पाठकों, मेरा नाम सुषमा है और मैं शादीशुदा हूँ…
शादी के एक साल बाद की एक घटना मैं आज आपको बताती हूँ…
मैं अपने पति के साथ रहती थी। घर में बस हम दो ही रहते थे।
एक दिन अपने मोबाइल में एक मैसेज पढ़कर वो बोले – सुषमा, मेरा एक “चचेरा भाई” जो नज़दीक के छोटे गाँव में रहता है उसके किसी एग्जाम का सेंटर इस शहर में आया है। वो पढ़ने के लिए और एग्जाम देने के लिए इसी शहर में आ रहा है। कुछ दिन यहाँ रहे, तो एतराज़ तो नहीं है… ??
मैंने कहा – भला मुझे क्या ऐतराज़ होगा… आपका भाई है, तो मेरा तो देवर हुआ ना… देवर के आने से भाभी को क्या ऐतराज़ हो सकता है…
और कुछ दिन में वो आ गया… …
“अभिषेक” नाम था उसका…
करीब 18 साल का होगा। 5-8 की लंबाई और मजबूत कद काठी थी। मोटा नहीं पर “कसा हुआ बदन” था। कुल मिला कर बंदा स्मार्ट था… …
सुबह का ब्रेकफास्ट हम सब – मैं, मेरे पति और अभी (निक नेम) साथ करते थे।
उनके ऑफीस जाने के बाद मैं घर में पहले अकेली हुआ करती थी।
अब अभी भी था…
वो दिनभर अपना मन लगाकर पढ़ाई करता था। मैं भी उसे ज़्यादा डिस्टर्ब नहीं करती थी। उसे पढ़ने देती थी… …
लेकिन लंच और दोपहर की चाय हम साथ पीते थे।
लगभग रोज़ ही दोपहर को जब मैं नींद से उठती तो उसके रूम की और चली जाती और पूछती – पढ़ाई कैसी हो रही है… ??
वो कहता – ठीक ठाक…
फिर मैं पूछती – चाय पियोगे… ??
वो कहता – हाँ भाभी। और फिर मैं चाय बनाने चली जाती…
चाय पीते समय हम दोनों इधर उधर की बातें करते थे।
लेकिन उस रोज़ मेरी दोपहर की नींद जल्दी ही पूरी हो गई और जब मैं उसके रूम पर गई, तो दरवाज़ा बंद था और कमरे से कुछ आवाज़ आ रही थी…
मैं रुक गई और कान लगा कर सुनने लगी।
आ आ आह… उम उः उफ़… की आवाज़ आ रही थी…
मुझे समझ में नहीं आया कि आख़िर क्या हो रहा है… ??
थोड़ा घबरा कर मैं दरवाज़ा नॉक करनेवाली थी की ख़याल आया। खिड़की से देख लूँ… उस रूम की एक खिड़की हॉल मे पड़ती थी।
वो भी बंद थी, पर पूरी लगी नहीं थी।
मैंने हल्का सा धक्का दिया और थोड़ी सी खोल दी।
रूम का नज़ारा देखा तो बस देखती ही रह गई…
अभी अपने सारे कपड़े उतारकर बिल्कुल नंगा खड़ा था। उसका लण्ड पूरा तना हुआ था और वो अपना लण्ड हाथ मे लिए हुआ था और ज़ोर ज़ोर से उससे खेल रहा था…
मेरी तो आँखे झपकना भूल गई…
सिने की धड़कन बढ़ गई…
मेरे सामने एक 18 साल का जवान लड़का अपने हाथ में तना हुआ लण्ड ले कर हस्तमैथुन (मास्टरबेशन / मूठ मारना) कर रहा था…
मैंने अब तक “मर्दों के हस्तमैथुन” के बारे में सुन रखा था, लेकिन आज मैं उसे अपनी आँखों से देख रही थी…
उफ़, क्या सीन था !!!!!!
पूरी जवानी में आया हुआ, “कसरती बदन” वाला नव-युवक मेरे सामने नंगा खड़ा था… …
उसका खुला सीना ही किसी लड़की को व्याकुल बनाने के लिए काफ़ी था।
यहाँ तो उसकी सुडौल जांघें और उसका “नंगा लण्ड” भी नज़र के सामने था!!!
वॉट आ मस्क्युलर थाइस !!!!!! वाउ !!!!!! और उसके बीच में पूरे ज़ोर से उठा हुआ उसका लण्ड !!!!!! माई गॉड !!!!!! मेरे सिने की धड़कनें तेज़ हो गईं।
मेरे “संस्कार” कह रहे थे, मुझे तुरंत वहाँ से हट जाना चाहिए…
लेकिन मन नहीं मानता था।
आख़िर जीत मन की हुई और मैं रुक ही गई और वो “दिलकश नज़ारा” एकटक देखती रही…
खिड़की थोड़ी ही खुली थी, इसलिए उसका ध्यान नहीं था…
वो तो बस अपने काम में मगन था और अपना लण्ड हिलाने में लगा हुआ था।
उसका चेहरा भी देखने जैसा बना हुआ था। “सेक्स की तड़प” स्पष्ट रूप से उसके चेहरे से झलक रही थी… …
उसका लण्ड और मोटा और कड़क होते ही जा रहा था…
थोड़ी ही देर में उसके लण्ड से पानी चूत गया और वो ढीला हो गया…
मैं वहाँ से चली गई तो मुझे ख़याल आया, मेरी पैंटी भी गीली हो चुकी थी…
मैंने फ़ौरन जाकर अपनी अपनी पैंटी बदली… …
पैंटी तो बदल गई पर मन कैसे बदलता… … … …
वो नज़ारा मेरे दिमाग़ से उतरता ही नहीं था…
रात को पतिदेव के साथ सोने गई, तब भी दिमाग़ में यही मंडरा रहा था…
उस रात मैं बहुत ज़्यादा गरम हो गई और पति के ऊपर चढ़ कर उनपर सवार हो गई…
उस दिन मैंने उनसे जी भर कर चुदवाया… मेरी चूत ने भी “कामरस” की खूब “गंगा-जमुना” बहाई… … !!
आख़िर, वो भी बोल उठे – आज तुझे क्या हुआ है… ?? कोई “ब्लू फिल्म” तो नहीं देख ली, तूने… ??
मैं क्या बोलती… ?? इस से बड़ी “ब्लू फिल्म” क्या देखती… ??
मैंने कह दिया – नहीं, ये तो आप कल से 10 दिन की टूर पर जानेवाले है ना, इसलिए…
वो हंस पड़े… …
दूसरे दिन भोर में ही वो टूर पर निकल गये… …
कहानी जारी रहेगी… … …
अगर अब तक की कहानी आपको पसंद आई हो तो कामिनी जी को मेल करके अपनी राय अवशय दें…
आपके मेल मुझ तक पहुँच जाएँगें… …
धन्यवाद!!
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