घर आते ही मैंने देखा की पड़ोस की रश्मि आज भी मेरी बीवी के साथ बैठी हैं. रश्मि की उम्र कुछ 19 साल हैं और वो मेरी बीवी से सिलाई सिखने के लिए आती हैं. मेरी बीवी सुधा जो की उससे 10 साल बड़ी हैं रश्मि को बड़े प्यार से सिलाई का काम सिखाती हैं. रश्मि को देख मेरे दिल में अजब सी खुमारी चढ़ती हैं; उसकी महकती मदमस्त जवानी मेरे 30 साल के भूखे लंड को मचला देती हैं. मैंने रश्मि का बूर चोदा हैं मुठ मारते हुए. मैं बस एक मौके की तलाश मैं हूँ; की कब रश्मि मुझे अपनी जवानी पिने दे और कैसे उसका बूर चोदा जाए. मैंने सुधा को इस बात की बिलकुल भी भनक नहीं लगने दी और मैंने रश्मि को लाइन देने लगा. वो मुझे प्रदीप अंकल कहती थी; और मैं उसे रश्मि कह के ही बुलाता था. ऐसे ही २ साल बीत गए; ना मैंने बूर चोदा ना ही देखा; सुधा बिच में अड़ी हुई थी ना.
लेकिन मेरे सुख का दिन का मौका आखिर आ ही गया; जब सुधा के मामा मर गए. वो अपने मामा के मरने पे 5 दिन के लिए अपने गाँव गई थी. मैं भी गया तो था लेकिन अंतिमसंस्कार के बाद मैं निकल आया; ऑफिस के काम के बहाने. सुधा वही रह गई तीज चौथ करने के लिए. खेर मैंने आके देखा की रश्मि एक दो बार सुधा के बारे में पूछने आई हैं. पहले मैंने सोचा की कुछ प्लान बनाते हैं नहीं तो बूर क्या चुंचे भी नहीं मिलेंगे. मैंने दो पोर्न मैगज़ीन खरीदी और उनमे से एक को बाथरूम में और दूसरी को सुधा के कपडे सिलाई करने के मशीन के पास रख दी. अगली बार जन शाम में रश्मि सुधा के बारे में पूछने आई तो मैंने उसे कहा की वो चाहे तो सिलाई का मशीन का उपयोग कर सकती हैं. उसने मुझे थेंक्स अंकल कहा और वो सिलाई के मशीन पे चली गई. मैंने अपना तौलिया उठा के बाथरूम में चला गया और अंदर से एक छेद से रश्मि को देखने लगा. पहले तो रश्मि का ध्यान मशीन के समीप रखे हुए पोर्न मैगज़ीन पे गया ही नहीं. लेकिन जब उसका ध्यान गया तो वो बूर चोदा चोदी कार्यक्रम देख के दंग रह गई. दरअसल यह पोर्न मैगज़ीन के मुखपृष्ठ पर एक प्रिया राय जैसे मांसल इंडियन औरत को दो लंड से चोदे जाने का सिन था. उसकी गांड और चूत में एक एक लौड़ा ठूंसा पड़ा था. मैंने देखा की रश्मि ने मुड़ के बाथरूम की और देखा, मैंने पानी का नल चालू किया. उसे लगा की मैं नहाने में मशगुल हूँ. उसने मैगज़ीन के पन्ने पलटाये और देखती गई की बूर चोदा कार्यक्रम कैसे चलता गया. उस मैगज़ीन में तो करीब 100 से ज्यादा हाईडेफिनिशन चुदाई फोटो थी. रश्मि एक एक कर के फोटो देखती गई. उसकी चूत के अंदर से भी जरुर पानी निकल रहा होंगा. मेरा हाथ इधर लंड पे अड़ा हुआ था. मैंने बहुत कंट्रोल करने की ट्राय की लेकिन आखिर मैंने बंध आँख से ही रश्मि का बूर चोदा वही खड़े खड़े मुठ मार के.
मैं नहा के बहार आया; रश्मि ने मैगज़ीन वापस रख दी थी; जैसे की उसने कुछ देखा ही ना हो. मैंने अपना कुर्ता पायजामा पहना और अंदर जानबूझ के अंडरवेर नहीं पहनी. रश्मि को मैंने पूछा की क्या वो चाय पिएगी. उसने हाँ कहा और साथ ही मैंने बोली, की अगर मैं चाहूँ तो वो चाय बना देगी. मैंने कहा नहीं ठीक हैं मैं बना लूँगा. मैंने कडक चाय बनाई और कप में निकाल ली. रश्मि के कप के अंदर मैंने हलकी सी नींद की दवाई मिला दी थी. मैं नहीं चाहता था की वो सो जाए; लेकिन दवाई से उसका दिमाग थोडा सन्न जरुर करना था. चाय दे के मैं सिलाई मशीन के पास ही खड़ा चाय पिने लगा. रश्मि सिने की ट्राय कर रही थी. तभी मैंने कहा, रश्मि कभी हमें भी सिलाई करना सिखाओ यार.
