आया और अपने होठों को बुर पर लगा दिया।

चूतनन्दा तड़प उठी।

योगी अपने जीभ से बुर को चाटने लगा और अपनी एक उंगली बुर के अन्दर डाल कर उसे हिलाने लगा जैसे कोई चीज़ वो अन्दर ढूँढ रहा हो।

चूतनन्दा अब जोर से बोली- पेल दो मेरी बुर में अपना लौड़ा जल्दी से ! आह !

योगी ने अपने लण्ड पर थूक लगाया और चूतनन्दा की टाँगों को ऊपर उठाकर उसकी बुर पर अपना लण्ड सटा दिया। चूतनन्दा सिसकारते हुए योगी के लण्ड को अपने बुर से सटा दिया। योगी ने एक ही झटके में पूरा लौड़ा उसकी बुर में चोद दिया।

चूतनन्दा जोर से चीखी- आ..आ..आ.. बहुत मोटा और लम्बा है। योगी अब अपनी कमर को जोर जोर से आगे पीछे करके बुर में छेद कर रहा था। अब चूतनन्दा को पेलवाने में मज़ा आ रहा था इसलिये अब वो भी अपनी कमर को ऊपर नीचे कर के चुदवाने का मज़ा लूट रही थी।

योगी अपने हाथों से चूतनन्दा की चूचियाँ दबा रहा था और लण्ड को बुर में पेले जा रहा था। अब योगी ने चूतनन्दा को कुतिया की तरह बिठाया और उसके पीछे से अपना लण्ड बुर में डाल कर चोदना शुरु किया।

चूतनन्दा आनन्द से मरी जा रही थी- आह ! और जोर जोर से चोदो।

योगी उसकी कमर को हाथों से पकड़ कर अपने लण्ड को धक्का दिये जा रहा था। उस वीराने जन्गल में केवल चूतनन्दा की सिसकरियाँ गूँज़ रही थी।

तभी मस्ती से सराबोर चूतनन्दा बोली- आह ! मैं आ रही हूँ, मैं स्खलित होने वाली हूँ।

तभी चूतनन्दा की बुर से पानी की अविरल धारा निकलने लगी। चूतनन्दा स्खलित होकर निढाल होने को थी लेकिन योगी अभी भी धक्के पर धक्के चूत में पेले जा रहा था। थोड़ी देर के बाद योगी चिल्लाया- आह ! चूतनन्दा..आ ! लो मैं भी आया।

और योगी ने तभी चूतनन्दा की बुर को अपने वीर्य से भर दिया। चूतनन्दा को महसूस हुआ कि जैसे खौलता हुआ लावा उसकी बुर में भर गया हो, और वह मस्त होकर नीचे घास पर लेट गई। परन्तु योगी ने अपने लण्ड को उसकी बुर से बाहर किया और बोला- महारानी चूतनन्दा ! तुमने मेरी तपस्या आज वर्षों बाद भंग कर दी है परन्तु कई वर्षों बाद मेरे लण्ड का वीर्य तेरी बुर में गया है इसलिये तुझे आशीर्वाद के रूप में नौ महीने के बाद एक पुत्र तेरी बुर से बाहर आयेगा। वो पुत्र बहुत ही शक्तिशाली और विभिन्न शक्तियों से भरपूर होगा। लेकिन बारह साल के बाद उसे कोई न कोई बुर चोदनी होगी। वो जितनी बुर चोदेगा उतनी उम्र उसकी बढ़ती जायेगी तथा और शक्तिशाली होता जायेगा और उसका नाम लण्डराज रखना।

यह कहकर योगी फ़िर से ध्यानमग्न हो गया।

चूतनन्दा की जब मस्ती उतर गई तो वह उठी और योगी के लण्ड को चूमकर अपने वस्त्र पहने और रथ पर सवार होकर वीर्यपुर चली गई।

नौ महीने के बाद उसने एक बच्चे को जन्म दिया जिसका लण्ड बचपन से ही मोटा और लम्बा था और उसका नाम लण्डराज रखा।

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लंड के बिना दिल है के मानता नहीं

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नोद का यों बार-बार बाहर जाना कभी बोम्बे, कभी देहली तो कभी विदेश, महीने में 10 से 15 दिन दिन का टूअर होता है जो मुझे परेशान रखता है। चाहे मुखमैथुन ही सही, पर उनका सुंदर लिंग देखने को तो मिल जाता है न ! और फिर अन्तर्वासना और चैटिंग पर सेक्स की बात करके मेरा क्या हाल होता होगा,

अगर लिंग न मिले चूसने को और खाने को? नीचे चूत कैसे फड़कती है, बिना लिंग के चूत? यह मुझसे बेहतर कोई नहीं जान सकता है !

कहानी की शुरुआत होती है बहुत भावुक माहौल से ! एक बार ये जयपुर गए थे और रास्ते में बस-दुर्घटना हो गई। यह खबर देने के लिए इनका दोस्त सुनील आया, मैं नहा रही थी, बाथरूम मैं थी,

“भाभी ! भाभी !” आवाज दी उसने- आप कहाँ हैं?

मैंने कहा- मैं बाथरूम मैं हूँ !

उसकी आवाज मैं बहुत खौफ और दर्द था, वो रुआंसा हो रहा था।

मैंने कहा- क्या हुआ सुनील जी?

मैंने बाथरूम से ही कहा।

सुनील ने कहा- विनोद का फोन आया क्या?

मैंने कहा- नहीं !

“तुमने किया क्या?”

मैंने कहा- नहीं !

मैंने कहा- क्या हुआ? जल्दी बताओ?

“कैसे बताऊँ भाभी ! जिस वोल्वो गाड़ी से विनोद जा रहा था, वो दुर्घटनाग्रस्त हो गई है, मैंने अभी समाचार में सुना है, और बहुत बड़ा नुकसान हुआ है ! और विनोद का फोन भी नहीं लग रहा है !”

मैं बेहोश होने लगी, मैं नहा रही थी, बस तौलिये में थी, मेरे हाथ मैं नाइटी लगी, और ऐसे ही बाहर आ गई, मुझे होश भी नहीं रहा कि मैं कैसे हूँ ! और रोते हुए सुनील से लिपट गई। सुनील मुझे दिलासा देने लगा- कुछ नहीं होगा भाभी ! आप चिंता न करो !

मैं सिर्फ पैंटी में थी और वक्ष पर तौलिया था जो आधे ही चूचों को ढक रहा था !

मेरे पीठ नंगी थी जिस पर सुनील हाथ फेर रहा था मुझे दिलासा देने के लिए ! मैं उससे चिपक कर रो रही थी, मुझे यह भी होश नहीं था कि मैं पूरी तरह से नंगी हूँ और मेरे उरोज़ उसके जिस्म से चिपक रहे हैं, पर उस समय ऐसा नहीं था।

इतने में मेरा फोन बजा, मैं कमरे की तरफ भागी, मेरे साथ-साथ सुनील भी था।

शुक्र है, विनोद का फोन था। मैंने जल्दी से फोन उठाया- तुम कहाँ हो विनोद? क्या कर रहे हो? क्या हाल है?

सारे सवाल एक साथ दाग दिए मैंने !

विनोद ने कहा- घबराना मत ! मुझे कुछ नहीं हुआ है, मुझे पता था कि तुमको खबर जरूर लग गई होगी !

“तो तुम्हारा फोन क्यों नहीं लग रहा था?”

विनोद ने कहा- मेरा फोन ख़राब हो गया है, टूट गया है, मैं दूसरे मोबाइल में सिम डाल कर तुमको फोन कर रहा हूँ ! और फिर से जयपुर जा रहा हूँ दूसरी गाड़ी में ! वैसे बहुत से यात्रियों को चोट आई है और तीन तो मर भी गए हैं, पर मुझे कुछ नहीं हुआ है।

मैंने कहा- चलो ठीक है कि तुमको कुछ नहीं हुआ यार ! सुनील ने खबर दी, मैं मर जाती तुम्हारे बिना !

और फिर से रोने लगी। इतने में फोन कट गया लाइन की खराबी के कारण !

मुझे रोता देख सुनील फिर से मेरे पीठ पर हाथ फेरने लगा और मैं उससे लिपट गई। अब तक मैं नंगी थी और मुझे यह अहसास भी नहीं था।

क्या आप मानेंगे मेरी बात को? पर यही सच है !

सुनील अब तक सब सुन भी चुका था, मेरे नंगे बदन को देख भी चुका था और मुझे अपनी बाहों में लेकर मुझे अपने मर्द होने का अहसास करवा रहा था। उसके लिंग का अहसास मुझे नीचे होने लगा था और मेरे उरोज उसके जिस्म से बहुत जोर से जकड़े हुए थे। मैंने उससे छुटने का प्रयास किया पर छुट नहीं पाई।

वो बोला- काफी खुबसूरत हो भाभी आप तो ! आपके क्या बूब्स हैं ! जैसे विनोद ने कभी छुआ नहीं हो ! बहुत सख्त हैं आपके बूब्स !

मैं शरमा गई, मुझे तब अहसास हुआ कि मैं नंगी हूँ।

मैंने कहा- छोड़ो सुनील भैया, मुझे शर्म आती है !

वैसे मैं तब तक मस्त हो गई थी ! मैं नहीं चाहती थी कि सुनील मुझे छोड़े !उसके लिंग का अहसास मेरे पूरे शरीर में हो रहा था, मुझे पता नहीं क्या हो रहा था ! मैं पहली बार किसी अन्य मर्द की बाहों में थी, उसने मुझे कस कर पकड़ रखा था।

“भाभी, मैं आपको बहुत प्यार करता हूँ ! कई बार आपको पाना चाहा, कहना चाहा, पर हिम्मत नहीं हुई ! आज ऐसा मौका मिला कि आप खुद मेरे बाहों में हैं और कह रही हैं छोड़ दो ! मैं कैसे छोड़ूँ आपको !”

मैंने छुटने का प्रयास कम कर दिया, मैं उसकी बाहों में मजा करने लगी, वो मेरे स्तनों को दबा रहा था।

मैंने कहा- सुनील, दर्द होता है, धीरे करो ना !

यह सुन कर सुनील की हिम्मत बढ़ गई और उसने अपनी पैंट उतार दी, मेरा हाथ उसके लिंग पर जा रहा था, मैं उसका लिंग हाथ में लेकर सहलाने लगी। अब बस यह चाह रही थी कि वो अपनी चड्डी हटा दे और मेरी चूत में अपना लिंग डाले !

वैसे सुनील का लिंग विनोद के लिंग से कुछ छोटा ही लग रहा था।

मैंने बिस्तर पर लेटते हुए कहा- सुनील, अब देर न करो ! मैं बहुत प्यासी हूँ, जल्दी से डालो न !

सुनील भी पूरा सेक्स में मस्त हो चुका था, उसको भी कुछ नहीं सूझा उसने अपनी चड्डी खिसकाई, लिंग मेरी चूत के ऊपर रखा और जोर का धक्का दिया, एक ही बार में पूरा लिंग डाल दिया मेरे अन्दर !

मैं दर्द से रो पड़ी- क्या करते हो सुनील? थोड़ा धीरे !

सुनील ने कहा- नहीं रहा जाता भाभी ! मैंने कई बार आपके नाम से हाथ से सेक्स किया है अपने हाथ से !

और फिर वो मुझे जोर जोर से चोदने लगा। मुझे बहुत मजा आ रहा था, ऐसे कभी भी विनोद ने नहीं चोदा था मुझे ! वो बड़ी बेरहमी से चोद रहा था।

मैं झड़ गई, मैंने कहा- सुनील, मैं झड़ रही हूँ !

पर वो अभी नहीं झड़ा था, वो करता रहा, मुझे मजा आ रहा था, चुदाई का सच्चा सुख आज सुनील ने दिया था, मैं बस आह आह कर रही थी।

सुनील ने कहा- भाभी, मैंने आज पहली बार चूत मारी है ! अब तक तो हाथ से ही काम चल रहा था !

सुनील अभी कुंवारा था ! यह कहानी आप अन्तर्वासना.कॉम पर पढ़ रहे हैं।

मैं फिर से झड़ गई। तीन बार मुझे झाड़ने के बाद सुनील ने कहा- भाभी, मैं अब झड़ने वाला हूँ ! वीर्य कहाँ निकालूँ?

मैंने कहा- मेरे जानू, तुमने मुझे निहाल कर दिया है, अब मेरी चूत को भी निहाल कर दे !

इतना कहते ही सुनील आह आह भाभी करते हुए मेरी चूत में ही झड़ गया और उसके गर्म वीर्य की धार से मैं एक बार और झड़ गई। मेरे शरीर में अकड़न हो रही थी, अलग सा मजा आ रहा था, वो मेरी चूत में लिंग डाल कर ऐसे ही पड़ा रहा और हमारी कब आँख लग गई, पता ही नहीं लगा !

जब आँख खुली तो फिर से ऐसे ही सेक्स किया, अब मैंने उसका सारा लिंग अपनी जुबान से चाट कर साफ किया और कहा- सुनील, फिर से चोद दो ! मजा आ गया !

वो फिर से तैयार था, फिर उसने जोर जोर से मुझे पेला, मैं दो बार झड़ गई।

अब उसका निकलने वाला था, वो बोला- भाभी अब क्या करूँ?

मैंने कहा- आओ, मेरे मुँह में आ जाओ !

और उसने सारा वीर्य मेरे मुँह में छोड़ दिया, मैं सारा वीर्य गटक गई, क्या अच्छा स्वाद था !

मैंने उसको बाहों में लिया और कहा- विनोद तो बस मुखचोदन करता है, मुझे तो प्यासी रख देता है।

सुनील ने कहा- भाभी, अब तुम कभी प्यासी नहीं रहोगी, अब तुम जब भी बुलाओगी, आपका यह सेवक हाजिर रहेगा !

विनोद के आने के बाद जब भी वो बाहर रहता था हम दोनों यह मधुर-मिलन करते थे ! पर उसके आने जाने से मेरे पड़ोस में रहने वाले एक लड़के सुशील को शक हो गया। सुशील मुझसे 8 साल छोटा है वो करीब 19 साल का होगा ! उसने कहा- भाभी, भाई जब भी बाहर जाते हैं तो सुनील भाई क्यों आते हैं आपके यहाँ और रात भर क्या करते हैं?

मैं डर गई, मैंने कहा- तू किसी को नहीं कहना !

वो बोला- क्या आप मेरे साथ भी वो सब कुछ करोगी जो सुनील भाई के साथ करती हो?

मैंने कहा- तू अभी छोटा है !

वो बोला- नहीं भाभी, मैं छोटा नहीं हूँ। कभी आप मेरा लिंग देखना, तब कहना, नहीं तो विनोद भैया को सब बता दूंगा।

मैं डर गई- अच्छा बाबा, मैं करुँगी, कल तुम्हारे विनोद भैया जा रहे हैं, तू आ जाना !

बस वो खुश हो गया।

विनोद चार बजे निकल गया, मुझे ऐसा उम्मीद थी कि सुशील ये सब जरूर देख रहा होगा, उसको विनोद के जाने का इन्तजार था ! जैसे ही विनोद गया, थोड़ी देर में घंटी बजी, मुझे लगा कि सुशील ही होगा।

मैंने दरवाजा खोला।

“हेल्लो भाभी, मैं आ गया !”

“अरे सुशील? तुम बड़ी जल्दी आ गए? अभी ही तो वो गए हैं।”

“हाँ, मैं सब देख रहा था और इन्तजार भी कर रहा था कि कब विनोद भैया जायें और मैं आपके पास आऊँ।”

मैंने कहा- अरे सुशील, यह सब ठीक नहीं है, तुम बहुत छोटे हो इस काम के लिए ! वैसे क्या उम्र है तुम्हारी?

सुशील ने कहा- मैं अभी 18 का हुआ हूँ !

मैंने कहा- बस? मैं तो तुमको 19-20 का समझती थी, तुम तो और भी छोटे हो यार ! कैसे मैं तुमको बिगाड़ूँ?

“नहीं भाभी, मैं पहले से बिगड़ा हुआ हूँ, मैंने ऐसे सेक्स नहीं किया है पर आपके नाम से कई बार हस्तमैथुन किया हुआ है, एक बार मेरा लंड देख लो, अगर पसंद न आये तो मना कर देना !” यह कहते ही उसने अपना पजामा उतार दिया और सिर्फ चड्डी में आ गया और उसका लिंग तम्बू बना हुआ था।

मैंने कहा- यार, तुम्हारा तो बड़ा लगता है विनोद से और सुनील से दोनों से ! तुम तो मर्द हो ! यह भी उतार कर दिखा अपना लिंग !वो बोला- खुद ही उतारो ना भाभी !

मैंने हाथ लगा कर देखा, उसका बहुत बड़ा था। मैंने उसकी चड्डी उतार दी, मैं उसका लिंग देख कर दंग रह गई, उसका लिंग बड़ा और बहुत सुंदर था। एकदम गोरा ! मेरे मुँह से निकल गया- वाह, क्या लौड़ा है सुशील तुम्हारा !

और मेरे अंदर बेचैनी होने लगी ! मुझसे रहा नहीं गया, मैंने जल्दी से उसका लिंग अपने मुँह में ले लिया।

क्या अच्छा लिंग था उसका !

मैंने एक बार और कहा- सुशील बहुत सुंदर लिंग है तुम्हारा ! आई लव यू सुशील ! यार तुमने जन्नत दिखा दी !

और जोर जोर से उसका लिंग मुँह में लेने लगी, वो मेरे कबूतर दबाने लगा था !

मुझे आज बहुत अलग अहसास हो रहा था, मैं आपको अपने मुँह से बयान नहीं कर सकती हूँ, मुझे एक नशा सा हो रहा था, मैंने उसके लिंग को इतना चूसा कि वो किनारे आ गया।

“अरे भाभी ! मैं तो गया, बस रुको रुको !”

मैं कहाँ मानने वाली थी, और वो मेरे मुँह में ही झड़ गया। मैं उसका बहुत स्वाद वीर्य पी गई।

“क्या बात है सुशील ! तुम बहुत नशीला लिंग लिए हुए घूम रहे थे इतने दिनों से ! क्यों मुझे इसके दर्शन नहीं करवाए? मैं कभी भी सुनील के साथ नहीं करती ! अब मैं शायद तुम्हारे भैया के साथ भी नहीं कर पाऊँगी ऐसा, जैसा सुख तुम्हारे लिंग ने मुझे दिया है, मैं विनोद का भी मुँह में लेती हूँ पर उसकी इच्छा के कारण, पर तुम्हारा मैंने अपनी प्यास शांत करने के लिए लिया है।” और फिर से उसका लिंग चूम लिया।

थोड़ी देर तक ऐसे ही उसको मुँह में लेकर रखा, उसका लिंग फिर से तन गया, मैंने कहा- सुशील, अब बस देर न करो, मुझे अपने लिंग की सैर करा दो ! मेरी चूत बहुत प्यासी है, इसको भी थोड़ा अपने रस से सराबोर कर दो !

थोड़ी देर तक वो मेरी चूत चाटता रहा, मुझे असीम आनंद आ रहा था, मैं आह..आह.. कर रही थी, मेरे मुँह से सीत्कारें निकल रही थी, और वो भी मस्त था ! उसको भी जन्नत का सुख मिल रहा था !

