में एक २५ साल का बिहारी भैया हूँ, और आज दिल्ली में शर्मा जी के यहाँ नोकरी करता हूँ. वेसे तो बहोत बार चूत मारी हे लेकिन क्या हे की रूटीन में नहीं मिलती हे इस लिए कभी कभी अपना हाथ से ही करना पड़ता हे. सो कहानी पे आते हे,.
महीने भर मेरे मालिक की अम्माजी अपना घुटनों का इलाज करवाने दिल्ली आ गयी. गोरी चिट्टी खूब मोटी, बुढिया पर सुन्दर थी दिखने में. ना जाने क्यू बूढी को देख कर ख्याल आया की , जब ये अभी भी इतनी सुन्दर हे तो जवानी में कितनी सुन्दर रही होगी. अगर अब भी उसको चोदन को मिल जाए तो मजा आ जाए.
माजी की सारी देख भाल का जिम्मा मुझे ही मिला. सिर्फ उनकी टांगो पर तेल की मालिश चंपा (दूसरी नौकरानी) करती थी. कभी कभी में भी बहाने से चोरी छुपी बुढिया की मसल्स से भरी जांघे देख लेता था. वेसे तो मेने चंपा को भी पटाने की कोशिस की थी, पर साली पटी नहीं. फिर एक दिन चंपा कुछ दिनों के लिए अपने गाँव चली गयी. तो अब समस्या ये की माजी की टांगो की मालिस कौन करे? मालिक मालकिन अपने अपने काम पर बच्चे स्कूल कॉलेज. तो मेने एक दिन कहा माजी आप आज्ञां दे तो आप की सेवा में कर दिया करूँ.
वो बोली “ बेटा कुछ दिनों की बात हे मुझे मालिस से बड़ा आराम आ रहा हे. चंपा को भी अभी मरना था. मेरा शरीर भारी हे. में खुद नहीं कर पाती, चल तू कर दिया कर.
मेरा तो नसीब ही खुल गया. अगले ही दिन ११-१२ बजे में तेल की सीसी लेकर जा पहुंचा, माजी आपकी मालिस का टाइम हो गया.
मेरे इतना कहने पर माजी ने लेटे लेटे अपना गाउन घुटनों तक ऊपर खिंच लिया और बोली, आ बेटा कर दे, भगवान तेरा भला करे.
दो मोटी मोटी टाँगे देख कर मेरा तो लंड तनतना गया. मेने धीरे धीरे से तेल लगके मालिस लगनी सुरु की. फिर थोड़ी देर बाद मेने सोंचा की क्यू ना बूढी की चूत के दर्शन किया जाए. तो मेने बूढी की टाँगे घुटनों से मोड़ कर कड़ी कर दी जिससे मुझे उसके गाउन के अन्दर देखने का मौका मिला और मेने देखा की बूढी की गोरी गोरी चूत और चूत पर ढेर सारे बाल हे. फिर मेने मालिस करते करते बुढिया का गाउन ऊपर खिसकाना सुरु किया और मालिस उसकी जांघो तक करनी सुरु कर दी और करते करते मेने उसके पेट तक गाउन उठाकर मालिस करनी सुरु कर दी. अब में उसकी टाँगे चूत और मोटा पेट देख रहां था, और तेल लगाकर उसकी मालिस करते हुए उसकी मज़ा भी ले रहा था. जब मेरी वासना और बढ़ गयी तो में उसका गाउन उसके गले तक उठा दिया और उसकी बड़ी बड़ी चुन्चियों की भी मालिश कर दी. उसके गोरे गोरे नर्म नर्म बूब्स दबा कर बहोत मज़ा आया. मेरा लंड पूरी तरह से अकड गया और मेरी निकर में से बहार झांक रहा था जो बूढी को भी दिख रहा था.
तब बूढी बोली, “बरसो बाद आज किसी ने मुझे इस हाल में देखा हे और मेरे अन्दर भावनाए जगाई हे, क्या तू मेरे साथ सम्भोग करेगा.
मेने कहा, “सच कहूं माजी, इसी लिए तो मेने आपकी मालिस करने की सेवा ली थी.”
“तो बेटा अब सेवा का फल मेवा खाने का टाइम आ गया हे, चल उतार कपड़े.”
फिर मेने अपने कपडे उतारे और अपना लंड बुढिया के हाथ में दिया.
वो बोली, “हे तो छोटा पर काम चल जाएगा. बरसो बाद चोदने की इच्छा जागी हे, आज वे भी करके देख लेटी हूँ.”
फिर उसने २ मिनट तक मेरा लंड चूसा और बोली, “आह लंड चूसने का भी अपना मजा हे “ चल अब थोड़ी सी मेरी चूत चाट और उसके बाद ऊपर आ जा.’
मेने भी बूढी की चूत अन्दर तक जीभ डाल कर चाटी बूढी ने भी जम कर पानी छोड़ा और उसके बाद मेने बूढी की टाँगे चौड़ी की और अपना लंड उसकी चूत के ऊपर रखा और उसके चाहने पर घिसने लगा और बूढी भी मारे मजे के “ऊऊओ,आआअह्ह्ह्ह” करने लगी.
फिर मेने धीरे से लंड अन्दर घुसेडा तो उसकी तो उसकी चूत एक दम कुवारी लोंडिया की तरह टाइट थी.
में बोला ,”माजी, आप की चूत तो बहोत टाइट हे.
तो वोह बोली “कभी किसी १५ साल की लड़की की चुदाई की हे, १५ साल लंड ना गया हो उसकी चूत इतनी टाइट ही हो जाती ह.”
बूढी की बातो ने मेरे अन्दर और आग भड़का दी मेने भी अपनी रफ़्तार बढ़ा दी और मजे ले ले कर उसकी चुदाई की. कोई १०-१२ मिनट बाद मेरा लंड फुफकार मरता उसकी चूत में झड गया. मेरा और बूढी का प्रोग्राम एक साथ हुआ. हम दोनों को तसल्ली हो गयी. कितनी देर तक हम एक दुसरे की बाहों में बाहे डाल कर नंगे ही लेटे रहे. मेने उसके बूब्स चूसा करीब आधे घंटे बाद मेने बूढी को दोबारा चोदा और उसकी छाती पर अपना माल छुड्वाया. उसके बाद मेने पानी गरम किया और बूढी के साथ बाथटब में नहाया. पुरे ३ महीने माजी दिल्ली रही और मुझे जमके पत्नी का सुख दिया.
बाद में तो वो मेरा माल भी खाने लगी लंड चूसते चूसते जब मुह में ही लंड झड जाता तो सारा माल अन्दर निगल जाती और खुस होती. अब पता नहीं दवाई से या मेरा माल पी पी कर हुई पर बुढिया काफी ठीक हो गयी और फिर एक दिन वापस अपने गाँव चली गयी.
में आज भी उनको याद करता हूँ और सोचता हूँ साली मस्त चुदवाती थी..!
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