रश्मि हंसी और बोली, प्रदीप अंकल आप तो सुधा आंटी से 2-3 दिन में सिख सकते हैं.
मैंने कहा, सुधा और मेरी इतनी कहाँ बनती हैं. मैं तो तुम से ही सीखूंगा.
रश्मि हंस पड़ी और अपनी चाय की कप को होंठो से लगाने लगी. मेरा शैतान मन उसके गोल चुंचो से ले के उस के गले के खुले भाग को ताड़ने लगा. रश्मि गोरी थी और उसकी सेक्सी आँखे और गुलाबी होंठ उसकी जवानी को और भी निखार रहे थे. वो लकी होता हैं जिसने ऐसी जवानी का बूर चोदा होता हैं. मैंने अपना प्लान और थोडा आगे बढाया और रश्मि को कहा, चलो तुम मुझे आज थोडा बहुत तो बताओ ही.
इतना कह के मैं उसके पीछे खड़ा हुआ. मैं झूका और उसे कहा, चलो तुम सिलाई करो और मैं देखता हूँ. मेरा मुहं अब उसके कंधे के करीब था और मैं उसकी सिलाई देख रहा था. वो थोड़ी कतरा सी रही थी; लेकिन मुझे पता था की उसकी चूत में पसीना जरुर आया होंगा; अन्यथा वो एक लेस्बो हो. मैंने उसे कहा, अच्छा कपडे को पकड़ना होता हैं. उसने हाँ कहा. मैंने कहा, मुझे भी बताओ कैसे पकड़ते हैं. मैंने चाय की आखरी चुस्की ले के कप को साइड में रखा. अब मैं रश्मि के और भी करीब आ गया. मेरा लंड उसकी कमर को छूने को बेताब सा हुआ पड़ा था. अगर मैं आधा कदम आगे बढ़ता तो रश्मि की कमर को मेरे 9 इंच के लौड़े की गर्मी का अहेसास हो जाता. मैंने अपने आप से कहा अभी नहीं प्रदीप, रुक जा थोड़ी देर. मैंने उसके हाथो में अपने हाथ रखे और वो मुझे बता रही थी के कपडे को सुई से कैसे दूर रखते हैं कैसे सीते हैं. मेरे हाथो को उसके नरम नरम हाथो का स्पर्श बहुत ही रोमांच दे रहा था. मेरे लंड ने बहुत समय से जवान बुर चोदा नहीं था इसलिए मेरी बेताबी आप भी समझ सकते हैं.
उसके हाथ थोड़ी देर अपने हाथ में रखने के बाद मी थोडा आगे बढ़ा. मेरा लंड उसकी कमर पे सटा हुआ था. उसने कोई रिस्पोंस नहीं दिया; लेकिन मुझे पता था की लंड की गर्मी उसकी कमर पे महसूस जरुर हुई थी. मैंने अब हलनचलन कर के लंड को कमर के ऊपर जैसे घिसना चालू कर दिया. रश्मि ने पलट के पहली बार मेरी तरफ देखा. मैंने जैसे की कुछ हुआ ना हो वैसे सिलाई पे ध्यान दिया. वो भी कुछ नहीं बोली; शायद उसे भी आग लगी थी अपने बूर में जो लौड़ा लेने पे ही ख़तम होने वाली थी. मैंने ऐसे ही लौड़ा उसकी कमर पे घिसा और फिर यकायक मैंने अपने हाथ उसकी छाती पे रख दिए. इस बार रश्मि पलटी और उसकी आँखों में आश्चर्य भरा हुआ था. मैंने उसके चुंचो को दबाये और सहलाए. वो बोली, प्रदीप अंकल यह क्या कर रहे हो.
मैंने कहा, रश्मि तुमने मुझे सिलाई बताई मैंने तुम्हे चुदाई बताऊंगा.