वो बोला- भाभी, आज मुझे बहुत मजा आ रहा है, मैंने कभी इसके पहले चूत नहीं देखी और आपकी जैसी खूबसूरत भाभी के साथ सेक्स करने के बाद मैं कभी भी किसी के साथ सेक्स नहीं कर सकूँगा, आपका बहुत बहुत शुक्रिया कि आपने मुझे ये सब करने दिया।

मैंने कहा- अब मत तड़पाओ ! अपना लिंग मेरी चूत में डालो ! ..आह नहीं… रहा जाता है अब !

मैं उसकी जीभ की हरकत से बहुत उत्तेजित हो गई थी और मैं झड़ने वाली थी और वो कर रहा था !

“आह …आह …आह मैं झड़ रही हूँ…..सुशील आह ..आह और मैं झड़ गई।” उसने मेरा सारा रस पी लिया, अब उसको जोश चढ़ गया, वो बोला- क्या मजा है भाभी आपकी चूत के रस का ! मैं अब पहली बार आपकी चूत में अपना डाल रहा हूँ !

वो मेरे दोनों जांघों के बीच आ गया और अपना लिंग डालने लगा। पर यह क्या ! वो निशाना चूक रहा था।

मैंने अपने हाथ से उसका लिंग पकड़ कर लिंग अंदर डलवा लिया, मुझे हल्का दर्द का अहसास हुआ, मैं सिसक कर रह गई, मैं बोली- आह ! कितना सुंदर और बड़ा है तुम्हारा सुशील ! मजा आ गया !

और उसने थोड़ी देर अंदर डाले रखा।

मैंने कहा- थोड़ा शुरू करो अब काम !

और इतना कहते ही उसने धक्के लगाना चालू कर दिया। मैं उसके लिंग का अंदर तक अहसास कर रही थी और चरम आनंद को अनुभव कर रही थी, मुझे बहुत मजा आ रहा था। वो बस जोर जोर से धक्के लगा रहा था और मैं आह …आह कर के उसके लिंग के मजे ले रही थी !

“काश सुशील, तुम पहले मिल जाते तो मुझे इतना नहीं तड़पना होता !”

सुशील बोला- भाभी तुमने भी कभी मेरे ऊपर ध्यान नहीं दिया, मैं तो दो साल से आपको चोदने का सोच रहा था !

“सच? तो क्या तुम 16 साल के थे तब से ही इतना सब जानते थे क्या?”

“हाँ भाभी, मैं सब जनता था ! मुझे 13 साल से ही सब जानकारी है, मैंने कई सारी नंगी फिल्म देखी हैं, क्या आपने भी देखी है ऐसी फिल्म?

मैंने हाँ में सर हिला दिया।

“तो कल साथ देखते हैं।” और वो धक्कों की गति बढ़ाने लगा।

“यार सुशील तुम को देख कर ऐसा नहीं लगता कि तुम पहली बार ऐसा कर रहे हो किसी के साथ? तुम तो किसी मर्द की तरह से मुझे चोद रहे हो ! मैं दो बार झड़ गई हूँ !”

और यह कहने के साथ ही मैं एक बार और झड़ गई, मेरे झड़ने के साथ ही सुशील भी झड़ गया !

हम कुछ देर ऐसे ही लेटे रहे, इतने में घंटी बज गई, मैंने कहा- कौन होगा इस वक्त?

घड़ी में देखा तो 7 बज चुके थे ! हमने जल्दी से कपड़े पहने और मैं दरवाजे के पास गई। इतने में एक बार और घंटी बज गई। मैंने जल्दी से दरवाजा खोला, सामने सुनील था।”अरे इतना टाइम क्यों लगा है दरवाजा खोलने में? मेरा लण्ड खड़ा है तुमको चोदने के लिए !”

यह कहते हुए वो अंदर आया- अरे यह कौन है? और यहाँ क्या कर रहा है?

“यह सुशील है और अब यह सब जनता है हमारे बारे में ! और मैं इसके साथ अभी अभी सेक्स कर रही थी, मुझे बड़ा मजा आया इसके साथ सेक्स करने में !”

यह सुनते ही सुनील को गुस्सा आ गया, वो बोला- ये क्या कह रही हो तुम?

मैंने कहा- यह तुम्हारे और मेरे बारे में सब जान गया था और विनोद को कहने की कह रहा था तो मैंने इसको सेक्स करने दिया, पर अब से यह भी हमारे साथ रहेगा !

“चलो ठीक है ! ग्रुप सेक्स ! चलो मजा आएगा !”

सुशील ने कहा- भाभी, मैं घर हो आता हूँ ! माँ को कह आता हूँ कि विनोद भैया के यहाँ कोई नहीं है, भाभी को डर लग रहा है तो मैं वहीं सो जाऊँगा।

वैसे सुशील मुझसे इतना छोटा है कि कोई हम पर शक भी नहीं कर सकता है, मैंने कहा- ठीक है !

उसके जाने के बाद सुनील ने मुझे जकड़ लिया- जान बहुत दिनों से प्यासा हूँ !

और मुझे जल्दी जल्दी नंगा किया और..

वैसे सुशील मुझसे इतना छोटा है कि कोई हम पर शक भी नहीं कर सकता है, मैंने कहा- ठीक है !

उसके जाने के बाद सुनील ने मुझे जकड़ लिया- जान बहुत दिनों से प्यासा हूँ !

और मुझे जल्दी जल्दी नंगा किया और… अपना लिंग सीधा ही मेरी चूत में डाल दिया। मैं फिर से जोश में आ गई, हम दोनों ने खूब मस्ती से सेक्स किया करीब आधे घंटे में सुशील वापिस आ गया और वो सोफे पर बैठ गया !

रात के करीब 9 बजे थे, विनोद का फोन आया, बोला- क्या कर रही हो?

मैंने कहा- कुछ नहीं यार ! बस टीवी देख रही थी।

वो बोला- क्या?

मैंने कहा- सेक्सी फिल्म जो तुम कल लेकर आये थे, वो !

वो बोला- चलो अच्छा है, तुम्हारा मन तो लग रहा है ना?

मैंने कहा- बहुत अच्छा मन लग रहा है। वैसे कब आरहे हो तुम?

विनोद बोला- यार, मुझे इसके बाद लन्दन जाना है तो क्या मैं यहीं से चला जाऊँ? वैसे 7 दिन मैं आ जाऊँगा।

मैंने कहा- ठीक है, हो आना पर मेरे लिए क्या लाओगे गिफ्ट?

वो बोला- जान तुम जो कहो वो !

मैंने कहा- कुछ भी अच्छा सा !

“ठीक है।”

और फोन कट गया।

मैंने सुनील और सुशील को कहा- चलो मजे करो ! विनोद अब 7 दिन और बाहर रहेगा। क्यों सुशील? खुश हो या नहीं?

वो मेरे पास आया- तो ख़ुशी मनाते हैं ! चलो अंदर !

और वो मुझे अपनी गोद में उठा कर अंदर ले गया। वैसे मैंने कुछ पहन तो रखा नहीं था क्यूंकि सुनील सेक्स कर रहा था, सुनील का लिंग अभी भी सुस्त पड़ा था।

सुशील मुझे चूमने लगा, सुनील भी यह सब देख रहा था !

मैंने सुशील को कहा- अब से सात दिन तक कोई भी कपड़े नहीं पहनेगा ! उतारो ये सब ! जब बाहर जाना हो तो ही पहनना !

और जैसे ही सुशील ने कपड़े उतारे, सुनील उसका लिंग देख कर दंग रह गया और बोला- वाह, क्या लिंग है सुशील, तुम्हारा लिंग बड़ा सुंदर है। क्या मैं हाथ लगा कर देख सकता हूँ?

और सुनील ने उसका लिंग छूकर आगे पीछे करने लगा। यह करने से सुनील का भी लिंग कड़क होने लगा था।

मैंने सुशील का लिंग मुँह में ले लिया और कहा- लाओ यार, अब मुझे मजा करने दो !

सुशील काफी जोश में था और जैसे ही मैंने उसका लिंग मुँह में लिया, वो धक्के मारने लगा।

सुनील ने आव देखा न ताव, मेरी चूत में अपना लिंग डालने का कोशिश करने लगा और अंदर डाल कर बोला- क्या चूत है भाभी तुम्हारी ! मजा आता है ! अभी तुमने सुशील का इतना बड़ा लिंग अंदर डलवाया था पर इसका असर नहीं हुआ, वापस वैसे की वैसे हो गई जैसे पहली बार कर रहे हों।

“हाँ सुनील भाई ! वाकई ! तुम सच कह रहे हो !” सुशील बोला- बहुत मस्त चूत है भाभी की ! मजा बहुत आता है !

मैं मस्ती से सुशील का लिंग मुँह में लेकर आनन्द ले रही थी क्यूंकि एक साथ दो दो लिंग का मजा मुझे मिल रहा था। आज से पहले ऐसा कभी नहीं हुआ था और बहुत किस्मत वाली होती है जिसको दो लिंग का मजा एक साथ मिलता है। और मैं तो बस मजे करने के लिए ही बनी हूँ, ऐसा मुझे लग रहा था, आज तो मेरे दिन भर से चुदाई चालू है।

सुनील ने जोर जोर से करना चालू कर दिया, बोला- भाभी, मैं तुम्हारी हॉट चूत का सामना अब नहीं कर पाऊँगा, बाकी का काम अब

सुशील को करना होगा, तुम्हारी बाकी प्यास अब सुशील बुझाएगा। मैं इस मंजर को देख कर बहुत उत्तेजित हो गया हूँ तो आज जल्दी झड़ रहा हूँ, मुझे माफ़ करना।

मैंने कहा- कोई बात नहीं, सुनील भाई, अभी मेरा सुशील है, आ जाओ तुम मेरे मुँह में झाड़ना ! और सुशील तुम मेरी चूत की प्यास बुझा दो ! बहुत आग लगी है और जब से मैंने तुम दोनों के लिंग एक साथ देख लिए है मैं परेशान हो रही हूँ !

सुनील मेरे मुँह में धक्के मारने लगा और सुशील मेरी चूत में। मुझे मजा आने लगा, मैं आह उह्ह करने लगी और झड़ गई !

वैसे सुनील मेरी चूत में था, तब तो झड़ने का बोल रहा था पर मुँह में वो धक्के लगा रहा था और अभी झड़ने का नाम नहीं ले रहा था और सुशील तो किसी अंग्रेजी फिल्म के हीरो की तरह था, काफी मजबूत ! अभी उसका आधा काम भी नहीं हुआ था, मुझे चरम आनन्द आ रहा था, मैं अपने मुँह से नहीं कह सकती कि मैं किस सुख को भोग रही थी। मैं दो-दो लिंग को देख कर यों ही काफी मजे में थी और फिर ऐसे लिंग जो झड़ने का नाम नहीं ले रहे हो तो क्या हाल हो, कोई भी सोच सकता है।

थोड़ी देर में सुनील मेरे मुँह में झड़ गया, मैं उसके साथ एक बार और झड़ गई और सारा वीर्य पी गई।

मुझे अब और मजा आने लगा था, सुशील जोर जोर से कर रहा था, मैंने कहा- सुशील, और जोर से ! और जोर से ! मजा आ रहा है। सुनील अब सारा का सारा माल मेरे मुँह में निकाल कर हमारा खेल के मजे लेने लगा। मैं ये सब देख कर बहुत खुश थी कि एक कर

रहा है, एक देख रहा है।

और अब सुशील बोला- अब मैं भी झड़ने वाला हूँ भाभी !

मैंने कहा- सुशील, मुँह में ही झड़ना ! मुझे तुम्हारे वीर्य का स्वाद बहुत अच्छा लगता है।

और वो मुँह में आ गया और थोड़े धक्के लगाने के साथ झड़ गया, उसके वीर्य से मेरा मुँह पूरा भर गया, मैं स्वाद ले लेकर अंदर उतारने लगी।

अब हम थक चुके थे और ऐसे ही सो गए। सुबह करीब सात बजे नींद खुली, मैंने दोनों को उठाया, हम सब बिना कपड़ों के थे और सुशील का लिंग सुस्त भी काफी बड़ा नजर आ रहा था।

मैं उसका लिंग हाथ में लेकर खेलने लगी, थोड़ी देर में उसका कड़क होने लगा पर हम सब उठ कर फ्रेश होने के लिए चले गए, साथ

ही हम लोगों ने नहाने का सोचा और एक दूसरे को साबुन से नहलाया, दोनों ने मिल कर मेरे बूब्स को खूब साबुन लगाया और दबाते रहे और चूत को साबुन से रगड़ कर अच्छे से साफ कर दिया और मैंने दोनों के लिंग को खूब साबुन से रगड़ कर साफ कर दिया। इस तरह करते रहने से दोनों के लिंग फिर से खड़े हो गए और हमने बाथरूम में ही चुदाई चालू कर दी !

इस बार सुशील ने अपना लिंग मेरी चूत में डाल कर कहा- भाभी, चलो तुमको आज अलग मजा देते हैं।

मैंने कहा- क्या?

तो वो बोला- दोनों लिंग एक साथ तुम्हारी चूत में डालते हैं।

मैंने कहा- नहीं सुशील ! ऐसा मत करना, मैं मर जाऊँगी।

सुशील ने कहा- सुनील भाई, आओ, अब तुम भी डालो !

सुशील ने पीछे से अपना लिंग मेरी चूत में डाल दिया और सुनील आगे से डालने लगा पर सुशील के बड़े और मोटे लिंग के कारण नहीं जा सकता था। सुशील ने अपना काम चालू कर दिया, सुनील चुपचाप उठा और मुँह में लग गया।

मुझे फिर से जोश चढ़ने लगा और सोचने लगी- काश विनोद इन दोनों को मुझे चोदने की इजाजत दे दे तो क्या मजा आये ! विनोद के सामने इनसे चुदती रहूँ रोज ! क्यूंकि अगर विनोद के सामने नहीं चुदूँ तो कभी-कभी ही मौका मिल सकता था और मेरा हाल तो यह था कि मुझे जितना ज्यादा सेक्स मिल रहा था उतनी ही प्यास बढ़ रही थी।

थोड़ी देर में मेरे हाथ-पैर कड़क हो गए, मैं झड़ गई।

सुशील बोला- भाभी, आप तो बहुत जल्दी झड़ गई?

मैंने कहा- मेरे राजा, मैं झड़ तो गई हूँ पर मेरे प्यास नहीं बुझी है। तुम तो करते रहो।

मेरी चूत गीली होने से सुशील को और मजा आ गया और वो और जोश से करने लगा और करीब 5 मिनट के बाद मैं फिर से झड़ गई और इस बार सुशील भी झड़ गया, वो मेरी चूत में ही झड़ गया, मेरी चूत उसके वीर्य से भर गई।

वो उठा अपना लिंग मेरे मुँह में डाल कर बोला- साफ कर दो भाभी !

और सुनील से बोला- भैया, भाभी को अब तुम संभालो ! काफी हॉट है यार भाभी तो ! विनोद भाई तो कुछ भी नहीं कर पक़ते होंगे अकेले !

तो मैंने कहा- हाँ सुशील, वो तो मेरी चूत में डालते ही झड़ जाते हैं।

और अब सुनील आ गया मुझे चोदने ! चूँकि सुशील का वीर्य से मेरी फ़ुद्दी गीली थी तो सुनील का लिंग अंदर बाहर बहुत आराम से हो रहा था। वो बार बार बाहर निकाल कर मेरे मुँह में अपना लिंग डाल रहा था तो मुझे मेरी चूत के रस और सुशील के लिंग के रस का स्वाद मिला कर करवा रहा था, काफी अच्छा लग रहा था। मैं फिर से कड़क होने लगी और झड़ गई।

थोड़ी देर में सुनील भी मेरी चूत में ही झड़ गया और आकर बोला- लो भाभी मजे से चूस लो हम तीनों के रस का स्वाद !

हम फिर से नहाये और बाहर आ गए। कुछ खाना वगैरह का आर्डर दे दिया क्यूंकि मैं बहुत थक गई थी !

साथ बैठ कर नाश्ता किया और सुशील बोला- भाभी, मैं घर जाता हूँ ताकि कोई भी परेशानी न हो, और जरुरत के सामान भी ले आता हूँ।

मैंने कहा- ठीक है, पर सुनील तुम यहीं रहो अब सात दिन ! रोज सुशील चला जायेगा और जो भी जरुरी सामान है लेकर आ जायेगा। सुनील को कोई परेशानी नहीं थी तो उसको तो मजा आ गया। फिर हम रोज ऐसे ही मजे करते रहे और कब सात दिन गुजर गए पता ही नहीं चला।

वैसे मैं सुशील के साथ तो जब चाहूँ सेक्स कर सकती थी पर तीनों को साथ सेक्स करने का मौका अब जाने कब मिलने वाला था, यह नहीं पता था।

सुनील काफी भरी मन से घर जाने लगा और कहा- भाभी, मैं तुमसे अलग नहीं हो सकता हूँ ! काश तुम मेरी बीवी होती !

“पर फिर मैं ऐसे ही किसी और से करती तो क्या तुमको बुरा नहीं लगता?”

वो बोला- नहीं भाभी, तुम्हारी यही अदा तो जान लेती है कि तुम दो दो लिंग के मजे बहुत आराम से लेती हो ! जब मेरी शादी होगी तो मैं अपनी बीवी को जरुर एक बार सुशील से चुदवाऊँगा। क्यों सुशील चोदोगे न मेरी बीवी को?

सुशील बोला- क्यों नहीं सुनील भाई !

सुनील चला गया, सुशील वहीं था, तब ही विनोद का फ़ोन आया- मैं आज आ रहा हूँ, दो घंटे में पहुँच जाऊँगा।

मैंने कहा- ठीक है, आओ बहुत याद आ रही है आपकी !

और फोन रख दिया।

सुशील बोला- भाभी, मेरा एक दोस्त है रवि ! बहुत अच्छा है यार ! और उसका लिंग भी बहुत सुंदर है, हम दोनों ने साथ साथ हस्तमैथुन किया है, मैंने उसका लिंग देखा है। क्या तुम उसका लिंग देखना चाहोगी? कहो तो अगली बार जब हम साथ हो तो उसको साथ लेकर आऊँ? वो कहता है कि यार तेरे पास वाली भाभी क्या लगती है। तुमको बहुत चाहता है।

मैंने कहा- नहीं, मैं क्या रंडी हूँ जो सबसे चुदती रहूँगी ! ऐसी गलती मत करना !

वो बोला- प्लीज भाभी ! मैं उसको तुम्हारे साथ सेक्स के बारे में बता चुका हूँ ! एक बार करवा लो ना ! बहुत मरता है वो तुम पर !

मैंने कहा- ठीक है, देखेंगे ! पर अब तुम जाओ !

थोड़ी देर में विनोद आ गया !

मैंने उसको आते ही चूमा और कहा- विनोद, मुझे तुम्हारी बहुत याद आ रही थी !

ऐसा दिखाया कि जैसे मैं बहुत अकेली थी।

वो बहुत खुश हुआ और बोला- कुछ परेशानी तो नहीं हुई ना?

मैंने कहा- नहीं, यह पास का लड़का सुशील काफी अच्छा है, बहुत मदद करता है, मेरा सब काम कर देता है, और तुम्हारा दोस्त

सुनील, वो रोज आकर पूछता ही है, दोनों के कारण तुम्हारी ज्यादा कमी महसूस नहीं हुई।

वो बोला- चलो अच्छा है, कभी मिलाना मुझे भी सुशील से !

और सुनील को फोन लगा दिया, कहने लगा- यार सुनील, धन्यवाद, तुमने मेरे पीछे से इसका मन रखा।

सुनील बोला- यह क्या कहने की बात है !

और फिर विनोद और मैं सेक्स करने में लग गए। विनोद ने अपना काम जल्दी पूरा कर लिया और यह कह कर सो गया- मैं बहुत थक गया हूँ.

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रंडी बनी मेरी भाबी

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ये करीब एक साल पहले की बात है, तब मेरी उम्र कोई १९ साल की थी. मेरे घर के सामने एक ३२ साल की शादीशुदा औरत रेंट पर रहती थी. वो पेशे से हॉस्पिटल में नर्स थी. क्या मस्त माल थी वो दोस्तों. मैं बता नहीं सकता आप लोगो को. उनका फिगर ३८-२८-४० का था. वो हमेशा ३८बी की पुश-उप ब्रा पहनती थी. वो शादीशुदा थी, पर उनके हसबैंड आउट ऑफ़ स्टेट रहते थे. उनके घर में टीवी नहीं था, इसलिए वो हमेशा हमारे घर आ कर ही सीरियल देखा करती थी. मैं तो पहले ही दिन देखने के बाद, उनको चोदना चाहता था. पर किस्मत ने कभी साथ नहीं दिया. एकदिन मेरे फॅमिली को किसी काम से बाहर जाना पड़ा. तो मैं घर में अकेला ही था. तभी शाम को सबिता आंटी टीवी देखने के लिए आई. मैंने टीवी लगाकर उनके साथ बैठ कर टीवी देखने लगा. सैटरडे का नाईट था, तो कुछ खास प्रोग्राम नहीं आ रहे थे. तो वो बोली, टीवी बंद कर दो और चलो कुछ बातें करते है. वो उसदिन सलवार में थी. क्या गजब लग रही थी. गांड पूरा बाहर निकला हुआ था… क्या लग रही थी. हम बेडरूम में आ गये और ऐसी चालू करके बेड पर बैठ कर बातें करने लगे.

तभी, मैंने उनको उनके हसबैंड के बारे में पूछा. तो उन्होंने बताया, कि उनसे वो करीब ७ महीने से नहीं मिली है और बहुत उदास हो गयी. मैंने कहा, कि आंटी, उदास मत हो, मैं हु ना. तो उन्होंने कहा – तुम क्या करोगे? हस्बैंड जो सुख दे सकता है, वो कोई और नहीं दे सकता. मैंने बोला – ठीक है आंटी, आप मुझे अपना हस्बैंड ही मान लो और बोला – मैं क्या करू? फिर उन्होंने कहा – तुमने शादी नहीं की है. इसलिए समझ नहीं पाओगे? मैंने कुछ नहीं कहा और आंटी के माथे पर किस कर दिया. फिर मैंने कहा – आप मुझसे कुछ भी शेयर कर सकती हो. तो उन्होंने पूछा, तेरी कोई गर्लफ्रेंड है? मैंने कहा – नहीं, आंटी कोई नहीं है. फिर मैंने पूछा, आप मेरी गर्लफ्रेंड बनोगी? ये हमारा सीक्रेट रहेगा, गर्लफ्रेंड, किसी को नहीं बताऊंगा. तो उन्होंने हाँ कर दिया. फिर पूछा, पता है कि गर्लफ्रेंड के साथ क्या करते है? मैंने कहा – क्या? तो उन्होंने कहा – अरे लड़के होकर ये नहीं जानते…? मैंने कहा – नहीं जानता. आप ही सिखा दो. उन्होंने फिर से पूछा, कभी सेक्स नहीं किया क्या? मैंने कहा – नहीं, पर करना जानता हु. आप मुझे सिखाओ ना. तो उन्होंने कहा ठीक है. फिर उन्होंने पूछा, तेरा लंड कितने इंच का है? मैंने कहा – ८.५ इंच लम्बा और ३.२ इंच मोटा. वो एकदम से डर गयी और कहा – इतना बड़ा. मैंने कहा – मैंने ब्लूफ्लिम में देखा है कि कैसे करते है.

आप के साथ मैं ऐसे ही करू. तो उन्होंने तुरंत हाँ कर दी. मेरी तो जैसे लाटरी ही निकल गयी थी. फिर मैंने उनके बूब्स को ड्रेस के ऊपर से ही हाथ मारने शुरू किये. जोर – जोर से दबाने लगा. क्या सॉफ्ट था वो. मज़ा आ रहा था. फिर मैंने उनका ऊपर का ड्रेस निकाल दिया. किया बूब्स थे. ३८ के पुश-उप ब्रा में कसे हुए. मैं तो देख कर ही पागल हो गया. फिर तुरंत अपना पेंट – शर्ट खोल कर उसके सामने पूरा नंगा ही खड़ा हो गया और अपना लंड उनके हाथ मेर पकड़ा दिया. वो एकदम खड़ा था.. वहह… मज़ा आ गया. मैंने कहा, कि इसको अपने मुह में ले लो ना. उन्होंने कहा – मुझे गन्दा लगता था. फिर मैंने जबरदस्ती अपना लंड उसके मुह में ठूस दिया और अन्दर – बाहर करने लगा. मज़ा आ रहा था. फिर उनका ब्रा निकाल कर उनके बूब्स के साथ खेलने लगा. मस्त बड़े और टाइट थे. मैं उन्हें जोर – जोर से दबा रहा था. वो पूरी हॉर्नी हो चुकी थी. उन्होंने कहा, कि आज मुझे अपनी रंडी बनाकर चोद. मैंने और भी एक्साइट हो गया. फिर मैंने उनका पेंट निकाल दिया, तो देखा कि उन्होंने पेंटी नहीं पहनी है. मज़ा आ गया उनकी गांड देख कर. मस्त उभरी हुई और उनकी चूत भी शेव थी और बहुत बड़े – बड़े लिप्स थे. मैंने उनकी गांड पर थप्पड़ मारने लगा. मैंने कहा – आज तेरी गांड भी मरूँगा. तो उन्होंने कहा – नहीं, बहुत दर्द होगा. तेरा हाथी का लंड ले के. मैं नहीं मरवाऊँगी. तब मैंने कुछ नहीं कहा और अपना लंड उनकी चूत पर रगड़ने लगा. तब तक वो बहुत गरम हो चुकी थी और कहने लगी. अब बर्दाश्त नहीं होता, अन्दर डाल दे. तो मैंने कहा, कि अगर गांड नहीं मारूंगा, तो चूत भी नहीं मारूंगा. तब उनके पास कोई और चांस नहीं था. तो उन्होंने मुझे हाँ कर दी और कहा, कुते मेरी गांड मार ले, पर पहले अन्दर तो डाल. मैं और सहन नहीं कर पा रही हु अहहः अहहहः… प्लीज डाल दो.. प्लीज… मैं मान गया. मैंने चूत के मुह पर लंड रखा और अन्दर धकेलने लगा. पर नहीं गया. चूत बहुत टाइट थी. तो मैंने लंड के मुह पर थोड़ा सा वेसलिन लगाया और एक जोरदार धक्का मारा. तो वो एकदम से चीख पड़ी आहाहहः अहहहः ऊऊउम्म्म मर गयीईईइ… धीरे चोद मेरे राजा.. दर्द हो रहा है. ये रंडी बहुत दिनों से नहीं चुदी है. आराम से कर.. मैं बोला – आज तो तुझे रंडी की तरह ही चोदुंगा.. और एक झटके से अपना पूरा लंड अन्दर डाल दिया. वो बहुत जोर से चीख उठी अहहहहहः अहहहाह्ह मज़ा आ रहा है… इसी तरह जोर से चोद .. बहुत जोर से चोद मुझे….

मैं अब धीरे – धीरे अन्दर – बाहर करने लगा अहहहः अहहाह ईईऊऊ माँ… मज़ा आ रहा है और जोर से मार मेरी चूत. आज मुझे प्रेग्नेंट बना दे.. प्लीज मुझे एक बच्चा चाहिए… तेरे से..जिससे मैं चुदुंगी. मैंने कहा – ठीक है. ये ले रंडी और जोर – जोर से झटके मारने लगा. वो भी चिल्ला रही थी और गांड को उछाल – उछाल के मेरा साथ दे रही थी. मेरा लंड तो ११ इंच का बन गया था. वो ऊऊईईम्म्म्म… अहहहः ह्ह्ह्हह ऊऊओ चोद मेरे राजा और जोर से चोद. वो सेक्स की पूरी भूखी थी. हमने साइड चेंज की. मैं बेड पर आ गया और वो आके मेरे लंड पर बैठ गयी और उछलने लगी. क्या मज़ा आ रहा था. उनके बूब्स जोर – जोर से हिल रहे थे. मैं उन्हें दबा रहा था और २८ की सेक्सी बेल्ली पर किस कर रहा था. फिर २५ मिनट के बाद, हम दोनों एक साथ झड़ गये. वो शांत हो गयी थी और मैं भी. फिर १० मिनट के बाद, मेरा लंड फिर से खड़ा हो गया और उसे मैंने उसकी गांड पर टिका दिया. वो मना करने लगी. पर मैं नहीं माना और गांड के कट पे ही रगड़ने लगा. क्या मज़ा आ रहा था…. मैं उनको डौगी पोजीशन में ले आया. इतना बड़ा हांड देख कर मेरा लंड पूरा टाइट हो गया. मैंने उसको गांड के छेद पर टिका दिया. मैंने अपने लंड को उसकी गांड में धकेलना शुरू किया. मुझे पता था कि ये इतनी आसानी से अन्दर नहीं जायेगा. फिर भी मैंने जोर का झटका मारा… आंटी की जोरदार चीख निकल गयी और वो बेहोश हो गयी. पर मैं रुका नहीं, लगा रहा और एक और झटका मारा. तो मेरा आधा लंड अन्दर चले गया. अब मैंने उनके मुह पर पानी मारा और जगा दिया. मैंने उन्हें कहा – देखा, मेरा आधा लंड अन्दर चले गया. तो उन्होंने कहा – बहुत दर्द हो रहा है.

पर मैं लगा रहा और अन्दर – बाहर करने लगा. उनकी गांड किया हिल रही थी वहाह्हा.. मैं उनकी गांड पर थप्पड़ मारने लगा. मैंने उनकी गांड को लाल कर दिया और चोदने लगा. वो रो रही थी. फिर १० मिनट के बाद, मैंने लंड निकाला और उनकी चूत में डाल दिया और चोदने लगा. २० मिनट के बाद, मैंने सारा पानी उनकी चूत के अन्दर ही निकाल दिया. हम दोनों ही शांत हो गये और नंगे ही सो गये. ऐसा करीब ५ दिन तक चलता रहा और उन्होंने बहाना बनाकर हॉस्पिटल से छुट्टी ले ली और मुझसे रोज़ चूत और गांड मरवाती थी. ५ दिन बाद, वो अपने पति के पास चली गयी. फिर उसके २ दिन बाद, मुझे फ़ोन किया और बताया, कि मैं माँ बनने वाली हु. तो मैंने कहा, अपने पति को क्या कहा? उसने कहा, यहाँ आते ही मैंने अपने को अपने पति के छोटे लंड से चुदवा लिया था और उनकी बोला दिया, कि ये तुम्हारा बच्चा है. वो बहुत खुश है. उनको नहीं पता, कि वो बाप नहीं बन सकते. तुम ही इस बच्चे के असली बाप हो. मैं खुश हो गया और वो भी यहाँ आती रहती है. मैं हमेशा उनके घर किसी ना किसी बहाने से चला जाता हु और वीक में २-३ बार चोद ही देता हु. अब उनका फिगर ४०-३०-४४ का हो गया है. मैं उनको रोज़ मसलता हु और रोज़

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भाई ने चोदी मेरी बुर खेत में

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हैल्लो दोस्तों, मेरा नाम शिखा है, में कॉलेज की छात्रा हूँ और पिछले महीने ही 19 साल की हुई हूँ. मुझे सेक्स के बारे में काफ़ी जानकारी है और मैंने पहले 4-5 बार सेक्स कर रखा है, मेरा फिगर 34-28-36 है और आप लोग समझ ही गये होंगे कि में कैसी दिखती हूँ, मेरी गांड एकदम गोल है और बूब्स भी एकदम टाईट है. हम यू.पी. के एक गावं में रहते है, मेरे पापा गावं के ज़मीदार है और खेती करते है. मेरे भाई की उम्र 20 साल है और वो Ist ईयर में ग्रेजुयेशन कर रहा है, वो देखने में काफ़ी स्मार्ट है और उसकी हाईट 5 फुट 7 इंच है.

मैंने कॉलेज में एग्रिकल्चर का विषय ले रखा है, जिसके प्रेक्टिकल आने वाले है तो मुझे वैसे तो काफ़ी जानकारी है, लेकिन खेतों की कम जानकारी है. फिर मैंने पापा से खेतों के बारे में और फसलों की जानकारी के बारे में हेल्प लेनी चाही तो उन्होंने कहा कि विकास से पूछ ले और वो तुम्हे खेत में घुमा देगा और तुझे जानकारी भी दे देगा. फिर भाई ने हाँ बोल दिया, सर्दियो के दिन थे और खेतों में गन्ने की फसल लगी हुई थी, दूर-दूर तक हमारे ही खेत है और सुबह 8 बजे का टाईम था. फिर हम दोनों खेतों की तरफ चल दिए और चारो तरफ कोहरा था और दूर का कुछ दिखाई नहीं दे रहा था. फिर अचानक भाई ने कहा कि तू चल में आता हूँ. मैंने कहा कि क्या हुआ? फिर उसने कहा कि मुझे टायलेट करना है तू चल.

में – भाई मुझे अकेले में डर लगता है.

भाई – तो तू दूसरी तरफ मुँह कर ले.

में – ठीक है.

फिर मैंने दूसरी तरफ मुँह कर लिया और मुझे भाई की चैन खुलने की आवाज़ आई और फिर टायलेट की आवाज़ बहुत तेज़ से आने लगी. फिर मैंने चुपके से पीछे मुँह करके देखा तो मुझे कुछ नहीं दिखा, मेरे दिल में अजीब सा कुछ होने लगा था. फिर मैंने थोड़ा साईड में होकर पीछे देखा तो मेरी आँख फटी रह गई और मुझे भाई का आधा बाहर निकला लंड दिख गया, उसका क्या लंड था? में तो डर गई उस टाईम और वो कम से कम 6 इंच का दिख रहा था और मोटा तो बाप रे बाप.

फिर मैंने सोचा कि अगर ये अभी इतना बड़ा है तो खड़ा होकर तो गधे जितना हो जायेगा. फिर मेरी चूत में खुजली होने लगी और पानी आ गया. इतने में ही भाई ने मुझे हल्का सा मुड़ता हुआ देख लिया तो में डर गई और सीधा चलने लगी. फिर मुझे चूत की खुजली परेशान करने लगी तो में बार-बार अपने हाथ से चलते हुए चूत को मसलने लगी, भाई ये सब नोट कर रहा था और वो मुझे थोड़ा अलग ही नज़रो से देखने लगा. खेर फिर हम फसलों की जानकारी लेने के बाद घर आ गये. अगले दिन में कॉलेज गई तो मैंने ये बात जब अपनी सबसे अच्छी दोस्त को बताई तो वो मेरे भाई के लंड का साईज़ सुनकर हैरान रह गई और कहने लगी कि बात को आगे बढ़ा और अपने भाई से चुदवा ले तो घर की बात घर में भी रहेगी और तुझे इतना बड़ा लंड भी मिल जायेगा, लेकिन अपना काम बनने के बाद अपने भाई से मेरी भी सेटिंग करवा देना. फिर मैंने भी सोचा कि वो ठीक कह रही है और आगे बढ़ने का फैसला कर लिया.

अगले दिन से प्रेक्टिकल की तैयारी के लिए 1 हफ्ते की छुट्टियाँ थी. फिर में सुबह सुबह तैयार होकर भाई के साथ खेतों में चली गई. फिर हम अपने बोरवेल वाले कमरे में चले गये, क्योंकि बहुत ठंड थी. फिर भाई ने कहा कि में अभी टायलेट करके आता हूँ और वो कमरे की दीवार के पीछे चला गया, उस दीवार में एक ईट निकली हुई थी तो में झट से उसमें से झाँकने लगी, भाई शायद जानता था कि में उसे देख रही हूँ तो वो सीधा उस छेद के सामने जाकर खड़ा हो गया और अपनी पेंट खोलकर अंडरवियर में से लंड निकाल लिया. फिर उसने हल्का सा एक बार उस छेद की तरफ देखा और अपना लंड पकड़कर हिलाने लग गया तो धीरे-धीरे उसका लंड बड़ा होने लगा और पूरा तन गया, वाहह उसका क्या लंड था? कम से कम 8 इंच लम्बा होगा और 3 इंच मोटा होगा, मेरी तो चूत रोने लगी और मेरा हाथ अपने आप चूत पर चला गया.

फिर मैंने भी अपना हाथ अपनी सलवार के अंदर डाल लिया और चूत में उंगली करने लगी, भाई भी ज़ोर ज़ोर से मुठ मारने लगा और अचानक ही मेरे कान में उसकी आवाज़ आई, वो शिखा-शिखा करके लंड को हिला रहा था. में तो हैरान रह गई कि मेरा भाई भी मुझे चोदना चाहता है और वो झड़ने वाला था, उसने 3-4 ज़ोर के शॉट मारे और उसके वीर्य की पिचकारी कम से कम 5 फुट आगे जाकर गिरने लगी. फिर उसने कम से कम आधा कप वीर्य छोड़ा होगा, इधर ये सीन देखकर मेरी भी आह्ह्ह्ह निकल गई और में भी झड़ गई. फिर थोड़ी देर में भाई आया और बातें करते-करते मेरे बूब्स को घूरने लगा. फिर थोड़ा रिसर्च करने के बाद हम बैठ गये, हमारे अमरूद के बाग थे और उस समय अमरूद लगे हुए थे तो मैंने कहा कि भाई मुझे अमरूद खाने है. फिर उसने कहा कि खुद तोड़ ले तो में अमरुद तोड़ने लगी तो अमरूद ऊपर लगे थे और वहां तक मेरा हाथ नहीं पहुँच रहा था तो मेरे दिमाग़ में एक आइडिया आया.

फिर मैंने कहा कि भाई मुझे थोड़ा ऊपर उठा दे तो में अमरुद तोड़ लूँगी तो वो मेरे पास आकर मुझे पीछे कमर से पकड़कर उठाने लगा, मेरा हाथ पहुँच तो रहा था, लेकिन फिर भी मैंने भाई से कहा कि थोड़ा और उठा दे. फिर उसने इस बार मुझे नीचे उतार कर मुझे गांड के नीचे से पकड़ा और ऊपर की तरफ उठाने लगा, जैसे ही मेरी गांड उसके लंड के पास आई तो मुझे उसका लंड चुभने लगा तो मेरी आह्ह्ह निकल गई. फिर उसने मुझे वही रोक लिया और अपने लंड को मेरी गांड पर दबाने लगा, मुझे तो बहुत मजा आ रहा था. फिर उसने मुझे ऊपर उठाया और अपने मुँह के पास मेरी गांड को ले आया, उसकी गर्म सांसे मुझे महसूस हो रही थी.