मेरे इस वाक्य से उसे हंसी आ गई. मैंने उसे कमर से पकड़ा और खड़ा कर दिया. वो बिलकुल भी प्रतिकार नहीं कर रही थी. मैंने उसके होंठो पे अपने होंठ रखे और उसके मुहं की चाय की खुश्बू को महसूस करते करते उसे मस्त किस दे दिया. रश्मि की आँखे बंध थी और वो किस को पुरे मजे से एन्जॉय कर रही थी. मैंने अपने हाथ उसकी गांड के उपर रखे और उसे अपने नजदीक खिंच लिया. एक जोर की आह से वो मेरी तरफ खिंची आई. मैंने उसकी कमर के उपर की लंबी ज़िप को एक झटके में खिंच दिया. उसके अंदर की ब्रा की हुक मेरे हाथो में लगी. मैंने उसके किस करते करते ब्रा की पट्टी के साथ खेलना चालू कर दिया. मैंने दुसरे हाथ से रश्मि का हाथ लिया और पायजामे के अंदर खड़े मेरे लौड़े के उपर रख दिया. रश्मि ने मेरे 9 इंच के लौड़े को दबोचा और वो उसे मरोड़ने लगी. मैं अलग ही रोमांच का अनभव कर रहा था. मैंने अब किस करना छोड़ा और रश्मि को हाथो में उठा के बेडरूम की तरफ चल पड़ा. रश्मि मेरी तरफ देख रही थी और उसके हाथ मेरे गालो को मसल रहे थे. मैंने उसे पलंग में फेंका और खुद भी पलंग में जा बैठा. रश्मि शर्म के मारे अपने मुहं को छिपा रही थी. मेरा लौड़ा पायजामे में तंबू बना रहा था; काफी समय हुआ था जब उसने आखरी बार बूर चोदा था. मैंने अपने कुर्ते को उतारा और पायजामे के नाड़े को भी खोल दिया. रश्मि ने जैसे ही मेरे लंड को देखा उसकी आँखे चौंधिया सी गई. उसने तुरंत लंड को हाथ में ले लिया और उसको सहलाने लगी. उसने कहा, प्रदीप अंकल आपका लौड़ा तो काफी मजबूत हैं; कितनो की बूर चोदा है इस लंड से.
रश्मि के मुहं से ऐसे बाते सुन के मैं तो हैरान रह गया. क्यूंकि मुझे लगता था की वह एक शर्मीली और शालीन लड़की हैं लेकिन लंड देखते ही वो अपनी औकात पे आ गई थी. मैंने उसकी ब्रा को खोला और उसके बड़े 32 के स्तन देख के लंड जैसे उसको सलामी दे रहा था. मैंने लंड को रश्मि के मुहं के पास रखा और यह देसी लड़की जानती थी की मैं क्या चाहता था. उसने अपने गुलाबी होंठो खोले और मेरे लंड को एक किस दे दी. मैंने कहा, रश्मि किस से मैं मानूंगा मेरा लंड नहीं मानेगा. वो हंसी और बोली, फिर किस चीज से मानता हैं आपका लंड.
मैंने उसके माथे को पीछे से पकड़ा और लंड को उसके मुहं में पेल दिया. रश्मि चाप चाप कर के लंड चूसने लगी. उसके हाथ उस वकत चूत के ऊपर चलने लगे और वो अपने हाथ से ही अपने बाकी के कपडे उतारने लगी; चलो मुझे उतनी महनत कम करनी पड़ी. रश्मि लंड चूसते चूसते पूरी नंगी हो गई, मैं उसके मस्ती से भरी हुए स्तन और उभरी हुई गांड को देख के मदहोश हो रहा था. रश्मि के मुहं में मैंने अब जोर जोर से धक्के देने चालू कर दिए. लेकिन इस भूखी शेरनी को पता था की लंड को कैसे हजम करते हैं. वो गला खोल के लंड के हरेक धक्के का जवाब दे रही थी.
मैंने अब लंड को उसके मुहं से बहार निकाला और उसके साथ 69 पोजीशन बना ली. मैं उसकी गुलाबी आंतरत्वचा वाली चूत के होंठो पे चुंबन दे रहा था और वो जैसे की लोलीपोप खा रही है वैसे मेरे लंड को चूस रही थी. उसके होंठ मेरे गोलों तक पहुँच रहे थे जिसका मतलब साफ़ था; यह लड़की को चोदने का अनुभव था और उसका बूर चोदा गया था इस से पहले भी. हम लोग ऐसे ही एक दुसरे को 5 मिनिट तक चूसते रहे और रश्मि एक बार झड भी चुकी थी. उसने अब लंड को मुहं से निकाला और बोली, चलिए प्रदीप अंकल और मत तडपाओ मुझे आपका लौड़ा मेरी बूर में दे दो अब तो. मैंने कहा, ले लो जानेमन हम तो आपके ही हैं.
रश्मि उठ बैठी और उसने पलंग के सर वाले हिस्से में अपनी कमर लगा दी, मैंने उसे खिंच के लिटा दिया. उसकी टांगो को मैंने खोल दिया और उसकी रस से टपकती हुई चूत के उपर अपने लंड के सुपाड़े को टिका दिया. रश्मि को मैंने पूछा, किसीने बूर चोदा हैं तुम्हारा इस से पहले. वो हंस के बोली, एक लड़का हैं मेरी कोलेज में जिसने चोदने का प्रयास किया था लेकिन उसका लंड आप से आधा ही था और वो 2 मिनिट में ही मैदान छोड़ गया था. हम दोनों हंस पड़े और इसी हंसी के बिच मैंने एक झटका दे दिया. हंसती हुई रश्मि के चहरे पे दुःख आ गया…आह आह ओह ओह ओह मर गई, बाप रे प्रदीप अंकल आपका तो बहुत तगड़ा हैं; निकाल लो प्लीज़ आह आह्ह्ह मम्मी रे मेरी मर गई.