फिर अचानक मुझे कुछ गीला-गीला सा महसूस होने लगा, क्योंकि वो अपनी जीभ निकालकर मेरी गांड पर लगा रहा था, मेरी तो चूत टपकने लगी थी. फिर मैंने अमरूद तोड़ लिया तो भाई मुझे नीचे उतारने लगा और उसका लंड ऊपर की तरफ फुल खड़ा था तो जैसे ही में नीचे आई तो उसका लंड मेरी गांड में कपड़े के ऊपर से घुसने लगा और जैसे-जैसे नीचे आती रही उसका दबाव मेरे छेद पर पड़ने लगा, सच कहूँ तो अगर मैंने उस दिन पेंटी नहीं पहनी होती तो उसका लंड मेरी गांड में घुस जाता.

फिर हम घर आ गये, वो पूरे दिन मुझे घूरता रहा और अगले दिन सुबह कॉलेज चला गया. फिर जब शाम को वो आया तो मैंने उसे फिर से खेत पर चलने को कहा, शाम के 5 बज रहे थे और मौसम भी खराब हो रहा था, हमारे खेत घर से थोड़े दूर ही थे, लगभग 30 मिनट का रास्ता था. फिर हम लोग खेत से थोड़ी ही दूर थे कि अचानक बारिश होने लगी, सर्दी का मौसम था और हम दोनों भीग गये. फिर हम दोड़ते हुए अपने टूयबवेल वाले कमरे पर पहुंचे और लॉक खोलकर अंदर बैठ गये.

मुझे बारिश की वजह से बहुत ठंड लगने लगी थी और ज्यादा ठंडी हवायें चल रही थी तो मैंने भाई से कहा कि अंदर रखी हुई थोड़ी लकड़ियां लेकर आग जला दे. अब हमें थोड़ी राहत मिली और उधर मौसम बहुत ज्यादा खराब हो गया, रात के 7 बज रहे थे और बारिश लगातार हो रही थी. फिर पापा का फ़ोन आया तो उन्होंने कहा कि बारिश हो रही है तो तुम आज रात वही पर रुक जाओं, मेरी तो आँखे चमक गयी और पूरा प्लान मेरे दिमाग़ में आ गया.

फिर मैंने भाई को बताया तो वो बारिश में ही जाकर कुछ अमरूद ले आया ताकि हम कुछ खा सके और वापस आकर अपनी शर्ट उतार दी और आग पर हाथ सेकने लगा. मेरे कपड़े आग की गर्मी से सूख चुके थे, टूयबवेल पर एक चारपाई रहती है और बिछाने के लिए एक गद्दा और रज़ाई रखे थे, क्योंकि फसल उठने या काटने के समय में पापा यही सोते है. फिर हमने 1 चारपाई पर सोने का फैसला किया. भाई ने गद्दा लगाया और हम दोनों सोने लगे और चारपाई ज्याद बड़ी नहीं थी तो इसलिए हमारा शरीर चिपक रहा था. भाई की पेंट गीली थी तो मुझे ठंड लग रही थी. फिर मैंने भाई से कहा कि इसे उतार दे तो उसने तुरंत उसे उतार दिया.

अब वो केवल अंडरवियर में था. जंगल में चारो तरफ अंधेरा था और सन्न सन्न की आवाज़े आ रही थी और बारिश भी बहुत हो रही थी. फिर मैंने दूसरी तरफ करवट ले ली और करीब 1 घंटे के बाद मुझे अपनी कमर पर भाई का हाथ महसूस हुआ तो में चुपचाप लेटी रही. फिर कुछ देर के बाद में भाई का हाथ हरकत करने लगा और हाथ बढ़कर मेरे पेट पर आ गया, में तो चाहती ही यह थी तो मैंने चुप रहने का फैसला किया. अब उसका हाथ मेरी नाभि से होता हुआ बूब्स की तरफ आने लगा, वो हल्का-हल्का मेरे बूब्स पर हाथ रखने लगा. इतने में ही मुझे अपनी गांड पर कुछ चुभता सा महसूस हुआ और मेरी धड़कने बढ़ने लगी, क्योंकि वो उसका लंड था. अब उसका लंड मेरी गांड की दरार में चला गया था तो में शांत पड़ी रही, अब उसने अपना हाथ नीचे लाकर मेरी सलवार का नाड़ा खोल दिया. फिर भाई अपने हाथ से धीरे- धीरे से मेरे सलवार को ढीला करके नीचे उतारने लगा, चारो तरफ अंधेरा था.

फिर उसने मेरी सलवार घुटनो तक उतार दी और अब मेरी पेंटी पर हाथ रखकर सहलाने लगा. फिर उसने अपना हाथ एकदम से मेरी पेंटी में डाल दिया और नीचे की तरफ उतारने लगा. वो ऐसे बर्ताव कर रहा था, जैसे वो सो रहा हो. अब उसने मेरी पेंटी भी घुटनो तक उतार दी थी. फिर 5 मिनट तक सहलाने के बाद उसने अपना लंड मेरी गांड से टच कर दिया, शायद उसने अपना लंड भी बाहर निकाल लिया था, आहह में चुपचाप पड़ी रही. फिर उसने अपना एक हाथ मेरी चूत पर रख दिया और सहलाने लग गया, मेरी चूत पर तो जैसे पानी की बाढ़ आई हुई थी, उसका पूरा हाथ भीग गया था. अब शायद वो भी समझ गया था कि में जाग रही हूँ तो इसलिए उसने देर ना करते हुए अपने मोटे लंड के टोपे को मेरी चूत के छेद पर सटा दिया और रगड़ने लगा तो मेरे मुँह से आह्ह निकल गई, लेकिन मैंने आवाज़ बाहर नहीं आने दी और मुझे बहुत मज़ा आने लगा था.

फिर मैंने अपनी गांड को थोड़ा पीछे की तरफ निकाल दिया ताकि उसका लंड मेरी चूत के छेद पर ढंग से सेट हो सके. अब वो हल्के से मेरे बूब्स को दबाने लगा और धीरे से एक झटका मार दिया और चिकनाई की वजह से उसके लंड का टोपा मेरी चूत में घुस गया तो मेरे मुँह से आआअहह निकली जो भाई ने सुन लिया था, लेकिन ना वो कुछ बोला और ना में कुछ बोली, उसका लंड बहुत मोटा था तो मुझे दर्द हो रहा था. फिर उसने धीरे-धीरे अन्दर दबाना जारी रखा तो में कराहने लगी, लगभग उसका आधा लंड अन्दर जा चुका था. अब मुझसे सहन नहीं हुआ तो मैंने अपना हाथ पीछे करके उसके लंड पर अपना हाथ रख दिया और उसे वही रोक दिया, लेकिन जब मेरा हाथ उसके लंड पर गया तो बाप रे मेरे हाथ में उसका लंड नहीं आ रहा था, में तो हैरान थी कि इतना बड़ा लंड मेरे अन्दर कैसे जा रहा है. अब भाई वही पर आगे पीछे करने लगा, मुझे मज़ा आने लगा तो मैंने अपना हाथ उसकी गांड पर रखकर अपनी तरफ दबाया और आाआईईईई माआआआआ मररररर गगगईईई आअहह मेरी सासें अटक गई और आँखों से आंसू आने लगे थे.

मुझे ऐसा लग रहा था कि जैसे मेरी चूत फट गई हो, उसका लंड पूरा अन्दर जा चुका था तो में ज़ोर-जोर से कराहने लगी और भाई मेरे बूब्स को ज़ोर-ज़ोर से दबाने लगा और थोड़ी देर में मेरा दर्द कम हो गया. और अब वो अपना हाथी जैसे लंड को पूरा अन्दर बाहर करने लगा था. अब में सांतवे आसमान में थी, आअहह आअहह ऊऊओह म्‍म्म्ममम माआ भाईईईईईई औररररर तेज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़ चोदो मुझे, रगड़ दो, सस्स्स्स्सस्स अया आअहह आअहह. फिर भाई भी तेज स्पीड में मुझे चोद रहा था और पूरे कमरे में ठप ठप ठप की आवाज़ गूँज रही थी, क्योंकि वो मेरी मोटी गांड से ज़ोर-ज़ोर से टकरा रहा था. अब भाई ने मुझे सीधा किया और पैर खोलकर बीच में आ गया और मेरे ऊपर लेट गया, उसका लंड सही जगह पर सेट नहीं हो रहा था. फिर मैंने नीचे हाथ ले जाकर उसे छेद पर लगाया और एक झटके में उसने अपना लंड अन्दर डाल दिया, आआआहह भाइई आराम से, लेकिन वो ताबड़तोड़ झटके लगाने लगा और मेरे पैर अपने आप खुलकर हवा में सीधे हो गये, वो सच में घोड़ा था यार आअहह आअहह एयए एयए एयए एम्म्म म्‍म्मह म्ह्हह्ह्ह्ह आई माआ में मर गई.

फिर ऐसे ही लगभग 30 मिनट तक उसने मुझे लगातार चोदा और में उसकी बाहों में हाथ डालकर चिपकी रही और आवाज़े निकालती रही और इस बीच में 3 बार झड़ चुकी थी. अचानक उसकी स्पीड तूफ़ानी हो गई, आअहह आअहह आअहह ऊऊहह म्‍म्म्मम भाई में आ रही हूँ और में उससे ज़ोर से चिपक गई और अपने चूतड़ उसके लंड पर चिपकाने लगी और इतने में वो भी झड़ गया और उसके वीर्य से मेरी पूरी चूत भर गई. सही मायने में मुझे आज लगा कि में कली से फूल बनी हूँ. फिर हम थोड़ी देर लेटे रहे और फिर सो गये. अब हमें जब भी मौका मिलता है तो हम सेक्स करते है और खूब मज़े करते है.

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गरम चूत वाली नेता की बीवी

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किस्मत कभी-कभी आपको किसी पराये के इतना करीब ला देगी यह आपको इस कहनी में पता चलेगा।
मेल चेक करने के दौरान मुझे किसी सुनीता नाम से मेल मिला उन्होंने अपना पता दिया और कहा- इस जगह पर आ जाना, 5000 दूंगी।और मेरी एक पुरानी मित्र रश्मि का रेफरेंस दिया।
आप यकीन नहीं मानोगे वो पता मेरे घर के पास रहने वाली सुनीता भाभी का था, सुनीता एक शादी शुदा और दो बच्चो की माँ है और किसी जनकल्याण संस्था में काम करती है, मुझसे करीब दस साल बड़ी यानि 33-34 साल की… लेकिन उसे देखकर लगता है कि उनकी कमर 26-28 की होगी, गोरा रंग, 34-30-36 का फिगर, उनके बाल लंबे हैं, कूल्हों तक आते हैं, खुले बाल लेकर जब वो कूल्हे मटकते हुए चलती है तो आग सी लग जाती है या खुले शब्दों में यों कहो क़यामत साथ चलती है…

मुझे उनकी नज़रों से हमेशा लगता था कि वो मुझे चाहती है। मेरे सामने उनकी हरकतें बड़ी मादक होती थी, छेड़छाड़ और मज़ाक वगैरह, कभी कभी वयस्क चुटकले भी, लेकिन मुझे मोहल्ले में रहना था और उनके पति राजनीतिक आदमी थे, भला मैं क्यों अपनी हद पार करता। पर अब उस मेल आने के बाद मैंने तय किया कि चलो इनके पास भी जाकर चूत का रसपान किया जाये, और यदि शिकार खुद आ रहा है तो शिकारी को हर्ज ही क्या है।

तभी मैंने सोचा इनके घर पर कैसे इन्होंने बुलाया, कहीं पिटाई तो नहीं करवाएगी?

उस दिन मैंने सुबह देखा कि सुनीता भाभी के पति सामान पैक करके अपने दोनों बच्चों और उनकी माताजी के साथ कहीं जा रहे थे, साथ में अपने लाव लश्कर को भी ले जा रहे थे।

मैं ठीक समय पर उनके घर पर गया, उनका घर दोमंजिला है, मैं वहाँ पहुँचा तो आवाज़ दी- भाभी…!!

कोई आवाज़ नहीं आई..

फ़िर दरवाज़ा खटखटाया.. तब हल्की सी आवाज़ आई- रुको, मैं आती हूँ।

थोड़ी देर में दरवाजा खुला.. उफ़ ! भाभी के बाल थोड़े बिखरे हुए उनके चहरे पर आ गए थे और सीने पर दुपट्टा नहीं.. क्या मस्त चूचियाँ हैं…

मेरे कुछ बोलने से पहले ही वो बोली- तुम्हारे भाई साहब तो 4-5 दिन के लिए किसी सम्मेलन में गए हैं, ज्यादा जरुरत हो तो उनको कॉल कर लो।

मैंने कहा- नहीं, वो दरअसल मुझे आपसे ही काम है।

उन्होंने कहा- मुझसे क्या काम है?

तब मैंने उनको अपना असली नाम बताया और मेल वाली कहानी बताई तो कुछ देर के लिए तो वो शरमा गई और मुझे नजरें नहीं मिला पाई थी।

करीब 5 मिनट बाद वो खुलकर सामने आई और कहा- तो आप ही असली आदमी हो जो महीने भर से जानते हुए भी जताया तक नहीं और मेरे घर के पास रह रहे हो? खैर मैंने तुम्हारा वो देख रखा है, तुम्हारी फेसबुक की आईडी पर है और मुझे रश्मि ने सब कुछ बता दिया है। चलो अब अन्दर चलो, मैं चाय बनाती हूँ..

अब सुनीता का रंग बदला-बदला सा लग रहा था। मैं चुप रहा और उन्हें देखता रहा !

चाय पीने के बाद सुनीता ने ब्लू फिल्म लगा दी और आकर बिस्तर पर बैठ गई, करीब 15-20 मिनट तक हम दोनों एक दूसरे के बदन को रह-रह कर नोचते रहे।

मैंने हाथों से उनकी चूचियाँ जोर से दबाई तो उनकी आवाज निकली- आआह्ह्ह धीईरे !

यह सुन कर मैं समझ गया कि सुनीता चुदवाना तो बहुत चाहती है… लेकिन बड़े आराम से ! किसी भी प्रकार की कोई जल्दबाजी नहीं..

इधर मैं पूरे उफान पर था।

मैंने उसे अपनी गोदी में खींच लिया, वो भी अपनी गांड मेरे लंड पर दबा रही थी।

मैंने उनकी कमीज़ के अंदर पीछे से हाथ डाल दिया.. नर्म बोबों से होता हुआ मेरा हाथ सीधे ब्रा के हूक पर गया।

मैंने उसे जोर से खींचा तो वो टूट गया…

“इतनी जल्दी है क्या…?”

और वो घूम गई, मैंने इस मौक़े का फ़ायदा उठाया और एकदम उनका चेहरा पास आया तो उनके रसीले लाल होंटों पर अपने होंट चिपका दिये.. वो लम्बा चुम्बन .. गीला… ऊ ओह .. और भाभी मुझसे दूर हटने लगी..

मैंने फ़िर भी नहीं छोड़ा उन्हें और अब उनकी गांड जोर से पकड़ कर खींची.. मेरा लंड उनके पेट पर लगा… उनके हाथ झटके से मेरे गले पर आ गए.. फ़िर एक बोसा…

इस बार गांड दबाते हुये और उन्होंने मुँह मेरे मुँह से नहीं हटाया…

मैंने उनके कमीज़ को ऊपर करना शुरू किया और गले तक ले आया, उनके हाथ ऊपर किये और निकाल दिया…

“क्या कर रहे हो?”

“प्यार, भाभी !”

“क्या कोई काल बॉय इतना भी प्यार करता है?”

मैंने कहा- मैं तो करता हूँ, दूसरों का नहीं पता !

“लेकिन दूसरे तो सिर्फ चोदना शुरू कर देते हैं…!”

मैंने कहा- मेरा अंदाज कुछ अलग है… आप तो संतुष्ट हो ही जाएँगी…साथ में मैं भी तो संतुष्ट हो जाऊँगा…

उन्होंने मेरे शर्ट निकाल फेंका…

मैंने सलवार की इलास्टिक खींची तो साथ में गुलाबी रंग की पैंटी भी नीचे आ गई..

मैंने भी हौले-हौले उनके एक-एक कपड़े को उनके बदन से अलग कर दिया।

मखमली कमर और छोटी पर बहुत कम चुदी हुई गुलाबी बिना बाल की चूत… शायद किसी को पहली नजर में घायल कर दे…

मैंने देर नहीं की, झपट करके उन्हें पकड़ा और निप्पल पर मुँह लगाया..

“आआह्ह हा आदित्य आह्ह्ह्ह्…”

लेकिन मेरा सिर उन्होंने अपनी छाती पर दबा लिया। ऊऊफ़्फ़ धीरे ! इतने ज़ोर से मत दबा !”

मैंने कुछ सुना नहीं, बिस्तर पर धकेला… उनके पैर नीचे लटक रहे थे…

मेरा तो लंड अब बेकाबू होने लगा… . भाभी की गांड पर हाथ फेरा और ज़ोर से मसल दिया..

आअह्ह ह्ह.. मत कर… वो उछल पडी… क्या गोरी और चिकनी गांड थी उनकी।

अब उन्होंने मुझे भी निर्वस्त्र कर दिया… आअह्ह ऊओ इतना बड़ा और मोटा… बाप रे… तभी तो रश्मि को दो-तीन दिन तक दर्द हुआ…

“उनकी बात छोड़ दो भाभी ! लेकिन आपको तो यह अच्छा लगेगा।” मैंने फ़िर से उन्हें दबोच लिया.. अब मेरा लंड उनके पेट के पास था… मैंने उनकी चूचियाँ ज़ोर ज़ोर से मसलनी शुरू की और उनके होंट चूमने लगा… इस बार वो सिर्फ आ आह ही नहीं बल्कि साथ में मुझसे लिपटी जा रही थी…

मेरे लंड का पानी उनके पूरे पेट को गीला कर रहा था।

मैंने उनसे कहा- इसे पकड़ो ना…

और उनका हाथ लंड पर लगाया..

उन्होंने बदमाशी की और उसे पकड़ के जोर से दबा दिया..

“आह भाभी… प्यार से सहलाओ !”

उन्होंने कहा- अरे, मैंने तो सुना था कि मर्द को दर्द नहीं होता…? तुम्हारा बहुत लम्बा और मोटा है… तुम आज मुझे बर्बाद करके छोड़ोगे…

मैंने कुछ नहीं कहा और उनके गोरे पेट को सहलाते हुए जीभ से गीला करने लगा.. भाभी मुझे धकेल रही थी लेकिन उन्होंने मेरा लंड नहीं छोड़ा…

मैंने अब उनके पैर फैला दिये, मुँह जांघों के बीच रखा और चूमा…आआअ अहहछ..

“वहाँ क्यों मुँह लगा रहे हो? वो गन्दी जगह है।”

“भाभी, अभी आप कुछ मत कहो।”

मेरी जीभ चूत के अंदर दाखिल हो गई और अंदर गोल गोल नचाने लगा…

“आह्ह अम मैं पागल हो रही हूँ, ऊ ये मत कर !”

लेकिन मुझे अब उनकी गुलाबी चूत और उनके अंदर का नमकीन पानी ही भा रहा था.. मैंने तेजी से चाटना शुरू किया.. भाभी अपनी गांड उछालने लगी थी… अ..मम…हई.. आअह्ह ! भाभी का बदन अकड़ने लगा था, उनका पानी निकलने वाला है यह मैं समझ गया… मैंने अपनी एक उंगली उनके मुँह में डाली, उन्होंने काट ली, फ़िर उसे धीरे धीरे चूसना शुरू किया..

मैंने अवस्था बदली, उन्हें नीचे बैठाया और मैं बिस्तर के किनारे पर बैठ गया..

उन्होंने पूछा- क्यों?

“आओ तो !”

वो नीचे हुई, मेरा लंड उनके मुँह के सामने था… वो तो तड़प रही थी फ़िर भी वो बैठी रही, मैंने लंड को उनके गालों पर रगड़ा… फ़िर होंटों पर रख कर कहा- इसकी चुम्मी लो !

वो मेरी तरफ देखने लगी… मैंने उनके सिर को पकड़ा और लंड को होटों पर रगड़ा.. चाहती तो वो भी थी…उन्होंने पहले थोड़ा चाटा जीभ से, फ़िर होटों को खोला और लंड का सुपारा मुँह में लिया… मैंने देखा कि उनके छोटे मुँह में लंड नहीं जा रहा था.. बहुत मोटा जो है..

मैंने सिर को कस के पकड़ा और दबाया- बहुत दिनों से तड़पा रही हो अपनी चूची और चूतड़ दिखा-दिखा कर..

अब उन्होंने चूसना शुरू किया, मैं तो जन्नत में पहुँच गया था- ऊऊ ओह मज़ा आ रहा है..

थोड़ी देर बाद मुझे लगा कि मेरे गोटियों में हलचल हो रही है, मेरा हो जाएगा… मैंने भाभी को उठाया और बेड पर लिटा दिया।

पैर नीचे लटक रहे थे… पैरों को उठाया और पैरों को फैलाया अपने कंधे पर रखा… लंड को चूत के ऊपर रगड़ना शुरू किया…

“भाभी कैसा लग रहा है?”

वो बोली- आदित्य, मैंने चार बार काल बाय को बुलाया पर जितना तुमने मजा दिया शायद किसी ने नहीं दिया। तभी तो रश्मि कह रही थी कि तुम पेशेवर नहीं हो, बस तुम भूख मिटाते हो ! तुम्हें जो चाहिए मैं दूंगी, बस मुझे तृप्त कर दो…”

यह सुन कर मुझे तो जोश आ गया और अपना लंड उनकी चूत पर रगड़ने लगा, रगड़ता रहा, भाभी को छटपटाता देख कर मुझे बहुत मजा आ रहा था !!

फ़िर मैं भाभी के मम्मे दबाने लगा !!

वो बोली- बस यार आदी, कितना तड़पाएगा?

मैं हंसा और अपना लंड उनके छेद पर रख कर दबाया।

भाभी तड़प उठी- …ऊओह ह्ह मर गई निकाल्ल निकाल्ल. … बहोत मोटा है, मैं मर जाऊँगीई…”

मैं रूक गया और लंड को बाहर खींच लिया। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉंम पर पढ़ रहे हैं।

भाभी ने आँखें खोली और पूछा- अब क्या हुआ?

मैंने कहा- आपने कहा कि निकाल तो इसलिए निकाल लिया।

” क्यों तड़पा रहा है… कर ना…”

मैंने आव देखा ना ताव और लंड को चूत पर रख कर जोर का झटका मारा… भाभी का पूरा बदन ऐंठ गया- आअ आआह्ह्ह ह्हछ मार डालाआअ रे… ये आदमी का है या घोड़े का, रश्मि की क्या हालत करी होगी तुमने? हाय, ऊफ़ पूरी भर गई मेरी…

मैं अब थोड़ा थोड़ा आगे पीछे करने लगा और भाभी को चूमने लगा… निप्पल चूसने लगा.. वो थोड़ा सामान्य हुई और उनकी चूत ने भी अब फ़िर से पानी छोड़ा…

मैंने आधा लंड बाहर निकाल कर इस बार तूफानी शॉट मारा और … बिल्कुल धोनी की सिक्सर की स्पीड से लंड पूरा भाभी की चूत में पेल दिया।

“आअ उईइ ईई माआआ तुम अब से पहले क्यों नहीं मिले रे…”

मैंने उनके बगल के नीचे से हाथ डालकर उनके कंधों को पकड़ा जिससे वो हिल नहीं पाए और फ़िर मैंने अपनी आदित्य वाली स्टाइल से शुरू की…

वो उफ़ उफ्फ आआह् अह्ह्छ कर रही थी, चूत से पानी की धार लग गई उनकी गांड तक बहने लगी और नीचे चादर भी गीली हो रही थी… मेरी स्पीड जोर की थी.. भाभी के मुँह से निकला-… वाह मेरे आदी !! यह कौन सा स्टाइल है जो न तो आज तक मैंने नेट पर देखा है न किसी ब्लू फिल्म में… वाह, आज मुझे पहली बार इतना मजा आया ऊऊ.. आज मेरी मुराद पूरी हो गई… ऊह् ऊओह् मेरा होने वालाआ है ! और ज़ोर से !

मैं उनके पूरे बदन को चूम रहा था, काट रहा था.. उनके लंबे नाखून मेरी पीठ में गड़ रहे थे।

“फाड़ दे… मेरी फाड़ दे आआह्ह !”

उन्होंने मुझे कस के पकड़ा और वो झड़ने लगी… करीब दो मिनट वो झड़ती रही.. इधर मेरा भी होने वाला था।

उस तूफानी स्पीड में मैंने कहा- भाभी, मेरा झड़ने वाला है, मैं कहाँ निकालूँ?

“मेरे अंदर डाल दो.. आह !”

“लो ये लो !” और मैंने लंड को उनकी चूत के एकदम अंदर मुँह पर टिका दिया और मेरी पिचकारी शुरू हो गई।दोनों ने एक दूसरे को कस कर पकड़ा था.. इसी तरह हम करीब दस मिनट रहे, फ़िर उन्होंने मुझे धकेला और मेरी तरफ देखा- कर दिया ना भाभी को खराब..! और मुझे धकेला। मैंने उनकी चूत से लंड बाहर खींचा, वो मासूम भाभी और मेरे पानी से लिपटा हुआ था..

उसे देख कर भाभी ने कहा- देखो, कैसे मासूम लग रहा है !

उन्होंने नीचे देखा… उनकी चूत फ़ूल गई थी, उन्होंने हाथ लगाया और सिहर उठी- देखो, क्या हालत की तुमने… छोटी सी थी.. कितना सूज गई है.. और कितना दर्द हो रहा है…

उनकी चूत से मेरा सफ़ेद पानी और उनका पानी बह रहा था, चूत का मुँह भी खुल गया था…

वो उठ भी नहीं पा रही थी, किसी तरह मैंने उन्हें उठाया और बाथरूम ले गया..

एक बार की चुदाई के बाद भाभी की हालत तो एकदम खराब हो गई थी.. इस उमर में इतनी जबर्दस्त चुदाई होगी, यह उन्होने सोचा भी नहीं था.. लेकिन मुझे भी उनका वो गदराया बदन काफी मुरादों के बाद मिला.. मैंने जम कर चोदा…

एक बार की चुदाई के बाद भाभी की हालत तो एकदम खराब हो गई थी.. इस उमर में इतनी जबर्दस्त चुदाई होगी, यह उन्होने सोचा भी नहीं था.. लेकिन मुझे भी उनका वो गदराया बदन काफी मुरादों के बाद मिला.. मैंने जम कर चोदा..

भाभी की चूत भी मुँह खोले हुए पूरी लाल दिख रही थी.. बाथरूम साथ में था !!!!

मैंने देखा भाभी ठीक से उठ भी नहीं पा रही है… मैंने उन्हें हाथ पकड़ के उठाया …और हम दोनों बाथरूम में ही चालू हो गए…

सुनीता ने शावर चालू कर दिया और मेरे बदन पर साबुन लगाने लगी और कुछ अपना दर्द मुझसे बाँटने लगी…

मैं अपने लंड को उनकी चूत पर रगड़ने लगा… चूत में से पानी अब भी टपक रहा था.. तभी भाभी से नहीं रहा गया और खुद मेरे लंड को हाथ में पकड़ा और अपने चूत के दाने पर रगड़ने लगी… मैं तो बेकाबू होने लगा, वहीं दीवार पर उनकी पीठ टिका दी और उनके पैर खुद ही फ़ैल गए लंड को रास्ता देने के लिये…

ऊउफ़्फ़ कितना पानी निकाल रही थी भाभी..

लगता है सालों से चूत को लंड नसीब नहीं हुआ था।. मैंने वैसे ही खड़े-खड़े अपना लंड सेट किया और क़मर हिला कर धक्का मारा।

भाभी- आअह्ह ह ! धीरे कर ना ! अपनी बीवी की चूत समझी है क्या? एकाध महीने में पति को भी दर्शन करवाने पड़ते हैं…

मैं- बीवी की नहीं मेरी सेक्सी भाभी की गदराई चूत है इसीलिये तो !

भाभी- अरे अभी तक दर्द हो रहा है.. आअह्ह ह्ह !

उन्होंने हाथ लगाकर देखा.. अभी तो इतना बहार है.. मैं तो मर जाऊँगी…

“आपको दर्द है तो मैं बाहर निकाल लेता हूँ !” मैंने उन्हें तड़पाने के लिए कहा।

भाभी- अरे ..अब इतना डाल के बाहर निकालेगा… और अब उन्होंने खुद चूत को लंड पर दबाया…

“कितना मोटा है..!”

मैं अब क़मर हिला के आगे पीछे कर रहा था…

भाभी की चूत ने इतना पानी छोड़ दिया कि अब लंड आराम से जा रहा था और मैंने भी अब सनसना कर धक्का मारा और पूरा लण्ड अंदर !

मर गई ईई… ! सच में मर्द हो… आज मुझे लगा कि असली मर्द क्या होता है… लव यू आदी… चोदो मुझे ज़ोर से चोदओ ! फाड़ दो मेरी !

मैं धक्के लगाते हुए और उनके निप्प्ल काटते हुये)- क्या फाड़ दूँ भाभी?

भाभी- जो फोड़ रहे हो…

मैं- उनका नाम बोलो..

भाभी- अपना काम करो !

मैं- अभी तो एक जगह और बची है उसे भी फाड़ना है… सबसे सेक्सी तो वो ही है तुम्हारे पास !

भाभी- क्या?

मैंने भाभी के चूतड़ों पर हाथ लगाया और उनकी गांड के छेद में उंगली डाल कर बोला- ये वाली फाड़नी है।

भाभी- आआह्ह हह नहीं वो नहीइ.. वो तो मैंने किसी को भी नहीं दी और मुझसे रश्मि ने साफ़ कहा है कि आदी को पिछवाड़ा मत देना…

मैं- तो क्या हुआ.. मुझे बहुत पसंद है।

भाभी- नहीं नहीं..

मेरे धक्के चालू थे.. मैंने देखा भाभी का बदन अकड़ने लगा है… पैर सिकोड़ कर लंड को कस रही थी और मेरे कंधे पर दांतों से काटने लगी… नाख़ून मेरे पीठ को नोच रहे है…

“यह क्या किया.. आह्ह ! मैं गईई ईइ मेरा हो गया अऊओ ऊओह्ह्ह !”

और भाभी की चूत का पानी निकल गया। मैं रूक गया.. मैंने अब उन्हें दीवार से हटाया और बाथटब के अंदर ले गया, उसमे पानी और साबुन भरने लगा..

मैंने चूत पर भी साबुन लगाया..और उसे साफ करने लगा..

जब चूत पूरी साफ हो गई मैंने गर्म पानी से धोया…मेरा हाथ बार बार उनके दाने से लग रहा था… इधर मेरा अभी तक छुटा नहीं था।

भाभी मेरे लंड को सहला रही थी, कभी मुँह में लेकर काट रही थी तो कभी अपने कानों और बालों को मेरे लंड से सहला रही थी !!!

मैं उनके मुँह के पास लंड को ले गया.. उन्होंने कुछ नहीं किया… मैंने उनकी चूत को देखा.. दोनों जांघों के बीच एक लकीर.. लग रहा था कि एक शर्माई हुई मुनिया.. मैंने हाथ फेरा… लकीर के बीच उंगली डाली.. फ़िर से गीली, लबालब पानी..

मुझसे अब रहा नहीं गया, मैंने भाभी के पेट को चूमना शुरू किया और दोनों पैर भाभी के दोनों तरफ डाले और उनकी चूत पर मुँह रख दिया..

मैंने जबरदस्ती पैरों को फैलाया और उनका रस चाटने लगा.. जीभ को दाने पर रगड़ा… मेरा लंड उनके मुँह के पास लटक रहा था, भाभी से रहा नहीं गया, उन्होंने उसे हाथ में पकड़ा, मैंने क़मर और नीचे की और उसे ठीक उनके होटों पर टिका दिया… थोड़ी देर तो उन्होने कुछ नहीं किया लेकीन फ़िर अचानक उसे जीभ से चाटा और होंट खोलकर अंदर लिया…

मैंने सिहरन सी महसूस की- आअह भाभी चूसो मेरी जान… अआः मजा आ रहा है !

मैं तो उनके गरम होटों के स्पर्श से पागल हो रहा था… अब वो भी पूरी मस्ती में उसे मुँह में ले रही थी.. अचानक मैंने थोड़ा अंदर दबाया.. लंड एकदम उनके हलक तक पहुँच गया। उन्होने तड़प कर उसे बाहर निकाला और कहा- अब क्या मार डालोगे.. इतना लम्बा और मोटा गले के अंदर डाल रहे हो.. मेरी तो सांस रुक जाएगी…

मैं- ओह ! आप इतना अच्छा चूस रही हो..

इधर भाभी की हालत फ़िर खराब होने लगी, मेरी जीभ उनकी चूत के अंदर पूरी सैर कर रही थी.. भाभी ने फ़िर से पानी छोड़ दिया.. उनकी गांड तक बह रहा था.. गांड के छेद तक ! मैंने पूरा चाट लिया, जीभ से पूरा चाटा.. इधर मुझे लग रहा था कि मेरा भी पानी भाभी के मुँह में निकल जाएगा… मैंने अपना लंड उनके मुँह से निकाल लिया, लण्ड उनके थूक से गीला हो कर चमक रहा था और भी मोटा हो गया था, मैं उठ कर कमोड पर बैठ गया और भाभी को अपने पास खींचा…

भाभी- अब क्या कर रहे हो?

मैं- आओ ना, दोनों पैर फ़ैला कर लण्ड पर बैठ जाओ और सवारी करो।

भाभी- मुझसे नहीं होगा..

मैंने उन्हें पकड़ के पोजिशन में लिया, और लंड के ऊपर चूत को सेट किया और कहा- बैठो…

उन्होंने कोशिश की- आआह ! नहीं होगा..

मैंने उनके चूतड़ों पर हाथ रखे और नीचे से धक्का किया.. आधा लंड गप्प से अंदर।

अब मैंने उन्हें कहा- धीरे-धीरे इस पर बैठो…

वो बैठने लगी.. चूत चिकनी तो थी.. अंदर घुसने लगा। फ़िर वो रूक गई.. अभी भी थोड़ा बाहर था..

मैंने उनकी चूची और निप्प्ल चूसना शुरू किया… और पीछे से उनकी गांड के सुराख में उंगली डाली।

“उईईईई….!”

और मैंने उन्हें जोर से अपने ऊपर बैठा लिया… पूरा लंड अंदर और भाभी की चीख निकल गई- आअह्ह्ह ह्ह्ह्ह्ह मर गई ऊओह…!

अभी तक दो बार चुदने के बाद भी चूत इतनी कसी लग रही थी, मुझे मज़ा और जोश दोनों आ रहा था… भाभी मेरे सीने से चिपटी रही.. फ़िर थोड़ी देर बाद वो खुद ही मेरे लंड पर ऊपर नीचे होने लगी… मैं भी नीचे से धक्के मार रहा था।

भाभी बड़बड़ाने लगी- आ आह तुमने मुझे जिन्दगी का मज़ा दे दिया अह्ह्ह्ह.. और उनके उछलने की स्पीड बढ़ गई।

“अह आआह.. … मेरे आदी इतने दिन क्यों नहीं किया.. आआअह्ह मेरा होने वाला है… !’

और ऐसे ही उछलते हुये उनका पानी निकल गया.. वो मेरे सीने से लिपट गई, मैं उन्हें चूमने लगा..

अब मैंने भाभी को खड़ा किया..

मेरे दिमाग में एक नया आसन आया ! कमोद के ऊपर मैंने भाभी को झुकाया दोनों हाथ कमोड के ऊपर रखवाए…

भाभी- यह क्या कर रहे हो?

मैं- मैं तुम्हें और मजा दूंगा जानेमन..

मैं पीछे आ गया.. ऊओह क्या मस्त उभरे हुये चूतड़.. और ऐसे में उनकी चूत का छेद एकदम गीला… और गांड का गुलाबी छेद… मैंने पीछे से लंड को उनके चूतड़ों पर घुमाया… …और गांड के छेद पर लगाया…वो एकदम उछल कर खड़ी हो गई.. नईई वहाँ नहीईईईइ…

“नहीं डार्लिंग ! मैं सही जगह डालूँगा !” और फ़िर से उन्हें झुकाया… चूतड़ और ऊपर किये ताकि चूत ऊपर हो जाए…

और फ़िर..

भाभी- अह्ह धीरे…आआ अह्ह !

मेरा लंड अंदर जा रहा था, लेकिन मैंने उसे बाहर खींचा और एक झटके में पूरा अंदर डाला..

वो तो चिल्ला पडी- अरे मार डालोगे क्या??

मैंने उनके चूतड़ सहलाये और आगे हाथ बढ़ा कर उनकी चूचियाँ दोनों बगलों से दबाने लगा… करीब 3-4 मिनट में भाभी फ़िर पानी छोड़ने लगी.. मैंने उनका एक पैर कमोड के ऊपर रखवाया… और फ़िर तो मैंने भी राजधानी एक्सप्रेस की स्पीड से चोदना शुरू किया।

भाभी उफ़ उफ़ आह अह्ह्ह कर रही थी।

मैंने उनके कानों के पास चूमा- जानू.. मजा आ रहा है ना?

भाभी- बहुत.. और जोर से करो…

अब मुझे लगा कि मेरा निकलने वाला है… एक घंटे से ऊपर हो गया था.. मेरे अंडों में प्रेशर आ रहा था.. मैंने भाभी को बाथ टब के अंदर लिया और लिटाया.. दोनों पैर फैलाये.. घुटनों से ऊपर मोड़ कर एक झटके में अंदर डाला… उनकी आंखें फ़िर बड़ी बड़ी हो गई लेकिन मैंने कुछ देखा नहीं और फ़िर उफ्फ ! वो धक्के लगाए कि भाभी की साँस फूलने लगी, वो सिर्फ अआः इश्ह इश्ह्ह्ह्ह आआः कर रही थी।

मेरा पूर्वानुमान गलत था कि वो बहु चुदी हैं, वो तो सेक्स की बहुत भूखी हैं !