मैंने उसके होंठो पे अपने होंठ दबाये और उन्हें चूसने लगा. मैंने लौड़े को अंदर ही दबा रखा; रश्मि मेरे कमर पे अपने नाख़ून से खुरचने लगी और उसकी चीखे मेरे मुहं में दब के रह गई. 2 मिनिट के बाद वो थोड़ी एडजस्ट हुई और उसने चिल्लाना बंध कर दिया. अब मैंने हलके हलके झटको से पेलना चालू किया. उसका बूर मेरे लौड़े से अच्छा एडजस्ट हो गया थोड़ी ही देर में. मैंने उसके स्तन मुहं में लिए और मैं अपने लौड़े को बूर के अंदर और भी जोर से पेलने लगा. अब रश्मि भी अपनी गांड को हिला रही थी. उसे भी मस्ती चढ़ी थी अब चुदाई की जो. वो आह प्रदीप अंकल आह आह्ह्ह्हह ओह ओह चोदो मुझे, चोदो मेरा बूर, डालो अपना लंड मेरी चूत में आह आहा आह ओह ओह…फाड़ दो इस बूर को, ऐसे आवाज निकालने लगी. मैंने उसे उठाया और घोड़ी बना दिया. वो बोली, मुझे दर्द होगा इस पोजीशन में. मैंने उसकी गांड के उपर एक चमाट लगाई और कहा, दर्द होगा तभी तो मजा और आएगा.
मैंने उसकी गांड को पीछे से खोला और बूर के छेद को पकड़ा, लंड के उपर थोडा थूंक लगाया और बूर में घुसेड दिया. उसकी गांड को दोनों तरफ से पकड़ के जो बूर चोदा मैंने एक झटके में रश्मि आह आह कर के रह गई. उसकी बूर के अंदर लौड़ा पूरा के पूरा पेलन कर रहा था और वो आह आह करती जा रही थी. प्रदीप अंकल क्या बूर चोदते हैं आप तो, सुधा आंटी की फट जाती होगी….वो चुद्वाते चुद्वाते बोल रही थी. मैंने कहा, तेरी सुधा आंटी तो गधे का लेगी तो भी नहीं फटेगा क्यूंकि मैं उसका बूर हजार बार चोद चूका हूँ. वो गांड भी मरवाती हैं मुझे. तूने मरवाई हैं गांड कभी. रश्मि बोली, नहीं बाबा गांड में लेने से गांड फ़ैल जाती हैं, मुझे अपनी गांड सुधा आंटी जैसे फैलानी नहीं हैं. मैंने कुत्ते के जैसे रश्मि को दबोचा और अपने झटके तीव्र कर दिए. वो आह आह करते हुए और भी सेक्सी तरीके से मुझ से चुदती रही. 10 मिनिट तक लगातार मैं उसकी वही स्पीड से चुदाई करता रहा. उसका बूर चुद चुद के लाल टमाटर जैसा हो गया था और उसे सांस चढ़ी हुई थी. मैंने उसके कान पे दांत गडाते हुए कहा, अंदर लेगी लंड का रस. रश्मि बोली, नहीं आप मेरी गांड के उपर निकाल दीजिए उसे. अंदर लिया तो मुझे गोली खानी पड़ेंगी.
मैंने लंड को उसके बूर से बहार निकाला और मैंने लंड को हिलाने लगा. मुठ मारने की वजह से आज मेरा चुदाई कार्यक्रम लम्बा चला था. वो अपनी गांड को हिला रही थी जिस से मैं भी उत्तेजित ह गया. तभी मेरे लंड ने पिचकारी छोड़ी और रश्मि की गांड के उपर मैंने ढेर सारा वीर्य निकाल दिया. रश्मि ने अपनी चूत को खोली और मैंने उसकी चूत में ऊँगली डाल के उसे एक बार और झाड दिया.
हम दोनों नंगे ही पलंग में लेट गए. फिर हम नहाने के लिए बाथरूम में गए; जहाँ पे मैंने अपना लंड रश्मि को एक और बार चुसाया और वीर्य उसके मुहं में ही निकाल दिया. सुधा के आने तक तो मैंने जाने कितनी बार रश्मि का बूर चोदा. अब मैं राह देख रहा हूँ बीवी के मइके में किसी और के मरने की……!!!!
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