मैं- जानू ऊऊऊ मेरा निकलने वाला है.. अंदर डालूँन या बाहर…?

भाभी- एक बार तो अंदर डाल दिया है, अब बाहर क्यूँ? डाल अंदर !

1-2-3-4-5-5-6-7 ! कितनी पिचकारी मारी, मैं भूल गया और उनके ऊपर लेट गया..

करीब दस मिनट हम ऐसे ही पड़े रहे.. मैंने फ़िर उठकर उन्हें चूमा तो उन्होंने आँखें खोली..

मैंने धीरे से पूछा- जानेमन, कैसा लगा?

वो कुछ बोली नहीं.. सिर्फ मुस्कुरा दी..

फ़िर हम दोनों ने एक दूसरे को रगड़ रगड़ कर नहलाया।

मेरा फ़िर खड़ा होने लगा था.. लेकिन भाभी जल्दी से तौलिया लपेट कर बाहर निकल गई..

मैंने कहा- बस हो गया…?

“बस फ़िलहाल यहीं तक ! अगर जरुरत लगेगी तो मैं बुला लूँगी ! तुम रहते कितनी दूर हो…!”

उन्होंने मुझे पैसे देने चाहे तो मैंने अपनी एक दिन की सेलेरी ली क्यूंकि उस दिन मैंने ऑफिस से छुट्टी ली थी।

मैं वापिस अपने कमरे में आ गया।

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बुरी तरह से चोदा टीचर ने ब्लू फिल्म दिखाकर

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हैल्लो दोस्तों, मेरा नाम आलोक है और में भिलाई का रहने वाला हूँ और मेरी गर्लफ्रेंड हर्षा भी भिलाई में अपनी इंजिनियरिंग कर रही है. हर्षा बहुत सेक्सी लड़की है, गोरा रंग है और बूब्स 28 साईज के है और सबसे सेक्सी उसकी टाईट गांड है. हमारे कॉलेज का हर लड़का उसे चोदने के लिए पागल रहता था, लेकिन मेरी किस्मत अच्छी थी जो कि वो मेरे से कोचिंग के टाईम पट गई. मैंने उसे सिर्फ़ चोदने के लिए पटाया था. तब मुझे नहीं पता था कि वो एक नंबर की चुदक्कड़ है और उसने मुझे बताया था कि जब वो क्लास 9वीं में थी तब ही उसके पड़ोस वाले अंकल ने उसके घर आकर उसकी चुदाई कर दी थी. वो तभी से सेक्स के लिए पागल है, लेकिन वो दिखने में बिल्कुल सीधी साधी लगती है और फिर मैंने भी पार्क और कॉलेज में उसके बहुत मज़े लिए है.

एक दिन उसने मुझे रात में कॉल किया और कहा कि मुझे अभी चुदवाना है तो में डर गया और आज यह कैसे रंडी जैसे बोल रही है? फिर मैंने जैसे तैसे उसे फोन सेक्स करके उसे ठंडा किया और उसे सुला दिया. फिर 2 महीने के बाद हमारा प्रॉजेक्ट का टाईम आ गया और हमारा प्रॉजेक्ट हमारे प्रोफेसर मिस्टर छाबड़ा कर रहे थे, वो भी हर्षा की चुदाई करने के चक्कर में थे. तभी उन्होंने उसे अपनी टीम में लिया और यह बात हर्षा को भी पता थी. फिर मैंने कई बार सर को हर्षा से कॉलेज की सुनसान जगह पर ले जाकर बात करते देखा था, लेकिन जब में पूछता था तो वो बोलती थी कि हम प्रॉजेक्ट के बारे में बात करते है.

एक दिन कॉलेज खत्म हुआ तो में साथ जाने के लिए हर्षा को ढूँढ रहा था, लेकिन वो मुझे कहीं पर भी नहीं दिखी तो मुझे लगा कि वो हॉस्टल चली गयी होगी, लेकिन जब में दूसरे दिन कॉलेज जल्दी चला गया तो मैंने सोचा कि वहाँ जाकर देखता हूँ, जहाँ हर्षा और सर हमेशा जाया करते थे तो जब में वहाँ गया तो मैंने वहाँ एक उपयोग किया हुआ कंडोम देखा, थोड़ा और ढूँढने के बाद मुझे वहाँ से एक ब्रा मिली जो 28 साईज़ के बूब्स की लग रही थी. फिर में गुस्से से लाल हो गया था कि कहीं हर्षा सर से कल कॉलेज के बाद चुदवा तो नहीं रही थी.

फिर वो दिन आ ही गया जब मेरे सारे शक सही निकले. मिस्टर छाबड़ा ने हम सब प्रॉजेक्ट टीम को अपने घर बुलाया और उसमें हर्षा भी आई थी, वो टाईट जीन्स और सफ़ेद शर्ट पहने हुई थी और वो इतनी सेक्सी लग रही थी कि मेरा लंड खड़ा हो गया था. सब लड़के और सर उसे देख रहे थे. फिर मैंने हर्षा से कहा कि आज तो तू बहुत सेक्सी लग रही है, यहाँ के बाद रूम में चलेगी क्या? फिर वो बोली कि देखते है.

फिर सर ने जल्दी जल्दी सबको उनके काम बता दिए और सबको घर भेज दिया और हर्षा को रुकने को कहा तो में समझ गया कि सर आज हर्षा को चोदने वाले है. सब चले गये, क्योंकि सारे कॉलेज को सर और हर्षा के बारें में पता चल गया था. फिर सब के साथ में भी चल गया, लेकिन थोड़ी देर के बाद में वापस देखने के लिए आया, लेकिन हर्षा की गाड़ी वहीं थी.

फिर मैंने सर के घर में चुपचाप से अपनी गाड़ी खड़ी की और खिड़की से देखने लगा कि अन्दर हो क्या रहा है? रात का टाईम था और कोई मुझे भी नहीं देख पा रहा था. जब मैंने खिड़की से अन्दर देखा तो हर्षा सर की गोदी में बैठी थी और सर उसकी शर्ट के बटन खोल रहे थे. फिर मैंने ध्यान से देखा तो हर्षा ने सर का लंड अपने हाथ में पकड़ा था और सर हर्षा की शर्ट के सारे बटन खोल चुके थे. उसने लाल कलर की ब्रा पहनी हुई थी और उसके गोरे बदन पर लाल कलर की ब्रा बहुत सेक्सी लग रही थी. फिर सर ने हर्षा की ब्लू जीन्स भी उतार दी और वो लाल ब्रा और लाल पेंटी में कयामत लग रही थी, ऐसा लग रहा था कि वो आज यहाँ चुदने के ही इरादे से आई हो.

फिर वो सर का लंड अपने मुँह में लेकर चूसने लगी और सर ने उसके बाल पकड़े हुए थे और वो सर का लंड चूस रही थी. फिर मैंने भी अंधेरे का फायदा उठाया और अपनी जीन्स और चड्डी नीचे कर ली, इतना सेक्सी सीन चल रहा था. अब मेरे सामने कॉलेज की सबसे हॉट लड़की हर्षा का सेक्स सीन था. फिर मैंने अपना फोन निकाला और रिकॉर्डिंग में डाल दिया और लाईव सेक्स को इन्जॉय करने लगा और बातों बातों में सर के मुँह से निकल गया कि हर्षा कल कॉलेज में तेरी चुदाई करने में बड़ा मज़ा आया और तूने भी मज़ा लिया ना.

हर्षा ने अपने मुँह से लंड निकाला और बोली कि सर आप मेरी चुदाई करो और मुझे मज़ा नहीं आए, लेकिन मुझे एक बात समझ में नहीं आई कि आपने मेरी ब्रा को वहाँ क्यों छोड़ने को कहा? और आपके वीर्य से भरा कंडोम भी वहीं छोड़ दिया. फिर सर ने कहा कि तेरा आलोक वहाँ जाता है और देखता है कि कुछ मिल जाए तो आज उसे तेरी ब्रा मिल गयी होगी और मेरा उपयोग किया हुआ कंडोम भी मिल गया होगा. यह सुनकर मेरे होश उड़ गये कि सर ने ही मुझे बताने के लिए यह सब किया और हर्षा शरमा कर फिर से सर का लंड चूसने लगी.

फिर 10 मिनट तक लंड चूसने के बाद सर ने हर्षा को उठाया और सोफे पर बैठा दिया और उसकी पेंटी उतार कर फेंक दी और उसकी चूत चाटने लगे. अब वो गर्म होने लगी थी और सिर के बाल पकड़कर सर को गाली देने लगी, मादरचोद छाबड़ा ठीक से चाट मेरी चूत, कॉलेज के सारे लड़के मेरी चूत देखने के लिए तरसते है, चाट मेरी चूत. यह सुनकर सर भी गर्म हो गये और उसकी चूत और गांड को अपनी जीभ से चूसने लगे. फिर 15 मिनट के फोरप्ले के बाद हर्षा का फोन बजा और वह फोन उसके हॉस्टल से आया था तो उसने सर से बात करवा दी थी और सर ने बोल दिया कि 30 मिनट और लगेगें.

फिर सर जल्दी से कंडोम लाए और हर्षा से बोले कि अपने मुँह से कंडोम पहना दे और हर्षा ने थोड़ी सी भी देर ना करते हुए एक बार में ही सर के लंड पर अपने मुँह से कंडोम पहना दिया. फिर सर ने हर्षा के बाल पकड़े और सोफे पर पटक दिया और उसकी टांगो को हवा में खोलकर अपना लंड डालने लगे तो हर्षा ज़ोर से चिल्लाई सर दर्द हो रहा है, लेकिन मज़ा आ रहा है. हर्षा के मज़े लेते हुए सर ने अपने शॉट की स्पीड तेज कर दी और ज़ोर-ज़ोर से चोदने लगे.

अब हर्षा की आवाज़ दर्द से इन्जॉय में बदलने लगी, आआआआआआ हूऊऊऊऊऊओ एसस्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स फुक्ककककक मी, फक मी टाईट पुसी, यअहह यअहह बेबी, फक मी, की आवाज़ आने लगी और अब मैंने भी अपने लंड को हिलाना शुरू कर दिया था और मुझे भी अपनी गर्लफ्रेंड को चुदते देख मज़ा आने लगा था. फिर 5 मिनट तक स्पीड में चुदने के बाद सर ने उसे डॉगी स्टाईल में चोदना शुरू किया, अब सर पीछे से उसके बाल पकड़कर उसकी ज़ोर-ज़ोर से चुदाई कर रहे थे. अब सर की स्पीड तेज होती जा रही थी और हर्षा की चिल्लाने की आवाज़ और मेरा लंड हिलाना भी तेज हो रहा था.

फिर सर ने उसके बाल छोड़े और उसकी ब्रा उतार दी. मैंने उसे पहली बार किसी और के साथ नंगी देखा था, लेकिन वो सीन मज़ेदार था. फिर सर का वीर्य निकलने लगा तो उन्होंने हर्षा के बाल पकड़े और उसे नीचे बैठा दिया और अपना सारा वीर्य उसके बूब्स के ऊपर निकाल दिया. फिर हर्षा पानी पीने गई तो मुझे लगा कि चुदाई ख़त्म हो गई होगी, लेकिन जब हर्षा पानी पीकर आई तो वो सर का लंड फिर से खड़ा कर रही थी और उसकी आग अभी तक नहीं बुझी थी.

फिर वो सर का लंड ज़ोर-ज़ोर से चूसने लगी. फिर सर का जैसे ही लंड खड़ा हुआ तो वो सर के लंड पर बैठ गयी और ज़ोर-ज़ोर से उछलने लगी. अब सर भी चार्ज हो रहे थे तो फिर सर भी उसे पकड़कर खड़े हो गये और उसे गोद में लेकर चोदने लगे, यह देखकर मुझे बहुत मज़ा आ रहा था और उसी टाईम मैंने भी अपना वीर्य हर्षा के नाम से निकाल दिया. यह चुदाई 10 मिनट तक चली और सर ने अपना सारा वीर्य हर्षा के चेहरे पर निकाला और उसकी फोटो भी खींची.

फिर चुदाई के 5 मिनट के बाद में हर्षा भी अपने कपड़े पहनकर सर के घर से बाहर निकल गयी और होस्टल जाने लगी. फिर मैंने उसे रास्ते में रोका और पूछा कि क्या कर रही थी? फिर वो बोली कि सर मुझे नोट्स दे रहे थे. फिर मैंने उसे उसकी और सर की चुदाई का वीडियो दिखाया तो वो बोली कि तुम ये सब रिकॉर्ड कर रहे थे. फिर मैंने बोला कि अब मुझे भी तुझे चोदना है तो उसने जवाब में मुझसे कहा कि तुझे क्या? तेरे दोस्तों को भी चोदना होगा, में तैयार हूँ. फिर उस दिन के बाद से मेरे दोस्त, में और सर बारी-बारी से उसकी चुदाई करते थे, लेकिन अब कॉलेज ख़त्म हो गया और वो अपने घर चली गई. हर्षा बहुत बड़ी वाली चुदक्कड़ थी और यह में कभी नहीं भूल सकता हूँ.

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चुदाई के बाद खुस थी बुवा की बेटी

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हैल्लो दोस्तों, मेरा नाम रवि है यह मेरे जीवन का एक सच्चा सेक्स अनुभव है. दोस्तों मेरा लंड 6.5 इंच का है और में उससे खुश हूँ. में पुणे का रहने वाला हूँ और में इंजिनियरिंग कर रहा हूँ. मेरी लम्बाई 5.8 इंच है और में हर रोज़ जिम जाता हूँ. कोई अन्य लड़की और आंटी जो पुणे की रहने वाली है या और पुणे के आस पास की है तो में उनसे वादा करता हूँ कि में उन्हें अपनी एक बार की चुदाई से ही पूरी तरह से संतुष्ट कर सकता हूँ. खैर अब में अपनी आज की कहानी पर आता हूँ. यह मेरी पहली कहानी है और अगर मुझसे कोई भी गलती हुई हो तो प्लीज आप सभी मुझे माफ़ जरुर करें.

दोस्तों मेरी एक बुआ है जो नासिक में रहती है और में कभी कभी बुआ के घर छुट्टियों में जाया करता हूँ और मेरी बुआ के पति को मरे हुए अभी करीब 8 महीने हो गये है. अब बुआ की फेमिली में बुआ और उनका एक बेटा और एक बेटी है. बुआ की उम्र करीब 44 साल है, लेकिन फिर भी बुआ चेहरे, बदन की देखरेख की वजह से दिखने में 35 साल की लगती है और बुआ का बेटा विक्की 19 साल का है, जो कि एक होस्टल में रहता है और बुआ की लड़की का नाम शीला है और में उसे शिल्डी बुलाता हूँ और उसकी उम्र 24 है.

में बहुत दिनों से सेक्सी कहानियाँ पढ़ रहा हूँ और इसी वजह से मैंने बुआ और शीला के नाम की बहुत मुठ मारी. में शीला को बचपन से जानता हूँ और उसकी शादी चार साल पहले हुई थी और वो अब मुंबई में रहती है. यह बात तब कि है जब शीला की शादी के वक्त मेरे मामा और बुआ के पति ने उसके ससुराल वालों की कुछ माँग पूरी नहीं की और जिसकी वजह से ससुराल वाले उसे हमेशा तंग करते थे और उनका पति भी उनका बिल्कुल भी साथ नहीं देता था और शादी के कुछ दिनों के बाद ही उसके पति का गली में किसी लड़की से चक्कर शुरू हो गया. यह बात उसके घरवालों को पता थी और शीला को भी, लेकिन बैचारी क्या करती, उससे अब घर में बस सभी काम करवाया जाता था और शादी के दो साल बाद शीला को एक लड़की हुई और फिर शीला अपने मायके आ गयी.

फिर उसके कुछ दिनों के बाद ही उसके पति ने उससे तलाक लिए बिना ही दूसरी शादी कर ली और दहेज के लालच में उसके घर वालों ने भी हाँ कर दी, लेकिन यह बात मेरी बुआ और शीला को बहुत देरी से मालूम पड़ी, लेकिन बैचारो ने कुछ खास नहीं किया और शीला ने उसके सास, ससुर और पति पर केस कर दिया. शुरू में केस चलता रहा और बाद में एक साल बाद केस दोनों को समझा बुझाकर रफ़ा दफ़ा कर दिया और अब बैचारी शीला को उसके सौतन के साथ रहना पड़ा.

फिर ऐसे ही कुछ दिन बीत रहे थे और फिर शीला ज़्यादातर बुआ के घर ही आती जाती थी. वैसे में बता दूँ कि शीला थोड़ी रंग की सावली है और उसका फिगर भी ठीक ठाक है, यही कुछ 34-30-32 और उसके बूब्स को देखने पर लगता है कि वो अब ब्लाउज से बाहर आने को तरसते है. अब बात यह है कि वो बैचारी अपनी शादीशुदा ज़िंदगी में बिल्कुल भी खुश नहीं थी और उसकी बेटी को ससुराल वाले बहुत प्यार करते थे, लेकिन उसे कोई भी प्यार नहीं करता था और यहाँ तक कि उसका पति भी नहीं. फिर इसी दौरान शीला कुछ दिनों के लिए नासिक आई हुई थी और में भी अपनी गर्मियों की छुट्टियों में बुआ के घर पर गया हुआ था.

मैंने जब शीला को वहां पर देखा तो एकदम से दंग रह गया. मैंने मन ही मन सोचा कि इतनी अच्छी माल को उसके पति ने भले कैसे छोड़ दिया? आते ही बुआ ने मेरा स्वागत किया तो हमारे बीच इधर उधर की बातचीत हुई. फिर बुआ ने हमे नाश्ता परोसा और नाश्ता करने के बाद हम लोग छत पर चले गये और बुआ पास की गली में किसी के घर पर चली गयी. फिर हम लोग शुरू में इधर उधर की बातें करने लगे, शीला मुझसे मेरी पढ़ाई के बारे में पूछने लगी, लेकिन मेरी नज़र बार बार उसकी छाती पर जा रही थी, वैसे भी मेरा उस वक्त कोई ऐसा गलत इरादा नहीं था.

फिर हम लोग फिर से इधर-उधर की बातें करने लगे और वैसे उसने मुझे दो तीन बार अपनी छाती पर देखते हुए पकड़ लिया था, लेकिन फिर भी उसने मेरे साथ कोई ऐसा व्यहवार नहीं किया और बातें करते करते में उसको कुछ ज़्यादा ही घूरकर निहारता गया, जैसे कि उसके चेहरे की चमक, हल्के काले होंठ, पतली कमर, बाहर की तरफ उभरी हुई गांड, उसके गोल मस्त गाल, मस्त चंचल आँखे और भी बहुत कुछ.

फिर शीला बालकनी में खड़ी हो गयी और बाहर का नजारा देखने लगी, में भी उससे सटकर खड़ा हो गया और उसके जिस्म के छूने से मुझे एक अजीब सी झुरझुरी आ गयी. तभी शीला ने मुझसे पूछा कि क्या हुआ तुम्हे? फिर मैंने बोला कि कुछ नहीं, लेकिन शायद वो अब समझ गयी थी और कुछ देर बाद बातों ही बातों में मैंने उसका हाथ पकड़ लिया और उससे पूछा कि यार शीला तुम कितना काम करती हो, देखो तुम्हारे हाथ कितने खराब हो गये? फिर वो बोली कि मेरे नसीब में अब बस यही सब लिखा है और किसी को मेरी कुछ भी नहीं पड़ी और वो बहुत उदास होकर यह सब बोल रही थी.

फिर मैंने मौका देखकर उसका हाथ अब ऊपर तक पकड़ लिया और बोला कि प्लीज यार ऐसा मत कहो, एक दिन सब कुछ बिल्कुल ठीक हो जाएगा, उस समय वह नीचे की तरफ देख रही थी तो मैंने उसका चेहरा उठाया और उसकी आखों में अब पानी आ चुका था. मैंने उसके आंसू साफ किए तो वो कुछ ज्यादा ही गमगीन हो गयी और फिर वो मुझसे गले लग गयी. फिर मैंने भी अपना एक हाथ उसके सर पर रख दिया और दूसरे हाथ से उसकी पीठ को सहलाने लगा. वो बैचारी मुझसे चिपक कर रो रही थी और नीचे मेरा लंड खड़ा हो गया.

फिर में उसके बड़े बड़े बूब्स मेरी छाती पर महसूस करने लगा और हम कुछ देर ऐसे ही चिपके रहे, तभी अचानक से हमें बुआ की आवाज़ आई, कहाँ हो तुम दोनों? फिर मैंने कहा कि हम ऊपर छत पर है और अभी आ रहे है. फिर हम नीचे आ गये और बुआ किचन में काम करने लगी. फिर में और शीला टी.वी. देखने लगे, मेरा लंड अभी भी पेंट में खड़ा हुआ था और में उसे छुपाने की कोशिश कर रहा था, शीला फिल्म कम और मुझे ज़्यादा देख रही थी. फिर में भी उसे ऊपर से नीचे तक देख रहा था, उसके उठे हुए बूब्स और आँखों में अलग सी एक चमक थी, उसने हल्के गुलाबी रंग की साड़ी और ब्लाउज पहना हुआ था और अंदर काली कलर की ब्रा पहनी हुई थी, जिसकी डोरी मुझे साफ साफ दिख रही थी, शीला उस समय बहुत मस्त कमाल की लग रही थी.

फिर कुछ देर के बाद बुआ ने उसे किचन में बुला लिया और में ऊपर वाले कमरे में चला गया और शीला के नाम की मुठ मारने लगा और अब में शीला को चोदने का मौका ढूंढने लगा और उसकी चुदाई का विचार करने लगा. फिर रात में खाना खाने के बाद हम बुआ के साथ गप्पे मारने लगे और कुछ समय के बाद बीच में ही शीला सोने के लिए ऊपर अपने कमरे में चली गयी. फिर मैंने और बुआ ने थोड़ी देर बातें की, तब बुआ मुझे बता रही थी कि मेरी बेटी शीला के साथ ज़िंदगी में बहुत ना इंसाफी हुई है और वो बैचारी हमेशा अकेली और शांत रहती है, लगता है कि इसमें कोई जान नहीं है और वो ठीक से खाना भी नहीं खाती और ना ही बात करती, बस दिन भर बैचारी चिंता में रहती है. यह बात कहते वक्त बुआ की भी आँखो में आंसू आ गये.

फिर मैंने कहा कि कोई बात नहीं बुआ अब में कुछ दिनों के लिए यहाँ पर आया हूँ तो उसे कुछ दिनों के लिए मेरी दोस्ती मिल जाएगी, यह बात कहते वक्त में बुआ को बिल्कुल सटकर बैठ गया तो मुझे बुआ के बूब्स दिख गये, थोड़े झूले हुए थे, लेकिन वो तो शीला से भी बड़े थे. फिर मैंने कहा कि में सब ठीक कर दूँगा, लेकिन उस वक्त मुझे ही पता था कि में कैसे ठीक करने वाला था. फिर दो मिनट के लिए बुआ को अपने विचारों में लेकर में फिर से गरम हो गया और अब मेरा लंड पेंट में खलबली मचाने लगा और बुआ मेरे सर पर हाथ फेरते हुए बोली कि जा बेटा वो अपने कमरे में ही होगी और शायद अभी तक सोई भी नहीं होगी, जा उससे कुछ बातें कर, मुझे नींद आ रही है और वैसे मुझे कल बाबा के आश्रम जाना है.

फिर में ऊपर चला गया और मैंने देखा कि शीला जागी हुई थी और वो मुझे देखकर उठकर बैठ गई. फिर मैंने कहा कि यार शीला ज़िंदगी एक ही बार मिलती है तो उसको एंजाय करो, उस एक बात को लेकर कितने दिन तक परेशान रहोगी? मैंने उसे थोड़ा समझाने की कोशिश की और आकर उसके पास में जाकर बैठ गया. फिर वो मेरे कंधे पर सर रखकर फिर से रोने लगी. मैंने उसे शांत कराया और उसका एक हाथ मेरे हाथ में ले लिया और सहलाने लगा और कहा कि तुम ऐसी उदास सी मत रहा करो और जब तुम्हारे पति को तुम्हारे बारे में कुछ चिंता नहीं है तो तुम भी उसके बारे में अब सोचना बंद कर दो और अपनी बेटी की तरफ ध्यान दो.

फिर वो और ज़ोर से सिसक सिसककर रोने लगी और मुझसे और भी चिपक गयी. फिर मैंने उसे अपनी बाहों में ले लिया और उस वक्त थोड़ा में भी उदास सा हो गया था. अब उसका सर अपने दूसरे हाथ से सहलाने लगा और हल्के से मैंने उसका माथा चूम लिया और बोला कि ऐसे नहीं हारते और मैंने उसे फिर से चूम लिया, लेकिन वो कुछ नहीं बोली और फिर मेरी भूख बड़ गयी.

फिर मैंने उसे ऊपर से नीचे तक निहारा और उसके पैर, जांघे, कमर, पेट, बूब्स और फिर मैंने उसका चेहरा उठाया और उसके आँसू साफ किए और उसने उसकी आँखे बंद कर ली थी तो मैंने हल्का सा एक किस उसके गाल पर किया. दोस्तों में क्या बताऊँ कैसा था वो पल? मेरा लंड पेंट में खड़ा हुआ था और मैंने उसको दूसरे गाल पर किस किया. फिर मैंने उसे ऊपर उठाया और कहा कि क्या हुआ, ऐसी शांत क्यों हो? वो कुछ नहीं बोली और फिर मैंने अपना अंगूठा उसके कोमल गाल, होंठो पर घुमाया तो उसके शरीर में एक अलग सा जोश आ गया और वो अपने होंठो को काटने लगी और मुझसे लिपट गयी.

फिर मैंने पूरे जोश से उसके होंठ पर हल्का सा किस किया और उसके बहुत गरम और नरम होंठ थे और उसके बूब्स भी अब ब्लाउज में से उठे हुए दिख रहे थे. फिर मैंने उसके चेहरे पर से आए हुए कुछ बालों को हटाया और होंठ को किस किया, लेकिन कुछ देर के बाद वो भी मेरा पूरा पूरा साथ देने लगी और हम एक दूसरे के होंठ मानो काट रहे थे. यह किस करीब दो मिनट तक चला और किस करते वक्त मेरा एक हाथ उसकी छाती पर पहुंच गया था और मेरा लंड भी अब बहुत बड़ा हो गया था.

फिर मैंने हाथ उसके पेट और नाभि पर घुमाया और फिर वो अब कुछ ज़्यादा ही सिसकने लगी और मैंने एक और जोश भरा किस किया, जिसमें हम एक दूसरे के मुहं में जीभ डालने लगे और किस करते करते में उसके गाल, गर्दन पर किस करने लगा और मेरा दूसरा हाथ पेट से होकर उसके पेटीकोट का नाड़ा खोलने लगा तो उसने मेरा हाथ पकड़ लिया और आँखो से ही ना का इशारा किया, लेकिन मैंने महसूस किया कि असल में उसकी आँखो में एक अलग सी भूख और प्यास थी और फिर उसकी गर्दन पर किस करते वक्त मैंने उसके पेटीकोट का नाड़ा खोल दिया और फिर मैंने उसकी चूत पर हाथ लगाकर महसूस किया कि वो बहुत गरम और गीली थी, जैसे ही मैंने उसे हाथ से टटोला तो वो मुझसे कसकर लिपट गयी और बोली कि आहहहह रवि क्या कर रहा है तू? फिर मैंने कहा कि शीला कुछ नहीं तुम बस मज़े लो डार्लिंग और अब में एक हाथ में उसके चेहरे को पकड़कर माथे, गाल, होंठ, गर्दन को चूमता रहा और एक हाथ से उसकी चूत को सहला रहा था.

वो बहुत अजीब सी आवाज़े निकालती रही और थोड़ी देर बाद ऐसे ही चलता रहा. अब उसने मेरे लंड को पेंट के ऊपर से पकड़ लिया और ज़ोर ज़ोर से हिलाने लगी और में उठ गया और मैंने उसे बेड पर लेटा दिया और उसकी साड़ी का पल्लू हटाकर उसके बूब्स ब्लाउज के ऊपर से ही दबाने लगा. फिर वो बोली कि थोड़ा प्यार से रवि बहुत दर्द होता है, यह कहने के बाद ही मैंने उसके होंठ को किस किया और उसका ब्लाउज खोल दिया और उसके बूब्स को ब्रा के अंदर से आज़ाद करके उसे पागलों की तरह चूसने लगा और वो अह्ह्ह्हहह उह्ह्हह्ह की आवाज़े करती रही. फिर मैंने उसकी साड़ी को और पेटीकोट को उतार दिया, वो अब बिल्कुल नंगी हो गयी, बस उसकी जिस्म पर एक पेंटी ही बची हुई थी और वह पागलों की तरह बेड पर तड़पने लगी और मुझसे बोली कि आहह उफ्फ्फ्फ़ रवि में बहुत प्यासी हूँ और बहुत सालों से नहीं चुदी हूँ.

फिर मैंने कहा कि हाँ शीला में वहीं सब तो कर रहा हूँ, वो उठी और अपनी ब्रा की डोरी को पीछे से खोल दिया और मुझे अपने ऊपर लेकर किस करने लगी, वो मेरे कानों को धीरे धीरे काटने लगी और अपने दोनों हाथ मेरी पीठ पर घुमाने लगी और फिर मेरी गर्दन और छाती को किस करने लगी. फिर में भी अब बहुत गरम हो गया था. मैंने उसकी पेंटी को भी उतार दिया और उसकी चूत में अपनी एक उंगली को डाल दिया, वो मुझसे और चिपकने लगी और फिर बोली कि प्लीज अब और मत तरसाओ, चोद दो मेरे भाई, प्लीज आज एक बार चोद दो मुझे.

फिर मैंने उसकी चूत को देखा और चाटने के लिए नीचे गया तो वो बोली कि तू यह क्या कर रहा है? मैंने कहा कि अरे बस मज़े लो, ब्लू फिल्म में ऐसा ही होता है. मैंने भी अभी तक बस ब्लू फिल्म में देखा था कि चूत को चाटते है और चाट भी पहली बार रहा था. फिर मैंने उसकी चूत पर जीभ लगाई और उसकी चूत का बहुत अजीब सा नमकीन सा स्वाद था और थोड़ा थोड़ा करके में अपनी जीभ को चूत के अंदर बाहर करने लगा और चूत को हल्का सा काटने, चूसने लगा. मेरे ऐसा करने से शीला मेरे सर को ज़ोर से अपनी चूत पर दबाने लगी और अपने होंठो को काटने लगी और फिर कुछ देर बाद आखिर में मेरे मुहं में झड़ गई और वो पागलों की तरह हाथ पैर पटकने लगी.

फिर मैंने भी देर नहीं की और उसकी चूत पर लंड रखा और हल्का सा धक्का मारा तो वो एकदम से चिल्ला पड़ी. फिर मैंने उसके होंठो को किस करना चालू रखा और फिर दूसरा धक्का दिया तो मेरा लंड अब आधे से ज़्यादा अंदर चला गया था और जैसे ही मैंने और दो जोरदार धक्के मारे तो मेरा पूरा का पूरा लंड अंदर जा चुका था, जिसकी वजह से शीला की आँखो में पानी आ गया और में समझ सकता था कि बैचारी बहुत सालों से चुदी नहीं और में धीरे धीरे धक्के मारने लगा तो कभी कभी मेरा लंड बाहर निकल जाता, क्योंकि यह चुदाई मेरी पहली चुदाई थी. फिर बहुत कोशिश करने के बाद मुझे थोड़ा आराम मिला और में शीला को चोदने लगा और उसी वक्त उसकी गर्दन और होंठो को किस करता रहा और वो भी किस करने लगी और अपने नाख़ून मेरी पीठ पर गड़ाने लगी और कहने लगी कि रवि चोद हाँ उह्ह्ह्ह और ज़ोर से मेरे भाई अहह्ह्हह्ह्ह्ह हाँ और ज़ोर से धक्के दे, मेरी चूत को आज शांत कर दे, इसकी भूख मिटा दे. फिर में लगातार ज़ोर ज़ोर से धक्के देकर उसे चोदता रहा और करीब आधे घंटे की मस्त चुदाई के बाद जब में झड़ने वाला था तो में और भी ज़ोर से धक्के मारने लगा.

फिर शीला ने मेरी पीठ पर पूरे नाख़ून गड़ा दिए और फिर में उसकी चूत के अंदर ही झड़ गया. दोस्तों आप सभी को क्या बताऊँ उस वक्त मुझे ऐसा लगा कि में ज़न्नत में हूँ, लेकिन इस दौरान शीला भी दो बार झड़ चुकी थी और मेरा लंड अभी तक उसकी चूत में था. फिर मैंने उसके होंठो पर एक ज़ोरदार किस किया और उसकी आँखो में अब एक अजीब सी संतुष्टि थी. फिर उसने मेरा सर चूमा और कहा कि धन्यवाद रवि और में उसके सीने पर सर रखकर पड़ा रहा और मुझे कब नींद आई पता ही नहीं चला.

फिर सुबह जब खिड़की से रोशनी मेरे चेहरे पर आई तो में उठ गया और मैंने देखा कि उस समय 8 बजे है और मेरा लंड अभी तक शीला की चूत के बिल्कुल पास था. मैंने शीला के चेहरे को देखा और अब मुझसे रहा नहीं गया और मैंने उसे एक गरमा गरम किस करके उठाया तो वह झटपट उठी और बोली कि उठो जल्दी बुआ आश्रम जाने वाली है, उन्हे टिफिन बनाकर देना है, लेकिन उसे पूरी नंगी देखकर मेरा लंड खड़ा हो गया और उसने मुझे अपने ऊपर से हटाया और साड़ी पहनने लगी और बोली कि रवि क्या तुम कल रात चूत के अंदर ही झड़े? तो मेरे हाँ कहने पर वो मुझसे बोली कि तुम नाश्ता करने के बाद मेडिकल से एक गर्भनिरोधक गोली ले आना और मैंने कहा कि ठीक है.

फिर मैंने भी अपने कपड़े पहने और उतरकर नीचे आया और मैंने देखा कि बुआ किचन में खाना बना बना रही है. फिर मैंने बुआ को गुड मॉर्निंग किया और डाइनिंग टेबल पर बैठ गया, शीला आई और बुआ को लिपटकर उसने गुड मॉर्निंग किया, शीला आज बहुत खुश नज़र आ रही थी और वो बुआ को उनके काम में मदद करने लगी. फिर बुआ बोली कि अरे में खुद तुम लोगों को उठाने के लिए ऊपर आने वाली थी.

फिर मैंने सोचा कि शायद बच्चे रात को बातें करके देर से सोए होंगे तो इसलिए मैंने तुम्हे सोने दिया. अब शीला बुआ से बहुत अच्छी तरह से बातें कर रही थी और काम भी, तभी बुआ बोली कि में अब आश्रम जा रही हूँ कुलकर्णि बाई के साथ और शाम 6 बजे तक लौटूँगी तो शीला ने कहा कि ठीक है और वो टॉयलेट के लिए चली गई. फिर बुआ ने मुझसे बोला कि बेटा शीला मुझे बहुत दिनों के बाद ऐसी खुश नज़र आई और उसका अच्छे से ख्याल रखना, में जा रही हूँ और बुआ टिफिन पैक करके चली गयी. दोस्तों अब मुझे ही शीला की खुशी का राज पता था और में बहुत अच्छी तरह से जानता था कि उसकी खुशी कैसे वापस आई है. फिर बुआ के जाने के बाद में और शीला एक साथ नहाए और उस दिन मैंने शीला को तीन बार चोदा और मैंने उसके साथ और उसने मेरे साथ बहुत मजा किया.

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हेरोइन की मीठी चूत की चुदाई

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बात तब की है जब मैं कॉलेज में था एमए फ़ाइनल कर रहा था और कॉलेज में फेस्ट चल रहा था। निधि मेरी बहुत अच्छी दोस्त थी और मैं उसे दिल ही दिल में चाहता भी बहुत था लेकिन कभी कहने की हिम्मत नहीं होती थी। हम दोनों खूब साथ कॉलेज में रहते थे बात चीत करते थे लेकिन इससे ज़्यादा न कभी मैंने न कभी उसने ही कोई पहल करी। फेस्ट में हम दोनों एक्टर ऐक्ट्रेस का रोल कर रहे थे। नाटक शाम को ५ बजे होना था और हम १ बजे से ही रिहर्सल कर रहे थे। लगभग २ घंटा पहले मेक अप करके हम दोनों को थोड़ी देर डाइरेक्टर ने हमें एक ही कमरे में छोड़ दिया और डाइलोग बोल कर देखने को कहा। उसने एक आदिवासी की साड़ी पहनी थी और मैंने एक धोती और एक फटा हुआ बनियान पहना हुआ था क्योंकि मैं नाटक में एक मजदूर और वो मेरी बीवी का रोल कर रही थी।

नाटक की प्रक्टिस में हम दोनों को एक सीन में डांस करना था मैंने उसकी कमर में हाथ डाला और उसने मेरी कमर में हाथ डाला और हमने डांस करना शुरू किया। उसके बाद एक बेंच से टकरा कर वो थोडी सी लड़खड़ायी और उसकी साड़ी का पल्लू नीचे गिर गया। अचानक मेरी नज़र उसके बूब्स पर चली गई जो ब्लाउज़ का गला गहरा होने की वजह से साफ साफ दिखाई पड़ रहे थे। उसका रंग इतना गोरा था कि मानो दूध से भी सफ़ेद। साइज़ तो बस एक दम परफेक्ट। इतना परफेक्ट कि कोई भी देखे तो बस देखता ही रह जाए। शायद ३६-२६-३४ होगा। मेरी निगाह उसकी छाती से ही अटकी रह गई। तभी मैंने देख कि निधि अपने साड़ी का पल्लू उठाने की बजाय मेरी तरफ़ ही देखे जा रही है। मुझे लगा कि शायद ग्रीन सिग्नल मिल रहा है मैंने चेहरा ऊपर उठा कर उसके लिप्स पर किस करना शुरू कर दिया। उसने कोई विरोध नहीं किया। मैं किस और ज़्यादा डीप करता गया और फ़िर अपनी जीभ उसके मुंह मी दे दी और फ़िर उसके जीभ मेरे मुंह में भी आ गई। वो भी बहुत एन्जॉय कर रही थी।

मैंने मौका देखते हुए उसके बूब्स को दबाना शुरू कर दिया और ब्लाउस के ऊपर से ही पूरा मज़ा लेने के बाद मैंने ब्लाउज़ के अन्दर हाथ डालने की बजाय उसे पीछे से बांहों में भर कर उसकी गांड दबाने लगा। मैंने वो भी मुझे बिल्कुल मना करने की बजाय मेरा साथ दे रही थी मैंने अब देर न करते हुए उसकी साड़ी को उठाया और उसकी गोरी गोरी टांगो को देख कर मेरी आँख जैसे खुली की खुली ही रह गई। मैं उसकी टांगों को नीचे से चूमता हुआ ऊपर तक गया और उसकी काले रंग की पैंटी को किस किया और फ़िर देर न करते हुए उसकी पैंटी को उतार कर उसकी चूत को चाटना शुरू कर दिया। वो और ज़्यादा गरम होती जा रही थी।

मैंने अब देर न करते हुए अपनी धोती खोल कर अपने लंड को आज़ाद किया जिसका कच्छे में बुरा हाल हो रहा था। ८ इंच लंबा और ३ इंच मोटा लंड देखते ही उसके होश उड़ गए और वो कहने लगी कि नहीं रोहित प्लीज़ मेरे साथ वो मत करना मुझे बहुत दर्द होगा। मैंने कहा डरो मत मेरी जान मैं बिल्कुल दर्द नहीं करूँगा मगर वो मान ही नहीं रही थी। तो मैंने उसको कहा कि क्या तुम मेरे इस हथियार को अपने मुंह में ले सकती हो? उसने पहले तो मना किया पर फ़िर मेरे बार बार प्लीज़ कहने पर वो मान गई अब वो मेरे लंड को चूस रही थी और मैं मानो जन्नत में था। उससे खूबसूरत लड़की को मैंने अपनी ज़िंदगी में नहीं देखा था और वो मेरा लंड चूस रही थी।

थोड़ी देर के बाद वो पूरे मज़े के साथ चुसाई का काम करने लगी और उसे भी खूब मज़ा आ रहा था। अब मैंने उसको कहा कि जानू एक बार असली खेल भी खेल लेते हैं फ़िर बहुत मज़ा आएगा। वो फ़िर भी घबरा रही थी लेकिन अब की बार थोड़ा सा ही समझाने पर वो तुरंत मान गई और मैंने मुंह से ढेर सारा थूक निकाल कर अपने लंड और उसकी चूत पर लगाया और अपना काम धीरे धीरे शुरू किया। उसे बहुत दर्द हो रहा था। मगर अब वो कुछ बोल भी नहीं सकती थी क्योंकि अगर वो थोड़ी से भी आवाज़ बाहर निकालती तो बाहर से कोई भी आ सकता था। ऐसे में मैंने अपने होठ उसके होठों पे रख दिए और चुदाई कार्यक्रम शुरू कर दिया। थोड़ी देर में उसे भी मज़ा आने लगा और फ़िर लगभग १५ मिनट की मजेदार चुदाई के बाद हम दोनों ने अपना अपना पानी छोड़ दिया। उसके बाद तो मैंने लगभग हर हफ्ते उसे उसके घर पर जाकर चोदा।

वैसे वो आज भी मेरी बेस्ट फ्रेंड है पर अब उसकी शादी हो गई है। हालांकि शादी को २ महीने ही हुए हैं पर हो सकता है कि मेरा प्रोग्राम अभी भी चलता रहे।

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दो जिस्म की आग

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मेरा नाम अजय और में हरियाणा का रहने वाला हूँ मेरी हाईट 5.9 इंच है और मेरी उम्र 22 साल है. दोस्तों अब में आप सभी का ज्यादा समय खराब ना करते हुए सीधा अपनी आज की कहानी पर आता हूँ.. लेकिन इसमें कोई गलती हो तो आप सभी मुझे अपना समझकर माफ़ करें. दोस्तों यह बात आज से एक साल पहले की है जब में कॉलेज में था और में अपने कॉलेज के पास में किराए से एक रूम लेकर रहता था.

उस समय मेरे पड़ोसे में एक फेमिली रहती थी जिसमें दो लड़के और एक लड़की और उनके माता, पिता रहते थे और उस लड़की का नाम रश्मि था और वो लड़की अपने नाम की तरह बहुत सुंदर थी. उसके पतले, पतले लाल सुर्ख होंठ, हिरनी जैसी आखें, सुराही सी गर्दन, कसे हुए बड़े बड़े बूब्स, पतली कमर और मदमस्त गांड, एकदम मस्त बिंदास फिगर और उसको देखकर रह किसी का भी ईमान डोल जाए और उसके मेरे पड़ोस में रहने के कारण मेरी उससे अक्सर बात होती थी.

एक रात वो अपनी छत पर घूम रही थी और मैंने उससे उसका मोबाईल नंबर माँगा तो उसने इशारे से मुझे अपना नंबर दे दिया और फिर उसी समय मैंने उसे फोन किया और हम बातें करने लगे.. लेकिन उस रात के बाद मेरी उससे फोन पर हर रोज बातें होने लगी थी और एक बार रात को मैंने उससे मेरे फ्लेट पर आने को कहा तो उसने साफ मना कर दिया.. लेकिन बाद में आने का वादा करके उसने कॉल काट दिया.

फिर अगली सुबह किसी ने मेरे दरवाज़ को खटखटाया और जैसे ही मैंने दरवाजा खोलकर बाहर देखा तो वो मेरे सामने खड़ी थी और मुझे अपने ऊपर विश्वास नहीं हो रहा था और में उसे एक सपना समझकर देखने लगा. तभी उसने मेरे हाथ पर छुआ और में हडबड़ा कर अपनी नींद से पूरी तरह उठा और मैंने उसे अंदर आने को कहा और हम बैठकर बातें करने लगे.

थोड़ी देर बाद उसने मुझसे पूछा कि क्या घर में दूध है? तो में हाँ में सर हिलाकर किचन की तरफ जाने लगा तो उसने कहा कि तुम बैठ जाओ आज में तुम्हारे लिए चाय बनाकर लाती हूँ और जब वो किचन में चाय बना रही थी तो पहली बार में उसके गोल गोल बूब्स, बड़ी सी चूतड़, पतली कमर को बड़े गोर से देख रहा था.

फिर हमने चाय पी और बातें करने लगे.. में उसे एकटक देखने लगा. तो उसने पूछा कि ऐसे क्यों देख रहे हो? तो मैंने कहा कि आज तुम बहुत सुंदर लग रही हो. तो मेरे मुहं से यह बात सुनकर वो ज़ोर ज़ोर से हंसने लगी और मैंने मौका देखकर धीरे से उसका हाथ पकड़ लिया.. उसने मेरी तरफ बड़ी मदहोशी से देखकर स्माइल की और अपना हाथ छुड़ाकर भाग गई. तो में उसे जाते हुए देख रहा था और फिर वो मेरे फ्लेट पर अक्सर आने जाने लगी और में उसे छेड़ने लगा.. में कभी उसका हाथ पकड़कर मसल देता तो कभी उसके नाजुक, गोरे गोरे गालों को सहला देता.. लेकिन वो मेरे किसी भी काम का ऐतराज नहीं करती और मुझे धीरे धीरे आगे बड़ने का मौका मिलने लगा और एक दिन मैंने थोड़ी हिम्मत करके उसकी गांड पर हाथ रख दिया. तो उसने कहा कि ऐसे मत करो तो मैंने उसको पकड़ा और दीवार से लगाकर उससे चिपककर खड़ा हो गया और कहा कि अच्छा बताओ और क्या करूं?

वो मुझे धक्का देकर मुझसे दूर हो गयी और मुस्कुराकर चली गई. तो उस दिन मैंने दो बार उसे सोचकर मुठ मारी और फिर रात को उसने मुझे कॉल किया और मैंने उससे थोड़ी सी हंसी मज़ाक की और फिर मैंने उससे उसके फिगर का साईज पूछा.. पहले तो उसने साफ मना कर दिया और फिर दो तीन बार पूछने पर उसने अपने फिगर का साईज़ मुझे बताया 34-30-36 और उसकी उम्र पूछी. फिर हमने बहुत देर तक सेक्सी बातें की और कॉल खत्म होने के बाद मैंने एक बार फिर से मुठ मारी और सो गया.

फिर जब वो अगले दिन मेरे पास आई तो मुझसे नज़र हटाकर बात करने लगी और जब वो जाने लगी तो मैंने उसके गालों पर किस किया और हल्के से उसके बूब्स को दबा दिया. तो वो उस दिन के बाद कुछ दिन मेरे फ्लेट पर नहीं आई.. लेकिन हमारी फोन पर ही बातें होती रही. फिर जब में सुबह उठा तो देखा कि मेरे कॉलेज जाने का समय हो चुका था और जब में जल्दी से तैयार होकर कॉलेज के लिए निकाला तो मैंने देखा कि उसकी फेमिली कहीं बाहर जा रही है. तो मैंने उसको कॉल किया तो उसने मुझे बताया कि उसके मम्मी, पापा उनके किसी रिश्तेदार के यहाँ पर जा रहे है और शाम तक वापस आ जायेगें और उसने मुझे बताया कि वो वहाँ पर नहीं जा रही है.

तो मैंने उसकी यह बात सुनकर कॉलेज ना जाने का फैसला लिया और वापस अपने फ्लेट पर आ गया और अब में उसके आने का बड़ी बेसब्री से इंतज़ार करने लगा और वो करीब एक घंटे के बाद मेरे फ्लेट पर आई.. उसने काले रंग का सलवार सूट पहना हुआ था और उसमे वो बिल्कुल सेक्सी लग रही थी.. उसे देखकर मेरा लंड उफान मारने लगा. तो मैंने उससे कहा कि क्यों आज किसका कत्ल करने का इरादा है? तो यह बात सुनकर वो शरमा गयी और हम बातें करने लगे तभी ज़ोर से बरसात होने लगी और उसने मुझे छत पर चलने को कहा और हम दोनों ऊपर छत पर बारिश का मज़े लेने लगे. दोस्तों उस बारिश के पानी में उसका सलवार सूट उसके बदन से एकदम चिपक रहा था जिसकी वजह से मुझे उसके जिस्म का हर एक अंग साफ साफ दिख रहा था और उसका भरा भरा जिस्म देखकर मेरा लंड टाईट होने लगा था और फिर में उससे जाकर चिपक गया और उसके जिस्म पर धीरे धीरे हाथ घुमाने लगा और उसकी गर्दन पर किस करने लगा.. तो उसने मुझे एकदम से धक्का दिया और वो भागकर नीचे जाने लगी.. लेकिन मैंने उसे सीडियो पर पीछे से पकड़ लिया.

तो में फिर से उसकी गर्दन को चूमने लगा वो छुड़ाने की कोशिश करने लगी.. लेकिन मैंने उसे नहीं छोड़ा और उसकी गर्दन को पागलों की तरह चूमने लगा और उसके कानों को धीरे से चूमा और धीरे से काटता रहा. अब उसकी आखें बंद होने लगी और मैंने उसका चेहरा अपनी तरफ घुमाया और उसके गालों को चूमने लगा.

फिर उसके होंठो पर अपने होंठ रखकर धीरे धीरे चूसने लगा. दोस्तों उस समय मुझे लगा कि जैसे यह समय रुक सा गया हो और अब उसकी सांसे तेज़ होने लगी थी और मैंने उसे गोद में उठाया और नीचे ले जाकर बेड पर लेटा दिया और उससे लिपट गया. उसके होंठो को चूसने लगा और उसके गरम जिस्म को सहलाने लगा फिर उसके दोनों बूब्स को कपड़ो के ऊपर से ही अपने हाथों में लेकर धीरे धीरे मसलने और दबाने लगा और उसने अपनी आखें अभी तक नहीं खोली थी.

मैंने सही मौका देखकर उसका सलवार सूट उतार दिया और अब वो मेरे सामने गुलाबी कलर की ब्रा और पेंटी में थी. दोस्तों आपको क्या बताऊँ वो उस समय पानी में भीगी हुई क्या लग रही थी? में उसको शब्दों में नहीं बता सकता. उसका पूरे गरम जिस्म पर छोटी छोटी पानी की बूंदे और भी उसके जिस्म पर चार चाँद लगा रही थी. तो मैंने भी अपनी टी-शर्ट और लोवर उतार दिया और में उसके पेट को चूमने लगा.

उसका जिस्म बहुत गरम हो गया था और वो मचलने लगी और मैंने उसकी ब्रा को उतार दिया और अब उसके बूब्स एकदम मेरे सामने थे बिल्कुल गोल गोल गहरे भूरे कलर की निप्पल एकदम तनकर खड़ी हुई थी और में उसके एक बूब्स को मुहं में लेकर चूसने लगा और दूसरे बूब्स को एक हाथ से दबाने, मसलने लगा और बहुत देर तक में उसके बूब्स को चूसता रहा और धीरे धीरे उसकी कमर को चूमते हुए नीचे जाने लगा और अब मैंने उसकी पेंटी भी उतार दी और में उसकी चूत को घूरकर देखने लगा. उस पर हल्के हल्के बाल थे..

मैंने उसकी चूत पर अपना एक हाथ धीरे से रख दिया और उसकी चूत को सहलाने लगा और कुछ देर सहलाने के बाद मैंने महसूस किया कि उसकी चूत से थोड़ा थोड़ा सा पानी बाहर आ रहा था और अब मैंने उसका हाथ अपने खड़े लंड पर रख दिया.. लेकिन उसने तुरंत अपना हाथ हटा दिया और फिर मैंने दोबारा उसका हाथ लंड पर रख दिया.. लेकिन इस बार उसने हाथ नहीं हटाया वो धीरे धीरे मेरे लंड पर अपना हाथ घुमाने लगी. दोस्तों मेरा लंड बहुत देर से तनकर खड़ा था जिसकी वजह से वो बहुत दर्द कर रहा था और फिर वो मेरे लंड को आगे पीछे करने लगी.

फिर मैंने कुछ देर के बाद अपना लंड उसके होंठो पर रख दिया.. वो धीरे धीरे से लंड की टोपी को चूसने लगी और मुझे बड़ा मज़ा आ रहा था. मेरा लंड और भी फूल फूलकर कुप्पा हो गया. तो मैंने उसे लेटा दिया और उसकी चूत पर अपना मुहं रख दिया. मेरे चूत पर मुहं रखते ही वो एकदम मचलने लगी और उसके मुहं से अह्ह्ह्ह उह्ह्ह्ह माँ मरी अह्ह्ह उह्ह्ह की सिसकियाँ फूटने लगी और में उसकी चूत को 5 मिनट तक चूसता रहा. फिर कुछ देर में वो झड़ गयी और उसने अपनी चूत का पानी मेरे मुहं में छोड़ दिया और मैंने उसे चाटकर साफ कर दिया. फिर में उसके पैरों के बीच में बैठ गया और अपना लंड उसकी चूत पर रगड़ने लगा.

उसने मेरे लंड को पकड़ा और मुझे कुछ देर रोक दिया और मैंने कुछ देर के बाद लंड को चूत के मुहं पर सेट किया और एक झटका मारा लेकिन लंड ऊपर की तरफ़ फिसल गया.. क्योंकि उसकी चूत का छेद बहुत छोटा था और चूत बहुत टाईट थी. लेकिन इस बार उसने मेरा लंड पकड़कर अपनी चूत पर सेट किया और आखों से मुझे इशारा किया और मैंने एक ज़ोर का झटका दिया और लंड का टोपा उसकी चूत में चला गया और उसके मुहं से चीख निकल गयी. मैंने तुरंत उसके मुहं पर अपना एक हाथ रख दिया और वो दर्द से छटपटाने लगी और छुड़ाने की कोशिश करने लगी.. लेकिन मैंने उसे बहुत कसकर पकड़ लिया और एक ज़ोर का झटका मारा तो उसकी आखों से आंसू आने लगे और अब मेरा आधा लंड उसकी चूत में था.

में कुछ देर ऐसे ही रुका रहा और धीरे धीरे उसके गालों को चूमता रहा और उसके होंठो को चूसने लगा और उसके जिस्म को एक हाथ से सहलाने लगा. कुछ देर बाद वो मेरा साथ देने लगी और में धीरे धीरे अपना लंड उसकी चूत में आगे पीछे करने लगा और धीरे धीरे मैंने अपना पूरा लंड उसकी चूत में घुसा दिया.. लेकिन अब भी मेरा लंड उसकी चूत में बहुत टाईट जा रहा था. दोस्तों शायद यह उसकी पहली चुदाई थी इसलिए उसकी चूत इतनी टाईट थी और वो दर्द से तड़प रही थी. फिर कुछ देर बाद वो भी अपनी कमर को उठाकर मेरा साथ देने लगी और मैंने अपनी स्पीड बड़ा दी.. वो अपनी गांड को उठाकर मेरे लंड को अपनी चूत में पूरी गहराइयों तक लेने लगी और वो मेरे बदन पर हाथ फेरने लगी और मुझे अपनी बाहों में जकड़ने लगी.

पूरे रूम में उसकी सिसकियाँ गूंजने लगी.. वो मुझे काटने लगी और उसने अपने दोनों पैरों को क्रॉस करके मेरी कमर को जकड़ लिया और मेरे हर एक धक्के पर उसकी सिसकियाँ तेज होने लगी और उसकी चूत से फच फच की आवाजें आने लगी. उसने मुझे अपने जिस्म से ज़ोर से जकड़ लिया.. मुझे ऐसा लगा कि वो मुझमें समाना चाहती और फिर उसने अपने नाख़ून मेरे पेट पर गड़ा दिए. तभी उसकी चूत से जोरदार स्पीड में गरम गरम लावा बाहर निकलने लगा और वो इतने ज़ोर से झड़ी कि 3-4 झटके के बाद मैंने भी अपना वीर्य उसकी चूत में छोड़ दिया और निढाल होकर उसके ऊपर गिर गया और कुछ देर तक हम ऐसे ही एक दूसरे की बाहों में लिपटे बेड पर पड़े रहे और कुछ देर बाद हम उठे और बाथरूम में जाकर एक दूसरे को साफ किया. फिर उसने खून से सनी हुई बेडशीट को उठाकर धो दिया.

उसके बाद उस दिन हमने एक बार और चुदाई की और जब तक शाम हो गई थी और उसके मम्मी, पापा के आने का भी टाईम हो गया था और वो जल्दी से कपड़े पहनकर, मुझे किस करके अपने घर चली गयी.. लेकिन अब जब भी हमे मौका मिलता तो हम सेक्स करते है और मैंने उसे अपने फ्लेट में हर जगह, हर पोजिशन में कई बार चोदा.

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